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जीएनएसएस प्रौद्योगिकी से नेविगेशन एवं स्थिति निर्धारण बेहतर होता है, और यह टोल संग्रह प्रणालियों को आधुनिक बनाने, निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने, एवं हमारी सड़कों पर भीड़-भाड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है-नितिन गडकरी

राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहन चालकों को निर्बाध और बाधा मुक्त टोलिंग अनुभव कराने के लिए एनएचएआई द्वारा प्रवर्तित कंपनी भारतीय राजमार्ग प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (आईएचएमसीएल) ने ‘भारत में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्र‍ह’ पर नई दिल्ली में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में उद्योग जगत और वैश्विक विशेषज्ञों दोनों को ही भारत में जीएनएसएस प्रौद्योगिकी पर आधारित फ्री-फ्लो टोलिंग प्रणाली के सुचारू कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए एक अनूठा मंच मुहैया कराया गया।

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग एवं कॉरपोरेट कार्य राज्य मंत्री श्री हर्ष मल्होत्रा, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव श्री अनुराग जैन, एनएचएआई के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव, एनएचएआई के सदस्य (प्रशासन) एवं आईएचएमसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री विशाल चौहान, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव (लॉजिस्टिक्स) श्री एस.पी. सिंह तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, एनएचएआई, आईएचएमसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ अमेरिका और यूरोप के अंतर्राष्ट्रीय उद्योग विशेषज्ञ और आईआईटी, एनआईसी, एनपीसीआई, सी-डैक, एचओए (आई), एनएचबीएफ, आईआरएफ, एसआईएएम, वित्तीय संस्थानों और अग्रणी वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनियों के प्रतिनिधिगण भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

दिन भर चली कार्यशाला में कई पैनल चर्चाएं हुईं। इन चर्चाओं में विभिन्न औद्योगिक और तकनीकी पेशेवरों के साथ-साथ दुनिया भर के ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) विशेषज्ञों ने विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। इसमें ऑन-बोर्ड यूनिट्स (ओबीयू), वाणिज्यिक वाहन और राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, टोल चार्जर सॉफ्टवेयर, जारीकर्ता इकाई की भूमिका और भारत में मल्टी-लेन फ्री फ्लो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के सफल कार्यान्वयन के लिए सड़क बुनियादी ढांचे की आवश्यकताएं शामिल थीं।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा, “ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) तकनीक नेविगेशन और पोजिशनिंग को बढ़ाती है, टोल संग्रह प्रणालियों को आधुनिक बनाने, निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने और हमारी सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हम नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने, शासन को अधिक पारदर्शी बनाने और त्वरित सेवाएं प्रदान करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।”

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सचिव श्री अनुराग जैन ने कहा, “आज की कार्यशाला में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) पर कई वैश्विक विशेषज्ञों की भागीदारी इस बात का प्रमाण है कि दुनिया भारत की विकास गाथा में विश्वास रखती है। हम वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए काम कर रहे हैं और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) का कार्यान्वयन उस लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदमों में से एक होगा।”

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अध्यक्ष श्री संतोष कुमार यादव ने कहा, “पिछले एक दशक में, सड़क नेटवर्क का कई गुना विस्तार हुआ है और राष्ट्रीय राजमार्ग यात्री यातायात के साथ-साथ देश की 70 प्रतिशत से अधिक वस्तुओं को लाने-ले जाने का काम करते हैं। ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) को लागू करने से न केवल हमारी अर्थव्यवस्था के विकास में बहुत बड़ा योगदान मिलेगा, बल्कि हमारे नागरिकों के लिए बाधा रहित टोल व्यवस्था भी एक वास्तविकता बन जाएगी।”

एनएचएआई के सदस्य (प्रशासन) एवं आईएमएचसीएल के सीएमडी श्री विशाल चौहान ने भारत में जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान आयोजित पैनल चर्चा के मुख्य बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया तथा आगे की राह बताई।

ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित टोलिंग इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह का एक बैरियर फ्री तारीका है, जिसमें सड़क पर चलने वाले लोगों से टोल वाले राजमार्ग पर उनके द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर शुल्क लिया जाता है।

एनएचएआई मौजूदा फास्टैग इकोसिस्टम के भीतर जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली को लागू करने की योजना बना रहा है, जिसमें शुरुआत में हाइब्रिड मॉडल का उपयोग किया जाएगा, जहां आरएफआईडी-आधारित ईटीसी और जीएनएसएस-आधारित ईटीसी दोनों एक साथ काम करेंगे। टोल प्लाजा पर समर्पित जीएनएसएस लेन उपलब्ध होंगी, जिससे जीएनएसएस-आधारित ईटीसी का उपयोग करने वाले वाहन आसानी से गुजर सकेंगे। जैसे-जैसे जीएनएसएस आधारित ईटीसी अधिक व्यापक होता जाएगा, सभी लेन अंततः जीएनएसएस लेन में परिवर्तित हो जाएंगी।

भारत में जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के कार्यान्वयन से राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की सुगम आवाजाही में सुविधा होगी और राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को कई लाभ प्रदान करने की परिकल्पना की गई है जैसे कि बाधा रहित फ्री-फ्लो टोलिंग जिससे परेशानी मुक्त सवारी का अनुभव होगा और दूरी आधारित टोलिंग होगी। जीएनएसएस आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह से लीकेज को रोकने और टोल चोरों पर लगाम लगाने में भी मदद मिलेगी, जिसके परिणामस्वरूप देश भर में टोल संग्रह प्रणाली अधिक कुशल होगी।

