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लेख/विचार

गुरुकुल के बटुकों कर्मकांड सहित अन्य सामग्री भेंट की

कानपुर। भारत विकास परिषद किदवईनगर शाखा द्वारा विश्व संस्कृत दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुकुल हनुमंत प्राच्य विद्या आश्रम एन ब्लॉक किदवईनगर में पढ़ रहे 15 बटुकों को चार प्रकार की कर्मकांड संबंधित संस्कृत की पुस्तकें, 2 रजिस्टर, पेन, बिस्किट एवं फल का वितरण किया गया। वहां पढ़ने वाले निसहाय एवं निराश्रित बालकों को विद्या दान देकर उनको स्वम्बलम्बी बनाने के लिए गुरुकुल के आचार्यो की परिषद द्वारा प्रशंसा की गई आचार्यों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में रीजनल मंत्री राधेश्याम अग्रहरि, अध्यक्षा माया सचान, सचिव मनीषा अग्रवाल, संध्या गुप्ता, रेनु मिश्रा, अनिल अग्रवाल, नीलम अग्रवाल, विनीता अग्रवाल, आत्मप्रकाश दीक्षित, मेजर पांडेय, महेश मिश्रा, शैलेश मिश्रा, विजयलक्ष्मी मिश्रा मौजूद रहे।

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कानपुर में मुंबई की तरह एमएसटी शुरू की जाए

कानपुर। यूपी दैनिक रेल यात्री कल्याण समिति के संरक्षक राजेश शुक्ल, सचिव राहुल शुक्ल, मनीष मिश्रा, श्रीधर कश्यप, अभिषेख सिंह, गौरव जायसवाल, अमन, रीतेश सिंह ने रविवार को सांसद सत्यदेव पचौरी से मुलाकात कर ट्रेनों में मुंबई की तर्ज पर एमएसटी खोलने की मांग की। प्रतिनिधियों ने कहा कि लखनऊ, फतेहपुर, प्रयागराज तक हर दिन हजारों लोगों को अप-डाउन करना पड़ रहा है लेकिन रोज हर यात्री को चार सौ रूपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

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54 पैरालंपिक एथलीट भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतने के लिए 25 अगस्त से अपनी यात्रा शुरू करेंगे

प्रमुख तथ्य :

•54 एथलीटों के साथ किसी भी पैरालंपिक में भारत द्वारा भेजी गई अब तक की यह सबसे बड़ी टीम है।

•भाविना और सोनलबेन पहले दिन यानी 25 अगस्त को टोक्यो में अपने अंतिम चयन प्रतिस्पर्धा (क्वालीफिकेशन राउंड) की शुरुआत करेंगी। वे टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) कोर ग्रुप का हिस्सा हैं।

•अरुणा महिलाओं के अंडर 49 किग्रा में के-44 वर्ग में भाग लेंगी। वे 2 सितंबर को राउंड ऑफ-16 राउंड्स से अपने प्रतिस्पर्धा की शुरुआत करेंगी। वे टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का हिस्सा हैं।

•सकीना, जो महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में भाग लेंगी, राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला पैरालंपिक खिलाड़ी हैं।

भारत के 54 एथलीट; तीरंदाजी, एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड), बैडमिंटन, तैराकी, भारोत्तोलन समेत 9 खेलों में भाग लेंगे। यह किसी भी पैरालंपिक में भारत द्वारा भेजी गई अब तक की सबसे बड़ी टीम है। सभी 54 एथलीट टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का हिस्सा हैं।

गुजरात राज्य की भाविना पटेल और सोनलबेन पटेल दोनों पैरालंपिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की कोशिश करेंगी। यह जोड़ी क्रमशः पैरा टेबल टेनिस महिला एकल व्हीलचेयर वर्ग 4 श्रेणी और महिला एकल व्हीलचेयर वर्ग 3 श्रेणी में भाग ले रही है। वे महिला युगल स्पर्धा में भी जोड़ी के रूप में भाग लेंगी।

(चित्र: सोनलबेन पटेल)

