कानपुर 9 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर विद्या मन्दिर महिला महाविद्यालय ,स्वरूप नगर’ कानपुर में मुख्यता छात्राओं के लिये “रोजगार मेला” का आयोजन किया गया। जिनमें स्कोप लाइफ, जीवाथम, ए एस वर्ड ग्रुप आदि विभिन्न कंपनियों ने लगभग 200 से अधिक वेकैंसी के लिये जॉब ऑफर की। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से सम्बद्ध विभिन्न महाविद्यालयों की छात्राओं ने जॉब के लिये इंटरव्यू दिए। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर पूनम विज़ ने कहा कि बेटियो को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारा महाविद्यालय हमेशा ही प्रतिबद्ध रहा है । समय समय पर छात्राओं को ट्रेनिंग देकर रोजगार मेले का आयोजन करते रहेंगे। आयोजन करते रहेंगे।कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्रोफेसर निशा पाठक, प्रोफेसर अनुपमा कुमारी ,डॉ. आंचल तिवारी, महाविद्यालय की मीडिया प्रभारी डॉ. पूर्णिमा शुक्ला ,डॉ. शालिनी गुप्ता , डॉ. रमा कटियार, डॉ. जसमीत कौर, निक्की वेदी, डॉ.सोनम सिंह, डॉ. स्निग्धा मिश्रा, सुश्री नम्रता भट्टाचार्य, सुश्री कल्पना देवी, डॉ. ऋतु नारंग, सुश्री नेहा सिंह आदि शिक्षिकाओं ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। रोजगार मेला में लगभग 300 छात्राओं ने जॉब के लिये इंटरव्यू दिए।
Read More »कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में शिक्षक संघ की नई कार्यकारिणी का गठन
कानपुर 9 सितम्बर भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय मे शिक्षक संघ इकाई की नई कार्यकारिणी का चुनाव हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. निशा पाठक उपस्थित रहीं। शिक्षक संघ इकाई की पूर्व अध्यक्षा प्रो अनुपमा कुमारी ने नई कार्यकारिणी सदस्यों को शपथ दिलवाई । नई कार्यकारिणी में अध्यक्ष पद हेतु डॉ आंचल तिवारी,सचिव पद हेतु डॉ पूर्णिमा शुक्ला, कोषाध्यक्ष पद हेतु निक्की वेदी ने शपथ ग्रहण की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो निशा पाठक ने शिक्षक संघ इकाई से निष्पक्षता और ईमानदारी से कार्य करने की अपेक्षा की। कार्यक्रम में महाविद्यालय शिक्षक संघ इकाई के सभी सदस्य उपस्थित रहे।
Read More »राष्ट्रपति ने शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए
इस अवसर पर बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा का किसी के भी जीवन में मौलिक महत्व होता है। उन्होंने कहा कि कई शिक्षाविद् बच्चों के संतुलित विकास के लिए थ्री-एच फॉर्मूले की बात करते हैं, जिसमें पहला एच हार्ट (ह्रदय), दूसरा एच हेड (सिर) और तीसरा एच हैंड (हाथ) है। उन्होंने बताया कि हृदय का संबंध संवेदनशीलता, मानवीय मूल्यों, चरित्र की मजबूती एवं नैतिकता से है। उन्होंने कहा कि सिर या मस्तिष्क का संबंध मानसिक विकास, तर्क शक्ति और पढ़ाई से है और हाथ का संबंध शारीरिक कौशल एवं शारीरिक श्रम के प्रति सम्मान से है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के समग्र दृष्टिकोण पर बल देकर ही बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव होगा।
राष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षण के पेशे में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए शिक्षक पुरस्कार प्राप्त करने वाली शिक्षिकाओं की संख्या और अधिक होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिला सशक्तिकरण के लिए छात्राओं और शिक्षकों को प्रोत्साहित करना बेहद महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षक राष्ट्र के भविष्य का निर्माण करते हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार माना जाता है और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र-निर्माता