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अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और विरासत पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करेगा

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में नव नालंदा महाविहार के सहयोग से गुरु पद्मसंभव के जीवन और उनके जीवंत विरासत पर 28 और 29 अगस्त, 2024 को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगा। गुरु रिनपोछे नाम से भी प्रसिद्ध गुरु पद्मसंभव आठवीं शताब्दी में प्राचीन भारत में रहते थे। बुद्ध धम्म में आज सबसे सम्मानित लोगों में से एक गुरु पद्मसंभव को हिमालय क्षेत्र में बुद्ध धम्म के प्रसार का श्रेय दिया जाता है।

बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट, नेपाल के उपाध्यक्ष परम श्रद्धेय खेनपो चिमेद और रॉयल भूटान मंदिर, सेंट्रल मोनास्टिक बॉडी, भूटान के सचिव/मुख्य भिक्षु खेनपो उगयेन नामग्याल सम्मेलन में सम्मानित अतिथि होंगे। दूसरे बुद्ध के रूप में माने जाने वाले गुरु पद्मसंभव को गुरु रिनपोछे भी कहा जाता है, वे हिमालय के प्रसिद्ध ऋषि रहे जो प्राचीन भारत में आठवीं शताब्दी में रहते थे।

इस सम्मेलन के प्रमुख विषयों में उनका जीवन और शिक्षाएं, हिमालय भर में उनकी यात्राएं और, सबसे खास, वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता शामिल होगी। गुरु पदमसंभव योगिक और तांत्रिक प्रथाओं से लेकर ध्यान, कला, संगीत, नृत्य, जादू, लोककथाओं और धार्मिक शिक्षाओं तक संस्कृति के कई पहलुओं के एकीकरण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सम्मेलन में पांडुलिपियों, अवशेषों, चित्रों और स्मारकों के माध्यम से उनकी धम्म विरासत का जश्न मनाने का एक ठोस प्रयास किया जाएगा।

सम्मेलन के प्रमुख विषयों में शामिल हैं:

1. जीवनी संबंधी अंतर्दृष्टि और पौराणिक कथाएं

2. वज्रयान बुद्ध धम्म और तंत्र की शिक्षाएं

3. सांस्कृतिक एवं कलात्मक योगदान

4. यात्राएं और क्षेत्रीय प्रभाव

5. विरासत और समसामयिक प्रासंगिकता

बुद्ध धम्म के मूल सिद्धांतों को फैलाने का प्रयास करते हुए गुरु पदमसंभव ने एक स्थान की विशिष्टताओं और लोगों की संवेदनाओं को समझा। इस प्रकार, उन्होंने अपनी शिक्षाओं को स्थानीय मुहावरे और संस्कृति में ढाला, जिससे आस्था को आत्मसात करना बहुत आसान हो गया। उनके जीवन और समय को याद करते हुए, सम्मेलन में भगवान बुद्ध के उत्कृष्ट संदेश को प्रसारित करने के लिए स्थानीय प्रतीकों और यहां तक ​​कि अनुष्ठानों को माध्यम के रूप में उपयोग कर विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं के साथ उनके तालमेल बिठाने का जो दृष्टिकोण था, उसकी अंतर्दृष्टि मिलने की उम्मीद है।

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पार्किंसंस रोग के प्रबंधन के लिए दवा की खुराक के समायोजन के लिए नया स्मार्ट सेंसर विकसित

वैज्ञानिकों ने एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन सेंसर प्रणाली विकसित की है जो पार्किंसंस बीमारी की रोकथाम में सहायता प्रदान कर सकती है। यह सेंसर शरीर में एल-डोपा की सांद्रता का सटीक पता लगाने में मदद करेगा, जिससे इस रोग की प्रभावी रोकथाम के लिए आवश्यक सटीक खुराक का निर्धारण करने में मदद मिलेगी।

पार्किंसंस रोग को न्यूरॉन कोशिकाओं में लगातार गिरावट से पहचाना जाता है जिससे हमारे शरीर में डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर में काफी कमी आ जाती है। एल-डोपा एक रसायन है जो हमारे शरीर में डोपामाइन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह एंटी-पार्किंसंस दवाओं के रूप में कार्य करता है।

यह डोपामाइन की कमी को पूरा करने में मदद करता है। जब तक शरीर को एल-डोपा की सही मात्रा दी जाती है, तब तक यह रोग नियंत्रण में रहता है। हालांकि, पार्किंसंस की प्रगामी प्रकृति के कारण, जैसे-जैसे रोगी की उम्र बढ़ती है, न्यूरॉन्स की निरंतर हानि को पूरा करने के लिए अधिक एल-डोपा की आवश्यकता होती है।

हालांकि, एल-डोपा की अधिक मात्रा से रोगी में डिस्केनेसिया, गैस्ट्राइटिस, साइकोसिस, पैरानोया ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन जैसे गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जबकि एल-डोपा की बहुत कम मात्रा से पार्किंसंस के लक्षण वापस आ सकते हैं।

