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राजनीतिक महाभारत…. जीत किसकी?

देश में चल रहे 2024 लोकसभा चुनाव का सियासी घमासान खत्म हो गया है और अब सबकी नजरें प्रधानमंत्री के शपथ समारोह पर है। सियासी युद्ध के परिणाम लोगों की सोच से परे रहा हालांकि साम दाम दंड भेद वाली नीति भाजपा की हमेशा से रही है मगर इस बार भाजपा की पकड़ कमजोर साबित हुई। इस चुनाव के नतीजों ने जहां बीजेपी की हार ने लोगों को चौकाया वहीं कांग्रेस का मजबूती से खड़ा होना और सत्तारूढ़ दल को टक्कर देना लोगों को आश्चर्य में डाल गया।

ये दीगर बात है कि कांग्रेस बहुमत नहीं ला पाई लेकिन एक मजबूत विपक्ष के रूप में खड़ी हुई है हालांकि सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए उसे अभी कड़ी मेहनत की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जिन प्रदेशों पर आंख मूंद कर भरोसा किया था इस बार वहीं से इन्हें मुंह की खानी पड़ी। अयोध्या जैसे शहर से हार जाना जरा अविश्वसनीय लगता है। जो शहर राम मंदिर के प्रचार और जय श्री राम के नारों से गूंजता था वहां भाजपा की हार अप्रत्याशित है हालांकि कई कारण बताए जा रहे हैं।
फैजाबाद लोकसभा सीट के नतीजे से हर कोई हैरान है जहां सरकार द्वारा राम मंदिर का निर्माण कराया गया था और मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी ऐसे समय  की गई जब इसी साल देश में लोकसभा चुनाव होने वाले थे। यह दीगर बात है कि यह कार्य भी चुनावी रणनीति के तहत ही किया गया था मगर इन सब के बावजूद भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। ध्यान दें कि यहां साल 2022 की विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की जमीन दरक चुकी थी और 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते पूरी तरह खिसक गई। 2022 के चुनाव में भाजपा ने जिले में पांच विधानसभा सीटों में से 2 सीटें गंवा दी थी फिर भी भाजपा सजग नहीं हुई और 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने है।
हिंदुत्व के रथ पर सवार भाजपा ने स्थानीय मुद्दों और मसलों को दरकिनार किया। 2020 में जब विकास कार्य शुरू हुआ तो सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान बड़ी संख्या में मकान और दुकान टूटे। बड़ी संख्या में लोगों के घर उजड़े लोगों के रोजगार छिनें। व्यापारी वर्ग का आरोप है कि उन्हें मकान और दुकानों के अधिग्रहण का उचित मुआवजा नहीं मिला। जो लोग अपनी जमीन से संबंधित कागज पेश नहीं कर सके बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को मुआवजा नहीं मिला। अयोध्या के हाई प्रोफाइल बनने की वजह से यहां आम लोगों की सुनवाई ना तो भाजपा के नेताओं ने की और ना ही यहां के अधिकारियों ने की यही वजह है कि भाजपा से लोगों का मोह भंग होने लगा।
अयोध्या में करीब 84% हिंदू और 13% मुसलमान है। इसके बावजूद यहां पर भाजपा का हिंदुत्व का कार्ड फेल हो गया। स्थानीय हिंदू मुसलमानों ने खुलकर कहा कि बाबरी की घटना के बाद यहां पर लगातार भाईचारे को बिगड़ने का काम किया गया है एक समय था कि जब मुसलमानों के बनाये खड़ाऊं वहां के साधू संतों के पैर में सजते थे।
अयोध्या के आसपास के इलाकों में ज्यादातर किसान है और जो खेती किसानी से अपना जीवन यापन करते हैं। ऐसे में आवारा पशुओं की समस्या को भाजपा ने नजरअंदाज किया। खेतीबाड़ी से हुए नुकसान के चलते किसानों ने अपने खेत कई सालों तक खाली छोड़ रखे थे। किसानी से लागत नहीं निकलती थी और आवारा पशुओं द्वारा नुकसान अलग होता था। समाजवादी पार्टी ने इन मुद्दों पर  मोर्चा संभाला और जन समर्थन हासिल किया।
दूसरी बात महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त जनता ना तो कांग्रेस को वोट देना चाह रही थी और ना ही भाजपा को देना चाह रही थी ऐसे में लोगों ने नोटा को अपनाया और बड़ी संख्या में ऐसे लोग वोट देने नहीं गए। यह चुनाव इस बात का प्रमाण है कि धर्म से देश नहीं चलता बल्कि बुनियादी मुद्दे ज्यादा जरूरी होते है।

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भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से 154 रेगुलर कोर्स और 137 टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स के 394 अधिकारी कैडेट पास हुए

