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एनटीपीसी ने कैप्टिव माइन्स से कोयला उत्पादन में 148 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, अप्रैल, 2023 के दौरान 2.95 एमएमटी का ये उत्पादन अब तक का सबसे अधिक मासिक उत्पादन है

भारत के सबसे बड़े एकीकृत बिजली उत्पादक एनटीपीसी लिमिटेड ने अप्रैल, 2023 में अपनी कैप्टिव खदानों से पिछले साल अप्रैल में दर्ज उत्पादन की तुलना में 148 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। एनटीपीसी ने अप्रैल 2023 के महीने के दौरान 2.75 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) कोयला उत्पादन दर्ज किया, जबकि अप्रैल 2022 के महीने में ये उत्पादन 1.11 एमएमटी रिकॉर्ड किया गया था।

भारत के सबसे बड़े बिजली उत्पादक ने अप्रैल 2023 में 2.95 एमएमटी का सबसे ज्यादा मासिक कोयला उतपादन हासिल किया, अप्रैल 2022 के महीने में 1.23 एमएमटी के कोयला निकालने की मात्रा में 140 प्रतिशत की वृद्धि हासिल कीअपनी चार परिचालन कोयला खदानों-एनटीपीसी पकरी-बरवाडीह (झारखंड), एनटीपीसी चट्टी बरियातु (झारखंड), एनटीपीसी दुलंगा (ओडिशा) और एनटीपीसी तलाईपल्ली (छत्तीसगढ़)

से एनटीपीसी ने वित्त वर्ष 2023 में 23.2 मिलियन टन का कोयला उत्पादन दर्ज किया, जो एक साल पहले 14.02 मिलियन टन के मुकाबले 65 प्रतिशत अधिक है।
कोयला खनन टीमों द्वारा डिजिटलीकरण की पहल ने खनन कार्यों को करने में उत्कृष्टता बढ़ाने में मदद की है। बेहतर प्रक्रियाओं ने खनन कार्यों में सुरक्षा बढ़ाने में सहायता की और ई-एसएमपी,जो कि एक डिजिटल सुरक्षा प्रबंधन योजना है,तथा सुरक्षा के लिए बनाए गए मोबाइल ऐप, सचेतन को अपनाने में भी पहल की है।
एनटीपीसी समूह की स्थापित क्षमता 71,644 मेगावाट है।

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भारत और इजराइल इनोवेशन और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाएंगे और गहन द्विपक्षीय सहयोग के एक नए चरण की शुरुआत करेंगे-केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत और इजराइल इनोवेशन और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाएंगे और गहन द्विपक्षीय सहयोग के एक नए चरण की शुरुआत करेंगे। यह बात आज यहां केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इजरायल के रक्षा मंत्रालय के डीडीआर एंड डी के प्रमुख डॉ. डेनियल गोल्ड के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय इज़राइल प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां मुलाकात के दौरान कही।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image004RRFY.jpg

इस अवसर पर, भारत और इजराइल ने एयरोस्पेस, इलेक्ट्रॉनिक्स इंस्ट्रूमेंटेशन, सिविल, इंफ्रास्ट्रक्चर और इंजीनियरिंग, इकोसिस्टम, पर्यावरण, पृथ्वी और महासागर विज्ञान और जल, खनन, खनिज, धातु और सामग्री, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स, ऊर्जा (पारंपरिक और गैर-पारंपरिक) और ऊर्जा उपकरण, कृषि, पोषण और बायोटेक और हेल्थकेयर जैसे कई प्रमुख प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए औद्योगिक अनुसंधान और विकास सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

नई दिल्ली के सीएसआईआर-विज्ञान केंद्र में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की गरिमामयी उपस्थिति में सीएसआईआर और रक्षा अनुसंधान और विकास निदेशालय (डीडीआर एंड डी), इजराइल के रक्षा मंत्रालय के बीच बहु-क्षेत्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने समझौते पर हस्ताक्षर का स्वागत करते हुए कहा कि 2023 देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जी20 की अध्यक्षता कर रहा है। यह वह वर्ष भी है जब भारत और इजराइल सफल राजनयिक संबंधों के 30 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वे आशावान हैं कि यह समझौता नवाचार, प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में भारत-इजरायल साझेदारी में एक नया चरण खोलेगा।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत-इजराइल न केवल द्विपक्षीय साझेदार हैं, बल्कि जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा क्षेत्रों में संयुक्त निवेश और नई पहलों के माध्यम से हमारी दुनिया के सामने मौजूद कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान भारत, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका के समूह- “आई2यू2” के माध्यम से करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने के लिए आवश्यक नीति और बजटीय सहायता प्रदान करके हमारे देश में एस एंड टी विकास और हैंडहोल्डिंग स्टार्ट-अप इनोवेशन को बढ़ावा दे रही है। विज्ञान और तकनीक हमेशा से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय विज्ञान को विशेष रूप से उभरते परिदृश्य और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में वृद्धि और विकास के सबसे शक्तिशाली उपकरणों में से एक माना जाता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, खाद्य, कृषि, ऊर्जा, एयरोस्पेस, स्मार्ट सिटीज, पर्यावरण, बुनियादी ढांचा, सामग्री आदि और सतत विकास हमारी वर्तमान सरकार के प्रमुख स्तंभ और केंद्रित क्षेत्र हैं।

इजरायल के रक्षा मंत्रालय के डीडीआर एंड डी के प्रमुख ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. डेनियल गोल्ड ने कहा कि यह देखकर खुशी हो रही है कि, 2022-23 में, भारत और इजरायल ने सफल राजनयिक संबंधों के 30 साल पूरे होने का जश्न मनाया। उन्होंने कहा कि भारत और इजरायल बहुत अच्छे दोस्त हैं और उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग करने की बहुत संभावनाएं हैं।