इस रोग की चिकित्सा में एल-डोपा के अधिकतम स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, जैविक तरल पदार्थों में एल-डोपा की निगरानी के लिए एक सरल, किफायती, संवेदनशील और त्वरित विधि विकसित करने की आवश्यकता है।

अभी हाल में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) ने जैविक नमूनों में एल-डोपा के निम्न स्तर का तुरंत पता लगाने के लिए फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन मैकेनिज्म का उपयोग करते हुए एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित ऑप्टिकल सेंसर प्रणाली विकसित की है।

सेंसर को कम ग्रेफीन ऑक्साइड नैनोकणों की सतह पर बॉम्बेक्स मोरी सिल्क कोकून से प्राप्त किए गए सिल्क-फाइब्रोइन प्रोटीन नैनो-लेयर की कोटिंग करके बनाया गया है। यह प्रणाली उत्कृष्ट फोटोलुमिनेसेंस गुणों के साथ कोर-शेल ग्रेफीन-आधारित क्वांटम डॉट्स का निर्माण करती है, जो इसे 5 μM से 35 μM की रैखिक सीमा के अंदर रक्त प्लाज्मा, पसीने और मूत्र जैसे वास्तविक नमूनों में एल-डोपा का पता लगाने के लिए एक प्रभावी फ्लोरोसेंट टर्न-ऑन सेंसर जांच बनाती है। समतुल्‍य पहचान सीमा का निर्धारण क्रमशः 95.14 एनएम, 93.81 एनएम और 104.04 एनएम किया गया है।

शोधकर्ताओं ने एक स्मार्टफोन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार किया है जिसमें एक इलेक्ट्रिक सर्किट 5 वी स्मार्टफोन चार्जर द्वारा संचालित 365 एनएम एलईडी से जुड़ा है। पूरे सेटअप को बाहरी प्रकाश से अलग करने के लिए एक अंधेरे कक्ष में रखा जाता है। यह सरल, किफायती और त्वरित स्क्रीनिंग उपकरण उन्नत उपकरणों की कमी वाले दूरदराज के क्षेत्रों में मौके पर ही विश्लेषक का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है।

रोगी के जैविक नमूनों में यह पता चलने पर कि क्या एल-डोपा का स्तर कम है, यह सेंसर रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक खुराक को समायोजित करने में मदद कर सकता है।

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देश में कोयला उत्पादन सालाना आधार पर 7.12 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 370 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा

कोयला मंत्रालय ने 25 अगस्त 2024 तक कोयले के समग्र उत्पादन में वृद्धि हासिल की है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25.08.24 तक संचयी कोयला उत्पादन में महत्‍वपूर्ण वृद्धि होने से यह  370.67 मिलियन टन हो गया है जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में हुए 346.02 मिलियन टन उत्‍पादन की तुलना में 7.12 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

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इसके अलावा कोयले की कुल आवाजाही में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25 अगस्त, 2024 तक 397.06 मिलियन टन तक पहुंच गई है। यह पिछले वर्ष के 376.44  मिलियटन टन आवाजाही की तुलना में 5.48 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि दर को दर्शाती है।

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बिजली क्षेत्र को कोयले के प्रेषण के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25 अगस्त 2024 तक संचयी उपलब्धि 325.97 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह 313.44 मिलियन टन थी। यह वृद्धि 01.04.2024 के अनुसार टीपीपी में 47 मिलियन टन के विशाल शुरुआती भंडारण के बावजूद हासिल की गई है। यह बिजली क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयले की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

खानों, टीपीपी और पारगमन में पिटहेड्स सहित कोयले के कुल स्टॉक की स्थिति 25 अगस्त 2024 तक 121.57 मिलियन टन तक पहुंच गई। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के 89.28 मिलियन टन के स्टॉक की तुलना में 36.2 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि को दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, 25 अगस्त, 2024 तक ताप विद्युत संयंत्रों (डीसीबी) में कोयले का स्टॉक 37.55 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष यह 29.47 मिलियन टन था, जो लगभग 27.41 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।

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कोयला स्टॉक की यह उच्च स्थिति कोयला मंत्रालय की कोयले की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उत्पादन, प्रेषण और स्टॉक स्तरों में निरंतर वृद्धि, देश के ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों का समर्थन करते हुए एक विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के बारे में मंत्रालय के प्रयासों को दर्शाती है।

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केन्द्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह से मिला भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ का प्रतिनिधिमंडल

