लोकसभा के 2019 के आम चुनावों में 11 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों अर्थात् बिहार, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर व झारखंड में मतदान प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 67.40 प्रतिशत से कम था। 2019 में राष्ट्रीय औसत से कम मतदान वाले 11 राज्यों के कुल 50 ग्रामीण संसदीय क्षेत्रों में से 40 संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश (22 संसदीय क्षेत्र) और बिहार (18 संसदीय क्षेत्र) से हैं। यूपी में 51-फूलपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.7 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि बिहार में 29-नालंदा संसदीय क्षेत्र में सबसे कम 48.79 प्रतिशत मतदान हुआ।
निगम आयुक्तों और डीईओ को संबोधित करते हुए, सीईसी श्री राजीव कुमार ने कहा कि कम मतदान प्रतिशत वाले कुल 266 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों (215 ग्रामीण और 51 शहरी) की पहचान की गई है और सभी संबंधित निगम आयुक्तों, डीईओ और राज्य सीईओ को लक्षित तरीके से मतदाताओं तक पहुंचने के तरीकों का पता लगाने के लिए आज बुलाया गया है। उन्होंने मतदान केन्द्रों पर कतार प्रबंधन, भीड़भाड़ वाले इलाकों में शेल्टर पार्किंग जैसी सुविधा प्रदान करने; लक्षित पहुंच एवं जानकारी; और लोगों को मतदान केंद्रों पर आने के लिए मनाने के लिए आरडब्ल्यूए, स्थानीय आइकन और युवा प्रभावशाली लोगों जैसे महत्वपूर्ण हितधारकों की भागीदारी की त्रिआयामी रणनीति पर जोर दिया।
सीईसी कुमार ने उन्हें बढ़ी हुई भागीदारी और व्यवहार परिवर्तन के लिए बूथवार कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी एमसी और डीईओ को शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीति तैयार करने और अलग-अलग लक्षित दर्शकों के लिए तदनुसार कार्य योजना बनाने के लिए कहा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “सभी के लिए एक ही तरह की रणनीति ” वाले दृष्टिकोण से परिणाम नहीं मिलेंगे। सीईसी कुमार ने अधिकारियों से इस तरह से कार्य करने का भी आग्रह किया जिससे मतदाताओं में लोकतांत्रिक उत्सव में भाग लेने का गौरव पैदा हो। उन्होंने एक ऐसे आंदोलन का आह्वान किया जिसमें लोग मतदान करने के लिए स्वयं-प्रेरित हों।
ईसीआई और प्रमुख हितधारकों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास वाला यह सम्मेलन, मतदाताओं की उदासीनता दूर करने, लॉजिस्टिक संचालन को सुव्यवस्थित करने और मतदाताओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए एक व्यापक कार्य योजना तैयार करने पर केंद्रित था। चर्चाएं मतदान केंद्रों पर कतार प्रबंधन को अनुकूलित करने, ऊंची इमारतों में मतदान की सुविधा प्रदान करने और प्रभावशाली व्यवस्थित मतदाता शिक्षा व चुनावी भागीदारी (एसवीईईपी) कार्यक्रम का लाभ उठाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केन्द्रित थी।
साझेदारी और समावेशिता पर जोर देते हुए, ईसीआई ने निगम आयुक्तों और डीईओ से इस पहल में सक्रिय रूप से योगदान देने का आग्रह किया। मतदाताओं की सहभागिता में वृद्धि के लिए शहरी विशिष्ट बाधाओं की पहचान की गई और लक्षित शहर विशिष्ट कार्यों की योजना बनाई गई और अधिकारियों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों की विशिष्ट आवश्यकताओं एवं जनसांख्यिकी के अनुरूप, क्षेत्र-विशिष्ट पहुंच कार्यक्रम विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस दृष्टिकोण के अनुरूप, ईसीआई ने एसवीईईपी के तहत नवीन मतदाता जागरूकता अभियानों की एक श्रृंखला की रूपरेखा तैयार की, जिसमें शामिल हैं:
- आवश्यक चुनाव संदेशों से सुसज्जित सार्वजनिक परिवहन और स्वच्छता वाहन चलाना।
- व्यापक प्रसार के लिए उपयोगिता बिलों में मतदाता जागरूकता संदेशों को शामिल करना।
- रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) और मतदाता जागरूकता मंचों के साथ सहयोग करना।
