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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज इंदौर से मध्य प्रदेश के सभी 55 जिलों के 486 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी। मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है। गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। श्री अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। श्री अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्‍स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्‍ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी।

मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है।

गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्‍स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है।

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्‍ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।

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वायुसेना स्टेशन सरसावा में कारगिल विजय दिवस रजत जयंती 2024 का आयोजन किया गया

भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की एक गौरवशाली विरासत है, जिन्होंने वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में अदम्य साहस से लड़ाई लड़ी थी, जो वास्तव में सैन्य विमानन के इतिहास में एक मील का पत्थर था। कारगिल युद्ध (ऑपरेशन सफेद सागर) में भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन, 16000 फीट से अधिक की खड़ी ढलान और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करने की भारतीय वायुसेना की सैन्य क्षमता का प्रमाण हैं, जो युद्ध में दुश्मन को निशाना बनाने में अद्वितीय परिचालन बाधाएं हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़े गए इस युद्ध को जीतने के लिए वायु शक्ति के अपने उपयोग में तेजी से किए गए तकनीकी संशोधनों और ऑन-द-जॉब-ट्रेनिंग ने भारतीय वायुसेना का स्थान श्रेष्ठ रहा। कुल मिलाकर, भारतीय वायुसेना ने लगभग 5000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए 2000 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं।

कारगिल युद्ध में विजय के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, भारतीय वायुसेना 12 जुलाई से 26  जुलाई 24 तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ का आयोजन कर रही है, जिसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सम्मानित किया जाता है। वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट, ‘द माइटी आर्मर’ ने ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 28 मई 99 को, 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलान, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को टोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर लाइव स्ट्राइक के लिए ‘नुबरा’ फॉर्मेशन के रूप में उड़ान भरने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस हवाई हमले को सफलतापूर्वक करने के बाद, उनके हेलीकॉप्टर को दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने टक्कर मार दी, जिसमें चार वीर सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए, उन्हें मरणोपरांत वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया। उनके सर्वोच्च बलिदान ने सुनिश्चित किया कि उनका नाम हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा।

13 जुलाई 24 को, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने वरिष्ठ गणमान्य अधिकारियों, बहादुरों के परिवारों, दिग्गजों और सेवारत भारतीय वायुसेना अधिकारियों के साथ स्टेशन युद्ध स्मारक पर राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की बलिदान देने वाले सभी वायु सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की। इस आयोजित कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम के दौरान वायु सेना प्रमुख ने उनके परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की।

एक शानदार एयर शो का आयोजन किया गया जिसमें आकाश गंगा टीम द्वारा प्रदर्शन और जगुआर, एसयू-30 एमकेएल और राफेल लड़ाकू विमानों द्वारा हवाई प्रदर्शन शामिल थे। शहीद नायकों की पुण्य स्मृति में एमआई-17 वी5 द्वारा “मिसिंग मैन फॉर्मेशन” ने उड़ान भरी। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों जैसे एमआई-17 वी5, चीता, चिनूक का स्थिर प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर एयर वॉरियर ड्रिल टीम और वायुसेना बैंड ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी।

इस कार्यक्रम को 5000 से अधिक दर्शकों ने देखा, जिनमें स्कूली बच्चे, सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासी, भूतपूर्व सैनिक, गणमान्य नागरिक और रुड़की, देहरादून और अंबाला के रक्षा बलों के कार्मिक गण शामिल थे।

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‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ का दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम मंगलवार को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया जाएगा

India gets a new Parliament building: All you need to know
वर्ष भर चलने वाले उत्सव का दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम, ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ अभियान; न्याय तक समग्र पहुँच के लिए अभिनव समाधान तैयार करना (दिशा) के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, जो विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार के न्याय विभाग द्वारा कार्यान्वित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। यह कार्यक्रम 16 जुलाई, 2024 को प्रयागराज में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कन्वेंशन सेंटर में भारतीय संविधान को अंगीकृत किये जाने और भारत गणराज्य की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में 24 जनवरी से 23 अप्रैल 2024 तक MyGov प्लेटफॉर्म पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए जाएंगे। प्रतियोगिताओं में संविधान क्विज, पंच प्राण रंगोत्सव (पोस्टर-निर्माण) और पंच प्राण अनुभव (रील-निर्माण) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, न्याय विभाग के न्याय बंधु कार्यक्रम के तहत पंजीकृत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निःशुल्क सेवा देने वाले अधिवक्ता पैनल को बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं को निःशुल्क सेवाओं के लिए नामांकन करने के लिए प्रोत्साहित करने में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए मान्यता दी जाएगी और सम्मानित किया जाएगा।

नागरिक भागीदारी बढ़ाने के प्रयास के तहत, कार्यक्रम में ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। यह पोर्टल ज्ञान के भंडार के रूप में काम करेगा, जिससे नागरिकों को संविधान और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जानकारी तक आसान पहुँच की सुविधा मिलेगी। इसमें अभियान की गतिविधियों की झलकियाँ भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें एक कार्यक्रम कैलेंडर और सुविधाजनक तरीके भी शामिल होंगे, ताकि समुदाय-आधारित सहयोगी दृष्टिकोण के जरिये संवैधानिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने को आपसी संवाद आधारित और सहभागी बनाया जा सके।

