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पहला दो दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन 4 सितंबर से लखनऊ में शुरू होगा

पहला दो दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन (जेसीसी) 04-05 सितंबर, 2024 को लखनऊ के मध्य कमान मुख्यालय में आयोजित किया जाएगा। रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ‘सशक्त एवं सुरक्षित भारत: सशस्त्र बलों का रूपांतरण’ विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में भाग लेंगे और यह सम्मेलन सशस्त्र बलों के भीतर आंतरिक ‘प्रक्रिया सुधार’ करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करेगा।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान 4 सितंबर को इस समारोह का उद्घाटन करेंगे, जिसमें रक्षा मंत्रालय और सशस्त्र बलों के शीर्ष स्तरीय अधिकारी एक साथ उपस्थित होंगे।

इस दो दिवसीय विचार-विमर्श सम्मेलन में क्षेत्रीय एवं वैश्विक भू-राजनीतिक व्यवधानों के प्रभाव का विश्लेषण करने तथा सशस्त्र बलों द्वारा किए जा रहे विभिन्न सुधारों हेतु संभावित मांगों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। भविष्य के संघर्षों के लिए तैयारी, सैन्य सेवाओं के बीच संयुक्तता और एकीकरण तथा प्रौद्योगिकी उपयोग, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए सरकार की ‘आत्मनिर्भरता’ पहल पर आधारित कुछ ऐसे क्षेत्र होंगे, जिन पर प्रमुखता से ध्यान दिया जाएगा।

संयुक्त कमांडर सम्मेलन को भारत के शीर्ष सैन्य नेतृत्व के बीच विचारों, रणनीतियों तथा सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के आदान-प्रदान के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में विकसित करने की योजना है, जिससे एक सशक्त व सुरक्षित भविष्य के लिए देश की प्रतिबद्धता को बल मिलेगा और रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक स्वायत्तता हासिल होगी।

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सरकार ने टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी

वस्त्र मंत्रालय के सचिव ने आज नई दिल्ली स्थित उद्योग भवन में राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत आठवीं अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति (ईपीसी) की बैठक की अध्यक्षता की। समिति ने ‘तकनीकी वस्त्र के क्षेत्र में उभरते अन्वेषकों के लिए अनुसंधान एवं उद्यमिता हेतु अनुदान (ग्रेट)’ योजना के तहत 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी है और प्रत्येक स्टार्ट-अप को लगभग 50 लाख रुपये के अनुदान प्रदान किया है।

समिति ने ‘तकनीकी वस्त्रों से संबद्ध शैक्षणिक संस्थानों को सक्षम बनाने हेतु सामान्य दिशानिर्देश’ के तहत 5 शिक्षा संस्थानों को तकनीकी वस्त्रों से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू करने हेतु लगभग 20 करोड़ रूपये के अनुदान को भी मंजूरी दे दी है।

अनुमोदित स्टार्ट-अप परियोजनाएं कंपोजिट्स, सस्टेनेबल टेक्सटाइल्स और स्मार्ट टेक्सटाइल्स के प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों पर केन्द्रित हैं। अनुमोदित शिक्षा संस्थानों ने जियोटेक्सटाइल्स, जियोसिंथेटिक्स, कंपोजिट्स, सिविल स्ट्रक्चर्स आदि सहित तकनीकी वस्त्रों के विभिन्न क्षेत्रों और अनुप्रयोगों में नए बी.टेक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।

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पार्किंसंस रोग के प्रबंधन के लिए दवा की खुराक के समायोजन के लिए नया स्मार्ट सेंसर विकसित

वैज्ञानिकों ने एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन सेंसर प्रणाली विकसित की है जो पार्किंसंस बीमारी की रोकथाम में सहायता प्रदान कर सकती है। यह सेंसर शरीर में एल-डोपा की सांद्रता का सटीक पता लगाने में मदद करेगा, जिससे इस रोग की प्रभावी रोकथाम के लिए आवश्यक सटीक खुराक का निर्धारण करने में मदद मिलेगी।

पार्किंसंस रोग को न्यूरॉन कोशिकाओं में लगातार गिरावट से पहचाना जाता है जिससे हमारे शरीर में डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर में काफी कमी आ जाती है। एल-डोपा एक रसायन है जो हमारे शरीर में डोपामाइन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह एंटी-पार्किंसंस दवाओं के रूप में कार्य करता है।

यह डोपामाइन की कमी को पूरा करने में मदद करता है। जब तक शरीर को एल-डोपा की सही मात्रा दी जाती है, तब तक यह रोग नियंत्रण में रहता है। हालांकि, पार्किंसंस की प्रगामी प्रकृति के कारण, जैसे-जैसे रोगी की उम्र बढ़ती है, न्यूरॉन्स की निरंतर हानि को पूरा करने के लिए अधिक एल-डोपा की आवश्यकता होती है।

हालांकि, एल-डोपा की अधिक मात्रा से रोगी में डिस्केनेसिया, गैस्ट्राइटिस, साइकोसिस, पैरानोया ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन जैसे गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जबकि एल-डोपा की बहुत कम मात्रा से पार्किंसंस के लक्षण वापस आ सकते हैं।

इस रोग की चिकित्सा में एल-डोपा के अधिकतम स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, जैविक तरल पदार्थों में एल-डोपा की निगरानी के लिए एक सरल, किफायती, संवेदनशील और त्वरित विधि विकसित करने की आवश्यकता है।

अभी हाल में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) ने जैविक नमूनों में एल-डोपा के निम्न स्तर का तुरंत पता लगाने के लिए फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन मैकेनिज्म का उपयोग करते हुए एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित ऑप्टिकल सेंसर प्रणाली विकसित की है।

