केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों की तरह हमारे किसान भी सम्मानीय और प्रशंसा योग्य हैं। उन्होंने कहा कि देशवासियों का पेट भरने के लिये किसान बहुत सी कुर्बानियां देते हैं। श्री तोमर ने कहा कि सीमाओं की सुरक्षा और किसानी, दोनों समान रूप से महत्त्वपूर्ण कार्य हैं, जिनसे देश की आत्मा तृप्त होती है।
श्री तोमर आज पुणे में आयोजित ‘एक्सपेंशन ऑफ हॉर्टीकल्चर वैल्यू चेन इन इंडिया’ (भारत में उद्यान विज्ञान मूल्य श्रृंखला का विस्तार) कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने किया था, जिसमें किसानों, एफपीओ, स्टार्ट-अप और बैंकरों सहित उद्यान विज्ञान से जुड़े लोग उपस्थित थे।
अपने सम्बोधन में श्री तोमर ने कहा कि यदि गांव समृद्ध और आत्मनिर्भर होंगे, तो देश भी समृद्ध और आत्मनिर्भर बनेगा। श्री तोमर ने कहा कि कृषि हमारी प्राथमिकता है और वह हमारी अर्थव्यवस्था का मेरु है। उन्होंने कहा कि कृषि सेक्टर को दिशा देने की जरूरत है, क्योंकि कृषि और गांवों की पारंपरिक अर्थव्यवस्था देश की सबसे बड़ी ताकत है। परिस्थितियां चाहे कितनी विपरीत हों, लेकिन कृषि हमेशा हमारी अर्थव्यवस्था के लिये सहायक सिद्ध हुई है। उन्होंने कहा कि व्यापारी-उद्यमी को कृषि उत्पादों के लिये किसानों को अधिकतम मूल्य चुकाना चाहिये। ऐसा होने से न केवल हमारे किसान समृद्ध होंगे, बल्कि अगली पीढ़ी भी खेती-किसानी करने के लिये प्रेरित होगी।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले आठ वर्षों में कृषि में स्वदेशी प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन दिया है। श्री मोदी ने हमेशा खेती की स्थानीय व पारंपरिक पद्धति के साथ परिवर्तनशील आधुनिक तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया है, ताकि विश्व प्रतिस्पर्धा में हम प्रासंगिक बने रहें। श्री तोमर ने कहा कि श्री मोदी न केवल किसानों की आय बढ़ाने की बात करते हैं, बल्कि उन्होंने राज्य सरकारों को जोड़कर तथा किसानों को सीधे संलग्न करके कई उपाय भी किये हैं।
श्री तोमर ने कहा कि आज युवा, सेवानिवृत्त कर्मचारी और कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े लोग खेती करने के लिये आगे आ रहे हैं। ऑर्गेनिक और प्राकृतिक खेती के प्रति लोगों की रुचि भी बढ़ रही है। चार लाख करोड़ रुपये के कृषि उत्पादों का रिकॉर्ड निर्यात किया गया है।
किसानों के जीवनस्तर को ऊंचा करने और खेती को प्रोत्साहित करने के लिये प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, एक लाख करोड़ रुपये की कृषि अवसंरचना निधि, डिजिटल कृषि मिशन, ड्रोन प्रौद्योगिकी, ई-नाम, पीएम सिंचाई जैसी योजनायें क्रियान्वित की जा रही हैं।
श्री तोमर ने कहा कि आज भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हो गया है। ज्यादातर कृषि उत्पादों में भारत विश्व में पहले या दूसरे स्थान पर है। फसलों के साथ-साथ बागवानी को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है। छोटे किसानों के लिये केंद्र सरकार ने उद्यान विज्ञान मिशन और एफपीओ की योजना शुरू की है। प्रयास किये जा रहे हैं कि छोटे किसान एक-साथ खेती करें, ताकि उन्हें अधिकतम लाभ मिल सके। एफपीओ और क्लस्टर प्रणाली को जोड़ने से किसानों को व्यापारियों के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि व्यापारियों को उत्पाद खरीदने के लिये किसानों के पास जाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न के उत्पादन के साथ, खासतौर से सब्जियों और फूलों की खेती के लिये उद्यान विज्ञान सेक्टर किसानों की आय बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। श्री तोमर ने कहा कि फलों, सब्जियों और मोटे अनाजों की खेती पर ध्यान दिया जाये, क्योंकि पोषण के लिये अकेले अनाज से काम नहीं चलेगा।
इस अवसर पर महाराष्ट्र के कृषि मंत्री श्री अब्दुल सत्तार और उद्यान विज्ञान मंत्री श्री संदीपनराव भूम्रे, केंद्रीय कृषि सचिव श्री मनोज आहूजा, अपर सचिव श्री अभिलाष लिखी, संयुक्त सचिव श्री प्रिय रंजन, उद्यान विज्ञान आयुक्त श्री प्रभात कुमार, महाराष्ट्र के कृषि सचिव श्री एकनाथ नवले उपस्थित थे। श्री तोमर ने किसानों का सम्मान किया और उद्यान विज्ञान प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।