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कुल खाद्यान्न उत्पादन 3288.52 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले 5 वर्षों के औसत खाद्यान्न उत्पादन से 211.00 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023-24 के प्रमुख कृषि फसलों के उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया गया है। पिछले कृषि वर्ष से, जायद के मौसम को रबी मौसम से अलग कर दिया गया है और इसे तीसरे अग्रिम अनुमान में शामिल किया गया है । इसलिए, क्षेत्रफल, उत्पादन और उपज के इस तीसरे अग्रिम अनुमान में ख़रीफ़, रबी एवं जायद मौसम शामिल हैं।

        यह अनुमान मुख्य रूप से राज्य कृषि सांख्यिकी प्राधिकरणों (एसएएसए) से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। प्राप्त आंकड़ों को रिमोट सेंसिंग, साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह (सीडब्ल्यूडब्ल्यूजीकी रिपोर्ट और अन्य एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के साथ मान्य और त्रिकोणित किया गया है। इसके अलावा अनुमान तैयार करते समय जलवायु परिस्थितियों, पिछले रुझानों, मूल्यो में उतार-चढ़ाव, मंडी आगमन आदि पर भी विचार किया गया है।

विभिन्न फसलों के उत्पादन का विवरण निम्नानुसार दिया गया है:

कुल खाद्यान्न– 3288.52 लाख मीट्रिक टन 

  • चावल 1367.00 लाख मीट्रिक टन
  • गेहूं- 1129.25 लाख मीट्रिक टन
  • मक्का – 356.73 लाख मीट्रिक टन
  • श्री अन्न- 174.08 लाख मीट्रिक टन
  • तूर – 33.85 लाख मीट्रिक टन
  • चना – 115.76 लाख मीट्रिक टन

 

कुल तिलहन– 395.93 लाख मीट्रिक टन

  • सोयाबीन – 130.54 लाख मीट्रिक टन
  • रेपसीड और सरसों – 131.61 लाख मीट्रिक टन

गन्ना – 4425.22 लाख मीट्रिक टन

कपास – 325.22 लाख गांठें (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम)

जूट – 92.59 लाख गांठें (प्रत्येक गांठ180 किलोग्राम)

 

कुल खाद्यान्न उत्पादन 3288.52 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो वर्ष 2022-23 के खाद्यान्न उत्पादन से थोड़ा कम है जबकि पिछले 5 वर्षों (2018-19 से 2022-23) के 3077.52 लाख मीट्रिक टन औसत खाद्यान्न उत्पादन से 211.00 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

कुल चावल उत्पादन 1367.00 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है जो  2022-23 के 1357.55 लाख मीट्रिक टन की तुलना में, 9.45 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि दर्शाता है। गेहूं का उत्पादन 1129.25 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के गेहूं उत्पादन की तुलना में 23.71 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

श्री अन्न का उत्पादन वर्ष 2022-23 के उत्पादन से 0.87 लाख मीट्रिक टन की थोड़ी सी वृद्धि दर्शाते हुए 174.08 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है। इसके अलावा, पोषक/मोटे अनाजों का उत्पादन 547.34 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है जो औसत उत्पादन से 46.24 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

तूर का उत्पादन 33.85 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष के 33.12 लाख मीट्रिक टन उत्पादन से 0.73 लाख मीट्रिक टन अधिक है। मसूर का उत्पादन 17.54 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के 15.59 लाख मीट्रिक टन उत्पादन से 1.95 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

सोयाबीन का उत्पादन 130.54 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है एवं रेपसीड और सरसों का उत्पादन 131.61 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन से 5.18 लाख मीट्रिक टन अधिक है। कपास का उत्पादन 325.22 लाख गांठे (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्रामऔर गन्ने का उत्पादन 4425.22 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है।

खरीफ फसल के उत्पादन अनुमान तैयार करते समय फसल कटाई प्रयोग (सीसीईआधारित उपज पर विचार किया गया है। इसके अलावा, फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) के रिकॉर्ड की प्रक्रिया को डिजिटल जनरल क्रॉप एस्टीमेशन सर्वे (डीजीसीईएस) लागू कर पुनर्निर्मित किया गया है, जिसे रबी मौसम के दौरान 16 राज्यों में शुरु किया गया था। डीजीसीईएस के तहत प्राप्त उपज परिणामों का उपयोग मुख्यत: रबी फसल उत्पादन पर पहुंचने के लिए किया गया है। इसके अलावा, जायद फसलों का उत्पादन अनुमान पिछले 3 वर्षों की औसत उपज पर आधारित है।