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 24 अगस्त सरकारी कर्मचारियों के वेतन संबंधित एवम लंबित पड़े कई प्रमुख विषयो को लेकर केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह के कार्यालय पर भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महामंत्री मुकेश सिंह ने डा. जितेंद्र सिंह के समक्ष विस्तार से विषयो को रखा जिसने उन्होंने पुरानी पेंशन को लागू करना, 8वां वेतन आयोग का गठन,, सभी शहरों में सीजीएचएस की सुविधा उपलब्ध कराना, विभागो में रिक्त पदों को भरना, मृतक आश्रितों को नौकरी प्रदान करना , आयकर की सीमा को बढ़ाना , कम्युटेशन पेंशन को कटौती अवधि को कम करना इत्यादि प्रमुख विषय थे । इस बैठक में माननीय जितेंद्र सिंह ने भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के प्रतिनिधी मण्डल को आश्वासन भी दिया कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा तथा उचित फोरम पर इसका समाधान भी कराया जायेगा । तथा उन्होंने यह भी कहा की रक्षा संस्थानों से संबंधित विषयो को रक्षामंत्री महोदय के समक्ष भी रखा जाएगा, जिससे की मजदूरों को मांगो का शीघ्र समाधान हो सकें । वार्ता में विस्तार से चर्चा हुए विषय निम्नवत है –

1. नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त करना तथा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करना क्योंकि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की तुलना में एनपीएस कम सुरक्षित तथा अधिक अनिश्चित साबित हुई है । ओपीएस की बहाली से सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा तथा स्थिरता सुनिश्चित होगी।
2. आठवें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन किया जाना चाहिए क्योंकि वेतन आयोग न केवल वेतन तथा भत्तों की समीक्षा करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए सेवा शर्तों का मूल्यांकन भी करता है l
3. बड़े पैमाने पर सेवानिवृत्ति और पदों को न भरने के कारण विभिन्न केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में कई पद रिक्त पड़े हैं। इससे सरकारी विभागों की कार्यकुशलता बुरी तरह प्रभावित होती है। इसलिए केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए।
4. आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 800,000 रुपये किया जाना चाहिए और मानक कटौती को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी और 80डी के अंतर्गत मौद्रिक सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
5. केंद्रीय कर्मचारी समूह बीमा योजना 1980 का संशोधन: 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सीजीईजीआईएस को संशोधित किया जाना चाहिए। तथा15 हजार,30 हजार,60 हजार एवम 1 लाख 20 हजार रुपए बीमा राशि के स्थान पर न्यूनतम 15 लाख रुपये लागू करने की मांग करते हैं।
6. माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों और कैट के अनुकूल निर्णयों के बावजूद, केवल उन कर्मचारियों को यह लाभ मिला है जिन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इन तिथियों पर सेवानिवृत्त होने वाले सभी कर्मचारियों को पेंशन लाभ के लिए नोटेशनल इंक्रीमेंट प्रदान करने के लिए एक समान कार्यकारी आदेश जारी करने की मांग करते हैं।
7. पेंशन के कम्यूटेशन के लिए रिकवरी अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष किया जाना चाहिए। क्योंकि यह रिकवरी 12 वर्ष में पूर्ण हो जाती है।
8. रक्षा मंत्रालय में समान रूप से स्थित गैर-याचिकाकर्ताओं के लिए न्यायालय के निर्णयों का काल्पनिक विस्तार करना ,एमईएस, डीजीओएस, आयुध कारखानों आदि के औद्योगिक कर्मचारियों को ड्रेस भत्ते का भुगतान, आयुध कारखानों में ओवरटाइम भत्ते का भुगतान (01.01.2006 से बकाया सहित), जिसमें एचआरए, परिवहन भत्ता और लघु परिवार भत्ता,रेलवे कर्मचारियों के बराबर रात्रि ड्यूटी भत्ते का भुगतान और 01.01.1996 से बकाया भुगतान किया जाना चाहिए।
9. आयुध कारखानों के कर्मचारियों के लिए प्रसार भारती मॉडल का क्रियान्वयन करना क्योंकि इस मॉडल को अपनाने से आयुध कारखानों की दक्षता और उत्पादकता बढ़ेगी और कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करके रक्षा क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।
10. रक्षा प्रतिष्ठानों के विघटन, जनशक्ति में कमी, ठेकाकरण,निजीकरण को रोका जाना चाहिए क्योंकि इस तरह के उपायों से रक्षा नागरिकों की नौकरी की सुरक्षा और कल्याण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसके स्थान पर स्थाई रोजगार प्रदान किया जाना चाहिए।
11. रक्षा प्रतिष्ठानों में अनुकंपा नियुक्तियों के लिए 5% की अधिकतम सीमा पर एक बार छूट देकर सामाजिक सुरक्षा और कल्याण का विस्तार होना चाहिए जिससे रक्षा नागरिकों की असामयिक मृत्यु से प्रभावित परिवारों को राहत और सहायता मिलेगी तथा ऐसे कठिन समय में उनका वित्तीय बोझ कम होगा।
12. स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे जिनमे सेवारत कर्मचारियों के लिए कैशलेस उपचार सुविधा का विस्तार ,निजी नर्सिंग होम को CGHS से मान्यता, सीएस (एमए) लाभार्थियों को पहचान पत्र जारी करना, मेडिकल इम्प्लांट के मापदंडों को तय करना, पुरानी बीमारियों के लिए रेफरल वैधता को न्यूनतम 6 माह करना इत्यादि मांग प्रमुख रूप से है ।