के रूप में शिक्षकों के महत्व को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता का भी यह कर्तव्य है कि वे प्रत्येक बच्चे की अनूठी क्षमताओं को पहचानें और संवेदनशीलता के साथ उन क्षमताओं को विकसित करने में बच्चे की मदद करें। उन्होंने कहा कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पर विशेष ध्यान दिया जाए तथा उनके साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार किया जाए और माता-पिता बड़े विश्वास के साथ अपने बच्चों को शिक्षकों को सौंपते हैं। उन्होंने कहा कि एक कक्षा के 40-50 बच्चों के बीच प्यार बांटने का अवसर मिलना प्रत्येक शिक्षक के लिए बेहद सौभाग्य की बात है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हर कोई अपने शिक्षकों को याद करता है। उन्होंने कहा कि बच्चों को शिक्षकों से जो प्रशंसा, प्रोत्साहन या सजा मिलती है वह उनकी यादों में बसी रहती है। उन्होंने कहा कि अगर बच्चों में सुधार लाने के इरादे से उन्हें सजा दी जाती है, तो उन्हें इसका अहसास बाद में होता है। उन्होंने कहा कि उन्हें ज्ञान देने से ज्यादा महत्वपूर्ण प्यार और स्नेह देना है।
मंत्रिमंडल ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए औद्योगिक विकास योजना, 2017 के अंतर्गत अतिरिक्त धन की आवश्यकता को मंजूरी दी
भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य के लिए 23 अप्रैल 2018 की अधिसूचना संख्या 2 (2)/2018-एसपीएस के माध्यम से 2018 में औद्योगिक विकास योजना, 2017 की घोषणा की थी। इस योजना के अंतर्गत कुल वित्तीय परिव्यय 131.90 करोड़ रुपये था। यह आवंटित निधि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान समाप्त हो गई है। इसके अलावा, 2028-2029 तक प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए 1164.53 करोड़ रुपये की अतिरिक्त निधि की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त वित्तीय परिव्यय के आवंटन के लिए औद्योगिक विकास योजना, 2017 के अंतर्गत मंत्रिमंडल की स्वीकृति मांगी गई थी।
मंत्रिमंडल ने आज अपनी बैठक में हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए औद्योगिक विकास योजना, 2017 के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के प्रस्ताव पर विचार किया और 2028-29 तक योजना के तहत प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त धन की आवश्यकता के लिए मंजूरी दे दी। उपर्युक्त योजना के अंतर्गत अतिरिक्त निधियों की स्वीकृति के अनुसार इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित प्रोत्साहन लाभान्वित होंगे।
- ऋण तक पहुंच के लिए केंद्रीय पूंजी निवेश प्रोत्साहन (सीसीआईआईएसी):
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में कहीं भी मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्र में पर्याप्त विस्तार करने वाली सभी पात्र नई औद्योगिक इकाइयों और मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को 5.00 करोड़ रुपये की ऊपरी सीमा के साथ संयंत्र और मशीनरी में निवेश के लिए क्रेडिट तक पहुंच (सीसीआईआईएसी) @ 30 प्रतिशत के लिए केंद्रीय पूंजी निवेश प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
- केंद्रीय व्यापक बीमा प्रोत्साहन (सीसीआईआई):
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों में कहीं भी सभी पात्र नई औद्योगिक इकाइयों और मौजूदा औद्योगिक इकाइयों को वाणिज्यिक उत्पादन/संचालन शुरू होने की तिथि से अधिकतम 5 वर्ष की अवधि के लिए भवन और संयंत्र और मशीनरी के बीमा पर 100 प्रतिशत बीमा प्रीमियम की प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगे।
iii. शामिल व्यय:
हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्य के लिए आईडीएस, 2017 का वित्तीय परिव्यय केवल 131.90 करोड़ रुपये था, जिसे 2021-2022 के दौरान जारी किया गया था। इसके अतिरिक्त 2028-29 तक योजना के अंतर्गत धन की अतिरिक्त आवश्यकता के माध्यम से प्रतिबद्ध देनदारियों को पूरा करने के लिए मंत्रिमंडल ने योजना के अंतर्गत 1164.53 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय परिव्यय को मंजूरी दी है।
अनुमान है कि 774 पंजीकृत इकाइयों द्वारा लगभग 48607 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित किये जाएंगे।
पद्म पुरस्कार-2024 के लिए 15 सितंबर, 2023 तक नामांकन
पद्म पुरस्कार अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से हैं। 1954 में स्थापित, इन पुरस्कारों की घोषणा हर वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। यह पुरस्कार ‘विशिष्ट कार्य’ को मान्यता देते हैं और इन्हें कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, सामाजिक कार्य, विज्ञान तथा इंजीनियरिंग, सार्वजनिक मामले, नागरिक सेवा, व्यापार और उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को छोड़कर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कार्यरत सरकारी कर्मचारी पद्म पुरस्कार के लिए पात्र नहीं हैं।
सरकार पद्म पुरस्कारों को “पीपुल्स पद्म” में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए सभी नागरिकों से स्व-नामांकन सहित नामांकन/सिफारिशें करने का अनुरोध किया जाता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग व्यक्तियों, महिलाओं एवं समाज के अन्य कमजोर वर्गों के बीच से समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की उत्कृष्टता और उपलब्धियों की पहचान करने के लिए ठोस प्रयास किए जा सकते हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल (https://awards.gov.in ) पर उपलब्ध प्रारूप में नामांकन/सिफारिशों में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (अधिकतम 800 शब्द) शामिल हों, जो स्पष्ट रूप से संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में अनुशंसित व्यक्ति की विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवाओं को सामने ला सकें।
इस संबंध में विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट ( https://mha.gov.in ) और पद्म पुरस्कार पोर्टल ( https://padmaawards.gov.in ) पर ‘पुरस्कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत भी उपलब्ध है। इन पुरस्कारों से संबंधित क़ानून और नियम https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx वेबसाइट पर लिंक के साथ उपलब्ध हैं।
Read More »कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में मनाया गया राष्ट्रीय पोषण सप्ताह
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता,कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय, स्वरूप नगर के गृह विज्ञान विभाग द्वारा राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (दिनांक 01/09/2023 से 07/09/2023 तक ) के अंतर्गत पोषक तत्वों को एक प्रदर्शनी के माध्यम से प्रदर्शित किया। प्रदर्शनी का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. पूनम विज द्वारा किया गया, उनके द्वारा छात्राओं को पोषण के महत्व एवं मोटे अनाजों के प्रयोग करने हेतु प्रेरित किया। गृह विज्ञान की विभागाध्यक्ष एवं कार्यक्रम प्रभारी प्रो.अनुपम कुमारी द्वारा प्रदर्शनी के माध्यम से छात्रों को संतुलित आहार, भोजन के सातों समूहों को दैनिक आहार में शामिल करना एवं प्रति 100 ग्राम में पौष्टिक तत्वों की उपलब्धता को दर्शाया साथ ही मोटे अनाज (बाजरा ,रागी, ज्वार आदि) प्राचीन भारतीय व्यंजनों को आधुनिकता की दौड़ में विलुप्त कर दिया है विषय पर विस्तृत चर्चा की । छात्राओं के द्वारा” सबके लिए पोषण” विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की जिसमें महाविद्यालय की 15 छात्राओं ने प्रतिभागिता की जिसका परिणाम इस प्रकार है। प्रथम- अंजली वर्मा बी.ए. तृतीय सेमेस्टर द्वितीय- सिमरन सोनकर बी.ए.तृतीय सेमेस्टर तृतीय- शिवानी वर्मा बी.ए.तृतीय सेमेस्टर,सांत्वना पुरस्कार- प्रज्ञा बी.ए.तृतीय सेमेस्टर इस प्रदर्शनी का महाविद्यालय की लगभग छात्रों सहित समस्त शिक्षिकाओं ने अवलोकन किया।
