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प्रधानमंत्री ने ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ के अवसर पर युवाओं से कौशल प्राप्त करने, नया कौशल सीखने और कौशल बढ़ाने का आह्वान किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने विश्व युवा कौशल दिवस और ‘कौशल भारत’ मिशन की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर आज आयोजित डिजिटल स्किल कॉन्क्लेव के लिए अपने संदेश में युवाओं से कौशल प्राप्‍त करने, नया कौशल सीखने और कौशल बढ़ाने का आह्वान किया, ताकि तेजी से बदलते कारोबारी माहौल और बाजार स्थितियों में निरंतर प्रासंगिक बने रहना संभव हो सके। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर देश के युवाओं को बधाई दी और कहा कि यह दुनिया सही मायनों में युवाओं की है क्‍योंकि उनमें सदैव नए कौशल हासिल करने की व्‍यापक क्षमता होती है।

उन्होंने कहा कि इसी दिन पांच साल पहले शुरू किए गए ‘स्किल इंडिया मिशन’ से कौशल प्राप्‍त करने, नया कौशल सीखने एवं कौशल बढ़ाने के लिए एक विशाल अवसंरचना का निर्माण हुआ है और इसके साथ ही स्थानीय एवं विश्व दोनों ही स्तरों पर रोजगार प्राप्त करने के अवसर बढ़ गए हैं। इसकी बदौलत देश भर में सैकड़ों पीएम कौशल केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं और आईटीआई परिवेश या व्‍यवस्‍था की क्षमता काफी बढ़ गई है। इन ठोस प्रयासों के परिणामस्‍वरूप पिछले पांच वर्षों में पांच करोड़ से भी अधिक युवाओं को ‘कुशल’ बना दिया गया है। कुशल कामगारों और नियोक्ताओं का खाका (मैपिंग) या विवरण तैयार करने के लिए हाल ही में लॉन्‍च किए गए पोर्टल का उल्‍लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे घर लौटे प्रवासी श्रमिकों सहित अन्‍य कामगारों को आसानी से नौकरी पाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही नियोक्ताओं को भी माउस को क्लिक करते ही कुशल कर्मचारियों से संपर्क करने में काफी आसानी होगी। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि प्रवासी श्रमिकों के उत्‍कृष्‍ट कौशल से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बदलने में भी काफी मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कौशल को एक उत्‍कृष्‍ट उपहार के रूप में वर्णित किया जिसे हम खुद को दे सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि कौशल दरअसल अनंत, अद्वितीय, अनमोल खजाना और एक साधन है जिसके जरिए न केवल रोजगार पाने लायक बना जा सकता है, बल्कि यह संतोषजनक जीवन जीने में भी मददगार साबित होता है। उन्होंने कहा कि नए कौशल हासिल करने के स्‍वाभाविक आकर्षण से व्यक्ति के जीवन में नई ऊर्जा उत्‍पन्‍न होती है और व्‍यापक प्रोत्साहन मिलता है। कौशल न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि हमारी सामान्‍य दिनचर्या में स्‍वयं को जीवंत और ऊर्जावान महसूस करने का एक विशेष गुण या माध्‍यम भी है।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में ‘ज्ञान’ और ‘कौशल’ के बीच के अंतर को भी सामने रखा। उन्होंने एक उदाहरण के साथ इसे स्‍पष्‍ट किया – यह जानना कि साइकिल कैसे चलती है, यह ‘ज्ञान’ है, जबकि वास्तव में स्‍वयं साइकिल चला लेना ‘कौशल’ है। युवाओं के लिए दोनों के बीच के अंतर को समझना और उनके विभिन्न संदर्भों एवं निहितार्थों को महसूस करना अत्‍यंत आवश्‍यक है। प्रधानमंत्री ने बढ़ई के कामकाज का एक उदाहरण देते हुए स्किलिंग, रिस्किलिंग और अपस्किलिंग के बीच की बारीकियों को समझाया।

प्रधानमंत्री ने देश में बड़ी संख्‍या में उपलब्‍ध कुशल कामगारोंका उपयोग करने के मामले में भारत की व्‍यापक क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का उदाहरण दिया जहां बड़ी संख्‍या में उपलब्‍ध कुशल भारतीय कामगार वैश्विक मांग को पूरा कर सकते हैं। उन्होंने इस मांग का खाका या विवरण तैयार करने और भारतीय मानकों को अन्य देशों के मानकों के अनुरूप करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसी तरह उन्होंने यह सुझाव दिया कि लंबी समुद्री परंपरा का अनुभव रखने वाले भारतीय युवा इस सेक्‍टर में बढ़ती मांग को ध्‍यान में रखते हुए विश्‍व भर में मर्चेंट नेवी में विशेषज्ञ नाविकों के रूप में अहम योगदान कर सकते हैं।

हर साल 15 जुलाई को मनाए जाने वाला ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ इस वर्ष वर्चुअल मोड में मनाया गया। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री आर.के. सिंह, और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के ग्रुप चेयरमैन श्री ए.एम.नाइक ने भी इस सम्मेलन को संबोधित किया। लाखों की संख्‍या में प्रशिक्षुओं के व्यापक नेटवर्क सहित प्रणाली के सभी हितधारकों ने इस सम्‍मेलन में भाग लिया।

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केंद्रीय जहाजरानी मंत्री ने कोलकाता बंदरगाह से पहले मालवाहक जहाज को चट्टग्राम बंदरगाह होते हुए अगरतला के लिए रवाना किया

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केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)श्री मनसुख मांडविया ने आज एक वर्चुअल समारोह में कोलकाता बंदरगाह से बांग्लादेश के चट्टग्राम बंदरगाह होते हुए अगरतला के लिए पहला परीक्षण मालवाहक जहाज को रवाना किया। ऐसा भारत के पारगमन जहाजों की आवाजाही के लिए चट्टग्राम और मोंगल बंदरगाह का उपयोग करने के लिए बांग्लादेश के साथ हुए समझौते के तहत किया गया है।