भाविना और सोनलबेन अपने क्वालीफिकेशन राउंड की शुरुआत टोक्यो में पहले दिन यानी 25 अगस्त को करेंगी। क्वालीफाइंग राउंड 25, 26 और 27 अगस्त को होंगे, जबकि सेमीफाइनल और फाइनल क्रमशः 28 और 29 अगस्त को होंगे।

 

(चित्र: भाविना)

दोनों खिलाड़ियों ने अहमदाबाद स्थित ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन में प्रशिक्षक ललन दोषी की देख-रेख में प्रशिक्षण लिया है। भाविना जहां इस समय अपने वर्ग में दुनिया में 8वें स्थान पर हैं, वहीं सोनलबेन 19वें स्थान पर हैं। दोनों सरदार पटेल पुरस्कार और एकलव्य पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं और एशियाई खेलों में पदक विजेता रही हैं।

दोनों खिलाड़ी टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) कोर ग्रुप का हिस्सा हैं और दोनों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के मामले में भारत सरकार से महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है। भाविना को व्यक्तिगत प्रशिक्षण के लिए टीटी टेबल, रोबोट और टीटी व्हीलचेयर तथा आगामी टोक्यो पैरालंपिक खेलों की तैयारी के लिए फिजियोथेरेपी, आहार विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक और प्रशिक्षण शुल्क के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए टेबल टेनिस बॉल, प्लाई, रबर, गोंद आदि जैसे उनके खेल से जुड़े विशिष्ट उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी मिली है।

पैरा टीटी से जुड़ी अपनी बड़ी बहनों के नक्शेकदम पर चलते हुए पैरालंपिक खेलों में पैरा ताइक्वांडो में भारत की एकमात्र प्रतिनिधि 21 वर्ष की अरुणा तंवर होंगी। हरियाणा की अरुणा महिलाओं के 49 किलोग्राम से कम भार के के-44 वर्ग में भाग लेंगी। वो 2 सितंबर को राउंड- ऑफ-16 राउंड्स में अपना जौहर दिखायेंगी।

 

(चित्र:अरुणा तंवर)

अरुणा इस समय के-44 वर्ग में 30वें स्थान पर हैं और वो 2018 में वियतनाम में आयोजित एशियाई पैरा ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में रजत पदक विजेता रही हैं। साथ ही, वो 2019 में तुर्की में आयोजित विश्व पैरा ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में कांस्य पदक विजेता रही हैं। वो टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का एक हिस्सा हैं और उन्हें उनके खेल से जुड़े विशिष्ट उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी मिली है।

(चित्र:अरुणा तंवर)

पैरा पावरलिफ्टिंग के लिए भारत जय दीप और सकीना खातून के रूप में दो सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को वहां भेज रहा है। जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में जन्मी सकीना बेंगलुरु स्थित साई राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण ले रही हैं, वहीं दूसरी ओर हरियाणा के रहने वाले जय दीप रोहतक स्थित राजीव गांधी स्टेडियम में प्रशिक्षण ले रहे हैं। ये दोनों ही टॉप्‍स कोर टीम का हिस्सा हैं।

सकीना, जो महिलाओं के 50 किग्रा तक के वर्ग में भाग लेंगी, अब तक की एकमात्र भारतीय महिला पैरालिंपियन हैं, जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में कोई पदक जीता है। उन्‍होंने वर्ष 2014 में ग्लासगो में यह पदक जीता था। वह पैरा एशियन गेम्स 2018 की रजत पदक विजेता भी हैं। बचपन में हुई पोलियो की गंभीर बीमारी की वजह से ही सकीना दिव्‍यांगता से ग्रस्‍त हो गई हैं। मैट्रिक तक पढ़ाई कर लेने के बाद उन्होंने दिलीप मजूमदार और अपने वर्तमान कोच फरमान बाशा से प्राप्‍त वित्तीय सहायता की बदौलत वर्ष 2010 में पावरलिफ्टिंग प्रशिक्षण शुरू किया।

(चित्र:सकीनाखातून)