इस बैठक में प्रमुख रूप से बी. सुरेंद्रन,अखिल भारतीय संगठन मंत्री भारतीय मजदूर संघ, देवेन्द्र पाण्डेय, मुकेश सिंह, अखिल भारतीय महामंत्री, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ उपस्थित थे।

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पीवीटीजी बहुल जनजातीय क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने और सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करने के लिए 23 अगस्त से 10 सितंबर, 2024 तक पीएम-जनमन मिशन पर आईईसी अभियान का आयोजन

देश भर के 194 जिलों में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की बस्तियों और पीवीटीजी परिवारों तक पहुंचने के उद्देश्य से, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय 23 अगस्त, 2024 से 10 सितंबर, 2024 तक प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) के लिए एक राष्ट्रव्यापी सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अभियान और लाभार्थी शिविर का संचालन कर रहा है।

अभियान गतिविधियाँ और पहुंच

पिछले वर्ष 100 जिलों में एक व्यापक आईईसी अभियान चलाया गया था, जिसके तहत 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लगभग 500 ब्लॉक और 15,000 पीवीटीजी बस्तियों को शामिल किया गया था। इस वर्ष, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 194 जिलों की 28,700 पीवीटीजी बस्तियों में 10.7 लाख पीवीटीजी परिवारों के 44.6 लाख पीवीटीजी व्यक्तियों तक पहुंचने के लिए और व्‍यापक अभियान की परिकल्पना की जा रही है। राज्यों से लेकर जिलों तक, ब्लॉक से गांव तक और  पीवीटीजी बस्ती स्तर तक जागरूकता जगाने के कार्य को सभी स्तरों पर अंजाम दिया जाएगा।

इस अभियान का उद्देश्य पीवीटीजी परिवारों को प्रमुख व्यक्तिगत अधिकारों का लाभ प्रदान करना और पीवीटीजी बस्तियों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए पीएम-जनमन हस्तक्षेपों के बारे में जानकारी प्रदान करना है, ताकि इन जनजातीय समुदायों को केंद्र और राज्य की योजनाओं और उनके तहत मिलने वाले लाभों के बारे में जागरूक किया जा सके। इस पहल में हर उस पीवीटीजी परिवार को शामिल किया जाएगा जिनसे दूरी, सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी की कमी के कारण संपर्क नहीं हो सका है। ऐसे परिवारों को उनके घर पर ही सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इन कार्यक्रमों के आयोजन के लिए हाट बाजार, सामुदायिक सेवा केंद्र, ग्राम पंचायत, आंगनवाड़ी, बहुउद्देशीय केंद्र, वनधन विकास केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र जैसे स्थानों का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए माईभारत स्वयंसेवकों, नेहरू युवक केंद्रों, कृषि विज्ञान केंद्रों, एनएसएस, एनसीसी, एसएचजी/एफपीओ और अन्य ऐसे निकायों से सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा की जा रही है।

  • पूरी अभियान अवधि के दौरान, आधार कार्ड, सामुदायिक प्रमाण पत्र, जन धन खाते और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के लाभार्थियों को पट्टे प्रदान किए जाएंगे क्योंकि ये अन्य योजनाओं के लिए बुनियादी आवश्यकताएं हैं।
  • पीएम जनमन हस्तक्षेप कार्ड पीवीटीजी की भाषा में वितरित किए जाएंगे।
  • अभियान के एक हिस्से में लाभार्थी संतृप्ति शिविर और स्वास्थ्य शिविर भी शामिल होगा। ये शिविर व्यक्तियों/परिवारों के लिए योजनाओं के तहत तत्काल लाभ प्रदान करने और पीवीटीजी समूहों के लिए विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों जैसे सिकल सेल रोग के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
  • स्थानीय और जनजातीय भाषाओं में पैम्फलेट, वीडियो, क्रिएटिव, इन्फोग्राफिक्स आदि जैसी जागरूकता सामग्री का उपयोग किया जाएगा।
  • पीएम-जनमन के प्रमुख संदेशों से युक्‍त विषयों को दीवारों पर पेंटिंग के रूप में पीवीटीजी बस्तियों में सजाया जाएगा।
  • यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे कि छात्रवृत्ति, मातृत्व लाभ योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, किसान सम्मान निधि, एससीडी के रोगियों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ पात्र पीवीटीजी लाभार्थियों तक पहुंचे।
  • योजना के लाभार्थी और उपलब्धि प्राप्त करने वाले लोग विशेष सत्रों में अपनी सफलता की कहानियां सुनाएंगे ताकि समुदाय के अन्य सदस्यों को आगे आने के लिए प्रेरित किया जा सके।

अभियान की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में जिला स्तर पर अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, जबकि राज्य स्तर के अधिकारी अभियान और मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के साथ समन्वय करेंगे। सभी संबंधित विभागों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए नियमित अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ-साथ सलाहकारों और निचले स्तर तक के अन्य संविदा कर्मियों के लिए अभिविन्यास कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में जनजातीय अनुसंधान संस्थान जिला, ब्लॉक और जनजातीय आवास स्तरों पर इन गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में सहायता करेंगे।

