दैनिक भारतीय स्वरूप पाकिस्तान स्थित आतंकी अड्डो को निशाना बनाते हुए भारत द्वारा की गयी सैन्य कार्रवाई बन्द हो जाने के बाद पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है| विपक्षी दल जहाँ सरकार पर हमलावर हैं वहीँ सत्ता पक्ष के नेता ऑपरेशन सिन्दूर को सफल तथा सीजफायर को अस्थाई बता रहे हैं| प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने देश के नाम अपने सम्बोधन में बताया कि भारत ने पहले तीन दिनों में ही पाकिस्तान को इतना तबाह कर दिया जिसका उसे अन्दाजा भी नहीं था| भारत की आक्रामक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान बचने के रास्ते खोजने लगा था| प्रधानमन्त्री ने यह भी बताया कि पाकिस्तान दुनियां भर में तनाव कम करने के लिए गुहार लगा रहा था और बुरी तरह पिटने के बाद पाकिस्तानी सेना ने 10 मई की दोपहर हमारे डीजीएमओ को सम्पर्क किया| तब तक हम आतंकवाद के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बड़े पैमाने पर तबाह कर चुके थे| पाकिस्तान की तरफ से जब यह कहा गया कि उसकी ओर से आगे कोई आतंकी गतिविधी और सैन्य दुस्साहस नहीं दिखाया जायेगा तो भारत ने भी उस पर विचार किया| प्रधानमन्त्री ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट कहा कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को सिर्फ स्थगित किया है| सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद ऑपरेशन सिन्दूर अब भारत की नीति बन चुकी है| पाकिस्तान को चेतवानी देते हुए उन्होंने कहा है कि हम आतंक की सरपरस्त सरकार और आतंक के आकाओं को अलग-अलग नहीं देखेंगे| रक्षामन्त्री राजनाथ सिंह ने भी प्रधानमन्त्री की बात दोहराते हुए पाकिस्तान को आगाह किया कि हिन्दुस्तान की धरती पर किया गया कोई भी आतंकी हमला एक्ट ऑफ़ वार माना जायेगा|
पहलगाम आतंकी हमले के बाद ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ के तहत भारतीय वायु सेना ने 6-7 मई की रात पाकिस्तान तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कुल 9 आतंकी ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी| जिसका उद्देश्य आतंकियों के लांचपैड तथा हथियारों के भण्डार को नेस्तानाबूद करना था| जो पूरी तरह सफल रहा| विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस कार्रवाई में जैश-ए-मुहम्मद का सरगना अब्दुल रऊफ अजहर सहित 100 से अधिक आतंकी मारे गये| अब्दुल रऊफ दिसम्बर 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट – 814 के अपहरण तथा अमेरिकी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या में शामिल बताया जाता था| आतंकी अड्डों पर अचानक हुई इस बड़ी कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के कई सैन्य ठिकानों तथा रिहायशी इलाकों को निशाना बनाने की कोशिश की| परन्तु भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने माकूल जवाब देते हुए सभी हमलों को चुटकियों में विफल कर दिया| पाकिस्तान द्वारा छोड़े गये सभी ड्रोन जहाँ हवा में ही नष्ट कर दिये गये वहीं उसका एयर बेस सिस्टम भी ध्वस्त कर दिया गया| इस ऑपरेशन में जिन नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, उनमें चार पाकिस्तान में तथा पांच पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित थे| इन्हें लश्कर, जैश-ए-मुहम्मद तथा हिजबुल मुजाहिदीन जैसे भारत विरोधी आतंकी संगठनों के ठिकानों के रूप में चिन्हित किया गया था| अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 25 किलोमीटर दूर मुरीदके में स्थित लश्कर मुख्यालय का नाम ‘मरकज तैयबा’ था| 26/11 के आतंकी अजमल कसाब तथा डेविड हेडली आदि ने यहीं प्रशिक्षण लिया था| अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किमी दूर बहावलपुर में स्थित जैश-ए-मुहम्मद के मुख्यालय का नाम ‘मस्जिद/मरकज सुभान अल्लाह’ था| यह आतंकियों की भर्ती, प्रशिक्षण तथा उन्हें कट्टर बनाने का केन्द्र था| अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 12 किमी दूर सियालकोट में स्थित ‘मेहमूना जोया’ नाम का आतंकी अड्डा हिजबुल मुजाहिदीन का बड़ा शिविर तथा कठुआ जम्मू क्षेत्र का नियंत्रण केन्द्र बताया गया| जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर हमले की योजना बनाने तथा उस पर निगरानी रखने का काम यहीं से हुआ था| सियालकोट में ही अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगभग 6 किमी दूर जैश-ए-मुहम्मद का सरजाल नामक केन्द्र था| मार्च 2025 में जम्मू कश्मीर के चार पुलिस कर्मियों की हत्या करने वाले आतंकवादियों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था| पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के पांच आतंकी अड्डों में ‘सवाई/शवाई नाला’ नामक लश्कर का प्रशिक्षण केन्द्र नियंत्रण रेखा से