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अमृतसर-जामनगर ग्रीनफील्‍ड कॉरिडोर सितम्‍बर 2023 तक पूरा होगा

केन्‍द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि अमृतसर-जामनगर ग्रीनफील्ड कॉरिडोर एनएचएआई द्वारा विकसित किए जा रहे सबसे महत्वपूर्ण ग्रीनफील्ड कॉरिडोर में से एक है और इसका निर्माण पूरी क्षमता से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पूरा कॉरिडोर सितम्‍बर 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है। ट्वीट्स की एक श्रृंखला में श्री गडकरी ने विशेष रूप से सूचित किया, बीकानेर से जोधपुर तक 277 किलोमीटर के खंड को इस वर्ष के अंत तक पूरा करने और जनता के लिए खोलने का लक्ष्य है।

Imageगडकरी ने कहा कि 1,224 किलोमीटर लंबा प्रमुख अमृतसर-भटिंडा-जामनगर कॉरिडोर 26,000 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत से बनाया जा रहा है और यह चार राज्‍यों- पंजाब, हरियाणा, राजस्‍थान और गुजरात के अमृतसर, बठिंडा, संगरिया, बीकानेर, सांचौर, समाखियाली और जामनगर जैसे आर्थिक शहरों को जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में ग्रीनफील्डर कॉरिडोर के निर्माण के साथ हम देश में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।  गडकरी ने कहा कि कॉरिडोर देश के उत्तरी औद्योगिक और कृषि केन्‍द्रों को पश्चिमी भारत के प्रमुख बंदरगाहों जैसे जामनगर और कांडला से जोड़ेगा। इससे बद्दी, बठिंडा और लुधियाना के औद्योगिक क्षेत्रों के मुख्‍य मार्ग से निकले हुए रास्‍तों और दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे के जम्मू और कश्मीर राज्य के जुड़ने से औद्योगिक क्रांति को बढ़ावा मिलेगा। राजमार्ग मंत्री ने कहा कि ट्रांस-राजस्थान कॉरिडोर पारगमन समय और ईंधन की रसद लागत को काफी कम कर देगा, इससे प्रतिस्पर्धी वैश्विक निर्यात बाजार में खड़ा होने में मदद मिलेगी।

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केन्‍द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कन्हेरी गुफाओं में विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया

केन्‍द्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री (डोनर) श्री जी. किशन रेड्डी ने आज बोरीवली के नजदीक संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कन्हेरी गुफाओं में पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया। संस्‍कृति मंत्री ने कहा, “कन्हेरी गुफाएं हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं क्योंकि वे हमारे उद्भव और अतीत का प्रमाण प्रदान करती हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर किए गए कार्यों का उद्घाटन करना सौभाग्य की बात है। बुद्ध का संदेश संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए आज भी महत्‍वपूर्ण है।”

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श्री रेड्डी ने कहा कि हमारी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में रुचि दिखाना और उसकी जिम्मेदारी लेना प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है। संस्‍कृति मंत्री ने कहा कि हमारी विरासत की रक्षा, संरक्षण और प्रचार-प्रसार में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉरपोरेट और सिविल सोसाइटी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां इन खजानों तक पहुंच सकें। इंडियन ऑयल फाउंडेशन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में कन्हेरी में उन्नत पर्यटक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के कार्य में शामिल है। वर्तमान इमारत में आगन्‍तुक मंडप, रखवाली करने वालों के आवास, बुकिंग ऑफिस को अपग्रेड करने के साथ उनका नवीनीकरण किया गया है। बुकिंग काउंटर से लेकर कस्टोडियन क्वार्टर तक के क्षेत्र को प्राकृतिक दश्‍यों से सुशोभित किया गया है। चूंकि गुफाएं जंगल के मुख्य क्षेत्र में आती हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती है, इसके बावजूद सौर ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली की व्यवस्था की गई है। आगंतुकों की रुचि बनाए रखने के लिए सरल और सुविधाजनक विवेचना केन्‍द्र की स्‍थापना की गई है जिसमें ग्यारह व्‍याख्‍यात्‍मक पैनलों की मदद से प्रमुख गुफाओं की उत्कृष्ट विशेषताओं और अद्वितीयता को उजागर किया गया है। कन्हेरी का ट्रेल मैप यानी रास्‍ता दिखाने वाला नक्‍शा एक और महत्वपूर्ण विशेषता है जो आगंतुकों का समय बचाने में मदद करता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूरे मठ परिसर के 3डी वर्चुअल टूर पर भी काम कर रहा है। कन्हेरी गुफाएं मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में बड़े पैमाने पर बेसाल्ट आउटक्रॉप में गुफाओं का समूह और कटी हुई चट्टानों से बने स्मारकों का एक समूह है। इनमें बौद्ध मूर्तियां और राहत नक्काशी, पेंटिंग और शिलालेख हैं, जो पहली शताब्दी सीई से 10वीं शताब्दी सीई तक की हैं। पानी के अनेक जलाशयों के साथ खुदाई की सतह और क्षेत्र, शिलालेख, एक सबसे पुराना बांध, एक स्तूप दफन गैलरी और उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली इसकी एक आश्रम और तीर्थ केन्‍द्र के रूप में लोकप्रियता का संकेत देती है। कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण में और क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किए गए दान के माध्यम से फला-फूला।