श्री मनसुख मांडविया ने इस अवसर पर कहा कि यह मार्ग दोनों देशों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा। इससे बांग्लादेश के माध्यम से उत्तर पूर्व क्षेत्र को जोड़ने के लिए एक वैकल्पिक और छोटा मार्ग मिलेगा। श्री मांडविया ने कहा कि यह भारत के पारगमनकार्गो के आवागमन के लिए चट्टग्राम और मोंगला बंदरगाह का उपयोग करने का यह एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि यह भारत-बांग्लादेश समुद्री संबंधों में एक नया अध्याय जोड़ेगा।

इस परीक्षण मालवाहक जहाज की खेप में पश्चिम त्रिपुरा जिले के लिएटीएमटी स्टील बार वाले दो टीईयू और असम के करीमगंज के लिए दाल वाले दो टीईयू शामिल हैं। जहाज के चट्टग्राम बंदरगाह पहुंचने के बाद वहां से माल बांग्लादेशी ट्रकों में लादकर अगरतला पहुंचाए जाएंगे।

यह परीक्षण आवाजाही भारत के उत्तर पूर्व के राज्यों और बांग्लादेश की बीच संपर्क को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों की गहन कोशिशों को दर्शाता है। इस बारे में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की अक्टूबर 2019 में भारत की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच उच्चतम स्तर पर समझौता हुआ जिसमें भारत से माल की आवाजाही के लिए चट्टग्राम और मोंगल बंदरगाहों के उपयोग के लिए मानक संचालन प्रक्रिया संपन्न हुई। यह कदम भारत और बांग्लादेश के बीच लंबे समय से चली आ रही साझेदारी को और मजबूत करेगा।

इससे भारत के लिए माल के परिवहन में लगने वाली दूरी और समय की बचत होगी और यह दोनों देशों की  अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद कदम है। इससे रोजगार सृजन, माल ढुलाई क्षेत्र में निवेश, व्यापार सेवाओं, और राजस्व सृजन के मामले में बांग्लादेश को लाभ होगा। भारतीय माल के परिवहन के लिए बांग्लादेशी जहाजों और ट्रकों का उपयोग किया जाएगा।

भारतऔर बांग्लादेश ने हाल के वर्षों में जहाजरानी और अंतर्देशीय जल व्यापार में सहयोग बढ़ाया है। अंतर्देशीय जल पारगमन और व्यापार पर प्रोटोकॉल के तहत,हाल ही में छह मौजूदा बंदरगाहों के अलावाप्रत्येक देश में पांच और जोड़े गए हैं। अंतर्देशीय जलमार्गों केतलमार्जन का काम एक समझौता ज्ञापन के तहत चल रहा है जिसपर बांग्लादेश के जलमार्गों के चुनिंदा हिस्से का विकास करने के लिए दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत भारत सरकार इस परियोजना व्यय का 80 फीसदी और शेष 20 फीसदी बांग्लादेश सरकार वहन करेगी। दोनों देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देने और लोगों से लोगों का संपर्क बढ़ाने के लिए क्रूज सेवाओं की भी शुरुआत की गई है।

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मनीषा शुक्ला बनी समर्थ नारी समर्थ भारत संस्था की कानपुर की सह संयोजिका

मनीषा शुक्ला

मनीषा शुक्ला जी को * समर्थ नारी समर्थ भारत * की कानपुर सह- संयोजिका का दायित्व सौपे जाने पर संगठन के पदाधिकारीयों और गणमान्य नागरिकों ने बधाई दी। उपस्थित लोगों ने कहा संगठन आशा करता है कि वैचारिक दृष्टि और नारी सम्मान और विकास के प्रति सदैव आप दृढ संकल्प रहेगी।भारत के विकास और विश्व कल्याण की भावना के साथ।अपने संगठन के लक्ष्य शस्त्र से शास्त्र तक और रोटी से रोजगार तक की भावना के साथ।ग्यान,विवेक, और संस्कृति के साथ आपका हमेशा सहयोग रहेगा।संगठन के प्रति सदैव तन मन धन से सेवाभाव रहेगी। नीरा सिन्हा वर्षा संस्थापिका एवं राष्ट्रीय संयोजिका समर्थ नारी समर्थ भारत लक्ष्य
शस्त्र से शास्त्र तक और रोटी से रोजगार तक ने भी मनीषा जी को बधाई डी

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अमिताभ बच्चन,अभिषेक बच्चन,आइसोलेशन वार्ड में रखे गए. ऐश्वर्या और जया बच्चन की रिपोर्ट निगेटिव; ‘जलसा’ को किया जा रहा सैनिटाइज

सदी महानायक अमिताभ बच्चन कोरोना वायरस के शिकार हो गए हैं। इसकी जानकारी बिग बी ने एक ट्वीट के जरिए दी।  अमिताभ बच्चन के कोरोना संक्रमण पाए जाने के कुछ देर बाद ही उनके बेटे और एक्टर अभिषेक बच्चन भी कोविड-19 पॉज़िटिव निकले। दोनों का ही मुंबई के नानावटी अस्पताल में इलाज चल रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक अमिताभ बच्चन को आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। अमिताभ बच्चन की सेहत को लेकर नानावटी ऑस्पिटल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि बिग बी की हालत अभी स्थिर है। फिलहाल आइसोलेशन वार्ड में रखे गए हैं।

पिता-पुत्र के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद उनके घर के सभी सदस्यों का नानावती अस्‍पताल में ही कोरोना टेस्ट करवाया गया था।वहीं बिग बी के संक्रमित होने के कारण उनके बंगले ‘जलसा’ को सैनिटाइज किया जा रहा है। ऐश्वर्या राय बच्चन, जया बच्चन और आराध्या की एंटीजन टेस्ट (Antigen Test) रिपोर्ट निगेटिव आई है। हालांकि परिवार की स्वाब टेस्ट (swab test) की रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन में माइल्ड लक्षण पाए गए हैं।  मुंबई महानगरपालिका अमिताभ बच्चन के घर प्रतीक्षा को भी सैनिटाइज़ करेगी।