सेंसर को कम ग्रेफीन ऑक्साइड नैनोकणों की सतह पर बॉम्बेक्स मोरी सिल्क कोकून से प्राप्त किए गए सिल्क-फाइब्रोइन प्रोटीन नैनो-लेयर की कोटिंग करके बनाया गया है। यह प्रणाली उत्कृष्ट फोटोलुमिनेसेंस गुणों के साथ कोर-शेल ग्रेफीन-आधारित क्वांटम डॉट्स का निर्माण करती है, जो इसे 5 μM से 35 μM की रैखिक सीमा के अंदर रक्त प्लाज्मा, पसीने और मूत्र जैसे वास्तविक नमूनों में एल-डोपा का पता लगाने के लिए एक प्रभावी फ्लोरोसेंट टर्न-ऑन सेंसर जांच बनाती है। समतुल्‍य पहचान सीमा का निर्धारण क्रमशः 95.14 एनएम, 93.81 एनएम और 104.04 एनएम किया गया है।

शोधकर्ताओं ने एक स्मार्टफोन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार किया है जिसमें एक इलेक्ट्रिक सर्किट 5 वी स्मार्टफोन चार्जर द्वारा संचालित 365 एनएम एलईडी से जुड़ा है। पूरे सेटअप को बाहरी प्रकाश से अलग करने के लिए एक अंधेरे कक्ष में रखा जाता है। यह सरल, किफायती और त्वरित स्क्रीनिंग उपकरण उन्नत उपकरणों की कमी वाले दूरदराज के क्षेत्रों में मौके पर ही विश्लेषक का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है।

रोगी के जैविक नमूनों में यह पता चलने पर कि क्या एल-डोपा का स्तर कम है, यह सेंसर रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक खुराक को समायोजित करने में मदद कर सकता है।

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भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने कानपुर कैंट में रोजगार मेले का आयोजन किया

भारतीय स्वरूप कानपुर रक्षा मंत्रालय के भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने पूर्व सैनिकों और रोजगार प्रदाताओं को एक साझा मंच पर लाने के उद्देश्य  उत्तर प्रदेश के कानपुर कैंट में एक रोजगार मेले का आयोजन किया। नौकरी के अवसर प्रदान करने वाले इस कार्यक्रम को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली क्योंकि उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों से 1,573 पूर्व सैनिकों ने इसमें भाग लिया। इस दौरान 41 कंपनियों ने 1,365 नौकरियों तथा 500 से अधिक उद्यमशीलता के अवसरों की पेशकश की।

इस आयोजन के माध्यम से चयनित हुए पूर्व सैनिकों के साक्षात्कार/स्क्रीनिंग की जाएगी और उसके बाद उन्हें वरिष्ठ पर्यवेक्षकों तथा मध्य/वरिष्ठ स्तर के प्रबंधकों से लेकर रणनीतिक योजनाकारों व परियोजना निदेशकों तक के पदों पर नियुक्त किया जाएगा। यह आयोजन कॉरपोरेट जगत और भूतपूर्व सैनिकों दोनों के लिए लाभदायक रहा है। इस कार्यक्रम से भूतपूर्व सैनिकों को अपनी तकनीकी और प्रशासनिक क्षमता दिखाने के लिए एक मंच मिला है, वहीं दूसरी तरफ कॉरपोरेट जगत को अनुभवी, अनुशासित एवं प्रशिक्षित भूतपूर्व सैनिकों के समूह का लाभ उठाने का अवसर प्राप्त हुआ। इस मेले के दौरान विभिन्न कंपनियों द्वारा उद्यमिता मॉडल भी प्रस्तुत किए गए।

रोजगार मेले का उद्घाटन सचिव (भूतपूर्व सैनिक कल्याण) डॉ नितिन चंद्रा ने किया और इसमें मध्य कमान मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मुकेश चड्ढा तथा पुनर्वास महानिदेशक मेजर जनरल एसबीके सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।

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कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने पूरे भारत में रोजगार पाने योग्य हजारों युवाओं को नए कौशल सीखने (अप-स्किलिंग) के लिए फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (एससीओए) के साथ एक समझौता ज्ञापन का आदान-प्रदान किया

केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने 2047 में विकसित भारत की परिकल्पना के अनुरूप वैश्विक मांगों को देखते हुए युवाओं को कौशल युक्त बनाने पर सरकार के दृढ़निश्चय पर जोर दिया। उन्होंने भारत के कारीगरों, बुनकरों, स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), महिलाओं और ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित भारत के घरेलू ई-कॉमर्स बाजार फ्लिपकार्ट के समर्थ प्रोग्राम की पांच साल की यात्रा का उत्सव मनाने के आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया।

समर्थ कार्यक्रम के दौरान फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (एससीओए) ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) का आदान-प्रदान किया। इसका उद्देश्य पूरे भारत में रोजगार पाने योग्य हजारों युवाओं को कौशल युक्त बनाना है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0 के तहत इस साझेदारी का लक्ष्य भारत भर में हजारों युवाओं को कौशल युक्त बनाना, ई-कॉमर्स और आपूर्ति श्रृंखला क्षेत्रों में उनकी रोजगार क्षमता को बढ़ाना है। फ्लिपकार्ट की टीम उम्मीदवारों को 7-दिवसीय गहन क्लासरूम प्रशिक्षण के साथ एक समग्र अनुभव और प्रशिक्षण प्रदान करती है। इसके बाद फ्लिपकार्ट की फैसिलिटी (इन जगहों पर रोजमर्रा के काम होते हैं) में 45-दिवसीय व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जाता है। इस सहयोग से देश की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है साथ ही विशेष प्रशिक्षण और प्रमाणन कार्यक्रम के जरिए युवा शक्तियों को सफल करियर के लिए भी तैयार किया जाता है।

