नेहरू और तत्कालीन सत्तारुढ विधान ने संविधान की अनुच्छेद 370 को अस्थायी रुप में स्वीकार किया, लेकिन पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में सत्तारुढ़ पार्टियों द्वारा लंबे समय तक इस बनाए रहने में निहित स्वार्थ होने के बाद इसे जारी रखा।
नई दिल्ली में आयोजित भारत लीडरशिप समिट में दिए एक खास साक्षात्कार में डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्मरण दिलाया कि संविधान सभा में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आपत्ति के बावजूद अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान में सम्मिलित किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन सत्तारुढ़ दल, सत्ता में बने रहने और अपने राजनीतिक हित साधने के लिए इस संवैधानिक प्रावधान के सबसे बड़े दुरुपयोगी थे।
“जम्मू कश्मीर ने इस निहित स्वार्थ के कारण लूट,ब्लैकमेल और छल का लंबा दु:स्वप्न झेला है।“
इसके बाद आंतक और आतंकवाद का जारी रहना भी तत्कालीन जम्मू और कश्मीर के सत्तारुढ़ लोगों के निहित हित में था,जिसके कारण वो सिर्फ 10 प्रतिशत या उससे भी कम मतदान के पश्चात चुनाव में विजयी होते रहते थे और सरकार गठित कर वंशवाद शासन को पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रखते थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि तमाम सरकारें निरंतर विगत कई वर्षों तक वर्ष 1994 में संसद द्वारा पारित जम्मू और कश्मीर पर ऐतिहासिक प्रस्ताव को नकारते रहे।
सरकार का निरंतर और सैद्धांतिक दृष्टिकोण, संसद के दोनो सदनों द्वारा 22 फरवरी,1994 को सभी दलों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकृत प्रस्ताव जिसमें जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के भारत के हमेशा से अभिन्न भाग होने और बने रहने से भी स्थापित होता है। इससे साथ ही प्रस्ताव में पाकिस्तान को पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर से हटाने की बात भी कही गई थी।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अगर अपने गृहमंत्री को जम्मू कश्मीर को भी राजसी राज्यों के अनुरुप संचालित करने की जिम्मेदारी दी होती तो आज भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति अलग होती और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर,भारत का भाग होता।
उन्होंने कहा कि भारत के एकीकरण के दौरान किसी भी तत्कालीन राजसी राज्य में जनमत संग्रह या जनमत की स्वीकृति नहीं दी गई थी तो जम्मू कश्मीर को इसका अपवाद क्यों रखा गया,जब नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के संबंध में जनमत संग्रह की बात की और वर्षों तक एक विवाद को जीवित रखा।
मंत्री महोदय ने कहा कि जब भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के हिस्सों पर फिर से विजय प्राप्त करने वाली थी, उसी समय प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा करना एक बड़ी भूल थी और अब ये हिस्से पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर में हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा एकपक्षीय युद्धविराम घोषित करने से जम्मू और कश्मीर को भागों का नुकसान भी उठाना पड़ा। इस निर्णयों के कारण आज भी भारत को अपनी भूमि और संसाधनों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
केंद्रशासित जम्मू और कश्मीर के निर्वाचन क्षेत्र उधमपुर से निर्वाचित सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से इससे मुक्ति प्रदान हुई। जम्मू और कश्मीर के लोग स्वतंत्र हुए और केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख राष्ट्र की मुख्य धारा में सम्मिलित हो गए।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा बीते नौ सालों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में उद्यमिता और उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए परिवेश सृजित किया है।
हमारे पास सब था,लेकिन हम लोग एक उचित परिवेश के इतंजार में थे और ये उचित परिवेश तब बना जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यभार संभाला।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 और आदित्य एल 1 अभियानों की सफलता से भारत, वैश्विक रुप से एक अंतरिक्ष शक्ति बन कर उभरा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के सपनों को साकार करने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलकर और उचित परिवेश सृजित कर दुनिया भर के सामने भारत की क्षमताओं का लोहा मनवाया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री “नरेन्द्र मोदी द्वारा जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के बाद देश में इस क्षेत्र से जुड़े स्टॉर्टअप की संख्या सिर्फ 4 से बढ़कर आज तेजी से बढ़कर 150 हो गई है।“