अपने कोविड-19 पॉजिटिव होने की सूचना ट्विटर पर देते हुए अमिताभ ने लिखा, ‘जांच में मुझमें कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है। अस्पताल में भर्ती हो गया हूं। अस्पताल अधिकारियों को सूचना दे रहा है। परिजनों और स्टाफ की भी जांच करा ली गई हैं। उनकी रिपोर्ट का इंतजार है।’ उन्होंने यह भी लिखा , ‘पिछले दस दिन में मेरे संपर्क में आने वाले लोगों से भी अनुरोध है कि अपनी जांच करा लें।’ अभिषेक बच्चन ने ट्वीट किया, ‘आज मेरे पिता और मुझमें कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है। हम दोनों को हल्के लक्षण हैं और अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हमने सभी जरूरी अधिकारियों को सूचित कर दिया है और हमारे परिवार तथा सभी स्टाफ सदस्यों की जांच की जा रही है।’

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प्रधानमंत्री मोदी ने रीवा की मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्ट्र को समर्पित की

आधिकारिक बुलेटिन - 1 (10-July-2020 ...
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से रीवा में अत्‍याधुनिक मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्‍ट्र को समर्पित की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से मध्‍य प्रदेश के रीवा में अत्‍याधुनिक मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्‍ट्र को समर्पित की। यह एशिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मौजूदा दशक में रीवा परियोजना पूरे क्षेत्र को स्‍वच्‍छ और सुरक्षित ऊर्जा के बड़े केन्‍द्र के रूप में बदल देगी। उन्‍होंने कहा कि इस परियोजना से दिल्‍ली मेट्रो सहित रीवा और उसके आस-पास के समूचे क्षेत्र को बिजली की आपूर्ति की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत जल्द मध्य प्रदेश भारत में सौर ऊर्जा का मुख्य केंद्र होगा, क्योंकि नीमच, शाजापुर, छतरपुर और ओंकारेश्वर में ऐसी कई प्रमुख परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के गरीबों, मध्यम वर्ग के लोगों, आदिवासियों और किसानों को इसका सबसे ज्‍यादा मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि सौर ऊर्जा21 वीं सदी में आकांक्षी भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक प्रमुख माध्यम होगा। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा ‘निश्चित, शुद्ध और सुरक्षित’ है। सूर्य से ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति के कारण इसका हमेशा मिलना सुनिश्चित रहता है तथापर्यावरण के अनुकूल होने के कारण यह शुद्ध होती है और इसके अलावा यह हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए एक सुरक्षित स्रोत भी है।

श्री मोदी ने कहा कि इस तरह की सौर ऊर्जा परियोजनाएं आत्मानिर्भर भारत (स्व-विश्वसनीय भारत) का सही प्रतिनिधित्‍व करती हैं। 

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता और प्रगति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अर्थव्यवस्था या फिर पारिस्थितिकी पर ध्यान केंद्रित करने की दुविधा का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं और अन्य पर्यावरण के अनुकूल उपायों पर ध्यान केंद्रित करके ऐसी दुविधाओं का समाधान किया है। उन्‍होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी विरोधाभासी नहीं हैं बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार के सभी कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जीवन सुगमता को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने स्वच्छ भारत, गरीबों के घरों में एलपीजी सिलेंडरों की आपूर्ति, सीएनजी नेटवर्क के विकास जैसे कार्यक्रमों का जिक्र किया, जिसमें जीवन को आसान बनाने तथा  गरीबों और मध्यम वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा केवल कुछ परियोजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीने का एक तरीका है।

उन्‍होंने कहा कि जब नवीकरणीय ऊर्जा की बड़ी परियोजनाएं शुरू की जाती हैं तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि स्वच्छ ऊर्जा के प्रति दृढ़ संकल्प जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई दे। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि इसका लाभ देश के हर कोने, समाज के हर वर्ग, हर नागरिक तक पहुंचे। उन्होंने इस बारे में एलईडी बल्बों का उदाहरण पेश करते हुए बताया कि किस तरह से इनके इस्‍तेमाल ने बिजली के बिल को कम किया है। एलईडी बल्बों के इस्‍तेमाल की वजह से लगभग 4 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड को पर्यावरण में जाने से रोका जाता है। उन्होंने कहा कि इससे 6 अरब यूनिट बिजली की बचत हुई है जिससे सरकारी खजाने के 24,000 करोड़ रुपये बचे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ‘हमारे पर्यावरण, हमारी हवा, हमारे पानी को भी साफ बनाए रखने की दिशा में काम कर रही है और यह सोच सौर ऊर्जा, नीति और रणनीति में भी दिखाई देती है।

श्री मोदी ने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की अनुकरणीय प्रगति दुनिया के लिए दिलचस्‍पी की एक बड़ी वजह होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रमुख कदमों के कारण, भारत को स्वच्छ ऊर्जा का सबसे आकर्षक बाजार माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को सौर ऊर्जा के मामले में पूरी दुनिया को एकजुट करने के मकसद से शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके पीछे वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड की भावना थी।

प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि मध्य प्रदेश के किसान सरकार के ‘कुसुम’  कार्यक्रम का भरपूर लाभ उठाएंगे और अपनी भूमि में आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करेंगे।उन्होंने आशा व्यक्त की कि बहुत जल्द भारत पावर का एक प्रमुख निर्यातक होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत फोटोवोल्टिक सेल, बैटरी और स्टोरेज जैसे सौर संयंत्रों के लिए आवश्यक विभिन्न हार्डवेयर के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है और सरकार उद्योग, युवाओं, एमएसएमई और स्टार्टअप्स को इस अवसर से न चूकने और सौर ऊर्जा के लिए आवश्यक सभी वस्‍तुओं के उत्पादन और बेहतरी के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

