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लेख/विचार

महिला अधिकारियों को भारतीय सेना में स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए चयन बोर्ड की कार्यवाही शुरू

भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) प्रदान करने की जांच के लिए गठित विशेष नंबर 5 चयन बोर्ड ने 14 सितंबर 2020 को सेना मुख्यालय में कार्यवाही शुरू की। बोर्ड का नेतृत्व एक वरिष्ठ जनरल अधिकारी करता है। बोर्ड में ब्रिगेडियर रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल होती है। प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए महिला अधिकारियों को पर्यवेक्षकों के रूप में कार्यवाही को देखने की अनुमति दी गई है।

      स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करने वाली महिला अधिकारियों को न्यूनतम स्वीकार्य चिकित्सा श्रेणी में पाये जाने के बाद स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा।

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प्रधानमंत्री बिहार में 14,000 करोड़ रुपए की 9 राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 21 सितंबर, 2020 को बिहार में 9 राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।

श्री नरेन्द्र मोदी बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं से जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं का भी उद्घाटन करेंगे।

राजमार्गपरयोजनाएं

जिन 9 राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास होना है उनमें 350 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया जाएगा जिन पर 14,258 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन सड़कों के निर्माण से बिहार के विकास को बढ़ावा मिलेगा, संपर्क बेहतर होगा और बिहार तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में अर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी। बिहार सहित पड़ोसी राज्यों झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में लोगों और सामानों की आवाजाही आसान हो जाएगी।

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में बिहार के बुनियादी ढांचागत विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी। 54,700 करोड़ रुपए की लागत से 15 परियोजनाओं पर काम होना था जिनमें से 13 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 38 परियोजनाओं पर काम चल रहा है जबकि अन्य आवंटन या नीलामी की प्रक्रिया में हैं।

इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर बिहार में सभी नदियों पर पुल होंगे और राज्य के बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी।

प्रधानमंत्री के इस पैकेज के अंतर्गत गंगा नदी पर पुलों की संख्या 17 हो जाएगी जिनकी कुल क्षमता 62 लेन की होगी। इस तरह से एक औसत अनुमान के अनुसार राज्य में नदियों पर प्रति 25 किलोमीटर पर एक पुल होगा।

राजमार्ग से जुड़ी परियोजनाओं में बख्तियारपुर-रजौली खंड पर राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के 47.23 किलोमीटर लंबे खंड को चार लेन किया जाएगा, जिस पर 1149.55 करोड़ रुपए की लागत आएगी, इसी खंड पर 50.89 किलोमीटर सड़क को चार लेन किए जाने पर 2650.76 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है, राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के आरा-मोहनिया खंड पर 54.53 किलोमीटर के चार लेन के जाने की परियोजना पर ईपीसी मोड से 885.41 करोड रुपए की लागत आएगी, राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर आरा-मोहनिया खंड पर ही 60.80 किलोमीटर सड़क को चार लेन की जाने पर ईपीसी मोड से 855.93  करोड़ रुपए की लागत आएगी, नरेनपुर- पूर्णिया खंड पर राष्ट्रीय राजमार्ग 131ए, पर 49 किलोमीटर को चार लेन किए जाने पर एचएएम मोड से 2288 करोड रुपए की लागत आएगी, एनएच 131जी, पटना रिंग रोड (कन्हौली-रामनगर) खंड को छह लेन किए जाने पर 913.15 करोड रुपए की लागत आएगी, पटना में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर राष्ट्रीय राजमार्ग -19 पर 14.5 किलोमीटर चार लेन के पुल निर्माण पर 2926.42 करोड़ रुपये की लागत आएगी, कोसी नदी पर एनएच 106 पर 28.93 किलोमीटर लंबा चार लेन का नया पुल (2 लेन का पेव्ड शोल्डर भी होगी) ईपीसी मोड पर बनेगा, जिसमें 1478.40 करोड़ रुपये की लागत आएगी, और गंगा नदी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 131बी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर 4.445 किलोमीटर लंबा 4 लेन का पुल बनेगा जिस पर 1110.23 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

ऑप्टिकलफाइबरइंटरनेटसेवाएं

बिहार के लिए यह एक सम्मानजनक परियोजना है जिसके अंतर्गत 45,945 गांवों को डिजिटल क्रांति से जोड़ने के लिए राज्य के कोने-कोने तक तेज गति कि इंटरनेट सुविधा पहुंचेगी।

यह परियोजना दूरसंचार विभाग, सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय और सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के संयुक्त प्रयास से क्रियान्वित होगी।

बिहार राज्य में कुल 34,821 सीएससी यानी सामान्य सेवा केंद्र हैं, इन केंद्रों के साथ काम कर रहे लोग न केवल इंटरनेट परियोजना को क्रियान्वित करने में उपयोगी होने बल्कि इसे व्यवसायिक स्तर पर संचालित करने के प्रयास किए जाएंगे जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बिहार के प्रत्येक गांव के प्रत्येक नागरिक को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट की सेवाएं उपलब्ध हो सकें। इस परियोजना के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक वाईफाई और 5 नि:शुल्क इंटरनेट कनेक्शन सरकारी संस्थानों जैसे प्राथमिक स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, आशा कार्यकर्ता और जीविका दीदी इत्यादि को दिए जाएं।