इस अवसर पर जयंत चौधरी ने कहा कि भारत सरकार कारीगरों को सशक्त बनाने और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग विविध शिल्पों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर दृढ़ है। फ्लिपकार्ट समर्थ की यात्रा के उत्सव में एमएसडीई और फ्लिपकार्ट की आपूर्ति श्रृंखला संचालन अकादमी (सप्लाई चेन ऑपरेशंस अकेडमी) {एससीओए} के बीच सहयोग को औपचारिक रूप दिया गया। यह प्रयास हमारे युवाओं को आधुनिक बाजार में आगे बढ़ने के लिए कौशल से युक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पारंपरिक शिल्प को डिजिटल क्षेत्र में एकीकृत करके हम मजबूत साझेदारी बना रहे हैं और समर्थ कार्यक्रम के माध्यम से नवाचार को अपना रहे हैं। इससे भारत के एमएसएमई क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।
उद्योग सहयोग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि उद्योग के साथ साझेदारी सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। इंटर्नशिप कार्यक्रमों और समर्थ जैसे प्रयासों के माध्यम से हम युवाओं के लिए विकसित हो रही कार्य संस्कृति के साथ जुड़ने और भविष्य के लिए आवश्यक दक्षता हासिल करने के अवसर खोल रहे हैं। वैश्विक आकांक्षाओं वाला एक घरेलू ब्रांड फ्लिपकार्ट ने महिला उद्यमियों और वंचित पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को सशक्त बनाकर अपना प्रभाव प्रदर्शित किया है। इससे 1.8 मिलियन आजीविका (रोजगार) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित अपनी अकादमी के शुभारंभ के साथ फ्लिपकार्ट भारत के विकास को आगे बढ़ाते हुए व्यापक ई-कॉमर्स पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान देना जारी रखे हुए है।

इस कार्यक्रम में 250 से अधिक उद्योग जगत के दिग्गजों, विक्रेताओं, कारीगरों, बुनकरों, शिल्पकारों और एसएचजी ने भाग लिया। इसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उत्सव मनाना और उसे उन्नत करना था। इसमें कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरीएमएसडीई के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी (आईएएस)एमएसडीई की संयुक्त सचिव श्रीमती सोनल मिश्रा (आईएएस) सहित सम्मानित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।  फ्लिपकार्ट समूह के मुख्य कॉरपोरेट मामलों के अधिकारी रजनीश कुमार ने कहा कि यह समर्थ 5-वर्षीय यात्रा मील का पत्थर उत्सव कार्यक्रम पूरे भारत में कारीगरोंबुनकरों और एमएसएमई को सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। अपनी समर्थ पहल के माध्यम से हमने अपनी यात्रा के पिछले वर्षों में 1.8 मिलियन आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। 100 से अधिक पारंपरिक कला रूपों को संरक्षित किया है और हजारों विक्रेताओं की वृद्धि को बढ़ावा दिया है। हम भविष्य की ओर देखते हैं। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ हमारी साझेदारी भारत के युवाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक कौशल से युक्त करेगीजिससे यह सुनिश्चित होगा कि हमारे अतीत की विरासत भविष्य की पीढ़ियों के हाथों में फलती-फूलती रहेगी। फ्लिपकार्ट समर्थ कार्यक्रम में कारीगर सशक्तिकरण के भविष्य पर एक विचारोत्तेजक पैनल चर्चा भी हुई। पैनल में एमएसएमई मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री अतीश कुमार सिंह, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के मुख्य कार्यक्रम अधिकारी श्री महेंद्र पायल, बीयूनिक की सह-संस्थापक, निदेशक श्रीमती सिम्मी नंदा और अखिल भारतीय कारीगर और शिल्पकार कल्याण संघ की कार्यकारी निदेशक श्रीमती मीनू चोपड़ा ने आज के तेजी से विकसित हो रहे माहौल में भारत के कारीगर समुदाय के भविष्य, कौशल विकास के महत्व और बाजार पहुंच के विस्तार में ई-कॉमर्स की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में चर्चा की। फ्लिपकार्ट ने इवेंट के दौरान अपने ऐप पर ‘समर्थ स्टोरफ्रंट’ इंडियन रूट्स का अनावरण किया। यह वर्चुअल प्लैटफॉर्म कारीगरों, बुनकरों और एमएसएमई को राष्ट्रीय बाजार तक अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करता है। इससे उन्हें पूरे भारत में 500 मिलियन से अधिक ग्राहकों को अपने अद्वितीय उत्पाद दिखाने में मदद मिलती है। इस कार्यक्रम ने सरकारी से जुड़े दिग्गजों, उद्योग विशेषज्ञों और प्रमुख हितधारकों के लिए डिजिटल युग में कारीगर सशक्तिकरण के भविष्य पर चर्चा करने और पता लगाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। सभा ने लाखों लोगों के लिए स्थायी आजीविका बनाने के लिए पारंपरिक शिल्प कौशल को आधुनिक तकनीक के साथ एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित किया।

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उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न

