Breaking News

विविधा

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामलों को देखते हुए राज्यों को परामर्श जारी किया है

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के कुछ दर्ज किए गए मामलों को देखते हुए राज्यों को एक परामर्श जारी किया है। इसमें देश में जीका वायरस की स्थिति पर निरंतर सतर्कता बनाए रखने की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।

चूंकि जीका संक्रमित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव आ जाता है, इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वे चिकित्सकों को कड़ी निगरानी के लिए सचेत करें। राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे संक्रमित क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं या प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले मामलों की देखभाल करने वाले लोगों को निर्देश दें कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस संक्रमण के लिए जांच करें, जीका से संक्रमित पाई गईं गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करें और केंद्र सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करें। राज्यों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं/अस्पतालों को एक नोडल अधिकारी की पहचान करने की सलाह दें जो अस्पताल परिसर को एडीज मच्छर से मुक्त रखने के लिए निगरानी और कार्य करें।

राज्यों को कीट विज्ञान निगरानी को मजबूत करने और आवासीय क्षेत्रों, कार्यस्थलों, स्कूलों, निर्माण स्थलों, संस्थानों और स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों में वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों को तेज करने के महत्व पर जोर देते हुए निर्देश दिया गया है। राज्यों से समुदाय के बीच घबराहट को कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर एहतियाती आईईसी संदेशों के माध्यम से जागरूकता को बढ़ावा देने का भी आग्रह किया गया है, क्योंकि जीका किसी भी अन्य वायरल संक्रमण की तरह ही है जिसके अधिकांश मामले लक्षणहीन और हल्के होते हैं। हालांकि, इसे माइक्रोसेफली से जुड़ा मामला बताया जाता है, लेकिन 2016 के बाद से देश में जीका से जुड़े माइक्रोसेफली की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।

किसी भी आसन्न उछाल/प्रकोप का समय पर पता लगाने और नियंत्रण के लिए, राज्य अधिकारियों को सतर्क रहने, तैयार रहने और सभी स्तरों पर उचित रसद की उपलब्धता सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है। राज्यों से यह भी आग्रह किया गया है कि वे पहचान में आए जीका के किसी भी मामले के बारे में तुरंत एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) को बताएं।

जीका परीक्षण सुविधा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे; राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), दिल्ली और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की कुछ चुनिंदा वायरस अनुसंधान और नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है। जीका संक्रमण के बारे में उच्च स्तर पर समीक्षा की जा रही है।

डीजीएचएस ने इस साल की शुरुआत में 26 अप्रैल को एक एडवाइजरी भी जारी की थी। एनसीवीबीडीसी के निदेशक ने भी फरवरी और अप्रैल, 2024 में दो एडवाइजरी जारी की हैं ताकि राज्यों को एक ही वेक्टर मच्छर से फैलने वाली जीका, डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी के बारे में पहले से चेतावनी दी जा सके।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर लगातार नज़र रख रहा है।

पृष्ठभूमि:

डेंगू और चिकनगुनिया की तरह जीका भी एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका संक्रमित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) से जुड़ा है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है।

भारत में 2016 में गुजरात राज्य में जीका का पहला मामला सामने आया था। तब से, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में भी बाद में जीका मामले दर्ज किए हैं।

वर्ष 2024 में (2 जुलाई तक), महाराष्ट्र के पुणे में 6, कोल्हापुर में 1 और संगमनेर 1 यानी पूरे आठ मामले दर्ज किए गए हैं।

Read More »

केरल में पंचायतों को (2020-21 से 2026-27 तक) 15वें वित्त आयोग के अनुदान के रूप में 5337.00 करोड़ रुपये जारी किए हैं

केरल मीडिया के कुछ वर्गों में आई रिपोर्टों का संदर्भ लें। केरल में ग्राम पंचायतों को 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुदान जारी करने में केंद्र सरकार की कथित लापरवाही पर पंचायती राज मंत्रालय ने निम्नलिखित जानकारी दी हैं :