इस कार्यक्रम में विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अरुण भंसाली भी भाग लेंगे। इलाहाबाद बार के अधिवक्ता, सरकारी वकील, न्यायिक अधिकारी, सामान्य सेवा केंद्र के ग्राम-स्तरीय उद्यमी, राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि संस्थान, प्रयागराज के कुलपति, संकाय और विधि के छात्र, केंद्र और राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और नागरिक सहित लगभग 800 प्रतिभागी इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे। इसके अलावा कई नागरिक और न्याय विभाग के हितधारक इस कार्यक्रम में डिजिटल रूप से जुड़ेंगे।

भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने 24 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली के अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में इस अभियान का उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य संविधान की समझ और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता को लोकप्रिय बनाना है। आगे बढ़ते हुए, यह निर्णय लिया गया कि भागीदारी और समावेशिता बढ़ाने के लिए इस अभियान को क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 9 मार्च, 2024 को राजस्थान के बीकानेर में पहले क्षेत्रीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

इस अखिल भारतीय अभियान की कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं:

  • क्षेत्रीय स्तर पर ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ कार्यक्रम का आयोजन।
  • स्थानीय लोगों के लिए सरल तरीकों से संविधान के बारे में जागरूकता फैलाना और इसे बढ़ावा देना।
  • सबको न्याय हर घर न्याय, नव भारत नव संकल्प और विधि जागृति अभियान जैसे उप-अभियानों का आयोजन और इन्हें लोकप्रिय बनाना।
  • नागरिकों को ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल पर सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।

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उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराध के शिकार लोगों के लिए तत्काल कानूनी सहायता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज साइबर अपराध के शिकार लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, को कानूनी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। देश में बढ़ती डिजिटल पहुंच के साथ-साथ साइबर अपराध की घटनाओं में वृद्धि का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि यह एजेंसियों, जांचकर्ताओं, नियामकों और कानूनी समुदाय के लिए चिंता का एक नया क्षेत्र है, और इससे निपटने के लिए तकनीकी और मानवीय विशेषज्ञता विकसित करने का आह्वान किया।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (जीसीटीसी) द्वारा आयोजित तीसरे साइबर सुरक्षा सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि निर्दोष लोगों को धोखेबाज तत्वों द्वारा ठगा जा रहा है, और उन्होंने देश के सुदूर कोने में भी डेटा सुरक्षा जागरूकता के महत्व पर जोर दिया।

वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी डिजिटल सोसाइटियों में से एक के रूप में भारत की प्रमुख स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि भारत में 820 मिलियन से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और इसने 500 मिलियन से अधिक व्यक्तियों के लिए बैंकिंग समावेशन हासिल किया है। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि वर्ष 2023 तक वैश्विक डिजिटल लेन-देन में देश की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होगी।

प्रौद्योगिकी की पहुंच सुनिश्चित करने में भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया भारत में सेवा वितरण में प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर उपयोग को देखकर दंग है, निस्सन्देह गांव स्तर तक भी। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी आम आदमी के बीच एक प्रचलित शब्द बन रहा है, वह अपने लेन-देन को डिजिटल होने का आनंद लेता है।”

बाधाकारी प्रौद्योगिकियों की अपार संभावनाओं की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी प्रौद्योगिकी का न केवल अर्थव्यवस्था, व्यवसाय या व्यक्तिगत उत्पादकता पर बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। यह कहते हुए कि इन उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न चुनौतियों को अवसरों में बदला जाना चाहिए, श्री धनखड़ ने उनकी सकारात्मक क्षमता का दोहन करने के लिए प्रणालियों को अद्यतन करने का आह्वान किया। उन्होंने देश के लाभ के लिए इन प्रगतियों को एकीकृत करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर भी जोर दिया

आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध पारंपरिक सीमाओं को पार कर गया है, जो भूमि, अंतरिक्ष और समुद्र से आगे बढ़कर नए तकनीकी क्षेत्रों में फैल गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में किसी राष्ट्र की तैयारी उसकी वैश्विक क्षमता और रणनीतिक ताकत को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह भी बताया कि नरम कूटनीतिक शक्ति तेजी से किसी राष्ट्र की तकनीकी क्षमता पर निर्भर करती है।

भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 को अपडेट करने सहित महत्वपूर्ण पहलों के कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पहल, बढ़ी हुई सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ, देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती हैं।

इस अवसर पर जीसीटीसी के सलाहकार प्रोफेसर वी.एम.बंसल, जीसीटीसी के कार्यकारी परिषद सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.सिंह और सुश्री नीरू अबरोल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 100 दिनों में जलपोत पर लदे 41.12 मिलियन मीट्रिक टन सामान का उत्कृष्ट प्रबंधन करने के साथ नया रिकॉर्ड बनाया