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“अगले 5 वर्षों में भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाएगी”: केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां परमाणु ऊर्जा विभाग की 100 दिवसीय कार्य योजना की समीक्षा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक में कहा “भारत की परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता अगले पांच वर्षों में लगभग 70 प्रतिशत बढ़ जाएगी।”

यह केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग, डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा मोदी सरकार 3.0 में मंत्री के रूप में पुनः कार्यभार संभालने के बाद आयोजित पहली परमाणु ऊर्जा से संबंधित बैठक है।

ऊर्जा परिदृश्य में परमाणु ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “7.48 गीगावॉट की स्थापित क्षमता 2029 तक 13.08 गीगावॉट हो जाएगी, जो 7 नए रिएक्टरों के जुड़ने से 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। उन्होंने पहले से चल रही परियोजनाओं का भी जायजा लिया और आगामी योजनाओं के लिए दिशा-निर्देश दिए।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विभाग को क्षमता निर्माण और ज्ञान, संसाधनों और विशेषज्ञता को साझा करके पूर्ण क्षमता का दोहन करने के लिए एकीकृत सहयोग करने का निर्देश दिया। मंत्री ने प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।” उन्होंने याद दिलाया कि इस सरकार ने, सहयोग के माध्यम से बजट में वृद्धि करके, अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों का उपयोग और सहयोग में वृद्धि करके सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ संयुक्त उपक्रमों की अनुमति दी है। अनुसंधान में आसानी और गतिविधियों को बढ़ाने पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम आसान विज्ञान को बढ़ावा देने और परमाणु प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग द्वारा नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए एकल बिंदु अनुमोदन दे रहे हैं।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि विभाग कैप्टिव परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भारत लघु रिएक्टर (बीएसआर) का उपयोग करने के लिए 220 मेगावाट दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) को डिजाइन कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि डीएई कैलेंड्रिया को प्रेशर वेसल द्वारा प्रतिस्थापित करके हल्के जल-आधारित रिएक्टरों का उपयोग करने के लिए भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (बीएसएमआर) 220 मेगावाट पर भी काम कर रहा है।

डॉ. जीतेंद्र सिंह के अनुसार, भाविनी सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर की प्रारंभिक ईंधन लोडिंग को पूरा करने का काम प्रगति पर है और आने वाले महीनों में इसकी पहली क्रिटिकैलिटी की ओर बढ़ने की उम्मीद है। यह पहला फास्ट ब्रीडर रिएक्टर है जो अपनी खपत से ज़्यादा ईंधन का उत्पादन करता है।

मंत्री ने जोर देकर कहा कि ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ रेडियोफार्मास्युटिकल्स और परमाणु चिकित्सा, कृषि और खाद्य संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि विकिरण प्रौद्योगिकी के विकास से आम नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक लाभ होगा और जीवन को आसान बनाने में मदद मिलेगी तथा उप-परमाणु कणों का उपयोग करके बुनियादी, अनुप्रयुक्त और ट्रांसलेशनल विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

समीक्षा बैठक में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहंती तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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केंद्र सरकार किसानों के कल्याण और उपभोक्ताओं के साथ-साथ उद्योग के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती हैः प्रल्हाद जोशी

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने आज भारत मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) की 64वीं परिषद बैठक का उद्घाटन किया। इस बैठक का 27 जून, 2024 को समापन होगा। इस बैठक में 30 से अधिक देशों के विशेषज्ञों ने भाग लिया और गन्ना, चीनी व संबद्ध क्षेत्रों में भविष्य की संभावनाओं, चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा एवं विचार-विमर्श किया। इससे पहले, भारत ने वर्ष 2012 में आईएसओ कंपनी के 41वें सत्र की मेजबानी की थी।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलेखाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया

अपने उद्घाटन भाषण में केंद्रीय मंत्री श्री जोशी ने कहा कि लगभग 5 करोड़ किसान गन्ने की खेती में लगे हुए हैं और चीनी उद्योग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्‍ध करा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार किसान कल्याण और उद्योग के साथ-साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है, ताकि कृषि प्रकियाओं को बेहतर बनाने के लिए सहयोगात्मक प्रयास सुनिश्चित किए जा सकें।

श्री जोशी ने आईएसओ सम्मेलन की मेजबानी पर गर्व व्यक्त करते हुए चीनी और जैव ईंधन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी और कौशल को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता के बारे में जानकारी दी। चीनी के बारे में भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक निर्भरता पर जोर देते हुए उन्‍होंने दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता और एक महत्वपूर्ण जैव ईंधन उत्पादक के रूप में भारत की स्थिति का उल्लेख किया और कहा कि इससे पेट्रोल के साथ 12 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का स्‍तर प्राप्‍त हो गया है और जल्दी ही 20 प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्‍त होगा।

श्री जोशी ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में जैव ईंधन की भूमिका पर जोर देते हुए चीनी उद्योग और किसानों पर पेट्रोल के साथ भारत के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के सकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्‍होंने प्रतिनिधियों को चीनी क्षेत्र में भविष्य के उद्यमों के लिए इस सम्मेलन का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया और उनकी सफलता की कामना की।