(i) भारत सरकार ने केरल में ग्राम पंचायतों को 14वें वित्त आयोग (2015-16 से 2019-20 तक) के अनुदान के रूप में 3,774.20 करोड़ रुपये और इन पंचायतों को 15वें वित्त आयोग (2020-21 से 2026-27 तक) के अनुदान के रूप में 5,337.00 करोड़ रुपये (28.06.2024 तक) जारी किए हैं।

(ii) 15वें वित्त आयोग की अवधि के लिए, केरल को ग्रामीण स्थानीय निकायों को बिना शर्त (बेसिक) और सशर्त अनुदान के रूप में धनराशि जारी की गई। 15वें वित्त आयोग के तहत आवंटन और धनराशि जारी करने का विस्तृत वर्षवार सारांश नीचे दी गई तालिका 1 में दिया गया है :

तालिका नंबर-एक

ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए केरल राज्य को पंद्रहवें वित्त आयोग की धनराशि के आवंटन और धनराशि जारी करने की स्थिति

(करोड़ रुपए में)

क्रम सं. वर्ष बिना शर्त (बेसिक) अनुदान राशि सशर्त अनुदान राशि कुल
आवंटन जारी करना आवंटन जारी करना आवंटन जारी करना
1 2020–21 814.00 814.00 814.00 814.00 1628.00 1628.00
2 2021–22 481.20 481.20 721.80 721.80 1203.00 1203.00
3 2022–23 498.40 498.40 747.60 747.60 1246.00 1246.00
4 2023–24 504.00 504.00 756.00 756.00 1260.00 1260.00

(iii) 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, राज्यों के लिए यह अनिवार्य शर्त है कि वे राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) का गठन करें, उनकी सिफारिशों पर कार्य करें और मार्च 2024 तक या उससे पहले राज्य विधानमंडल के समक्ष की गई कार्रवाई के संबंध में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें। मार्च 2024 के बाद, उस राज्य को कोई अनुदान जारी नहीं किया जाएगा, जिसने राज्य वित्त आयोग और इन शर्तों के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया है।

(iv) मंत्रालय ने 11 जून, 2024 और 24 जून, 2024 के अपने पत्र के माध्यम से राज्यों से राज्य वित्त आयोग का विवरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

(v) राज्य सरकार ने 7 जून 2024 के पत्र के माध्यम से वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बिना शर्त अनुदान की दूसरी किस्त का अनुदान हस्तांतरण प्रमाणपत्र (जीटीसी) प्रस्तुत किया है। इसकी जांच पंचायती राज मंत्रालय कर रहा है और वित्त मंत्रालय को अगली किस्त (वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पहली किस्त) जारी करने की सिफारिश की जा रही है। हालांकि, 28 जून 2024 तक मंत्रालय को केरल से राज्य वित्त आयोग पर विवरण प्रस्तुत करने से संबंध में जवाब प्राप्त होना बाकी है, जो मार्च 2024 के बाद अनुदान जारी करने के लिए एक अनिवार्य शर्त है।

Read More »

दोनों सदनों के अनिश्चित काल के लिए स्थगित होने के साथ संसद सत्र समाप्त

18वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनावों के बाद, लोकसभा का पहला सत्र और राज्यसभा का 264वां सत्र क्रमशः 24 और 27 जून से बुलाया गया था। लोकसभा को कल 2 जुलाई, 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया, जबकि राज्यसभा को आज 3 जुलाई, 2024 को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। आज नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने संसद के इस सत्र की कार्यवाही का विवरण प्रस्तुत किया। लोकसभा में पहले दो दिन 18वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ/प्रतिज्ञान के उद्देश्य के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। सत्र के दौरान कुल 542 सदस्यों में से 539 ने शपथ/प्रतिज्ञान लिया।

शपथ/प्रतिज्ञान की सुविधा के लिए, भारत की राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत श्री भर्तृहरि मेहताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया तथा श्री सुरेश कोडिकुन्निल, श्री राधा मोहन सिंह, श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, श्री टी.आर. बालू और श्री सुदीप बंद्योपाध्याय को ऐसे व्यक्तियों के रूप में नियुक्त किया, जिनके समक्ष सदस्य संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत शपथ/प्रतिज्ञान ले सकते हैं और उन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

