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“अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद, जम्मू-कश्मीर भारत की भावी विकास यात्रा का पथप्रदर्शक बनकर उभरेगा”:  केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

 “अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, जम्मू और कश्मीर भारत की भावी विकास यात्रा का पथप्रदर्शक बनकर उभरेगा।” यह बात केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज अनुच्छेद 370 के निरस्त होने की पांचवीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर दूरदर्शन समाचार को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कही।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि पहली बार जम्मू-कश्मीर में बेकार पड़े प्राकृतिक संसाधन और निष्क्रिय रहे मानव संसाधन का उभार हुआ है। इसका ताजा उदाहरण भद्रवाह से शुरू हुई “बैंगनी क्रांति” है, जिसने भारत को कृषि-स्टार्टअप की एक नई शैली दी है। “बैंगनी क्रांति” भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण मूल्यवर्धन करेगी क्योंकि यह अगले कुछ वर्षों में तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी और फिर शीर्ष पर पहुंच जाएगी।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री श्री जितेंद्र सिंह ने कहा, “अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के ऐतिहासिक फैसले ने जम्मू-कश्मीर की बड़ी आबादी को नागरिकता का अधिकार दिलाया, जो पिछले सात दशकों से इससे वंचित थी।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “चूंकि हम 5वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, इसलिए कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम बेहद उल्लेखनीय हैं। पिछले 5 वर्षों में मोटे तौर पर चार स्तरों यानी लोकतांत्रिक, शासन, विकास और सुरक्षा स्थिति पर बदलाव हुआ है।”

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि लोकतांत्रिक स्तर पर जम्मू-कश्मीर में बसने वाले पाकिस्तानी शरणार्थियों को सात दशकों तक मताधिकार से वंचित रखा गया, जबकि उनमें से दो लोग भारत के प्रधानमंत्री बने, जिनमें श्री आई.के. गुजराल और डॉ. मनमोहन सिंह शामिल हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि वे अनुच्छेद 370 के समर्थक होने का दिखावा करते रहे, लेकिन वास्तव में वे अपने निहित स्वार्थों के लिए आम जनता का शोषण करने के लिए अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग करते थे। उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे आपातकाल के दौरान सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल 5 से बढ़ाकर 6 वर्ष कर दिया गया था। फिर 3 वर्षों के बाद, मोरारजी सरकार ने इसे पुनः 5 वर्ष कर दिया, लेकिन जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन सरकार ने पहले केंद्रीय कानून को तुरंत अपना लिया, मगर अनुच्छेद 370 का बहाना बनाकर दूसरे कानून को आसानी से नजरअंदाज कर दिया और जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल 5-6 अगस्त, 2019 तक छह वर्ष ही रहने दिया। यह दर्शाता है कि कैसे कुछ लोगों ने अपने निहित स्वार्थों के लिए अनुच्छेद 370 का दुरुपयोग किया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कट्टरपंथियों और उनके समर्थकों के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने सख्त निर्णायक रुख अपनाया है और जिन लोगों का नई दिल्ली में पाक दूतावास अतिथि के रूप में स्वागत करता था, उन्हें अब दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा जा रहा है, जो दर्शाता है कि सरकार भारत विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करती है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय ध्वज फहराना कभी कई लोगों के लिए एक सपना जैसा था लेकिन, अब जम्मू-कश्मीर में हर सरकारी कार्यालय पर तिरंगा फहराया जाता है।

शासन स्तर पर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि पंचायत अधिनियम के 73वें और 74वें संशोधन को केंद्र की कांग्रेस सरकार ने पेश किया था, लेकिन राज्य की उसी गठबंधन सरकार ने इसे जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण नहीं हो सका क्योंकि 2019 से पहले उनके पास केंद्रीय निधि उपलब्ध नहीं थी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रदेश में सुरक्षा और शांति के संदर्भ में कहा कि हम आतंकवाद के अंतिम चरण में हैं। पिछले दशक में और खासकर अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पिछले 5 वर्षों में केंद्र सरकार आतंकवाद को रोकने में सफल रही है। उन्होंने बताया कि पैटर्न आधारित आतंकवाद में कमी आई है। हाल की आतंकी घटनाओं पर उन्होंने कहा कि आतंकवादी भाग रहे हैं और प्रासंगिक बने रहने के लिए आसान लक्ष्यों पर हमला कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही उन पर भी काबू पा लिया जाएगा।