भारत सरकार के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव और आईएसओ के अध्यक्ष श्री संजीव चोपड़ा ने आने वाले समय में आईएसओ की बड़ी भूमिका का सुझाव दिया। उन्होंने इस बात की तत्काल जरूरत पर बल दिया कि दुनिया के चीनी और इथेनॉल उद्योग, सूखे जैसी प्रतिकूल परिस्थिति में भी पैदा होने वाली गन्ने की किस्‍म विकसित करने, जल संरक्षण और जैव ईंधन को बढ़ावा देने सहित सुदृढ़ कार्यप्रणालियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटे। उन्‍होंने कहा कि अपने किसानों और छोटे उद्योगों के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने में आईएसओ सदस्य देशों में अधिक सहयोग की आवश्यकता है। भारत और ब्राजील दो सबसे बड़े चीनी उत्‍पादक देश हैं। उन्‍हें गन्ने में अनुसंधान और विकास में सहयोग व समन्वित प्रयास करने चाहिए ताकि अधिक उपज, अधिक सुक्रोज तत्‍व वाली तथा स्थानीय परिस्थितियों के लिए उपयुक्त बेहतर गन्‍ना किस्मों का विकास किया जा सके। उन्होंने इथेनॉल उत्पादन और मिश्रण में भारत की प्रगति पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि इन प्रयासों में स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देना राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। श्री चोपड़ा ने भारत के प्रधानमंत्री की एक पहल वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की सफलता पर भी प्रकाश डाला।

श्री जोस ओरिवे, ईडी, आईएसओ ने अध्यक्ष के रूप में आईएसओ मामलों को सफलतापूर्वक संभालने और इस कार्यक्रम को इतने भव्य रूप में आयोजित करने के लिए भारत को बधाई दी। उन्होंने भारत सरकार, भारतीय चीनी और जैव ईंधन उद्योग के बीच समन्‍वय की सराहना करते हुए कहा कि इस क्षेत्र ने भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

इस अवसर पर आज शुगर एवं जैव-ऊर्जा- उभरते परिदृश्य विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला ने उद्योग जगत की हस्तियों और सरकारी अधिकारियों में विचारों का आदान-प्रदान करने और चीनी तथा जैव-ऊर्जा क्षेत्रों में भविष्य की संभावनाओं का पता लगाने के लिए एक उत्कृष्ट मंच के रूप में भी काम किया।

शुगर एवं जैव-ऊर्जा- उभरते परिदृश्य विषय पर कार्यशाला में विभिन्न ज्ञानवर्धक सत्र शामिल रहे, जो इस प्रकार हैं-

  1. विविधीकरण के माध्यम से स्थिरता: इस सत्र में गन्ने की खेती और चीनी क्षेत्र को अधिक टिकाऊ प्रथाओं की ओर ले जाने और इस बारे में इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसके अतिरिक्‍त, मजबूत वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जीवाश्म ईंधन के स्थान पर हरित ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देगा।
  2. चीनी क्षेत्र का मशीनीकरण और आधुनिकीकरण: स्थिरता विषय को आगे बढ़ाते हुए, इस  सत्र के दौरान गन्ने की खेती पर मुख्‍य रूप से चर्चा की गई। भारत में छोटी भूमि जोतों के लिए कृषि मशीनीकरण, और विशेष रूप से मशीनरी का निर्माण, किसानों को विस्तार सेवाएं तथा प्रौद्योगिकी का उपयोग गन्ने की खेती को और अधिक किफायती व उत्पादक बना देगा।
  3. चीनी क्षेत्र का डिजिटलीकरण: इस सत्र में भारत सरकार की एग्रीस्टैक जैसी विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला गया। ये कृषि सांख्यिकी और डेटा प्रबंधन में क्रांतिकारी परिवर्तन कर रही हैं और अधिक उपयुक्त नीति का निर्माण करने और समय पर सरकारी उपायों के लिए आवश्यक है। कृषि पद्धतियों के लिए एआई/एमएल के साथ-साथ रिमोट सेंसिंग तकनीकों का उपयोग फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण होगा।
  4. चीनी की वैश्विक मांग और आपूर्ति: आईएसओ के अर्थशास्त्री श्री पीटर डी क्लार्क और डॉ. क्लॉडियू कोवरिग ने वैश्विक चीनी क्षेत्र के बारे में अपने विश्लेषण साझा किए और निकट भविष्य में वैश्विक चीनी व इथेनॉल के क्षेत्र में मांग और आपूर्ति परिदृश्य को स्पष्ट करते हुए, इस पैनल चर्चा ने चीनी व्यापार की पद्धति और वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतों के अनुमानों को दर्शाया।
  5. ग्रीन हाइड्रोजन: आईएसओ के सलाहकार श्री लिंडसे जॉली ने ऊर्जा के स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की क्षमता और इस क्षेत्र में चीनी क्षेत्र की भूमिका पर अपना दृष्टिकोण साझा किया। वे ऑटोमोबाइल क्षेत्र के साथ-साथ बिजली क्षेत्र के लिए ईंधन के प्रमुख स्रोत के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन के विकास के प्रति अधिक आशावादी रहे।