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केंद्रीय मंत्री को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारत और इज़राइल के पास जल, कृषि, आतंकवाद का मुकाबला और रक्षा सहित सभी सहयोग क्षेत्रों में द्विपक्षीय परामर्श तंत्र हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा विशेष रूप से इजरायल के साथ सहयोग की प्राथमिकता रही है और नवंबर 2021 में, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और डीडीआरएंडडी ने दोहरे उपयोग वाली तकनीकों के विकास के लिए दोनों देशों के स्टार्टअप और एमएसएमई में नवाचार को बढ़ावा देने और त्वरित आरएंडडी को बढ़ावा देने के लिए एक द्विपक्षीय नवाचार समझौते  पर हस्ताक्षर किए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विशेष रूप से प्रौद्योगिकी विकास और कार्यान्वयन के लिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना आवश्यक है। सीएसआईआर औद्योगिक अनुसंधान और विकास पर अपने मजबूत ध्यान के साथ, एक दूसरे के घरेलू औद्योगिक क्षेत्र को मजबूत करने के साथ-साथ उनके संयुक्त विकास को अन्य देश तक भी आगे ले जाने के लिए अपने इजरायली समकक्षों के साथ काम कर सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकर प्रसन्नता व्यक्त की कि हेल्थकेयर में संयुक्त गतिविधियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं, और एयरोस्पेस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, लेजर, ग्रीन हाइड्रोजन, इंस्ट्रुमेंटेशन और पानी जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आगे की राह बनाई गई है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने रिश्ते को मजबूत करने के प्रयासों के लिए डीजी, सीएसआईआर और प्रमुख डीडीआरएंडडी को बधाई दी।

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रक्षा मंत्री ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन मालदीव को एक तेज गश्ती जहाज और एक लैंडिंग क्राफ्ट आक्रमण जहाज सौंपा

मालदीव की अपनी 3 दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 02 मई, 2023 को मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) को एक तेज गश्ती जहाज और एक लैंडिंग क्राफ्ट आक्रमण जहाज सौंपा। फास्ट पेट्रोल वेसल उच्च गति पर तटीय और अपतटीय निगरानी में सक्षम है और उसे एमएनडीएफ के तट रक्षक जहाज ‘हुरवी’ के रूप में कमीशन किया गया। इस अवसर पर मालदीव के राष्ट्रपति श्री इब्राहिम मोहम्मद सोलिह और रक्षा मंत्री सुश्री मारिया अहमद दीदी उपस्थित थे।2.jpg

इस अवसर पर बोलते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने समझाया कि दोनों ‘मेड इन इंडिया’ प्लेटफार्मों का सौंपा जाना हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में शांति और सुरक्षा के प्रति भारत और मालदीव की साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि भारत ने एक मजबूत रक्षा इकोसिस्‍टम के माध्यम से भागीदार देशों की क्षमता निर्माण को और ज्यादा समर्थन देने के लिए अपनी विनिर्माण क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि की है। रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत हाल के वर्षों में एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में उभरा है। एक रक्षा निर्माण इकोसिस्‍टम बनाया गया है जिसे प्रचुर मात्रा में तकनीकी मानवशक्ति का लाभ मिला है। हम न केवल अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए, बल्कि निर्यात के लिए भी विश्व स्तरीय उपकरणों का उत्पादन करते हैं। भारत मैत्रीपूर्ण देशों को एक बेहतर रक्षा साझेदारी प्रदान करता है, जो उनकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और क्षमताओं के अनुरूप है। हम सहजीवी संबंध बनाना चाहते हैं जहां हम एक-दूसरे से सीख सकें, एक साथ बढ़ सकें और सभी के लिए विजय की स्थिति का निर्माण कर सकें। मालदीव को समर्थन देने की भारत की प्रतिबद्धता समय के साथ और मजबूत होती जाएगी।”

मालदीव के साथ भारत के मजबूत रक्षा सहयोग पर, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आपसी संबंध ‘पड़ोसी प्रथम’ और ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) की दो नीतियों पर आधारित हैं। उन्होंने जून 2019 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की मालदीव की यात्रा को याद किया, जिसके दौरान उन्होंने जोर देकर कहा था कि “‘पड़ोसी प्रथम’ हमारी प्राथमिकता है और पड़ोस में, ‘मालदीव प्राथमिकता है’।”3.jpg

रक्षा मंत्री ने क्षेत्र के समक्ष मौजूद आम चुनौतियों का समाधान करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्रों के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हिंद महासागर हमारा साझा क्षेत्र है। क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि की प्राथमिक जिम्मेदारी उन लोगों की है जो इस क्षेत्र में रहते हैं। एक क्षेत्र की शांति और सुरक्षा क्षेत्रीय शक्तियों के सहयोग और सहकार से सबसे अच्छी तरह से सुनिश्चित होती है।”

राजनाथ सिंह ने ध्यान दिलाया कि हिंद महासागर क्षेत्र द्वारा सामना की जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण आम चुनौती संसाधनों का सतत समुपयोग और जलवायु परिवर्तन को बताया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए सहयोगी प्रयासों का आह्वान किया कि हिंद महासागर का समुद्री विस्तार शांतिपूर्ण है और संसाधनों का क्षेत्रीय समृद्धि के लिए इष्टतम उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहा कि समुद्री संसाधनों का सतत समुपयोग हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्रों के निरंतर वृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।