कोविड महामारी के कारण चल रहे संकट का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार या समाज के लिए, करुणा और सतर्कता इस कठिन चुनौती से निपटने के लिए सबसे बड़े प्रेरक तत्व हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की शुरुआत से ही सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और ईंधन की आपूर्ति की जाए। उन्होंने कहा कि इसी भावना के साथ  सरकार ने अनलॉकिंग के चरण में भी इस साल नवंबर तक खाद्य और एलपीजी की मुफ्त आपूर्ति जारी रखने का फैसला किया।यही नहीं, सरकार निजी क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों के कर्मचारी भविष्‍य निधि खाते में भी पूरा योगदान दे रही है। इसी तरह, पीएम-स्वनिधि योजना के माध्यम से वे लोग लाभान्वित हो रहे हैं जिनके पास व्‍यवस्‍था तक पहुंच के सबसे कम संसाधन हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मध्यप्रदेश के लोग अपने राज्‍य को तरक्‍की के रास्‍ते पर आगे ले जाने के लिए अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें दो गज की दूरी बनाए रखने, चेहरे पर मास्‍क पहनने और कम से कम 20 सेंकेंड तक साबुन से हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करना चाहिए।

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प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी की सामाजिक संस्‍थाओं के साथ किया संवाद

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से वाराणसी के उन गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के प्रतिनिधियों के साथ संवाद किया जो कोविड-19 के इस संकटकाल में गरीबों की मदद के लिए पूरी तन्‍मयता के साथ काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के बावजूद पूरे उत्साह और उम्‍मीदों के साथ काम करने के लिए पुण्‍य एवं पावन नगरी वाराणसी के लोगों की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

श्री मोदी ने कहा कि उन्हें निरंतर इस आशय की जानकारियां मिलती रही हैं कि कैसे यहां के लोग पूरी जीवटता एवं सेवा भाव के साथ जरूरतमंदों की मदद में जुटे हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए उठाए जा रहे विभिन्न कदमों, विभिन्न अस्पतालों की मौजूदा स्थिति, क्‍वारंटाइन की व्यवस्था और प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए ठोस इंतजाम के बारे में निरंतर जानकारियां प्राप्त करते रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक पुरानी मान्यता है कि काशी में कोई भी भूखा नहीं सोएगा क्योंकि इस शहर पर मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ का विशेष आर्शीवाद रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हम सभी के लिए अत्‍यंत सौभाग्य की बात है कि इस बार भगवान ने हम सबको गरीबों की सेवा का माध्यम बनाया है।

उन्होंने कहा कि इस पावन नगरी में विभिन्न धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाए जाने के बावजूद वाराणसी के लोगों ने यह साबित कर दिखाया है कि वे कोरोना के खिलाफ अपनी लड़ाई में किसी से भी पीछे नहीं हैं और इसके साथ ही वे खाद्य पदार्थों और चिकित्सा सामग्री की निरंतर आपूर्ति कर गरीबों एवं जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने विभिन्न सरकारी निकायों और स्थानीय प्रशासन के निकायों के साथ मिलकर जरूरतमंदों की मदद हेतु निरंतर काम करने के लिए गैर सरकारी संगठनों या सामाजिक संस्‍थाओं के प्रयासों की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतने कम समय में फूड हेल्पलाइन एवं कम्युनिटी किचन का व्यापक नेटवर्क तैयार करना, हेल्पलाइन विकसित करना, डेटा साइंस की मदद लेना, वाराणसी स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंव कमांड सेंटर का भरपूर उपयोग करना काफी बड़ी बात है जिसका मतलब यही है कि हर स्तर पर सभी ने गरीबों की मदद के लिए पूरी क्षमता के साथ काम किया है।

उन्होंने विस्तार से बताया कि जब जिला प्रशासन के पास भोजन बांटने के लिए अपनी गाड़ियां कम पड़ गईं तो डाक विभाग किस तरह से उसकी मदद के लिए आगे आया। संत कबीरदास को उद्धृत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि सेवा करने वाला सेवा का फल नहीं मांगता है, दिन-रात निःस्वार्थ भाव से सेवा करता है!

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई विशेषज्ञों ने भारत की विशाल आबादी और कई अन्य चुनौतियों को ध्‍यान में रखते हुए भारत की महामारी से लड़ने की क्षमताओं पर सवाल उठाया। उन्‍होंने कहा कि 23-24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में संक्रमण के काफी तेजी से फैलने की आशंकाएं इस राज्य के लोगों के सहयोग और कड़ी मेहनत की बदौलत निराधार साबित हुई हैं। उन्‍होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि उत्तर प्रदेश में न सिर्फ संक्रमण की गति अब नियंत्रण में है, बल्कि जिन्हें कोरोना हुआ है, वे भी तेजी से ठीक हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार जरूरतमंदों को विभिन्न तरह की सुविधाएं प्रदान कर रही है और लगभग 80 करोड़ लोग उन योजनाओं से लाभान्वित होने जा रहे हैं जिनके तहत न केवल मुफ्त राशन, बल्कि मुफ्त सिलेंडर भी दिए जा रहे हैं।

उन्‍होंने कहा कि भारत, जहां अमेरिका के मुकाबले दोगुनी आबादी है, एक पैसा लिए बिना उनका भरण-पोषण कर रहा है। और अब तो इस योजना को नवंबर के आखिर, यानी दीपावली और छठ पूजा तक बढ़ा दिया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाराणसी के व्यापारियों और कारोबारियों के साथ-साथ विभिन्न शिल्पकारों, विशेषकर बुनकरों की भी तरह-तरह की परेशानियों को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 8000 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न अवसंरचना और अन्य परियोजनाएं बड़ी तेजी से कार्यान्वित की जा रही हैं।  -PIB

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रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण छह पुलों का ई-उद्घाटन किया

जम्मू-कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के निकट स्थित संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों एवं पुलों की कनेक्टिविटी में एक नई क्रांति का सूत्रपात करते हुए रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्‍ली में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से छह प्रमुख पुलों को राष्ट्र को समर्पित किया। सामरिक दृष्टि से अत्‍यंत महत्वपूर्ण इन पुलों का निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रिकॉर्ड समय में पूरा किया।