जय दीप, जो पुरुषों के 65 किग्रा तक के वर्ग में भाग ले रहे हैं, भारतीय खेल प्राधिकरण में सहायक कोच हैं। इन दोनों ही खिलाडि़यों को तीन से भी अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने और खेल किट से युक्‍त खेल विज्ञान सहायता के साथ राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों में भाग लेने में भारत सरकार की ओर से महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्‍त हुआ है। ये दोनों ही खिलाड़ी 27 अगस्त को अपने-अपने फाइनल राउंड में टोक्यो में खेलेंगे।

(चित्र:जय दीप)

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कोविड-19 के कारण लगे प्रतिबंधों के बावजूद, भारत ने अप्रैल-जून (2021-22)तिमाही में कृषि तथा प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में 44.3प्रतिशतसे अधिक का रिकॉर्ड निर्यात अर्जितकरना जारी रखा

कोविड-19 के कारण लगेप्रतिबंधों के बावजूद, विशेष रूप से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान,महामारी की दूसरी लहर केप्रकोप के कारण, भारत ने 2021-22 (अप्रैल-जून) में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में2020-21 की इसी अवधि की तुलना में 44.3 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की।

चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों के दौरान कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में तेज बढ़ोत्तरी, वित्तीय वर्ष 2020-21 में निर्यात मेंआईवृद्धि की निरंतरता में है।

विश्व व्यापार संगठन के व्यापार मानचित्र के अनुसार, वर्ष 2019 में 37 बिलियन अमेरिकीडॉलर के कुल कृषि निर्यात के साथ, भारत विश्व रैंकिंग में 9वें स्थान पर है।

वाणिज्य मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा)द्वारा की गई पहलों ने देश को ऐसे समय में इस उपलब्धि को अर्जित करने में मदद की जब महामारी का प्रकोप अपने चरमपर था।

वाणिज्यिक आसूचनाऔर सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएंडएस) द्वारा जारी त्वरित अनुमानों के अनुसार, अप्रैल-जून 2021 के दौरान एपीडा उत्पादों के कुल निर्यात में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अमेरिकी डॉलर के हिसाब से44.3प्रतिशतकी वृद्धि देखी गई है। एपीडा उत्पादों का कुल निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 3338.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 4817.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

भारतीय कृषि-निर्यात केहिसाब से, देश ने पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में डॉलर के हिसाब से 25.02 प्रतिशत और रुपये के हिसाब से 29.43 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है। हालांकि, यह अनुमान लगाया गया है कि चालू वर्ष (2021-22) में भी देश के कृषि निर्यात में लगभग 15 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की जाएगी।

त्वरित अनुमानों के अनुसार, ताजे फलों और सब्जियों के निर्यात में 9.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों जैसे सुखाए या फुलाए गए अनाजों(सीरियल प्रीपेरेशन)और विविध प्रसंस्कृत वस्तुओं के निर्यात में 69.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अप्रैल-जून, 2020-21 में, ताजे फल और सब्जियों का निर्यात 584.5 मिलियन अमेरिकीडॉलर का था जो अप्रैल-जून 2021-22 में बढ़कर 637.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

भारत ने अन्य अनाजों के निर्यात में 415.5 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरीदर्ज की, जबकि मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के निर्यात में चालू वित्त वर्ष (2021-22) के पहले तीन महीनों में 111.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। अन्य अनाजों का निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 44.9 मिलियन अमेरिकीडॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 231.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया और मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात अप्रैल-जून 2020 में 483.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021में 1022.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

 

चावल का निर्यात, जिसने 25.3 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की, अप्रैल-जून 2020 के 1914.5 मिलियन अमेरिकीडॉलर से बढ़कर अप्रैल-जून 2021 में 2398.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि,कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों में बी 2 बी प्रदर्शनियों का आयोजन भारतीय दूतावासों की सक्रिय भागीदारीसे उत्पाद विशिष्ट और सामान्य विपणन अभियानों के माध्यम से नए संभावित बाजारों की खोज जैसी एपीडा की विभिन्न पहलों का परिणाम है।