जलवायु परिवर्तन पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इसका समुद्री पर्यावरण पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है और इसके प्रभाव राष्ट्रीय और क्षेत्रीय आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में चुनौतियां पैदा कर सकते हैं। यह इंगित करते हुए कि मालदीव विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की अनियमितताओं से जुड़ी असुरक्षितता का सामना करता है, उन्होंने अनुकूलन और शमन के लिए अपने पड़ोसी देशों के साथ काम करने की भारत की इच्छा पर बल दिया। उन्होंने कहा, “भारत पिछले कई वर्षों में इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) आवश्यकताओं में प्रमुखता से मदद पहुंचता रहा है। हम सहयोगी संबंधों से एक दूसरे की विशेषज्ञता का निर्माण करने के लिए तत्पर हैं।”

इससे पहले दिन में,  राजनाथ सिंह ने मालदीव के राष्ट्रपति श्री इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुलाकात की। इस दौरान, चल रही परियोजनाओं और रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा हुई। मालदीव के राष्ट्रपति ने विभिन्न क्षेत्रों में मालदीव को भारत की निरंतर सहायता और समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि यह राष्ट्र के लिए नई दिल्ली के विशेष सम्मान का एक वसीयतनामा है। उन्होंने इस संबंध को मजबूत करने की दिशा में मालदीव की प्रतिबद्धता से भी अवगत कराया। रक्षा मंत्री ने मालदीव में भारत द्वारा शुरू की गई विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं की प्रगति के बारे में बात की और निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया।

राजनाथ सिंह 01 मई, 2023 को माले पहुंचे। अपने कार्यक्रमों के पहले दिन उन्होंने मालदीव के अपने समकक्ष और मालदीव के विदेश मंत्री  अब्दुल्ला शाहिद के साथ बातचीत की।

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डीआरडीओ और भारतीय नौसेना ने गोवा तट पर आईएल-38एसडी विमान से स्वदेशी एयर ड्रॉपेबल कंटेनर ‘एडीसी-150’ का पहला सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने 27 अप्रैल, 2023 को गोवा के तट से आईएल 38एसडी विमान से ‘एडीसी-150’ का सफल पहला परीक्षण परीक्षण किया। ‘ एडीसी -150’ स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया 150 किलो पेलोड क्षमता वाला एयर ड्रॉपेबल कंटेनर है। इसका परीक्षण समुद्री तट से 2,000 किमी से अधिक की दूरी पर तैनात जहाजों को संकट के क्षणों में महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग स्टोर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए नौसेना परिचालन रसद क्षमताओं को बढ़ाने के लिए किया गया है। इससे पुर्जों और भंडार को प्राप्त करने के लिए जहाजों को तट के करीब आने की आवश्यकता को कम किया जा सकेगा।

‘एडीसी-150’ कंटेनर का निर्माण डीआरडीओ की तीन प्रयोगशालाओं- नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला (एनएसटीएल), विशाखापत्तनम; एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (एडीआरडीई), आगरा और वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई), बेंगलुरु द्वारा किया गया हैं। सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस एंड सर्टिफिकेशन (सीईएमआईएलएसी), बेंगलुरु के नेतृत्व में रीजनल सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थनेस (आरसीएमए), कानपुर द्वारा इसे महत्वपूर्ण उड़ान निकासी प्रमाणन प्रदान किया गया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने एडीसी-150 के सफल परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों और भारतीय नौसेना को बधाई दी है।

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एयर मार्शल साजू बालकृष्णन ने अंडमान और निकोबार कमांड (सीआईएनसीएएन) के 17वें कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्यभार संभाला

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एयर मार्शल साजू बालकृष्णन, एवीएसएम, वीएम ने 01 मई 2023 को अंडमान और निकोबार कमांड (सीआईएनसीएएन )के 17वें कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार संभाला । अंडमान और निकोबार कमांड (एएनसी) भारत में एकमात्र संयुक्त-सेवा कमांड है जो देश की सेना, नौसेना और वायु सेना की क्षमताओं के साथ देश के थियेटर कमांड के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है। एयर मार्शल साजू बालाकृष्णन राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडकवासला के पूर्व छात्र रहे हैं, जिन्हें 1986 में भारतीय वायु सेना की फाइटर स्ट्रीम में शामिल किया गया था। वे एक कुशल लड़ाकू पायलट हैं और उन्हें मिग-21 और किरण एयरक्राफ्ट के विभिन्न प्रकारों पर 3200 से अधिक दुर्घटना-मुक्त घंटों की उड़ान का अनुभव है। एयर मार्शल साजू ने अपने शानदार करियर के दौरान कई प्रमुख पदों पर काम किया है, जिसमें बाइसन स्क्वाड्रन के सीओ, एडबल्यूएसीएस स्क्वाड्रन के पहले कमांडिंग ऑफिसर और जोधपुर के प्रतिष्ठित एयरफोर्स स्टेशन में एयर कमांडिंग ऑफिसर का पद शामिल हैं। अंडमान निकोबार कमांड की कमान संभालने से पहले वे बेंगलुरु में भारतीय वायु सेना के ट्रेनिंग कमांड में वरिष्ठ एयर स्टाफ ऑफिसर थे। उनकी विशिष्ट सेवा के लिए, उन्हें अति विशिष्ट सेवा पदक और वायु सेना पदक के राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