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संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के असामयिक निधन पर सम्मान स्‍वरूप कल पूरे देश में एक दिवसीय राजकीय शोक मनाया जाएगा

संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान का असामयिक निधन हो गया है। भारत सरकार ने दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान में पूरे देश में एक दिन का राजकीय शोक मनाने की घोषणा की है।

राजकीय शोक के दिन पूरे देश में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है। इस दिन कोई भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।

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स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिये असम और अरुणाचल प्रदेश में काष्ठशिल्प और अगरबत्ती उद्योग को गति देने में केवाईआईसी का बड़ा प्रयास

खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग (केवाईआईसी)ने असम और अरुणाचल प्रदेश में 100 महिलाओं सहित 150 प्रशिक्षित खादी शिल्पकारों को स्व-रोजगार की विभिन्न गतिविधियों से जोड़ा है। केवाईआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 50 शिल्पकारों को काष्ठकला की मशीनें वितरित कीं। इसी तरह उन्होंने गुवावाटी, असम में शिल्पकारों को अगरबत्ती बनाने वाली 50 मशीनें और अचार बनाने वाली 50 मशीनों का वितरण किया। पहली बार केवाईआईसी ने मशीनों द्वारा काष्ठकला का प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय युवाओं को दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य तवांग के स्थानीय जनजातीय युवाओं के लिये स्थायी रोजगार उत्पन्न हो सकें। इसका एक और उद्देश्य है राज्य की पारंपरिक काष्ठकला को दोबारा जीवित करना। सभी काष्ठ शिल्पकार बीपील परिवारों से सम्बंधित हैं तथा केवाईआईसी 20 दिनों का समग्र प्रशिक्षण देता है। प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद इन शिल्पकारों को मशीनें प्रदान की जाती हैं।

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शनिवार को, श्री सक्सेना ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएम-ईजीपी) के तहत 50 महिला शिल्पकारों को अगरबत्ती बनाने वाली 50 मशीनें वितरित कीं, ताकि वे अपनी अगरबत्ती निर्माण इकाइयां स्थापित कर सकें। इसका एक और उद्देश्य है कि स्थानीय अगरबत्ती उद्योग को मजबूत किया जाये। उल्लेखनीय है कि असम में अगरबत्ती निर्माण में बहुत रोजगार हैं। केवाईआईसी ने इसके लिये एक व्यापारिक साझीदार को भी जोड़ा है, जो असम का सफल स्थानीय अगरबत्ती निर्माता है। वह कच्चा माल उपलब्ध करायेगा तथा इन 50 महिला उद्यमियों को मजदूरी चुकाते हुये उनके द्वारा बनाई गई समस्त अगरबत्तियां खरीदेगा। केवाईआईसी अध्यक्ष श्री सक्सेना ने कहा कि पूर्वोत्तर में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुये खादी गतिविधियों को प्रधानमंत्री की परिकल्पना “आत्मनिर्भर भारत” के साथ जोड़ा गया है। उन्होंने कहा, “केवाईआईसी ने पूर्वोत्तर में स्थायी रोजगार सृजन और पारंपरिक शिल्प को मजबूत करने पर लगातार जोर दिया है। केवाईआईसी के समर्थन से काष्ठशिल्प, अगरबत्ती निर्माण और अचार बनाने जैसे कृषि व खाद्य-आधारित उद्योगों के बल पर स्थानीय युवा व महिलायें सशक्त बनेंगी तथा उनके घर में ही रोजगार के अवसर मिलेंगे।” उल्लेखनीय है कि हाल में ही केवाईआईसी ने अरुणाचल प्रदेश में दो ‘अरि रेशम प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्र’ खोलेहैं। साथ ही तवांग में मोनपा हस्तनिर्मित कागज उद्योग को दोबारा जीवित किया गया है। इसके अतिरिक्त केवाईआईसी ने पिछले दो वर्षों में अगरबत्ती और गोल बांस की छड़ी निर्माण सहित बांस उत्पादों की 430 इकाइयां असम और अरुणाचल प्रदेश में स्थापित की हैं।

 

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प्रधानमंत्री ने लुम्बिनी, नेपाल में मायादेवी मंदिर के दर्शन किये