एपीडा ने संयुक्त अरब अमीरात के साथ कृषि और खाद्य उत्पादों पर और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ हस्तशिल्प सहित जीआई उत्पादों पर वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठकका आयोजन करके भारत में पंजीकृत भौगोलिक संकेत (जीआई) वाले उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भी कई पहल की हैं। एपीडानेनिर्यात की जाने वाली प्रमुख कृषि वस्तुओं के जीआई उत्पादों को लोकप्रिय बनाने के लिए संभावित आयातक देशों के साथ वर्चुअल क्रेता-विक्रेता बैठक (वीबीएसएम) आयोजित करने की अपनी पहल जारी रखी है।

निर्यात किए जाने वाले उत्पादों के निर्बाध गुणवत्ता प्रमाणन को सुनिश्चित करने के लिए, एपीडा ने उत्पादों और निर्यातकों की एक विस्तृत श्रृंखला को परीक्षण की सेवाएं प्रदान करने के लिए पूरे भारत में 220 प्रयोगशालाओं को मान्यता दी है।

एपीडा निर्यात परीक्षण और अवशेष निगरानी योजनाओं के लिए मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के उन्नयन और सुदृढ़ीकरण में भी सहायता करता है। एपीडा कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचा विकास, गुणवत्ता सुधार और बाजार विकास की वित्तीय सहायता योजनाओं के तहत भी सहायता प्रदान करता है।

एपीडाअंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेलों में निर्यातकों की भागीदारी का आयोजन करता है, जिसने निर्यातकों को वैश्विक बाजार में अपने खाद्य उत्पादों के विपणन के लिए एक मंच प्रदान कियाहै। एपीडा कृषि-निर्यात को बढ़ावा देने के लिए आहार, ऑर्गेनिक वर्ल्ड कांग्रेस, बायोफैच इंडिया आदि जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का भी आयोजन करता है।

एपीडा ने अंतरराष्ट्रीय बाजार की गुणवत्ता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बागवानी उत्पादों के लिए पैक-हाउस का पंजीकरण भी शुरू कियाहै।उदाहरण के लिए,मूंगफली के छिलके और ग्रेडिंग तथा प्रसंस्करण इकाइयों के लिए निर्यात इकाइयों केपंजीकरणका उद्देश्य यूरोपीय संघ और गैर-यूरोपीय संघ के देशों के लिए गुणवत्ता पालन सुनिश्चित करना है।

एपीडा वैश्विक खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता आवश्यकताओं के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए मांस प्रसंस्करण संयंत्रों और बूचड़खानों का पंजीकरण करता है। एक अन्य प्रमुख पहल में ट्रेसिएबिलिटी सिस्टम का विकास और कार्यान्वयन शामिल है जो आयात करने वाले देशों की खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता अनुपालन सुनिश्चित करता है। विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व्यापार विश्लेषणात्मक सूचनाओं का संकलन और प्रसार, निर्यातकों के बीच बाजार पहुंच की जानकारी साझा करना और व्यापार पूछताछका समाधानकरना भी उसी समग्र प्रेरकबल का हिस्सा हैजो एपीडा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उपलब्धकराता है।

भारत के निर्यात का तुलनात्मक विवरण एपीडा उत्पाद
उत्पाद शीर्ष जून, 2020 अप्रैलजून, 2020 जून, 2021 अप्रैलजून, 2021 बदलाव (जून,2021) बदलाव (अप्रैलजून,2021)
मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर मिलियन अमेरिकी डॉलर अमेरिकी डॉलर अमेरिकी डॉलर
फल एवं सब्जियां 189.8 584.5 204.9 637.7 8.0 9.1
सूखाए या फुलाए अनाज (सीरियल प्रीपरेशन तथा विविध प्रसंस्कृत मदें 143.2 311.1 198.0 527.7 38.3 69.6
मांस, डेयरी एवं पोल्ट्री उत्पाद 203.7 483.5 329.6 1022.5 61.8 111.5
चावल 681.3 1914.5 741.0 2398.5 8.8 25.3
अन्य अनाज 25.2 44.9 84.4 231.4 235.3 415.5
कुल 1243.1 3338.5 1558.0 4817.9 25.3 44.3
स्रोत:डीजीसीआईएस,त्वरित आकलन      

