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पिछले 8 वर्षों में किए गए संरचनात्मक सुधारों से भारत को विश्व की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में स्थान बनाने में मदद मिलेगी: गोयल

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने आज विश्वास जताया कि सरकार द्वारा पिछले 8 वर्षों में किए गए संरचनात्मक सुधारों से भारत को विश्व के शीर्ष तीन विकसित अर्थव्यवस्थाओं में उभरने में सहायता मिलेगी। वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से व्हार्टन इंडिया इकोनॉमिक फोरम के 27वें संस्करण के अवसर पर परस्पर बातचीत कर रहे थे। आज के कार्यक्रम का विषय था- अनिश्चितता के युग में भारत का अग्रणी नवाचार।

आने वाले वर्षों में भारत की विकास गाथा का मार्ग प्रशस्त करने वाले सबसे प्रभावशाली आर्थिक सुधारों की चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हुए कई संरचनात्मक परिवर्तनों का तेजी से आगे बढ़ने की भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। उन्होंने जीएसटी को महत्वपूर्ण सुधारों में से एक बताया और रेखांकित किया कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिदृश्य के बावजूद हाल के जीएसटी संग्रह बहुत मजबूत रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत अब एक अधिक ईमानदार, पारदर्शी अर्थव्यवस्था है और लोग अब अपने करों का भुगतान करने के अभ्यस्त हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) भी एक महत्वपूर्ण सुधार उपाय है, जिसके परिणामस्वरूप भारत में मजबूत बैंकिंग प्रणाली का निर्माण हुआ है। ये बैंक उद्योग के विकास के लिए संसाधन प्रदान करने में सक्षम रहे हैं। उन्होंने निजीकरण, अर्थव्यवस्था विशेष रूप से, वित्तीय क्षेत्र के डिजिटलीकरण, कानूनों के गैर-अपराधीकरण, व्यापार करने में सुगमता में सक्षम बनाने के लिए अनुपालन के सरलीकरण जैसे सुधारों का भी उल्लेख किया।

इस प्रश्न के उत्तर में कि कौन से क्षेत्र सरकार के लिए रणनीतिक प्राथमिकताएं हैं, श्री गोयल ने कहा कि अवसंरचना, सेमीकंडक्टर, घरेलू विनिर्माण प्राथमिकता वाले कुछ क्षेत्र हैं। उन्होंने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी का फोकस भारत में एक सुदृढ़ अवसंरचना के निर्माण पर है। इस प्रयत्न में निजी क्षेत्र भी योगदान दे रहा है। श्री गोयल ने कहा कि सेमीकंडक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसके अतिरिक्त, एक अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र घरेलू विनिर्माण है और सरकार ने 14 से अधिक क्षेत्रों में भारतीय विनिर्माण को आरंभ करने के लिए पीएलआई स्कीमों की शुरुआत की है। श्री गोयल ने उल्लेख किया कि सरकार निजी क्षेत्र/उद्योग संघों को भी खुद ही यह निर्धारित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है कि उन्हें किन क्षेत्रों में सरकार से सहायता की आवश्यकता है।

रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव के संबंध में मौजूदा भू-राजनीतिक माहौल पर अपने विचार साझा करते हुए श्री गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस विश्वास को दोहराया कि वर्तमान युग युद्ध का युग नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत का मानना है कि इस संकट को हल करने के लिए संवाद और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है और उन्होंने संघर्ष को अतिशीघ्र हल करने की अपील की। उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस मुद्दे पर विश्व के नेताओं के साथ कई बार बातचीत की है। भारत ने बाली में जी-20 की बैठक में सर्वसहमति बनाने की कोशिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के हस्तक्षेप के कारण, विश्व अर्थव्यवस्थाएं जी20 में एक परिणाम पर पहुंचने में सक्षम रहीं और उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह रूस यूक्रेन युद्ध के समाधान खोजने के लिए आगे का रास्ता प्रशस्त करेगा। श्री गोयल ने कहा कि भारत में सरकार ने आम आदमी की आवश्यकताओं को पूरा करने, पर्याप्त खाद्य भंडार की उपलब्धता, ऊर्जा की आवश्यकता, पर्याप्त बीज, पर्याप्त उर्वरक सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया है।