26 जून, 2024 को लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव हुआ और लोकसभा के सदस्य श्री ओम बिरला को ध्वनि मत से अध्यक्ष चुना गया। इसी दिन, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में अपने मंत्रिपरिषद का परिचय कराया। 27 जून, 2024 को राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 87 के तहत संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया, जिसमें सरकार की पिछली उपलब्धियों का ब्यौरा दिया गया और साथ ही राष्ट्र के भविष्य के विकास के लिए रोडमैप का भी विवरण दिया गया।

27 जून, 2024 को प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिपरिषद का राज्यसभा में परिचय कराया। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 28 जून, 2024 को दोनों सदनों में शुरू होनी थी।

लोकसभा में व्यवधानों के कारण इस विषय पर बहस 1 जुलाई, 2024 को ही शुरू हो सकी। श्री अनुराग ठाकुर, सांसद ने बहस की शुरुआत की, जबकि सुश्री बांसुरी स्वराज, सांसद ने लोकसभा में चर्चा का समर्थन किया। कुल 68 सदस्यों ने बहस में हिस्सा लिया, जबकि 50 से अधिक सदस्यों ने अपने भाषण सदन के पटल पर रखे। 2 जुलाई, 2024 को 18 घंटे से अधिक चली चर्चा के बाद प्रधानमंत्री द्वारा बहस का उत्तर दिया गया। लोकसभा में लगभग 34 घंटे की अवधि में 7 बैठकें हुईं और एक दिन के व्यवधान के बावजूद उत्पादकता 105 प्रतिशत रही। राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 28 जून, 2024 को श्री सुधांशु त्रिवेदी, सांसद द्वारा शुरू की गई, जिसका समर्थन सुश्री कविता पाटीदार, सांसद द्वारा किया गया। कुल 76 सदस्यों ने 21 घंटे से अधिक चली बहस में भाग लिया, जिसका उत्तर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 3 जुलाई, 2024 को दिया गया। राज्यसभा की कुल उत्पादकता 100 प्रतिशत से अधिक रही।

Read More »

भारतीय खाद्य निगम ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं खरीदा

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने चालू रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2024-25 के दौरान 266 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं की सफलतापूर्वक खरीद की है, जो पिछले साल के 262 एलएमटी के आंकड़े को पार कर गया है और देश में खाद्यान्न को सुनिश्चित किया है। आरएमएस 2024-25 के दौरान गेहूं की खरीद के लिए 22 लाख से अधिक भारतीय किसान लाभान्वित हुए हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के तहत गेहूं की खरीद पर लगभग 0.61 लाख करोड़ रुपये सीधे इन किसानों के बैंक खातों में जमा किए गए हैं।

आरएमएस के तहत गेहूं की खरीद आम तौर पर हर साल 1 अप्रैल को शुरू होती है। हालांकि, किसानों की सुविधा के लिए, इस साल अधिकांश खरीद करने वाले राज्यों में इसे लगभग एक पखवाड़े पहले कर दिया गया था। यह उपलब्धि किसानों के हितों की रक्षा और सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

विभिन्न गेहूं खरीद करने वाले राज्यों से एकत्र किए गए अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, आरएमएस 2024-25 के दौरान कुल गेहूं खरीद 266 एलएमटी है, जो आरएमएस 2023-24 के 262 एलएमटी के आंकड़े और आरएमएस 2022-2023 के दौरान दर्ज 188 एलएमटी से अधिक है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों ने अपनी गेहूं खरीद की मात्रा में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। उत्तर प्रदेश ने पिछले साल 2.20 एलएमटी की तुलना में 9.31 एलएमटी की खरीद दर्ज की है, जबकि राजस्थान ने पिछले सीजन के 4.38 एलएमटी से 12.06 एलएमटी हासिल किया है।

