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मेरी डायरी से

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ए बचपन ,
तुझे एक बार फिर से,
जीने को जी चाहता है,,
आज  बचपन में फिर से,,
जाने को ,
जी चाहता है,
वो दोस्तों के संग,
लड़ना, झगड़ना,
इक छोटी सी बात पर
    वो रूठना ,मनाना,,
   वो संगी, वो साथी,
   जिनसे करते थे, बातें ,
   इक दूजे के दिल की ,,
   एक बार फिर उनसे ,
   मिलने,को जी चाहता है,,,
ए बचपन तुझे एक बार••••
   वो घर ,गलियारे,
   वो दर ,वो दीवारें,
   एक बार फिर से,
     उनमें जानेको,
     जी चाहता है,,
ए बचपन तुझे एक बार फिर••••
    माना कि नहीं मुमकिन ,,
     बेबुनियाद हैं ,ये ख्वाहिशें,
     ‘  सिर्फ ख्वाब हैं ‘
       ••• फिर भी,,
    ख्वाबों में ही सही,
    इक बार  फिर से  इन्हें,
, जीने को जी चाहता है,
ए बचपन, तुझे इक बार फिर से
    जीने को जी चाहता है,,,!!

     -हरविंदर

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