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आज लॉन्च किया गया “युवा पोर्टल” हमें संभावित युवा स्टार्ट अप उद्यमों को जोड़ने और पहचानने में मदद करेगा – केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज “युवा पोर्टल” लॉन्च किया, जो संभावित युवा स्टार्ट-अप को जोड़ने और पहचानने में मदद करेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में एनपीएल के “वन वीक-वन लैब” कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि हितधारकों की भागीदारी व्यापक होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि स्टार्ट-अप उद्यम उचित उद्योग मार्गदर्शन और सही विशेषज्ञता के बिना टिकाऊ नहीं होंगे, खासकर अगर उद्योग क्षेत्र की व्यापक भागीदारी नहीं है।

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 6 जनवरी, 2023 को “वन वीक-वन लैब” पहल की शुरुआत की थी। प्रौद्योगिकी, नवाचार और स्टार्ट-अप में भारत के वैश्विक नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान की 37 सीएसआईआर परिषदों में से प्रत्येक के पास काम के अलग विशेष क्षेत्र के लिए देश भर में फैली प्रयोगशालाएं समर्पित हैं और “वन वीक-वन लैब” अभियान उनमें से प्रत्येक को अपना काम दिखाने का अवसर प्रदान करेगा ताकि अन्य लोग इससे लाभान्वित हो सकें और हितधारक इसके बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को नागपुर में आयोजित 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री के संबोधन का उल्लेख किया, जब उन्होंने कहा था, “हम उस वैज्ञानिक दृष्टिकोण के परिणाम भी देख रहे हैं जिसके साथ आज का भारत आगे बढ़ रहा है। भारत तेजी से विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक बन रहा है।“

डॉ. जितेंद्र सिंह ने हरियाणा के करनाल में स्थापित की गई खगोल विज्ञान प्रयोगशाला के शुभारंभ की भी सराहना की और कहा कि यह सभी को समान अवसर प्रदान करेगी और यहां तक कि दिव्यांग भी कौशल, कला और शिल्प के विभिन्न रूपों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने कहा, विभिन्न भाषाओं में शुरू की जाने वाली सुविधा श्रवण बाधित छात्रों को अंतरिक्ष की सरल से जटिल अवधारणाओं के अलावा सूर्य, चंद्रमा और सितारों के बारे में जानने में सक्षम बनाएगी।

भारतीय सांकेतिक भाषा एस्ट्रोलैब में 65 उपकरण हैं जिनमें एक बड़ा टेलीस्कोप, इंटरैक्टिव मॉडल, ऑडियो विजुअल एड्स, फन फैक्ट पोस्टर शामिल हैं। इसमें भारतीय सांकेतिक भाषा में अंतरिक्ष और विज्ञान से संबंधित सरल और जटिल विषयों पर बायोपिक्स, व्यावहारिक प्रदर्शन, मजेदार तथ्य, व्याख्यात्मक वीडियो सहित 90 से अधिक वीडियो स्ट्रीम करने के लिए सप्ताह के सातों दिन, चौबीस घंटे वर्चुअल एक्सेस है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आज के कार्यक्रम से, जिसमें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की सभी प्रयोगशालाएं न केवल जनता के लिए अपनी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेंगी, बल्कि युवा अन्वेषकों, छात्रों, स्टार्ट-अप्स को भी प्रबुद्ध करेंगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षाविद् और उद्यमी अपने ज्ञान को बढ़ाने और डीप टेक वेंचर्स के माध्यम से अवसरों का पता लगाने के लिए लोगों तक पहुंचेंगे। “वन वीक, वन लैब” अभियान के तहत, लगातार हफ्तों में, सीएसआईआर की प्रत्येक प्रयोगशाला भारत के लोगों के लिए अपने अद्वितीय नवाचारों और तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन करेगी। सीएसआईआर की प्रयोगशालाएं अद्वितीय हैं। इन प्रयोगशालाओं को जीनोम से भूविज्ञान, भोजन से ऊर्जा, खनिजों से सामग्री तक फैले विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि सीएसआईआर-एनपीएल भारतीय मानक समय (आईएसटी) का संरक्षक है, जिसे सीज़ियम परमाणु घड़ी और हाइड्रोजन मेसर्स से युक्त परमाणु समय पैमाने का उपयोग करके विकसित किया गया है। इतना ही नहीं, अल्ट्रा-सटीक उपग्रह लिंक का उपयोग करके भारतीय मानक समय को अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ समय यूटीसी (समन्वित यूनिवर्सल टाइम) के कुछ नैनोसेकंड के भीतर इंगित किया जा सकता है। आइए और जानिए कि कैसे सीएसआईआर-एनपीएल देश का समय सही रखता है!

क्या आप जानते हैं कि सीएसआईआर-एनपीएल ने वायुमंडलीय प्रदूषण की निगरानी के लिए गैस और वायुजनित कणों के मापन को मानकीकृत किया है?

सीएसआईआर-एनपीएल के निदेशक प्रोफेसर वेणुगोपाल अचंता ने कहा कि सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) 17 से 21 अप्रैल तक एक सप्ताह एक प्रयोगशाला कार्यक्रम आयोजित कर रही है। कार्यक्रम का उद्देश्य एनपीएल में उपलब्ध तकनीकों और सेवाओं के बारे में संभावित भागीदारों के बीच जागरूकता पैदा करना, सामाजिक समस्याओं का समाधान प्रदान करना, सटीक माप के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करना और लोगों में वैज्ञानिक जिज्ञासा विकसित करना है, खासकर उन छात्रों में जो देश का भविष्य हैं।

डॉ. अचंता ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 180 स्कूल विभिन्न गतिविधियों के लिए एनपीएल से प्रयोगशालाओं के संपर्क में हैं और भविष्य में इस तरह की बातचीत के लिए और स्कूलों के साथ के संपर्क होगा।