मिशन का उद्देश्य

पीएम-जनमन मिशन अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 24,104 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा: 15,336 करोड़ रुपये और राज्य हिस्सा: 8,768 करोड़ रुपये) के बजटीय परिव्यय के साथ 9 प्रमुख संबद्ध मंत्रालयों/विभागों से संबंधित 11 महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों पर केंद्रित है।

अन्य योजनाओं और मंत्रालयों/विभागों से जुड़े 10 अन्य हस्तक्षेपों की भी पहचान की गई है जो पीवीटीजी के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं जैसे आधार में नामांकन, सामुदायिक प्रमाण पत्र जारी करना, पीएम-जनधन योजना, पीएम गरीब कल्याण योजना, आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकारों के लंबित मामलों का समाधान आदि।

15 दिसंबर, 2023 को आयोजित राष्ट्रीय मंथन शिविर के दौरान मिशन की कार्यान्वयन रणनीति पर चर्चा की गई, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के 700 से अधिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से विचार-विमर्श किया। इसके बाद, इस वर्ष 18-19 जुलाई, 2024 को पीएम-जनमन के तहत की गई गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा के लिए दो दिवसीय मंथन शिविर आयोजित किया गया, जिसमें राज्य आदिवासी कल्याण विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव, निदेशक और अधिकारी शामिल हुए। पीएम-जनमन के दूसरे चरण के लिए नई पहलों पर भी चर्चा की गई।

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मंत्रिमंडल ने बागडोगरा और बिहटा हवाई अड्डों पर प्रमुख नागरिक उड्डयन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने आज बागडोगरा और बिहटा हवाई अड्डों पर नए सिविल एन्क्लेव के विकास को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट के फैसले पर खुशी जताते हुए केंद्रीय नागर विमानन मंत्री श्री राममोहन नायडू ने कहा, “मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कैबिनेट ने दो महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है, जो बागडोगरा और बिहटा हवाई अड्डों की क्षमता और दक्षता में उल्लेखनीय वृद्धि करेंगी। 2962.00 करोड़ रुपये के संयुक्त निवेश वाली ये परियोजनाएं क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार और पूरे भारत में हवाई यात्रा की बढ़ती मांग को पूरा करने की हमारी व्यापक रणनीति का एक अभिन्न अंग हैं।”

बागडोगरा में नए सिविल एन्क्लेव, 1549.00 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, 3,000 पीक ऑवर पैसेंजर्स (पीएचपी) के लिए डिज़ाइन किया गया 70,390 वर्ग मीटर का टर्मिनल और 10 मिलियन यात्रियों की वार्षिक क्षमता प्रदान करेगा। इस परियोजना में ए-321 प्रकार के विमानों के लिए 10 पार्किंग बे, दो लिंक टैक्सीवे और एक बहु-स्तरीय कार पार्किंग सुविधा के साथ एक एप्रन का निर्माण शामिल है। टर्मिनल एक ग्रीन बिल्डिंग होगी, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को शामिल किया जाएगा और स्थिरता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप प्राकृतिक प्रकाश को अधिकतम किया जाएगा।

पटना हवाई अड्डे पर बढ़ते यातायात को ध्यान में रखते हुए, बिहटा हवाई अड्डे पर एक नई नागरिक उड्डयन सुविधा का रणनीतिक निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के तहत बनने वाला नया टर्मिनल 1413 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा और यह 66,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनेगा। इसे एक समय में 3,000 (पीक ऑवर) यात्रियों की क्षमता और 5 मिलियन की वार्षिक यात्री प्रबंधन क्षमता के साथ लॉन्च किया जाएगा। वार्षिक क्षमता को 10 मिलियन तक विस्तारित किया जाएगा। इस परियोजना में A-321/B-737-800/A-320 प्रकार के विमानों के लिए 10 पार्किंग बे और दो टैक्सीवे शामिल हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “ये परियोजनाएं सिर्फ बुनियादी ढांचे के विस्तार के बारे में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये लोगों की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने और आसपास के क्षेत्रों के आर्थिक विकास में योगदान देने की दूरदर्शिता का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम इन परियोजनाओं को समय पर और उच्चतम मानकों के साथ पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इन्हें वर्तमान और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए डिजाइन कर रहे हैं।”

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भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने कानपुर कैंट में रोजगार मेले का आयोजन किया

भारतीय स्वरूप कानपुर रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने पूर्व सैनिकों और रोजगार प्रदाताओं को एक साझा मंच पर लाने के उद्देश्य  उत्तर प्रदेश के कानपुर कैंट में एक रोजगार मेले का आयोजन किया। नौकरी के अवसर प्रदान करने वाले इस कार्यक्रम को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली क्योंकि उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों से 1,573 पूर्व सैनिकों ने इसमें भाग लिया। इस दौरान 41 कंपनियों ने 1,365 नौकरियों तथा 500 से अधिक उद्यमशीलता के अवसरों की पेशकश की।