पोडियम पर खड़ा एक व्यक्तिविवरण स्वचालित रूप से उत्पन्न होता है

सम्मेलन ने प्रतिनिधियों को चीनी क्षेत्र के विशेषज्ञों से बातचीत करने, वैश्विक रुझानों को समझने, चीनी तथा इथेनॉल के लिए प्रासंगिक विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक बेहतर अवसर प्रदान किया। इन सत्रों ने उत्पादक चर्चाओं को सुगम बनाया और विचारों के सार्थक आदान-प्रदान को सुनिश्चित किया, जिसके परिणामस्‍वरूप बातचीत से प्रभावशाली परिणाम प्राप्‍त हुए। इस सम्मेलन ने चीनी उद्योग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उल्‍लेख किया। इस सम्‍मेलन से इस क्षेत्र में टिकाऊ और उन्नत प्रथाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ।

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देश की राजनीति में वो होगा जो पहले कभी नहीं हुआ

दैनिक भारतीय स्वरूप , संवाद सूत्र मनोज अग्निहोत्री देश की राजनीति में जो पहले कभी नहीं हुआ वो अब होने जा रहा है।कल यानी 26 जून की सुबह लोकसभा स्पीकर के पद के लिए वोटिंग होगी। स्पीकर पद पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आम सहमति ना बनने के कारण चुनाव की नौबत आई है। एनडीए ने एक बार फिर ओम बिरला को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं, आईएनडीआईए की तरफ से के सुरेश ने पर्चा दाखिल किया है।

लोकसभा स्पीकर को लेकर मंगलवार सुबह से ही सियासी माहौल गरमाया हुआ था। शुरुआत में उम्मीद जताई जा रही थी कि स्पीकर पद पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर केंद्र को समर्थन देने का भी एलान किया था। हालांकि, घंटेभर बाद ही विपक्ष ने ओम बिरला के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार दिया।

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भजनो के बीच छात्र नेता को दी गई श्रद्धांजलि , पुण्य तिथि पर शहर के दिगज्जो ने किया याद

कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता। कानपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय पुष्पेन्द्र सिंह “पिंकू यादव” (एडवोकेट) की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजन किया गया । पुष्पेंद्र चौराहा परमट में हुई इस श्रद्धांजलि सभा मे भजन संध्या में कलाकारों ने अपने भजनों से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया । गणमान्य हस्तियों की मौजूदगी में भंडारे में प्रसाद भी वितरित किया गया । कानपुर की महापौर श्रीमती प्रमिला पांडे सहित बड़ी संख्या मे राजनेताओं , समाज सेवियों और छात्र नेताओं ने अपने श्रद्धां सुमन अर्पित किये । वक्ताओं ने कहा कि पुष्पेंद्र सिंह उर्फ पिंकू यादव ने राजनीति के नये आयाम स्थापित किये थे । महापौर प्रमिला पांडे ने कहा कि अपनी लोकप्रियता के चलते डीएवी कालेज में पहली बार में ही पुष्पेंद्र सिंह अध्यक्ष पद पर विजयी हुए ।उन्होंने कम उम्र में ही सेवा कार्य के बल पर प्रसिद्धि हासिल की थी । इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी पुष्पेंद्र सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला । पूर्व पार्षद कीर्ति अग्निहोत्री और परमट व्यापार मंडल अध्यक्ष राम सिंह यादव के संयोजन में हुए समारोह में पूर्व सांसद सत्यदेव पचौरी , विधायक अमिताभ बाजपेई , पूर्व विधायक सतीश निगम , कांग्रेस नेता आलोक मिश्रा , भाजपा जिलाध्यक्ष दीपू पाण्डे , भाजपा नेता सुरेश अवस्थी , पप्पू यादव सहित बड़ी संख्या में राजनैतिक और सामाजिक हस्तियों के अलावा छात्र नेताओं व अधिवक्तओ ने हिस्सा लिया ।

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एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज में “दसवां अंतराष्ट्रीय योग दिवस” धूम-धाम से मना

कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऍन एस एस यूनिट द्वारा “दसवां अंतराष्ट्रीय योग दिवस” को धूम-धाम से मनाया गया। फूलबाग बस्ती में ऍन एस ऐस की स्वयंसेविकाओं ने योग पर बस्ती वासियों को जागरूक किया साथ ही योग प्रशिक्षक भूमि तिवारी ने स्वयंसेविकाओं को योग का प्रशिक्षण दिया । ४० स्वयंसेविकाओं ने, बस्ती वासियों ने तथा अनेक शिक्षक व शिक्षिकाओं एवम शिक्षिनेतर्र कर्मचारियों ने योग का अभ्याहस किया। ऍन एस एस प्रभारी प्रो चित्रा सिंह तोमर ने योग के समापन पर स्वयंसेविकाओं को फल एवम मिष्ठान का वितरण किया।

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छोटे व मझोले अखबारों को खत्म करने की साजिशः के. डी. चंदोला

