भारतीय तटरक्षक बल की तकनीकी टीम ने बांग्लादेशी नाव की खराबी की पहचान करने और उसे ठीक करने की कोशिश की, लेकिन यह पाया गया कि उस नाव का स्टीयरिंग ह्वील पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और समुद्र में इसकी मरम्मत नहीं की जा सकती थी। चूंकि समुद्र के हालात और मौसम की स्थिति अनुकूल थी, इसलिए यह निर्णय लिया गया कि भारतीय तट रक्षक एवं बांग्लादेश तटरक्षक के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के अनुसार, संकटग्रस्त नाव को भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा में खींच लिया जाएगा और फिर उसे आईएमबीएल या बांग्लादेश की सीमा रेखा की तरफ उनके तटरक्षक जहाज अथवा किसी अन्य बांग्लादेशी मछली पकड़ने वाली नाव को सौंप दिया जाएगा।
इस बीच, भारतीय तटरक्षक के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय ने बांग्लादेश तटरक्षक बल के साथ संवाद स्थापित किया और उन्हें इस घटना तथा आगे की कार्ययोजना के बारे में जानकारी प्रदान की। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश तटरक्षक जहाज (बीसीजीएस) कमरुज्जमां को मछली पकड़ने वाली बांग्लादेशी नाव को खींचने के लिए बांग्लादेश तटरक्षक द्वारा तैनात किया गया। बांग्लादेश तटरक्षक बल का जहाज कमरुज्जमां 4 अप्रैल 2024 को लगभग 18:45 बजे भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के पास पहुंचा। भारतीय तटरक्षक के जहाज अमोघ ने 27 बांग्लादेशी मछुआरों को उनकी नाव के साथ बांग्लादेश तटरक्षक बल के जहाज कमरुज्जमां को सौंप दिया।
भारतीय तटरक्षक बल द्वारा संचालित किया गया यह ऑपरेशन सभी बाधाओं के बाद भी समुद्र में बहुमूल्य जीवन को सुरक्षित बचाने के प्रति भारत की वचनबद्धता को प्रदर्शित करता है। इस तरह के सफल खोज एवं बचाव अभियान न केवल क्षेत्रीय एसएआर संरचना को सशक्त करेंगे बल्कि पड़ोसी देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी बढ़ाएंगे। यह भारतीय तटरक्षक बल के आदर्श वाक्य “वयम रक्षामः” के अनुरूप है, जिसका अर्थ है “हम रक्षा करते हैं”।