इस परियोजना से ई-शिक्षा, ई-कृषि, टेलीमेडिसिन, टेली विधि सेवाओं सहित अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बिहार के प्रत्येक नागरिक से सिर्फ एक क्लिक दूर होंगी।

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शिक्षक पर्व पहल के तहत ‘समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर’ विषय पर वेबिनार

शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक पर्व के तहत नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) की प्रमुख विशेषताओं को उभारने के लिए यूजीसी के साथ संयुक्त रूप से “समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। अध्यापकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति-2020 को आगे ले जाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर, 2020 तक शिक्षक पर्व मनाया जा रहा है।

इसमें दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अनु सिंह लाथेर, हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. आर. सी. कुहाड़, बीपीएस महिला विश्वविद्यालय की उपकुलपति प्रो. सुषमा यादव, पंजाब के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति कुलपति प्रो. आर. पी. तिवारी और अंग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. सुरेश कुमार ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा समेत विभिन्न उप-विषयों पर अपनी बातें रखीं।

“समग्र और बहु-विषयी शिक्षा” विषय पर प्रो. आरसी कुहाड़ ने कहा कि मूल्यों की व्यवस्था, जीवन के स्थायी दर्शन, बहुलता और बहु-विषयी चीजों के आदर जैसी विशिष्टताएं और समग्र शिक्षा प्रणाली ने ही वास्तव में प्राचीन काल में भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया था। उन्होंने एनईपी 2020 के विभिन्न पहलुओं जैसे एसटीईएम विषयों के साथ मानविकी और कला विषयों के एकीकरण, प्रवेश लेने और बाहर निकलने की लचीली व्यवस्था, स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के पुनर्गठन, व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाने और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आदि पर विस्तार से बातें रखीं। उन्होंने बताया कि कैसे इन सभी सिफारिशों ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा में नई रुचि जगाई है और भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनने के रास्ते पर ले आई है।

प्रो. सुषमा यादव ने “समग्र और बहुविषयी उच्च शिक्षा के माध्यम से ज्ञान (आधारित) समाज निर्माण” विषय पर एक गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की। 2014 के बाद से सरकार की विभिन्न पहलों का उल्लेख करते हुए प्रो. सुषमा यादव ने बताया कि एनईपी-2020 में समग्र और बहु-विषयी सुधार सरकार के नवाचार, लचीलेपन और मुक्त पाठ्यक्रम की संस्कृति को विकसित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। इसमें समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को विकसित करने का जो तरीका है, वह शिक्षा को ज्यादा प्रयोगात्मक, रोचक, एकीकृत, जिज्ञासा निर्देशित, अन्वेषण उन्मुखी, सीखने पर केंद्रित, विमर्श आधारित, लचीला और आनंददायक बनाता है। प्राचीन काल में बेहतर शिक्षा प्रणाली के गठन में शामिल तत्वों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न कलाओं के ज्ञान और उनके आधुनिक इस्तेमाल की धारणा हमें 21वीं सदी में बढ़त दिलाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा को एक अलग क्षेत्र में स्थापित करेगी।

प्रो. आर. पी. तिवारी ने अपने भाषण में एनईपी 2020 में परिकल्पित समग्र और बहुविषयी शिक्षा की प्राचीन और मध्यकालीन भारत के गुरुकुलों में मिलने वाली शिक्षा से तुलना करते हुए “समग्र और बहुविषयी शिक्षा के साथ युवाओं के सशक्तिकरण” पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उस दौर में कैसे गुरुकुलों ने मानवों और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी। अपने संबोधन में उन्होंने सभी हितधारकों से एनईपी 2020 को लागू करने में योगदान करने की अपील की, क्योंकि एनईपी 2020 में भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की क्षमता है।

प्रो. सुरेश कुमार की बातें “बहु-विषयी और समग्र दृष्टिकोण के जरिए उच्च शिक्षा में बदलाव” पर केंद्रित रहीं, जो एनईपी 2020 के प्रस्तावित उद्देश्यों में से एक है। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इस नीति के बारे में एक प्रमुख बात है कि यह एक व्यक्ति के सामने यह सीखने की जरूरत पैदा करती है कि उसे कैसे सीखना है। इसके अलावा उन्होंने 2030 तक सभी जिलों में एक बहु-विषयी संस्थान बनाने की योजना के बारे में विस्तार से बताया, जहां वैश्विक मांगों के अनुरूप मुक्त विषय संयोजनों को चुनने की छूट होगी। उनकी बातों ने अंतरराष्ट्रीयकरण के लक्ष्यों, शिक्षकों शिक्षा में सुधार और विनियामक सुधारों पर प्रकाश डाला और इन सुधारों को बहु-विषयी व्यवस्था के जरिए जैसे विभिन्न वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम माना।

प्रो. अनु सिंह लाथेर ने कहा कि यह केवल विषय विशेष के ज्ञान को ही नहीं, जो मायने रखता है, बल्कि यह भी मायने रखता है कि संवाद को कैसे चलाने की जरूरत है। उन्होंने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को अपनाने के अलावा शिक्षा को ज्यादा व्यापक बनाने और बहु-विषयी संस्कृति को प्राप्त करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।

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पहली बार, भारत के आठ सागर तटों को प्रतिष्ठित “ब्लू फ्लैग अंतरराष्ट्रीय ईको लेबल” दिए जाने की सिफारिश

