कानपुर 29 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन सी ए ज्ञान प्रकाश गुप्ता जी द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 257 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन विवेक श्रीवास्तव, लायन पवन तुलसियान एवम लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लायन वीना ऐरन जी ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज चतुर्थ चरण में एनईपी 2020 के अंतर्गत कला संकाय की 257 पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152, तृतीय चरण में 182 पुस्तकों प्रदान की गई थीं। अब तक कुल 657 पुस्तकें बुक बैंक में हमारे द्वारा दान की गई हैं आगे भी आवश्यकतानुसार लायंस क्लब , छात्राओं हेतु शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल, लायन क्लब कानपुर गंगेज, लायन क्लब कानपुर अलंकृत, लायन मृदुला वर्मा, लायन सर्वेश दुबे ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
इस कार्यक्रम में लायन सुधा यादव ,लायन सविता श्रीवास्तव, लायन सुषमा श्रीवास्तव, लायन संघमित्रा, लायन उत्तरा गर्ग एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की शिक्षिकाएं प्रो निशा पाठक, डॉ पूर्णिमा शुक्ला एवम पुस्तकालय प्रभारी श्रीमती सुमन उपस्थित रही I कार्यक्रम का समापन प्रो निशा पाठक के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया।
वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद मई 2024 में खनन क्षेत्र में वृद्धि
इस प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, देश में इन प्रमुख खनिजों के उत्पादन ने अनंतिम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में जोरदार वृद्धि प्रदर्शित की है। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में लौह अयस्क का उत्पादन 50 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 52 एमएमटी हो गया है, जिसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चूना पत्थर का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 77 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 79 एमएमटी हो गया है, जिसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मैंगनीज अयस्क का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत बढ़ गया है और वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 0.7 एमएमटी का उत्पादन हुआ है।
अलौह धातु क्षेत्र में, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में प्राथमिक एल्यूमीनियम उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 6.90 एलटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 6.98 लाख टन (एलटी) हो गया।
भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक, तीसरा सबसे बड़ा चूना उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क और चूना पत्थर के उत्पादन में निरंतर वृद्धि इस्पात और सीमेंट जैसे उपयोगकर्ता उद्योगों में मजबूत मांग की स्थिति को दर्शाती है। एल्युमीनियम के उत्पादन में वृद्धि के साथ, ये वृद्धि के रुझान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निर्माण, ऑटोमोटिव और मशीनरी जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में निरंतर मजबूत आर्थिक गतिविधि की ओर संकेत देते हैं।
कर्मचारी पेंशन योजना 1995 में संशोधन किया गया है, जिससे 6 महीने से कम सेवा वाले सदस्यों को निकासी का लाभ प्रदान किया जा सके; संशोधन से प्रत्येक वर्ष कर्मचारी पेंशन योजना के 7 लाख से अधिक सदस्यों को लाभ मिलेगा
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने तालिका डी को संशोधित किया है और यह सुनिश्चित किया है कि सदस्यों को आनुपातिक निकासी लाभ देने के लिए सेवा के प्रत्येक पूरे महीने को ध्यान में रखा जाए। निकासी लाभ की राशि अब सदस्य द्वारा दी गई सेवा के पूरे महीनों की संख्या और उस वेतन पर निर्भर करेगी जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना का अंशदान प्राप्त हुआ था। उपर्युक्त उपाय ने सदस्यों को निकासी लाभ के भुगतान को युक्तिसंगत बनाया है। अनुमान है कि प्रत्येक वर्ष 23 लाख से अधिक सदस्य तालिका डी के इस संशोधन से लाभान्वित होंगे।
प्रत्येक वर्ष पेंशन योजना 95 के लाखों कर्मचारी सदस्य पेंशन के लिए आवश्यक 10 वर्ष की अंशदायी सेवा देने से पहले ही योजना छोड़ देते हैं। ऐसे सदस्यों को योजना के प्रावधानों के अनुसार निकासी का लाभ दिया जाता है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 लाख से अधिक निकासी लाभ के दावों का निपटारा किया गया।
अब तक, निकासी लाभ की गणना पूर्ण वर्षों में अंशदायी सेवा की अवधि और उस वेतन के आधार पर की जा रही थी, जिस पर कर्मचारी पेंशन योजना के अंशदान का भुगतान किया गया है।
इसलिए, अंशदायी सेवा के 6 महीने और उससे अधिक का समय पूरा करने के बाद ही सदस्य ऐसे निकासी लाभ के लिए पात्र होते थे। परिणामस्वरूप, 6 महीने या उससे अधिक समय तक अंशदान करने से पहले योजना छोड़ने वाले सदस्यों को कोई निकासी लाभ नहीं मिलता था। यह कई दावों के खारिज होने और शिकायतों का कारण था क्योंकि कई सदस्य 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा किए बिना ही योजना छोड़ रहे थे। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान, 6 महीने से कम की अंशदायी सेवा के कारण निकासी लाभ के लगभग 7 लाख दावे खारिज कर दिए गए। इसके संशोधन बाद, ऐसे सभी कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्य जो 14.06.2024 तक 58 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर पाए हैं, वे निकासी लाभ के पात्र हो जाएंगे।