रक्षा मंत्री ने रिकॉर्ड समय में छह पुलों का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए बीआरओ के सभी योद्धाओं को बधाई दी। रक्षा मंत्री ने इसके साथ ही सर्वाधिक दुर्गम इलाकों और अत्‍यंत खराब मौसम में भी मुस्‍तैदी के साथ काम करके राष्ट्र निर्माण में बहुमूल्‍य योगदान देने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने कहा कि सड़कें एवं पुल किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा हैं और इसके साथ ही ये दूर-दराज के क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। रक्षा मंत्री ने जम्मू-कश्मीर में विकास से जुड़े कार्यों को प्राथमिकता देने संबंधी केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी नियमित रूप से इन परियोजनाओं की प्रगति पर करीबी नजर रख रहे हैं। यही नहीं, इन परियोजनाओं का समय पर कार्यान्‍वयन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराई जा रही है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘लोगों को कनेक्‍ट करने वाले इन पुलों का उद्घाटन ऐसे समय में करना सचमुच एक सुखद अनुभव है जब पूरी दुनिया सामाजिक दूरी बनाए रखने, एक-दूसरे से अलग रहने पर विशेष जोर दे रही है (कोविड19 के कारण)। मैं इस अहम कार्य को बड़े कौशल के साथ पूरा करने के लिए सीमा सड़क संगठन को बधाई देता हूं।’

बीआरओ की सराहना करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘बीआरओ द्वारा पूरी प्रतिबद्धता के साथ देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों और पुलों का निरंतर निर्माण करना दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुंच सुनिश्चित करने संबंधी सरकार के विजन को साकार करने में मददगार साबित होगा। सड़कें किसी भी राष्ट्र की जीवन रेखा हैं।’ उन्‍होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक ताकत हैं, बल्कि ये दूरस्‍थ क्षेत्रों को मुख्यधारा से जोड़ने का भी कार्य करती हैं। दरअसल, चाहे सशस्त्र बलों की सामरिक आवश्यकता हो या स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यापार से संबंधित अन्य विकास कार्य हों, ये सभी कनेक्टिविटी से ही संभव हो पाते हैं।

जम्मू-कश्मीर के लोगों के उल्‍लेखनीय सहयोग के लिए उनका धन्यवाद करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘मुझे पूरा भरोसा है कि आधुनिक सड़कों और पुलों के निर्माण से इस क्षेत्र में समृद्धि आएगी। हमारी सरकार देश की सीमाओं पर बुनियादी ढांचागत विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर के विकास में हमारी सरकार की गहरी रुचि है। जम्मू-कश्मीर की जनता और सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कई अन्य विकास कार्य भी जल्‍द ही शुरू किए जाने हैं, जिनकी घोषणा उचित समय पर की जाएगी। वर्तमान में जम्मू क्षेत्र में लगभग 1,000 किलोमीटर लंबी सड़कें निर्माणाधीन हैं।’

रक्षा मंत्री ने यह माना कि पिछले दो वर्षों में नवीनतम तकनीकों और अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करके बीआरओ ने 2,200 किलोमीटर से अधिक की कटाई की है, लगभग 4,200 किलोमीटर लंबी सड़कों की विशिष्‍ट ऊपरी सतह बनाने का काम किया है तथा लगभग 5,800 मीटर लंबे स्थायी पुलों का निर्माण किया गया है।

 उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सामरिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण सड़कों के निर्माण के लिए बीआरओ को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। उन्‍होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद सरकार बीआरओ के संसाधनों को कम नहीं होने देगी। इसके साथ ही मंत्रालय बीआरओ के इंजीनियरों और कर्मियों की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखेगा।

उपर्युक्‍त छह पुलों का उद्घाटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं राज्य मंत्री, प्रधानमंत्री कार्यालय; कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय; परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में किया गया। जम्मू के सांसद श्री जुगल किशोर शर्मा वीडियो लिंक के माध्यम से साइट पर मौजूद थे।

कठुआ जिले में तरनाह नाले पर दो पुल और अखनूर/जम्मू जिले में अखनूर-पल्लनवाला रोड पर स्थित चार पुल 30 से 300 मीटर तक फैले हुए हैं और ये कुल 43 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए। बीआरओ के ‘प्रोजेक्ट संपर्क’ द्वारा निर्मित इन पुलों से सशस्त्र बलों को सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में आवाजाही करने में काफी सुविधा होगी। यही नहीं, ये पुल दूरस्‍थ सीमावर्ती क्षेत्रों के समग्र आर्थिक विकास में भी अहम योगदान देंगे।

यह स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में बीआरओ द्वारा कार्यान्वित कार्यों में काफी तेजी आई है। यह इस तथ्य से स्पष्ट होता है कि वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में बीआरओ ने लगभग 30 प्रतिशत अधिक कार्यों का सफलतापूर्वक पूरा किया है। यह सरकार की ओर से पर्याप्त बजटीय सहायता देने और ढांचागत सुधारों के स‍कारात्‍मक प्रभावों के साथ-साथ बीआरओ द्वारा पूरे फोकस के साथ/समर्पित प्रयास करने से ही संभव हो पाया है।

बीआरओ का वार्षिक बजट वित्त वर्ष 2008-2016 के दौरान काफी भिन्‍न 3,300 करोड़ रुपये से लेकर 4,600 करोड़ रुपये तक रहा, लेकिन वित्त वर्ष 2019-2020 में यह तेज उछाल के साथ 8,050 करोड़ रुपये के उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गया। सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में बेहतरी पर सरकार के फोकस के मद्देनजर वित्त वर्ष 2020-2021 में इसका बजट 11,800 करोड़ रुपये होने की संभावना है। इससे मौजूदा परियोजनाओं को काफी बढ़ावा मिलेगा और इसके साथ ही हमारी उत्तरी सीमाओं के आसपास सामरिक दृष्टि से महवपूर्ण सड़कों, पुलों और सुरंगों के निर्माण में तेजी आएगी।