पिछले अनुमानों के साथ तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 का विवरण upag.gov.in पर उपलब्ध है।

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सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों द्वारा विज्ञापन जारी करने से पहले स्व-घोषणा अनिवार्य की

दैनिक भारतीय स्वरुप,  माननीय उच्‍चतम न्यायालय ने रिट याचिका सिविल संख्या 645/2022-आईएमए एवं एएनआर बनाम यूओआई एवं ओआरएस मामले में अपने दिनांक 07.05.2024 के आदेश में निर्देश दिया कि सभी विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों को किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले एक ‘स्व-घोषणा प्रमाणपत्र’ प्रस्तुत करना होगा। माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्देश के बाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी और रेडियो विज्ञापनों के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के प्रसारण सेवा पोर्टल और प्रिंट एवं डिजिटल/इंटरनेट विज्ञापनों के लिए भारतीय प्रेस परिषद के पोर्टल पर एक नई सुविधा शुरू की है। विज्ञापनदाता/विज्ञापन एजेंसी के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र को इन पोर्टलों के माध्यम से प्रस्तुत करना होगा।

पोर्टल 4 जून, 2024 से काम करने लगेगा। सभी विज्ञापनदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों को 18 जून, 2024 या उसके बाद जारी/टेलीविजन प्रसारण/रेडियो पर प्रसारित/प्रकाशित होने वाले सभी नए विज्ञापनों के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है। सभी हितधारकों को स्व-प्रमाणन की प्रक्रिया से परिचित होने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्‍त समय रखा गया है। वर्तमान में चल रहे विज्ञापनों को स्व-प्रमाणन की आवश्यकता नहीं है।

स्व-घोषणा प्रमाणपत्र यह प्रमाणित करता है कि विज्ञापन (i) भ्रामक दावे नहीं करता है, और (ii) केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7 और भारतीय प्रेस परिषद के पत्रकारिता आचरण के मानदंडों में निर्धारित सभी उचित नियामक दिशा निर्देशों का अनुपालन करता है। विज्ञापनदाता को संबद्ध प्रसारक, प्रिंटर, प्रकाशक या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को उनके रिकॉर्ड के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र अपलोड करने का प्रमाण देना होगा। माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार, वैध स्व-घोषणा प्रमाणपत्र के बिना किसी भी विज्ञापन को टेलीविज़न, प्रिंट मीडिया या इंटरनेट पर चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

माननीय उच्‍चतम न्यायालय का निर्देश पारदर्शिता, उपभोक्ता संरक्षण और जिम्मेदार विज्ञापन कार्य प्रणालियां सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय सभी विज्ञापनदाताओं, प्रसारकों और प्रकाशकों से इस निर्देश का पूरी लगन से पालन करने का आग्रह करता है। –(PIB)

स्‍व-घोषणा प्रमाणपत्र के बारे में विस्‍तृत दिशा-निर्देशों के लिए यहां क्लिक करें

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रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में 80वां स्टाफ कोर्स शुरू

रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन (तमिलनाडु) में आज 80वां स्टाफ कोर्स शुरू हुआ। इस कोर्स को भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के मिड-करियर अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और उन्‍हें कुशल स्टाफ अधिकारी और भावी सैन्य नेता बनाने के साथ-साथ एकीकृत त्रि-सेवा सेवा में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से युक्‍त करने के लिए तैयार किया गया है। इस पाठ्यक्रम के दौरान 26 मित्र देशों के 38 अधिकारियों सहित 480 छात्र अधिकारी 45 सप्ताह से अधिक की अवधि के दौरान प्रत्येक सेवा के कामकाज के साथ-साथ सामरिक और परिचालन स्तर पर युद्ध दर्शन की गहरी समझ भी प्राप्‍त करेंगे।

छात्र अधिकारियों को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल वीरेंद्र वत्स, कमांडेंट डीएसएससी ने युद्ध की गतिशील प्रकृति और चरित्र, वीयूसीए विश्व की विशेषताओं के साथ-साथ इस बारे में भी प्रकाश डाला है कि डीएसएससी द्वारा छात्र अधिकारियों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए कैसे सशक्त बनाया जाएगा। उन्होंने सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच समन्‍वय और एकीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए आधुनिक युद्ध में सहज सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सेवा की विशिष्‍ट क्षमताओं को समझने के महत्व पर जोर दिया।