08 जून, 2024 को भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए), देहरादून, उत्तराखंड के पोर्टल से 154 रेगुलर कोर्स और 137 टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स के कुल 394 अधिकारी कैडेट पास आउट हुए, जिनमें 10 मित्र देशों के 39 कैडेट शामिल थे। अधिकारी कैडेटों ने उत्साह दिखाते हुए ‘सारे जहां से अच्छा’ और ‘कदम कदम बढ़ाए जा’ की सैन्य धुनों पर पूर्णता व गर्व के साथ मार्चिंग का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने पासिंग आउट परेड का निरीक्षण किया। उन्होंने अधिकारी कैडेटों को उनके प्रशिक्षण के सफल समापन पर बधाई दी। उन्होंने उत्कृष्ट परेड के साथ-साथ स्पष्ट व समन्वित ड्रिल मूवमेंट के लिए उन्हें और प्रशिक्षकों को बधाई दी, जो युवा अधिकारी कैडेटों द्वारा अपनाए गए प्रशिक्षण और अनुशासन के उच्च मानकों को दर्शाता है।

रिव्यूविंग ऑफिसर ने कहा, “परेड आपके प्रशिक्षण की परिणति और पेशेवर करियर की शुरुआत है। यह एक ऐसा क्षण है जो आपके जीवनकाल में एक बार आता है और भविष्य के सभी प्रयासों के लिए प्रेरणा बनेगा। आप जो प्रतिज्ञा लेते हैं और अपने राष्ट्र के लिए जो प्रतिज्ञा करते हैं, वह पवित्र है और अब से आपकी सभी प्रतिबद्धताओं से पहले होगी। यह तथ्य कि आप आज गर्व से और मजबूती के साथ खड़े हैं, एक अधिकारी बनने के लिए आपने जो कड़ी मेहनत और श्रम किया है, उसका प्रमाण है। आईएमए एक विशिष्ट संस्थान है जिसने आपकी क्षमता का दोहन किया है और आपको एक अधिकारी के लिए सभी ज्ञान और विशेषताओं से लैस किया है।”

रिव्यूविंग ऑफिसर ने दोहराया कि भारतीय सेना को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ सैनिकों पर गर्व है, जिनके पास युद्ध और वर्षों के परिचालन अनुभव से प्राप्त ज्ञान है। उन्होंने अधिकारी कैडेटों से हमेशा सम्मान के साथ नेतृत्व करने, विशिष्टता के साथ सेवा करने और कर्तव्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ आसपास के लोगों को प्रेरित करने का आग्रह किया।

युद्ध की तेजी से बदलती प्रकृति पर रिव्यूविंग ऑफिसर ने कहा कि तकनीकी परिवर्तन आधुनिक युद्धों के स्वरूप को लगातार प्रभावित कर रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध में अंतरिक्ष, साइबर और कॉग्निटिव डोमेन आज की हकीकत है। सूचना युद्ध, ड्रोन, स्वायत्त प्रणाली, इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक स्पेक्ट्रम का दोहन और मानव-मशीन टीमिंग न्यू नॉर्मल हैं। उन्होंने कहा कि इन डोमेन को परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों के उपयोग के साथ हर गुजरते दिन के साथ परिष्कृत किया जा रहा है, जिससे युद्धों की जटिलताएं बढ़ रही हैं। इसे विचारों, बुद्धि और नवाचार के युद्ध के रूप में वर्णित करते हुए, उन्होंने अधिकारी कैडेटों से इन चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार और सबसे आगे रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “कहावत याद रखें कि मशीन के पीछे का व्यक्ति सबसे ज्यादा मायने रखता है। शारीरिक फिटनेस, मानसिक स्फूर्ति, आलोचनात्मक सोच, तकनीकी कौशल और अस्थिर परिस्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया आपकी सफलता की कुंजी होगी।”

इस अवसर पर रिव्यूविंग ऑफिसर ने निम्नलिखित पुरस्कार प्रदान किए:

• ऑर्डर ऑफ मेरिट में प्रथम स्थान पर रहने वाले अधिकारी कैडेट के लिए स्वॉर्ड ऑफ ऑनर और स्वर्ण पदक का प्रतिष्ठित पुरस्कार अकादमी के अंडर ऑफिसर प्रवीण सिंह को प्रदान किया गया। रजत पदक अकादमी के कैडेट एडजुटेंट मोहित कापरी को प्रदान किया गया, जबकि कांस्य पदक बटालियन के अंडर ऑफिसर शौर्य भट्ट को दिया गया।

• टेक्निकल ग्रेजुएट कोर्स से ऑर्डर ऑफ मेरिट में प्रथम स्थान पर रहने वाले अधिकारी कैडेट के लिए रजत पदक अधिकारी कैडेट विनय भंडारी को प्रदान किया गया।