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण (पीपीए) ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले 100 दिनों के भीतर जलपोत पर लदे अभूतपूर्व 41.12 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) सामान का गुणवत्तापूर्ण प्रबंधन करके अपने परिचालन इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। इस बंदरगाह के लिए कार्य क्षमता का यह उत्कृष्ट प्रदर्शन एक नया रिकॉर्ड स्थापित करता है, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसी अवधि के दौरान प्राप्त 39.25 मिलियन मीट्रिक टन कार्गो हैंडलिंग की तुलना में 4.78 प्रतिशत की बढ़ोतरी को प्रदर्शित करता है।

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इस तरह की शानदार सफलता भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को सशक्त बनाने में बंदरगाह की महत्वपूर्ण भूमिका तथा इसकी परिचालन दक्षता और क्षमता बढ़ाने के लिए प्राधिकरण की अटूट प्रतिबद्धता को उजागर करती है।

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण ने केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के गतिशील नेतृत्व व दूरदर्शी मार्गदर्शन में अपने परिचालन कार्यक्रम में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है और उत्कृष्ट दक्षता को प्रदर्शित करते हुए अपने पिछले मानदंडों को पार कर लिया है।

पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण के अध्यक्ष पी.एल. हरनाध ने केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री की कार्य कुशलता के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने इस अभूतपूर्व सफलता का श्रेय श्री सर्बानंद सोनोवाल के लगातार सहयोग और रणनीतिक मार्गदर्शन को दिया है।

यह उपलब्धि पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण की कार्गो हैंडलिंग व्यवस्था में नए मानक स्थापित करने और देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देने की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है। चूंकि पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण अपनी क्षमताओं को विस्तार देने तथा अपनी सेवाओं में सुधार करना जारी रखे हुए है, इसलिए यह भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को सहयोग देने और देश के आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए समर्पित है।

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फूलों का अपशिष्ट सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहा है

जैसे-जैसे भारत स्थिरता और सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, अपशिष्ट से संपदा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ही रास्ता है। मंदिरों में खाद बनाने के गड्ढे बनाने और पुनर्चक्रण प्रयासों में मंदिर ट्रस्टों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा हो सकते हैं। पुजारियों और भक्तों को नदियों में फूलों का कचरा न डालने को लेकर उन्हें शिक्षित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम से कचरे में कमी लाने में मदद मिल सकती है। “हरित मंदिर” अवधारणा को मंदिरों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में बदलने की नीतियों में एकीकृत किया जा सकता है। पारंपरिक फूलों के बजाय डिजिटल प्रसाद या स्वाभाविक तरीके से सड़नशील सामग्रियों को बढ़ावा देने से भी फूलों के कचरे को कम करने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को पार्कों आदि जैसे हरे भरे स्थानों में फूलों के कचरे का पता लगाने और उसे प्रबंधित करने में शामिल किया जा सकता है।

भारत में फूलों के अपशिष्ट का क्षेत्र नई वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका इसके बहुआयामी लाभों से पता चलता है। यह न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि कचरे को कूड़ा-स्थलों से प्रभावी ढंग से हटाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है।

आध्यात्मिक स्थलों से एकत्र किया गया फूलों का अपशिष्ट, जो कि ज्यादातर स्वाभाविक तरीके से सड़नशील होता है, अक्सर लैंडफिल या जल निकायों में समाप्त हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी सालाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लेती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, कई भारतीय शहर अभिनव समाधान ला रहे हैं। सामाजिक उद्यमी फूलों से जैविक खाद, साबुन, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन स्थिरता की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहा है, जहां सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट से संपदा का सिद्धांत सर्वोच्च है। इस बदलाव के बीच, फूलों का अपशिष्ट कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उभर रहा है जिससे इस चुनौती से निपटने के लिए शहरों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास हो रहे हैं।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर रोज़ 75,000 से 100,000 तक दर्शनार्थी आते हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फूल और अन्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसके लिए खास ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहन हैं, जो इस कचरे को एकत्र करते हैं और फिर इसे थ्रीटीपीडी प्लांट में संसाधित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बदल दिया जाता है। शिव अर्पण स्व-सहायता समूह की 16 महिलाएं फूलों के कचरे से विभिन्न उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएं बनाती हैं और इसके लिए उन्हें रोजगार भी दिया गया है। इसके अलावा, इस कचरे से स्थानीय किसानों के लिए खाद बनाया जाता है और यह जैव ईंधन के रूप में भी काम करता है। उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,200 टन फूलों के कचरे से कुल 3,02,50,000 स्टिक का उत्पादन किया गया है।