कमांडेंट ने छात्र अधिकारियों के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और भारत के सैन्य और सुरक्षा परिदृश्य पर प्रभाव डालने वाले भू-राजनीतिक मुद्दों की मजबूत समझ विकसित करने की जरूरत पर भी प्रकाश डाला। यह जागरूकता अधिकारियों को उचित निर्णय लेने और सैन्य रणनीतियों में प्रभावी रूप से योगदान देने में सक्षम बनाएगी।

अपनी तरह की इस प्रथम पहल में 80वें स्टाफ कोर्स ने भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और मित्र देशों के चुनिंदा छात्र अधिकारियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया पाठ्यक्रम भी शुरू किया है। यह पाठ्यक्रम युद्ध में संयुक्तता और एकीकरण के लिए एक सहयोगी और अंतर-सेवा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके करियर के शुरुआती चरण में अंतर-सेवा समझ और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस प्रकार यह पाठयक्रम इन अधिकारियों को थिएटर कमांड के आगामी युग में नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाएगा।

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साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन संपन्न

कानपुर 1 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता,bकानपुर शहर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन आज दिनांक 1 जून 2024 को संस्था के प्रधान कार्यालय जवाहर नगर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में लखनऊ, कानपुर, उन्नाव आदि शहरों के साहित्यकार उपस्थित रहे। इस वर्ष का स्मृति सम्मान प्रख्यात साहित्यकार व अंतरराष्ट्रीय कवि डॉक्टर सुरेश अवस्थी जी(कानपुर) प्रसिद्ध कथा वाचक डॉक्टर संत शरण त्रिपाठी जी ( लखनऊ) ख्यातिप्राप्त कवयित्री डॉ कमल मुसद्दी जी( कानपुर) व इं श्रवण कुमार मिश्रा ( लखनऊ)जी को दिया गया ।यह कार्यक्रम दो सत्रों में हुआ । प्रथम सत्र में श्यामार्चना फाउंडेशन के संस्थापक डॉ प्रदीप अवस्थी, अध्यक्ष निरंजन अवस्थी व कोषाध्यक्ष रेखा अवस्थी जी ने सभी साहित्यकारों को अंग वस्त्र,स्मृति चिन्ह, मोती माल, व श्रीफल भेंट कर उनका सम्मान किया व सभी का काव्यपाठ हुआ।द्वितीय सत्र में सभी साहित्यकारों के भोजन उपरांत काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमे श्री अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी), अंशुमन दीक्षित,  मनीष रंजन त्रिपाठी ,डॉ कमलेश शुक्ला जी,  दिलीप दुबे,  अमित ओमर,डॉ नारायणी शुक्ला ,डॉ प्रमिला पांडे, अमित पांडे, डॉ दीप्ति मिश्रा, पी के शर्मा आदि सभी ने बेहतरीन काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में डॉ अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी) की 14 वीं बाल गीत पुस्तक ‘कंचे’ का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम का शानदार संचालन स्वैच्छिक दुनिया के संस्थापक व प्रतिष्ठित कवि डॉ राजीव मिश्रा जी ने किया।

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर में कार्यक्रम का आयोजन

कानपुर 30 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय स्वरूप नगर में लायंस इंटरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन ज्ञान प्रकाश गुप्ता द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (MJF) लायन ज्ञान प्रकाश गुप्ता द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 184 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन चित्र दयाल (पी जी डी), लायन विवेक श्रीवास्तव( कैबिनेट सेक्रेटरी), लायन दिनेश्वर दयाल( कैबिनेट ट्रेजरार) लायन पवन तिवारी (डिस्ट्रिक्ट पी आर ओ) लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन वीना ऐरन ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज तृतीय चरण में पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152 पुस्तकों प्रदान की गई थीं । आगे भी आवशयक्तानुसार लायंस इंटरनेशनल क्लब , छात्राओं के लिए शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
कार्यक्रम का समापन लायन विनोद बाजपेई द्वारा धन्यवाद देकर किया गया। इस कार्यक्रम में लायन इंटरनेशनल के अन्य सदस्य लायन सुधा यादव ,लायन रेनू गुप्ता, लायन मोनिका अग्रवाल एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की सभी शिक्षिकाएं एवम पुस्तकालय प्रभारी उपस्थित रही।