इससे पहले, पूर्ववर्ती तालिका डी के अंतर्गत गणना में प्रत्येक पूर्ण वर्ष के बाद 6 महीने से कम समय के लिए की गई सेवा की आंशिक अवधि को नजरअंदाज कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप कई मामलों में निकासी लाभ की कम राशि प्राप्त हुई। तालिका डी के संशोधन के साथ, निकासी लाभ की गणना के लिए अंशदायी सेवा को अब पूर्ण महीनों में माना जाएगा। इससे निकासी लाभ का उचित भुगतान सुनिश्चित होगा। उदाहरण के लिए, 2 वर्ष और 5 महीने की अंशदायी सेवा और 15,000/- प्रति माह वेतन के बाद निकासी लाभ लेने वाला सदस्य पहले 29,850/- रुपये की निकासी लाभ का हकदार था। अब उसे 36,000/- रुपये का निकासी लाभ प्राप्त होगा।
डीएवाई-एनआरएलएम ने महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा क्षेत्र उद्यमों में शामिल कर ‘लखपति दीदी बनाने’ के विषय पर कार्यशाला आयोजित की

इस कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए, ग्रामीण आजीविका के अपर सचिव श्री चरणजीत सिंह ने कहा कि ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर कार्यशाला का आयोजन इसे एक ऐतिहासिक दिन बनाता है। यह मिशन, प्रधानमंत्री की परिकल्पना के अनुसार लखपति दीदियां बनाने का प्रयास कर रहा है और सेवा क्षेत्र के उद्यमों की संभावनाओं की खोज एवं एकीकरण करते हुए लखपति पहल को सुदृढ़ बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। श्री सिंह ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि सेवा क्षेत्र आज सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 50 प्रतिशत और रोजगार में 31 प्रतिशत का योगदान देता है, इसलिए इस पर खुले दिमाग से चर्चा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एसएचजी समुदाय की व्यापक भागीदारी के लिए उनके आर्थिक उत्थान और उन्हें लखपति दीदी बनने में सक्षम बनाने के लिए किस तरह की उप-योजना शुरू की जा सकती है।
ग्रामीण आजीविका की संयुक्त सचिव सुश्री स्वाति शर्मा ने संदर्भ की चर्चा करते हुए कहा कि 15 अगस्त, 2023 को प्रधानमंत्री द्वारा लखपति दीदी बनाने की घोषणा और 11 मार्च, 2024 को प्रधानमंत्री की लखपति दीदियों के साथ परस्पर बातचीत के बाद, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और इसके राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन इसे वास्तविकता बनाने के लिए प्रेरित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मांग आधारित आर्थिक कार्यकलापों पर ध्यान केंद्रित करने का समय आ गया है और इसके लिए डीएवाई-एनआरएलएम अपने विभिन्न हितधारकों के साथ एसएचजी दीदियों को सफल सेवा क्षेत्र उद्यम बनाने के लक्ष्य को साकार करने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करेगा।
इस अवसर पर ग्रामीण आजीविका विभाग की संयुक्त सचिव सुश्री स्मृति शरण ने कहा कि प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी लखपति दीदी के सपने को साकार करने के लिए संयोजन महत्वपूर्ण है और मंत्रालय अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्वयं सहायता समूह दीदियों को लखपति दीदी के रूप में आर्थिक रूप से परिवर्तित करने में मदद करने के लिए हर संभव अवसर का लाभ उठाएगा।
इस कार्यशाला का आयोजन वर्तमान परिदृश्य- सेवा क्षेत्र में महिला स्वयं सहायता समूहों के समक्ष अवसर, संभावनाएं और चुनौतियां, महिला स्वयं सहायता समूहों को सेवा उद्यमों में एकीकृत करने के सर्वोत्तम तरीकों एवं सफल मॉडलों की पहचान और विभिन्न हितधारकों के सहयोग से अर्थव्यवस्था के सेवा क्षेत्र में स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं के सफल एकीकरण के लिए आगे की रणनीति और रोडमैप की समझ विकसित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रतिभागियों में ग्यारह मंत्रालयों, दस राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों और अन्य हितधारकों, सेक्टर कौशल परिषद, राष्ट्रीय संसाधन संगठनों और तकनीकी सहायता एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल थे। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी के साथ विभिन्न सोच और विचारों पर खुली चर्चा हुई। ग्रामीण आजीविका निदेशक सुश्री राजेश्वरी एसएम ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। समापन भाषण में, ग्रामीण आजीविका के परामर्शदाता श्री आर एस रेखी ने परामर्श कार्यशाला के मुख्य बिंदुओं और परामर्श कार्यशाला से उभरी अंतर्दृष्टि के आधार पर भावी परिदृश्य पर प्रकाश डाला।
आठ कोर उद्योगों का संयुक्त सूचकांक मई 2024 में 6.3 प्रतिशत बढ़ा; बिजली, कोयला, इस्पात, प्राकृतिक गैस के उत्पादन में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई
आईसीआई आठ कोर उद्योगों अर्थात सीमेंट, कोयला, कच्चा तेल, बिजली, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और इस्पात के उत्पादन के संयुक्त और अलग-अलग प्रदर्शन की माप करता है। आठ कोर उद्योग में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं के भार का 40.27 प्रतिशत हिस्सा शामिल हैं।