Read More »सवारियों से भरी रोड वेज़ बस खंती में गिरी, कई घायल
फतेहपुर: गाजीपुर थानां क्षेत्र में एक रोड वेज़ बस जो फतेहपुर से सवारी भरकर बाँदा जनपद जा रही थी। जब वह शाह कस्बे के समीप ससुर खदेरी नदी के बड़े पुल पर पहुंची तभी सामने से आई एक वैन को बचाने के प्रयास में पुल से टकरा कर चार पल्टी खाते हुए खंती में जाकर पलट गई।
बस में सवार सवारियों में चीख पुकार मच गई। राहगीरों ने रुक कर सवारियों को बाहर निकल कर एम्बुलेन्स व स्थानीय समाज सेवी को घटना की सूचना दिया। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची एम्बुलेन्स व समाज सेवीयो ने सभी घायलो को इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचे।
जानकारी के अनुसार गाजीपुर थानां क्षेत्र के शाह कस्बे के समीप ससुर खदेरी नदी पर अचानक रोड वेज़ बस के सामने ओमनी वैन आ जाने पर उसको बचाने के प्रयास में रोड वेज़ बस ससुर खदेरी नदी के पुल से टकरा कर बस के पिछले पहिये निकल गए। जिससे बस खंती में जाकर चार पलटी खा गई। बस में सवार लगभग 20 से 25 सवारियाँ घायल हो गयीं। घटना की सूचना सरकारी एम्बुलेन्स व समाज सेवी अशोक तपस्वी को दी गई। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची सरकारी एम्बुलेन्स व समाज सेवी अशोक तपस्वी घायलों को इलाज के लिए जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। घायलों में रायबरेली जनपद के सरेनी थानां क्षेत्र के पूरे शोभा गाँव निवासी कमला मौर्या पिता गुरु प्रसाद 23 वर्षीय और उसकी की बहन शुष्मा 17 वर्षीय, ललौली थानां क्षेत्र के गगई पार गांव निवासी राम श्री 30 वर्षीय पत्नी विकास, बेटी अनंन्य 6 वर्षीय बेटी रिया 3 वर्षीय व विकास 40 वर्षीय, ललौली थानां क्षेत्र के बरउन्हां गाँव निवासी मालती देवी 40 वर्षीय पत्नी नेक चंद बराउन्हां गाजीपुर थानां क्षेत्र के शाहबसी गाँव निवासी, कल्लू 70 वर्षीय, हुसैगंज थानां क्षेत्र के कस्बा निवासी चंद्र भान 60 वर्षीय, मलवां थानां क्षेत्र के ठाकुरन पुरवा निवासी सचिन 21 वर्षीय पुत्र गण रमेश कुमार, राधानगर थानां क्षेत्र के नरपतपुर गाँव निवासी राज कुमार 25 वर्षीय पुत्रगण जय करन, राकेश कुमार द्विवेदी 45 वर्षीय सांतो धरमपुर थानां असोथर, बाँदा जनपद सदर कोतवाली क्षेत्र निवासी सुंदर तिवारी 43 वर्षीय पुत्रगण राम राज, थरियांव थानां क्षेत्र के हंसी 50 वर्षीय पत्नी महंगू इनको जिला अस्पलात लाया गया। कुछ सवारियाँ प्राइवेट अस्पताल इलाज के लिए चलीं गेन। और जो मामूली रूप से चोटिल हुए थे वह अपने घर चले गए। वही रायबरेली जनपद के सरेनी थानां क्षेत्र के पूरे शोभा गाँव निवासी गुरु प्रसाद की 23 वर्षीय पुत्री कमला मौर्या और उसकी 17 वर्षीय बहन शुष्मा बाँदा जा रही थी उनको इलाज के बाद समाज सेवी अशोक तपस्वी अपनी एम्बुलेन्स से बिना किसी शुल्क के छोड़ने बाँदा लेकर चले गये।
साहित्यिक संस्था साहित्य चेतना के स्थापना दिवस पर कवि सम्मलेन आयोजित
कानपुर नगर। नौबस्ता क्षेत्र के तौधकपुर ग्राम में साहित्यिक संस्था साहित्य चेतना के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कवि सम्मलेन में संस्था के संस्थापक आचार्य डॉ. राम सिंह ‘विकल’ सहित 37 कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ सुनाकर जमकर श्रोताओं की तालियाँ बटोरी।