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों

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तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के लिये।फिर सोचने लगा!
मेरे बच्चे सब अपनी मर्ज़ी ही करते है।मै उनकी हर ख्वाहिश पूरी करताहूँ,क्या वो भी मेरी कोई इच्छा या ज़रूरत पूरी कर पायेंगे?
ये कैसे कैसे सवाल आज मेरे मन मे आ रहे है ?शेखर ने सोचा।शायद थका हुआ हूँ तभी ऐसे विचार मेरे मन में आ रहे हैं।तभी मीरा आई और शेखर से कहा जल्दी से तैयार हो जाओ।आज पुनीत के यहाँ किटी पर जाना हैं।शेखर थका हुआ था सोचा कि बोल दूँ ,कि तुम ही हो आओ।फिर सोचा इस किटी में उसके दोस्त भी होगें।वो जायेगा तो अच्छा भी लगेगा।बेमन से उठा और तैयार होने के लिये अपने कमरे मे चला गया।दोनों थोड़ी ही देर मे पुनीत के यहाँ पहुँच गये।
सब से मिले ,बाते चली ,गाने बजाने नाचने का माहौल ने शेखर को तरोताज़ा कर दिया।रात को काफ़ी देर तक पार्टी चली।शेखर ने मीरा को चलने का इशारा किया और वो दोनों वहाँ से निकल पड़े।रास्ते में मीरा ने शेखर से पार्टी की बात छेड़ दी ,कहा आज सोनिया ने नये डायमंड के टॉपस पहने हुये थे।बता रही थी कि उसके पति ने उसे शादी की सालगिरह का तोहफ़ा दिया और ये भी कह रही थी, बारह लाख के बनवाये।तुनक कर बोली!पता नही,क्या समझती है खुद को और ज़िद्द करने के लहजे से शेखर से बोली !मुझे भी वैसे ही कानों के टॉपस चाहिए।शेखर ने कहा ,ले लेना।ये कौन सी बड़ी बात है। फिर मीरा ने इक और तीर चलाया।कहने लगी और देखा था,रश्मि ने इतना सुन्दर डायमंड का सैट पहना हुआ था।बता रही थी तीस लाख का लिया था।उसके पति ने उस को पचासवीं सालगिरह पर तोहफ़ा दिया है।वो भी चहक चहक कर सब को दिखा रही थी।शेखर मुझे भी वैसा ही सैट चाहिए । शेखर जो पीये हुये भी था कहने लगा !ले लेना।हम कौन सा कम है किसी से। जब सुबह दोनों चाय पीने बैठे तो भी मीरा ने फिर वही बातें दोहरा दी।शेखर ने कहा ! हाँ मैं भी देख रहा था पुनीत मित्तल अपनी फरारी गाड़ी की कितनी ढींगे मार रहा था।मैं भी लैमबरगीनी गाड़ी निकलवाता हूँ ताकि लोगों को भी पता लगना चाहिए कि हम भी किसी से कम नहीं।अपनी 4 कनाल की कोठी की बात ,पता नहीं कितनी दफ़ा अपने दोस्तों के सामने की उसने। क्या समझता है खुद को,हम भी अब 8 कनाल की कोठी लेंगे जल्दी ही, अब बडे लोगों के बीच रहना है तो ये सब तो करना ही पड़ेगा ।शेखर चाय पी कर जल्दी से फ़ैक्ट्री चला गया, दोस्तों कोई बड़ी बात नही।पैसा हो तो खर्च भी करना चाहिए।जो इच्छा हो, पूरी भी करनी चाहिए। देखा जाये ,तो औरतो का सपना होता है बड़ा घर ,पैसा ,गाड़ी और भी बहुत कुछ डिमांड करती रहती है पतियों से ।मगर देखने मे ये आता है जितनी बड़ी माँग को पूरा करना होता है ।पति को उतनी ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ।कई बार तो साम दाम दंड भेद कोई भी तरीक़े से पैसा कमाया जाता है।ज़मीर तक दावँ पर लगा डालते हैं। शराफ़त से कमाई गई दौलत से इक सादा सच्चा जीवन जीया जा सकता है।बड़े बड़े शौक़ पूरे नही किये जा सकते। ये अलग बात है बड़ी बड़ी फ़ैक्टरियों की आमदनी से ये सब संभव भी है दोस्तों !
डायमंड जिसे मै सिर्फ़ इक चमकता हुआ पत्थर ही कह सकती हूँ और सोना जिसे पीले रंग की धातु मात्र ही समझती हूँ और इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती ,ये सब चीज़ें हमारे दुख सुख मे काम भी आते है। ये बैंक बैलेंस ,ये ज़मीनें जायदाद जो हम पता नही ,कैसे कैसे किसी को दुख दे कर या किसी की आह ले कर ,बड़ी ख़ुशी के साथ इकट्ठा करते है जो अंत मे हमारा साथ न देंगी और मरने के बाद हमसे जब बल छल से किये गये करमो का हिसाब माँगा जायेगा तो कोई बच्चा या पत्नी इल्ज़ाम अपने सर नही लेगी कि मेरे कहने पर मेरे पति ने मुझे हीरे का सैट या जुलरी लेने के लिये ही ऐसा कोई करम बना लिया ।हमारी औरतों की बड़ी बड़ी इच्छायें आदमियों से ऐसे ऐसे काम करवा देती है जो उसके शरीर तो भुगतता ही है ,रूह पर भी दाग लग ज़ाया करते है। ये सोशल गैदरिगं मे यही सब हो रहा है आजकल।इक दूसरे से आगे निकलने की रेस। आनन्द लीजिए !इन सोशल नेटवर्किंग का ,मगर कोई ऐसी इच्छा अपने पति के सामने न रखे जिसे पूरा करते वक़्त वो अपना ईमान ही बेच डाले।
अग्नि के इर्द गिर्द फेरे लेने का मतलब ये नहीं ,उसे अपनी इच्छा पूर्ति का ज़रिया बना लिया जायें। उनकी भी अपनी इच्छा होती होगी ,पत्नियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कई पुरुष औरत की हर इच्छा को पूरा करने के लिए कई हदें पार कर देता है और अगर पुरूष की ख़ास इच्छा हो ,जिसमें उसकी ख़ुशी हो ,तो पूरे परिवार को भी उस इच्छा का सम्मान भी करना चाहिए और कहीं न कहीं शायद हम सब ही अपने पिता या पति के प्रयासों के लिये ढंग से आभार भी प्रकट नही कर पाते। अगर आप सच में रानी बनना चाहतीं है तो अपने पति को राजा बनाये न कि अपना या अपनी इच्छायों का गुलाम। कहीं ऐसा न हो कि पति को ये लगने लगे।
“शौक़ तेरे भी थे और मेरे भी,मगर “ईमान”मेरा बिक गया ..तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”।