फरवरी 2024 के लिए आठ कोर उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान आईसीआई की संचयी वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.5 प्रतिशत (अनंतिम) रही।
आठ कोर उद्योगों के सूचकांक का सारांश नीचे दिया गया है:
सीमेंट-सीमेंट उत्पादन (भार: 5.37 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 0.8 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.6 प्रतिशत कम हुआ।
कोयला-कोयला उत्पादन (भार: 10.33 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में मई, 2024 में 10.2 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.9 प्रतिशत बढ़ा।
कच्चा तेल– कच्चे तेल का उत्पादन (भार: 8.98 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 1.1 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल-मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.2 प्रतिशत बढ़ा।
बिजली-बिजली उत्पादन (भार: 19.85 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 12.8 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 11.6 प्रतिशत बढ़ा।
उर्वरक-उर्वरक उत्पादन (भार: 2.63 प्रतिशत) मई, 2024 में मई, 2023 की तुलना में 1.7 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत कम हुआ।
प्राकृतिक गैस- मई, 2024 में प्राकृतिक गैस उत्पादन (भार: 6.88 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में 7.5 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.0 प्रतिशत बढ़ा।
पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद- मई, 2024 में पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन (भार: 28.04 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में 0.5 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 2.2 प्रतिशत बढ़ा।
इस्पात- मई, 2024 में इस्पात उत्पादन (भार: 17.92 प्रतिशत) मई, 2023 की तुलना में 7.6 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से मई, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.2 प्रतिशत बढ़ा।
नोट 1: मार्च, 2024, अप्रैल, 2024 और मई, 2024 के आंकड़े अनंतिम हैं। कोर इंडस्ट्रीज की सूचकांक संख्या को स्रोत एजेंसियों से प्राप्त अद्यतन आंकड़ों के अनुसार संशोधित/अंतिम रूप दिया जाता है।
नोट 2: अप्रैल 2014 से, नवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के आंकड़े भी शामिल किए गए हैं।
नोट 3: ऊपर दर्शाए गए उद्योग-वार भार आईआईपी से प्राप्त व्यक्तिगत उद्योग भार हैं और आईसीआई के संयुक्त भार के बराबर 100 के अनुपात में बढ़ाए गए हैं।
नोट 4: मार्च 2019 से, तैयार इस्पात के उत्पादन के भीतर ‘कोल्ड रोल्ड (सीआर) कॉइल‘ मद के तहत हॉट रोल्ड पिकल्ड एंड ऑइलड (एचआरपीओ) नामक एक नया इस्पात उत्पाद भी शामिल किया गया है।
नोट 5: जून, 2024 के लिए सूचकांक बुधवार 31 जुलाई, 2024 को जारी किया जाएगा।
अनुलग्नक I
आठ प्रमुख उद्योगों का प्रदर्शन
वार्षिक सूचकांक एवं वृद्धि दर
आधार वर्ष : 2011-12=100
अनुक्रमणिका
सेक्टर | कोयला | कच्चा तेल | प्राकृतिक गैस | रिफाइनरी उत्पाद | उर्वरक | इस्पात | सीमेंट | बिजली | समग्र सूचकांक |
भार | 10.33 | 8.98 | 6.88 | 28.04 | 2.63 | 17.92 | 5.37 | 19.85 | 100.00 |
2012-13 | 103.2 | 99.4 | 85.6 | 107.2 | 96.7 | 107.9 | 107.5 | 104.0 | 103.8 |
2013-14 | 104.2 | 99.2 | 74.5 | 108.6 | 98.1 | 115.8 | 111.5 | 110.3 | 106.5 |
2014-15 | 112.6 | 98.4 | 70.5 | 108.8 | 99.4 | 121.7 | 118.1 | 126.6 | 111.7 |
2015-16 | 118.0 | 97.0 | 67.2 | 114.1 | 106.4 | 120.2 | 123.5 | 133.8 | 115.1 |
2016-17 | 121.8 | 94.5 | 66.5 | 119.7 | 106.6 | 133.1 | 122.0 | 141.6 | 120.5 |
2017-18 | 124.9 | 93.7 | 68.4 | 125.2 | 106.6 | 140.5 | 129.7 | 149.2 | 125.7 |
2018-19 | 134.1 | 89.8 | 69.0 | 129.1 | 107.0 | 147.7 | 147.0 | 156.9 | 131.2 |
2019-20 | 133.6 | 84.5 | 65.1 | 129.4 | 109.8 | 152.6 | 145.7 | 158.4 | 131.6 |
2020-21 | 131.1 | 80.1 | 59.8 | 114.9 | 111.6 | 139.4 | 130.0 | 157.6 | 123.2 |
2021-22 | 142.3 | 77.9 | 71.3 | 125.1 | 112.4 | 163.0 | 156.9 | 170.1 | 136.1 |
2022-23 | 163.5 | 76.6 | 72.4 | 131.2 | 125.1 | 178.1 | 170.6 | 185.2 | 146.7 |
2023-24* | 182.7 | 77.1 | 76.8 | 135.9 | 129.8 | 200.3 | 185.7 | 198.3 | 157.8 |
अप्रैल-मई 2023-24 | 164.4 | 76.9 | 71.1 | 136.9 | 128.5 | 191.9 | 191.9 | 197.0 | 154.3 |
अप्रैल-मई 2024-25* | 179.0 | 77.1 | 76.8 | 139.9 | 126.9 | 207.6 | 190.7 | 219.7 | 164.3 |
*अनंतिम
वृद्धि दर (वर्ष दर वर्ष आधार पर प्रतिशत में)
सेक्टर | कोयला | कच्चा तेल | प्राकृतिक गैस | रिफाइनरी उत्पाद | उर्वरक | इस्पात | सीमेंट | बिजली | समग्र वृद्धि |
भार | 10.33 | 8.98 | 6.88 | 28.04 | 2.63 | 17.92 | 5.37 | 19.85 | 100.00 |
2012-13 | 3.2 | -0.6 | -14.4 | 7.2 | -3.3 | 7.9 | 7.5 | 4.0 | 3.8 |
2013-14 | 1.0 | -0.2 | -12.9 | 1.4 | 1.5 | 7.3 | 3.7 | 6.1 | 2.6 |
2014-15 | 8.0 | -0.9 | -5.3 | 0.2 | 1.3 | 5.1 | 5.9 | 14.8 | 4.9 |
2015-16 | 4.8 | -1.4 | -4.7 | 4.9 | 7.0 | -1.3 | 4.6 | 5.7 | 3.0 |