यह भारतीय मानक समय (आईएसटी) के प्रसार के कार्य सहित लंबाई, द्रव्यमान, तापमान आदि के माप मानकों को संरक्षित और बनाए रखता है। एनपीएल भविष्य के क्वांटम मानकों और आगामी तकनीकों को स्थापित करने के मिशन के साथ बहु-विषयक अनुसंधान एवं विकास कर रहा है ताकि भारत अंतरराष्ट्रीय माप प्रयोगशालाओं के बराबर बना रहे। यह उभरते हुए भारत की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम के तहत परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण (यानी आयात विकल्प) विकसित कर रहा है और “कौशल भारत” कार्यक्रम के तहत माप के क्षेत्र में युवा वैज्ञानिकों और उद्योग कर्मियों को प्रशिक्षण दे रहा है।

18 से 20 अप्रैल तक तीन दिवसीय स्टार्टअप/एमएसएमई/इंडस्ट्री मीट होगी। इस आयोजन का उद्देश्य उद्योगों को एनपीएल द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं का प्रदर्शन करना है। इस आयोजन में, एनपीएल द्वारा सहायता प्राप्त/नियुक्त/तकनीकी सहायता/परामर्श/सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संबंधित पार्टियों को आमंत्रित किया जाता है। आयोजन के दौरान प्रत्येक दिन, 20 से अधिक उद्योग भाग लेंगे जहां वे न केवल अपनी प्रौद्योगिकियों/सेवाओं (जहां एनपीएल ने योगदान दिया है) का प्रदर्शन करेंगे बल्कि एनपीएल के वैज्ञानिक और तकनीकी समर्थन के बारे में भी बात करेंगे। नवाचार ढांचे और पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित कई अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विकास के लिए 4 नए औद्योगिक भागीदारों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

19 अप्रैल को एक मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव आयोजित किया जाएगा जहां सीएसआईआर-एनपीएल में एडवांस इन मेट्रोलॉजी हैंडबुक जारी की जाएगी। मैट्रोलोजी के क्षेत्र में सीएसआईआर-एनपीएल की भूमिका, प्रयास, भविष्य के लिए सीएसआईआर-एनपीएल का रोड मैप, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विकास, पैनल डिस्कशन आदि को मैट्रोलोजी सम्मेलन में शामिल किया गया है।

20 अप्रैल को आरएंडडी कॉन्क्लेव और वीमेन इन स्टेम आयोजित किया जाएगा। इसमें एनपीएल परिवार के प्रमुख वैज्ञानिक और पूर्व छात्र अपना दृष्टिकोण साझा करेंगे। विज्ञान-प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगति में सीएसआईआर-एनपीएल की भूमिका का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है। अनुसंधान और विकास में एसटीईएम करियर में महिलाओं के लिए हालिया रुझानों, चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए महिला वैज्ञानिकों द्वारा कई गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। साथ ही, भारत की प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों पर एक वृत्तचित्र फिल्म भी प्रदर्शित होगी।

एक दिवसीय स्किल कॉन्क्लेव 21 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा। कॉन्क्लेव का मुख्य फोकस जनता को सीएसआईआर-एनपीएल के कौशल विकास कार्यक्रम के बारे में शिक्षित करना और हमारे जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न विशेषज्ञ व्याख्यान और कौशल प्रदर्शनों की मेजबानी करके स्थानीय लोगों को प्रेरित करना है। देश में विभिन्न उद्योगों, शैक्षणिक संस्थानों और समाज के लिए आवश्यक कुशल जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए सीएसआईआर-एनपीएल समय-समय पर कई कार्यक्रम आयोजित करता रहा है।

सीएसआईआर-एनपीएल और इसके “वन वीक वन लैब” कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी के लिए एनपीएल की वेबसाइट है: https://www.nplindia.org/

इसमें भाग लेने के इच्छुक लोग इस कार्यक्रम के लिए पंजीकरण करा सकते हैं।

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दिल्ली में दो दिवसीय अ. भा. वेद विज्ञान सम्मेलन का शुभारंभ

विश्व वेद परिषद् एवं परमार्थ निकेतन के तत्वावधान में आयोजित दो दिनी वेद विज्ञान महोत्सव का शुभारंभ आज लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला के मुख्य आतिथ्य तथा केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में व स्वामी चिदानंद सरस्वती, कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सत्यपाल सिंह सहित अन्य गणमान्यजन की उपस्थिति में हुआ। इस अवसर पर श्री बिरला ने कहा कि वेद सिर्फ ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि हमारी संस्कृति है। वेद तार्किक है, व्यवहारिक है और वेद यथार्थ भी है, जो आज दुनियाभर के लिए अनुसंधान का केंद्र बन चुके हैं।

