प्रमुख बिंदु:
- “विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के त्वरित विकास” के लिए डीएसटी का एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया गया
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के समग्र विकास के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में 10 “विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) केंद्र” स्थापित किए, अगले एक साल में ऐसे और 15 केंद्र स्थापित किए जाएंगे
- डीएसटी ने जीन एडिटिंग तकनीकों का उपयोग करके सिकल सेल रोग (एससीडी) के खिलाफ एक स्थायी उपचार विकसित करने के लिए 50 करोड़ रुपये की अनुसंधान व विकास परियोजना की भी सहायता की है
“जनजातीय गौरव दिवस” जो 15 नवंबर को मनाया जाता है, के उपलक्ष्य में केंद्रीय जनजातीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा व विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज आईआईटी- गुवाहाटी में जनजातीय समुदाय के अधिकारिता के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।
इस अवसर पर श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जनजातियों की पहचान को जीवित रखते हुए उनके एकीकृत विकास पर विशेष ध्यान दिया है। उन्होंने कहा, “हमें यह गर्व है कि श्री नरेन्द्र मोदी आज विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का नेतृत्व कर रहे हैं और हमारे देश में जनजातीय लोगों को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।” उन्होंने आगे कहा कि 2047 की ओर देश की विकास यात्रा में आदिवासियों को शामिल किया जाना चाहिए, जब भारत अपनी आजादी के सौ साल पूरे करेगा। श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि यह वास्तव में प्रशंसनीय है कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने जनजातियों के विकास के लिए नवाचारों वाली परियोजनाओं को लागू करके इस दिशा में कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह उचित है, क्योंकि जनजातीय प्रकृति के नजदीक रहते हैं और पर्यावरण के बारे में गहन जानकारी रखते हैं। श्री अर्जुन मुंडा ने विस्तार से बताया कि जनजातीय लोग अपने आसपास के वातावरण में, विशेष रूप से वहनीयता के संबंध में लगातार नवाचार करते हैं, लेकिन मुश्किल से ही उनके नवाचार को स्वीकृति प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अब यह समय आ गया है कि नई उपलब्धियां और सुविधाएं प्राप्त की जाएं। केंद्रीय मंत्री ने यह उम्मीद व्यक्त की कि सरकार के विभिन्न विभागों की ओर से उठाए जा रहे कदम जनजातियों के विकास के लिए नए अवसर उत्पन्न करेंगे।
डॉ. जितेंद्र ने कहा कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के समग्र विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने अब तक देश के विभिन्न हिस्सों में 10 विशेष “विज्ञान प्रौद्योगिकी व नवाचार (एसटीआई) केंद्र” स्थापित किए हैं। उन्होंने आगे कहा कि जनजातीय लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं के अनुरूप स्थायी आजीविका के सृजन के माध्यम से समावेशी सामाजिक- आर्थिक विकास के लिए अगले एक साल में ऐसे और 15 केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि 10 में से 4 ऐसे एसटीआई केंद्र उत्तर पूर्वी राज्यों- अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा राज्यों में स्थापित किए गए हैं, जिससे इन राज्यों की एसटी जनसंख्या के लिए स्थायी आजीविका का सृजन किया जा सके।
इस अवसर पर “आजादी का अमृत महोत्सव” के एक हिस्से के तहत “विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के त्वरित विकास” के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक विशेष कार्यक्रम को शुरू किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सम्मेलन की विषयवस्तु “जनजातीय समुदाय का विज्ञान और प्रौद्योगिकी सशक्तिकरण” प्रधानमंत्री के जय विज्ञान- जन अनुसंधान की सोच को प्रतिध्वनित करता है। उन्होंने कहा कि देश में पहली बार यह इतने बड़े पैमाने पर हुआ है कि जनजातीय समुदायों के जीवन और आजीविका के विभिन्न क्षेत्रों में उनके सशक्तिकरण के लिए डीएसटी के योगदान को प्रदर्शित किया जा रहा है। उन्होंने जनजातीय कार्य मंत्रालय व विभाग के अन्य संगठनों और एएसटीईसी को इस सम्मेलन का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने नवंबर, 2021 में भारतीय आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पूरे साल मनाए जाने वाले उत्सव के एक हिस्से के तहत जनजातीय समुदाय के स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया था। महान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा का जन्मदिन 15 नवंबर को मनाया जाता है, जिन्हें पूरे देश के जनजातीय समुदाय भगवान के रूप में पूजते हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से जनजातीय समुदाय के एकीकृत सामाजिक- आर्थिक विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने मंत्रालय के अपनाए गए उपायों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि विभिन्न प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में पिछले तीन वर्षों के दौरान लगभग 100 नई परियोजनाओं की सहायता की गई और इन परियोजनाओं से देश के विभिन्न क्षेत्रों में 50,000 से अधिक अनुसूचित जनजाति के लोगों को लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि डीएसटी ने जीन एडिटिंग तकनीकों का उपयोग करके ऐसे रोगियों के जीवन स्तर में सुधार के व्यापक लाभों के साथ सिकल सेल रोग (एससीडी) के लिए एक स्थायी उपचार विकसित करने को लेकर 50 करोड़ रुपये की लागत वाली अनुसंधान व विकास परियोजना में भी सहायता की थी। उन्होंने आगे यह भी बताया कि गुवाहाटी स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी उच्च अध्ययन संस्थान में नवाचार, प्रौद्योगिकी व उद्यमिता के लिए उत्तर- पूर्वी क्षेत्र और एसटी समुदाय के नृजातीय खाद्य वस्तुओं के जैव संसाधनों के केंद्र के रूप में 12 करोड़ रूपये की लागत से विरासत खाद्य और पेय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए उपायों की अन्य श्रृंखलाओं का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि डीएसटी ने पिछले तीन वर्षों में इंस्पायर फेलोशिप के माध्यम से विज्ञान में करियर बनाने के लिए एसटी छात्रों और विद्वानों को 700 फेलोशिप प्रदान की है।