श्री गोयल ने पिछले पांच वर्षों में मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने में भारत के नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की चर्चा करते हुए इस बात पर बल दिया कि भारत आज अतीत की छाया से बाहर निकल आया है। भारत ने माना है कि बहुपक्षीय सहयोग अक्सर आर्थिक साझेदारी की ओर ले जाते हैं जो सभी हितधारकों के सर्वोत्तम हित में नहीं भी हो सकते हैं। उन्होंने भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर निकलने का उदाहरण दिया क्योंकि यह एक बहुत ही अनुचित, असंतुलित समझौता था। उन्होंने कहा कि भारत की रूचि दोनों देशों के सर्वोत्तम हित में संतुलित द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते करने में है। हम समान विचारधारा वाले देशों, विशेष रूप से नियम आधारित आदेश, पारदर्शी आर्थिक प्रणाली वाले देशों के साथ जुड़ रहे हैं और ऐसे समझौते कर रहे हैं जो दोनों पक्षों के लिए लाभप्रद हैं।

कोविड महामारी से सीखे गए सबक का उल्लेख करते हुए हुए, श्री गोयल ने कहा कि स्वास्थ्य ढांचे का उन्नयन और विस्तार हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने रेखांकित किया कि सरकार ने अस्पताल अवसंरचना की गुणवत्ता में सुधार किया है, आईसीयू बेड और ऑक्सीजन क्षमता को कई गुना बढ़ाया है, देश में चिकित्सा महाविद्यालयों की संख्या लगभग दोगुनी कर दी है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि स्वास्थ्य कर्मियों के कौशल विकास प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। उन्होंने भारत के निशुल्क स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम की भी चर्चा की, जो विश्व का सबसे बड़ा कार्यक्रम है, जिसमें 500 मिलियन लोग सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम के माध्यम से भारत में निशुल्क स्वास्थ्य देखभाल के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के महत्व को स्वीकार करना एक और सबक है। उन्होंने बेहतरीन प्रयासों के बावजूद कोविड महामारी के दौरान पीपीई जैसे महत्वपूर्ण उपकरणों के लिए देश के संघर्ष का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि सरकार अब इन सभी क्षेत्रों में भारत की क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने रेखांकित किया कि इन चुनौतियों को भारत के भविष्य- भारत की विकास गाथा के अवसरों में बदल दिया गया। हमारा भारतीय उद्योग वास्तव में इस अवसर पर आगे बढ़ा और भारत अब व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों का विनिर्माता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, भारत एक मजबूत, नियम आधारित प्रणाली में विश्वास करने वाले निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सक्षम अवसंरचना, पर्यावरण के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान संरचनात्मक सुधारों, व्यापक स्तर पर अवसंरचना के विकास, डिजिटलीकरण और विशाल प्रतिभा पर है, जो भारत विश्व को उपलब्ध करा रहा है और यह भारत के भविष्य को फिर से लिखने में सहायता कर रहा है।

अगले 25 वर्षों के लिए चुनौतियों और अवसरों की चर्चा करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक- गुणवत्ता के महत्व को पहचानने और उसे महत्व देने के लिए राष्ट्र की मानसिकता को बदलना है। उन्होंने इसे भारत के भविष्य के लिए एक परिभाषित कारक करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार बड़ी संख्या में लोगों के लिए रोजगार सृजित करने, डिजिटलीकरण पर ध्यान केंद्रित करने, भारत को ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए विनिर्माण की सहायता करना जारी रखेगी। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत ने डिजिटल रूप से 74 बिलियन से अधिक वित्तीय लेनदेन किए, जो संयुक्त रूप से यूरोप, अमेरिका और चीन से अधिक है। उन्होंने कहा कि हमारी चुनौती राष्ट्र की मानसिकता को उच्च गुणवत्ता, उच्च प्रौद्योगिकी, उच्च सेवा उन्मुख होने की दिशा में कार्य करने की है, जो शेष विश्व की आवश्यकताओं को पूरा कर सके।