स्मिता केंथ

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू के कठुआ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत रिकॉर्ड 68 सड़कों के निर्माण की समीक्षा की

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं पीएमओ, कार्मिक और लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू के कठुआ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत रिकॉर्ड 68 सड़कों के निर्माण कार्य पूरे होने की समीक्षा की और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल-नाहयान के निधन के सम्मान में आज मनाए गए राजकीय शोक के कारण औपचारिक उद्घाटन को टाल दिया।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 547 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित 526 किलोमीटर तक की हर मौसम उपयुक्त सड़कों से एक लाख 20,000 से अधिक लोगों को लाभ हो सकता है, जिनमें से अधिकांश दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न गंभीर चुनौतियों के बावजूद कुछ को छोड़कर सभी परियोजनाओं को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद देश में विकास की रफ्तार से, विशेष रूप से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में, समझौता में नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि सड़कें एक विकासशील राष्ट्र की जीवन रेखा होती हैं जिनसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि उत्पादों के विपणन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लाभ मिलता है और साथ ही इससे समाज को अनेक फायदे मिलते हैं।

मंत्री ने 29.50 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 22 पुलों के पूरा होने के कार्य की भी समीक्षा की जिनका जल्द ही लोकार्पण किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के पिछले 7-8 वर्षों में देश में कार्य संस्कृति में भारी बदलाव आया है और परियोजनाओं को अब किसी अन्य बातों के बजाय आवश्यकता-आधारित जरूरतों को देखते हुए मंजूरी दी जा रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई सड़क परियोजनाओं की स्वीकृति में स्थानीय सांसदों या विधायकों द्वारा किए गए अनुरोध के बजाय सरपंचों और अन्य स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के विचारों को प्राथमिकता दी जाती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि उनके संसदीय क्षेत्र उधमपुर-कठुआ-डोडा को 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में पीएमजीएसवाई अनुदान का सबसे अधिक आवंटन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि नई परियोजनाओं के लिए पीएमजीएसवाई की केंद्रीय निधि के 4,175 करोड़ रुपये में से करीब 3,884 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो उधमपुर-कठुआ-डोडा के पहाड़ी और दुर्गम इलाकों की निधि का लगभग दो-तिहाई है, समीक्षा बैठक में डॉ. जितेंद्र ने केंद्रशासित प्रदेश में सड़क संपर्क को मजबूत करने की दिशा में सरकार की पहल पर प्रकाश डाला और कहा कि वर्तमान सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता है कि जम्मू और कश्मीर के हर हिस्से को तेजी से विकास के लिए एक टिकाऊ सड़क नेटवर्क मिले। उन्होंने कहा कि सरकार पीएमएवाई, पीएमजीएसवाई और मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ दूरस्थ पंचायतों और ब्लॉकों और जम्मू-कश्मीर के अन्य कठिन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों से पीआरआई सदस्यों के साथ समन्वय में काम करने और बेहतर समन्वय व तालमेल के लिए एसओपी बनाने का आग्रह किया ताकि समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। डीडीसी अध्यक्ष, उधमपुर श्री लाल चंद, डीडीसी अध्यक्ष, डोडा श्री. धनतेर सिंह, डीडीसी अध्यक्ष, किश्तवाड़ पूजा ठाकुर, डीडीसी अध्यक्ष, रामबन डॉ. शमशाद शान, डीडीसी अध्यक्ष सांबा, श्री. केशव शर्मा, डीडीसी अध्यक्ष रजौरी एडवोकेट नसीम लियाकत और डीडीसी अध्यक्ष, रियासी श्री सराफ सिंह नाग भी बैठक में शामिल हुए।