~छोटे व मझोले अखबारों का उत्पीड़न बन्द करे केन्द्र सरकारः चंदोला
-प्रेस सेवा पोर्टल की जटिलताओं का दूर करने की मांग
-प्रेस सेवा पोर्टल व विज्ञापन पालिसी की विसंगितयों को दूर करवाने का प्रयास करूंगाः के. सतीश नम्बूदरीपद्
-अनेक जटिलतायें पैदा करके छोटे व मझोले अखबारों को बन्द करने की साजिशः चंदोला
-अखबार प्रकाशन में प्रयुक्त होने वाली सामग्री जी. एस. टी. मुक्त की जायेः श्याम सिंह पंवार
गुवाहाटी। एसोसियेशन ऑफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इण्डिया की राष्ट्रीय परिषद् (नेशनल काउंसिल) की बैठक असम राज्य के गुवाहाटी के पलटन बाजार स्थित होटल स्टार लाइन में आयोजित की गई।
बैठक में छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों को प्रभावित करने वाली नीतियों व उनकी समस्याओं का निराकरण करने की मांग की गई। अनेक राज्यों से पधारे प्रकाशकों ने आरोप लगाया कि केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीनस्थ आर. एन. आई. कार्यालय व सी. बी. सी. कार्यालय के अधिकारियों की मनमानी के चलते छोटे व मझोले वर्ग के अखबार मालिक परेशान हैं। इन दिनों नया प्रेस सेवा पोर्टल परेशानी का एक बड़ा कारण बना हुआ है जिसके चलते अखबारों के प्रकाशकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और प्रकाशकगण अपने-अपने अखबारों का वार्षिक विवरण नहीं भर पा रहे हैं। अतः प्रेस सेवा पोर्टल की जटिलताओं को दूर करने के साथ-साथ वार्षिक विवरण भरने का समय अगस्त 2024 तक बढ़ाया जाये। वहीं सी. बी. सी. की विज्ञापन पालिसी के चलते छोटे व मझोले अखबारों की विज्ञापन की हिस्सेदारी प्रभावित हो रही है और उनका हक मारा जा रहा है। अतः विज्ञापन नीति में संशोधन किया जाये ताकि छोटे व मझोले अखबारों की विकासदर प्रभावित ना हो। अखबार मालिकों ने यह माँग भी रखी कि अखबारों के मालिकों का परिचय पत्र भी आर. एन. आई. द्वारा जारी किया जाये।
मुख्य अतिथि रहे प्रेस इन्फॉर्मेंशन ब्यूरो (पूर्वोत्तर जोन) के डायरेक्टर जनरल के. सतीश नम्बूदरीपद् ने प्रकाशकगणों की अनेक समस्याओं को सुनकर आश्वासन दिया कि आर. एन. आई. व सी. बी. सी. के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर छोटे व मझोले अखबारों की जटिल समस्याओं का निस्तारण अवश्य करवायेंगे और जहाँ जिस तरह की जरूरत होगी, उसमें परिवर्तन व संशोधन करवायेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि नई-नई तकनीकों का सामना करने के लिये तैयारी करने की जरूरत है अन्यथा पिछड़ जाओगे। लेकिन मैं अपने स्तर से यही प्रयास करूंगा कि प्रकाशकों की हर समस्या का समाधान हो जाये।
इस मौके पर एसोसियेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा, ‘‘हम केन्द्र सरकार से कहना चाहते हैं कि हम प्रकाशकगण, नई तकनीक के विरोधी नहीं हैं, लेकिन विज्ञापन नीति व प्रेस सेवा पोर्टल में जो विसंगतियाँ हैं, उन्हें तत्काल दूर किया जाये अन्यथा देशभर के छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों के प्रकाशकगण विरोध करने पर बाध्य होंगे।’’
उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार ने कहा, ‘‘अखबारों को प्रकाशित करने में प्रयुक्त होने वाली सभी सामग्री को जी. एस. टी. मुक्त किया जाये, जिससे कि छोटे व मझोले वर्ग के अखबार प्रकाशकों को जटिलता से राहत मिल सके।’’
उन्होंने यह भी मांग कि अखबारों की पिं्रट लाइन के अनुसार ही प्रेस सेवा पोर्टल पर प्रकाशकों/स्वामियों की प्रोफाइल बनाने की सुविधा दी जाये क्योंकि आधार में दर्ज विवरण भिन्न होने के चलते प्रकाशकों का विवरण मेल नहीं खा रहा है जिसके प्रकाशकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बैठक में एसोसियेशन की कोषाध्यक्ष भगवती चंदोला, उत्तर प्रदेश राज्य इकाई के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, अखिलेश सिंह, असम इकाई अध्यक्ष गिरिन्द्र कुमार कार्जी, किरि रांगहेंग, उत्तराखण्ड इकाई अध्यक्ष अतुल दीक्षित, मध्य प्रदेश से अकरम खान, सबरूनिशा, आन्ध्र प्रदेश से एस. कोण्डलाराव, के. वेंकटेश रेड्डी, राजस्थान से गोपाल गुप्ता, तरूण कुमार जैन, धर्मेन्द्र सोनी, अन्जू लता सोनी, कर्नाटक से वेनुगोपाल के. नाइक सहित अनेक प्रकाशक मौजूद रहे।