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कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी: भारत में रीजनल पीआर के लिए सफलता के पिलर्स

भारतीय स्वरूप संवाददाता, आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, प्रभावी पब्लिक रिलेशन्स की महत्ता पहले से कहीं अधिक है, खासकर तब, जब बात भारत के विविध और जीवंत बाजार को नेविगेट करने की आती है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत में किसी भी पीआर कैंपेन की

सफलता कल्चर (संस्कृति), कनेक्शन (संपर्क) और क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) की तिकड़ी में महारत हासिल करने पर निर्भर
करती है। रीजनल ऑडियंस के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने के लिए कल्चर संबंधी उनकी बारीकियों को गहराई से
समझने की आवश्यकता होती है। साथ ही, प्रमुख स्टेकहोल्डर्स के साथ वास्तविक संबंध स्थापित करना और विश्वसनीय
कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजीस के माध्यम से उनका विश्वास अर्जित करना भी होता है।
कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी ऐसे पिलर्स हैं, जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। ये भारत में सफल पीआर प्रयासों को रेखांकित
करने वाली आवश्यकता को उजागर करते हैं। इन तीन पिलर्स को अपनाकर, बिज़नसेस भारत की अपार संभावनाओं पर
प्रकाश डाल सकते हैं और साथ ही अपने पीआर प्रयासों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
पहला सी कल्चरल नेविगेशन का
आज के मॉडर्न युग में, पब्लिक रिलेशन्स (पीआर) की भूमिका क्षेत्रों और कल्चर से परे है, जो कम्युनिकेशन के लिए एक सूक्ष्म
दृष्टिकोण की माँग करती है। विभिन्न क्षेत्रों की पहचान के रूप में व्याप्त (कल्चरल डाइवर्सिटी) सांस्कृतिक विविधता, पीआर
प्रोफेशनल्स के लिए चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। किसी विशिष्ट क्षेत्र के भीतर संस्कृतियों, भाषाओं और
मूल्यों की जटिल टेपेस्ट्री को समझना पहला कदम है। यह समझ नींव के रूप में संदेशों को तैयार करती है, जो विविध दर्शकों
के साथ प्रामाणिक रूप से संबंधित है।
फिर भी, सांस्कृतिक विविधता की माँग परंपराओं की सतही समझ से कहीं अधिक होती है। कम्युनिकेशन में संवेदनशीलता
सर्वोपरि है। गैर-मौखिक संकेतों को स्वीकार करना, रूढ़ियों से बचना और सांस्कृतिक बारीकियों का सम्मान करने वाली
भाषा का उपयोग करना, ये सभी प्रभावी क्रॉस-कल्चरल संदेश भेजने में योगदान करते हैं। लोकलाइजेशन और स्टैंडर्डाइजेशन
के बीच के नाजुक संतुलन में अधिकता देखने को मिलती है। पीआर स्ट्रेटेजीस को सुसंगत ब्रैंड पहचान बनाए रखते हुए
स्थानीय संवेदनाओं को प्रतिबिंबित करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार किया जाना चाहिए।
इस नेविगेशनल यात्रा का केंद्र क्रॉस-कल्चरल संबंध बनाने में निहित है। विभिन्न संस्कृतियों में संबंध-निर्माण प्रथाओं की
विभिन्नता को ध्यान में रखते हुए, पीआर प्रोफेशनल्स को चाहिए कि वे मीडिया, इन्फ्लुएंसर्स और स्टेकहोल्डर्स के साथ कुशल
संबंध विकसित करें। सफल कैम्पेन्स मार्गदर्शक का कार्य करते हैं। वे विभिन्न दृष्टिकोणों का सम्मान करते हुए और व्यापक
दर्शकों तक अपनी पहुँच स्थापित करते हुए रचनात्मकता और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि के सुदृढ़ विलय का उदाहरण पेश करते हैं।

दूसरा
भारत के विशाल परिदृश्य में, महत्वपूर्ण कनेक्शन (संपर्क) स्थापित करना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। यहाँ आकर
ही रीजनल पब्लिक रिलेशन्स (पीआर) की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, जो इंटरप्राइजेस और उनकी वांछित जनसांख्यिकी

