रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे पर स्टेशनों के विकास के लिए ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ शुरू की है। यह योजना दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना करती है। इसमें ऐसे प्रत्येक स्टेशन पर आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए स्टेशन पहुंच, सर्कुलेटिंग एरिया, वेटिंग हॉल, शौचालय, आवश्यकतानुसार लिफ्ट/एस्केलेटर, स्वच्छता, मुफ्त वाई-फाई, ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ जैसी योजनाओं के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के लिए कियोस्क जैसी सुविधाओं में सुधार, बेहतर यात्री सूचना प्रणाली, कार्यकारी लाउंज, व्यावसायिक बैठकों के लिए नामांकित स्थान, भूनिर्माण आदि के लिए मास्टर प्लान तैयार करना और चरणों में उनका कार्यान्वयन शामिल है।
इस योजना में इमारतों के सुधार, शहर के दोनों किनारों के साथ स्टेशन को एकीकृत करने, मल्टीमॉडल एकीकरण, ‘दिव्यांगजनों’ के लिए सुविधाएं, टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल समाधान, गिट्टी रहित ट्रैक का प्रावधान, आवश्यकता के अनुसार ‘रूफ प्लाजा’, लंबी अवधि में स्टेशन पर चरणबद्धता और व्यवहार्यता और सिटी सेंटरों के निर्माण की भी परिकल्पना की गई है।
इस योजना के तहत अब तक विकास/पुनर्विकास के लिए 1318 स्टेशनों की पहचान की गई है। भारतीय रेलवे पर ‘आदर्श स्टेशन योजना’ के तहत 1251 स्टेशनों का विकास किया गया है।
स्टेशनों के विकास और रखरखाव के लिए आवंटन और व्यय का विवरण क्षेत्रीय रेलवे-वार रखा जाता है, न कि राज्य-वार या स्टेशन-वार या योजना-वार। स्टेशनों के विकास और यात्री सुविधाओं के प्रावधान को आम तौर पर योजना शीर्ष – 53 ‘ग्राहक सुविधाएं’ के तहत वित्त पोषित किया जाता है। 02 क्षेत्रीय रेलवे हैं, अर्थात, उत्तर रेलवे (एनआर) और उत्तर पश्चिम रेलवे (एनडब्ल्यूआर) जो पंजाब राज्य को सेवाएं प्रदान करते हैं। वर्ष 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के दौरान योजना शीर्ष-53 के तहत कुल ₹ 1148.74 करोड़ व्यय किए गए हैं और चालू वर्ष का कुल आवंटन ₹ 2613.36 करोड़ है।
‘रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण सहित यात्री सुविधाओं’ पर रेलवे पर स्थायी समिति (17वीं लोकसभा) की छठी रिपोर्ट में निहित सिफारिशों के कार्यान्वयन की स्थिति 08.03.2021 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखी गई है।
यह जानकारी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।