बैठक में कठुआ के डीसी श्री राहुल पांडे, उधमपुर की डीसी कृतिका ज्योत्सना, सांबा की डीसी अनुराधा गुप्ता, रामबन के डीसी श्री मुसरत इस्लाम, किश्तवाड़ के डीसी श्री अशोक कुमार शर्मा, डोडा के डीसी श्री विकास शर्मा और रियासी डीसी बबीला रखवाल ने भी हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि सितंबर, 2020 में डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू क्षेत्र के कठुआ, डोडा, उधमपुर और रियासी जिलों में 23 सड़कों और पुलों की परियोजनाओं का अनावरण किया था। लगभग 73 करोड़ रुपये की लागत और 111 किलोमीटर की लंबाई वाली परियोजनाओं से इस क्षेत्र के 35,000 से अधिक लोगों को लाभ मिला। 23 परियोजनाओं में पीएमजीएसवाई के तहत संपर्क के लिए हर मौसम में उपयुक्त 15 सड़कें और लोगों को बेहतर संपर्क के लिए 8 पुल शामिल हैं।

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इस्पात मंत्रालय द्वारा गंगटोक शहर में हिंदी सलाहकार समिति की बैठक आयोजित

इस्‍पात मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक कल ‘गंगटोक’, सिक्किम में इस्‍पात मंत्री, श्री राम चन्‍द्र प्रसाद सिंह की अध्‍यक्षता में सम्‍पन्‍न हुई। समिति के उपाध्‍यक्ष इस्‍पात राज्‍य मंत्री एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री, श्री फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते भी इस बैठक में उपस्थित रहे। इस्पात मंत्री ने सभी सदस्‍यों द्वारा मंत्रालय और उपक्रमों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए दिए गए सुझावों का स्‍वागत किया। उन्होंने सदस्‍यों को आश्‍वस्‍त किया कि उनके द्वारा दिए गए रचनात्‍मक सुझावों पर यथोचित व यथाशीघ्र कार्रवाई की जाएगी। साथ ही प्रधानमंत्री से प्रेरणा लेकर हमें बिना किसी झिझक के हिंदी में बोलना चाहिए और कार्य करना चाहिए। इस्‍पात मंत्री ने सर्वोच्च प्रति व्यक्ति आय और जैविक कृषि के लिए सिक्किम राज्य की प्रशंसा की। उन्होंने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम सभी को अपनी मातृभाषा और राजभाषा के प्रचार-प्रसार के लिए निरंतर कार्य करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें सरकारी कामकाज में सरल और सुगम हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए और अवकाश आवेदन जैसे दस्तावेज राजभाषा हिंदी में दिए जाएं। उन्होंने राजभाषा हिंदी के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं को भी बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने हिंदी में साफ-साफ और पूरे हस्ताक्षर करने पर भी जोर दिया। इस्‍पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने प्रतिभागी सदस्यों को आश्वासन दिया कि मंत्रालय तथा इसके सभी उपक्रम , सदस्यों द्वारा दिए गए बहुमूल्य सुझावों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। बैठक में हिंदी सलाहकार समिति के  सदस्य श्री गोपाल कृष्ण फरलिया, डॉ. रिंकु कुमारी, श्री देशपाल सिंह राठौर, श्री महेश बंशीधर अग्रवाल और डॉ. प्रणव शर्मा ‘शास्त्री’ उपस्थित थे। इस मौके पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में से एनएमडीसी लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री सुमित देब, आरआईएनएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री अतुल भट्ट, एमएसटीसी लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री सुरेन्द्र कुमार गुप्ता, केआईओसीएल लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री टी. सामिनाथन और मेकॉन लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, श्री सलिल कुमार भी मौजूद थे।