क्षेत्र में शांति और सौहार्द पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले दो वर्षों में करीब 2.5 करोड़ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक कश्मीर आए हैं। अपने परिवार और प्रियजनों के साथ यहां आने वाले लोग ही प्रदेश में शांति की वापसी का सबूत हैं। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में जी-20 की सफल बैठकें भी इसका प्रमाण हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के युवा अत्यधिक आकांक्षी हैं और क्षेत्र के छात्रों का हालिया प्रदर्शन, चाहे वह सिविल सेवा, खेल और अन्य उच्च शिक्षा हो या फिर पर्यटन और आतिथ्य जैसे क्षेत्र, इस बात का प्रमाण है कि कई वर्षों से इनकी आकांक्षाएं दबी हुई थीं, क्योंकि युवाओं ने उम्मीद खो दी थी, लेकिन, अब उनकी आकांक्षाएं फिर से प्रज्वलित हो गई हैं। इससे युवाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी याद किया कि उनके विभाग ‘डीओपीटी’ ने 2016 में कनिष्ठ स्तर की नौकरियों और नियुक्तियों के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया को समाप्त कर दिया था, लेकिन इसे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद ही लागू किया गया था। उन्होंने कहा कि इन वंचित लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाने के लिए निरस्तीकरण सही कदम है। उन्होंने कहा कि जिन हाथों से पत्थर फेंके जाते थे, वे अब कंप्यूटर और आईपैड पकड़ रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल जम्मू-कश्मीर में मौजूद है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों ने क्षेत्र में रेलवे नेटवर्क के विकास की उपेक्षा की। उन्होंने यह भी याद किया कि कैसे पनबिजली परियोजनाएं वर्षों तक रुकी रहीं और 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद इन्हें प्रारंभ किया गया। उन्होंने कहा कि जल्द ही किश्तवाड़ एक बिजली केंद्र के रूप में उभरेगा।

श्री जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि उधमपुर पीएमजीएसवाई ग्रामीण सड़कों में शीर्ष तीन जिलों में शामिल है। प्रधानमंत्री आवास योजना ने लोगों का सरकार में विश्वास बहाल किया है। केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि जाति, पंथ, धर्म पर विचार किए बिना जरूरतमंदों को सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

कठुआ के विकास पर प्रकाश डालते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एक नए औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहा है। उन्होंने इस क्षेत्र में हाल के दिनों में शुरू हुए आईआईटी, एम्स, आईआईएम और केंद्रीय विश्वविद्यालयों का भी जिक्र किया।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने बैंगनी क्रांति के उभार पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि लैवेंडर की खेती डोडा जिले के एक छोटे से शहर भद्रवाह में शुरू हुई। इसने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है, खासकर तब जब प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात रेडियो कार्यक्रम में इसका उल्लेख किया और और वर्चुअल तरीके से इसके ब्रांड एंबेसडर बने। इसकी झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में भी दिखाया गया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि लैवेंडर की खेती ने युवाओं में कृषि-उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा दिया है और उनकी आय सुरक्षा को बढ़ाया है। अन्य हिमालयी राज्यों ने भी सफलता की इस कहानी का अनुकरण करना शुरू कर दिया है, जैसे कि उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के राज्य।

अपने साक्षात्कार के समापन पर डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “क्षेत्र में शांति और विकास लाने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है, जिन्होंने लोगों को विश्वास जगाया और आश्वासन दिया कि जम्मू-कश्मीर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और मुकुट रत्न की तरह चमकेगा।”