पर्याप्त मात्रा में गेहूं की खरीद ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में खाद्यान्न का निरंतर प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद की है। यह पूरी खरीद प्रक्रिया पीएमजीकेएवाई सहित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लगभग 184 एलएमटी गेहूं की वार्षिक आवश्यकता को पूरा करने में महत्वपूर्ण रही है।

भारत सरकार ने आरएमएस 2024-25 के लिए गेहूं के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित किया। एमएसपी एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उचित मूल्य मिले। इसके अलावा, अगर किसानों को बेहतर कीमत मिलती है, तो वे खुले बाजार में अपना अनाज बेचने के लिए स्वतंत्र हैं, जिससे प्रतिस्पर्धी बाजार का माहौल बनता है। एमएसपी का आश्वासन और खुले बाजार में बेचे जाने के उतार-चढ़ाव से सामूहिक रूप से किसानों के लिए बेहतर आय सुरक्षा हुई है।

गेहूं के अलावा, खरीफ विपणन सीजन 2023-24 के दौरान इन किसानों के बैंक खातों में एमएसपी पर धान की खरीद के लिए 1.74 लाख करोड़ रुपये भेजे गए। ये किसान ज्यादातर देश भर में फैले सीमांत किसान हैं। धान की वर्तमान खरीद ने केंद्रीय पूल चावल के स्टॉक को 490 एलएमटी से अधिक कर दिया है, जिसमें मिलिंग के बाद प्राप्त होने वाला 160 एलएमटी चावल भी शामिल है। चावल की वार्षिक आवश्यकता लगभग 400 एलएमटी है, जबकि 1 जुलाई के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित बफर मानदंड 135 एलएमटी है। चावल के वर्तमान स्टॉक स्तर के साथ, देश न केवल अपने बफर स्टॉक मानदंडों को बल्कि अपनी पूरी वार्षिक आवश्यकता को भी पार कर गया है। इसके अलावा अगले खरीफ विपणन सीजन (केएमएस) 2024-25 के तहत खरीद भी अक्टूबर 2024 में शुरू होने की संभावना है।

इस सीजन में गेहूं और धान की पर्याप्त खरीद सरकार, एफसीआई, राज्य एजेंसियों, किसानों और अन्य हितधारकों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है, जिनमें कमीशन एजेंट, हैंडलिंग और परिवहन ठेकेदार और सड़क परिवहन ठेकेदार शामिल हैं। यह उपलब्धि एफसीआई की खरीद और भंडारण संबंधी सुविधाओं की मजबूती पर भी जोर देती है, जो देश में खाद्य सुरक्षा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। एफसीआई पूरे भारत में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करने, कृषक समुदाय का समर्थन करने और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है।

Read More »

नीट परीक्षा विवाद… आखिर क्यों?

UGC-NET परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया है कि UGC-NET की परीक्षा 21 अगस्त से 4 सितंबर के बीच में होने वाली है, इसके साथ-साथ ज्वाइंट CSIR-UCG NET की परीक्षा जुलाई 25 से 27 जुलाई के बीच में होने वाली है। इसी कड़ी में NCET परीक्षा 10 जुलाई को करवाई जाएगी। बड़ी बात यह है कि इन परीक्षाओं को इस बार ऑनलाइन करवाया जा रहा है क्योंकि पिछली बार  UGC-NET की परीक्षा ऑफलाइन करवाई गई थी।