शहर के जाने माने कवि आचार्य डॉ. राम सिंह ‘विकल’ द्वारा स्थापित गिरधारी लाल मेमोरियल सोसायटी द्वारा संचालित साहित्यिक संस्था साहित्य चेतना के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित तथा देर रात तक चले कवि-सम्मेलन में पधारे कवियों ने अपनी रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं का मन मोह लिया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता डॉ. हरीलाल ‘मिलन’ ने की तथा सञ्चालन वेद प्रकाश शुक्ल ‘संजर’ ने किया।
आमन्त्रित कवियों में डॉ. राम नरेश सिंह चौहान, अशोक शास्त्री, डॉ. सुरेन्द्र गुप्त ‘सीकर’, वंश गोपाल मिश्र ‘वंश’, डॉ. रमेश मिश्र ‘आनन्द’, डॉ. अजीत सिंह राठौर ‘लुल्ल कानपुरी’, डॉ. राजीव मिश्र, जयराम ‘जय’, डॉ. दीपकुमार शुक्ल, मोहन लाल, डॉ.अनुज सिंह ‘मनमीत’, सन्तोष दुबे, उदय मोहन मिश्र ‘करुणेश’, डॉ. आदित्य कटियार, अशोक गुप्त ‘अचानक’, बी. डी. सिंह, दिनेश ‘नीरज’, लाल सिंह फौजी, आदित्य भदौरिया, डॉ. रमाकान्त ‘बनफूल’, डॉ. उदय नारायण ‘उदय’, डॉ. गोविन्द नारायण शाण्डिल्य, एम.के. विश्वकर्मा, मो. नूरैन फैजाबादी, राजेन्द्र अवस्थी, अभिषेक ‘अज्ञानी’, रवि शर्मा, धीरपाल सिंह ‘धीर’, गोविन्द वर्मा, अर्पित अवस्थी, एम.के.विश्वकर्मा, सुरेश गुप्त ‘राजहंस’, सुश्री निधि विश्वकर्मा, डॉ.सुषमा सिंह सेंगर तथा अनामिका सिंह ‘अविरल’ आदि ने गीत, छन्द एवं कवित्त सुनाकर श्रोताओं को गुदगुदाया, हंसाया तथा सम सामयिक विषयों पर जोरदार कटाक्ष भी किया। आगन्तुक अतिथियों एवं कवियों का स्वागत शिव सिंह यादव, महेन्द्र सिंह, कपूर सिंह फौजी, सरवन यादव तथा प्रदीप कुमार यादव ने किया।
इस अवसर पर रतीपाल सिंह कछवाह, विश्वनाथ सिंह कछवाह, वीरेन्द्र सिंह कछवाह, रामकरन सिंह कछवाह ‘सीटू’, तेज बहादुर सिंह कछवाह, शिवशरण सिंह कछवाह ‘पुजारी’, राजकुमार सिंह कछवाह ‘बड़े बउआ’, शिवबदन सिंह कछवाह, योगेन्द्र प्रताप सिंह कछवाह सहित अनेक श्रोतागण उपस्थित रहे।
इस बार जन्माष्टमी का त्यौहार 6 सितम्बर को मनाया जाएगा
प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्णाष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है। दरअसल मान्यता है कि इसी दिन मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी ने कृष्ण को जन्म दिया था। इस वर्ष भगवान श्रीकृष्ण की 5250वीं जन्माष्टमी मनाई जा रही है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इस बार जन्माष्टमी का त्यो हार 6 सितम्बर को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल अष्टमी तिथि बुधवार 6 सितंबर को दोपहर 3.37 बजे शुरू होगी, जिसका समापन 7 सितंबर की शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा। वैसे जन्माष्टमी का त्योहार आमतौर पर दो दिन मनाया जाता है, पहले दिन (स्मार्त) गृहस्थियों द्वारा तथा दूसरे दिन वैष्णव सम्प्रदाय द्वारा। गृहस्थ लोग इस बार 6 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे जबकि वैष्णव सम्प्रदाय में 7 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव मनाया जाएगा।
भारतीय संस्कृति में जन्माष्टमी का इतना महत्व क्यों है, यह जानने के लिए श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन और उनकी अलौकिक लीलाओं को समझना जरूरी है। द्वापर युग के अंत में मथुरा में अग्रसेन नामक राजा का शासन था। उनका पुत्र था कंस, जिसने बलपूर्वक अपने पिता से सिंहासन छीन लिया और स्वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह यदुवंशी वसुदेव के साथ हुआ। एक दिन जब कंस देवकी को उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा था, तभी आकाशवाणी हुई कि हे कंस! जिस देवकी को तू इतने प्रेम से उसकी ससुराल छोड़ने जा रहा है, उसी का आठवां बालक तेरा संहारक होगा। आकाशवाणी सुन कंस घबरा गया और देवकी की ससुराल पहुंचकर उसने अपने जीजा वसुदेव की हत्या करने के लिए तलवार खींच ली। तब देवकी ने अपने भाई कंस से निवेदन करते हुए वादा किया कि उसके गर्भ से जो भी संतान होगी, उसे वह कंस को सौंप दिया करेगी। कंस ने देवकी की विनती स्वीकार कर ली और वसुदेव-देवकी को कारागार में डाल दिया।