मुख्य अतिथि श्री बिरला ने कहा कि वेद की जितनी व्याख्या की जाएं, कम है। वैज्ञानिकों ने भी माना है कि जो कुछ भी विज्ञान में है, वह वेद के कारण है। उस समय ऋषि-मुनियों ने अपने विचार, ज्ञान व अनुभव, जो वेद के माध्यम से समाज को दिए, वह सत्यार्थ है, सत्य है, यह आज प्रमाणित हुआ है। चाहे सामाजिक जीवन हो, मानवीय जीवन हो या राष्ट्र जीवन, जीवन की हर जिज्ञासा व आवश्यकताओं को समेटने का काम वेद में है। इसीलिए, आज हम कह सकते हैं कि वेद और विज्ञान पर अनुसंधान अनवरत चलता रहेगा, जिनमें वेदों की अलग-अलग व्याख्या होती रहेगी। वेदों ने हमें आध्यात्मिक ज्ञान व चिंतन दिया है। वेदों के चार भाग- ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद की अलग-अलग विद्वानों ने व्याख्या की है जो सीमित दायरे में या कम शब्दों में नहीं हो सकती है। श्री बिरला ने कहा कि जीवन जीने की राह और सत्य के मार्ग पर चलने का रास्ता हम वेद-उपनिषद् से प्राप्त कर सकते हैं। भारत लोकतंत्र की जननी है, यह भी वेद-उपनिषद् से निकली है। बरसों पुराने प्रमाण है कि भारत की संस्कृति, जीवनशैली, कार्यशैली व विचारधार में हमेशा लोकतंत्र रहा है, इसीलिए मदर आफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत की पहचान है।

अध्यक्षीय उद्बोधन में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने कहा कि हम सब इस बात को भली-भांति जानते हैं कि दुनिया एक है, समस्याएं भी एक जैसी है लेकिन अलग-अलग देशों के पृथक-पृथक चिंतन है। इन सबका विश्लेषण करें तो ध्यान में आएगा कि भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसके चिंतन में देश के साथ-साथ विश्व के कल्याण की भी भावना निहित है। हम वसुधैव कुटुम्बकम की भावना के आधार पर विचार करते हैं, इसी के अनुसार चलने का प्रयास करते हैं और यह भाव सिर्फ नारे, पुस्तक या भाषण के लिए नहीं, बल्कि हमारे कृतित्व व व्यक्तित्व से भी झलकता हुआ दिखाई देता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का नेतृत्व दुनिया में इस कल्पना को साकार करने के लिए प्रयत्नशील है। श्री तोमर ने कहा कि वेद की कोई तुलना नहीं है। वेद इतना विषद् है कि हजारों साल लग जाएंगे वेदों पर अऩुसंधान करते-करते, समय कम पड़ जाएगा लेकिन अनुसंधान पूरा नहीं होगा। ऐसा कुछ दुनिया में नहीं है, जो हजारों वर्षों पूर्व वेदों में हमारे पूर्वजों ने उल्लेखित नहीं किया हो। वैदिक रीति-नीति, संस्कृति, कृषि, वैदिकता का भाव निश्चित रूप से भारत को ही नहीं, जो इस पर चलने का प्रयास करेगा, उस मानवमात्र का यह जीवन और उसका परलोक भी सार्थक होगा, इस बात की गारंटी हमारा वेद-विज्ञान देता है।

श्री तोमर ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष हुए हैं, इस दौरान देश ने काफी तरक्की करने की कोशिश की है, अभी अमृत महोत्सव हमने मनाया, अब 2047 में आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक के कालखंड को प्रधानमंत्रीजी ने अमृत काल कहा है। ये 25 वर्ष का जो कालखंड हमारे सामने है, भारत के सांस्कृतिक पुनरोत्थान का कालखंड है। आज पूरी दुनिया में जिस प्रकार से वैश्विक स्तर पर विचार हो रहा है तो यह कालखंड भारत के सांस्कृतिक पुनरोत्थान के माध्यम से समूची दुनिया, जो भौतिकता की अग्नि में दग्ध है, उसे शाश्वत शांति का संदेश देने में पूरी तरह सफलता प्राप्त करेगी। ऐसे समय में वेद विज्ञान की दृष्टि से विचार हो, शिक्षा में उसका समावेश हो, जीवन के हर पहलु पर हम उसे स्वीकार कर आगे बढ़ने का प्रयास करें तो इससे अच्छा कालखंड हमें नहीं मिलेगा, जिस पर बहुत गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। हम विचार यात्रा के पड़ाव पर पहुंचे है तो एक दिन मंजिल पर पहुंचने में भी सफल होंगे।

उन्होंने कहा कि कृषि मानव जीवन का आधार है, पुरातन काल से कृषि विज्ञान के बारे में प्रकृति के साथ तालमेल करते हुए कल्पना हमारी संस्कृति में विद्यामान है। ऋग्वेद बताता है कि गलत रास्ते से धन मत कमाओ, खेती का कौशल सीखो, परिश्रम करो और सम्मानजनक धन प्राप्त करो, उससे जीवनयापन करो। अथर्ववेद में खेती, गौमाता, बैलों, कृषि उपकरण की दृष्टि से सारा उल्लेख मिलता है। साथ ही यह भी कहा गया है कि धरती माता हमें अन्न देती है, खेती करने से पहले उसकी पूजा करो, आशीर्वाद लो। यजुर्वेद में हमारी फसलों का विवरण मिलता है, वैदिक पद्धति खेती पर विचार करें तो आज की भारतीय कृषि पद्धति खेती, जिसे हम प्राकृतिक खेती या गाय आधारित खेती कहते हैं, हमें गौरव है कि वेदों में जिस प्रकार की खेती की कल्पना की गई है, वह प्राकृतिक खेती आज भारत सरकार में मोदीजी के नेतृत्व में प्राथमिकता पर है, उस पर सरकार पूरा बल प्रदान कर रही है, यह और बढ़े व रासायनिक खेती के कारण जो मृदा क्षरण व पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, जैविक पदार्थों को आघात हो रहा है, उससे बचाव के लिए भी वैदिक ज्ञान जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा स्कूली शिक्षा में कृषि शिक्षा के समावेश तथा नई शिक्षा नीति का समावेश कृषि शिक्षा में करने का प्रयास किया गया है।