अंतरराष्ट्रीय सागर तट स्वच्छता दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री ने एक आभासी कार्यक्रम में घोषणा की कि पहली बार भारत के आठ सागर तटों की प्रतिष्ठित “अंतरराष्ट्रीय ईको लेबल ब्लू फ्लैग प्रमाणपत्र” के लिए सिफारिश की गई है ।

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प्रमुख पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों की एक स्वतंत्र राष्ट्रीय ज्यूरी ने यह सिफारिश की है। “ब्लू फ्लैग सागर तट” विश्व के सबसे स्वच्छ सागर तट माने जाते हैं। ये आठ सागर तट हैं -गुजरात का शिवराजपुर तट, दमण एवं दीव का घोघला तट, कर्नाटक का कासरगोड बीच और पदुबिरदी बीच, केरल का कप्पड बीच, आंध्र प्रदेश का रुषिकोंडा बीच, ओडिशा का गोल्डन बीच और अंडमान निकोबार का राधानगर बीच।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर, संसद के मौजूदा सत्र के जारी रहने के कारण इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा कि सरकार देश भर के सागर तटों को स्वच्छ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि तटवर्ती इलाकों के स्वच्छ सागर तट स्वच्छ पर्यावरण के प्रमाण हैं। उन्होंने कहा कि समुद्री कचरा और तेल के बिखरने से समुद्री जीव जंतुओं का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है और भारत सरकार सागर तटवर्ती इलाकों के सतत विकास के लिए महती प्रयास कर रही है।

इस कार्यक्रम में भारत के अपने ईको लेबल “बीम्स” का भी शुभारंभ किया गया और इसके लिए इन आठों सागर तटों पर एक साथ -#IAMSAVINGMYBEACH नाम का ई ध्वज लहराया गया। सीकॉम और मंत्रालय ने तटवर्ती इलाकों के सतत विकास के उद्देश्य से तैयार अपनी नीतियों को आगे बढ़ने के लक्ष्य को तेकर अपने समन्वित तटीय प्रबंधन परियोजना (आईसीजेडएम) के अंतर्गत एक उच्च गुणवत्ता वाला कार्यक्रम “बीम्स” (तटीय पर्यावरण एवं सुरुचिपूर्ण प्रबंधन सेवा) शुरू किया है। यह परियोजना आईसीजेडएम की कई अन्य परियोजनाओं में से एक परियोजना है जिसे भारत सरकार तटवर्ती इलाकों के सतत विकास के लिए लागू कर रही है ताकि वैश्विक रूप से मान्य प्रतिष्ठित ईको लेबल ब्लू फ्लैग को हासिल किया जा सके।

यह ध्वज लहराने का कार्यक्रम मंत्रालय द्वारा आठ सागर तटों पर आभासी तरीके से तो संबद्ध राज्य सरकारों अथवा केंद्र शासित प्रदेशों के विधायकों अथवा बीच प्रबंधन समितियों के अध्यक्षों द्वारा स्वयं उपस्थित होकर किया गया।

इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण सचिव श्री आर पी गुप्ता ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सागर तटों को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से ही उच्च मानक तय किए गए हैं और अगले चार से पांच वर्ष में 100 अन्य सागर तटों को पूरी तरह स्वच्छ बना दिया जाएगा।

एक वीडियो संदेश में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक श्री जुनैद खान ने अपने सागर तटों को स्वच्छ बनाने के प्रयासों के लिए भारत की सराहना करते हुए कहा कि भारत की तटवर्ती इलाकों के प्रबंधन की सतत रणनीति क्षेत्र के अन्य देशों के लिए प्रकाशस्तंभ साबित होगी।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने समग्र तटवर्ती क्षेत्र प्रबंधन के माध्यम से तटवर्ती क्षेत्र और सागर की ईको व्यवस्था की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक समग्र तटीय प्रबंधन व्यवस्था शुरू की है जिसमें वह अपने सीकॉम विंग के माध्यम से एक परस्पर संपर्क, गतिशीलता, बहु अनुशासन और पुनरावृत्तिमूलक प्रक्रिया से तटीय इलाकों के सतत विकास और प्रबंधन को बढ़ावा देता है।

आईसीजेडएम की परिकल्पना 1992 में रियो दि जनेरियो में हुए पृथ्वी सम्मेलन के दौरान पेश की गई थी अब विश्व के लगभग सभी तटवर्ती देश अपने तटों के प्रबंधन का काम आईसीजेडएम के सिद्धांतों के अनुसार करते हैं। अतः अपने तटीय क्षेत्र के प्रबंधन और सतत विकास के लिए आईसीजेडएम के सिद्धांतों के पालन से भारत को इस अंतरराष्ट्रीय समझौते के प्रति व्यक्त प्रतिबद्धता को पूरा करने में मदद मिलती है।