• विदेशी देश से ऑर्डर ऑफ मेरिट में प्रथम स्थान पर रहने वाले अधिकारी कैडेट के लिए बांग्लादेश पदक विदेशी अधिकारी कैडेट मोहम्मद नूर कुतुबुल आलम, बांग्लादेश को प्रदान किया गया।

• स्प्रिंग टर्म 2024 के लिए 12 कंपनियों में से कुल मिलाकर प्रथम स्थान पर रहने के लिए कोहिमा कंपनी को चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ बैनर प्रदान किया गया।

परेड का निरीक्षण करने के बाद, लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचिंद्र कुमार ने प्रतिष्ठित प्रशिक्षण अकादमी के बहादुर पूर्व छात्रों को श्रद्धांजलि देने के लिए युद्ध स्मारक, आईएमए पर पुष्पांजलि अर्पित की, ‘पिपिंग समारोह’, जिसमें अधिकारी कैडेट कमीशन प्राप्त अधिकारियों के रैंक धारण करते हैं, उनके माता-पिता और प्रियजनों द्वारा किया गया।

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प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान का शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का शुभारंभ किया। श्री मोदी ने दिल्ली के बुद्ध जयंती पार्क में एक पीपल का पेड़ लगाया। उन्होंने सभी देशवासियों से हमारे ग्रह को बेहतर बनाने में योगदान देने का भी अनुरोध किया है और कहा कि पिछले दशक में भारत ने कई सामूहिक प्रयास किए हैं, जिनसे पूरे देश के वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। श्री मोदी ने कहा कि सतत विकास की दिशा में हमारे प्रयासों के लिए यह बहुत अच्छा है।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;

“आज विश्व पर्यावरण दिवस पर, मुझे #एक_पेड़_माँ_के_नाम, अभियान शुरू करने पर बहुत प्रसन्‍नता हो रही है। मैं देशवासियों के साथ ही दुनिया भर के लोगों से यह आग्रह करता हूं कि वे आने वाले दिनों में अपनी मां को श्रद्धांजलि अर्पित करने के रूप में एक पेड़ जरूर लगाएं और #Plant4Mother या #एक_पेड़_माँ_के_नाम का उपयोग करते हुए अपनी एक तस्वीर साझा करें।”

“आज प्रात:, मैंने प्रकृति मां की रक्षा करने और सतत जीवनशैली अपनाने की हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप एक पेड़ लगाया। मैं आप सभी से यह आग्रह करता हूं कि आप भी हमारे ग्रह को बेहतर बनाने में योगदान दें। #Plant4Mother #एक_पेड़_माँ_के_नाम”

“आप सभी को यह जानकर बहुत खुशी होगी कि पिछले दशक में भारत ने कई सामूहिक प्रयास किए हैं, जिनके कारण पूरे देश में वन क्षेत्र में वृद्धि हुई है। यह सतत विकास की दिशा में हमारे प्रयास के लिए बहुत अच्‍छा है। यह भी सराहनीय है कि स्थानीय समुदायों ने इस अवसर पर आगे आकर इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है।”

“आज विश्व पर्यावरण दिवस पर मुझे #एक_पेड़_माँ_के_नाम अभियान शुरू कर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। मैं देशवासियों के साथ ही दुनियाभर के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे अपनी माँ के साथ मिलकर या उनके नाम पर एक पेड़ जरूर लगाएं। ये आपकी तरफ से उन्हें एक अनमोल उपहार होगा। इससे जुड़ी तस्वीर आप #Plant4Mother, #एक_पेड़_माँ_के_नाम के साथ जरूर साझा करें।”

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भारतीय रेलवे ने “हमारी भूमि, हमारा भविष्य” विषय के अनुरूप विश्व पर्यावरण दिवस मनाया

भारतीय रेलवे ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया, जो इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस के विषय “हमारी भूमि, हमारा भविष्य” के अनुरूप है। विश्व पर्यावरण दिवस 2024 का‍ विषय भूमि बहाल करना, मरुस्थलीकरण को रोकना और सूखे से निपटने के उपायों पर केंद्रित है। रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष और सीईओ श्रीमती जया वर्मा सिन्हा और रेलवे बोर्ड के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की इस कार्यक्रम में गरिमामयी उपस्थित रही। रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष और सीईओ ने रेलवे अधिकारियों को पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

भारतीय रेलवे इस वर्ष, जून महीने के दौरान पर्यावरण पर व्यवहार संबंधी परिवर्तन के प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए और ‘मिशन लाइफ’ से लोगों को जोड़ने के उद्देश्‍य से प्रमुख आउटरीच और जागरूकता संबंधी गतिविधियों का भी आयोजन कर रही है। भारतीय रेलवे में अब तक 249 जागरूकता और 147 कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनमें 4921 प्रतिभागियों ने भाग लिया है। रेलवे ने कुल 4395 ‘मिशन लाइफ’ शपथ भी दिलाई हैं।