2016-17 | 3.2 | -2.5 | -1.0 | 4.9 | 0.2 | 10.7 | -1.2 | 5.8 | 4.8 |
2017-18 | 2.6 | -0.9 | 2.9 | 4.6 | 0.03 | 5.6 | 6.3 | 5.3 | 4.3 |
2018-19 | 7.4 | -4.1 | 0.8 | 3.1 | 0.3 | 5.1 | 13.3 | 5.2 | 4.4 |
2019-20 | -0.4 | -5.9 | -5.6 | 0.2 | 2.7 | 3.4 | -0.9 | 0.9 | 0.4 |
2020-21 | -1.9 | -5.2 | -8.2 | -11.2 | 1.7 | -8.7 | -10.8 | -0.5 | -6.4 |
2021-22 | 8.5 | -2.6 | 19.2 | 8.9 | 0.7 | 16.9 | 20.8 | 8.0 | 10.4 |
2022-23 | 14.8 | -1.7 | 1.6 | 4.8 | 11.3 | 9.3 | 8.7 | 8.9 | 7.8 |
2023-24* | 11.8 | 0.6 | 6.1 | 3.6 | 3.7 | 12.4 | 8.9 | 7.1 | 7.6 |
अप्रैल-मई 2023-24 | 8.2 | -2.7 | -1.6 | 0.7 | 15.7 | 14.2 | 14.1 | -0.1 | 4.9 |
अप्रैल-मई 2024-25* | 8.9 | 0.2 | 8.0 | 2.2 | -1.2 | 8.2 | -0.6 | 11.6 | 6.5 |
*अनंतिम।
वर्ष दर वर्ष की गणना पिछले वर्ष के संगत वित्तीय वर्ष के आधार पर की जाती है
अनुलग्नक II
आठ प्रमुख उद्योगों का प्रदर्शन
मासिक सूचकांक और वृद्धि दर
आधार वर्ष: 2011-12=100
अनुक्रमणिका
सेक्टर | कोयला | कच्चा तेल | प्राकृतिक गैस | रिफाइनरी उत्पाद | उर्वरक | इस्पात | सीमेंट | बिजली | समग्र सूचकांक |
भार | 10.33 | 8.98 | 6.88 | 28.04 | 2.63 | 17.92 | 5.37 | 19.85 | 100.00 |
मई-23 | 167.6 | 78.8 | 73.2 | 141.1 | 138.2 | 192.5 | 191.8 | 201.6 | 157.4 |
जून-23 | 162.4 | 76.4 | 73.4 | 136.2 | 130.8 | 191.9 | 195.0 | 205.2 | 155.9 |
जुलाई-23 | 152.6 | 78.9 | 79.0 | 134.4 | 131.8 | 191.7 | 166.1 | 204.0 | 153.2 |
अगस्त-23 | 150.3 | 78.4 | 80.3 | 135.4 | 133.3 | 198.4 | 182.0 | 220.5 | 158.6 |
सितम्बर-23 | 147.9 | 74.9 | 76.8 | 126.8 | 132.3 | 198.4 | 166.2 | 205.9 | 151.7 |
अक्टूबर-23 | 172.6 | 78.4 | 80.3 | 128.8 | 136.4 | 201.4 | 181.5 | 203.8 | 156.4 |
नवम्बर-23 | 185.7 | 75.5 | 77.2 | 134.5 | 133.5 | 192.6 | 156.5 | 176.3 | 150.4 |
दिसम्बर-23 | 204.3 | 77.4 | 79.5 | 145.0 | 137.5 | 206.7 | 191.9 | 181.6 | 161.2 |
जनवरी-24 | 219.6 | 78.8 | 79.3 | 135.9 | 135.0 | 217.8 | 192.2 | 197.2 | 165.4 |
फ़रवरी-24 | 212.1 | 73.5 | 74.5 | 132.5 | 113.3 | 202.9 | 194.3 | 187.2 | 157.7 |
मार्च-24* | 256.0 | 78.9 | 79.3 | 147.0 | 116.6 | 217.6 | 219.4 | 204.2 | 174.6 |
अप्रैल-24* | 173.3 | 76.3 | 74.8 | 137.9 | 117.8 | 208.0 | 191.1 | 212.0 | 161.3 |
मई-24* | 184.7 | 77.9 | 78.7 | 141.8 | 135.9 | 207.3 | 190.3 | 227.4 | 167.3 |
*अनंतिम
वृद्धि दर (वर्ष दर वर्ष आधार पर प्रतिशत में)
सेक्टर | कोयला | कच्चा तेल | प्राकृतिक गैस | रिफाइनरी उत्पाद | उर्वरक | इस्पात | सीमेंट | बिजली | समग्र वृद्धि |
भार | 10.33 | 8.98 | 6.88 | 28.04 | 2.63 | 17.92 | 5.37 | 19.85 | 100.00 |
मई-23 | 7.2 | -1.9 | -0.3 | 2.8 | 9.7 | 12.0 | 15.9 | 0.8 | 5.2 |
जून-23 | 9.8 | -0.6 | 3.5 | 4.6 | 3.4 | 21.3 | 9.9 | 4.2 | 8.4 |
जुलाई-23 | 14.9 | 2.1 | 8.9 | 3.6 | 3.3 | 14.9 | 6.9 | 8.0 | 8.5 |
अगस्त-23 | 17.9 | 2.1 | 9.9 | 9.5 | 1.8 | 16.3 | 19.7 | 15.3 | 13.4 |
सितम्बर-23 | 16.0 | -0.4 | 6.6 | 5.5 | 4.2 | 14.8 | 4.7 | 9.9 | 9.4 |
अक्टूबर-23 | 18.4 | 1.3 | 9.9 | 4.2 | 5.3 | 13.6 | 17.0 | 20.3 | 12.7 |
नवम्बर-23 | 10.9 | -0.4 | 7.6 | 12.4 | 3.4 | 9.8 | -4.8 | 5.7 | 7.9 |
दिसम्बर-23 | 10.8 | -1.0 | 6.6 | 4.0 | 5.8 | 8.3 | 3.8 | 1.2 | 5.0 |
जनवरी-24 | 10.6 | 0.7 | 5.5 | -4.3 | -0.6 | 9.2 | 4.0 | 5.7 | 4.1 |
फ़रवरी-24 | 11.6 | 7.9 | 11.3 | 2.6 | -9.5 | 9.4 | 7.8 | 7.6 | 7.1 |
मार्च-24* | 8.7 | 2.0 | 6.3 | 1.5 | -1.3 | 6.4 | 10.6 | 8.6 | 6.0 |
अप्रैल-24* | 7.5 | 1.6 | 8.6 | 3.9 | -0.8 | 8.8 | -0.5 | 10.2 | 6.7 |
मई-24* | 10.2 | -1.1 | 7.5 | 0.5 | -1.7 | 7.6 | -0.8 | 12.8 | 6.3 |
*अनंतिम।
वर्ष दर वर्ष की गणना पिछले वर्ष के संगत वित्तीय वर्ष के आधार पर की जाती है।
मृत एंजाइम वीईजीएफआर1 का परिवर्तित रूप कोलोन और गुर्दे के कैंसर के चिकित्सा समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण आधार है
वीईजीएफआर1 नामक यह एंजाइम उदाहरण के तौर पर हार्मोन जैसे एक लिगैंड की अनुपस्थिति में इसे स्वयं बढ़ने से रोकता है। यह शोध उन अणुओं का उपयोग करके कोलन और गुर्दे के कैंसर के लिए चिकित्सा समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण रूप से मार्ग प्रशस्त कर सकता है जो मुख्य तौर पर वीईजीएफआर1 की निष्क्रिय अवस्था को स्थिर करते हैं।
रिसेप्टर टायरोसिन किनेसेस (आरटीके) जैसे सेल सरफेस रिसेप्टर्स बाह्यकोशिकीय संकेतों (विकास कारकों जैसे रासायनिक संकेतों से, जिन्हें आमतौर पर लिगैंड के रूप में संदर्भित किया जाता है) को विनियमित सेलुलर प्रतिक्रिया में बदलने के लिए महत्वपूर्ण हैं। बाह्यकोशिकीय रिसेप्टर्स से लिगैंड वाईडिंग इंट्रासेल्युलर युग्मित एंजाइम (टायरोसिन किनेसेस) को सक्रिय करता है। सक्रिय एंजाइम, बदले में, कई टायरोसिन अणुओं में फॉस्फेट समूह जोड़ता है जो सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स को एकत्र करने के लिए एक एडेप्टर के रूप में कार्य करते हैं। सिग्नलिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण सेल वृद्धि, विकास और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जैसे विविध सेलुलर कार्यों को नियंत्रित करता है। लिगैंड की अनुपस्थिति में आरटीके की सहज सक्रियता अक्सर कैंसर, मधुमेह और स्व-प्रतिरक्षित विकारों जैसे कई मानव विकृति से जुड़ी होते हैं। शोधकर्ता यह पता लगा रहे हैं कि एक कोशिका एंजाइम की ऑटोइनहिबिटेड स्थिति को कैसे बनाए रखती है और मानव विकृति के बढ़ने के दौरान इस तरह का ऑटोइनहिबेशन क्यों होता है।
