कानपुर 14 अक्टूबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बा. वि. पी.जी. कॉलेज कानपुर के चित्रकला विभाग द्वारा “कला का व्यवसायीकरण” विषय पर वार्ता एवम् “उमंग चित्र प्रदर्शनी” का उद्घाटन प्रबंध समिति के सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, मुख्य वक्ता व मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित महिला महाविद्यालय कानपुर की प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) अंजू चौधरी, सेन महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर (डॉ.) सुमन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन व सदस्य श्रीमती दीपाश्री सेन द्वारा किया गया। आज के वर्तमान युग में प्रत्येक क्षेत्र में व्यावसायिक तकनीकी दृष्टि से विचार किया जा रहा है अतः कला शिक्षा के क्षेत्र में भी व्यवसायिक दृष्टिकोण आवश्यक है । इसी विषय को महत्व देते हुए आज के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजिका डॉ. रचना निगम, विभागाध्यक्ष चित्रकला विभाग ने सभी सम्मानित सदस्यों का स्वागत व अभिनंदन स्मृति चिन्ह के रूप में कलाकृति प्रदान कर किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कला के व्यवसायीकरण के ऊपर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य वक्ता प्रोफेसर अंजू चौधरी, प्राचार्य महिला महाविद्यालय कानपुर ने कला को व्यवसायीकरण से जोड़ते हुए कहा कि कलाकार को भी रोजगार की आवश्यकता होती है जिससे वह अपने लिए धन अर्जित करता है इसलिए कला का व्यवसायीकरण आवश्यक है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा लोक कला को आगे बढ़ाने हेतु “लोकल फॉर वोकल “से लोक कला को व्यवसाय से जोड़ने में सहायता मिलेगी। मुख्य अतिथि ने कला के विभिन्न मार्केटिंग प्लेटफार्म, आर्ट गैलरी आदि की विस्तृत व महत्त्वपूर्ण जानकारी अपने वक्तव्य में दी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. सुमन ने इस विषय पर गंभीरता से विचार करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि महाविद्यालय स्तर पर ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से स्वरोजगार एवं व्यवसायिक उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा जिससे कलाकार की कला को सम्मान मिलेगा और उसके लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे । संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन ने छात्राओं में कला के प्रोत्साहन हेतु आयोजित आज के कार्यक्रम के लिए प्राचार्य, कार्यक्रम संयोजिका तथा उनकी टीम को अपनी बधाई प्रेषित की। डॉ. रचना निगम ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज का समाज मनमाने दाम पर भौतिक सुविधाएं प्राप्त करने के लिए तत्पर है परंतु जब कला से संबंधित धन खर्च करने और एक कलाकार को उसकी उचित धनराशि देने की बात आती है तो वह पीछे हट जाता है क्योंकि उसको यह उचित नहीं लगता।इसलिए इस विषय पर इस वार्ता का होना आवश्यक था जिससे समाज में कला को लेकर नई जागरूकता आये। इस कार्यक्रम के अंतर्गत एक चित्रकला प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया जिसमें चित्रकला विभाग के बी.ए. तथा एम.ए. की छात्राओं ने मनमोहक आकृतियों, लोक कला ,मधुबनी तथा सौंदर्य पूर्ण आकारों व रंगों से परिपूर्ण चित्रों की प्रस्तुति की। डॉ. रश्मि बाजपेई, शुभी शर्मा तथा पूजा वर्मा ने कार्यक्रम से संबंधित सभी जानकारियां प्रदान की। महाविद्यालय के समस्त शिक्षक वर्ग ने छात्राओं के कार्य को सराहा व प्रोत्साहित किया। लिपिक वर्ग तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने भी यथासंभव अपना सहयोग कार्यक्रम आयोजन में दिया।