रेलवे पर्यावरण अनुकूल परिवहन का एक बड़ा साधन है। पर्यावरण संरक्षण के लिए य‍ह लगातार ऐसी पहल कर रहा है जिसका पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिनमें प्रदूषण/जीएचजी उत्सर्जन को कम करना, संसाधनों और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना और स्थिरता में योगदान देना शामिल हैं। सतत प्रयास के लिए रेलवे द्वारा की गई कुछ प्रमुख नीतिगत पहल इस प्रकार हैं:

  • भारतीय रेलवे ने अप्रैल 2024 तक 63,456 रूट किलोमीटर (आरकेएम) का विद्युतीकरण किया है, जो भारतीय रेलवे के कुल ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 96 प्रतिशत से अधिक है।
  • कुल 2637 स्टेशनों और सेवा भवनों में सौर रूफटॉप संयंत्र लगाए गए हैं, जिनकी कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 177 मेगावाट है।
  • रेलवे स्टेशनों और अन्य भवनों के पुनर्विकास के लिए ऊर्जा दक्षता दिशा-निर्देशों को सुपर-ईसीबीसी अनुपालन के साथ जारी किया गया है। इन सुपर ईसीबीसी दिशा-निर्देशों को जलवायु अनुकूल भवन डिजाइन और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों के माध्यम से ऊर्जा की मांग को कम करने के लक्ष्य के साथ विकसित किया गया है।
  • प्रमुख रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए भारतीय रेलवे ने पर्यावरण प्रबंधन योजना के रूप में दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का क्षेत्रीय रेलवे में अनुपालन किया जाएगा, ताकि आस-पास के क्षेत्रों में निर्माण के प्रभाव को कम किया जा सके।
  • नीतिगत पहल के रूप में, भारतीय रेल ने अपने मालभाड़ा ग्राहकों के लिए कार्बन सेविंग पॉइंट्स आवंटित करने की अवधारणा शुरू की है, जिन्हें “रेल ग्रीन पॉइंट्स” कहा जाता है, जो कार्बन उत्सर्जन की अपेक्षित बचत का विवरण देते हैं। पर्यावरणीय प्रभाव का सृजन करने में ग्राहकों की भागीदारी की यह पहल भविष्य में रेल द्वारा अधिक से अधिक परिवहन प्रेरित करेगी।
  • भारतीय रेलवे ने व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों को लागू किया है जो रीसाइक्लिंग, न्‍यूनीकरण और इसके जिम्मेदार निपटान पर जोर देती है। हरित क्षेत्र का निर्माण, खतरनाक अपशिष्ट पदार्थों का उचित निपटान और जलवाही स्‍तर को रिचार्ज करने से भूक्षरण को रोका जा सकता है।
  • भारतीय रेलवे ने अपनी उत्पादन प्रक्रिया में ऊर्जा दक्षता के लिए कुछ बड़े कदम उठाए हैं। वर्तमान में सभी 8 इकाइयां और 44 कार्यशालाएं आईएसओ-50001 प्रमाणित हैं, जो ऊर्जा संरक्षण और ऊर्जा दक्षता के प्रति रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं।
  • पर्यावरण प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन के लिए लगभग 700 प्रमुख रेलवे स्टेशनों को आईएसओ 14001 प्रमाणित किया गया है। इसके अलावा, भारतीय रेलवे ने लगभग 65 अपशिष्ट उपचार संयंत्र, 86 जल रीसाइक्लिंग संयंत्र, 90 सीवेज उपचार संयंत्र, 18 अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र, 186 अपशिष्ट से खाद और 32 ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित किए हैं। लगभग 208 स्टेशनों में कम्पोस्ट खाद बनाने वाले संयंत्र हैं और 193 रेलवे स्टेशनों पर सामग्री रिकवरी सुविधाएं उपलब्‍ध हैं।
  • प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर लगभग 826 प्लास्टिक बोतल क्रशिंग मशीनें लगाई गई हैं।
  • स्वच्छ भारत अभियान के एक हिस्‍से के रूप में, भारतीय रेलवे ने स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने के लिए कई पहल की हैं:
  1. भारतीय रेलवे ने अपने सभी कोचों में बायो-टॉयलेट लगाना सुनिश्चित किया है, जिससे ट्रेनों से मानव मल के सीधे डिस्‍चार्ज  होने की समस्या समाप्‍त हो गई है। शौचालयों में पानी की खपत को कम करने के उद्देश्य से एक कदम आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेलवे ने नए कोचों में बायो-वैक्यूम शौचालय लगाना शुरू कर दिया है।
  2. वर्ष 2023-24 में रेलवे द्वारा लगभग 76 लाख पौधे लगाए जाएंगे।