सम्मेलन वैदिक यज्ञ, मंत्रोच्चारण के साथ प्रारंभ हुआ। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने आयोजन की भूमिका पेश की व स्वागत भाषण दिया। इस अवसर पर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती, श्री सुमेधानंद सरस्वती, सम्मेलन के मुख्य संयोजक प्रो. धर्मेंद्र शास्त्री, संयोजक डॉ. देवेश प्रकाश, व्यवस्थापक आचार्य दीपक शर्मा सहित अन्य पदाधिकारी, अनेक विद्वान, महाविद्यालयों-विश्वविद्यालयों के शोधार्थी व छात्र उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री ने महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र के लिये महिलाओं से नामांकन कराने का आग्रह किया

प्रधानमंत्री मोदी ने महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र (एमएसएससी) के लिये महिलाओं से नामांकन कराने का आग्रह किया है।

प्रधानमंत्री ने केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी के उस ट्वीट का उल्लेख किया है, जिसमें श्रीमती इरानी ने एमएसएससी के जरिये महिलाओं के वित्तीय समावेश को बढ़ाने और बेहतर लाभ उपलब्ध कराने के बारे में कहा गया है। प्रधानमंत्री ने इस ट्वीट को दोबारा ट्वीट करते हुये कहा :

मैं भी महिलाओं से आग्रह करता हूं कि वे एमएसएससी के लिये नामांकन कराएं। यह हमारी नारी शक्ति के लिये अनेक लाभ प्रदान करता है।”

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ऑपरेशन कावेरी- सूडान से अब तक स्वदेश आए 1,191 यात्रियों में से 117 यात्रियों को वर्तमान में नि:शुल्क क्वारंटीन किया गया है, क्योंकि उन्हें येलो फीवर का टीका नहीं लगा हुआ था

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में ‘ऑपरेशन कावेरी’ के तहत विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। भारत सरकार सूडान से भारतीय मूल के लगभग 3,000 यात्रियों को सुरक्षित स्वदेश वापस लेकर आ रही है। भारत आने वाले इन यात्रियों के लिए मिशन मोड में ट्रांजिट जंगक्चर्स पर आवश्यक क्वारंटीन सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। अब तक कुल 1,191 यात्री स्वदेश वापस आ चुके हैं, जिनमें से 117 यात्रियों को वर्तमान में क्वारंटीन किया गया है, क्योंकि उन्हें येलो फीवर का टीका नहीं लगा हुआ था। सभी यात्रियों को 7 दिनों के बाद लक्षण रहित पाए जाने पर उनके घर भेज दिया जाएगा।

इन यात्रियों को हवाई अड्डे के स्वास्थ्य अधिकारियों (एपीएचओ) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की देखभाल में संचालित क्वारंटीन सेंटर्स में मुफ्त भोजन के अलावा किराये से मुक्त आवास सुविधा प्रदान की जा रही है। ये केंद्र एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत राज्यों के विभिन्न अस्पतालों के साथ-साथ दिल्ली में केंद्र सरकार के अस्पतालों जैसे सफदरजंग चिकित्सालय में स्थापित किये गए हैं। इसके अतिरिक्त, नजफगढ़ के आरएचटीसी (100 बेड); महरौली के एनआईटीआर,(40 बेड) और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (60 बेड) में भी क्वारंटीन करने की व्यवस्था की गई है।

सूडान से भारत आने वाले यात्रियों का पहला जत्था 360 यात्रियों के साथ दिल्ली पहुंचा था, जिनमें से किसी भी यात्री को क्वारंटीन की आवश्यकता नहीं थी। इसके बाद 26 अप्रैल को दूसरी उड़ान भारत आई थी, जो 240 यात्रियों को लेकर मुंबई पहुंची, इनमें से 14 लोगों को क्वारंटीन किया गया था, जबकि दो लोगों को उनके टीकाकरण प्रमाणपत्रों के सत्यापन के बाद घर भेज दिया गया था। शेष 12 लोग आज शाम तक अपनी क्वारंटीन अवधि पूरी कर लेंगे (क्योंकि वे जेद्दा में भी 4 दिनों के लिए रुके हुए थे)। तीसरी फ्लाइट कल दोपहर बेंगलुरु पहुंची थी, जिसमें 360 यात्री सवार थे और फिर वहां 47 यात्रियों को शुरू में क्वारंटीन किया गया था। 3 व्यक्तियों को आज टीकाकरण के सत्यापन के बाद वापस जाने दिया गया। पांच अन्य यात्रियों के सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। सूडान से चौथी उड़ान कल शाम 231 यात्रियों को लेकर दिल्ली पहुंची, जिनमें से 61 को क्वारंटीन किया गया था (एक मुसाफिर को बाद में घर भेज दिया गया)। 35 यात्री दिल्ली एपीएचओ में और 26 लोग सफदरजंग अस्पताल में क्वारंटीन किये गए हैं। पांचवीं उड़ान के 367 यात्रियों के साथ आज रात दिल्ली पहुंचने की संभावना है और 320 लोगों के साथ एक अतिरिक्त उड़ान के कल सुबह 10:30 बजे बेंगलुरु आने की उम्मीद है।

क्वारंटीन किए गए व्यक्तियों की संख्या घटती-बढ़ती या परिवर्तित होती रहेगी, क्योंकि यह यात्रियों की पासपोर्ट संख्या (ओं) के सत्यापन की स्थिति पर निर्भर करती है।