इस आयोजन के माध्यम से चयनित हुए पूर्व सैनिकों के साक्षात्कार/स्क्रीनिंग की जाएगी और उसके बाद उन्हें वरिष्ठ पर्यवेक्षकों तथा मध्य/वरिष्ठ स्तर के प्रबंधकों से लेकर रणनीतिक योजनाकारों व परियोजना निदेशकों तक के पदों पर नियुक्त किया जाएगा। यह आयोजन कॉरपोरेट जगत और भूतपूर्व सैनिकों दोनों के लिए लाभदायक रहा है। इस कार्यक्रम से भूतपूर्व सैनिकों को अपनी तकनीकी और प्रशासनिक क्षमता दिखाने के लिए एक मंच मिला है, वहीं दूसरी तरफ कॉरपोरेट जगत को अनुभवी, अनुशासित एवं प्रशिक्षित भूतपूर्व सैनिकों के समूह का लाभ उठाने का अवसर प्राप्त हुआ। इस मेले के दौरान विभिन्न कंपनियों द्वारा उद्यमिता मॉडल भी प्रस्तुत किए गए।

रोजगार मेले का उद्घाटन सचिव (भूतपूर्व सैनिक कल्याण) डॉ नितिन चंद्रा ने किया और इसमें मध्य कमान मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मुकेश चड्ढा तथा पुनर्वास महानिदेशक मेजर जनरल एसबीके सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

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कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने पूरे भारत में रोजगार पाने योग्य हजारों युवाओं को नए कौशल सीखने (अप-स्किलिंग) के लिए फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (एससीओए) के साथ एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया

केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने 2047 में विकसित भारत की परिकल्पना के अनुरूप वैश्विक मांगों को देखते हुए युवाओं को कौशल युक्त बनाने पर सरकार के दृढ़निश्चय पर जोर दिया। उन्होंने भारत के कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), महिलाओं और ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित भारत के घरेलू ई-कॉमर्स बाजार फ्लिपकार्ट के समर्थ प्रोग्राम की पांच साल की यात्रा का उत्सव मनाने के आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।

समर्थ कार्यक्रम के दौरान फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (एससीओए) ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया। इसका उद्देश्य पूरे भारत में रोजगार पाने योग्य हजारों युवाओं को कौशल युक्त बनाना है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0 के तहत इस साझेदारी का लक्ष्य भारत भर में हजारों युवाओं को कौशल युक्त बनाना, ई-कॉमर्स और आपूर्ति श्रृंखला क्षेत्रों में उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। फ्लिपकार्ट की टीम उम्मीदवारों को 7-दिवसीय गहन क्लासरूम प्रशिक्षण के साथ एक समग्र अनुभव और प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसके बाद फ्लिपकार्ट की फैसिलिटी (इन जगहों पर रोजमर्रा के काम होते हैं) में 45-दिवसीय व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाता है। इस सहयोग से देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है साथ ही विशेष प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रम के जरिए युवा शक्तियों को सफल करियर के लिए भी तैयार किया जाता है।

इस अवसर पर जयंत चौधरी ने कहा कि भारत सरकार कारीगरों को सशक्त बनाने और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग विविध शिल्पों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है। फ्लिपकार्ट समर्थ की यात्रा के उत्सव में एमएसडीई और फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (सप्लाई चेन ऑपरेशंस अकेडमी) {एससीओए} के बीच सहयोग को औपचारिक रूप दिया गया। यह प्रयास हमारे युवाओं को आधुनिक बाजार में आगे बढ़ने के लिए कौशल से युक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पारंपरिक शिल्प को डिजिटल क्षेत्र में एकीकृत करके हम मजबूत साझेदारी बना रहे हैं और समर्थ कार्यक्रम के माध्यम से नवाचार को अपना रहे हैं। इससे भारत के एमएसएमई क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
उद्योग सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ साझेदारी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। इंटर्नशिप कार्यक्रमों और समर्थ जैसे प्रयासों के माध्यम से हम युवाओं के लिए विकसित हो रही कार्य संस्कृति के साथ जुड़ने और भविष्य के लिए आवश्यक दक्षता हासिल करने के अवसर खोल रहे हैं। वैश्विक आकांक्षाओं वाला एक घरेलू ब्रांड फ्लिपकार्ट ने महिला उद्यमियों और वंचित पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को सशक्त बनाकर अपना प्रभाव प्रदर्शित किया है। इससे 1.8 मिलियन आजीविका (रोजगार) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित अपनी अकादमी के शुभारंभ के साथ फ्लिपकार्ट भारत के विकास को आगे बढ़ाते हुए व्यापक ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देना जारी रखे हुए है।