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टाटा मेमोरियल सेंटर के न्यूरो सर्जरी विभाग ने जटिल ब्रेन ट्यूमर सर्जरी के लिए अत्याधुनिक, देश में अपनी तरह का पहला, उन्नत इंट्राऑपरेटिव इमेजिंग उपकरण प्राप्त किया है

टाटा मेमोरियल सेंटर (टीएमसी), मुंबई के तंत्रिका शल्य चिकित्सा (न्यूरो सर्जरी) विभाग ने हाल ही में आंतरिक जटिल ब्रेन ट्यूमर सर्जरी करने के लिए एक अत्याधुनिक इंट्राऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड (आईयूएस) मशीन खरीदी है। डॉ. अली असगर मोइयादी के नेतृत्व में टाटा मेमोरियल सेंटर की न्यूरो सर्जरी टीम ने भारत में आईयूएस के अनुप्रयोग की शुरुआत की है, और यह दुनिया भर में अग्रणी टीमों में से एक है। आईयूएस लागत-प्रभावी है और उचित प्रशिक्षण के साथ, न्यूरोसर्जन के चिकित्सा उपकरणों में एक महत्वपूर्ण सहायक बन सकता है। बीकेएक्टिव  मशीन, जिसे हाल ही में विभाग द्वारा प्राप्त किया गया था, देश में इस उन्नत इंट्राऑपरेटिव अल्ट्रासाउंड (आईयूएस) प्रणाली की पहली स्थापना है।

आंतरिक जटिल मस्तिष्क ट्यूमर को सुरक्षित और सटीक रूप से हटाने के लिए इंट्राऑपरेटिव इमेजिंग  महत्वपूर्ण है। नेविगेशनल सहायता (जो एक सर्जिकल जीपीएस प्रणाली की तरह है) के साथ संयुक्त, आईयूएस मशीन तंत्रिका शल्य चिकित्सक (न्यूरोसर्जन) को ट्यूमर के अवशेषों को सटीक रूप से ट्रैक करने की अनुमति देती है। इसके अलावा,  इसे जागृत अवस्था में शल्य चिकित्सा जैसी ब्रेन मैपिंग तकनीकों के साथ जोड़ा जाता है, तो वे मस्तिष्क के महत्वपूर्ण क्षेत्रों के पास भी, ट्यूमर को मौलिक रूप से हटाने में सक्षम होते हैं।

इस प्रणाली का अनावरण विगत शनिवार, 1 जून 2024 को टाटा मेमोरियल अस्पताल, परेल, मुंबई में डॉ. शैलेश श्रीखंडे, उप निदेशक एवं टाटा मेमोरियल अस्पताल के निदेशक; टाटा मेमोरियल सेंटर के तंत्रिका शल्य चिकित्सा (न्यूरोसर्जरी) विभाग प्रमुख डॉ. अली असगर मोइयादी और श्री चैतन्य सारावटे, प्रबंध निदेशक, विप्रो जीई हेल्थकेयर दक्षिण एशिया, सहित   पूरे विभागीय और ऑपरेशन थिएटर कर्मियों की उपस्थिति में किया गया।

डॉ. मोइयादी का मानना है कि इस उन्नत उपकरण से उनकी टीम को मदद मिलेगी और इससे सेंटर में ऑपरेशन किए गए बड़ी संख्या में ऐसे ब्रेन ट्यूमर रोगियों को लाभ होगा, जिनमें से कई अन्यत्र रियायती दरों पर अत्याधुनिक देखभाल प्राप्त करने में असमर्थ हैं। अन्य इंट्राऑपरेटिव इमेजिंग सिस्टम (जैसे इंट्राऑपरेटिव एमआरआई) की तुलना में आईयूएस कम महंगा होने के कारण, हमारे जैसे संसाधन सीमित स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी  है। विभाग ने न्यूरोसर्जनों को प्रशिक्षित करने और उन्हें आईओएस-निर्देशित सर्जरी को बेहतर ढंग से सम्पन्न करने के लिए आवश्यक कौशल से सुसज्जित करने के प्रयासों का नेतृत्व करते हुए भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर भी इसके लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम आयोजित किए हैं, अब आशा है कि और अधिक न्यूरोसर्जन इस उपयोगी तकनीक को अपना सकते हैं और पूरे भारत में रोगियों की बड़ी संख्या के बीच इसके लाभ का प्रसार कर सकते हैं। डॉ. ए मोइयादी ने यह भी बताया कि यह उपकरण यूबीएस द्वारा प्रदान किए गए उदार अनुदान की सहायता से खरीदा गया था। उन्होंने कहा कि टीएमसी यूबीएस द्वारा प्रदान की गई सहायता के लिए आभारी हैI साथ ही उन्होंने ऐसे योगदानों के महत्व पर प्रकाश डाला, जो सभी भारतीयों के लिए उन्नत कैंसर देखभाल प्रदान करने के टीएमसी के प्रयासों को मजबूती प्रदान  करते हैं।