इस अवसर पर बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने राष्ट्र निर्माण में बीआरओ के योगदान को रेखांकित किया और निरंतर मार्गदर्शन एवं सहयोग के लिए रक्षा मंत्री का धन्यवाद किया तथा इसके साथ ही उन्‍होंने भरोसा व्यक्त किया कि बीआरओ सरकार द्वारा निर्धारित हमारे समग्र राष्ट्रीय सामरिक उद्देश्यों के अनुरूप तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्‍त करने के लिए अपने प्रयास निरंतर जारी रखेगा।

इस अवसर पर दिल्ली में थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवाने, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार एवं बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह और साइट पर सेना एवं नागरिक प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद उपस्थित थे। -P I B

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अंतरराष्ट्रीय वेबिनार – “कोविड 19 पैनडेमिक : रोल ऑफ़ बायोटेक्नोलोजिस्ट्स”

क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर, भारत और बायोटेक्नॉलोजी सोसायटी ऑफ़ नेपाल के संयुक्त तत्वावधान में आज अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन ज़ूम प्लेटफ़ॉर्म पर प्रातः 11.30 बजे से आयोजित किया गया. इसका शीर्षक था- “कोविड 19 पैनडेमिक : रोल ऑफ़ बायोटेक्नोलोजिस्ट्स”. इस वेब-संगोष्ठी की आयोजन सचिव डॉ. श्वेता चंद (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) और संयोजिका डॉ. सुनीता वर्मा (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वनस्पतिविज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) थीं. इस वैश्विक महामारी में विविध क्षेत्रों में शोधकर्ताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है. इसी सन्दर्भ में आज की यह वेब-संगोष्ठी अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

          कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र का आरम्भ कार्यक्रम-संयोजिका, डॉ. सुनीता वर्मा (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वनस्पतिविज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर, भारत) द्वारा सभी के स्वागत से हुआ. हर शुभ कार्य के निर्विघ्न संपन्न होने हेतु ईश्वर के आशीष आवश्यक हैं, जिसके निमित्त प्रार्थना रेवरेंड सैमुअल पॉल लाल (सचिव, महाविद्यालय प्रबंध-तंत्र) द्वारा की गई. इस कार्यक्रम की आवश्यकता को बताते हुए कॉलेज के प्राचार्य, डॉ. जोज़ेफ़ डेनियल ने स्पष्ट किया कि इस महामारी के कारण समस्त विश्व में आर्थिक, सामाजिक व स्वास्थ्य संबंधी विकट समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं. उनके अनुसार ऐसी स्थिति में बायोटेक्नोलोजिकल शोध की आवश्यक और महत भूमिका है, जिसके माध्यम से इस संकट से उबरने के मार्ग खोजे जा सकते हैं, चाहे वैक्सीन हो या दवाई की खोज हो. 

         श्री नबीन एन. मुनाकरनी, अध्यक्ष, बायोटेक्नॉलोजी सोसायटी ऑफ़ नेपाल, ने इस वेब-संगोष्ठी का ध्येय बताते हुए आज के इस विपदाग्रस्त समय में बायोटेक्नोलोजिकल सिद्धांतों की महत्ता को स्पष्ट किया. साथ ही उन्होंने बायोटेक्नॉलोजी सोसायटी ऑफ़ नेपाल का संक्षिप्त परिचय देते हुए उसके विविध कार्यों पर प्रकाश डाला. 

         कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. नीलिमा गुप्ता, कुलपति, सी एस जे एम विश्वविद्यालय, कानपुर, ने कोरोना की महामारी से युद्ध करने में सक्रिय विभिन्न वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों के साथ बायोटेक्नोलोजिस्ट्स की भूमिका को सराहा. साथ ही इस दिशा में शोध के क्षेत्र में भारत में कार्य कर रहे विभिन्न संस्थानों के महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा की, विशेषकर फरीदाबाद के रिजनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलोजी. आज के कार्यक्रम के दूसरे विशिष्ट अतिथि इं. डॉ. ऋषि शाह थे, जो आई यू सी एन, नेपाल के चेयरपर्सन हैं. उन्होंने आज के समय की आवश्यकता सही दिशा में कार्य और उचित निर्णय को बताया जो कोविड 19 की दवाई या वैक्सीन की खोज में निर्णायक सिद्ध होंगे. कार्यक्रम के संरक्षक, प्रो. डॉ. श्याम नारायण लाभ ने भी सभी प्रतिभागियों को संबोधित किया और आम जीवन को सहज बनने में  बायोटेक्नोलोजिस्ट्स की भूमिका की सराहना की. 

           उद्घाटन सत्र के पश्चात तकनीकी सत्र में प्रथम वक्ता डॉ. सुबोध कुमार सिंह थे, जो जी एस मेमोरियल हॉस्पिटल , वाराणसी के निदेशक हैं. उनके वक्तव्य का विषय था – “मेडिकल एस्पेक्ट्स ऑफ़ कोविड-19”. एक चिकित्सक की दृष्टि से उन्होंने कोरोना से संबंधित जानकारी प्रस्तुत की. प्रत्येक नागरिक की इस आपदा के समय क्या ज़िम्मेदारी होनी चाहिए और इस बीमारी से बचाव के क्या उपाय सभी को करने चाहिए, इन सब बातों पर उन्होंने विस्तार से प्रकाश डाला. 

               दूसरे वक्ता प्रो. अरुण एस. खरात थे, जो जे एन यू, नई दिल्ली के माइक्रोबायोलोजी विभाग से संबद्ध हैं. उनके वक्तव्य का विषय था- “डायग्नोसिस एंड ट्रीटमेंट ऑफ़ कोविड 19”. उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी तक कोरोना के इलाज की कोई दवाई या वैक्सीन की खोज नहीं हो सकी है. रैम्डेसिविर के विषय में भी अभी निश्चित निर्णय नहीं लिया गया है, केवल एस ओ एस रूप में ही दिया जा सकता है. इसलिए इस बीमारी से बचाव और इसके इलाज की सभी संभावनाओं पर विचार किया जाना आवश्यक है. 