के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। हलचल भरे शहरी केंद्रों और शांत भीतरी इलाकों में, कुशल रीजनल
पीआर संचार माध्यमों की एक जटिल पहुँच स्थापित करता है, जो न सिर्फ कम्युनिकेशन को बढ़ावा देता है, बल्कि व्यापक
डोमेन में ब्रैंड विशेष के संदेश को बढ़ावा देने की ग्यारंटी भी देता है। स्वदेशी मीडिया आउटलेट्स, इन्फ्लुएंसर्स और
सामुदायिक प्रमुखों के कुशल उपयोग के माध्यम से, कम्पनियाँ ऐसे संबंध स्थापित करती हैं, जो परिचित और प्रभावशाली
दोनों होते हैं।
रीजनल पीआर एक कल्चरल ट्रांसलेटर के रूप में कार्य करता है, जो विविध समुदायों और व्यवसायों के बीच के अंतर को खत्म
करता है। स्थानीय भावनाओं, रीति-रिवाजों और भाषाओं की गहनता को बरकरार रखते हुए, यह संदेश को प्रामाणिक रूप से
प्रतिध्वनित करने के लिए तैयार करता है। लोकल मीडिया का उपयोग उचित कॉन्टेंट डिलीवरी सुनिश्चित करता है, जो
विशिष्ट क्षेत्रों की प्राथमिकताओं के अनुरूप होता है। इससे सापेक्षता की भावना को बढ़ावा मिलता है, जिसकी ग्लोबल
कैम्पेन्स में अक्सर कमी देखने को मिलती है।
भारत भर में अपनी पहचान बनाने में और गहन पहुँच स्थापित करने में, रीजनल पीआर एक गतिशील शक्ति के रूप में कार्य
करता है, जो विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ इंटरप्राइजेस को जोड़ता है। प्रत्येक क्षेत्र की अनूठी आकांक्षाओं और चुनौतियों को
संबोधित करके यह ब्रैंड्स को जीवंत बनाने का कार्य करता है, और इस प्रकार मात्र लेनदेन को वास्तविक संपर्कों में तब्दील कर
देता है।
तीसरा 'सी' क्रेडिबिलिटी का
स्थानीय रीति-रिवाजों, भाषाओं और भावनाओं का पालन करके, व्यवसाय कमर्शियल एंटीटीज़ की स्थिति से आगे निकल
जाते हैं और साथ ही सामुदायिक परिदृश्य के अभिन्न अंग में तब्दील हो जाते हैं। कुशल रीजनल पीआर के माध्यम से यह
कल्चरल कनेक्शन बिज़नेस के प्रति विश्वास उत्पन्न करने का काम करता है जो कंज्यूमर्स के निर्णयों को प्रभावित करता है और
स्थायी एसोसिएशन्स को सुदृढ़ करता है। चूँकि, बिज़नसेस उन क्षेत्रों के मूल्यों और आकांक्षाओं को दर्शाते हैं, जिनमें वे काम
करते हैं, वे अंततः प्रामाणिकता की पेशकश करते हुए पारस्परिक रूप से लाभप्रद बातचीत का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
भारत के विविध परिदृश्यों की जटिल टेपेस्ट्री में, रीजनल पीआर आपसी समझ के लिए एक आदर्श माध्यम के रूप में कार्य
करता है। इसकी क्षमता व्यवसायों और स्थानीय आबादी के बीच की दूरी को पाटने की क्षमता में निहित है, जो विश्वास के
माहौल, ब्रैंड के प्रति भरोसे और निरंतर विकास को बढ़ावा देती है, और सहयोगी व्यापार संदेश को रेखांकित करता है।
भारत के बहुमुखी परिदृश्य को नेविगेट करने में, तीनों सी- कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी एक सुदृढ़ मिश्रण बनाते हैं।
विविध संस्कृतियों को अपनाकर, वास्तविक संबंध विकसित करके और अटूट विश्वसनीयता बनाकर, बिज़नसेस भारत के
जीवंत और आकर्षक बाजार के द्वार खोल सकते हैं। जैसे-जैसे दुनिया इस आर्थिक महाशक्ति की ओर ध्यान केंद्रित कर रही है,
वैसे-वैसे यह स्पष्ट हो रहा है कि भारत में रीजनल पीआर के साथ सफलता के तीनों पिलर्स सिर्फ एक स्ट्रेटेजी नहीं है, बल्कि यह
एक आवश्यकता है।

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नेट वॉल प्रतियोगिता के लिए कानपुर टीम का चयन