भारतीय स्वरूप कानपुर 23 अगस्त उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य रूप से उपाध्यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण, नगर आयुक्त, मुख्य अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधीक्षण अभियंता उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय), अधिशाषी अभियंता उ0प्र0 जल निगम (नगरीय), महाप्रबंधक जलकल विभाग, सचिव जलकल विभाग, अधीक्षण अभियंता केस्को अधिशाषी अभियंता केस्को, उपायुक्त जी0एस0टी0, क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, उपायुक्त उद्योग कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया तथा उद्यमी श्री मनोज बंका, श्री उमंग अग्रवाल, श्री बृजेश अवस्थी, श्री लाडली प्रसाद, श्री सुशील शर्मा, श्री सुशील टकरू, श्री अमन घई सहित एसोसिएशन के अनेक प्रतिनिधि, उद्यमी एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
श्री उमंग अग्रवाल महासचिव फीटा द्वारा विगत बैठक में पनकी अग्निशमन केन्द्र, पनकी से कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन कराये जाने की मांग की गयी थी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी, कानपुर नगर द्वारा अवगत कराया गया कि मण्डलीय उद्योग बंधु समिति की बैठक में उद्यमियों की मांग के अनुसार कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन करा दिया गया है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया।
श्री बृजेश अवस्थी नगर अध्यक्ष पी0आई0ए0 द्वारा पनकी साइट-2 में पानी संचय हेतु टैंक बनाये जाने का अनुरोध किया गया है, जिससे अग्निकाल में पानी की आपूर्ति हो सके। इस सम्बन्ध में सचिव, जलकल विभाग नगर निगम, कानपुर द्वारा अवगत कराया गया कि क्षेत्र में 2 टैंकर प्रतिदिन नियमित रूप से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रश्नगत क्षेत्र में 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत डीप बोर नलकूप के अधिष्ठान का कार्य किया जा रहा है तथा 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत 1500 मी0 पाइप लाइन बिछाये जाने के कार्य की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा सचिव, जलकल को निर्देशित किया गया कि अपने प्लान में पानी संचय हेतु टैंक को भी सम्मिलित करें।
कानपुर में औद्योगिक क्षेत्रों में सीवर लाइन डाले जाने के सम्बन्ध में अब तक की स्थिति की समीक्षा की गयी। अधीक्षण अभियंता, उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) द्वारा अवगत कराया गया कि एस0टी0पी0 एवं आई0एस0टी0 की स्थापना कराये जाने हेतु भूमि की चिन्हित कराये जाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को निर्देशित किया गया कि तत्काल भूमि का चिन्हांकन करायें।
दादानगर विद्युत सब स्टेशन की भूमि हेतु अधीक्षण अभियंता, केस्को को निर्देशित किया गया कि क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा से समन्वय करते हुए तीन दिन के अन्दर स्थलीय निरीक्षण कर भूमि का चिन्हांकन कर अवगत करायें।
एल0एम0एल0 चैराहे से भौंती बाईपास तक सड़क के किनारे ग्रीन बेल्ट बनाये जाने के सम्बन्ध में पी0आई0ए0 द्वारा किये गये अनुरोध के क्रम में नगर निगम तथा वन विभाग के सहयोग से 1.4 कि0 मी0 की बाउण्ड्रीवाल बन गयी है तथा उसमें वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है। औद्योगिक संगठनों द्वारा मांग की गयी कि इस क्षेत्र का अतिक्रमण हटवाये जाने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जाये। इस सम्बन्ध में मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
अन्त में उद्यमी संगठनों द्वारा उनकी समस्याओं को संयमित रूप से सुनने एवं उनके समयबद्ध रूप से निस्तारण करने हेतु मण्डलायुक्त महोदय का धन्यवाद अर्पित किया गया।

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राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए

 राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (22 अगस्त, 2024) नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए।

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के पहले संस्करण में, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को चार श्रेणियों – विज्ञान रत्न, विज्ञान श्री, विज्ञान युवा और विज्ञान टीम में 33 पुरस्कार प्रदान किए गए।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में आजीवन योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को दिया जाने वाला विज्ञान रत्न पुरस्कार, भारत में आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के अग्रणी वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंदराजन पद्मनाभन को प्रदान किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विशिष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को दिए जाने वाले विज्ञान श्री पुरस्कार, 13 वैज्ञानिकों को उनके संबंधित क्षेत्रों में अग्रणी अनुसंधान के लिए प्रदान किए गए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को मान्यता देने के लिए दिया जाने वाला विज्ञान युवा-एसएसबी पुरस्कार, हिंद महासागर के गर्म होने और इसके परिणामों पर अध्ययन के साथ साथ स्वदेशी 5-जी बेस स्टेशन के विकास और क्वांटम यांत्रिकी के संचार और सटीक परीक्षणों के क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 18 वैज्ञानिकों को दिया गया। विज्ञान टीम पुरस्कार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में अभूतपूर्व अनुसंधान योगदान देने के लिए 3 या अधिक वैज्ञानिकों की एक टीम को दिया जाता है, चंद्रयान -3 की टीम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान -3 लैंडर की सफल लैंडिंग के लिए दिया गया था।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को इस वर्ष से शुरू होने वाले राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 के पहले संस्करण को प्रस्तुत करने के लिए अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कारों का उद्देश्य भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में भारतीय वैज्ञानिकों की असाधारण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करना है।

पुरस्कारों के कुछ महत्वपूर्ण प्राप्तकर्ताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

प्रोफेसर गोविंदराजन पद्मनाभ, एनएएसआई मानद वैज्ञानिक और प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर: प्रोफेसर पद्मनाभन ने नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग सहायता परिषद के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो 1800 इनक्यूबेटर्स का समर्थन करती है और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 800 से अधिक उत्पादों का निर्माण करती है। प्रो. पद्मनाभन ने मलेरिया का कारण बनने वाले प्लास्मोडियम के हीम-बायो सिंथेटिक मार्ग को स्पष्ट किया और देश में कई आणविक जीव विज्ञान/बायोटेक अनुसंधान प्रयासों का नेतृत्व किया।

डॉ. आनंद रामकृष्णन, निदेशक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंस्थान परिषद (सीएसआईआर) – नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम: डॉ आनंदरामकृष्णन ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और नवीन खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, पोषक तत्व वितरण प्रणालियों, 3-डी खाद्य मुद्रण, भोजन की समझ संरचना और पाचन, और स्थायी खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने की दिशा में अनुप्रयोग में सुधार किया है।

डॉ. अवेश कुमार त्यागी, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और निदेशक, रसायन विज्ञान समूह, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई: डॉ. त्यागी विश्व स्तर पर प्रशंसित वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् हैं। उन्होंने भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं और सामग्रियों की उन्नति में अभूतपूर्व योगदान दिया है।

प्रो. उमेश वार्ष्णेय, मानद प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी और सेल बायोलॉजी विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. वार्ष्णेय एक उत्कृष्ट जीवविज्ञानी हैं और उनका मौलिक कार्य ट्यूबरकुलर बैक्टीरिया, ई. कोलाई में प्रोटीन संश्लेषण और डीएनए मरम्मत की आवश्यक प्रक्रियाओं और टीबी के टीकों के विकास की दिशा में वादा करता है।

प्रो. जयंत भालचंद्र उदगांवकर, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे: प्रो. उदगांवकर ने संरचनात्मक जीव विज्ञान के क्षेत्र में प्रोटीन फोल्डिंग और मिसफोल्डिंग सहित प्रोटीन संरचना और कार्य की समझ में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

प्रोफेसर सैयद वजीह अहमद नकवी, राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंस्थान परिषद (सीएसआईआर)-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ: प्रोफेसर नकवी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता वाले एक उत्कृष्ट जैव-रासायनिक समुद्र विज्ञानी हैं। उनके अग्रणी शोध कार्य का समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में स्थायी विघटनकारी प्रभाव पड़ा।