- पार्क, बाज़ार और मॉल जैसे लोकप्रिय सार्वजनिक स्थानों पर जानकारी से भरे सत्रों की मेजबानी करना।
- मतदाताओं में रुचि जगाने के लिए मैराथन, वॉकाथन और साइक्लोथॉन जैसे आकर्षक कार्यक्रम आयोजित करना।
- मतदाता शिक्षा सामग्री का प्रसार करने के लिए होर्डिंग्स, डिजिटल स्पेस, कियोस्क और कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) सहित विभिन्न प्लेटफार्मों का उपयोग करना।
- व्यापक मतदाता पहुंच और जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की शक्ति का लाभ उठाना।
इस सम्मेलन में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद, पुणे, ठाणे, नागपुर, पटना साहिब, लखनऊ और कानपुर के नगर आयुक्तों के साथ-साथ बिहार और उत्तर प्रदेश के चुनिंदा जिला चुनाव अधिकारियों ने भाग लिया। सीईओ बिहार, सीईओ उत्तर प्रदेश, सीईओ महाराष्ट्र और सीईओ दिल्ली ने भी सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें 7 राज्यों कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पंजाब के सीईओ वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।
पृष्ठभूमि:
लगभग 297 मिलियन पात्र मतदाताओं ने 2019 में लोकसभा के आम चुनावों में मतदान नहीं किया, जो समस्या के पैमाने को रेखांकित करता है जिसके लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता है। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में हाल के चुनावों ने चुनावी प्रक्रिया के प्रति शहरी उदासीनता के रुझान को दर्शाता है, जिसके लिए लक्षित उपायों और सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता है।
लोकसभा के 2019 के आम चुनाव में सबसे कम मतदान वाले 50 संसदीय क्षेत्रों में से 17 महानगरों या प्रमुख शहरों में पाए गए जो शहरी उदासीनता की दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृत्ति को दर्शाते हैं। पिछले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी यही प्रवृत्ति देखी गई है। 2022 में गुजरात राज्य विधानसभा के चुनाव में, कच्छ जिले के गांधीधाम विधानसभा क्षेत्र, जहां औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, ने सबसे कम मतदान प्रतिशत 48.14 दर्ज किया, जो 2017 में पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 6 प्रतिशत की जबरदस्त गिरावट है, जो एक नया निचला स्तर दर्ज करता है। इसी प्रकार, 2022 में हिमाचल प्रदेश के जीई से एसएलए, शिमला जिले (राज्य की राजधानी) में शिमला एसी में राज्य के औसत मतदान प्रतिशत 75.78 प्रतिशत के मुकाबले सबसे कम 63.48 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। यह देखा गया है कि प्रतिशत के मामले में सूरत के शहरी विधानसभा क्षेत्रों की तुलना में सभी ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में अधिक मतदान हुआ है। सूरत के सबसे निचले शहरी एसी और सबसे ज्यादा ग्रामीण एसी में अंतर 25 प्रतिशत तक है। इसी प्रकार, कर्नाटक 2023 के राज्य विधानसभा चुनाव में, बैंगलोर (बैंगलोर दक्षिण) में एसी बोम्मनहल्ली ने राज्य के औसत वीटीआर 73.84 प्रतिशत की तुलना में सबसे कम 47.5 प्रतिशत वीटीआर दर्ज किया।
लोकसभा आम चुनाव-2019 में सबसे कम वीटीआर वाले 50 पीसी की सूची
क्र.सं. | राज्य का नाम | पीसी संख्या | पीसी का नाम | पीसी वीटीआर (प्रतिशत) | राज्य वीटीआर (प्रतिशत) |
1 | जम्मू और कश्मीर | 3 | अनंतनाग | 8.98 | 44.97 |
2 | जम्मू और कश्मीर | 2 | श्रीनगर | 14.43 | 44.97 |
3 | जम्मू और कश्मीर | 1 | बारामूला | 34.60 | 44.97 |
4 | तेलंगाना | 9 | हैदराबाद | 44.84 | 62.77 |
5 | महाराष्ट्र | 24 | कल्याण | 45.31 | 61.02 |
6 | बिहार | 30 | पटना साहिब | 45.80 | 57.33 |
7 | तेलंगाना | 8 | सिकंदराबाद | 46.50 | 62.77 |
8 | उत्तर प्रदेश | 51 | फूलपुर | 48.70 | 59.21 |
9 | बिहार | 29 | नालंदा | 48.79 | 57.33 |
10 | बिहार | 35 | काराकट | 49.09 | 57.33 |
11 | महाराष्ट्र | 25 | ठाणे | 49.39 | 61.02 |