मुख्य लेखा नियंत्रक एवं प्रभारी राजभाषा, श्री साकेश प्रसाद सिंह ने समिति के सदस्यों का स्वागत किया। नवगठित हिंदी सलाहकार समिति की यह दूसरी बैठक थी। पहली बैठक दिनांक 03 मार्च, 2022 को मदुरै में आयोजित की गई थी। सचिव (इस्पात), श्री संजय सिंह और अपर सचिव, श्रीमती रूचिका चौधरी गोविल ने भी इस मौके पर अपने विचार व्यक्त किए। सचिव श्री संजय सिंह ने कहा कि यह सर्वश्रेष्ठ समय है जब हम अपने सभी उपक्रमों और कार्यालयों में राजभाषा का शत-प्रतिशत कार्यान्वयन सुनिश्चित कर सकते हैं। इस्पात मंत्रालय में उप-निदेशक (रा.भा.), श्रीमती आस्था जैन ने संघ की राजभाषा नीति पर पावर प्‍वाइंट प्रस्‍तुतिकरण दिया। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा भी अपने उपक्रमों में राजभाषा नीति के कार्यान्वयन की स्थिति पर संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई। समिति द्वारा हिंदी की प्रगति की विस्‍तृत समीक्षा की गई और हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने की दिशा में मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की गई। हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यों ने राजभाषा हिंदी के प्रोत्साहन एवं संवर्धन के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए।

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इस अवसर पर इस्‍पात मंत्री ने संबंधित उपक्रमों में कार्यालय के दैनिक काम-काज में राजभाषा में कार्य करने के प्रति समर्पित अधिकारियों/कर्मचारियों को ‘राजभाषा निष्ठा सम्‍मान’ पुरस्कार प्रदान किए।  इस मौके पर इस्पात मंत्री एवं इस्पात राज्य मंत्री द्वारा द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों नामतः आरआईएनएल (सुगंध), एनएमडीसी (खनिज भारती) और सेल (इस्पात भाषा भारती) की गृह पत्रिकाओं का विमोचन किया गया। संयुक्त सचिव, श्री अभिजीत नरेन्द्र द्वारा  अध्‍यक्ष महोदय एवं समिति के सदस्‍यों को धन्‍यवाद ज्ञापन के साथ बैठक सम्‍पन्‍न हुई।

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17वें मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का आयोजन हाइब्रिड मोड में होगा: महोत्सव निदेशक

विश्व सिनेमा के विविध रूपों को प्रस्तुत करने वाले, मुंबई अंतर्राष्ट्रीय वृत्तचित्र, लघु कथा और एनिमेशन फिल्म महोत्सव (एमआईएफएफ) का 17वां संस्करण आयोजित किया जा रहा है। एमआईएफएफ 2022 की शुरुआत 29 मई को नेहरू सेंटर ऑडिटोरियम, वर्ली, मुंबई के उद्घाटन समारोह से होगी और यह 4 जून 2022 को पुरस्कार वितरण समारोह के साथ समाप्त होगा। 17वें एमआईएफएफ के प्रतिनिधियों को इस वर्ष उच्च स्तरीय और विविधतापूर्ण सामग्री का अनुभव प्राप्त होगा। प्रतिनिधि, पंजीकरण और विवरण के लिए www.miff.in पर लॉग ऑन कर सकते हैं। फिल्म डिवीजन के डीजी और एमआईएफएफ के निदेशक श्री रविंदर भाकर ने आज मुंबई में संवाददाता सम्मलेन को संबोधित करते हुए मीडिया को पंजीकरण के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “मीडिया पंजीकरण आज से शुरू हो रहा है। मैं आप सभी को पंजीकरण करने और इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं।“ उन्होंने यह भी बताया कि उत्सव में भाग लेने को प्रोत्साहन देने के लिए 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी छात्रों के लिए पंजीकरण को निःशुल्क रखा गया है। निदेशक ने कहा कि 17वें एमआईएफएफ का आयोजन हाइब्रिड मोड में होगा और यह सुविधा राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) द्वारा प्रदान की जा रही है।

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अपनी प्रसिद्धि के अनुरूप, एमआईएफएफ 2022 को दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं से बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और महोत्सव के लिए 30 देशों से 808 फिल्म-प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं। ‘प्रतियोगिता’ और ‘एमआईएफएफ प्रिज्म’ श्रेणी में 120 फिल्मों की स्क्रीनिंग के अलावा, फिल्म प्रेमियों के लिए विशेष फिल्म पैकेज, मास्टरक्लास और कार्यशालाओं की श्रृंखला भी तैयार की गई है। एमआईएफएफ 2022 में नेटफ्लिक्स की मूल श्रृंखला “माइटी लिटिल भीम: आई लव ताजमहल” एपिसोड का वर्ल्ड प्रीमियर होगा। भारत और जापान के सहयोग से निर्मित पहली एनीमेशन फिल्म ‘रामायण: द लीजेंड ऑफ प्रिंस राम’ की भी एमआईएफएफ में विशेष स्क्रीनिंग होगी। फिल्म अपने पहले लॉन्च के 30 साल पूरे होने का उत्सव मना रही है। महोत्सव निदेशक ने इस एमआईएफएफ में फिल्म प्रभाग द्वारा की जा रही पहलों के बारे में जानकारी दी। उन्हीने कहा, “हम कला की इस शैली को प्रोफेशनल तरीके से बढ़ावा देना चाहते थे, इसलिए हम प्रमुख राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। फिल्म निर्माताओं के लिए बी2बी के अवसर, सफलता के अनंत द्वार खोलेंगे।”