बीम्स कार्यक्रम का उद्देश्य तटवर्ती क्षेत्र के जल को प्रदूषित होने से बचाना, तटों पर समस्त सुविधाओं का सतत विकास, तटीय ईको व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा और संरक्षण करने के साथ साथ स्थानीय प्रशासन और अन्य भागीदारों को बीच की स्वच्छता और वहां आने वालों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का तटीय पर्यावरण और नियमों के अनुसार पालन सुनिश्चित करने को प्रेरित करना है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य प्रकृति के साथ पूर्ण तादात्म्य बनाकर तटीय मनोरंजन का विकास करना है। अंतरराष्ट्रीय तटीय स्वच्छता दिवस 1986 में शुरू हुआ था, जब लिंडा मरानिस की सागर संरक्षण के मामले को लेकर कैथी ओ हारा से मुलाकात हुई थी। ओ हारा ने तभी एक रिपोर्ट” प्लास्टिक इन दि ओशन: मोर दैन ए लिटिल प्राब्लम” पूरी की थी। ये दोनों इसके बाद अन्य सागर प्रेमियों के संपर्क में आईं और उन्होंने “क्लीन अप फार ओशन कंजर्वैंसी” का आयोजन किया। इस पहले क्लीन अप में 2,800 स्वयंसेवियों ने भाग लिया। उसी समय से ये क्लीन अप सौ से अधिक देशों में एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम बन गया।

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – सशक्त भारत की दिशा में सकारात्मक कदम

सामाजिक, सांस्कृतिक संस्था इंडियन थिन्कर सोसायटी एवं ब्रह्मानंद कॉलेज कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनांक 27 अगस्त 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया l डॉ. पी. के. कौल एवं श्री बलराम नरूला जी के संरक्षण में आयोजित गोष्ठी का शुभारंभ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कार्यकर्ता ममता द्वारा सरस्वती वंदना के गायन से हुआ l कार्यक्रम की संयोजिका क्राइस्ट चर्च कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मीतकमल के कुशल संचालन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय सचिव. एवं प्रखर वक्ता माननीय श्रीहरि बोरकर जी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे l ब्रह्मानंद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विवेक द्विवेदी ने श्रीहरि बोरकर जी का स्वागत करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया l ब्रह्मानंद कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर एवं संगोष्ठी की
कनविनर डॉ. अर्चना पांडेय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था अति प्राचीन है l वैदिक शिक्षा, बौद्ध कालीन शिक्षा, मध्यकालीन शिक्षा, आधुनिक शिक्षा एवं स्वतंत्रता के उपरान्त की शिक्षा व्यवस्था में समय समय पर परिवर्तन होते रहे हैं l राष्ट्र के विकास में शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए विभिन्न आयोग, समिति, नीति लागू की गयी l 1986 की दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 24 वर्षो के लंबे अंतराल के बाद वर्तमान सरकार ने 2020 में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की l मुख्य वक्ता श्री बोरकर जी ने बताया कि भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा व्यवस्था है जिसमें 1000 से अधिक विश्वविद्यालय, 50000 से अधिक कॉलेज, 14 लाख स्कूल और 33 करोड़ विधार्थी शामिल हैं l इस नयी शिक्षा नीति से सशक्त, समृद्ध, विकसित भारत का निर्माण होगा l इसमें 10+2 के पुराने फोरमेट के स्थान पर 5+3+3+4 की नयी व्यवस्था लागू की जाएगी l विषय को रूचिकर, रोजगारपरक, व्यावसायिक एवं आधुनिक स्वरूप दिया जाएगा l इस एतिहासिक नीति से भारत पुनः विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करेगा l कोकनविनर डॉ. इन्द्रेश शुक्ला ने प्रतिभागियों के प्रश्न उत्तर के सत्र का संचालन किया l कोआर्डिनेटर डॉ. देवेन्द्र कुमार अवस्थी ने भी अपने विचार रखे। श्री विनोद चंद्र जी एवं शिक्षाविद् डॉ. अरविंद पाण्डेय की उपस्थित ने संगोष्ठी को गरिमा प्रदान की l आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन ITS के सचिव श्री यू. सी. दीक्षित ने किया I

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क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर एवं इंडियन थिंकर सोसाइटी ITS के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय वेबीनार आयोजन में पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन( PAHs) के पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर चर्चा

सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक संस्था इंडियन थिंकर सोसाइटी ITS एवं रसायन विज्ञान विभाग क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनाँक 19 अगस्त 2020 को एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन( PAHs)
के पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर चर्चा हुयीं l