कानपुर 22 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, 24 राज्य स्तरीय सीनियर नेटवर्क प्रतियोगिता में भाग लेने वाली कानपुर टीम का चयन मंगलवार डॉ वीरेंद्र स्वरुप एजुकेशन सेंटर में किया गया इसमें करीब 30 खिलाड़ियों ने भाग लिया पुरुष वर्ग टीम में
ऋषभ सिंह,सार्थक ,सक्षम ,शिविर, नैमिष त्रिपाठी,कार्तिक, वैभव ,शिवम ,अस्तित्व, देवांश, अर्नब वाजपेई, प्रखर हैं यह जानकारी जिला नेटवर्क खेल संघ के सचिव अखिलेश त्रिपाठी ने मनीषा शुक्ला को दी, चयनित खिलाड़ी 30 मई को बागपत के लिए रवाना होंगे इस मौके पर जिला सचिव एवं अन्य पदाधिकारी शामिल रहे|

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कानपुर के एक और होनहार आकाश वर्मा ने शहर का नाम रोशन किया

कानपुर 20 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, अपने शहर कानपुर के एक और होनहार ने शहर का नाम रोशन किया,

रेखा वर्मा और ओ.पी. वर्मा की खुशी सातवें आसमान पे थी जब उन्हें सूचना मिली की उनके पुत्र आकाश वर्मा को चौथी एशियाई पुरुष भारतीय हैंडबॉल टीम में स्थान मिला है। उनके निवास पे बधाई देने वालों का ताता लग गया आकाश की दृढ़ता और सहनशीलता ने उन्हें प्रतिष्ठित चौथी एशियाई पुरुष भारतीय हैंडबॉल टीम में स्थान दिलाया है। उन्होंने इतनी कम उम्र में ही कई पुरस्कार और सम्मान अपने नाम किए हैं। भारत का प्रतिनिधित्व करना अपने आप में आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। वर्मा परिवार ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए सभी प्रयासों में वो निरंतर सफलता प्राप्त करें ऐसी कामना करते हैं।

वो कल यानी 21 मई को 8.30 की शाम की शताब्दी से अपने शहर पधार रहे है

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भारत 77वें कान फिल्म महोत्सव (14-25 मई) में भाग लेगा

कान फिल्म महोत्सव में यह भारत के लिए एक विशेष वर्ष है क्योंकि देश इस प्रतिष्ठित महोत्सव के 77वें संस्करण के लिए तैयार है। भारत सरकार, राज्य सरकारों, फिल्म उद्योग के प्रतिनिधियों वाला कॉर्पोरेट भारतीय प्रतिनिधिमंडल महत्वपूर्ण पहलों की एक श्रृंखला के माध्यम से दुनिया के अग्रणी फिल्म बाजार मार्चे डु फिल्म्स में भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन करेंगे।

ऐसा पहली बार होगा जब देश 77वें कान फिल्म महोत्सव में “भारत पर्व” की मेजबानी करेगा जिसमें इस महोत्सव में भाग लेने वाले दुनिया भर के प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति और प्रतिनिधि फिल्मी हस्तियों, फिल्म निर्माताओं, निर्देशकों, खरीदारों और बिक्री एजेंटों के साथ जुड़ सकेंगे। इसमें विभिन्न स्तरों पर रचनात्मक अवसरों के साथ ही रचनात्मक प्रतिभाओं का प्रदर्शन किया जाएगा। इस भारत पर्व में 20 से 28 नवंबर, 2024 तक गोवा में आयोजित होने वाले 55वें भारत अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के आधिकारिक पोस्टर और ट्रेलर का अनावरण किया जाएगा। भारत पर्व में 55वें आईएफएफआई के साथ आयोजित होने वाले प्रथम विश्व ऑडियो-विजुअल एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) के लिए “सेव द डेट” का विमोचन भी होगा।

108 विलेज इंटरनेशनल रिवेरा में 77वें कान फिल्म महोत्सव में भारत मंडप का उद्घाटन 15 मई 2024 को प्रख्यात फिल्मी हस्तियों की मौजूदगी में किया जाएगा। कान में भारत मंडप भारतीय फिल्म समुदाय के लिए विभिन्न गतिविधियों में शामिल होने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जिसमें उत्पादन कार्य में सहयोग को बढ़ावा देना, क्यूरेटेड ज्ञान सत्र, वितरण सौदे कराना, स्क्रिप्ट की सुविधा, बी2बी बैठकें और दुनिया भर के प्रमुख मनोरंजन व मीडिया कर्मियों के साथ नेटवर्किंग शामिल है। इस मंडप का आयोजन राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) उद्योग भागीदार के रूप में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) के सहयोग से करेगा। भारतीय फिल्म उद्योग को अन्य फिल्मी हस्तियों से जुड़ने और सहयोग प्रदान करने के लिए भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के माध्यम से मार्चे डु कान में एक ‘भारत स्टॉल’ लगाया जाएगा।

राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान, अहमदाबाद द्वारा डिजाइन भारत मंडप को इस वर्ष की थीम “क्रिएट इन इंडिया” को दर्शाने के लिए इसे ‘द सूत्रधार’ नाम दिया गया है। इस वर्ष कान फिल्म महोत्सव में भारत की उपस्थिति खास है जो इसके समृद्ध इतिहास और रचनात्मकता के परिदृश्य को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर एक दिशा को दर्शाता है।

सुर्खियों में, पायल कपाड़िया की प्रसिद्ध कृति “ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट” दर्शकों को लुभाने और प्रतिष्ठित पाल्मे डी’ओर के लिए प्रतिस्पर्धा करने को तैयार है। यह विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि तीन दशकों के बाद एक भारतीय फिल्म कान फिल्म महोत्सव के आधिकारिक चयन के प्रतियोगिता खंड में शामिल हुई है। यह सिनेमाई परिदृश्य ब्रिटिश-भारतीय फिल्म निर्माता संध्या सूरी की “संतोष” में मार्मिक कथा, डायरेक्टर्स फोर्टनाइट में अन सर्टेन रिगार्ड के साथ-साथ करण कंधारी की विचारोत्तेजक “सिस्टर मिडनाइट” और एल’एसिड में मैसम अली की सम्मोहक “इन रिट्रीट” से समृद्ध हुआ है।

भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) के छात्र की फिल्म “सनफ्लॉवर्स वेयर फर्स्ट वन्स टू नो” को ला सिनेफ प्रतिस्पर्धा खंड में चुना गया है। कन्नड़ में बनी यह लघु फिल्म दुनिया भर से आई प्रविष्टियों के बीच चुनी गई और अब अंतिम चरण में पहुंची 17 अन्य अंतर्राष्ट्रीय लघु फिल्मों के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी।

इसके अलावा, इस महोत्सव में श्याम बेनेगल की ‘मंथन’, जो अमूल डेयरी सहकारी आंदोलन पर केंद्रित फिल्म है, को शास्त्रीय अनुभाग में प्रस्तुत किया जाएगा जो इस महोत्सव के भारतीय लाइनअप में ऐतिहासिक महत्व का स्पर्श जोड़ेगी। इस फिल्म के रीलों को मंत्रालय की एक इकाई एनएफडीसी-नेशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया (एनएफएआई) के फिल्म वॉल्ट में कई दशकों तक संरक्षित किया गया था, और अब फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन (एफएचएम) द्वारा सुरक्षित किया गया है।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन को कान फिल्म महोत्सव में प्रतिष्ठित पियरे एंजनीक्स ट्रिब्यूट से सम्मानित किया जाएगा। वह कान प्रतिनिधियों के लिए एक मास्टरक्लास भी देंगे। इस गौरव से सम्मानित होने वाले सिनेमैटोग्राफर संतोष सिवन ऐसे पहले भारतीय बन जाएंगे।

भारत के विविध स्थानों और फिल्म प्रतिभा को प्रदर्शित करने में मदद के लिए गोवा, महाराष्ट्र, जम्मू एवं कश्मीर, कर्नाटक, झारखंड और दिल्ली सहित कई भारतीय राज्यों के भाग लेने की संभावना है।

भारत के सहयोग से फिल्म निर्माण के अवसरों की खोज पर “प्रचुर प्रोत्साहन और निर्बाध सुविधाएं- आओ, भारत में बनाएं” शीर्षक से 15 मई को दोपहर 12 बजे मुख्य मंच (रिवेरा) में एक सत्र आयोजित किया जा रहा है। पैनल चर्चा में फिल्म निर्माण, सह-निर्माण के अवसरों और शीर्ष स्तर की पोस्ट-प्रोडक्शन सुविधाओं के लिए भारत के विशाल प्रोत्साहनों पर प्रकाश डाला जाएगा। पैनल यह बताएगा कि फिल्म निर्माता इन पहलों का कैसे स्वागत कर रहे हैं, भारत में फिल्मांकन के लिए जमीनी स्तर पर वास्तविक अनुभव क्या हैं और कौन सी रोमांचक कहानियां साझा की जा रही हैं।