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना करीब 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं। कुछ खास दिनों में तो यह आंकड़ा 1,00,000 तक पहुंच जाता है, जो 120 से 200 किलोग्राम फूल चढ़ाते हैं। मुंबई स्थित डिजाइनर हाउस ‘आदिव प्योर नेचर’ ने एक स्थायी उद्यम शुरू किया है, जो मंदिर में अर्पित किये गए फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदलकर कपड़े के टुकड़े, परिधान, स्कार्फ, टेबल लिनेन और बड़े थैले के रूप में अलग-अलग वस्त्र बनाता है। वे सप्ताह में तीन बार फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं, जो 1000-1500 किलोग्राम/सप्ताह होता है। इस कचरे की छंटाई के बाद कारीगरों की एक टीम सूखे फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदल देती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदा, गुलाब और अड़हुल के अलावा, टीम प्राकृतिक रंग बनाने और भाप के माध्यम से बनावट वाले प्रिंट बनाने के लिए नारियल के छिलकों का भी उपयोग करती है।

तिरुपति नगर निगम हर दिन मंदिरों से 6 टन से ज़्यादा फूलों का अपशिष्ट उठाता है। वहां फूलों के कचरे को इकट्ठा करके उसे दोबारा इस्तेमाल करने योग्य मूल्यवान उत्पादों में बदल दिया जाता है। इसके ज़रिए स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं को रोज़गार मिला है। रीसाइकिलिंग का यह काम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम अगरबत्ती के 15 टन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र में किया जाता है। इन उत्पादों को रीसाइकिल किए गए कागज़ और तुलसी के बीजों से भरे कागज़ से पैक किया जाता है ताकि कार्बन उत्सर्जन शून्य हो।

फूलों के कचरे की रीसाइकिलिंग करने वाले कानपुर स्थित फूल, प्रतिदिन विभिन्न शहरों के मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट एकत्र करके बड़े-बड़े मंदिरों को इस कचरे की समस्या से निजात दिला रहा है। यह फूल’ भारत के पांच प्रमुख मंदिर शहरों अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से लगभग 21 मीट्रिक टन फूलों का अपशिष्ट प्रति सप्ताह (3 टीपीडी) एकत्र करता है। इस कचरे से अगरबत्ती, धूपबत्ती, बांस रहित धूपबत्ती, हवन कप आदि जैसी वस्तुएं बनाई जाती हैं। फूल’ द्वारा नियोजित महिलाओं को सुरक्षित कार्य स्थान, निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं। गहन तकनीकी शोध के साथ, स्टार्टअप ने ‘फ्लेदर’ विकसित किया है, जो पशु चमड़े का एक व्यवहार्य विकल्प है और इसे हाल ही में पेटा (पीईटीए) के सर्वश्रेष्ठ नवाचार शाकाहारी दुनिया से सम्मानित किया गया था।

हैदराबाद स्थित स्टार्टअप, होलीवेस्ट ने ‘फ्लोरजुविनेशन’ नामक एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से फूलों के कचरे को पुनर्जीवित किया है। 2018 में स्थापित कंपनी के संस्थापक माया विवेक और मनु डालमिया ने विक्रेताओं, मंदिरों, कार्यक्रम आयोजकों, सज्जाकारों और फूलों का अपशिष्ट  पैदा करने वालों के साथ भागीदारी की। वे 40 मंदिरों, 2 फूल विक्रेताओं और एक बाजार क्षेत्र से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं और खाद, अगरबत्ती, सुगंधित शंकु और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते हैं। वर्तमान में, होलीवेस्ट‘ 1,000 किलोग्राम/सप्ताह फूलों के कचरे को जल निकायों में जाने से रोक रहा है या लैंडफिल में सड़ने से बचा रहा है।

पूनम सहरावत का स्टार्टअप ‘आरुही’ दिल्ली-एनसीआर में 15 से अधिक मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करता है, 1,000 किलोग्राम कचरे को रिसाइकिल करता है और हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है। सहरावत ने फूलों के कचरे से उत्पाद बनाने के लिए 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

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पीएलआई योजना के अंतर्गत दूरसंचार उपकरण विनिर्माण की बिक्री 50 हजार करोड़ रुपये के पार

प्रधानमंत्री मोदी के भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों तथा इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से देश में उत्पादन, रोजगार-सृजन, आर्थिक विकास और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