मुख्य वक्ताओं में डॉ. देवेन्द्र अवस्थी, ज. न. पी. जी. कॉलेज लखनऊ के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष और भीम राव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के अप्लाइड साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंजनी तिवारी ने अपने विचारों से अवगत कराया l क्राइस्ट चर्च कॉलेज के संरक्षक रेवनर सैमुअल पाल एवं ITS के संरक्षक श्री बलराम नरुला जी ने अपने विचार रखे l प्राचार्य डॉ. जोसेफ डेनियल के संबोधन के उपरान्त ITS के अध्यक्ष प्रो. पी. एन. कौल ने सभी का स्वागत किया I डॉ. श्वेता चंद द्वारा प्रार्थना प्रस्तुत की गयी I संगोष्ठी की कनविनर डॉ. मीत कमल द्विवेदी ने विषय प्रवर्तन किया l डॉ. सुधीर गुप्ता विभागाध्यक्ष ने मुख्य वक़्ता डॉ. देवेन्द्र अवस्थी का संक्षिप्त परिचय दिया l ब्रह्मानंद कॉलेज कानपुर की एसोसिएट प्रोफेसर एवं संगोष्ठी की आयोजक सचिव डॉ. अर्चना पांडेय ने डॉ. अंजनी तिवारी जी का परिचय प्रस्तुत किया l डॉ. अवस्थी ने बताया कि PAHs से वायु प्रदूषित हो रही है l शहरी क्षेत्र में PAHs का स्तर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दस गुना अधिक है I USA में कुछ पेयजल आपूर्ति में PAHs के निम्न स्तर पाए जाते हैं l डॉ. अंजनी तिवारी जी ने बताया कि पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन PAHs तम्बाकू के धुएँ, चिमनियों से निकलने वाले धुएँ में पाए बहुतायत मात्रा में होते हैं जो प्रदूषण बढ़ाते हैं I PAHs रसायनों का एक समूह है जो प्राकृतिक रूप से कोयले, कच्चे तेल, गैसोलीन में होते हैं जो हवा, पानी और मिट्टी सभी को प्रभावित एवं प्रदूषित करते हैं जिनके बहुत दिनों तक संपर्क में आने से कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना हो सकती है l धूम्रपान करने वालों को इससे सर्वाधिक खतरा रहता है l संगोष्ठी में पूर्व प्राचार्य डॉ. अरविंद पांडेय एवं डॉ. अनन्दिता भट्टाचार्य ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज की l अन्त में इंडियन
थिंकर सोसाइटी के सचिव श्री यू. सी. दीक्षित ने सभी को धन्यावाद देते हुए आभार व्यक्त किया l इस वेबीनार में स्थानीय एवं सुदूर क्षेत्र के 675 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की l

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आईआईए के स्थापना दिवस के अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों ने कहा कि आईआईए के संस्थापक डॉ. वेणु बापू के उत्साह को बरकरार रखने के लिए युवाओं के विचारों को अनुभव के साथ जोड़ा जा सकता है

भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान (आईआईए) ने अपना 50वां स्थापना दिवस मनाया, जिसमें गणमान्य व्यक्तियों ने युवा लोगों के नए विचारों को पिछले पांच दशकों में अर्जित ज्ञान और अनुभव के साथ जोड़कर इस संस्थान के संस्थापक डॉ. वेणु बापू की ऊर्जा और उत्साह को बरकरार रखने की जरूरत पर जोर दिया।

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इस वैज्ञानिक संस्थान की यात्रा का यह 50वां वर्ष बहुत महत्वपूर्ण है, जिसे डॉ. वेणु बापू के महान दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया था। यह अब विज्ञान और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के पुनर्निर्माण के चरण में है और आज इन्हीं के कद के और अधिक मार्गदर्शकों की जरूरत है। इस संस्थान की प्रारंभिक ऊर्जा और उत्साह पांच दशकों में अर्जित ज्ञान और अनुभव से समृद्ध हो गई है। आईआईए की स्थापना के 50वें वर्ष के समारोह का उद्घाटन करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि सर्वश्रेष्ठ युवाओं और नए विचारों के मिश्रण के साथ इस ऊर्जा को बरकरार रखना ही आगे बढ़ने का रास्ता है। आईआईए ने गुणवत्तायुक्त मानव संसाधनों, बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और पर्यवेक्षीय खगोल विज्ञान और गहन विज्ञान उपलब्ध कराने के लिए बहुत अच्छा कार्य किया है। यह संस्थान सही संसाधनों और दृष्टिकोण के साथ प्रगति करके नई ऊंचाइयों की और बढ़ना जारी रखेगा।  

आईआईए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार का एक स्वायत संस्थान है। इस संस्थान का स्थापना दिवस ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से मनाया गया, जिसमें स्थापना दिवस व्याख्यान, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन द्वारा दिया गया। आधुनिक भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान की स्थापना में योगदान देने वाले डॉ. मनाली कल्लात वेणु बापू के जन्मदिन को यह संस्थान अपने स्थापना दिवस के रूप में मनाता है। इस वर्ष के स्थापना दिवस के साथ इस संस्थान ने अपने अस्तित्व के 50वें वर्ष में प्रवेश किया है।

आईआईए की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन, प्रो. अविनाश सी. पांडे ने संस्थान के छात्रों द्वारा तैयार की गई ई-पत्रिका ‘डीओओटी’ का विमोचन किया और कहा कि इस पत्रिका के माध्यम से हम छात्रों को रचनात्मक रूप से जोड़ने के लिए एक मंच उपलब्ध करा रहे हैं। यह विज्ञान की अनूठी अवधारणाओं के रचनात्मक वितरण को एक सरल तरीके से जन-जन तक पहुंचाने की अभिव्यक्ति होगी। निदेशक, प्रो. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने संस्थान के पूर्व निदेशकों के लघु संदेशों के माध्यम से आईआईए के गठन और विकास के प्रदर्शन द्वारा दर्शकों को काफी आकर्षित किया।

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सुशील बवेजा जिनकी ख्याति अब सात समुद्र पार भी

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायक श्री सुशील बवेजा ने
गुरू- स्व.रविन्द्र जैन जी का सानिध्य पाया
कई देशों की यात्रा कि
अनगिनत उपलब्धियाँ, एकल विद्यालय,फाऊडेशन अमेरिका के लिए पूरे अमेरिका में 157 कार्यक्रमों की प्रस्तुति
1980 से गीत, गजल,भजन में संगीत की दुनियां में कदम रखा ,
धारावाहिक-रामायण, श्री कृष्णा, जय हनुमान, साई बाबा जैसे सीरियस मे प्रख्यात एवं महान म्यूजिक डायरेक्टर स्व.रविन्द्र जैन जी के निर्देशन में गाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, भजन सम्राट, भजन अंलकार, भजन श्री से U.K, U.S.A. मे सम्मानित किया गया इनके लाखों चाहने वाले
YouTube और Face book मे हैं