कोलकाता के भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के शोधकर्ताओं ने वैस्कुलर एंडोथेलियल ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर (वीईजीएफआर) नामक एक ऐसे आरटीके की जांच की। रिसेप्टर्स का वीईजीएफआर परिवार नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण प्रक्रिया का प्रमुख कारक है।
यह प्रक्रिया भ्रूण के विकास, घाव भरने, ऊतक पुनर्जनन और ट्यूमर बनने जैसे कार्यों के लिए आवश्यक है। वीईजीएफआर को लक्षित करके विभिन्न घातक और गैर-घातक बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
शोधकर्ता इस तथ्य से हैरान हैं कि इस परिवार के दो सदस्य वीईजीएफआर 1 और वीईजीएफआर 2 काफी अलग तरह से व्यवहार करते हैं जबकि वीईजीएफआर 2, नई रक्त वाहिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया को विनियमित करने वाला प्राथमिक रिसेप्टर अपने लिगैंड के बिना, स्वतः सक्रिय हो सकता है, परिवार का दूसरा सदस्य वीईजीएफआर 1 कोशिकाओं में अत्यधिक क्रियाशीलता होने पर भी स्वतः सक्रिय नहीं हो सकता। यह एक मृत एंजाइम वीईजीएफआर 1 के रूप में छिप जाता है और वीईजीएफआर 2 की तुलना में अपने लिगैंड वीईजीएफ-ए से दस गुना अधिक निकटता के साथ मिल जाता है। यह लिगैंड वाईडिंग एक क्षणिक काइनेज (एंजाइम द्वारा शरीर में रासायनिक प्रतिक्रियाओं को तेज करना) सक्रियण को प्रेरित करता है।
चित्र 1: वीईजीएफआर के लिगैंड-स्वतंत्र सक्रियण की जांच। ए–डी कम (ए, सी) और उच्च (बी, डी) अभिव्यक्त सीएचओ सेल लाइनों में एमचैरी से जुड़े वीईजीएफआर2 या वीईजीएफआर1 की कॉन्फ़ोकल छवियाँ। वीईजीएफआर का अभिव्यक्ति स्तर लाल रंग में है, और फॉस्फोराइलेशन स्थिति हरे रंग में है, स्केल बार = 10यूएम । वीईजीएफआर 2 (पैनल ई) या वीईजीएफआर1 (पैनल एफ) के अभिव्यक्ति स्तर को सी–टर्मिनल टेल पर संबंधित टायरोसिन अवशेषों के फॉस्फोराइलेशन स्तर के विरुद्ध प्लॉट किया गया है
वीईजीएफआर1 के सक्रिय होने से कैंसर से संबंधित दर्द, स्तन कैंसर में ट्यूमर सेल का जीवित रहना और मानव कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं का स्थानांतरण होता है।
इस बात की जांच करते हुए कि परिवार का एक सदस्य इतना सहज रूप से सक्रिय क्यों होता है और दूसरा ऑटोइनहिबिटेड क्यों होता है, आईआईएसईआर कोलकाता के डॉ. राहुल दास और उनकी टीम ने पाया कि एक असाधारण आयनिक लैच, जो केवल वीईजीएफआर1 में मौजूद है, बेसल अवस्था में काइनेज को ऑटोइनहिबिटेड रखता है। आयनिक लैच जक्सटामेम्ब्रेन सेगमेंट को काइनेज डोमेन पर हुक करता है और वीईजीएफआर1 के ऑटोइनहिबिटेड कंफर्मेशन को स्थिर करता है।
वीईजीएफआर 1 की ऑटोइनहिबिटेड अवस्था की प्रक्रिया की खोज करते हुए शोधकर्ताओं ने वीईजीएफआर1 गतिविधि को मॉड्यूलेट करने में सेलुलर टायरोसिन फॉस्फेट की महत्वपूर्ण भूमिका का प्रस्ताव दिया। आईआईएसईआर कोलकाता में एनालिटिकल बायोलॉजी फैसिलिटी में डीएसटी-एफआईएसटी समर्थित आईटीसी और स्टॉप्ड-फ्लो फ्लोरीमीटर के साथ किए गए शोध ने कैंसर में होने वाली नई रक्त वाहिकाओं (एंजियोजेनेसिस) के वीईजीएफआर1-मध्यस्थ रोगात्मक गठन को विनियमित करने में फॉस्फेट मॉड्यूलेटर की चिकित्सीय क्षमता का भी उल्लेख किया।
नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित यह खोज वीईजीएफआर सिग्नलिंग के स्वयं सक्रिय होने के कारण रोग संबंधी स्थितियों के बारे चिकित्सीय समाधान निकालने की दिशा में नए मार्ग प्रशस्त कर सकती है। ऑटोइनहिबिटेड अवस्था को लक्षित करने वाले छोटे अणुओं में मानव कोलोरेक्टल कार्सिनोमा और गुर्दे के कैंसर जैसे कैंसर के इलाज की अधिक क्षमता होगी।
लेख का लिंक: https://doi.org/10.1038/s41467-024-45499-2
चित्र 2: बाह्यकोशिकीय डोमेन (ईसीडी) से जुड़ने वाला लिगैंड रिसेप्टर डिमराइजेशन और टीएम-जेएम सेगमेंट के फिर से बनने को प्रेरित करता है। वीईजीएफआर 1 में जेएम अवरोध का धीमी गति से होना सी–टर्मिनल टेल पर क्षणिक टायरोसिन फॉस्फोराइलेशन की ओर ले जाता है। वीईजीएफआर 2 या वीईजीएफआर1 म्यूटेंट में जेएम अवरोध की त्वरित रिलीज टायरोसिन फॉस्फोराइलेशन को बनाए रखने के लिए फिर से तैयार करती है। बाएँ: जेएम अवरोध की धीमी गति से रिलीज और प्रोटीन टायरोसिन फॉस्फेट (पीटीपी) गतिविधि के बीच एक संवेदनशील संतुलन के कारण वीईजीएफआर1 की लिगैंड-स्वतंत्र सक्रियता को रोक दिया जाता है
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा विकसित ग्रामीण भूमि रिकॉर्ड के लिए ‘भुवन पंचायत (संस्करण 4.0)’ पोर्टल और ‘आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0)’ नामक दो जियोपोर्टल लॉन्च किए