               अगले वक्ता डॉ. निरंजन कोइराला थे, जो डी आर.के आर आई बी बी के निदेशक हैं और बायोटेक्नॉलोजी सोसायटी ऑफ़ नेपाल के आजीवन सदस्य हैं. उनके वक्तव्य का विषय था – “को-लिविंग विद कोरोना वायरस: डीकोडिंग द कोविड-19”. उन्होंने बताया कि यह महामारी समस्त सभ्यता के लिए एक त्रासदी है और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके दूरगामी प्रभाव होंगे. सभी स्थानों पर धीरे-धीरे अनलॉक प्रक्रिया आरम्भ होने से सबकी ज़िम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है. इस वायरस के रहने पर भी सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने का मार्ग निकालना आवश्यक है.

               इस कार्यक्रम के अंतिम वक्ता डॉ. भूपाल जी. श्रेष्ठ थे, जो नेपाल की काठमांडू यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलोजी विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं. उनके वक्तव्य का विषय था – “रोल ऑफ़ बायोटेक्नोलोजिस्ट्स इन कोविड-19 पैनडेमिक – अ नेपलीज़ पर्सपेक्टिव”. उन्होंने बताया कि बायोटेक्नोलोजिस्ट्स की भूमिका दवाई की खोज और उसके विकास से गहन रूप से संबंधित है. वे विभिन्न क्षेत्रों और शास्त्रों से संबद्ध वैज्ञानिकों के साथ मिलकर नूतनता की खोज में जुटे रहते हैं. 

               इस अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक वेब-संगोष्ठी की मॉडरेटर सुश्री प्रतिमा तमांग और सुश्री सुशीला आचार्य थीं. 

              धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ. श्वेता चंद द्वारा प्रस्तुत किया गया. साथ ही संयोजिका डॉ. सुनीता वर्मा द्वारा समापन वक्तव्य दिया गया. इस अत्यंत सफल वेब-संगोष्ठी में 500 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना ज्ञानवर्धन किया. 

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केंद्रीय एचआरडी मंत्री ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए परीक्षाओं पर यूजीसी के संशोधित दिशानिर्देश एवं विश्वविद्यालयों के लिए अकादमिक कैलेंडर जारी किए

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक‘ ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए 6 जुलाई, 2020 को नई दिल्ली में वर्चुअल रूप से परीक्षाओं पर यूजीसी के संशोधित दिशानिर्देश एवं विश्वविद्यालयों के लिए अकादमिक कैलेंडर जारी किए। श्री पोखरियाल ने कहा कि यह निर्णय छात्रों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, निष्पक्ष एवं समान अवसर प्रदान करने के सि़द्धांतों के रक्षोपाय के लिए लिया गया। इसी के साथ-साथ अकादमिक साख, कैरियर के अवसर तथा वैश्विक रूप से छात्रों की भविष्य की प्रगति सुनिश्चित करना भी बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कोविड-19 महामारी के कठिन समय में शिक्षण, अध्ययन, परीक्षाओं, अकादमिक कैलेंडर आदि से संबंधित विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए निरंतर प्रयास करने हेतु यूजीसी की पहलों की सराहना की।

अप्रैल 2020 में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इस पर विचार करने एवं परीक्षाओं एवं अकादमिक कैलेंडर पर दिशानिर्देशों से संबंधित मुद्दों के संबंध में अनुशंसाएं करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। समिति की रिपोर्ट के आधार पर, यूजीसी ने 29.04.2020 को परीक्षाओं एवं अकादमिक कैलेंडर पर दिशानिर्देशों को जारी किया था। यूजीसी ने विशेषज्ञ समिति से आग्रह किया था कि वह दिशानिर्देशों पर फिर से विचार करे और परीक्षाओं, विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों में परीक्षाओं, नामांकनों के तथा नए अकादमिक सत्र की शुरुआत के लिए विकल्प सुझाए क्योंकि कोविड के मामलों की संख्या अभी भी बढ़ रही है। आयोग ने 06.07.2020 को आयोजित अपनी आकस्मिक बैठक में समिति की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और ‘कोविड-19 महामारी को देखते हुए विश्वविद्यालयों के लिए परीक्षाओं एवं अकादमिक कैलेंडर पर यूजीसी के संशोधित दिशानिर्देश’ को अनुमोदित कर दिया।

दिशानिर्देश की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैंः

  • भारत में कोविड-19 महामारी से संबंधित आकस्मिक स्थिति को देखते हुए, छात्रों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, निष्पक्ष एवं समान अवसर प्रदान करने के सि़द्धांतों का रक्षोपाय करना महत्वपूर्ण है। इसी के साथ-साथ अकादमिक साख, कैरियर के अवसर तथा वैश्विक रूप से छात्रों की भविष्य की प्रगति सुनिश्चित करना भी बेहद आवश्यक है। छात्रों के अकादमिक मूल्यांकन किसी भी शिक्षा प्रणाली में बेहद महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं। परीक्षाओं में निष्पादन छात्रों को आत्म विश्वास और संतोष देता है और यह उस क्षमता, प्रदर्शन तथा साख को प्रतिबिंबित करता है जो वैश्विक स्वीकार्यता के लिए आवश्यक है।
  • विश्वविद्यालयों/संस्थानों द्वारा सितंबर, 2020 के अंत तक ऑफलाइन (पेन एवं पेपर)/ऑनलाइन/ब्लेंडेड (ऑनलाइन+ऑफलाइन) मोड में टर्मिनल सेमेस्टरों/फाइनल वर्ष/परीक्षाओं का संचालन किया जाए।
  • बैकलौग वाले टर्मिनल सेमेस्टरों के छात्रों/फाइनल वर्ष के छात्रों का अनिवार्य रूप से संभाव्यता एवं उपयुक्तता के अनुसार ऑफलाइन (पेन एवं पेपर)/ऑनलाइन/ब्लेंडेड (ऑनलाइन+ऑफलाइन) मोड में परीक्षाओं का संचालन करने के द्वारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
  • ऐेसे मामले में, जब टर्मिनल सेमेस्टर/फाइनल वर्ष का कोई छात्र, जिस भी किसी कारण से विश्वविद्यालय द्वारा संचालित परीक्षा में उपस्थित होने में अक्षम है, उसे ऐसे पाठ्यक्रमों/पेपरों के लिए विशेष परीक्षा में भाग लेने का अवसर दिया जा सकता है, जिसका संचालन विश्वविद्यालय द्वारा जब भी और जहां भी संभव हो, किया जा सकता है जिससे कि छात्र को कोई भी असुविधा/नुकसान न हो। उपरोक्त प्रावधान केवल एक बार के कदम के रूप में वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2019-20 में लागू होगा।
  • इंटरमीडिएट सेमेस्टर/वर्ष परीक्षा के संबंध में दिशानिर्देश, जैसा कि 29.04.2020 को अधिसूचित हुआ है, अपरिवर्तित रहेंगे।
  • अगर आवश्यकता पड़ी तो विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में नामांकनों तथा अकादमिक कैलेंडर से संबंधित संगत विवरण अलग से 29 अप्रैल, 2020 को जारी पहले के दिशानिर्देशों में उल्लेखित विवरणों के स्थान पर जारी किए जाएंगे।