हर साल लाखों छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए Neet की परीक्षा देते हैं। Neet परीक्षा विवाद के बाद लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 5 मई को देशभर से करीब 23 लाख स्टूडेंट्स ने यह परीक्षा दी थी, लेकिन पेपरों की बिक्री से लेकर अंकों के अवैध वितरण की ग्रेस पद्धति और परिणामों की घोषणा तक हर स्तर पर घोटाला हुआ।
नीट परीक्षा मानसिक योग्यता का परिक्षण होता है।
एक परीक्षा 23 लाख छात्र और बहुत से सवाल। 50 हजार रूपए की पुस्तकें, लाखों रुपए कोचिंग फीस के बाद 12-12 घंटे तक बच्चों की पढ़ाई और उसके बाद हजारों प्रश्नों में से 180 प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके उत्तर छात्रों को देने होते हैं। फिर मेरिट लिस्ट बनने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है।
इन घोटालों के चलते इस साल नीट परीक्षा में टॉपर्स की संख्या 67 तक पहुंच गई जबकि पिछले साल टॉपर्स की यही संख्या सिर्फ दो थी। गुजरात के गोधरा में जय जलाराम स्कूल में नीट परीक्षा केंद्र पाने के लिए 10 लाख रुपए की बोली लगाई गई, क्योंकि वड़ोदरा में एक कोचिंग क्लासेज के संचालक ने नीट पेपर को लीक करने और अधिकतम अंक लाने की जिम्मेदारी ली थी।
पैसे फेंककर उपलब्ध कराई गई नीट में सफलता की गारंटी वाला गुजरात का शॉर्टकट एजेंटों के माध्यम से देश के कई छात्रों तक पहुंच गया। इसलिए बिहार, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक आदि राज्यों के छात्रों ने अपने घर के पास परीक्षा केंद्र का विकल्प छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर गुजरात के गोधरा के परीक्षा केंद्र को चुना। इसके लिए इन छात्रों के अभिभावकों ने एजेंटों को लाखों रुपए की रिश्वत दी। अभिभावकों से 12 करोड़ रुपए ऐंठने के बाद छात्रों को सफलता का रास्ता बताया गया। विद्यार्थियों को आश्वस्त किया गया कि जिन प्रश्नों के उत्तर आपको नहीं आते, उस स्थान को खाली छोड़ दें, परीक्षा के बाद हम उत्तर पुस्तिका में आपके द्वारा छोड़े गए प्रश्नों के सही उत्तर भर देंगे और यह धांधली उन शासकों की नाक के नीचे हुआ जो सुशासन और पारदर्शिता जैसी बड़ी बड़ी बातें करते हैं।
नीट पेपर लीक में सीबीआई ने झारखंड से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल अपराध मे शामिल पाये गये।
इस विवाद में आम जनता ने भी ख़ुद को शामिल कर लिया है जिसका इस परीक्षा से कुछ लेना देना नहीं है। हरदयाल पब्लिक स्कूल के पास एक दुकानदार ने बताया कि मेडिकल परीक्षा हुई थी और वहां लोग कह रहे थे कि पेपर लीक हो गया है, क्योंकि बहुत सारे बच्चों ने टॉप कर लिया है।
इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने पेपर लीक के आरोपों के बाद यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया था। यह परीक्षा 18 जून को हुई थी और अगले ही दिन इसे रद्द कर दिया गया था।
10 दिनों में 4 परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। पेपर लीक, भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और शिक्षा माफ़िया ने हमारी शिक्षा प्रणाली में घुसपैठ कर ली है। देर से की गई कार्रवाई से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है क्योंकि अनगिनत युवा इससे परेशान हो रहे हैं। फ़िलहाल ये साफ़ नहीं है कि इस परीक्षा के साथ आगे क्या होगा?
सबसे अहम सवाल कि इतनी चुस्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद पेपर लीक कैसे हुआ और जब व्यवस्था के ही लोग लिप्त पाये जा रहे हैं तो न्याय की किसी भी तरह की उम्मीद करना बेकार है? बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और उनकी मेहनत कैरियर और खुद उनके साथ-साथ माता-पिता की अपेक्षाओं के साथ खिलवाड़ करना है। इस तरह की धांधली के शिकार वो बच्चे ज्यादा होते हैं जो मेहनत करके परीक्षा देने आते हैं। दोबारा परीक्षा देना मतलब फिर से उतनी तैयारी करना जोकि समय की बर्बादी भी है हालांकि कुछ छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात कि संसद में इस मुद्दे को उठाने नहीं दिया जा रहा है जबकि यह शिक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और महत्वपूर्ण सवाल यह भी है केंद्र चुप्पी क्यों लगाए हुए हैं? परीक्षाओं में धांधली होना अब आम हो चला है। देश में पिछले 7 सालों में पेपर लीक की तकरीबन 70 घटनाएं सामने आई हैं। इस सबसे बच्चों का मनोबल गिरते जा रहा है। क्या जरूरी नहीं हो जाता है कि सरकार शिक्षा जैसे मुद्दों पर थोड़ा गंभीर हो जाए?