प्रोफेसर भीम सिंह, एसईआरबी राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष और एमेरिटस प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली: प्रोफेसर सिंह पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अच्छे व्यावहारिक और अनुवादात्मक अनुसंधान के साथ एक विपुल शोधकर्ता और प्रौद्योगिकी सलाहकार हैं, जिसमें बिजली की गुणवत्ता और मल्टीपल्स कन्वर्टर्स, सौर पीवी विद्युत उत्पादन शामिल हैं।

प्रोफेसर डॉ. संजय बिहारी, निदेशक, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम: प्रोफेसर बिहारी न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में प्रख्यात हैं, जो अनुकरणीय सेवा, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और चिकित्सा प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति के प्रतीक हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विज्ञान को बायोमेडिकल तकनीक के साथ एकीकृत करने वाले वातावरण को प्रोत्साहन दिया है जो पेटेंट और चिकित्सा उपकरणों को उत्पाद के रूप में परिवर्तित करता है।

प्रो. आदिमूर्ति आदि, प्रतिष्ठित विजिटिंग प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर: प्रो. आदिमूर्ति ने आंशिक अंतर समीकरणों के विश्लेषण और क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान में मौलिक योगदान दिया है। उनके शोध योगदान को सेमीलिनियर इलिप्टिकल पीडीई, कार्यात्मक असमानताएं और हाइपरबोलिक संरक्षण कानूनों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

प्रोफेसर राहुल मुखर्जी, राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता: प्रोफेसर मुखर्जी ने उत्कृष्ट योगदान दिया है और गणितीय सांख्यिकी में उनके योगदान को अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। सांख्यिकी में उनका शैक्षणिक कार्य एक विस्तृत क्षेत्र को शामिल करता है, जिसमें प्रयोगों का डिज़ाइन, बायेसियन सिद्धांत, एसिम्प्टोटिक विश्लेषण और सर्वेक्षण नमूनाकरण शामिल हैं।

प्रोफेसर लक्ष्मणन मुथुसामी, प्रख्यात प्रोफेसर और डीएसटी-एसईआरबी राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली: प्रोफेसर मुथुसामी भौतिकी के क्षेत्र में गैर-रेखीय गतिशीलता में एक प्रख्यात व्यक्ति हैं, जिसमें अंतर-अनुशासनात्मक अनुप्रयोगों के साथ गणित में खगोलीय गतिशीलता, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र का क्षेत्र शामिल है।

प्रोफेसर नबा कुमार मंडल, आईएनएसए के वरिष्ठ वैज्ञानिक, साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स, कोलकाता: प्रोफेसर मंडल न्यूट्रिनो भौतिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक अग्रणी प्रायोगिक कण भौतिक विज्ञानी हैं। उन्होंने भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला, आईएनओ के लिए डिटेक्टर की अवधारणा और डिजाइन का नेतृत्व किया, जो न्यूट्रिनो भौतिकी पर काम करने वाले युवा प्रयोगवादियों के लिए उपयोगी है।

डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम, निदेशक, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु: डॉ. (सुश्री) सुब्रमण्यम ने एकल और द्विआधारी सितारों, नीले स्ट्रैगलर्स, स्टार क्लस्टर, स्टार गठन, गैलेक्टिक संरचना, मैगेलैनिक बादलों आदि के भौतिकी में अग्रणी योगदान दिया है। उनके नेतृत्व में कक्षा में अंशांकन और यूवी इमेजिंग टेलीस्कोप के साथ और एस्ट्रोसैट मिशन में भी प्रभावशाली वैज्ञानिक परिणाम उत्पन्न हुए।

प्रो. रोहित श्रीवास्तव हिमांशु पटेल, चेयर प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई: प्रो. श्रीवास्तव ने पॉइंट ऑफ केयर चिकित्सा उपकरणों, बायो-मेडिकल माइक्रोसिस्टम्स और नैनोइंजीनियर्ड बायोसेंसर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी विकास हुआ है जिसमें मोबाइल आधारित मूत्र विश्लेषण, मधुमेह प्रबंधन, गैर-इनवेसिव हीमोग्लोबिन माप और लिपिड विश्लेषण प्रणाली शामिल है।

डॉ. कृष्ण मूर्ति एसएल, वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद: डॉ. कृष्ण मूर्ति ने चावल की छह नमक सहिष्णु किस्में और लवणता और क्षारीयता सहनशीलता के लिए चार आनुवंशिक स्टॉक विकसित किए हैं। विस्तार संबंधी कार्य से इन किस्मों के साथ एक महत्वपूर्ण क्षेत्र को शामिल करने में सहायता मिली।

डॉ. स्वरूप कुमार परिदा, वैज्ञानिक, राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर), नई दिल्ली: डॉ. परिदा ने एकीकृत अगली पीढ़ी के आणविक प्रजनन पर विभिन्न अवधारणाओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे जटिल तनाव सहिष्णुता, उपज और पौधे के कुशल आनुवंशिक विच्छेदन, चावल और चने की फसल सुधार में तेजी लाने के लिए वास्तु संबंधी विशेषताओं के लिए तैनात किया।

प्रोफेसर राधाकृष्णन महालक्ष्मी, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल: प्रोफेसर (सुश्री) महालक्ष्मी देश में स्वास्थ्य और बीमारियों में माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली प्रोटीन बायोफिज़िक्स में मौलिक अंतर्दृष्टि लाती हैं। इस कार्य में रोग निवारण के लिए पेप्टाइड-आधारित चिकित्सा विज्ञान के निहितार्थ हैं

प्रो. अरविंद पेनमात्सा, सहायक प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. पेनमात्सा ने औषध विज्ञान के क्षेत्र में न्यूरोट्रांसमीटर ग्रहण के लिए नवीन संरचनात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान की है। उनके काम ने एंटीबायोटिक परिवहन में इफ्लक्स पंप फ़ंक्शन के तंत्र का खुलासा किया है, जो कि बहु-औषध प्रतिरोध की व्यवस्था को उजागर करता है जो जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए सहायक है।

