यह मुद्दा सीसीपीए के संज्ञान में 2018 में बनी आईक्यूआरए आईएएस संस्थान की वेबसाइट के माध्यम से आया। वेबसाइट में 2015 और 2017 में हुई यूपीएससी सीएसई के शीर्ष रैंक धारकों के प्रशंसापत्र के माध्यम से जानबूझकर और गलत तरीके से दावा किया गया कि वे उनके छात्र रहे हैं, जो तथ्यात्मक रूप से धोखा है। इसलिए सीसीपीए ने स्वत: संज्ञान लिया और पाया कि उपरोक्त दावे झूठे हैं। सीसीपीए ने पाया कि संस्थान ने खुद को इस तरह दिखाया कि वो सर्वश्रेष्ठ यूपीएससी ऑनलाइन प्रीलिम्स टेस्ट सीरीज़ 2020 प्रदान करने वाला ऐसा कोचिंग संस्थान है जिसके पास पूरे भारत में सर्वश्रेष्ठ टीचर हैं। इस प्रकार इसे पुणे में एक साल के भीतर यूपीएससी की टॉप कोचिंग संस्थान बन गया था। तदनुसार, आईक्यूआरए आईएएस संस्थान को नोटिस जारी किया गया।
संस्थान ने अपने जवाब में कहा कि पुणे और कानपुर के संकाय सदस्य अत्यधिक योग्य होने के साथ-साथ प्रतिष्ठित भी हैं और उनकी गूगल रेटिंग 5 में से 4.6 है। साल 2020 के लिए जो टेस्ट सीरीज तैयार की गई थी वह उनके उच्च कौशल और अनुसंधान गुणवत्ता के साथ एक अकादमिक सफलता थी। फिलहाल विज्ञापन को वेबसाइट से हटा दिया गया है।
सीसीपीए के पास उपभोक्ताओं के एक वर्ग के अधिकारों की रक्षा, प्रचार और लागू करने की जिम्मेदारी होती है और इसलिए वर्तमान मामले में विस्तृत जांच के लिए डीजी (जांच) सीसीपीए से अनुरोध किया गया। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि ऑल इंडिया रैंक धारकों टीना डाबी एआईआर -1, (2015); अतहर अमीर उल सफी खान एआईआर -2, (2015); हिमांशु कौशिक एआईआर -77, (2015); सैफिन एआईआर -570, (2017) के प्रशंसापत्र आईक्यूआरए आईएएस संस्थान द्वारा होस्ट किए गए थे, जिसकी स्थापना खुद 2018 में हुई थी। उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाने में धोखा दिया गया कि ऐसे सफल उम्मीदवार अपनी सफलता का श्रेय उक्त संस्थान को देते हैं।
इस बात को बताना जरूरी है कि आईक्यूआरए आईएएस संस्थान ने इस तरह के अतिशयोक्तिपूर्ण दावे किए, उनमें केवल जानबूझकर महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाया गया बल्कि अपनी सेवा का भी झूठा प्रतिनिधित्व किया और उपभोक्ताओं के वर्ग को भ्रामक रूप से अपनी सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए गुमराह किया गया। दूसरी ओर, आईक्यूआरए आईएएस संस्थान ने कहीं भी कोई डिस्क्लेमर नहीं दिखाया और अपने द्वारा किए गए अन्य दावों को साबित करने में विफल रहा।
एक विज्ञापन को वैध माना जाता है और इसे तब तक धोखेबाज नहीं माना जाता है जब यह उत्पादों या सेवाओं की उपयोगिता को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करके उपभोक्ताओं को गुमराह नहीं करता है। विज्ञापन में भौतिक जानकारी को छिपाना नहीं चाहिए और किए गए किसी भी दावे के संबंध में चूक नहीं होनी चाहिए। चूक से विज्ञापन को भ्रामक बनाने या इसके वाणिज्यिक इरादे को छिपाने की संभावना रहती है। विभाग ने भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम के लिए दिशानिर्देश, 2022 पहले ही जारी कर दिए हैं और नवंबर 2022 में उपभोक्ता हितों की रक्षा और संरक्षण के लिए फर्जी, भ्रामक और भ्रामक समीक्षाओं को रोकने के लिए ऑनलाइन उपभोक्ता समीक्षाओं पर रूपरेखा अधिसूचित की गई।
सीसीपीए देश के कोने- कोने में उपभोक्ताओं के एक वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है। इसलिए आईक्यूआरए आईएएस संस्थान को भ्रामक प्रशंसापत्र की आड़ में झूठे दावों को बंद करने का आदेश जारी किया और साथ ही भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।