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मज़े की लाइफ

दैनिक भारतीय स्वरूप, कुछ ख्याल अक्सर अचानक आते हैं यूंकि बेमतलब से लगते हैं लेकिन सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम जिंदगी को किस नजर से देखते हैं और शायद हमारा नजरिया हमारी जिंदगी के रास्ते भी तय करता है। कितने ही दुख सुख आते जाते हैं, कितने ही लोग मिलते बिछड़ते हैं जिंदगी में, पता नहीं कब कौन दोस्त बन जाता है और कब किसका साथ छूट जाता है। ये वक्त, ये पल ऐसे होते हैं जिनमें डूबकर हम बह जाते हैं या फिर मौन साधकर तटस्थ हो जाते हैं। कुछ ऐसे अपनों से भी वास्ता रहता है जो जिंदगी में नमक और शक्कर की तरह घुले से रहते हैं लेकिन फिर भी जिंदगी नींबू निचोड़ कर शरबत बना ही देती है क्योंकि हमेशा मुस्कुराते हुए हमें संबंधों को स्वीकारना होता है। कभी-कभी लगता है कि यह सब प्रपंच छोड़कर “मजे की लाइफ” का आनंद लेना चाहिए कोई कुछ बोल रहा हो तो बोलने दो उसे हम अपने ही गीत में मगन रहें, कोई पैर खींचना चाहे तो उसके साथ बैठकर बतिया ही लिया जाए। यह रफ्तार भरी जिंदगी कब थम जाती है यह भी हमें देर से मालूम पड़ता है। लब्बोलुआब कुछ यूं है कि पंचायती स्वभाव वाले प्राणी हमेशा खुश रहते हैं। तांक – झांक, लगाई – बुझाई शगल रहता है उनका और कुछ नहीं तो मनोरंजन ही हो जाता है। मोहल्ले में सबसे ज्ञानी भी वही रहते हैं।

“मोहल्ले में सबसे ज्ञानी हम ही हैं ऐसा हम मानते हैं अब क्या करें सबको मालूम हो या ना हो हमारा काम है ज्ञान बांटना और कुछ इधर-उधर करना। अब घर में बहुरिया है तो घर की चिंता से हम मुक्त है सारा जीवन खट लिया तो अब हम मजे से अपनी लाइफ जिएंगे।”
“पता नहीं लड़कियाँ एक ही शहर में शादी करके मायके में काहे पड़ी रहती है, समझ में नहीं आया आज तक। अब हम पूछे तो बुरे बन जाए फिर भी मन की कुलबुलाहट पर काबू कैसे पाएं तो पूछ ही लेते हैं कि का हो लल्लन की दुल्हिन बिटिया घर में है? सब कुसल मंगल तो है ना ?”
सवाल हम पूछा तो जवाब मा सवाल हम ही से पूछ लिया गया।
“अरे चाची! तुमका काहे चिंता हो रही है?”
चाची:- “अरे कुछू नाहीं! मुन्नी को देखा तो पूछ लिया। कौउनो बात नहीं सुखी रहो। रामदुलारी हमका मिलीं रहीं तो उनहीं बताइन कि मुन्नी आई है तो हाल-चाल लेक खातिर आए गयन और तुमरी सहेली बबीता के घर से झगड़े की आवाज आवत रही। लागत भय कि बहुरिया सास का खूब खरीखोटी बोलत रही। रोना धोना मचा रहै खूब, आवाज आवत रही।”
“अरे चाची! सब घर में कुछ ना कुछ होत है तुम काहे परेसान होती हो? घर मा बैइठ के भजन किया करो।”
चाची:- “हां बिटिया! अब यही करना ही है मगर आंख कान नाक बंद थोड़ी कर लेंगे।”
“चाची तुम तुमरी कहो कल तुम्हार बिटेवा तुमका का बोलत रहै ? काहे डांटत रहै?”
अरे कुछ नहीं! चलो हम जा रहे हैं, देर हो रही है। बिटिया लोगन का बहुत दिन मायका मा नाही रहेक चाही। ससुराल मा ही नीक लगतीं हैं और सुनो लल्लन की दुल्हिन हम अपना समझ कै बोलत हन नहीं तो हमका का पड़ी है। राधे-राधे..”
गली के नुक्कड़ पर सहेली नंदा मिल गई दोनों बतियाने लगी। कहां से आ रही हो जी?
“अरे लल्लन के घर पर रुक गये रहन पता है पंदर दिन से घर पर है मुन्नी, हमका तो दाल में कुछ काला नजर आ रहा है?”
“अरे कुछ नहीं! सब कामचोरी है ससुराल में काम करना पड़ता है तो भाग कर मायके आ जाती हैं।”
“हम्म यही बात होई! अच्छा सुनो तुम मंदिर गई रहौ का? बहुत चोट्टा पंडित है सब डकार लेत है फिर भी पेट नहीं भरत है उका ऊपर से ही – ही करत रहत है बस।”
“ऐजी तुम फालतू ना बोला करो उ अपना काम करत हय बेचारा, जो बुलावत है तय कर लेत है उतना मा ही सब होई जात है।”
“का हमका कुत्ता काटा है जो हम ई मेर बोलब? हंय?. हम देखा है कल रजनी कहत रही।”
“अच्छा छोड़ो तुम जाय के खुदही तय कर लो हम का देर हो रही है राधे-राधे।”
चाची:- “ठीक है! राधे-राधे। आजकल कौउनो से कुछू कहे वाला नहीं उल्टे हमरे ऊपर बरस पड़त हैं।”
घर पहुंचते ही… अम्मा जी आ गई? चौधरी वाले काम हो गए हों आपके तो जरा सब्जी काट दो हमको!”
“हां! लाओ दे दो अब यही करेंगे!”
कहने का मतलब यही है कि आप अपनी जिंदगी को अपने मनमुताबिक जियें। जिंदगी में कुछ हासिल करें या ना करें मगर सुकून जरूर हासिल करें। लोगों से जुड़ाव लगाव और संबंध इस जीवन की कमाई है और इसे निभाना वास्तव में कसौटी है कसौटी पर खरा उतरना भी कसौटी ही है आसान नहीं होता मगर यही हमारी पूंजी भी है। अपनी इच्छाओं अपनी भावनाओं और खुद अपने आप को नकारात्मकता से दूर रख कर जीवन का आनंद लेना चाहिए।- – प्रियंका वर्मा माहेश्वरी 