दूरसंचार पीएलआई योजना के तीन वर्षों के अंतराल में  इस योजना ने 3,400 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित किया है। दूरसंचार उपकरण उत्पादन 50,000 करोड़ रुपये के उच्‍चतम स्‍तर को पार कर गया है, जिसमें लगभग 10,500 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। इससे 17,800 से अधिक प्रत्यक्ष और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। यह उपलब्धि भारत के दूरसंचार विनिर्माण उद्योग की सुदृढ बढ़ोतरी और प्रतिस्पर्धात्मकता को रेखांकित करती है। यह सफलता सरकारी योजनाओं के माध्‍यम से मिली है, क्‍योंकि सरकार ने स्थानीय उत्पादन को प्रोत्‍साहन दिया और आयात निर्भरता को कम करने के लिए पहल की। पीएलआई योजना का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना और भारत को दूरसंचार उपकरण उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाना है। यह योजना भारत में निर्मित उत्पादों की वृद्धिशील बिक्री के आधार पर निर्माताओं को वित्तीय प्रोत्साहन भी प्रदान करती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स के बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना मोबाइल फोन और उसके घटकों का विनिर्माण करती है। इस पीएलआई योजना के परिणामस्वरूप, भारत से मोबाइल फोन के उत्पादन और निर्यात दोनों में काफी तेजी आई है। 2014-15 में भारत, मोबाइल फोन का एक बड़ा आयातक था। उस समय देश में केवल 5.8 करोड़ यूनिट का उत्पादन होता था, जबकि 21 करोड़ यूनिट का आयात होता था, लेकिन सरकारी पहलों के माध्‍यम से 2023-24 में भारत में 33 करोड़ यूनिट का उत्पादन हुआ और केवल 0.3 करोड़ यूनिट का आयात हुआ और लगभग 5 करोड़ यूनिट का निर्यात हुआ। मोबाइल फोन के निर्यात का मूल्य 2014-15 में 1,556 करोड़ रुपये और 2017-18 में केवल 1,367 करोड़ रुपये था। यह 2023-24 में बढ़कर 1,28,982 करोड़ रुपये हो गया है। 2014-15 में मोबाइल फोन का आयात 48,609 करोड़ रुपये का था, जो 2023-24 में घटकर मात्र 7,665 करोड़ रुपये रह गया है।

भारत कई वर्षों से दूरसंचार उपकरणों का आयात करता रहा है, लेकिन मेक-इन-इंडिया और पीएलआई योजना के कारण संतुलन बदल गया है, जिससे देश में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उपकरणों का उत्पादन हो रहा है।

मुख्य विशेषताएं दूरसंचार (मोबाइल को छोड़कर):

  • उद्योग वृद्धि : दूरसंचार उपकरण विनिर्माण क्षेत्र ने असाधारण वृद्धि की है, जिसमें पीएलआई कंपनियों की कुल बिक्री 50,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। आधार वर्ष (वित्त वर्ष 2019-20) की तुलना में वित्त वर्ष 2023-24 में पीएलआई लाभार्थी कंपनियों द्वारा दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों की बिक्री 370 प्रतिशत बढ़ी है।
  • रोजगार सृजन : इस पहल ने न केवल आर्थिक विकास में योगदान दिया है, बल्कि विनिर्माण से लेकर अनुसंधान और विकास तक मूल्य श्रृंखला में रोजगार के पर्याप्त अवसर भी सृजित किए हैं। इससे 17,800 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं।
  • आयात पर निर्भरता में कमी : स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने आयातित दूरसंचार उपकरणों पर देश की निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया है। इसके परिणामस्वरूप 60 प्रतिशत आयात पर असर पड़ा है और भारत एंटीना, गीगाबिट पैसिव ऑप्टिकल नेटवर्क (जीपीओएन) और ग्राहक परिसर उपकरण (सीपीई) में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। आयात पर निर्भरता कम करने से राष्ट्रीय सुरक्षा बढ़ी है और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा : भारतीय निर्माता वैश्विक स्तर पर तेजी से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं तथा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्रस्‍तुत कर रहे हैं।

दूरसंचार उपकरणों में रेडियो, राउटर और नेटवर्क उपकरण जैसी जटिल वस्तुएं शामिल हैं। इसके अतिरिक्‍त, सरकार ने कंपनियों को 5जी उपकरण बनाने के लिए कुछ अतिरिक्‍त लाभ दिए है। भारत में निर्मित 5जी दूरसंचार उपकरण वर्तमान में उत्तरी अमेरिका और यूरोप को निर्यात किए जा रहे हैं।

दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए पीएलआई योजना और दूरसंचार विभाग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा संचालित अन्य संबंधित पहलों के परिणामस्वरूप, दूरसंचार आयात और निर्यात के बीच का अंतर काफी कम हो गया है। निर्यात की गई वस्तुओं (दूरसंचार उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर) का कुल मूल्य 1.49 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में आयात 1.53 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।

वास्‍तव में, पिछले पांच वर्षों में दूरसंचार (दूरसंचार उपकरण और मोबाइल दोनों को मिलाकर) में व्यापार घाटा 68,000 करोड़ रुपये से घटकर 4,000 करोड़ रुपये रह गया है। दोनों पीएलआई योजनाओं ने भारतीय निर्माताओं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाने, विशेष योग्यता और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने, दक्षता सुनिश्चित करने, उच्‍चतम स्‍तर की अर्थव्यवस्था निर्माण, निर्यात बढ़ाने और भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला का अभिन्न अंग बनाने का शुभारंभ किया है। सरकार की पहल से शुरू की गई इन योजनाओं ने भारत के निर्यात बास्केट को पारंपरिक वस्तुओं से उच्च मूल्य वर्धित उत्पादों में परिवर्तित कर दिया है।

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प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने जून 2024 के लिए केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों के प्रदर्शन की केन्‍द्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर 26वीं मासिक रिपोर्ट जारी की