Read More »

वायु सेना प्रमुख ने हैदराबाद के बेगमपेट में हथियार प्रणाली स्‍कूल का उद्घाटन किया

 वायु सेना प्रमुख (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने 01 जुलाई, 2024 को हैदराबाद के एयर फोर्स स्टेशन बेगमपेट में हथियार प्रणाली स्कूल (डब्ल्यूएसएस) का उद्घाटन किया। इसके साथ ही भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के इतिहास में एक नया अध्याय का शुभारंभ हुआ है। वर्ष 2022 में भारतीय वायुसेना में अधिकारियों की एक नई इकाई हथियार प्रणाली स्‍कूल (डब्ल्यूएसएस) को स्‍वीकृति देने के बाद इसकी शुरूआत हुई। भारतीय वायु सेना को भविष्योन्मुख बल के रूप में पुन: व्यवस्थित करने और समयानुसार परिवर्तित करने के उद्देश्य से, इस नए प्रशिक्षण प्रतिष्ठान का गठन हुआ है। सामान्य रूप से सशस्त्र बलों और विशेष रूप से भारतीय वायु सेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

वायु सेना प्रमुख का स्वागत हथियार प्रणाली स्कूल के कमांडेंट एयर वाइस मार्शल प्रेमकुमार कृष्णस्वामी ने किया। उद्घाटन समारोह में एयर मार्शल नागेश कपूर, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, प्रशिक्षण कमान और भारतीय वायुसेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे, जिनमें एयर फोर्स अकादमी के कमांडेंट, कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर के कमांडेंट, एयर फोर्स स्टेशन (हकीमपेट) के एयर ऑफिस कमांडिंग, और एयर फोर्स स्टेशन बेगमपेट के स्टेशन कमांडर शामिल थे

हथियार प्रणाली शाखा (डब्ल्यूएसएस) प्रकृति के अनुकूल प्रभाव आधारित प्रशिक्षण प्रदान करेगा और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की आवश्यकताओं के अनुरूप नवगठित शाखा के अधिकारियों को तैयार करेगा। हथियार प्रणाली शाखा के फ्लाइट कैडेट इस संस्थान में अपने दूसरे सेमेस्टर का प्रशिक्षण लेंगे। नई शाखा में सुखोई-30 एमकेआई और सी-130जे, हवाई प्लेटफार्मों में हथियारों और प्रणालियों को संचालित करने के लिए फ्लाइंग स्ट्रीम; दूर से संचालित विमानों को संचालित करने के लिए रिमोट स्ट्रीम; सतह से हवा और सतह से सतह पर मार करने वाली हथियार प्रणालियों के लिए मिशन कमांडर, ऑपरेटर  और अंतरिक्ष-आधारित खुफिया और इमेजरी को संभालने के लिए इंटेलिजेंस स्ट्रीम चार धाराएँ शामिल होंगी।

वायु सेना प्रमुख (सीएएस) एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा कि हथियार प्रणाली स्‍कूल के निर्माण के साथ, जमीन आधारित और विशेषज्ञ हथियार प्रणालियों के संचालक एक मंच पर आ जाएंगे, जिससे भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने प्रशिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वे इस एक नवगठित शाखा में अग्रणी है। इस कारण वे ऐसे स्तंभ हैं जिन पर परिकल्पित प्रशिक्षण व्यवस्था की पूरी जिम्‍मेदारी है। इससे वायु सेना सुदृढ़ होगी। स्कूल के संस्थापक सदस्यों की प्रशंसा करते हुए, वायु सेना प्रमुख ने सभी कर्मियों से देश में हथियार प्रणालियों के प्रशिक्षण के लिए स्कूल को एक नोडल केंद्र के रूप में स्थापित करने का आग्रह किया।