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि सरकार की प्राथमिकता विभिन्न सेवाओं को एकीकृत करना और आम नागरिकों को इसका लाभ उठाने की सुविधा देना है। उन्होंने उल्लेख किया कि मोदी सरकार के तहत पिछले कुछ वर्षों में नीतिगत निर्णयों के परिणामस्वरूप अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोल दिया गया है, जिसका सकारात्मक प्रभाव 2022 में एक स्टार्टअप से 2024 में 200 से अधिक स्टार्टअप तक हो सकता है। डॉ. सिंह ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह सरकार ही थी जिसने चंद्रयान के प्रक्षेपण के दौरान श्रीहरिकोटा के द्वार आम जनता के लिए खोले ताकि वे आकर अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की क्षमता को देख सकें। उन्होंने यह भी साझा किया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में लगभग 1000 करोड़ रुपये का निजी निवेश आया है।
“विकेंद्रीकृत नियोजन के लिए स्थान आधारित सूचना समर्थन (एसआईएसडीपी)” का समर्थन करने और पंचायतों में जमीनी स्तर पर नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए ‘भुवन पंचायत पोर्टल’ के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि यह जमीनी स्तर पर नागरिकों को सशक्त बनाने और उन्हें इन सेवाओं का लाभ उठाने की अनुमति देने, भूमि रिकॉर्ड के लिए स्थानीय प्रशासन पर निर्भरता को कम करके जीवन को आसान बनाने और डिजिटलीकरण और भूमि राजस्व प्रबंधन द्वारा भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में क्रांतिकारी बदलाव लाने के हमारे प्रयासों को जारी रखता है। ये उपकरण नागरिकों के सुझावों पर वास्तविक समय डेटा प्रदान करेंगे और जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार को कम करेंगे। आपातकालीन प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस (एनडीईएम संस्करण 5.0) के लाभों पर बोलते हुए, जो प्राकृतिक आपदाओं पर अंतरिक्ष-आधारित इनपुट प्रदान करेगा और भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों में आपदा जोखिम को कम करने में सहायता करेगा। नागरिकों को प्रकृति की अनिश्चितताओं से बचाने और एक प्रभावी पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए ताकि प्रशासन सक्रिय रूप से आपदाओं को रोक सके और हमें भूमि उपयोग भूमि परिवर्तन (एलयूएलसी) के बारे में सूचित कर सके। उन्होंने यह भी बताया कि स्थिति की निरंतर निगरानी करने और मूल्यवान इनपुट प्रदान करने के लिए एक कमांड सेंटर स्थापित किया गया है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ये पोर्टल बहुत उपयोगी साबित होंगे क्योंकि स्वामित्व पोर्टल भूमि रिकॉर्ड और भूमि राजस्व प्रबंधन के मामले में कई देशों के लिए रोल मॉडल के रूप में कार्य करता है।
इसरो के अध्यक्ष श्री एस सोमनाथ, अंतरिक्ष विभाग के सचिव ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के प्रति उनके निरंतर मार्गदर्शन और नेतृत्व के लिए आभार व्यक्त किया। पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज; पृथ्वी विज्ञान के सचिव श्री रवि चंद्रन; गृह मंत्रालय के अपर सचिव श्री एस के जिंदल; पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के राजेश एस.; जीएसआई खनन मंत्रालय के उपमहानिदेशक मनीष के, और एनआरएससी के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान भी शुभारंभ समारोह में उपस्थित थे।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज गाजियाबाद परिसर में आयोजित सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (सीईएल) के स्वर्ण जयंती समारोह में कंपनी को “मिनी रत्न” (श्रेणी-1) का दर्जा देने की घोषणा की।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “हमें गर्व है कि स्वर्ण जयंती समारोह में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ शामिल हो रहे हैं जिनका मार्गदर्शन और प्रेरणा हमें देश की बेहतरी के लिए और अधिक योगदान देने को प्रेरित करेगी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने आगे कहा, “50 वर्षों का समर्पण, दृढ़ता और सफलता, कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता का प्रमाण है जिसने उत्कृष्टता की इस यात्रा को आगे बढ़ाया है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल के प्रदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, खासकर पिछले 5 वर्षों में, सीईएल की वित्तीय स्थिरता, लाभप्रदता और परिचालन उत्कृष्टता ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। टर्नओवर, नेटवर्थ, रिजर्व, नेट प्रॉफिट आदि मामले में भी सीईएल का प्रदर्शन उल्लेखनीय है।
बीच में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़; बाएं 1. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह 2. चेतन जैन सीएमडी, सीईएल; दाएं 1. श्री सुनील शर्मा कैबिनेट मंत्री, उत्तर प्रदेश 2. सीएसआईआर के महानिदेशक, डॉ. एन. कलईसेलवी,