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भारत ने ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों की बैठक में सामाजिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की सीमा का विस्तार करने की इच्छा जताई

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों की 5वीं बैठक की अध्यक्षता की। ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के उद्योग मंत्रियों में चीन के उद्योग और आईटी मंत्री श्री जिओ याक़िंग, दक्षिण अफ्रीका के व्यापार, उद्योग और प्रतिस्पर्धा मंत्री श्री इब्राहिम पटेल,ब्राजील के अर्थव्यवस्था मंत्रालय में उप-मंत्री श्री कार्लोस द कोस्टा,  रूस के उद्योग और व्यापार मंत्री श्री डेनिस मंटुरोव एवं अन्य प्रतिनिधियों ने वर्चुअल बैठक के माध्यम से भाग लिया।

भारत ने इस वर्ष अपनी अध्यक्षता के लिए ‘ब्रिक्स@15: निरंतरता, समेकन और सहमति के लिए अंतर-ब्रिक्स सहयोग’ विषय का चयन किया।

18 अगस्त 2021 को आयोजित ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों की 5वीं बैठक में संयुक्त घोषणा को अपनाया गया।

बैठक के दौरान, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाते हुए बेहतर और स्मार्ट शासन की दिशा में प्रौद्योगिकी के उपयोग में भारत के प्रयासों का उल्लेख किया गया। भारत ने एक सक्षम और गतिशील स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है, मौजूदा प्लेटफॉर्म और डिजिटल तकनीकों जैसे आधार और यूपीआई भुगतान का लाभ उठाया है ताकि अंतिम छोर तक महत्वपूर्ण सेवाओं के वितरण को सुनिश्चित किया जा सके। कोविन और डिजिटल टीकाकरण प्रमाणपत्र जैसी ऑनलाइन प्रणालियों का आज दुनिया भर में सफलता की गाथाओं के रूप में वर्णित किया जा रहा है।

ब्रिक्स देशों के मंत्रियों ने विशेष रूप से व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में कोविड-19 महामारी के अप्रत्याशित प्रभाव पर भी चर्चा की। उन्होंने ब्रिक्स देशों के सभी कोविड योद्धाओं, चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ और वैज्ञानिकों को इन देशों में लोगों का जीवन बचाने में उनके निःस्वार्थ और अथक प्रयासों के लिए बधाई दी।

उन्होंने तेजी से बदलती दुनिया में उभरती हुई नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने की आवश्यकता की सराहना की और इसे उद्योग के आधुनिकीकरण और परिवर्तन, समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में पहचाना, जिसने ब्रिक्स राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में मदद की है।

उन्होंने कार्यशालाओं, संगोष्ठियों और आदान-प्रदान कार्यक्रमों के माध्यम से संबंधित कार्यबल और व्यवसायों के प्रशिक्षण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए नई उभरती प्रौद्योगिकी के साथ तेजी से बदलती आवश्यकताओं के अनुरूप मानव संसाधन बनाने की आवश्यकता पर सहमति जताई।

उन्होंने स्वतंत्र, निष्पक्ष और गैर-भेदभावपूर्ण व्यापार वातावरण को बढ़ावा देने, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने, डिजिटल समावेश को बढ़ावा देने, निहितार्थों का आकलन करने और विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रगतिशील, सुरक्षित, न्यायसंगत और टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

सभी ब्रिक्स देशों के मंत्रियों ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) के साथ सहयोग करने की इच्छा भी व्यक्त की। भारत ने एनडीबी की सीमा का विस्तार करने और औद्योगिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के अलावा सामाजिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए संसाधनों का उपयोग करने की इच्छा व्यक्त की।