वायु सेना प्रमुख (सीएएस) ने 08 अक्टूबर, 2022  वायु सेना दिवस परेड समारोह के दौरान हथियार प्रणाली स्‍कूल के गठन की घोषणा की थी।

Read More »

पिछले वर्ष की तुलना में जून 24 में कोयला उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि

जून 2024 के दौरान भारत का कोयला उत्पादन 84.63 मीट्रिक टन (अनंतिम) तक पहुंच गया। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 14.49 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जो 73.92 मीट्रिक टन थी। जून 2024 के दौरान, कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने 63.10 मीट्रिक टन (अनंतिम) कोयला उत्पादन हासिल किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 8.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जब यह 57.96 मीट्रिक टन था। इसके अतिरिक्त, जून 2024 में कैप्टिव/अन्य द्वारा कोयला उत्पादन 16.03 मीट्रिक टन (अनंतिम) रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 55.49 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जो तब 10.31 मीट्रिक टन था।

जून 2024 के दौरान भारत का कोयला डिस्पैच 85.76 मीट्रिक टन (अनंतिम) तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 10.15 प्रतिशत अधिक है, जब यह 77.86 मीट्रिक टन दर्ज किया गया था। जून 2024 के दौरान, सीआईएल ने 64.10 मीट्रिक टन (अनंतिम) कोयला डिस्पैच किया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के 60.81 मीट्रिक टन की तुलना में 5.41 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, जून में कैप्टिव/अन्य द्वारा कोयला डिस्पैच 16.26 मीट्रिक टन (अनंतिम) दर्ज किया गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 43.84 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है, जो 11.30 मीट्रिक टन था।

इसके अतिरिक्त 30 जून, 2024 तक, कोयला कंपनियों के पास विद्यमान कोयले के स्टॉक में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो 95.02 मीट्रिक टन (अनंतिम) तक पहुंच गई। यह उछाल कोयला क्षेत्र के मजबूत प्रदर्शन और दक्षता को रेखांकित करते हुए 41.68 प्रतिशत की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि दर्शाती है। इस दौरान, थर्मल पावर प्लांट्स (टीपीपी) में कोयले का स्टॉक भी उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 46.70 मीट्रिक टन (अनंतिम) हो गया, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 30.15 प्रतिशत रही।

प्रधानमंत्री के “आत्मनिर्भर भारत” के विजन के अनुरूप, कोयला मंत्रालय द्वारा ऊर्जा क्षेत्र में सतत विकास और आत्मनिर्भरता की दिशा में अपनी यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए अथक प्रयास और रणनीतिक पहल की जा रही है।

Read More »

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए स्व-नामांकन की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2024 है

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए पात्र शिक्षकों से ऑनलाइन स्व-नामांकन 27 जून, 2024 से शिक्षा मंत्रालय के पोर्टल http://nationalawardstoteachers.education.gov.in पर आमंत्रित किए जा रहे हैं। ऑनलाइन नामांकन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 15 जुलाई, 2024 है। इस वर्ष, 50 शिक्षकों को तीन-चरणीय चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना जाएगा। यह चयन प्रक्रिया जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर होगी। यह पुरस्कार 5 सितंबर, 2024 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित होने वाले एक समारोह में भारत की राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाएगा।

शिक्षा मंत्रालय का विद्यालयी शिक्षा और साक्षरता विभाग हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर एक राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित करता है, जिसमें कठिन, पारदर्शी और ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुने गए देश के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार दिये जाते हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार का उद्देश्य देश के कुछ बेहतरीन शिक्षकों के अनूठे योगदान को जश्न के रूप में मनाना और उन शिक्षकों को सम्मानित करना है, जिन्होंने अपनी प्रतिबद्धता और मेहनत से न सिर्फ विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया है, बल्कि अपने छात्रों के जीवन को भी समृद्ध बनाया है।