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आखिर लगा ही दी नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमन्त्री पद पर हैट्रिक

दैनिक भारतीय स्वरुप, जैसा कि पूर्वानुमान था, नरेन्द्र दामोदर दास मोदी ने हैट्रिक लगाते हुए 9 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमन्त्री पद की शपथ ली| यद्यपि विपक्षी पार्टियों के गठबन्धन इण्डिया ने राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन को कड़ी टक्कर दी है| जिससे भाजपा का 400 पार का स्वप्न साकार नहीं हो सका| इसके कारणों पर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को गहन विचार करना पड़ेगा| क्योंकि पार्टी के चाणक्यों ने 400 से अधिक सीटें प्राप्त करने हेतु जो रणनीति बनायी थी, वह कहीं न कहीं विफल साबित हुई| जिसके चलते भाजपा को बहुमत से बहुत कम 240 सीटें ही प्राप्त हुईं| परन्तु उसके नेतृत्व वाले गठबन्धन राजग ने 292 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफलता प्राप्त की| जनवरी 2023 से फरवरी 2024 के बीच विभिन्न एजेंसियों द्वारा कराये गये चुनावी सर्वेक्षणों में भी नरेन्द्र दामोदर दास मोदी हैट्रिक लगाते हुए दिखाई दे रहे थे| जो एकदम सही साबित हुआ| लेकिन सीटों को लेकर सर्वेक्षणों का आकलन गलत सिद्ध हुआ| देश की 13 अलग-अलग एजेंसियों द्वारा कराये गये सर्वेक्षणों के आधार पर भाजपा गठबन्धन को 44.30 प्रतिशत वोट के साथ 341 के आसपास सीटें मिलने की सम्भावना थी| लेकिन भाजपा को मात्र 36.56 प्रतिशत मतों के साथ 240 सीटें ही प्राप्त हुईं और उसके गठबन्धन राजग को 41.56 प्रतिशत मतों के साथ 292 सीटों से सन्तोष करना पड़ा| सर्वेक्षण में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को 36.52 प्रतिशत मतों के साथ 146 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था| जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले इण्डिया गठबन्धन को 39.21 प्रतिशत मतों के साथ 234 सीटें प्राप्त हुईं| सर्वेक्षण के आधार पर अन्य दलों को 56 सीटें मिलनी चाहिए थीं| परन्तु वास्तविक परिणाम मात्र 17 सीटों का ही रहा| यहाँ विचार करने योग्य बात यह है कि इण्डिया गठ्बन्धन को 234 सीटें तब प्राप्त हुई हैं जबकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की आधारभूत इकाइयाँ संगठनात्मक रूप से भाजपा की तरह मजबूत नहीं हैं|