प्रोफेसर विवेक पोलशेट्टीवार, प्रोफेसर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई: प्रोफेसर पोलशेट्टीवार पहले सिद्धांतों से दवाओं की खोज, डिजाइन और विकास के लिए अद्वितीय हस्ताक्षर वाले शोधकर्ताओं के समूह से संबंधित हैं। “ब्लैक गोल्ड” और “डिफेक्ट्स” के नैनोकैटलिसिस क्षेत्रों में उनका काम मौलिक विज्ञान और नवाचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।

प्रोफेसर विशाल राय प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, भोपाल: प्रोफेसर राय ने प्रोटीन की सटीक इंजीनियरिंग में मौलिक योगदान दिया है और निर्देशित ट्यूमर सर्जरी और कैंसर कीमोथेरेपी के लिए एंटीबॉडी-संयुग्मों को सशक्त बनाने के लिए सटीक प्रोटीन इंजीनियरिंग के लिए भारतीय बायोफार्मा क्षेत्र का समर्थन किया है।

डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल, वैज्ञानिक एफ, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे: डॉ. कोल ने हिंद महासागर के गर्म होने और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के साथ-साथ समुद्री उत्पादकता और समुद्री गर्मी चरम घटनाओं पर इसके प्रभाव में उत्कृष्ट और पथप्रदर्शक योगदान दिया है।

डॉ. अभिलाष वरिष्ठ प्राचार्य, सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला, जमशेदपुर: डॉ. अभिलाष ने खदान और प्रक्रिया अपशिष्ट आदि जैसे माध्यमिक संसाधनों से महत्वपूर्ण/रणनीतिक धातुओं के निष्कर्षण के लिए अंतःविषय स्वदेशी प्रक्रियाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, साथ ही खनन, धातुकर्म और अपशिष्ट पुनर्चक्रण उद्योगों के लिए प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में अनुकरणीय योगदान दिया है।

डॉ. राधा कृष्ण गंती, प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास, चेन्नई: डॉ. गंती एक उत्कृष्ट शोधकर्ता हैं, जिन्होंने स्वदेशी रूप से 5-जी बेस स्टेशन विकसित किया है जिसमें मल्टी-इनपुट मल्टी-आउटपुट (एमआईएमओ) एसजी बेस स्टेशन, स्वदेशीकरण प्रयासों की दिशा में 64/32/16 एंटीना एमआईएमओ आरआरएच और सॉफ्टवेयर शामिल हैं।

डॉ. पूरबी सैकिया, सहायक प्रोफेसर, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची: डॉ. (सुश्री) सैकिया इकोलॉजिकल आला मॉडलिंग, मात्रात्मक इकोलॉजिकल विश्लेषण और आरईटी पौधों की प्रजातियों के संरक्षण में कुशल एक भावुक शोधकर्ता हैं। उनके शोध प्रकाशनों में क्षेत्रीय अनुप्रयोगों की संभावनाएं हैं और नीति नियोजन के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं।

डॉ. बप्पी पॉल सहायक प्रोफेसर, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर: डॉ. पॉल ने भविष्य के ईंधन के रूप में इथेनॉल में कार्बन डाइऑक्साइड के सीधे हाइड्रोजनीकरण के लिए एक प्रक्रिया और उत्प्रेरक विकसित किया है और वैश्विक वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदाई उद्योगों और परिवहन से उत्सर्जित वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों को हटाने में भी योगदान दिया है।

प्रो. महेश रमेश काकड़े, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. काकड़े ने पथ-प्रदर्शक विचारों का उपयोग करके गैर-कम्यूटेटिव इवासावा सिद्धांत के मुख्य अनुमान और ग्रॉस-स्टार्क अनुमान पर निर्णायक प्रगति की है, जो संख्या सिद्धांत में केंद्रीय समस्याएं हैं।

प्रो. जितेंद्र कुमार साहू प्रोफेसर, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, चंडीगढ़: प्रो. साहू एक कुशल बाल रोग विशेषज्ञ हैं और शिशु मिर्गी ऐंठन सिंड्रोम और शिशु-शुरुआत मिर्गी के उपचार पर काम कर रहे हैं।

डॉ. प्रज्ञा ध्रुव यादव, वैज्ञानिक ‘एफ’ और प्रमुख, भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे: डॉ. (सुश्री) यादव कई संक्रामक रोगों से संबंधित उच्च जोखिम वाले रोगजनकों और रोकथाम के मुद्दों में विशेषज्ञ हैं और उन्होंने विकास और देश में कोविड-19 के लिए कई टीकों का मूल्यांकन में योगदान दिया है।

प्रोफेसर उर्बासी सिन्हा प्रोफेसर, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु: प्रोफेसर (सुश्री) सिन्हा का क्वांटम सूचना, संचार और क्वांटम यांत्रिकी के सटीक परीक्षणों में मुख्य योगदान वैज्ञानिक समुदाय में अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। लेगेट-गर्ग असमानता के निर्णायक उल्लंघन को प्रदर्शित करने वाले उनके बचाव-मुक्त प्रयोग और हांग-ओ-मंडेल इंटरफेरोमेट्री पर उनका हालिया काम महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियां हैं।

डॉ. दिगेंद्रनाथ स्वैन, ईएक्सएमडी/एसटीआर, विक्रम साराभाई स्पेस, इसरो, तिरुवनंतपुरम: डॉ. स्वैन लॉन्च वाहन संरचनाओं के प्रयोगात्मक ठोस यांत्रिकी में विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने डीआईसी और अन्य प्रयोगात्मक तकनीकों का उपयोग करके संरचनात्मक योग्यता परीक्षणों का समर्थन करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है।

डॉ. प्रशांत कुमार, वैज्ञानिक-एसएफ, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), अहमदाबाद: डॉ. कुमार ने वायुमंडलीय विज्ञान और मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में मूल्यवान अनुसंधान योगदान दिया है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा उपयोग की जाने वाली उच्च-रिज़ॉल्यूशन रैपिड रिफ्रेश प्रणाली के विकास में योगदान दिया है।