इन्हें विभिन्न सम्मान से सम्मानित किया गया

लाजपत राय “विकट”
जन्म-8.1.1958.”मैनपुरी”उ.प्र.
पिता- स्व.मनोहर लाल बवेजा
माता- स्व.कौशल्या देवी
सृजन- 1990 से लेखन प्रारंभ
उपलब्धि- निरालाअंलकार सम्मान (उन्नाव)
ओजस्वी स्वर सम्मान (लखनऊ)
खेडापति सम्मान धार (म.प्र.)
सुभाष सम्मान (जबलपुर)
स्व.ब्रजेन्द्र अवस्थी स्मृति सम्मान प्रथम (लखीम पुर खीरी)
टी .वी.प्रकाशन -(वाह वाह क्या बात है) आस्था, संस्कार,एन .डी,सब,सोनी, कई चैनलों मे “”””
निवास- कतरास रोड, मटकुरिया धनबाद (झारखंड)

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सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया।

सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी हमेशा से ही अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी राजनेता के साथ साथ कानून के भी अच्छे जानकार  हैं। सुशांत सिंह के केस में वह अक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सुशांत केस के लिए उन्होंने वकील का चयन करवाया साथ ही प्रधानमंत्री को लेटर लिख कर सीबीआई जांच की भी मांग की। सुशांत के केस में वह शुरू से ही साजिश बता रहे हैं। अब सुशांत सिंह राजपूत के केस में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हत्या का शक जताया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशम मीडिया पर सुशांत के केस से जुड़े 26 प्वाइंट शेयर किए है जो ये दावा करते है कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं  की बल्कि उनकी हत्या की गयी हैं। 

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सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया। साथ ही सुशांत के शरीर पर कई चोट के निशान थे उसके बारे में रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है जो काफी हैरान करने वाली बात है। 

सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी दावा किया जिस कपड़े से सुशांत के फांसी लगाने का दावा किया जा रहा है उससे मुमकिन नहीं है फांसी को लगा पाना। सुशांत के कमरे से कोई स्टूल नहीं मिला है, सीसीटीवी भी नहीं थे साथ ही कमरे की एक चाभी भी गायब थी। यह सब इत्तेफाक नहीं है। सुशांत की हत्या कि गयी है। उन्होंने मुंबई पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं। स्वामी के इन दावों में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगी।

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डिजिटल शिक्षा पर “भारत रिपोर्ट-2020” जारी, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने जारी की रिपोर्ट

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने आज डिजिटल शिक्षा पर भारत रिपोर्ट-2020 जारी की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों द्वारा घर पर बच्चों के लिए सुलभ और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने और उनके सीखने के क्रम में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अपनाए गए अभिनव तरीकों की विस्तृत व्याख्या करती है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वह इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ें ​ताकि उन्हें दूरस्थ शिक्षा और सभी के लिए शिक्षा की सुविधा के लिए सरकार की ओर से की की गई विभिन्न पहलों की जानकारी मिल सके।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने शिक्षा को एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित किया गया है जिसका लक्ष्य प्री-नर्सरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं तक स्कूलों के व्यापक स्पेक्ट्रम में डिजिटल शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना है। गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा ने वैश्वीकरण के वर्तमान संदर्भ में एक नई प्रासंगिकता हासिल कर ली है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षकों, विद्वानों और छात्रों को सीखने की उनकी ललक में मदद करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि “दीक्षा मंच”, “स्वयं प्रभा टीवी चैनल”, ऑनलाइन एमओओसी पाठ्यक्रम, ऑन एयर– “शिक्षा वाणी”, दिव्यांगों के लिए एनआईओएस द्वारा विकसित “डेजी, ई-पाठशाला”,  “ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज (एनआरओईआर) की राष्ट्रीय रिपोजिटरी”, टीवी चैनल, ई-लर्निंग पोर्टल, वेबिनार, चैट समूह और पुस्तकों के वितरण सहित राज्य/केन्द्र शासित सरकारों के साथ अन्य डिजिटल पहल।

      रिपोर्ट में प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक”, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, श्री संजय धोत्रे और स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव, एमएचआरडी, श्रीमती अनीता करवाल के संदेश हैं। रिपोर्ट को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों के परामर्श से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के डिजिटल शिक्षा प्रभाग द्वारा तैयार किया गया है।

      इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों ने छात्रों के द्वार पर डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य भी किया है। छात्रों से जुड़ने के लिए कुछ प्रमुख माध्यमों के रूप में सोशल मीडिया टूल जैसे व्हाट्सएप ग्रुप, यू ट्यूब चैनल, आनलाइन कक्षाएं, गूगल मीट, स्काइप के साथ ई-लर्निंग पोर्टल, टीवी (दूरदर्शन और क्षेत्रीय चैनल), रेडियो और दीक्षा का उपयोग किया गया जिसमें दीक्षा का उपयोग सभी हितधारकों की सबसे प्रमुख पसंद थी।