‘ऑपरेशन कावेरी’ सूडान में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक निकासी अभियान है। ऑपरेशन कावेरी को संकटग्रस्त सूडान में त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए 24 अप्रैल, 2023 को शुरू किया गया था। भारतीयों नागरिकों की सूडान से सुरक्षित निकासी हेतु उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए विदेश मंत्रालय, भारतीय वायु सेना और सूडान स्थित भारतीय दूतावास सहित अन्य अधिकारियों की एक टीम नियुक्त की गई है। इस दौरान, भारतीयों नागरिकों को सूडान के अलग-अलग हिस्सों से राजधानी खार्तूम ले जाया जा रहा है, जहां से उन्हें वापस भारत पहुंचाया जाएगा।

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इंपीरियल कॉलेज लंदन ने कॉलेज में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए 400,000 ब्रिटिश पौंड की छात्रवृत्ति की घोषणा की

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज ब्रिटेन में इंपीरियल कॉलेज लंदन का दौरा किया और कॉलेज में पढ़ रहे भारतीय छात्रों के साथ बातचीत की।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई युवा-केंद्रित नीतियों की श्रृंखला के कारण यह समय भारत के युवाओं और छात्रों के लिए सर्वोत्तम है।

इंपीरियल कॉलेज लंदन में डॉ. जितेंद्र सिंह की यात्रा के अवसर पर कॉलेज प्रबंधन ने कॉलेज में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए 400,000 ब्रिटिश पौंड की छात्रवृत्ति की घोषणा की। इसमें से 50 प्रतिशत छात्रवृत्ति भारत की छात्राओं को दी जाएगी।

इस अवसर पर उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वे यूरोप के सर्वाधिक प्रगतिशील विश्वविद्यालयों में से एक प्रमुख विश्वविद्यालय में आकर बहुत प्रसन्न हैं। इस विश्वविद्यालय ने विश्व को होनहारों के अतिरिक्त पेनिसिलिन, होलोग्राफी और फाइबर ऑप्टिक्स दिए हैं।

इंपीरियल कॉलेज लंदन, इंग्लैंड में एक सार्वजनिक अनुसंधान विश्वविद्यालय है। यह कॉलेज ब्रिटेन में अनुसंधान, पर्यावरण अनुसंधान और रसेल समूह विश्वविद्यालयों में अनुसंधान प्रभाव के लिए प्रथम श्रेणी में गिना जाता है। यह एमएस और पार्किंसंस का ऊतक बैंक, ‘कई स्क्लेरोसिस, पार्किंसंस रोग और संबंधित स्थितियों वाले व्यक्तियों द्वारा दान किए गए केंद्रीय तंत्रिका तंत्र ऊतकों के नमूनों’ का संग्रह भी है। यह ब्रिटेन के सबसे बड़े ब्रेन बैंक के संग्रह का हिस्सा है। यहां दुनिया भर के 100 से अधिक विभिन्न संस्थानों में अनुसंधान परियोजनाओं में उपयोग किए जा रहे अंगों के नमूनों के साथ लगभग 1,650 नमूने -80ºC पर संग्रहीत किए जाते हैं।

पिछले पांच वर्षों में इंपीरियल के विद्यार्थियों ने 300 से अधिक भारतीय संस्थानों में भागीदारों के साथ 1,200 से अधिक शोध प्रकाशनों में लेखन में साझेदारी की है। अनुसंधान भागीदारों में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) शामिल हैं। कॉलेज में वर्तमान में 700 भारतीय छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और भारत में इंपीरियल कॉलेज से शिक्षा पाने वाले 3,000 से अधिक पूर्व छात्रों का एक समुदाय है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जीवंत माहौल में लगभग एक घंटा छात्रों से बातचीत की और उन्होंने कहा कि यह भारत में युवाओं के लिए सर्वोत्तम समय है, क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 9 वर्षों में कई बाधाओं को दूर किया है और कई बोझिल नियमों को हटाया है तथा एक सक्षम वातावरण बनाया गया है, जहां युवा अपनी आकांक्षाओं को अनुभव कर सकते हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी प्रतिभागियों के लिए खोला गया है। अब अंतरिक्ष क्षेत्र में भी सैकड़ों स्टार्टअप हैं। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप आंदोलन को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप यह आंकड़ा 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ 350 से बढ़कर 90,000 से अधिक हो गया है।

उन्होंने कहा कि जिस बायोटेक क्षेत्र को पहले उपेक्षा की जाती थी, वर्तमान सरकार ने उस पर विशेष ध्यान दिया है और कोरोना वैक्सीन की सफलता की कहानी के बाद छात्र इसमें रुचि दिखा रहे हैं। 2014 में 50 स्टार्टअप थे, अब देश में लगभग 6000 बायो स्टार्टअप हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इंपीरियल कॉलेज लंदन आपके जीवन के लिए आपका अल्मा मेटर बनने जा रहा है। यहां से प्राप्त ज्ञान आजीवन आपके साथ रहेगा, जब आप लौटें तो यहां से प्राप्त ज्ञान और सीख को समर्पित करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि भारत तीसरे सबसे बड़े वैश्विक स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के रूप में उभरा है और यह  12-15 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बार-बार भारतीय छात्रों से अगले 25 वर्षों के लिए तैयारी करने का आह्वान किया है, क्योंकि स्वतंत्र भारत अब 100वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है।

उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा अन्य क्षेत्रों में रुचि रखने वाले छात्रों की वापसी और भविष्य में अनुसंधान के क्षेत्र में भविष्य बनाने वाले इच्छुक छात्रों के लिए देश में नए अवसर सृजित किए गए हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ब्रिटेन की 6 दिवसीय यात्रा पर हैं। वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक उच्च स्तरीय आधिकारिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।

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