प्रमुख बातें

बांग्लादेश की आजादी के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में इस साल बांग्लादेश को ‘फोकस देश’ चुना गया है। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म ‘हसीना- ए डॉटर्स टेल’ सहित बांग्लादेश की 11 फिल्मों का एक विशेष पैकेज एमआईएफएफ 2022 में प्रस्तुत किया जाएगा।

भारत की वृत्तचित्र संस्कृति में फिल्म प्रभाग के योगदान को विशेष रूप से तैयार किये गए पैकेज, ‘इमेज-नेशन’ द्वारा प्रदर्शित किया जाएगा।

विशेष पैकेज जैसे ऑस्कर फिल्म पैकेज, शॉर्ट्स टीवी द्वारा निर्मित पैकेज, इटली और जापान से विशेष फिल्म पैकेज तथा आईएफएफआई के हाल के संस्करणों से भारतीय पैनोरमा आदि; फिल्म प्रेमियों के लिए आकर्षण के केंद्र होंगे।

राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान (एनआईडी), अहमदाबाद, सत्यजीत रे फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), कोलकाता, महाराष्ट्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) पुणे, के आर नारायणन फिल्म संस्थान, केरल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के ‘स्टूडेंट फिल्म पैकेज’; युवा प्रतिभा की भावना को प्रदर्शित करेंगे। इसके साथ ही स्टूडेंट्स एनिमेशन डॉक्यूमेंट्री फिल्म्स, म्यांमार और स्टूडेंट्स एनिमेशन फिल्म फेस्टिवल, ब्राजील की फिल्में की भी प्रस्तुति होगी।

इसी तरह, पूर्वोत्तर भारत की फिल्में, पॉकेट फिल्म्स प्लेटफॉर्म की सर्वश्रेष्ठ लघु कथा फ़िल्में और सत्यजीत रे की फिल्म ‘सुकुमार रे’ के संरक्षित संस्करण की विशेष स्क्रीनिंग भी की जायेगी।

अन्य आकर्षण होंगे – इंडियन डॉक्यूमेंट्री प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन का कार्यक्रम ओपन फोरम और भारत पर्यटन के सांस्कृतिक कार्यक्रम।

मास्टरक्लास

एमआईएफएफ 2022 में फिल्म जगत के विशेषज्ञों और प्रमुख व्यक्तियों द्वारा मास्टरक्लास और कार्यशालाओं की श्रृंखला का संचालन किया जाएगा। एमआईएफएफ 2022 में मास्टरक्लास श्रेणी के तहत पद्म श्री रेसुल पुकुट्टी द्वारा ‘एस्थेटिक्स ऑफ साउंड इन सिनेमा’ विषय पर; मीडिया जगत के रिजवान अहमद द्वारा ‘स्क्रीन से ओटीटी प्लेटफॉर्म तक सिनेमा का विस्तार – कोविड-युग के बाद सिनेमा’ विषय पर कार्यक्रम प्रस्तुत किये जायेंगे।

ऑस्कर और ब्रिटिश एकेडमी ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन आर्ट्स (बाफ्टा) के जूरी श्री कार्टर पिल्चर ‘ऑस्कर के लिए फिल्म का चयन’ विषय पर व्याख्यान देंगे।

एनिमेशन फिल्म डिजाइनर पीसी सनथ की ‘वीएफएक्स: द एवर-इवोल्विंग टूल फॉर स्टोरीटेलिंग’ कार्यशाला भी फिल्म प्रेमियों की सूची में शीर्ष पर रहेगी।

बीते समय की फ़िल्में और श्रद्धांजलि

तीन देशों – पुर्तगाल, रूस और कनाडा की बीते समय के फ़िल्म पैकेजों के प्रदर्शन से एनिमेशन प्रेमियों को प्रसन्नता होगी। पुर्तगाली एनिमेटर रेजिना पेसोआ; रूसी एनिमेशन निर्देशक, अलेक्सांद्र पेट्रोव; कनाडा के एनिमेटर जेनेट पर्लमैन आदि की प्रस्तुतियां एनीमेशन प्रेमियों के लिए उत्सव के समान होंगी।