लगभग 30 किमी दूर मुजफ्फराबाद में स्थित था| मुजफ्फराबाद में ही ‘सैयदना बिलाल’ नाम से जैश-ए-मुहम्मद का प्रशिक्षण केन्द्र संचालित था| जहाँ हथियार, विस्फोटक तथा जंगल में जीवित रहने का प्रशिक्षण दिया जाता था| वहीँ नियंत्रण रेखा से लगभग 30 किमी दूर कोटली में राजौरी-पूंछ क्षेत्र में सक्रिय लश्कर आतंकियों का प्रशिक्षण केन्द्र था| जिसका नाम गुलपुर था| अप्रैल 2023 में पूंछ में तथा जून 2024 में हिन्दू तीर्थयात्रियों की बस पर हमला करने वाले आतंकियों ने यहीं प्रशिक्षण लिया था| कोटली में ही नियंत्रण रेखा से लगभग 13 किमी दूर लश्कर के अब्बास नामक अड्डे में फिदायीन अर्थात आत्मघाती हमले का प्रशिक्षण दिया जाता था| नियंत्रण रेखा से लगभग 9 किमी दूर भीम्बेर में बरनाला नाम से लश्कर का आतंकी अड्डा था| जिसमें हथियार, आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) तथा जंगल में जीवित रहने की ट्रेनिग दी जाती थी| इन सभी आतंकी अड्डों की तबाही ने निश्चित ही भारत विरोधी आतंकियों की कमर तोड़ने का काम किया है| इसे आतंक के खिलाफ भारत की लड़ाई को बहुत बड़ी सफलता के रूप में देखा जाना चाहिए| लेकिन भारत की एक बड़ी आबादी ऑपरेशन सिन्दूर के तहत पाकिस्तान के टुकड़े होते हुए देखना चाहती थी| लोगों का यह विचार था कि अब यह कार्रवाई पाक अधिकृत कश्मीर की भारत में वापसी तथा बलूचिस्तान की आजादी के बाद ही रुकनी चाहिए| परन्तु अचानक घोषित हुए सीजफायर ने सबकी आशाओं पर पानी फेर दिया| उसमें भी सीजफायर का ऐलान भारत और पाकिस्तान से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा किये जाने से आम जन का आश्चर्यचकित होना स्वाभाविक है|
अब प्रश्न यह उठता है कि आतंकी अड्डों पर कार्रवाई शुरू करते ही जब भारत सरकार ने बड़ी प्रतिबद्धता पूर्वक स्पष्ट कर दिया था कि हम सिर्फ और सिर्फ आंतकवादियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर रहे हैं| इसमें न तो पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला किया जायेगा और न ही वहां के रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया जायेगा| तब फिर भारत की एक बड़ी आबादी के मन में बलूचिस्तान की आजादी तथा पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जे की भ्रान्ति ने कैसे और क्यों जन्म लिया? इसके राजनीतिक निहितार्थ भले ही तलाशे जा रहे हों| परन्तु कारण यह हो सकता है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आलोचना झेल रही सरकार ने 6 मई तक सेना को पर्याप्त होमवर्क करने के बाद सैन्य कार्रवाई की इजाजत दी थी| जिसका परिणाम पूरी तरह सकारात्मक रहा और पाकिस्तान तथा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी अड्डों को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सका| तदोपरान्त पाकिस्तान की ओर से की गयी जवाबी कार्यवाही को भी भारतीय जवानो ने विफल कर दिया| ऐसे में भारत की एक बड़ी आबादी को यह आभास होना स्वाभाविक था कि हम पाकिस्तान पर भारी हैं| अतः लगे हाँथ पाक अधिकृत कश्मीर को मुक्त तथा बलूचिस्तान को आजाद करवाकार समस्या को हमेशा-हमेशा के लिए समाप्त कर देना चाहिए| जबकि सरकार तथा सेना का उद्देश्य 7 मई को ही पूरा हो गया था| अतः कार्रवाई को रोकना मुनासिब लगा और हुआ भी यही| ऐसे में आम जन में असन्तोष फ़ैल गया| बड़े पैमाने पर लोगों की प्रतिक्रियाएं आयीं और अभी तक आ रही हैं| इसी अवसर का लाभ उठाते हुए विपक्षी दल भी हमलावर हो रहे हैं| कोई इन्दिरा गाँधी को याद कर रहा है तो कोई अटल विहारी वाजपेई की दुहाई दे रहा है| प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को अन्ततोगत्वा कहना ही पड़ा कि हमने पाकिस्तान के आतंकी और सैन्य ठिकानों पर अपनी जवाबी कार्रवाई को सिर्फ स्थगित किया है|
निश्चित ही भारत सैन्य स्तर पर पाकिस्तान से कई गुना अधिक शक्तिशाली है| परन्तु उत्साह के अतिरेक में सीजफायर के विरोध में प्रतिक्रिया देने से पूर्व हमें इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि आज की परिस्थितियां 1971 से कहीं अधिक भिन्न हैं| बलूचिस्तान की आजादी और पाक अधिकृत कश्मीर की मुक्ति के लिए सैन्य कार्रवाई की बजाय कूटनीतिक तरीका अधिक उपयुक्त है| इस हेतु प्रयास भी जारी है| इसके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर की मुक्ति से कहीं अधिक आवश्यक जम्मू कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करवाना है| साढ़े तीन दशक से अपने ही देश में निर्वासित जीवन जी रहे कश्मीर के मूल निवासियों की घर वापसी भारत सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है| ऑपरेशन सिन्दूर को इस चुनौती से निपटने की दिशा में एक बड़े एवं प्रभावशाली प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए
डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)