प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने जून, 2024 के लिए केन्‍द्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) पर मासिक रिपोर्ट जारी की, जो लोक शिकायतों के प्रकार और श्रेणियों और निपटारे की प्रकृति का विस्तृत विश्लेषण प्रदान करती है। यह डीएआरपीजी द्वारा प्रकाशित केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों पर 26वीं रिपोर्ट है।

जून, 2024 की प्रगति केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों द्वारा 1,34,386 शिकायतों का निपटारा दर्शाती है। 1 जनवरी से 30 जून, 2024 तक केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों में औसत शिकायत निपटान समय 14 दिन है। ये रिपोर्ट 10-चरण की सीपीजीआरएएमएस सुधार प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जिसे निपटारे की गुणवत्ता में सुधार और समय सीमा को कम करने के लिए डीएआरपीजी द्वारा अपनाया गया था।

रिपोर्ट जून, 2024 के महीने में सभी चैनलों के माध्यम से सीपीजीआरएएमएस पर पंजीकृत नए उपयोगकर्ताओं का डेटा भी प्रदान करती है। जून, 2024 के महीने में कुल 64367 नए उपयोगकर्ता पंजीकृत हुए, जिनमें अधिकतम पंजीकरण असम (12467) से और उसके बाद उत्तर प्रदेश (8909) पंजीकरण हुए।

सीपीजीआरएएमएस को कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पोर्टल के साथ जोड़ा गया है और यह 5 लाख से अधिक सीएससी पर उपलब्ध है, जो 2.5 लाख ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) से जुड़ा है। रिपोर्ट जून, 2024 में कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से पंजीकृत शिकायतों का राज्यवार विश्लेषण भी प्रदान करती है। जून, 2024 के महीने में सीएससी के माध्यम से 17,844 शिकायतें दर्ज की गईं। इसमें उन प्रमुख मुद्दों/श्रेणियों पर भी प्रकाश डाला गया है जिनके लिए सीएससी के माध्यम से अधिकतम शिकायतें दर्ज की गईं।

. जून, 2024 में फीडबैक कॉल सेंटर ने केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों के लिए 36905 जानकारियां एकत्र की, एकत्र की गई जानकारी में से, लगभग 52 प्रतिशत नागरिकों ने प्रदान किए गए समाधान पर संतुष्टि व्यक्त की। नागरिकों की संतुष्टि प्रतिशत के संबंध में पिछले 6 महीनों में केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों का प्रदर्शन भी उक्त रिपोर्ट में मौजूद है।

केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों की जून, 2024 के लिए डीएआरपीजी की मासिक सीपीजीआरएएमएस रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. पीजी मामले:
  • जून 2024 में, सीपीजीआरएएमएस पोर्टल पर 139387 पीजी मामले प्राप्त हुए, 134386 पीजी मामलों का निवारण किया गया और 30 जून, 2024 तक 87323 पीजी मामले लंबित थे।
  • जून, 2024 में कॉमन सर्विस सेंटरों के माध्यम से कुल 17,844 शिकायतें दर्ज की गईं।
  1. पीजी अपीलें:
  • जून, 2024 में 15206 अपीलें प्राप्त हुईं और 14686 अपीलों का निपटारा किया गया।
  • जून 2024 के अंत तक केन्‍द्रीय सचिवालय में 23712 पीजी अपीलें लंबित थी।
  1. शिकायत निवारण मूल्यांकन और सूचकांक (जीआरएआई) – जून, 2024
  • केन्‍द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग और डाक विभाग जून, 2024 के लिए ग्रुप ए (500 से अधिक शिकायतों के बराबर) के भीतर शिकायत निवारण मूल्यांकन और सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में शामिल हैं।
  • नीति आयोग, भूमि संसाधन विभाग और निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग जून, 2024 के लिए ग्रुप बी (500 से कम शिकायतें) के अंतर्गत शिकायत निवारण मूल्यांकन एवं सूचकांक में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में शामिल हैं।