मंत्री महोदय ने बताया कि सीईएल, घाटे में चल रही पीएसयू से लाभांश देने वाली पीएसयू में बदल गई है और यह लगातार तीसरा वर्ष है जब सीईएल ने भारत सरकार को लाभांश का बढ़ती दर पर भुगतान किया है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि लगभग 58 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त करके 50 साल पूरे होने का जश्न मनाना सराहनीय है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अमृत काल के विजन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य क्षमता निर्माण, कौशल विकास के माध्यम से प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण और विनिर्माण को बढ़ावा देना है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने सराहना करते हुए कहा- रक्षा, रेलवे, सुरक्षा, निगरानी और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सीईएल का योगदान, स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ावा देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। उन्होंने आगे कहा “स्मार्ट बोर्ड का उत्पादन से न केवल सीईएल के उत्पाद पोर्टफोलियो में विविधता आएगी, बल्कि देश के स्कूलों में स्मार्ट शिक्षा के कार्यान्वयन पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीईएल प्रबंधन द्वारा कर्मचारी के जुड़ाव को मजबूत करने के लिए उठाए गए नए कदमों पर संतोष व्यक्त किया, जिसके कारण पिछले कुछ वर्षों में उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ और पिछले वित्तीय वर्ष में सर्वकालिक उच्च उपलब्धि हासिल हुई। मंत्री ने पुष्टि की कि सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने मिनी रत्न (श्रेणी-1) का उच्च दर्जा दिए जाने के लिए सटीक प्रदर्शन मापदंडों को हासिल किया है।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री सुनील कुमार शर्मा, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के महानिदेशक डॉ. एन. कलईसेलवी, सीईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री चेतन जैन के साथ-साथ भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी
स्पेक्ट्रम नीलामी 2023-24 सफलतापूर्वक संपन्न हुई
800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में उपलब्ध सभी स्पेक्ट्रम नीलामी में रखे गए। इस साल नीलामी में 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक्टिविटी देखी गई।
नीलामी सुबह 10:00 बजे शुरू हुई और 7 राउंड के बाद दूसर देन सुबह 11:45 बजे समाप्त हुई। चूंकि 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हाल ही में हुई थी और 5जी मुद्रीकरण अभी भी जारी है, इसलिए 800 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में कोई बोली नहीं लगी। शेष 533.6 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम में से कुल 141.4 मेगाहर्ट्ज (26.5%) की बिक्री हुई। यह इस तथ्य के बावजूद है कि अगस्त 2022 में बहुत बड़ी मात्रा में स्पेक्ट्रम यानी 51.2 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बेचा गया था।
तीनों दूरसंचार सेवा प्रदाताओं यानी मैसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड, मैसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड और मैसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने सेवाओं की वृद्धि और निरंतरता के लिए इस नीलामी में सफलतापूर्वक बोली लगाई और स्पेक्ट्रम हासिल किया। कुल 141.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की कीमत 11,340 करोड़ रुपये थी।
(सभी मान मेगाहर्ट्ज में)
क्रम संख्या | बोलीदाता का नाम | 900 मेगाहर्ट्ज | 1800 मेगाहर्ट्ज | 2100 मेगाहर्ट्ज | 2500 मेगाहर्ट्ज | Total |
1. | मैसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड | 42 | 35 | 20 | 97 | |
2. | मैसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड | 14.4 | 14.4 | |||
3. | मैसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड | 18.8 | 1.2 | 10 | 30 | |
कुल | 60.8 | 50.6 | 20 | 10 | 141.4 |
तालिका 1: बैंड/बोलीदाता के अनुसार बेचे गए स्पेक्ट्रम की मात्रा का सारांश
(सभी करोड़ रुपये में)
S.No | बोलीदाता का नाम | 900 मेगाहर्ट्ज | 1800 मेगाहर्ट्ज | 2100 मेगाहर्ट्ज | 2500 मेगाहर्ट्ज | Total |
1. | मैसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड | 3825 | 2486.76 | 545 | 6856.76 | |
2. | मैसर्स रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड | 973.62 | 973.62 | |||
3. | मैसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड | 3241.6 | 118.80 | 150 | 3510.40 | |
कुल | 7066.6 | 3579.18 | 545 | 150 | 11340.78 |
तालिका 2: बेचे गए स्पेक्ट्रम के मूल्य का बैंड/बोलीदातावार सारांश
मेसर्स भारती एयरटेल लिमिटेड और मेसर्स वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने 900 मेगाहर्ट्ज और 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में अपने समाप्त हो चुके स्पेक्ट्रम का सफलतापूर्वक नवीनीकरण किया है और इसके अलावा टीएसपी द्वारा अपनी सेवाओं को बढ़ाने के लिए 6164.88 करोड़ रुपये मूल्य के 87.2 मेगाहर्ट्ज की अतिरिक्त मात्रा हासिल की गई है। बिना बिके स्पेक्ट्रम को अगली बार फिर से नीलामी में रखा जाएगा।
एनसीआर को अधिक हरित बनाने के लिए, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने अब एनसीआर में संबंधित विभिन्न निकायों – राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी, केंद्र सरकार और शैक्षणिक संस्थानों, उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थानों के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान पूरे एनसीआर में 4.5 करोड़ वृक्षारोपण का बहुत बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है