      राज्य सरकारों द्वारा की गई कुछ प्रमुख डिजिटल पहल में राजस्थान में “स्माइल” (सोशल मीडिया इंटरफेस फॉर लर्निंग एंगेजमेंट), जम्मू में “प्रोजेक्ट होम क्लासेस”, छत्तीसगढ़ में “पढ़ाई तुहार दुवार” (आपके द्वार पर शिक्षा), बिहार में “उन्नयन” पहल पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से शिक्षा, दिल्ली में एनसीटी का अभियान “बुनियाद”, केरल का अपना शैक्षिक टीवी चैनल (हाई-टेक स्कूल प्रोग्राम), “ई-विद्वान पोर्टल” और साथ ही मेघालय में शिक्षकों के लिए मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम शामिल हैं। तेलंगाना में कोविड संकट के दौरान शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ऑनलाइन सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है।

      कुछ राज्यों ने दूरस्थ शिक्षा की सुविधा के लिए नवीन मोबाइल ऐप और पोर्टल लॉन्च किए हैं। मध्य प्रदेश ने टॉप पैरेंट ऐप लॉन्च किया है, जो एक नि:शुल्क मोबाइल ऐप है जो छोटे बच्चों के माता-पिता (3-8 साल) को बाल विकास के ज्ञान और व्यवहारों की सीख देता है ताकि उन्हें अपने बच्चों के साथ सार्थक जुड़ाव बनाने में मदद मिल सके। केएचईएल (इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग के लिए नॉलेज हब), एक गेम आधारित एप्लीकेशन भी शुरू किया गया है, जो कक्षा एक से लेकर कक्षा 3 तक के छात्रों के लिए है। उत्तराखंड “संपर्क बैंक ऐप” का उपयोग कर रहा है, जिसके माध्यम से प्राथमिक स्कूल के छात्र एनिमेटेड वीडियो, ऑडिओ, वर्कशीट, पहेलियों आदि का उपयोग कर सकते हैं। असम ने कक्षा 6 से 10. के लिए “बिस्वा विद्या असम मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। बिहार ने कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए ई-पुस्तकों के साथ “विद्यावाहिनी ऐप” लॉन्च किया है। “उन्नयन बिहार पहल” के तहत बिहार सरकार ने छात्रों के लिए “मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय” शुरू किया है। इसी तरह शिक्षकों के लिए “उन्नयन बिहार” के तहत शिक्षक ऐप शुरू किया गया है। चंडीगढ़ ने कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के सीखने के परिणाम का आकलन करने के लिए “फीनिक्स मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। महाराष्ट्र ने राज्य में छात्रों के लिए “लर्निंग आउटकम स्मार्ट क्यू मोबाइल ऐप” लॉन्च किया है। पंजाब ने कक्षा 1 से 10 तक के लिए आई स्कूएला लर्न मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। “सिक्किम एडुटेक ऐप” राज्य शिक्षा विभाग के तहत सिक्किम के सभी स्कूलों को जोड़ता है। इसमें छात्रों, शिक्षकों और प्रशासनिक इकाइयों के साथ-साथ अभिभावकों को भी लॉगिन करने की सुविधा दी गई है। त्रिपुरा में छात्रों के मूल्यांकन की सुविधा के लिए ‘एम्पॉवर यू शिक्षा दर्पण’ नाम का एक एप्लिकेशन शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश ने 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्षित करते हुए “टॉप पैरेंट ऐप” लॉन्च किया है। वर्तमान में बच्चों के लिए “चिंपल”, “मैथ्स मस्ती” और “गूगल बोलो” जैसे तीन बेहतरीन एडुटेक ऐप हैं।

      राज्य भी शिक्षा के एक माध्यम के रूप में व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। “ओडिशा शिक्षा संजोग”- ओडिशा में एक व्हाट्सएप आधारित डिजिटल लर्निंग कार्यक्रम शुरू किया गया है जो एक सुव्यवस्थित तरीके से वर्ग समूहों के साथ ई-सामग्री साझा करता है। व्हाट्सएप के माध्यम से पंजाब और पुद्दुचेरी में भी ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। राजस्थान व्हाट्सएप का उपयोग “हवामहल- खुशनुमा शनिवार” कार्यक्रम के लिए कर रहा है, जहां छात्र कहानियों को सुनकर व्हाट्सएप के माध्यम से दिए गए निर्देशों के आधार पर खेल, खेल सकते हैं। मिशन प्रेरणा की ई-पाठशाला उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और छात्रों के बीच संपर्क का एक व्हाट्सएप समूह है। हिमाचल प्रदेश ने तीन व्हाट्सएप अभियान शुरू किए हैं, जैसे, “करोना”, “थोड़ी मस्ती, थोड़ी पढ़ाई” और जहां राज्यों द्वारा ई-सामग्री की व्यवस्था की गई है ‘वहां हर घर पाठशाला’। छात्र इसकी मदद से अपने सवाल हल करते हैं और उस पर शिक्षक अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए, इस अभियान का नाम “हम किसी से कम नहीं- मेरा घर पाठशाला” रखा गया है। सामग्री को व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से साझा किया जा रहा है जिसके साथ विशेष शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।  