कारागार में देवकी ने पहली संतान को जन्म दिया, जिसे कंस ने मार डाला। इसी प्रकार एक-एक कर उसने देवकी के सात बालकों की हत्या कर दी। जब कंस को देवकी के 8वें गर्भ की सूचना मिली तो उसने वसुदेव-देवकी पर पहरा और कड़ा कर दिया। आखिरकार वह घड़ी भी आ गई, जब देवकी ने कृष्ण को जन्म लिया। उस समय घोर अंधकार छाया हुआ था तथा मूसलाधार वर्षा हो रही थी। तभी वसुदेव जी की कोठरी में अलौकिक प्रकाश हुआ। उन्होंने देखा कि शंख, चक्र, गदा और पद्मधारी चतुर्भुज भगवान उनके सामने खड़े हैं। भगवान के इस दिव्य रूप के दर्शन पाकर वसुदेव और देवकी उनके चरणों में गिर पड़े। भगवान ने वसुदेव से कहा, ‘‘अब मैं बालक का रूप धारण करता हूं। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नंद के घर पहुंचा दो, जहां अभी एक कन्या ने जन्म लिया है। मेरे स्थान पर उस कन्या को कंस को सौंप दो। मेरी ही माया से कंस की जेल के सारे पहरेदार सो रहे हैं और कारागार के सारे ताले भी अपने आप खुल गए हैं। यमुना भी तुम्हें जाने का मार्ग अपने आप देगी।’’
वसुदेव ने भगवान की आज्ञा पाकर शिशु को छाज में रखकर अपने सिर पर उठा लिया। यमुना में प्रवेश करने पर यमुना का जल भगवान श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श करने के लिए हिलोरं, लेने लगा और जलचर भी श्रीकृष्ण के चरण स्पर्श के लिए उमड़ पड़े। गोकुल पहुंचकर वसुदेव सीधे नंद बाबा के घर पहुंचे। घर के सभी लोग उस समय गहरी नींद में सोये हुए थे पर सभी दरवाजे खुले पड़े थे। वसुदेव ने नंद की पत्नी यशोदा की बगल में सोई कन्या को उठा लिया और उसकी जगह श्रीकृष्ण को लिटा दिया। उसके बाद वसुदेव मथुरा पहुंचकर अपनी कोठरी में पहुंच गए। कोठरी में पहुंचते ही कारागार के द्वार अपने आप बंद हो गए और पहरेदारों की नींद खुल गई।
कंस को जैसे ही कन्या के जन्म का समाचार मिला, वह तुरन्त कारागार पहुंचा और कन्या को बालों से पकड़कर शिला पर पटककर मारने के लिए ऊपर उठाया लेकिन कन्या अचानक कंस के हाथ से छूटकर आकाश में पहुंच गई। आकाश में पहुंचकर उसने कहा, ‘‘मुझे मारने से तुझे कुछ लाभ नहीं होगा। तेरा संहारक गोकुल में सुरक्षित है।’’ यह सुनकर कंस के होश उड़ गए। उसके बाद कंस ने उन्हें मारने के लिए अनेक प्रयास किए। कंस ने श्रीकृष्ण का वध करने के लिए अनेक भयानक राक्षस भेजे परन्तु श्रीकृष्ण ने एक-एक कर उन सभी का संहार कर दिया। बड़ा होने पर कंस का वध कर उग्रसेन को राजगद्दी पर बिठाया और अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को कारागार से मुक्त कराया। तभी से भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की स्मृति में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाने लगा।
बाल्याकाल से लेकर बड़े होने तक श्रीकृष्ण की अनेक लीलाएं विख्यात हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई बलराम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमान जी का आव्हान किया था, जिसके बाद हनुमान जी ने बलराम की वाटिका में जाकर बलराम से युद्ध किया और उनका घमंड चूर-चूर कर दिया था। श्रीकृष्ण ने नररकासुर नामक असुर के बंदीगृह से 16100 बंदी महिलाओं को मुक्त कराया था, जिन्हें समाज द्वारा बहिष्कृत कर दिए जाने पर उन महिलाओं ने श्रीकृष्ण से अपनी रक्षा की गुहार लगाई और तब श्रीकृष्ण ने उन सभी महिलाओं को अपनी रानी होने का दर्जा देकर उन्हें सम्मान दिया था।
