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चलो करें बातें जो सुकूँ दें – पूर्णिमा तिवारी

तुम्हें कैसे लिखूं की तुम क्या हो मेरे
मेरी सारी कायनात हो तुम
ये दिन ये रात ये बादल ये बरसात
ये रोना ये हँसना
ये प्यार ये मनुहार
मेरी छोटी सी दुनिया
दुनिया की महफ़िल
रातों की नींद
निंदो में ख्वाब
जीवन का गीत
गीतों का राग
हो धड़कन मेरे हृदय की
हो रागिनी मेरे अधर की

चलो खत्म करें शिकवे शिकायतें
कुछ तहजीब निभाते हैं
कुछ खामियां हैं दोनों में
भुला उन्हें रिश्ते निभाते हैं
शिकवों का क्या
वो तो उम्र भर खत्म नही होंगे
बेवजह दिल क्यों दुखाते हैं
चलो करे बातें जो सुकून दे दिलों को
जो पड़ गए हैं छाले रिश्तों में उन्हें मरहम लगाते हैं।
आओ हम एक नई राह बनाते हैं