प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल, प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास, चेन्नई: फीचर-निर्देशित अल्ट्रासाउंड, वेवगाइड सेंसिंग, रोबोटिक संपत्ति निरीक्षण और अल्ट्रासोनिक मेटामटेरियल्स पर डॉ. राजगोपाल के अग्रणी शोध को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।

टीम चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो मुख्यालय, बेंगलुरु: टीम चंद्रयान-3 को विज्ञान टीम श्रेणी के अंतर्गत सम्मानित किया गया है। चंद्रयान-3 निश्चित रूप से देश के लिए विश्व स्तर पर सबसे अधिक दिखाई देने वाली और स्वीकृत वैज्ञानिक उपलब्धि है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिकों की एक टीम के काम के रूप में प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।

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जेएनसीएएसआर ने स्वदेशी जिंक-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के लिए एचजेडएल के साथ भागीदारी की

जिंक सामग्री के नए प्रकार के साथ स्वदेशी जिंक-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियां जल्द ही कम लागत वाले ग्रिड-स्केल ऊर्जा भंडारण और अन्य संबंधित अनुप्रयोगों को सुगम बना सकती हैं। जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर),  जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) का एक स्वायत्त संस्थान है, ने जिंक सामग्री के नए प्रकार विकसित करने और जिंक-आधारित बैटरियों के व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के लिए 21 अगस्त, 2024 को हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (एचजेडएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।

कम लागत और बेहतर प्रदर्शन वाली जिंक-आयन बैटरियों को भारत में महंगी और आयातित लिथियम-आयन बैटरियों के लिए अभिनव विकल्प के रूप में सराहा जाता है। जिंक-आयन बैटरियों में कम लागत और पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कच्चे माल के कारण बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण की अपार संभावनाएं हैं। जिंक-आधारित बैटरियां बाजार में काफी अच्छा और सुरक्षित विकल्प प्रदान करती हैं और विभिन्न तापमान सीमाओं में सामग्री स्थिरता, प्रदर्शन और विश्वसनीयता में हाल की प्रगति के साथ, जिंक बैटरियां ऊर्जा भंडारण क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं। जिंक-आयन बैटरियों में प्रयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट और इंटरफेस में कुछ उपयुक्त बदलाव कर देने से बाजार में मौजूदा लिथियम-आधारित बैटरी विकल्पों की तुलना में कहीं बेहतर परिणाम दे सकते हैं।

हालांकि, उनका व्यावसायीकरण सामग्री के प्रदर्शन को स्थिर करने पर निर्भर है। उदाहरण के लिए, जिंक जल-आधारित घोलों के साथ ऊष्मागतिकीय रूप से अस्थिर है और इसलिए इलेक्ट्रोड, इलेक्ट्रोलाइट और इंटरफेस पर उपयुक्त संशोधनों की आवश्यकता होती है। इन मुद्दों को संबोधित करते हुए, साझेदारी सामग्री नवाचार को बढ़ावा देने और स्वदेशी जिंक-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने के लिए तैयार है। जेएनसीएएसआर में प्रो. प्रेमकुमार सेनगुट्टुवन के समूह ने जिंक-आधारित बैटरियों में मजबूत अनुसंधान आधार तैयार किया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा वित्त पोषित समूह की अत्याधुनिक बैटरी लक्षण-वर्णन सुविधा ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। परिणामी शोध ने महत्वपूर्ण प्रकाशनों को जन्म दिया है, जिसने जिंक क्षेत्र में हिंदुस्तान जिंक जैसे अग्रणी उद्योगपतियों की रुचि को आकर्षित किया है। जेएनसीएएसआर टीम जिंक-आयन पाउच बैटरी का प्रदर्शन करने की भी योजना बना रही है, जिसे बड़े पैमाने पर व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए आसानी से निर्माण किया जा सकता है। नवपरिवर्तनकारी नए उत्पाद समाधान प्रदान करके, हिंदुस्तान जिंक का लक्ष्य चल रहे वैश्विक ऊर्जा संक्रमण का समर्थन करने के लिए बैटरी क्रांति में सबसे आगे रहना है। यह अनुसंधान समझौता दो प्रमुख सतत विकास लक्ष्यों एसडीजी 7 (सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा) और एसडीजी 13 (जलवायु कार्रवाई) को लक्षित करता है – सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना तथा जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करना, जो बैटरी प्रौद्योगिकियों के विकास में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है।

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पद्म पुरस्‍कारों के लिए नामांकन 15 सितंबर, 2024 तक खुले

गणतंत्र दिवस, 2025 के अवसर पर घोषित किए जाने वाले पद्म पुरस्‍कार-2025 के लिए नामांकन/सिफारिश 01 मई, 2024  से शुरू हो गई हैं। पद्म पुरस्‍कारों के नामांकन की अंतिम तारीख 15 सितंबर, 2024 है। पद्म पुरस्‍कारों के लिए नामांकन/सिफारिश केवल राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार पोर्टल https://awards.gov.in पर ऑनलाइन प्राप्‍त की जाएंगी।

पद्म पुरस्‍कार, अर्थात पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म श्री देश के सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मानों में शामिल हैं। वर्ष 1954 में स्‍थापित, इन पुरस्‍कारों की घोषणा प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है। इन पुरस्‍कारों के अंतर्गत ‘उत्‍कृष्‍ट कार्य’ के लिए सम्‍मानित किया जाता है। पद्म पुरस्‍कार कला, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, चिकित्सा, समाज सेवा, विज्ञान एवं इंजीनियरी, लोक कार्य, सिविल सेवा, व्यापार एवं उद्योग आदि जैसे सभी क्षेत्रों/विषयों में विशिष्‍ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा के लिए प्रदान किए जाते हैं। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। चिकित्‍सकों और वैज्ञानिकों को छोड़कर अन्‍य सरकारी सेवक, जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वाले सरकारी सेवक भी शामिल है, पद्म पुरस्‍कारों के पात्र नहीं हैं।