प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव डॉ. पी.के. मिश्र ने दिल्ली के उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना के साथ आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों की समीक्षा के लिए दिल्ली में विभिन्न स्थलों का दौरा किया
प्रमुख सचिव जी-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों से संबंधित समन्वय समिति के अध्यक्ष हैं। इस क्षमता में, डॉ पी के मिश्र द्वारा समीक्षा अभ्यास यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि एक स्मरणीय शिखर सम्मेलन की आवभगत के लिए योजना के अनुरूप सभी चीजें व्यवस्थित रहें। यह दौरा यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि शिखर सम्मेलन के लिए आने वाले सभी राष्ट्राध्यक्षों और अन्य अंतर्राष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों को अपनी यात्रा के दौरान भारत की संस्कृति और विश्व स्तरीय अनुभव की झलक मिले।
प्रमुख सचिव ने भारत मंडपम के साथ-साथ राजघाट, सी हेक्सागन-इंडिया गेट, हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 और इसके वीआईपी लाउंज, एयरोसिटी क्षेत्र, प्रमुख सड़कों के प्रमुख खंडों सहित लगभग 20 स्थानों का दौरा किया और समीक्षा की।
राजघाट के बाहरी क्षेत्रों के साथ-साथ दिल्ली के प्रमुख स्थानों और चौक-चौराहों का भी सौंदर्यीकरण किया गया है। भरत मंडपम में ‘शिव-नटराज’ की स्थापना की गई है। लगभग 20 टन वजनी, 27 फीट की नटराज आकृति को अष्ट-धातु से बने पारंपरिक कास्टिंग विधियों में तैयार किया गया है। जी-20 की अध्यक्षता के समय भरत मंडपम के सामने स्थापित नृत्य के भगवान शिव नटराज, नटराज की सबसे ऊंची कांस्य प्रतिमा हैं।
प्रमुख सचिव ने यातायात की स्थिति की भी समीक्षा की और प्रशासन को सुझाव दिया कि वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में आम लोगों को पर्याप्त जानकारी प्रदान की जाए ताकि उन्हें कोई कठिनाई न हो। दिल्ली हवाई अड्डे पर, विशेष रूप से मेहमानों के स्वागत के लिए की गई सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाओं की भी समीक्षा की गई।
डॉ. मिश्र ने पालम के वायुसेना स्टेशन के टेक्किनल एरिया का भी दौरा किया, जहां राज्यों के प्रमुखों के विमानों का आगमन होगा। वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने डॉक्टर मिश्र को विमानों की पार्किंग, राष्ट्राध्यक्षों के स्वागत, लाउंज और अन्य सुविधाओं के बारे में अवगत कराया। टेक्किनल हवाई अड्डा क्षेत्र में आपातकालीन चिकित्सा सुविधाओं की भी व्यवस्था की गई हैं।
दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा व्यापक स्तर पर सौंदर्यीकरण अभियान चलाया है, जिससे शहर का वृहद् वातावरण बन गया है। जो संरचनाएं अप्रयुक्त हो गई थीं, उनका नवीनीकरण किया गया है। स्वच्छता अभियान के अतिरिक्त जगह-जगह पानी के मनमोहक फव्वारे लगाए गए हैं। देश की विविधता को दर्शाने के लिए शहर भर में बड़ी संख्या में मूर्तियां और पोस्टर लगाए गए हैं, जो यात्रियों और आगंतुकों के लिए मनोरम दृश्य के रूप में उभरे हैं। महत्वपूर्ण स्थानों पर जी-20 देशों के राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित किए गए हैं और यहां तक कि जी-20 देशों के राष्ट्रीय पशुओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने अधिकारियों की टीमों द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।
आम जनता को असुविधा से बचाने के लिए, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिनी बस से दौरा किया। यह दौरा शाम 5 बजे से 8:30 बजे के बीच हुआ।
समीक्षा अभ्यास के दौरान उनके साथ प्रधानमंत्री के सलाहकार अमित खरे और तरुण कपूर, मुख्य सचिव, पुलिस आयुक्त के साथ-साथ कई अन्य शीर्ष अधिकारी भी थे।