उत्तरप्रदेश मे योगी सरकार द्वारा दो ही बच्चे अच्छे नारे के साथ लाये गए जनसंख्या नियंत्रण कानून ने मानों अराजक तत्वों और धर्म की राजनीति करने वाले सभी आकाओं की नींद उड़ा दी l आये दिन इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता कर एक समूह को न सिर्फ विकास से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि उन्हें वास्तविकता से भी दूर रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है l परन्तु वास्तव में ये भारत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक जानता है कि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाना कितना जरूरी है
इसी विषय पर उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री मोहिसन रजा ने कहा कि ‘ जनसंख्या नियत्रंण कानून से समाज कल्याण होगा’। हमें एक देश एक कानून एक बच्चा पर काम करना चाहिए
“हम मुस्लिम समाज को ऊपर बढ़ाना चाहते हैं टोपी से टाई तक ले जाना चाहते है, लेकिन बाकि विरोधी दल ये चाहते हैं कि ये लोग पंक्चर लगाते रह जाए। इनका विकास न हो, जब से हम सरकार में आए है तब से ही शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जा रहा है, अलग-अलग जगह पर स्कूल खोले जा रहे है। शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनता तक बेहतर सुविधाए पंहुचाने के लिए जनसख्या कानून जरूरी है”
मोहिसन रज़ा द्वारा कही गई ये बात उस वास्तविकता को बताती है जिसे नज़रअंदाज़ ना तो किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए l लेकिन जब कभी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून बनाती है तो अक्सर देश में इस मुददे पर प्रारंभ होने वाले वैचारिक विमर्श को कुछ लोगों द्वारा एक हक छीनने जैसी प्रतिक्रिया मिलती है। ऐसा लगता है जैसे उनके निजी जीवन पर हमला किया गया हो। कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक रंग चढ़ाने से भी पीछे नहीं हटते और जरूरी मुददों के प्रति जागरूकता को लेकर समाज को भटकाने का प्रयास करते है।
जनसंख्या की द्ष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है, एवं जनघनत्व के मामले में भी भारत काफी उपर है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि एवं अन्य संसाधनों पर काफी दबाव महसूस किया जाता रहा है। मसलन जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव किस तरह पड़ता है इसे समझना जरुरी है l किसी भी देश की जनसंख्या को घटाने या बढ़ाने में मुख्यतः दो कारक प्रमुख होते है, जब जन्म दर, मुत्यु दर से अधिक हो तो जनसंख्या में वृद्धि आती है। दूसरा यदि दूसरे देशों से आने वालों की संख्या विदेश जाने वाले लोगों की संख्या से अधिक होगी तो जनसंख्या में वृद्धि होगी एवं विपरीत स्थिति में जनसंख्या में कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र की द वल्र्ड पापुलेशन प्रोस्पोट्स 2019 हाईलाइट्स नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2027 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 बिलियन के आंकड़े को पार कर जाएगी एवं वैश्विक जनसंख्या में 2 बिलियन हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि इस अवधि में भारत में युवाओं की बड़ी संख्या मौजूद होगी l लेकिन आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में इतनी बड़ी आबादी की आधारभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, आश्रय, चिकित्सा और शिक्षा को पूरा करना भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती होगी l बढ़ती आबादी किसी देश के विकास के लिए कितनी घातक होंगी इसका भान शायद गाँधी जी को पहले से ही पता था इसी लिए उन्होंने कहा था कि प्रकृति के पास लोगो की अवश्यक्ताओ को पूरा करने के लिए परिपूर्ण संसाधन है परन्तु बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण संसाधनों की कमी से बचने का एकमात्र तरीका है ताकि भावी पीढ़ी को संसाधनों की कमी ना हो l
किसी भी देश कि स्थिरता उस देश की आर्थिक स्थिति के द्वारा सुनिश्चित होती है, परन्तु एक अन्य वास्तविकता यह भी है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे बेरोजगारी, पर्यावरण का अवनयन, आवासों की कमी, निम्न जीवन स्तर जैसी समस्याए जुड़ी रहती है। इसका उदहारण यह है कि वर्तमान में भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। यह गरीबी और अभाव, अपराध, चोरी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व तस्करी जैसी समस्याओं को जन्म देती है। पर्यावरण की दृष्टि से भी जनसंख्या वृद्धि हानिकारक है। बढ़ती आवश्यकताओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहने किया जा रहा है जिसके परिणाम विनाशकारी सिद्ध हो रहे है। जनसंख्या वृद्धि को जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं मृदा प्रदूषण के लिये भी दोषी माना जा रहा है l ऐसा इसलिए क्योंकि जनसंख्या वृद्धि का सबसे गंभीर प्रभाव पर्यावरण पर ही देखा गया है l
यूपी की जनसंख्या पर योगी प्लान
विगत कई वर्षो से भारत में जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुददा रहा है। देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा है। पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न सगंठनों तथा प्रभुद्ध लोगों ने इससे संबधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वे संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया l
इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वे इससे संबधित अधिनियम पारित करें। जिसक अंतर्गत हालही में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर यूपी की योगी सरकार ने नई जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट पेश किया l इस ड्राफ्ट के अंतर्गत अब यूपी में 2 से ज्यादा बच्चों के होने पर उत्तरप्रदेश के किसी भी निवासी को किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिलेगा l सरकारी नौकरियों में मौका भी नहीं मिलेगा, स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक होंगी और राशन कार्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
यूपी विधि आयोग ने कहा कि पास होने के 1 साल बाद कानून लागू होगा। कानून से प्रोत्साहन ज्यादा और हत्सोत्साहन नहीं होगा। सभी जाति धर्म को देखते हुए मसौदे पर काम किया जाएगा किसी विशेष जाति को टारगेट नहीं किया जाएगा।
बच्चा एक फायदे अनेक
कानून में यह सुनिश्चित किया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को अनेक फायदे मिल पांएगें l 1 बच्चे के बाद नसबंदी कराने पर स्वास्थ्य सुविध होगी. एकल बच्चा लड़का है तो 80 हजार रूपये की मदद मिलेगी और अगर एकल बच्चा लड़की है तो 1 लाख रूपए दिए जाएंगे, साथ ही बच्चे के 20 साल का होने तक बीमा कवरेज होगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले पर बच्चे को फायदा मिलेगा। सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को प्राथमिकता मिलेगी और एक बच्चा लड़की हो तो ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्ष दी जाएगी। सबसे ज्यादा आबादी का राज्य की जनसंख्या 23 करोड़ है l यूपी में जन्म दर राष्ट्रीय औसत से अभी 2.2 प्रशित अधिक है। आखिरी बार जनसंख्या नीति साल 2000 में पारित हुई थी जिसमें जन्म दर 2.7 प्रशित का 2026 तक 2.1 प्रतिशत लाने का लक्ष्य था। 2021-2030 के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी l
विरोधजीवियों के द्वारा इस प्रगतिशील कानून पर हल्ला उठाना वास्तव में उनकी निम्न मानसिकता और त्रुटिपूर्ण राजनीति का उदाहरण है l बाहरहाल हमें यह समझना होगा कि जनसंख्या वृद्धि किसी एक राज्य की समस्या ना होकर संपूर्ण भारत की समस्या है जिसका निवारण भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए – प्रीती राठौर
लेखिका शिवाजी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं
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