लॉन्च इवेंट में अपने संबोधन में श्री सारावटे ने कहा कि “हम ऐसी सक्रिय छायांकन प्रणाली (इमेजिंग सिस्टम) डिजाइन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो शल्य चिकित्सकों (सर्जन्स) को शरीर रचना विज्ञान (एनाटोमी) और घावों को देख सकने, हस्तक्षेप का मार्गदर्शन करने और मानव शरीर के अंदर नेविगेट करने में सहायता करते हैं- और इस बीकेएक्टिव अल्ट्रासाउंड सिस्टम का  सहयोग भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होने के साथ ही तंत्रिका शल्य चिकित्सा (न्यूरोसर्जरी) में क्रांति लाने के लिए तैयार है।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज कानपुर द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 5 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज कानपुर द्वारा आज 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें वृक्षारोपण कर छात्राओं को ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करने के लिए प्रेरित किया गया। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो अर्चना श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में छात्राओं को वृक्षारोपण के महत्व के बारे में बताया। आइ क्यू ए सी इंचार्ज प्रो बंदना निगम ने कहा कि हम प्लास्टिक का प्रयोग प्रतिबंधित करके एवम् अधिक से अधिक वृक्षारोपण करके भूमंडलीय उष्मीकरण तथा जलवायु परिवर्तन के होने वाले खतरों को कम कर सकते है। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव तथा समस्त वॉलिंटियर्स का सराहनीय योगदान रहा।

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कुल खाद्यान्न उत्पादन 3288.52 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले 5 वर्षों के औसत खाद्यान्न उत्पादन से 211.00 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2023-24 के प्रमुख कृषि फसलों के उत्पादन का तीसरा अग्रिम अनुमान जारी किया गया है। पिछले कृषि वर्ष से, जायद के मौसम को रबी मौसम से अलग कर दिया गया है और इसे तीसरे अग्रिम अनुमान में शामिल किया गया है । इसलिए, क्षेत्रफल, उत्पादन और उपज के इस तीसरे अग्रिम अनुमान में ख़रीफ़, रबी एवं जायद मौसम शामिल हैं।

        यह अनुमान मुख्य रूप से राज्य कृषि सांख्यिकी प्राधिकरणों (एसएएसए) से प्राप्त जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। प्राप्त आंकड़ों को रिमोट सेंसिंग, साप्ताहिक फसल मौसम निगरानी समूह (सीडब्ल्यूडब्ल्यूजीकी रिपोर्ट और अन्य एजेंसियों से प्राप्त जानकारी के साथ मान्य और त्रिकोणित किया गया है। इसके अलावा अनुमान तैयार करते समय जलवायु परिस्थितियों, पिछले रुझानों, मूल्यो में उतार-चढ़ाव, मंडी आगमन आदि पर भी विचार किया गया है।

विभिन्न फसलों के उत्पादन का विवरण निम्नानुसार दिया गया है:

कुल खाद्यान्न– 3288.52 लाख मीट्रिक टन 

  • चावल 1367.00 लाख मीट्रिक टन
  • गेहूं- 1129.25 लाख मीट्रिक टन
  • मक्का – 356.73 लाख मीट्रिक टन
  • श्री अन्न- 174.08 लाख मीट्रिक टन
  • तूर – 33.85 लाख मीट्रिक टन
  • चना – 115.76 लाख मीट्रिक टन

 

कुल तिलहन– 395.93 लाख मीट्रिक टन

  • सोयाबीन – 130.54 लाख मीट्रिक टन
  • रेपसीड और सरसों – 131.61 लाख मीट्रिक टन

गन्ना – 4425.22 लाख मीट्रिक टन

कपास – 325.22 लाख गांठें (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम)

जूट – 92.59 लाख गांठें (प्रत्येक गांठ180 किलोग्राम)

 

कुल खाद्यान्न उत्पादन 3288.52 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो वर्ष 2022-23 के खाद्यान्न उत्पादन से थोड़ा कम है जबकि पिछले 5 वर्षों (2018-19 से 2022-23) के 3077.52 लाख मीट्रिक टन औसत खाद्यान्न उत्पादन से 211.00 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

कुल चावल उत्पादन 1367.00 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है जो  2022-23 के 1357.55 लाख मीट्रिक टन की तुलना में, 9.45 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि दर्शाता है। गेहूं का उत्पादन 1129.25 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के गेहूं उत्पादन की तुलना में 23.71 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