रिपोर्ट में उन मंत्रालयों/विभागों की श्रेणियों पर भी प्रकाश डाला गया है जिनके लिए जून, 2024 के महीने में अधिकतम शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें ग्रामीण विकास विभाग, श्रम और रोजगार मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग (बैंकिंग प्रभाग), कृषि और किसान कल्याण विभाग, और केन्‍द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (आयकर) शामिल हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी को सर्वोच्च रूसी नागरिक पुरस्कार मिलना अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कुशलता से संचालित करने की भारत की क्षमता को दर्शाता है: पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के रूस के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ से सम्मानित होने की उपलब्धि की सराहन की। श्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत किस तरह से अंतरराष्ट्रीय संबंधों को कुशलता से संचालित करने में सक्षम रहा है। श्री गोयल ने उद्योग जगत से भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने को कहा।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि वे हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते के तहत 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए स्विट्जरलैंड का दौरा करेंगे। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि यह प्रतिबद्धता पूरी तरह से एफडीआई को लेकर हमारी प्रतिबद्धता है और इसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेश शामिल नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि साझेदारी बनाने में भारतीय उद्योग के सामूहिक प्रयास से एफडीआई से जुड़ी प्रतिबद्धता पर ईएफटीए समझौते से भी आगे बढ़कर कार्य किया जा सकता है।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि उद्योग के तेजी से विकास के साथ-साथ सरकार 2030 तक 2 ट्रिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। श्री गोयल ने कहा, “यह संभव है, इसे हासिल किया जा सकता है। हमारे पास सही आधारशिलाएं हैं, हमारे पास हमारा समर्थन करने के लिए मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक्स हैं। देश की मुद्रा स्थिर है और इसने अधिकांश अन्य उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया है।” उन्होंने कहा कि स्थिर सरकार, स्थिर बाजार, स्थिर अर्थव्यवस्था और सामूहिक ऊर्जा में पुनरुत्थान के साथ, देश को वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिकांश वैश्विक मंचों पर एक उज्ज्वल स्थान के रूप में महत्व दिया जा रहा है।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले एक साल में 1 लाख से अधिक पेटेंट पंजीकृत किए गए हैं, जो 2014 से पेटेंट पंजीकरण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में नवाचार के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रतिस्पर्धी मानकों के साथ गुणवत्ता मानक और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश जुड़े हुए हैं, जो भारत को लागत की दृष्टि से प्रतिस्पर्धी बनाने में सक्षम साबित करेंगे और सरकार को घटिया उत्पादों को भारतीय बाजार में प्रवेश करने से रोकने में मदद करेंगे।

श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए तीन गुना अधिक गति, तीन गुना अधिक काम और तीन गुना अधिक परिणाम लाने के लिए प्रतिबद्ध है। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि सरकार सुधार के कार्य पर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है, जो नागरिकों की आय के स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी बताया कि अगले पांच वर्षों के लिए जल जीवन मिशन के माध्यम से नागरिकों को बेहतर सड़क और रेल संपर्क, बिजली, पाइप्ड गैस कनेक्शन, प्रत्येक घर के लिए पानी की कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जा रहा है।

श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि बुनियादी ढांचे का तेजी से रोलआउट उद्योग की जरूरतों के साथ गहराई से मेल खाता है, क्योंकि रोजगार, अर्थव्यवस्था और विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उपभोग पर इसका कई गुना प्रभाव पड़ता है। उन्होंने विस्तार से बताया कि बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने से विनिर्माण और रसद में तेजी के मामले में भारत की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इससे सरकार को कम सुविधा प्राप्त वर्गों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाकर समाज में एक बेहतर संतुलन लाने में मदद मिलेगी। यह एक एक ऐसा विजन है, जिस पर प्रधानमंत्री श्री मोदी पिछले दस वर्षों से काम कर रहे हैं।

श्री गोयल ने कहा कि 70 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सेवा का विस्तार, जल जीवन मिशन की सफलता, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तीन करोड़ मुफ्त घर और शहरी क्षेत्रों में मलिन बस्तियों के इन-सीटू पुनर्वास के प्रयास इस कार्यकाल के दौरान सरकार के एजेंडे का हिस्सा हैं। श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इंडिया पहल और विनिर्माण में निवेश से मिलने वाले रोजगार या उद्यमिता के अवसरों के साथ ये बुनियादी सुविधाएं जल्द ही भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना देंगी।

उन्होंने कहा कि सरकार अनुपालन संबंधी अत्यधिक बोझ को कम करने, जन विश्वास अधिनियम के माध्यम से कानूनों को अपराधमुक्त करने और कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देने के ऐसे अन्य उपायों के माध्यम से भारतीय निवेश यात्रा को आसान बनाने की कोशिश कर रही है। श्री गोयल ने उद्योग जगत से और अधिक सक्रिय होने तथा हितधारकों के समक्ष आने वाली बाधाओं को सामने लाने तथा भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार के साथ जुड़ने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के बारे में चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि सरकार स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है तथा उन्होंने उपस्थित लोगों से पेड़ लगाने का आग्रह किया। श्री गोयल ने यह भी कहा कि बांस का स्थिरता पर कितना जबरदस्त प्रभाव है, क्योंकि यह ऑक्सीजन पैदा कर सकता है तथा कार्बन का अवशोषण भी करता है। उन्होंने प्रतिभागियों को व्यावहारिक पहलों पर गौर करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो प्लास्टिक के उपयोग को कम करने में मदद करेंगे तथा उद्योग जगत से इस आंदोलन को देश के अंतिम व्यक्ति तक ले जाने के प्रयास में भागीदार बनने का आग्रह किया।

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वर्ष 2030 तक की अवधि के लिए रूस-भारत आर्थिक सहयोग के रणनीतिक क्षेत्रों के विकास के संबंध में नेताओं का संयुक्त वक्तव्य

8-9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में रूस और भारत के बीच आयोजित 22वें वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद, रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन और भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने,

द्विपक्षीय व्यावहारिक सहयोग और रूस-भारत विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी के विकास के वर्तमान मुद्दों पर विचारों का गहन आदान-प्रदान करके,