पूरे महोत्सव के दौरान आयोजित भारत मंडप में संवादात्मक सत्र में भारत में फिल्म निर्माण के लिए प्रोत्साहन, फिल्म समारोहों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, फिल्मांकन स्थल के रूप में भारत, भारत और स्पेन, ब्रिटेन, और फ्रांस जैसे अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय फिल्म सह-निर्माण जैसे विषयों शामिल होंगे। इन सत्रों का उद्देश्य सशक्त भारतीय फिल्म उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों के साथ जुड़ने के इच्छुक फिल्म निर्माताओं के लिए चर्चा, नेटवर्किंग और सहयोग के अवसरों को सुविधाजनक बनाना है।

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ओएमसी का संयुक्त मुनाफा वित्त वर्ष 2024 में सालाना आधार पर 25 गुना से भी अधिक बढ़ा

सरकारी स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के लिए वित्त वर्ष 2023-24 अत्‍यंत शानदार रहा है। बड़ी तेजी से बदलती भू-राजनीति और कच्चे तेल की कीमतों में व्यापक उतार-चढ़ाव होने के बावजूद तेल विपणन कंपनियों ने न केवल किफायती दरों पर ईंधन की उपलब्धता सुनिश्चित की है क्‍योंकि इस दौरान वैश्विक स्तर पर ईंधन की महंगाई भारत में भी सबसे कम रही है, बल्कि इन कंपनियों ने सराहनीय वार्षिक परिणाम जारी करके शेयरधारकों का विश्वास भी काफी हद तक बढ़ा दिया है।

हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्टों में वित्‍त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही से वित्‍त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के वित्तीय प्रदर्शन की तुलना करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि निराशाजनक तस्वीर पेश की जा सके और उनके समग्र वार्षिक प्रदर्शन को कम करके आंका जा सके। इनमें सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ उत्‍पादन, उत्कृष्ट पूंजीगत व्यय के उपयोग, और बाकायदा पूरी की जा चुकी परियोजनाओं जैसे मापदंडों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। यह रिपोर्ट स्पष्ट रूप से अनुचित है और इसमें ऐसी तस्वीर पेश की गई है जो सही नहीं है।

वित्त वर्ष 2023-24 में तेल विपणन कंपनियों का संयुक्त लाभ 86,000 करोड़ रुपये रहा, जो असाधारण रूप से कठिन रहे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 25 गुना अधिक है। 2023-24 के पूरे वित्त वर्ष में एचपीसीएल ने पिछले वर्ष के 6,980 करोड़ रुपये के घाटे के मुकाबले 16,014 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड शुद्ध लाभ कमाया। इसी तरह आईओसीएल ने ऐतिहासिक सर्वश्रेष्ठ रिफाइनरी उत्‍पादन, बिक्री मात्रा और शुद्ध लाभ के साथ एक उत्कृष्ट वर्ष का समापन किया।

वित्त वर्ष 2023-24 में बीपीसीएल का कर पश्चात लाभ 26,673 करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग 13 गुना अधिक है। इसके अलावा ‘प्रोजेक्ट एस्पायर’ के तहत 5 वर्षों में 1.7 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई गई है जो कि इसके शेयरधारकों के लिए दीर्घकालिक मूल्य सुनिश्चित करने की इसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

कंपनी परिणामों की घोषणा के बाद बीपीसीएल और एचपीसीएल के शेयर भावों में उछाल के साथ बाजार ने इन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। इसके अलावा, विश्लेषकों ने इसके शानदार प्रदर्शन का संज्ञान लिया है और उनमें से कई ने इसे खरीदने की सिफारिश की है, जो इसके वार्षिक प्रदर्शन और चालू वित्त वर्ष के लिए इसके आउटलुक की मजबूत पुष्टि है।

पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने कामकाज में स्वतंत्रता और जवाबदेही के सही मिश्रण की अनुमति देकर ओएमसी की क्षमता को उन्मुक्त कर दिया है। सरकार इनके व्यावसायिक निर्णयों से अपनी पूरी दूरी बनाए रखती है, जबकि ‘विकसित भारत, 2047’ के विजन के अनुरूप इनकी महत्वाकांक्षी योजनाओं को पूर्ण समर्थन और प्रोत्साहन देती है।

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