12 | तेलंगाना | 7 | मलकाजगिरी | 49.63 | 62.77 |
13 | बिहार | 39 | नवादा | 49.73 | 57.33 |
14 | महाराष्ट्र | 34 | पुणे | 49.89 | 61.02 |
15 | महाराष्ट्र | 31 | मुम्बई दक्षिण | 51.59 | 61.02 |
16 | उत्तर प्रदेश | 43 | कानपुर | 51.65 | 59.21 |
17 | बिहार | 36 | जहानाबाद | 51.76 | 57.33 |
18 | बिहार | 32 | आरा | 51.81 | 57.33 |
19 | उत्तर प्रदेश | 52 | इलाहाबाद | 51.83 | 59.21 |
20 | उत्तर प्रदेश | 58 | श्रावस्ती | 52.08 | 59.21 |
21 | उत्तर प्रदेश | 59 | गौंडा | 52.20 | 59.21 |
22 | उत्तर प्रदेश | 60 | डोमरियागंज | 52.26 | 59.21 |
23 | उत्तराखंड | 3 | अल्मोड़ा | 52.31 | 61.88 |
24 | महाराष्ट्र | 23 | भिवंडी | 53.20 | 61.02 |
25 | तेलंगाना | 10 | चेवेल्ला | 53.25 | 62.77 |
26 | उत्तर प्रदेश | 78 | भदोही | 53.53 | 59.21 |
27 | उत्तर प्रदेश | 39 | प्रतापगढ़ | 53.56 | 59.21 |
28 | बिहार | 37 | औरंगाबाद | 53.67 | 57.33 |
29 | महाराष्ट्र | 29 | मुम्बई उत्तर मध्य | 53.68 | 61.02 |
30 | कर्नाटक | 26 | बेंगलौर दक्षिण | 53.70 | 68.81 |
31 | बिहार | 6 | मधुबनी | 53.81 | 57.33 |
32 | बिहार | 19 | महाराजगंज | 53.82 | 57.33 |
33 | बिहार | 33 | बक्सर | 53.95 | 57.33 |
34 | उत्तर प्रदेश | 37 | अमेठी | 54.08 | 59.21 |
35 | उत्तर प्रदेश | 62 | संत कबीर नगर | 54.20 | 59.21 |
36 | कर्नाटक | 25 | बेंगलौर सेंट्रल | 54.32 | 68.81 |
37 | उत्तर प्रदेश | 72 | बलिया | 54.35 | 59.21 |
38 | महाराष्ट्र | 27 | मुम्बई उत्तर पश्चिम | 54.37 | 61.02 |
39 | उत्तर प्रदेश | 57 | कैसरगंज | 54.39 | 59.21 |
40 | मध्य प्रदेश | 2 | भिंड | 54.53 | 71.20 |
41 | उत्तर प्रदेश | 50 | कौशाम्बी | 54.56 | 59.21 |
42 | बिहार | 34 | सासाराम (अनुसूचित जाति के सुरक्षित) | 54.57 | 57.33 |
43 | बिहार | 18 | सीवान | 54.73 | 57.33 |
44 | कर्नाटक | 24 | बेंगलौर उत्तर | 54.76 | 68.81 |
45 | उत्तर प्रदेश | 35 | लखनऊ | 54.78 | 59.21 |
46 | उत्तर प्रदेश | 68 | लालगंज | 54.86 | 59.21 |
47 | बिहार | 28 | मुंगेर | 54.90 | 57.33 |
48 | महाराष्ट्र | 10 | नागपुर | 54.94 | 61.02 |
49 | उत्तराखंड | 2 | गढ़वाल | 55.17 | 61.88 |
50 | राजस्थान | 10 | करौली-धौलपुर | 55.18 | 66.34 |
नोट : रंगीन पृष्ठभूमि वाली पंक्तियों के पीसी को मेट्रो या प्रमुख शहरों के पीसी के रूप में पहचाना जाता है।
इन चुनौतियों के जवाब में, ईसीआई ने मतदाता भागीदारी और भागीदारी को फिर से मजबूत करने के उद्देश्य से कई पहल लागू की हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मतदान केन्द्रों पर लक्षित हस्तक्षेप के लिए टर्नआउट अमल योजना (टीआईपी) तैयार करना।
- विविध जनसांख्यिकीय समूहों के मतदान केंद्रों के लिए जिला-विशिष्ट थीम तैयार करना।
- मतदाता की पहुंच और जागरूकता प्रयासों का विस्तार करने के लिए प्रमुख हितधारकों के साथ सहयोग करना।
- रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से शिक्षा प्रणाली में चुनावी साक्षरता को औपचारिक बनाना।
- युवा मतदाताओं से जुड़ने और उन्हें प्रेरित करने के लिए राष्ट्रीय प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करना।
- एकीकृत मल्टीमीडिया अभियान और #MeraVoteDeshkeLiye जैसी लक्षित पहल शुरू करना।
- मतदान केन्द्रों पर नवीनतम मतदाता सूची और सरलता से पहुंचने योग्य बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करना
- नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने और पारदर्शिता के लिए आईटी एप्लिकेशन्स के उपयोग को बढ़ावा देना।
- चुनावों के निर्बाध संचालन के लिए चुनाव अधिकारियों को निरंतर प्रशिक्षण प्रदान करना।
भारत का निर्वाचन आयोग नागरिकों को सक्रिय रूप से शामिल करके और मतदाताओं की भागीदारी में आने वाली बाधाओं को दूर करके एक जीवंत लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।