पारस्परिक सम्मान और समानता के सिद्धांतों का दृढ़ता से पालन करते हुए, पारस्परिक रूप से लाभप्रद एवं दीर्घकालिक आधार पर दोनों देशों के संप्रभु विकास,

रूस-भारत व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय बातचीत को गहरा करने हेतु अतिरिक्त प्रोत्साहन देने,

दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार की गतिशील वृद्धि के रूझान को बनाए रखने के इरादे और 2030 तक इसकी मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि सुनिश्चित करने की इच्छा से निर्देशित,

निम्नलिखित बातों की घोषणा की:

रूसी संघ और भारत गणराज्य, जिन्हें इसके आगे “दोनों पक्षों” के रूप में संदर्भित किया जाएगा, के बीच निम्नलिखित नौ प्रमुख क्षेत्रों को शामिल करते हुए द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग विकसित करने की योजना है:

1. भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार से संबंधित गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को समाप्त करने की आकांक्षा। ईएईयू-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र की स्थापना की संभावना सहित द्विपक्षीय व्यापार के उदारीकरण के मामले में बातचीत जारी रखना। संतुलित द्विपक्षीय व्यापार के लक्ष्य को हासिल करने हेतु भारत से माल की आपूर्ति में वृद्धि सहित 2030 तक (पारस्परिक सहमति के अनुरूप) 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के पारस्परिक व्यापार की उपलब्धि को हासिल करना। दोनों पक्षों की निवेश संबंधी गतिविधियों को पुनर्जीवित करना, यानी विशेष निवेश संबंधी व्यवस्थाओं के ढांचे के भीतर।

2. राष्ट्रीय मुद्राओं का उपयोग करके द्विपक्षीय निपटान प्रणाली का विकास। आपसी निपटान में डिजिटल वित्तीय साधनों का निरंतर समावेश।

3. उत्तर-दक्षिण अंतरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे, उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्टक समुद्री लाइन के नए मार्गों के शुभारंभ के जरिए भारत के साथ कार्गो कारोबार में वृद्धि। माल की बाधा रहित आवाजाही हेतु कुशल डिजिटल प्रणालियों के अनुप्रयोग के जरिए सीमा शुल्क प्रक्रियाओं का अधिकतम उपयोग।

4. कृषि उत्पादों, खाद्य और उर्वरकों के क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में वृद्धि। पशु चिकित्सा, स्वच्छता और पादप स्वच्छता संबंधी प्रतिबंधों व निषेधों को हटाने के उद्देश्य से गहन संवाद को जारी रखना।

5. परमाणु ऊर्जा, तेल शोधन और पेट्रोकेमिकल सहित प्रमुख ऊर्जा क्षेत्रों में सहयोग तथा ऊर्जा संबंधी बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकियों एवं उपकरणों के क्षेत्र में सहयोग व साझेदारी का विस्तारित रूप में विकास। वैश्विक ऊर्जा परिवर्तन की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, पारस्परिक और अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा को सुविधाजनक बनाना।

6. बुनियादी ढांचे के विकास, परिवहन इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल उत्पादन एवं जहाज निर्माण, अंतरिक्ष तथा अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में बातचीत को ठोस रूप देना। सहायक कंपनियों एवं औद्योगिक समूहों का निर्माण करके भारतीय और रूसी कंपनियों को एक-दूसरे के बाजारों में प्रवेश की सुविधा प्रदान करना। मानकीकरण, माप-पद्धति (मेट्रोलॉजी) और अनुरूपता मूल्यांकन के क्षेत्र में दोनों पक्षों के दृष्टिकोण का समन्वय।

7. डिजिटल अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं अनुसंधान, शैक्षिक आदान-प्रदान के विभिन्न क्षेत्रों में निवेश एवं संयुक्त परियोजनाओं और उच्च तकनीक वाली कंपनियों के कर्मचारियों के लिए इंटर्नशिप को बढ़ावा देना। अनुकूल राजकोषीय व्यवस्थाएं प्रदान करके नई संयुक्त (सहायक) कंपनियों के गठन को सुविधाजनक बनाना।

8. दवाओं और उन्नत चिकित्सा उपकरणों के विकास एवं आपूर्ति में व्यवस्थित सहयोग को बढ़ावा देना। रूस में भारतीय चिकित्सा संस्थानों की शाखाएं खोलने और योग्य चिकित्साकर्मियों की भर्ती के साथ-साथ चिकित्सा एवं जैविक सुरक्षा के क्षेत्र में समन्वय को मजबूत करने की संभावनाओं का अध्ययन करना।

9. मानवीय सहयोग का विकास, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति, पर्यटन, खेल, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल और अन्य क्षेत्रों में बातचीत का निरंतर विस्तार।

रूसी संघ के राष्ट्रपति और भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री ने व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग से संबंधित रूसी-भारतीय अंतर-सरकारी आयोग को चिन्हित किए गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का अध्ययन करने और अगली बैठक में इसकी प्रगति का आकलन करने का निर्देश दिया।

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