इस दिशा में हल्की शुरुआत के साथ, वर्ष 2021-22 के दौरान केवल 28,81,145 नए वृक्षारोपण किए गए जिसके बाद प्रयासों में काफी तेजी लाई गई और वर्ष 2022-23 के दौरान एनसीआर में 3,11,97,899 नए वृक्षारोपण किए गए। वर्ष 2023-24 के लिए पूरे एनसीआर में एनसीआर राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी के लिए लगभग 3.85 करोड़ नए वृक्षारोपण का एक और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करते हुए, इस वर्ष के दौरान लगभग 3.6 करोड़ वृक्षारोपण सफलतापूर्वक किया गया। इस प्रकार, कुल मिलाकर 93.5 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल किया गया। एनसीआर क्षेत्रों में वर्ष 2023-24 के व्यक्तिगत लक्ष्यों के संबंध में राज्य-वार अनुपालन दिल्ली के लिए 84.6 प्रतिशत; हरियाणा के लिए 87.4 प्रतिशत; राजस्थान के लिए 86.2 प्रतिशत; और यूपी के लिए 103.4 प्रतिशत रहा।
2023-24 में किए गए वृक्षारोपण और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित लक्ष्य की तुलना में हरियाली/वृक्षारोपण कार्य योजना 2023-24 के अंतर्गत विभिन्न हितधारकों के वृक्षारोपण लक्ष्य की तुलनात्मक तालिका नीचे दी गई है:
राज्य | वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लक्ष्य | वित्त वर्ष 2023-24 में वृक्षारोपण | वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लक्ष्य |
|
95,04,390 | 80,41,331 | 56,40,593 |
|
98,93,797 | 86,49,277 | 1,32,50,000 |
|
25,89,892 | 22,33,288 | 42,68,649 |
|
1,64,63,497 | 1,70,28,308 | 1,97,56,196 |
|
6,29,500 |
7,24,036 |
12,07,000 |
|
3,32,500 |
7,11,456 |
9,08,742 |
कुल | 3,94,13,576 | 3,73,87,696 | 4,50,31,180 |
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान आधारित संगठनों और अन्य वाणिज्यिक/औद्योगिक इकाइयों की सीमाओं पर बड़े पैमाने पर हरियाली और पेड़-पौधों के घेरे (जैविक बाड़) लगाने पर जोर दे रहा है। घने शहरी इलाकों में खाली जगहों की कमी को देखते हुए, आयोग प्रभावी शहरी वानिकी पहलों के माध्यम से हरियाली और वृक्षारोपण अभियान को बढ़ावा दे रहा है, विशेष रूप से मियावाकी तकनीक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसके अलावा, आयोग ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सड़क से जुड़ी सभी एजेंसियों को सलाह दी है कि वे प्रमुख राजमार्गों के केन्द्रीय हिस्सों/बीच के हिस्से को पूरी तरह से हरा-भरा बनाने के साथ-साथ जहां तक संभव हो, रास्ते के दाईं ओर के साथ-साथ सड़क के किनारों और खुले क्षेत्रों को भी हरा-भरा बनाने का लक्ष्य रखें।
एनसीआर राज्य सरकारों/जीएनसीटीडी, केंद्रीय एजेंसियों और प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों, एनसीआर के उच्च शिक्षा/अनुसंधान संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के दौरान, आयोग ने निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला:
- वृक्षारोपण करते समय यह ध्यान रखना होगा कि देशी पौधों की प्रजातियों का उपयोग किया जाए।
- वृक्षारोपण, निगरानी, वृक्षारोपण के बाद देखभाल और पौधों के जीवित रहने की दर वृक्षारोपण कार्यक्रम के प्रमुख तत्व हैं।
- आयोग ने 6-7 फीट की ऊंचाई वाली झाड़ियों की सिफारिश की है ताकि पर्यावरण से धूल को रोकने के लिए पर्याप्त अवरोधक तैयार किया जा सके।
- औद्योगिक क्षेत्रों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में घने पेड़ों/झाड़ियों के घेरे लगाने से भी धूल/प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी।
- शहरी क्षेत्रों में वृक्षारोपण गतिविधियों के लिए भूमि की उपलब्धता कम है और, उन क्षेत्रों में जहां पारंपरिक वृक्षारोपण किया गया है वहां घने वृक्षारोपण को प्राप्त करने के लिए पेड़ों के बीच खाली जगहों पर पौधे लगाए जा सकते हैं।
- वृक्षारोपण की उत्तरजीविता दर की निगरानी बहुत महत्वपूर्ण है; क्षतिग्रस्त/सूखे पौधों का प्रतिस्थापन आवश्यक है।
- वृक्षारोपण अभियान में गैर सरकारी संगठनों और आरडब्ल्यूए की भागीदारी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है और इस संबंध में संस्थानों द्वारा विभिन्न आईईसी गतिविधियां भी शुरू की जा सकती हैं।
- यदि किसी संस्थान के पास उसके परिसर में भूमि क्षेत्र उपलब्ध नहीं है, तो संस्थान सरकारी एजेंसियों, सीबीओ आदि की मदद से अपने परिसर के बाहर भूमि को गोद ले सकते हैं। भूमि की कम उपलब्धता के कारण मियावाकी तकनीक सहित सघन वृक्षारोपण के लिए अलग पहचान को प्राथमिकता दी जाती है।
- संस्थानों को इस उद्देश्य के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित की जानी चाहिए और यूजीसी भी इसमें मदद कर सकता है। इस संबंध में आयोग पहले ही यूजीसी से अनुरोध कर चुका है।
- बैठक में यह सलाह दी गई कि वित्तीय वर्ष के लिए वृक्षारोपण लक्ष्य पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम 20 प्रतिशत अधिक होना चाहिए।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग राज्य-वार वृक्षारोपण लक्ष्यों सहित एनसीआर के लिए व्यापक हरित कार्य योजना के कार्यान्वयन की प्रगति की बारीकी से निगरानी करेगा। संबंधित एजेंसियों को विशेष रूप से देशी प्रजातियों के वृक्षारोपण का सहारा लेने और वृक्षारोपण के बाद उचित देखभाल और पोषण के माध्यम से पेड़-पौधों को बचाए रखने का उच्च दर हासिल करने का प्रयास करने की सलाह दी गई है।