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दुनिया में प्रति दस लाख आबादी पर कोविड-19 के सबसे कम मामले भारत में

कोरोना संक्रमण की स्थिति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की 6 जुलाई 2020 को जारी रिपोर्ट के अनुसार प्रति दस लाख की आबादी पर कोविड-19 के मामले दुनिया के मुकाबले भारत में सबसे कम हैं। भारत में प्रति दस लाख आबादी पर कोविड-19 के 505.37 मामले हैं जबकि वैश्विक औसत मामले 1453.25 हैं।

चिली में प्रति दस लाख आबादी पर कोविड के 15,459.8  मामले हैं, जबकि पेरू, अमरीका, ब्राजील और स्पेन में यह क्रमश 9070.8, 8560.5, 7419.1 और 5358.7 प्रति दस लाख है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट यह भी बताती है कि दुनिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में प्रति दस लाख आबादी में कोविड से मरने वालों की संख्या भी सबसे कम है। भारत में प्रति दस लाख आबादी पर कोविड से मरने वालों की संख्या 14.27 है जबकि वैश्विक औसत इससे चार गुना से भी अधिक 68.29 है।

ब्रिटेन में प्रति दस लाख आबादी पर कोविड से मरने वालों की संख्या 651.4 है, जबकि स्पेन, इटली, फ्रांस और अमेरिका में यह आंकड़ा क्रमशः 607.1, 576.6, 456.7 और 391.0 है।

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भारत ने कोविड संक्रमण के मामलों से निबटने के लिए पर्याप्त रूप से और प्रभावी ढंग से अस्पताल के बुनियादी ढांचे में सुधार किया है। इन तैयारियों में ऑक्सीजन की व्यवस्था तथा आईसीयू और वेंटिलेटर सुविधाओं की व्यवस्था भी शामिल है। 7 जुलाई 2020 के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस समय देश में 1201 समर्पित कोविड अस्पताल, 2611 कोविड समर्पित स्वास्थ्य देखभाल केंद्र और 9909 कोविड देखभाल केंद्र हैं जहां बहुत गंभीर से लेकर हल्के या मामूली लक्षण वाले कोविड रोगियों का उपचार किया जाता है।

शुरुआती स्तर पर ही कोविड-19 संक्रमण के मामलों पता लगाने और समय पर प्रभावी नैदानिक प्रबंधन के परिणामस्वरूप दैनिक स्तर पर रिकवरी दर में वृद्धि हुई है। पिछले 24 घंटों के दौरान, कुल 15,515 कोविड के मरीज ठीक हुए हैं। इसके साथ ही उपचार के बाद ठीह हुए लोगों की कुल संख्या 4,39,947 हो चुकी है।

कोविड की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय और राज्य सरकारों की ओर से सभी स्तरों पर समन्वित प्रयासों की वजह से ठीक होने वालों की संख्या संक्रमित लोगो की संख्या लगातार ज्यादा हो रही है जो काफी उत्साहजनक है। अब, तक देश में कोविड के सक्रिय मामलों की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या 1,80,390 से अधिक हो चुकी है। कोविड संक्रमितों की रिकवरी दर बढ़कर 61.13 प्रतिशत हो गई है।

वर्तमान में देश में कोविड के 2,59,557 सक्रिय मामले हैं और सभी चिकित्सकीय देखरेख में हैं।

विभिन्न उपायों के साथ “टेस्ट, ट्रेस, ट्रीट” यानी जांच, पहचान और उपचार पर अधिक ध्यान दिए जाने से राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में कोविड परीक्षण की व्यापक सुविधा मिली है। इसके परिणामस्वरूप प्रति दिन 2 लाख से अधिक कोविड के नमूनों की जांच की जा रही है। पिछले 24 घंटों के दौरान 2,41,430 नमूनों की जांच की गई। इसके साथ ही देश में अबतक कोविड के कुल 1,02,11,092 नमूनों की जांच की जा चुकी है।

विभिन्न राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अधिक संख्या में प्रयोगशालाओं के जुड़ने से देश में कोरोना जांच करने वाली प्रयोगशालाओं का नेटवर्क लगातार बढ़ रहा है। इस समय में देश में कोविड जांच के लिए 793 सरकारी और 322 निजी प्रयोगशालाओं के साथ, कुल 1115 प्रयोगशालाएँ हैं।

 इनमें ये प्रयोगशालाएं शामिल हैं:

  • रियल टाइम आरटी पीसीआर आधारित जांच प्रयोगशालाएं : 598 (सरकारी: 372 + निजी: 226)
  • ट्रूनेट आधारित जांच प्रयोगशालाएं : 423 (सरकारी: 388 + निजी: 35)
  • सीबीएनएएटी आधारित जांच प्रयोगशालाएं : 94 (सरकारी: 33 + निजी: 61)

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