पात्रता की शर्तें:

राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, स्थानीय निकायों और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त प्राथमिक/मध्य/उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत विद्यालय शिक्षक और विद्यालय प्रमुख पुरस्कार के लिए पात्र हैं।

  • केंद्रीय विद्यालय (केवी), जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा संचालित सैनिक स्कूल, परमाणु ऊर्जा शिक्षा सोसायटी (एईईएस) द्वारा संचालित विद्यालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस); और
  • केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से संबद्ध विद्यालय।

Read More »

कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को समृद्ध बनाने हेतु कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 29 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन सी ए ज्ञान प्रकाश गुप्ता जी द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 257 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन विवेक श्रीवास्तव, लायन पवन तुलसियान एवम लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लायन वीना ऐरन जी ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज चतुर्थ चरण में एनईपी 2020 के अंतर्गत कला संकाय की 257 पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152, तृतीय चरण में 182 पुस्तकों प्रदान की गई थीं। अब तक कुल 657 पुस्तकें बुक बैंक में हमारे द्वारा दान की गई हैं आगे भी आवश्यकतानुसार लायंस क्लब , छात्राओं हेतु शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल, लायन क्लब कानपुर गंगेज, लायन क्लब कानपुर अलंकृत, लायन मृदुला वर्मा, लायन सर्वेश दुबे ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
इस कार्यक्रम में लायन सुधा यादव ,लायन सविता श्रीवास्तव, लायन सुषमा श्रीवास्तव, लायन संघमित्रा, लायन उत्तरा गर्ग एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की शिक्षिकाएं प्रो निशा पाठक, डॉ पूर्णिमा शुक्ला एवम पुस्तकालय प्रभारी श्रीमती सुमन उपस्थित रही I कार्यक्रम का समापन प्रो निशा पाठक के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया।

Read More »

वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन के बाद मई 2024 में खनन क्षेत्र में वृद्धि

मूल्य के हिसाब से लौह अयस्क और चूना पत्थर कुल एमसीडीआर खनिज उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हैं। इन प्रमुख खनिजों ने वित्त वर्ष 2023-24 में रिकॉर्ड उत्पादन प्रदर्शित किया, जिसमें वित्त वर्ष 2023-24 में लौह अयस्क का उत्पादन 275 मिलियन मीट्रिक टन (एमएमटी) और चूना पत्थर का उत्पादन 450 एमएमटी रहा।

इस प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, देश में इन प्रमुख खनिजों के उत्पादन ने अनंतिम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में जोरदार वृद्धि प्रदर्शित की है। वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में लौह अयस्क का उत्पादन 50 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 52 एमएमटी हो गया है, जिसमें 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। चूना पत्थर का उत्पादन वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 77 एमएमटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 79 एमएमटी हो गया है, जिसमें 2.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मैंगनीज अयस्क का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत बढ़ गया है और वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 0.7 एमएमटी का उत्पादन हुआ है।

अलौह धातु क्षेत्र में, वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में प्राथमिक एल्यूमीनियम उत्पादन में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2023-24 (अप्रैल-मई) में 6.90 एलटी से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मई) में 6.98 लाख टन (एलटी) हो गया।

भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा एल्युमीनियम उत्पादक, तीसरा सबसे बड़ा चूना उत्पादक और चौथा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक है। चालू वित्त वर्ष में लौह अयस्क और चूना पत्थर के उत्पादन में निरंतर वृद्धि इस्पात और सीमेंट जैसे उपयोगकर्ता उद्योगों में मजबूत मांग की स्थिति को दर्शाती है। एल्युमीनियम के उत्पादन में वृद्धि के साथ, ये वृद्धि के रुझान ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, निर्माण, ऑटोमोटिव और मशीनरी जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में निरंतर मजबूत आर्थिक गतिविधि की ओर संकेत देते हैं।

Read More »