इस कार्यक्रम में 250 से अधिक उद्योग जगत के दिग्गजों, विक्रेताओं, कारीगरों, बुनकरों, शिल्पकारों और एसएचजी ने भाग लिया। इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाना और उसे उन्नत करना था। इसमें कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरीएमएसडीई के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी (आईएएस)एमएसडीई की संयुक्त सचिव श्रीमती सोनल मिश्रा (आईएएस) सहित सम्मानित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।  फ्लिपकार्ट समूह के मुख्य कॉरपोरेट मामलों के अधिकारी रजनीश कुमार ने कहा कि यह समर्थ 5-वर्षीय यात्रा मील का पत्थर उत्सव कार्यक्रम पूरे भारत में कारीगरोंबुनकरों और एमएसएमई को सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अपनी समर्थ पहल के माध्यम से हमने अपनी यात्रा के पिछले वर्षों में 1.8 मिलियन आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। 100 से अधिक पारंपरिक कला रूपों को संरक्षित किया है और हजारों विक्रेताओं की वृद्धि को बढ़ावा दिया है। हम भविष्य की ओर देखते हैं। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ हमारी साझेदारी भारत के युवाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल से युक्त करेगीजिससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे अतीत की विरासत भविष्य की पीढ़ियों के हाथों में फलती-फूलती रहेगी। फ्लिपकार्ट समर्थ कार्यक्रम में कारीगर सशक्तिकरण के भविष्य पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा भी हुई। पैनल में एमएसएमई मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अतीश कुमार सिंह, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी श्री महेंद्र पायल, बीयूनिक की सह-संस्थापक, निदेशक श्रीमती सिम्मी नंदा और अखिल भारतीय कारीगर और शिल्पकार कल्याण संघ की कार्यकारी निदेशक श्रीमती मीनू चोपड़ा ने आज के तेजी से विकसित हो रहे माहौल में भारत के कारीगर समुदाय के भविष्य, कौशल विकास के महत्व और बाजार पहुंच के विस्तार में ई-कॉमर्स की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में चर्चा की। फ्लिपकार्ट ने इवेंट के दौरान अपने ऐप पर ‘समर्थ स्टोरफ्रंट’ इंडियन रूट्स का अनावरण किया। यह वर्चुअल प्लैटफॉर्म कारीगरों, बुनकरों और एमएसएमई को राष्ट्रीय बाजार तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है। इससे उन्हें पूरे भारत में 500 मिलियन से अधिक ग्राहकों को अपने अद्वितीय उत्पाद दिखाने में मदद मिलती है। इस कार्यक्रम ने सरकारी से जुड़े दिग्गजों, उद्योग विशेषज्ञों और प्रमुख हितधारकों के लिए डिजिटल युग में कारीगर सशक्तिकरण के भविष्य पर चर्चा करने और पता लगाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। सभा ने लाखों लोगों के लिए स्थायी आजीविका बनाने के लिए पारंपरिक शिल्प कौशल को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया।

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सघन मत्स्य पालन हेतु एयरेशन सिस्टम की स्थापना नामक नवीन योजना शुभारम्भ

भारतीय स्वरूप कानपुर 24 अगस्त, (सू0वि0) सहायक निदेशक मत्स्य ने बताया कि उ0प्र0 के तालाबों में सघन मत्स्य पालन करते हुये अधिकाधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त करते हुये जल गुणवत्ता, रोग और रोगजनकों, जलीय वनस्पतियों तालाब में घुलित आक्सीजन के स्तर प्रबन्धन करने, जल कृषि में सभी एरोबिक जलीय जीवों को जीवित रहने एवं विकास के लिये निर्धारित मानक के अनुसार घुलित आक्सीजन का स्तर तालाब में बनाये रखने की आवश्यकता के दृष्टिगत इस नवीन योजना को संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। जिसकी पात्रता की शर्तों के बारे में बताया कि शासन के द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार एक नवीन योजना सघन मत्स्य पालन हेतु एयरेशन सिस्टम की स्थापना प्रारम्भ की गई है। योजना के अर्न्तगत मत्स्य बीज हैचरी संचालित करने वाले हैचरी स्वामी, निजी क्षेत्र एवं पट्टे पर आवंटित तालाब की महिला मत्स्य पालक जिनके तालाब की पट्टा अवधि कम से कम 5 वर्ष अवशेष हो एवं विद्युत कनेक्शन/जनरेटर की उपलब्धता हो, पात्र होंगें। परियोजनार्न्तगत 0.50 हें0 के तालाब में 2 हार्सपावर के एक काड पैडिल व्हील एरियेटर एवं 1.00 हे0 या उससे बडे तालाब हेतु अधिकतम दो एरियेटर पर महिला मत्स्य पालक जिनके तालाब की वर्तमान उत्पादकता कम से कम 4-5 टन प्रति हे0 की हो, के उत्पादन में वृद्धि हेतु अनुदान दिया जायेगा। परियोजना पूर्णतः महिला मत्स्य पालकों के लिये संचालित की गयी है।