वृत्तचित्र और एनीमेशन शैली के फिल्म निर्माताओं, जिनका हाल के दिनों में निधन हुआ है, को ‘श्रद्धांजलि’ वर्ग के तहत विशेष स्क्रीनिंग के द्वारा स्मरण किया जाएगा। इनमें शामिल हैं -कनाडा के प्रसिद्ध पिन स्क्रीन एनिमेटर, जैक्स ड्रोइन; इटली की पहली महिला वृत्तचित्र फिल्म निर्माता सेसिलिया मंगिनी; भारत के जाने माने निर्देशक बुद्धदेब दासगुप्ता; बहुआयामी सुमित्रा भावे; राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता व मणिपुर के प्रसिद्ध छायाकार, इरोम माईपक व अन्य।

‘इंडिया@75’ विषय पर आधारित फिल्म के लिए विशेष पुरस्कार; सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए गोल्डन कोंच पुरस्कार

वें एमआईएफएफ की सर्वश्रेष्ठ फिल्म को सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार गोल्डन कोंच से सम्मानित किया जाएगा। इसमें 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। अन्य पुरस्कारों में सिल्वर कोंच, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र के साथ एक लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक के नकद पुरस्कार दिए जाते हैं। महोत्सव के समापन के दिन सर्वश्रेष्ठ स्टूडेंट फिल्म के लिए एक लाख रुपये और ट्रॉफी का आईडीपीए पुरस्कार तथा सर्वश्रेष्ठ नवोदित निर्देशक के लिए दादासाहेब फाल्के चित्रनगरी पुरस्कार भी प्रदान किये जायेंगे।

प्रतिष्ठित डॉ. वी शांताराम लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, जिसमें 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, ट्रॉफी और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है, एक फिल्म निर्माता को वृत्तचित्र फिल्मों एवं भारत में इस विधा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार महोत्सव के प्रत्येक संस्करण में दिया जाता है। 4 जून को समापन समारोह में विभिन्न प्रतियोगिता श्रेणियों के लिए पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इस वर्ष शुरू किये गए विशेष पुरस्कार श्रेणी के बारे में फिल्म प्रभाग के महानिदेशक ने कहा, “भारत@75″ विषय पर सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म के लिए एक लाख रुपये नकद और ट्रॉफी के साथ एक विशेष पुरस्कार की स्थापना की गयी है।”

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केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने नासिक में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल की नींव रखी

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और स्वास्थ्य एवम् परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने महाराष्ट्र में नासिक के शिंदे में आज एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) के निर्माण की नींव रखी। प्रस्तावित ईएमआर स्कूल का लक्ष्य नासिक के दूरदराज के आदिवासी गांवों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।

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उद्घाटन समारोह में बोलते हुए श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि शिंदे में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल की योजना जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आसपास के आदिवासी इलाकों में उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बनाई है। उन्होंने कहा, “ईएमआर स्कूल, सीबीएसई पाठ्यक्रम का पालन करेंगे।” केन्‍द्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि ईएमआरएस ऐसी योजना है, जिसके तहत पूरे भारत में आदिवासियों (एसटी) के लिए मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि उत्तरपूर्व, छत्तीसगढ़, गुजरात और ओडिशा समेत देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसे ही स्कूल खोले जाने की योजना है। श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और इसमें शिक्षा की भूमिका पर उनके विचारों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय कार्य मंत्रालय आदिवासी इलाकों में छात्रों को उन्नत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर भी खुशी जताई कि आसपास के इलाके में आदिवासी किसान अंगूर, स्ट्रॉबेरी, प्याज आदि की खेती कर रहे हैं और उन्होंने आदिवासियों से उनके बच्चों को स्कूल भेजने की अपील भी की। नींव रखे जाने के बाद आदिवासी नृत्य और संगीत का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया गया।

2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषणा की गई थी कि 50 प्रतिशत और कम से कम 20,000 से अधिक की आदिवासी आबादी वाले प्रखंडों में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल बनाए जाएंगे। सरकार ने देशभर में 452 नए स्कूल बनाने की योजना बनाई है। एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए खोला जा रहा है, जिसमें न केवल अकादमिक शिक्षा पर जोर होगा, बल्कि इसमें आदिवासी छात्रों के संपूर्ण विकास पर जोर दिया जाएगा। इसमें कक्षा 6 से लेकर 12 तक के छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा और एक स्कूल की क्षमता 480 छात्रों की होगी। फिलहाल पूरे देश में नवोदय विद्यालय की तर्ज पर 384 एकलव्य स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिनमें स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए बेहद उन्नत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के अलावा खेल और कौशल विकास में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ईएमआरएस स्कूलों में छात्रों के समग्र विकास की जरूरतों को परिसर में ही पूरा करने की सुविधाएं मौजूद हैं और इनमें मुफ़्त रहने-खाने की व्यवस्था के साथ शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

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