सरकार पद्म पुरस्‍कारों को “पीपल्स पद्म” बनाने के लिए कटिबद्ध है। अत:, सभी नागरिकों से अनुरोध है कि वे नामांकन/सिफारिशें करें। नागरिक स्‍वयं को भी नामित कर सकते हैं। महिलाओं, समाज के कमजोर वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, दिव्यांग व्यक्तियों और समाज के लिए निस्वार्थ सेवा कर रहे लोगों में से ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्तियों की पहचान करने के ठोस प्रयास किए जा सकते हैं जिनकी उत्कृष्टता और उपलब्धियां वास्तव में पहचाने जाने योग्य हैं।

नामांकन/सिफारिशों में पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में निर्दिष्ट सभी प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए, जिसमें वर्णनात्मक रूप में एक उद्धरण (citation) (अधिकतम 800 शब्द) शामिल होना चाहिए, जिसमें अनुशंसित व्यक्ति की संबंधित क्षेत्र/अनुशासन में विशिष्ट और असाधारण उपलब्धियों/सेवा का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो।

इस संबंध में विस्‍तृत विवरण गृह मंत्रालय की वेबसाइट (https://mha.gov.in) पर ‘पुरस्‍कार और पदक’ शीर्षक के अंतर्गत और पद्म पुरस्‍कार पोर्टल (https://padmaawards.gov.in) पर उपलब्‍ध हैं। इन पुरस्‍कारों से संबंधित संविधि (statutes) और नियम वेबसाइट https://padmaawards.gov.in/AboutAwards.aspx पर उपलब्‍ध हैं।

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केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “चंद्रयान-3 एक प्रमुख उपलब्धि था: अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 का प्रक्षेपण किया जाएगा”

केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस की पूर्व संध्या पर मीडिया से बातचीत में इस कार्यक्रम के पूर्वावलोकन की घोषणा की। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “चंद्रयान-3 एक प्रमुख उपलब्धि था और अब चंद्रयान-4 और-5 का प्रक्षेपण किया जाएगा।”

नई दिल्ली में आज राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के भव्य समारोह के लिए प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया।

भारत 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा और इसके दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बन गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि का उत्सव मनाने के लिए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अगस्त को “राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस” ​​​​के रूप में घोषित किया था।

भारत 23 अगस्त, 2024 को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस [एनएसपीडी-2024] मना रहा है। इसका विषय है “चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना: भारत की अंतरिक्ष गाथा।” इसका आयोजन नई दिल्ली में भारत मंडपम के प्लेनरी हॉल में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की गरिमामय उपस्थिति में किया जाएगा।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग, में राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “गगनयान मिशन 2025 में पहले भारतीय को अंतरिक्ष में भेजना है” जो अंतरिक्ष क्षेत्र में विश्व नेतृत्व के रूप में उभरने के भारत के प्रयासों पर प्रकाश डालता है। उन्होंने नौसेना प्रमुख एडमिरल डी. के. त्रिपाठी के साथ अपनी हालिया बैठक का भी स्मरण किया और मुख्य रूप से क्रू मॉड्यूल रिकवरी के लिए भारतीय नौसेना के साथ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की साझेदारी को रेखांकित किया।

केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि निजी भागीदारों के साथ सहयोग के कुछ महीनों के भीतर अंतरिक्ष क्षेत्र में 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्टार्टअप्स की भूमिका पर बल दिया और दोहराया कि अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरुआत में बहुत कम स्टार्टअप्स थे, लेकिन अब इसमें लगभग 300 स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से कई वैश्विक क्षमता वाले हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री श्रीमती सीतारामण के बजट भाषण को याद किया जिसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था अगले 10 वर्षों में 5 गुना बढ़ जाएगी।

इस कार्यक्रम में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने दुनिया को अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की प्रगति देखने के लिए श्रीहरिकोटा के द्वार खोलने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया। यह एक निजी प्रक्षेपण केंद्र की भी मेज़बानी करता है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री महोदय ने भविष्य की योजनाओं को साझा करते हुए कहा, “आधारशिला परियोजनाओं में से एक वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और वर्ष 2045 तक चंद्रमा पर एक भारतीय की लैंडिंग करनी है।” उन्होंने यह भी बताया कि राकेश शर्मा गगनयान मिशन टीम का मार्गदर्शन कर रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय ने सुनीता विलियम्स को शुभकामनाएं भी दीं।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक सचिव शांतनु भटवाडेकर भी बातचीत के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री महोदय के साथ उपस्थित थे। उन्होंने कहा, “इसरो ने हमारे देश के सात क्षेत्रों में कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की। प्रत्येक क्षेत्र ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को प्रदर्शित करने के लिए प्रदर्शनियों, अंतरिक्ष विज्ञान मेलों और वैज्ञानिकों के साथ बातचीत के सत्र की मेजबानी की। कार्यक्रमों में उपग्रह प्रौद्योगिकी, मॉडल रॉकेटरी कार्यशालाओं का प्रदर्शन शामिल था। इन आयोजनों में अंतरिक्ष मिशनों के आभासी वास्तविकता अनुभव और इसरो रोबोटिक्स चैलेंज और भारतीय अंतरिक्ष हैकथॉन सहित राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं शामिल हैं।” इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह उत्सव सिर्फ वैज्ञानिक समुदाय के लिए नहीं बल्कि हर भारतीय के लिए है। देश भर के विद्यालयों और महाविद्यालयों ने अंतरिक्ष-विषय वाली प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद और प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में भाग लिया। अनुसंधान संगठनों, मंत्रालयों और गैर-सरकारी संगठनों ने कार्यशालाओं और जनसंपर्क कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए इसरो के साथ सहयोग किया, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान को जनता के लिए सुलभ बनाया गया। भारतीय नागरिकों को अंतरिक्ष प्रदर्शनियों को देखने, वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करने और यहां तक ​​कि इसरो केंद्रों पर सजीव प्रक्षेपण देखने का अवसर मिला।

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