श्री अन्न का उत्पादन वर्ष 2022-23 के उत्पादन से 0.87 लाख मीट्रिक टन की थोड़ी सी वृद्धि दर्शाते हुए 174.08 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है। इसके अलावा, पोषक/मोटे अनाजों का उत्पादन 547.34 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है जो औसत उत्पादन से 46.24 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

तूर का उत्पादन 33.85 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष के 33.12 लाख मीट्रिक टन उत्पादन से 0.73 लाख मीट्रिक टन अधिक है। मसूर का उत्पादन 17.54 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के 15.59 लाख मीट्रिक टन उत्पादन से 1.95 लाख मीट्रिक टन अधिक है।

सोयाबीन का उत्पादन 130.54 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है एवं रेपसीड और सरसों का उत्पादन 131.61 लाख मीट्रिक टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष के उत्पादन से 5.18 लाख मीट्रिक टन अधिक है। कपास का उत्पादन 325.22 लाख गांठे (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्रामऔर गन्ने का उत्पादन 4425.22 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है।

खरीफ फसल के उत्पादन अनुमान तैयार करते समय फसल कटाई प्रयोग (सीसीईआधारित उपज पर विचार किया गया है। इसके अलावा, फसल कटाई प्रयोगों (सीसीई) के रिकॉर्ड की प्रक्रिया को डिजिटल जनरल क्रॉप एस्टीमेशन सर्वे (डीजीसीईएस) लागू कर पुनर्निर्मित किया गया है, जिसे रबी मौसम के दौरान 16 राज्यों में शुरु किया गया था। डीजीसीईएस के तहत प्राप्त उपज परिणामों का उपयोग मुख्यत: रबी फसल उत्पादन पर पहुंचने के लिए किया गया है। इसके अलावा, जायद फसलों का उत्पादन अनुमान पिछले 3 वर्षों की औसत उपज पर आधारित है।

पिछले अनुमानों के साथ तीसरे अग्रिम अनुमान 2023-24 का विवरण upag.gov.in पर उपलब्ध है।

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सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों द्वारा विज्ञापन जारी करने से पहले स्व-घोषणा अनिवार्य की

दैनिक भारतीय स्वरुप,  माननीय उच्‍चतम न्यायालय ने रिट याचिका सिविल संख्या 645/2022-आईएमए एवं एएनआर बनाम यूओआई एवं ओआरएस मामले में अपने दिनांक 07.05.2024 के आदेश में निर्देश दिया कि सभी विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों को किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले एक ‘स्व-घोषणा प्रमाणपत्र’ प्रस्तुत करना होगा। माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्देश के बाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी और रेडियो विज्ञापनों के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के प्रसारण सेवा पोर्टल और प्रिंट एवं डिजिटल/इंटरनेट विज्ञापनों के लिए भारतीय प्रेस परिषद के पोर्टल पर एक नई सुविधा शुरू की है। विज्ञापनदाता/विज्ञापन एजेंसी के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र को इन पोर्टलों के माध्यम से प्रस्तुत करना होगा।

पोर्टल 4 जून, 2024 से काम करने लगेगा। सभी विज्ञापनदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों को 18 जून, 2024 या उसके बाद जारी/टेलीविजन प्रसारण/रेडियो पर प्रसारित/प्रकाशित होने वाले सभी नए विज्ञापनों के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है। सभी हितधारकों को स्व-प्रमाणन की प्रक्रिया से परिचित होने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्‍त समय रखा गया है। वर्तमान में चल रहे विज्ञापनों को स्व-प्रमाणन की आवश्यकता नहीं है।

स्व-घोषणा प्रमाणपत्र यह प्रमाणित करता है कि विज्ञापन (i) भ्रामक दावे नहीं करता है, और (ii) केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7 और भारतीय प्रेस परिषद के पत्रकारिता आचरण के मानदंडों में निर्धारित सभी उचित नियामक दिशा निर्देशों का अनुपालन करता है। विज्ञापनदाता को संबद्ध प्रसारक, प्रिंटर, प्रकाशक या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को उनके रिकॉर्ड के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र अपलोड करने का प्रमाण देना होगा। माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार, वैध स्व-घोषणा प्रमाणपत्र के बिना किसी भी विज्ञापन को टेलीविज़न, प्रिंट मीडिया या इंटरनेट पर चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

माननीय उच्‍चतम न्यायालय का निर्देश पारदर्शिता, उपभोक्ता संरक्षण और जिम्मेदार विज्ञापन कार्य प्रणालियां सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय सभी विज्ञापनदाताओं, प्रसारकों और प्रकाशकों से इस निर्देश का पूरी लगन से पालन करने का आग्रह करता है। –(PIB)