आवश्यक अभिलेख के बारे में बताया कि आवेदनकर्ता की पासपोर्ट साइज की फोटो, आवेदनकर्ता का पहचान पत्र (आधार कार्ड), आवेदनकर्ता के बैंक खाते का विवरण (पासबुक की छायाप्रति अथवा बैंक स्टेटमेंट), आवेदनकर्ता के तालाब पट्टा/निजी तालाब/हैचरी/भूमि के अभिलेख की कॉपी, विद्युत कनेक्शन का साक्ष्य।
आवेदन करने के बारे में बताया कि उक्त योजना में विभागीय वेबसाइट http://fisheries.up.gov.in पर आनलाइन आवेदन किया जाना होगा। योजनार्न्तगत अन्य विवरण, इकाई लागत आवेदन करने की प्रक्रिया, आवेदन के साथ संलग्न किये जाने वाले अभिलेख व विस्तृत विवरण विभागीय वेबसाइट पर देखा जा सकता है। योजना में आनलाइन आवेदन दिनांक 20 अगस्त, 2024 से दिनांक 03 सितम्बर, 2024 तक और किये जाने हेतु आवेदन तिथि बढायी जाती है ।
उन्होंने बताया कि योजना हेतु आवेदक को इकाई लागत रू0 0.75 लाख प्रति यूनिट पर सामान्य, अन्य पिछडा वर्ग की महिलाओं हेतु 50 प्रतिशत अनुदान तथा अनुसूचित जाति की महिलाओं हेतु 60 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा। योजना के सम्बन्ध में मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक मत्स्य, मण्डलीय एवं मत्स्य निदेशालय के कार्यालय से किसी भी कार्य दिवस में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

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उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न

भारतीय स्वरूप कानपुर 23 अगस्त उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य रूप से उपाध्यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण, नगर आयुक्त, मुख्य अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधीक्षण अभियंता उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय), अधिशाषी अभियंता उ0प्र0 जल निगम (नगरीय), महाप्रबंधक जलकल विभाग, सचिव जलकल विभाग, अधीक्षण अभियंता केस्को अधिशाषी अभियंता केस्को, उपायुक्त जी0एस0टी0, क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, उपायुक्त उद्योग कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया तथा उद्यमी श्री मनोज बंका, श्री उमंग अग्रवाल, श्री बृजेश अवस्थी, श्री लाडली प्रसाद, श्री सुशील शर्मा, श्री सुशील टकरू, श्री अमन घई सहित एसोसिएशन के अनेक प्रतिनिधि, उद्यमी एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
श्री उमंग अग्रवाल महासचिव फीटा द्वारा विगत बैठक में पनकी अग्निशमन केन्द्र, पनकी से कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन कराये जाने की मांग की गयी थी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी, कानपुर नगर द्वारा अवगत कराया गया कि मण्डलीय उद्योग बंधु समिति की बैठक में उद्यमियों की मांग के अनुसार कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन करा दिया गया है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया।
श्री बृजेश अवस्थी नगर अध्यक्ष पी0आई0ए0 द्वारा पनकी साइट-2 में पानी संचय हेतु टैंक बनाये जाने का अनुरोध किया गया है, जिससे अग्निकाल में पानी की आपूर्ति हो सके। इस सम्बन्ध में सचिव, जलकल विभाग नगर निगम, कानपुर द्वारा अवगत कराया गया कि क्षेत्र में 2 टैंकर प्रतिदिन नियमित रूप से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रश्नगत क्षेत्र में 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत डीप बोर नलकूप के अधिष्ठान का कार्य किया जा रहा है तथा 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत 1500 मी0 पाइप लाइन बिछाये जाने के कार्य की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा सचिव, जलकल को निर्देशित किया गया कि अपने प्लान में पानी संचय हेतु टैंक को भी सम्मिलित करें।
कानपुर में औद्योगिक क्षेत्रों में सीवर लाइन डाले जाने के सम्बन्ध में अब तक की स्थिति की समीक्षा की गयी। अधीक्षण अभियंता, उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) द्वारा अवगत कराया गया कि एस0टी0पी0 एवं आई0एस0टी0 की स्थापना कराये जाने हेतु भूमि की चिन्हित कराये जाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को निर्देशित किया गया कि तत्काल भूमि का चिन्हांकन करायें।
दादानगर विद्युत सब स्टेशन की भूमि हेतु अधीक्षण अभियंता, केस्को को निर्देशित किया गया कि क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा से समन्वय करते हुए तीन दिन के अन्दर स्थलीय निरीक्षण कर भूमि का चिन्हांकन कर अवगत करायें।
एल0एम0एल0 चैराहे से भौंती बाईपास तक सड़क के किनारे ग्रीन बेल्ट बनाये जाने के सम्बन्ध में पी0आई0ए0 द्वारा किये गये अनुरोध के क्रम में नगर निगम तथा वन विभाग के सहयोग से 1.4 कि0 मी0 की बाउण्ड्रीवाल बन गयी है तथा उसमें वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है। औद्योगिक संगठनों द्वारा मांग की गयी कि इस क्षेत्र का अतिक्रमण हटवाये जाने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जाये। इस सम्बन्ध में मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
अन्त में उद्यमी संगठनों द्वारा उनकी समस्याओं को संयमित रूप से सुनने एवं उनके समयबद्ध रूप से निस्तारण करने हेतु मण्डलायुक्त महोदय का धन्यवाद अर्पित किया गया।

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