अयोध्या के बहुचर्चित श्रीराम मन्दिर के निर्माण से भाजपा की बांछे खिली हुई थीं और उसे पूर्ण विश्वास था कि आस्था का शैलाव ऐसा उमड़ेगा कि भाजपा अकेले दम पर 400 से अधिक सीटें प्राप्त करने में सफल होगी| परन्तु परिणाम पूरी तरह उल्टा निकला| पूरे देश में जो हुआ सो हुआ ही अयोध्या से सम्बन्धित फ़ैजाबाद सीट ही भाजपा के हाँथ से निकल गयी| जिसके कारण अयोध्यावासी कट्टर भाजपाइयों द्वारा सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रहे हैं| श्रीराम के प्रति उनकी आस्था पर ही सवाल खड़े किये जा रहे हैं| संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को स्वतन्त्र रूप से मतदान करने का अधिकार दिया है| इसके लिए कोई किसी पर न तो दबाव डाल सकता है और न ही अपनी मर्जी थोप सकता है| अब यदि किसी दल को उसकी अपेक्षा के अनुरूप मत नहीं प्राप्त हुए हैं तो उस दल को मतदाताओं के प्रति दुर्भावना व्यक्त करने की अपेक्षा अपनी कार्यशैली की समीक्षा करनी चाहिए| जनतन्त्र में जनता ही सर्वोपरि है| सरकारों के काम-काज की समीक्षा करते हुए उसके समर्थन या विरोध का निर्णय वह मतदान के माध्यम से ही सुनाती है| जो हुआ भी और आगे भी होगा| किसी एक मुद्दे के बल पर कोई भी दल लम्बे समय तक पूर्ण बहुमत की अपेक्षा नहीं कर सकता और न ही करना चाहिए| आशा है भाजपा के रणनीतिकार इस बात को गम्भीरता पूर्वक समझेंगे और पुनः उन्हें जो सुअवसर मिला है उसका भरपूर सदुपयोग करेंगे| गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, किसानो की दुर्दशा, स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली तथा शिक्षा का गिरता स्तर जैसे ज्वलन्त मुद्दे चुनौती बनकर सामने खड़े हैं| इन मुद्दों को बहुत लम्बे समय तक हासिये पर नहीं डाला जा सकता| निश्चित ही नरेन्द्र मोदी अपने नये कार्यकाल में इन मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे और इनसे निबटने के लिए स्थाई योजना बनाते हुए उसे प्रभावी ढंग से लागू भी करेंगे| उन्हें विशेष रूप से याद रखना होगा कि उनकी सत्ता में वापसी का मार्ग विकल्पहीनता के कारण भी प्रशस्त हुआ है| लोगों ने इण्डिया गठबन्धन को गुस्से में वोट दिया है| कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों को उनका आधारभूत संगठनात्मक ढांचा मजबूत न होने के बावजूद इतना वोट मिलना सिर्फ और सिर्फ लोगों के अन्दर भाजपा सरकार के प्रति व्याप्त गुस्से का परिणाम है| वहीँ असन्तुष्टों के एक बड़े वर्ग ने इण्डिया और राजग के बीच तीसरा और मजबूत विकल्प न देखकर राजग को चुना है| इस बार मतदान का प्रतिशत भी कम रहा| इसके मूल में भी कहीं न कहीं लोगों में सरकार के प्रति उत्साह का अभाव रहा| देशवासी कांग्रेस और सपा के शासन की विफलताओं को अभी भूले नहीं हैं| जिनके विकल्प में उन्होंने भाजपा और उसके सहयोगी दलों पर अपना विश्वास जताया था| परन्तु इन दस वर्षों में मंहगाई, बेरोजगारी, गरीबी, कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर सरकार कोई करिश्मा नहीं कर सकी| बल्कि विफलता ही उसके हिस्से में आयी| जिसको लेकर आम जन में रोष होना स्वाभाविक था| परन्तु भाजपा और कांग्रेस की जगह किसी तीसरे और मजबूत विकल्प के अभाव में यह रोष जनाक्रोश में परिवर्तित नहीं हो सका| जैसा 2014 में हुआ था| ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के दायरे में आने वाले विपक्षी दलों के नेताओं का बड़ी संख्या में चुनाव पूर्व भाजपा में शामिल होना, उसके बाद उन पर ईडी और सीबीआई की कार्रवाई रूक जाना और पार्टी में तत्काल उन्हें विशेष स्थान मिल जाना भी भाजपा के लिए घातक बना| क्योंकि इससे न केवल भारतीय जनता पार्टी के रूढ़ नेता एवं समर्पित कार्यकर्ता अन्दरखाने नाराज हुए| बल्कि आम जन में भी इसका गलत सन्देश गया| जिसका सीधा असर भाजपा के वोट प्रतिशत पर पड़ा| अतः प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी तथा उनके सहयोगियों को अपने नये कार्यकाल में पुरानी रणनीतियों का परित्याग करते हुए नई कार्यशैली अपनानी चाहिए| जो भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं, रूढ़ नेताओं तथा आम जन को सन्तुष्ट करने वाली हो| यद्यपि इस बार सरकार को गठबन्धन के दबाव में निर्णय लेने पड़ सकते हैं| परन्तु नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत छवि दृढ़ निश्चयी व्यक्ति वाली रही है| इसीलिए वह देश ही नहीं विदशों तक के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं| अतएव गठबन्धन के दबाव की परवाह किये बिना उन्हें जनहित के निर्णय लेने में कतई संकोच नहीं करना चाहिए! — डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

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एस.एन.सेन बालिका महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय विश्व योग-दिवस 2024″ आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता राज भवन, उत्तर प्रदेश द्वारा आदेशित “अंतरराष्ट्रीय विश्व योग-दिवस 2024” के अवसर पर योगाभ्यास संवर्धन से संबंधित आयोजन एवं योग शपथ हेतु एस.एन.सेन बालिका महाविद्यालय की एनएसएस, एनसीसी रेंजर्स यूनिट व क्रीड़ा विभाग द्वारा महाविद्यालय के प्रबंध समिति के सचिव श्री पी.के.सेन एवं प्राचार्या प्रो. (डॉ )सुमन की अध्यक्षता में योग प्रशिक्षक भूमि तिवारी द्वारा महाविद्यालय की शिक्षिकाओं, तीनों यूनिट्स, क्रीड़ा विभाग एवं अन्य छात्राओं को योगाभ्यास कराया गया। साथ ही सभी को योगभ्यास के लाभ बताते हुए योगभ्यास के लिए प्रेरित किया गया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में प्राचार्या महोदया के साथ शिक्षिकाओं, कर्मचारियों एवं छात्राओं ने *योग शपथ* ली।
कार्यक्रम में तीनों यूनिट्स के प्रभारी, महाविद्यालय की शिक्षिकाएं, कर्मचारी एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।
शासनादेश के परिपालन में समस्त विभागों की शिक्षिकाओं, महाविद्यालय के कर्मचारियों, महाविद्यालय के तीनों यूनिट्स एवं सभी विभागों की छात्राओं ने ऑनलाइन योग शपथ लेकर प्रमाणपत्र प्राप्त किया।
महाविद्यालय से लगभग पाँच सौ छात्राओं ने योग शपथ का प्रमाणपत्र प्राप्त किया।

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