कई राज्यों को इंटरनेट के बिना कम तकनीकी रूपों के साथ शिक्षण और निर्देशन के लिए रचनात्मक उपायों को अपनाना पड़ा है। उदाहरण के लिए- अरुणाचल प्रदेश में, प्राथमिक कक्षा के छात्र ऑल इंडिया रेडियो, ईटानगर के माध्यम से अपनी मातृभाषा में दिलचस्प रेडियो वार्ताएँ प्राप्त कर रहे हैं। झारखंड के जिलों में क्षेत्रीय दूरदर्शन और उपलब्ध रेडियो स्लॉट के माध्यम से बच्चों को संबोधित करने वाले वास्तविक शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। स्थानीय टीवी चैनलों पर वर्चुअल कंट्रोल रूम के माध्यम से कक्षाओं को प्रसारित करने की पुद्दुचेरी की ऐसी ही पहल है। मणिपुर ने कक्षा 3 से 5 तक के छात्रों के लिए कॉमिक पुस्तकों की शुरुआत की है ताकि उन्हें मजेदार तरीके से अवधारणाओं को सीखने में मदद मिल सके। लद्दाख जैसे कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में भी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए ईएमबीआईबीई बैंगलोर गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है। वर्तमान समय में सामुदायिक जुड़ाव सबसे कठिन काम है ऐसे में स्थानीय और व्यक्तिगत संसाधनों का महत्व ज्यादा हो गया है। हरियाणा राज्य द्वारा क्विज प्रतियोगिताओं जैसी लोकप्रिय सुविधाएँ आयोजित की जाती हैं।

      दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने की चुनौतियों से निपटने के लिए, एनआईओएस और स्वयं प्रभा सामग्री उन बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जो इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं और जिनकी रेडियो और टीवी तक सीमित पहुंच है। नवोन्मेषी माध्यमों से सामग्री उपलब्ध कराने के लिए राज्यों की पहल समावेशी शिक्षा को सुनिश्चित कर रही है। उदाहरण के लिए- आंध्र प्रदेश ने महत्वपूर्ण विषयों को समझने और अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए छात्रों के लिए टोल फ्री कॉल सेंटर और टोल फ्री वीडियो कॉल सेंटर शुरू किया है। खराब मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण, छत्तीसगढ़ ने मोटर ई-स्कूल शुरू किया है। राज्य ने वीएफएस (वर्चुअल फील्ड सपोर्ट) के रूप में एक टोल फ्री नंबर भी शुरू किया है। झारखंड ने रोविंग शिक्षक की शुरुआत की है, जहां कई शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आते हैं। गुजरात ने जुबानी पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए- वंचन अभियान और बच्चों के लिए “मैलो-सलामत ए हंफैलो” (परिवार का घोंसला-सुरक्षित है) जैसा सामाजिक मनोवैज्ञानिक सहायता कार्यक्रम चलाया है। पश्चिम बंगाल ने भी छात्रों के लिए विशेष और समर्पित टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।

      सुदूर क्षेत्रों में समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति सही नहीं है राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी बच्चों के घर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया है। जिन राज्यों ने छात्रों तक पहुँचने के लिए यह पहल की है, ओडिशा, मध्य प्रदेश (दक्शता उन्नाव कार्यक्रम के तहत), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव आदि शामिल हैं। लक्षद्वीप ने छात्रों को ई-सामग्री से लैस टैबलेट वितरित किए हैं। नगालैंड ने छात्रों को नाममात्र की लागत पर डीवीडी/पेन ड्राइव के माध्यम से अध्ययन सामग्री वितरित की है। जम्मू और कश्मीर ने दृष्टिबाधित शिक्षार्थियों के लिए लैपटॉप और ब्रेल स्पर्श पठनीयता के साथ छात्रों को मुफ्त टैब वितरित किए हैं।

      डिजिटल शिक्षा पहल भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मददगार बन रही है। गोवा ने राज्य में प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए एम्बाइब, एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सीखने, अभ्यास और परीक्षण के लिए ऑनलाइन मंच के साथ साझेदारी की है। कर्नाटक ने दूरदर्शन के माध्यम से एक परीक्षा तैयारी कार्यक्रम, और एक एसएसएलसी परीक्षा तैयारी कार्यक्रम शुरू किया है। एनईईटी परीक्षा की तैयारी करने वाले तमिलनाडु के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त छात्रों के लिए विस्तृत विश्लेषण के साथ ऑनलाइन अभ्यास परीक्षण उपलब्ध हैं।

      राज्यों द्वारा विविध आवश्यकताओं को पूरा करने की जरूरत, भाषा पर पूरा नियंत्रण रखने के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास भी सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए एनसीटी दिल्‍ली द्वारा उच्च कक्षाओं के लिए शिक्षा सामग्री तैयार की गई है। लॉकडाउन के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्राइमरी कक्षाओं के छात्रों को मजेदार तरीके से पढ़ाने के लिए ऐसी सेवाओं की एसएमएस/आईवीआर के माध्यम से व्यवस्था की जा रही है। इसी तरह तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्य भी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मध्य प्रदेश और गुजरात सक्रिय रूप से विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए समावेशी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस प्रकार से सभी राज्यों के शिक्षा विभाग मिलकर दूरस्थ शिक्षा के रास्ते में आने वाली ​मुश्किलों को दूर करने के लिए पूरी तरह समर्पित और प्रतिबद्ध हैं।

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