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दीये जलेंगे हर बार की तरह पर मेरी आँखों में चमक तेरे आने की ही होगी

इन आँखों को तेरा इंतज़ार ताउम्र रहेगा …दीये तो जलेंगे हर बार की तरह मगर मेरी आँखों में रोशनी सिर्फ़ तेरे आने पर ही होगी …
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वकत किसी को कभी कुछ बता कर नहीं आता ।अच्छा भी आता है बुरा भी .. कभी-कभी स्वीकारना बहुत मुश्किल होता है कुछ चीज़ें हमारे बस में होती है ,मगर कुछ पर हमारा कोई इख़्तियार नहीं होता। हालात या तो स्वीकार करने पड़ते है या लड़ना पड़ता है हालातो से।
आज कल दीवाली के आसपास यू ट्यूब भरा रहता है कि कैसे माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करे और दुनिया भर के टोटके बताये जाते है।
”माँ लक्ष्मी देवी “है हम सब की माँ है .. उन्हें हमारे दुवारा किये गये टोटके या मंत्रों से ज़्यादा हमारा सहज भाव ज़्यादा प्रिय है और वैसे भी मुक़द्दर तो पहले से तय है। आज लोगों के पास पैसा तो बहुत आ गया मगर ज्ञान ,मर्यादाएँ , पवित्रता कहीं धूमिल होती नज़र आ रही है।
दीवाली 🪔
पर मैं यही कहना चाहती हूँ जो भी मिल रहा है दुख या सुख सहजता से स्वीकार करे क्योंकि जो हो रहा है, रब की ही रजा से हो रहा होता है। कोशिश यही होनी चाहिए कि हमारे आसपास परिवार या रिश्तेदार हर इक घर में ख़ुशी का दीपक 🪔 जल रहा हो।मंदिर या किसी धार्मिक स्थानों में देने की जगह ..हम जीते जी इन्सान या जीवों का ख़याल करे हम सब मे उसी ईश्वर का वास है अगर अपने आसपास किसी एक को भी ख़ुश कर दिया तो समझ लीजिए रब राज़ी कर लिया।ख़ासतौर पर औरतों की रक्षा .. माँ बहन ..अपनी या किसी और की बेटी के सर पर हाथ …और बजाय माँ लक्ष्मी की मूर्ति पर चुन्नी चढ़ाने के यदि हम किसी बेटी के आँचल की रक्षा कर सके ,तो समझना दिवाली हो गई।माँ लक्ष्मी अपने आप ही आप पर प्रसन्न हो जायेगी। बाहर के दीये सुबह तक रोशनी तो दे सकते हैं मगर मन में रोशनी नहीं दे सकते।पटाखे की जगह किसी के घर का चूल्हा जल जाये तो दीवाली शुभ ही समझें और अगर किसी की मुस्कुराहट की वजह अगर आप बन गए तो समझ लीजिए माँ लक्ष्मी आप पर प्रसन्न है
…शुभ दीवाली..
लेखिका स्मिता ✍️