स्‍व-घोषणा प्रमाणपत्र के बारे में विस्‍तृत दिशा-निर्देशों के लिए यहां क्लिक करें

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रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में 80वां स्टाफ कोर्स शुरू

रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन (तमिलनाडु) में आज 80वां स्टाफ कोर्स शुरू हुआ। इस कोर्स को भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के मिड-करियर अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और उन्‍हें कुशल स्टाफ अधिकारी और भावी सैन्य नेता बनाने के साथ-साथ एकीकृत त्रि-सेवा सेवा में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से युक्‍त करने के लिए तैयार किया गया है। इस पाठ्यक्रम के दौरान 26 मित्र देशों के 38 अधिकारियों सहित 480 छात्र अधिकारी 45 सप्ताह से अधिक की अवधि के दौरान प्रत्येक सेवा के कामकाज के साथ-साथ सामरिक और परिचालन स्तर पर युद्ध दर्शन की गहरी समझ भी प्राप्‍त करेंगे।

छात्र अधिकारियों को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल वीरेंद्र वत्स, कमांडेंट डीएसएससी ने युद्ध की गतिशील प्रकृति और चरित्र, वीयूसीए विश्व की विशेषताओं के साथ-साथ इस बारे में भी प्रकाश डाला है कि डीएसएससी द्वारा छात्र अधिकारियों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए कैसे सशक्त बनाया जाएगा। उन्होंने सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच समन्‍वय और एकीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए आधुनिक युद्ध में सहज सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सेवा की विशिष्‍ट क्षमताओं को समझने के महत्व पर जोर दिया।

कमांडेंट ने छात्र अधिकारियों के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और भारत के सैन्य और सुरक्षा परिदृश्य पर प्रभाव डालने वाले भू-राजनीतिक मुद्दों की मजबूत समझ विकसित करने की जरूरत पर भी प्रकाश डाला। यह जागरूकता अधिकारियों को उचित निर्णय लेने और सैन्य रणनीतियों में प्रभावी रूप से योगदान देने में सक्षम बनाएगी।

अपनी तरह की इस प्रथम पहल में 80वें स्टाफ कोर्स ने भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और मित्र देशों के चुनिंदा छात्र अधिकारियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया पाठ्यक्रम भी शुरू किया है। यह पाठ्यक्रम युद्ध में संयुक्तता और एकीकरण के लिए एक सहयोगी और अंतर-सेवा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके करियर के शुरुआती चरण में अंतर-सेवा समझ और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस प्रकार यह पाठयक्रम इन अधिकारियों को थिएटर कमांड के आगामी युग में नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाएगा।

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साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन संपन्न

कानपुर 1 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता,bकानपुर शहर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन आज दिनांक 1 जून 2024 को संस्था के प्रधान कार्यालय जवाहर नगर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में लखनऊ, कानपुर, उन्नाव आदि शहरों के साहित्यकार उपस्थित रहे। इस वर्ष का स्मृति सम्मान प्रख्यात साहित्यकार व अंतरराष्ट्रीय कवि डॉक्टर सुरेश अवस्थी जी(कानपुर) प्रसिद्ध कथा वाचक डॉक्टर संत शरण त्रिपाठी जी ( लखनऊ) ख्यातिप्राप्त कवयित्री डॉ कमल मुसद्दी जी( कानपुर) व इं श्रवण कुमार मिश्रा ( लखनऊ)जी को दिया गया ।यह कार्यक्रम दो सत्रों में हुआ । प्रथम सत्र में श्यामार्चना फाउंडेशन के संस्थापक डॉ प्रदीप अवस्थी, अध्यक्ष निरंजन अवस्थी व कोषाध्यक्ष रेखा अवस्थी जी ने सभी साहित्यकारों को अंग वस्त्र,स्मृति चिन्ह, मोती माल, व श्रीफल भेंट कर उनका सम्मान किया व सभी का काव्यपाठ हुआ।द्वितीय सत्र में सभी साहित्यकारों के भोजन उपरांत काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमे श्री अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी), अंशुमन दीक्षित,  मनीष रंजन त्रिपाठी ,डॉ कमलेश शुक्ला जी,  दिलीप दुबे,  अमित ओमर,डॉ नारायणी शुक्ला ,डॉ प्रमिला पांडे, अमित पांडे, डॉ दीप्ति मिश्रा, पी के शर्मा आदि सभी ने बेहतरीन काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में डॉ अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी) की 14 वीं बाल गीत पुस्तक ‘कंचे’ का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम का शानदार संचालन स्वैच्छिक दुनिया के संस्थापक व प्रतिष्ठित कवि डॉ राजीव मिश्रा जी ने किया।

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