बैठक का समापन ब्रिक्स उद्योग मंत्रियों द्वारा एक समूह के रूप में मिलकर कार्य करने, एक-दूसरे की शक्तियों का पूरक बनने, सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने के साथ-साथ कमजोरियों से सीखने, और सतत विकास के लिए 2030 एजेंडे को हासिल करने के लिए सकारात्मक और रचनात्मक रूप से आगे बढ़ने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि के साथ हुआ।

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अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि पर योगी की सर्जिकल स्टाइक

उत्तरप्रदेश मे योगी सरकार द्वारा दो ही बच्चे अच्छे नारे के साथ लाये गए जनसंख्या नियंत्रण कानून ने मानों अराजक तत्वों और धर्म की राजनीति करने वाले सभी आकाओं की नींद उड़ा दी l आये दिन इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता कर एक समूह को न सिर्फ विकास से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि उन्हें वास्तविकता से भी दूर रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है l परन्तु वास्तव में ये भारत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक जानता है कि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाना कितना जरूरी है
इसी विषय पर उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री मोहिसन रजा ने कहा कि ‘ जनसंख्या नियत्रंण कानून से समाज कल्याण होगा’। हमें एक देश एक कानून एक बच्चा पर काम करना चाहिए
“हम मुस्लिम समाज को ऊपर बढ़ाना चाहते हैं टोपी से टाई तक ले जाना चाहते है, लेकिन बाकि विरोधी दल ये चाहते हैं कि ये लोग पंक्चर लगाते रह जाए। इनका विकास न हो, जब से हम सरकार में आए है तब से ही शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जा रहा है, अलग-अलग जगह पर स्कूल खोले जा रहे है। शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनता तक बेहतर सुविधाए पंहुचाने के लिए जनसख्या कानून जरूरी है”
मोहिसन रज़ा द्वारा कही गई ये बात उस वास्तविकता को बताती है जिसे नज़रअंदाज़ ना तो किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए l लेकिन जब कभी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून बनाती है तो अक्सर देश में इस मुददे पर प्रारंभ होने वाले वैचारिक विमर्श को कुछ लोगों द्वारा एक हक छीनने जैसी प्रतिक्रिया मिलती है। ऐसा लगता है जैसे उनके निजी जीवन पर हमला किया गया हो। कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक रंग चढ़ाने से भी पीछे नहीं हटते और जरूरी मुददों के प्रति जागरूकता को लेकर समाज को भटकाने का प्रयास करते है।
जनसंख्या की द्ष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है, एवं जनघनत्व के मामले में भी भारत काफी उपर है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि एवं अन्य संसाधनों पर काफी दबाव महसूस किया जाता रहा है। मसलन जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव किस तरह पड़ता है इसे समझना जरुरी है l किसी भी देश की जनसंख्या को घटाने या बढ़ाने में मुख्यतः दो कारक प्रमुख होते है, जब जन्म दर, मुत्यु दर से अधिक हो तो जनसंख्या में वृद्धि आती है। दूसरा यदि दूसरे देशों से आने वालों की संख्या विदेश जाने वाले लोगों की संख्या से अधिक होगी तो जनसंख्या में वृद्धि होगी एवं विपरीत स्थिति में जनसंख्या में कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र की द वल्र्ड पापुलेशन प्रोस्पोट्स 2019 हाईलाइट्स नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2027 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 बिलियन के आंकड़े को पार कर जाएगी एवं वैश्विक जनसंख्या में 2 बिलियन हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि इस अवधि में भारत में युवाओं की बड़ी संख्या मौजूद होगी l लेकिन आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में इतनी बड़ी आबादी की आधारभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, आश्रय, चिकित्सा और शिक्षा को पूरा करना भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती होगी l बढ़ती आबादी किसी देश के विकास के लिए कितनी घातक होंगी इसका भान शायद गाँधी जी को पहले से ही पता था इसी लिए उन्होंने कहा था कि प्रकृति के पास लोगो की अवश्यक्ताओ को पूरा करने के लिए परिपूर्ण संसाधन है परन्तु बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण संसाधनों की कमी से बचने का एकमात्र तरीका है ताकि भावी पीढ़ी को संसाधनों की कमी ना हो l
किसी भी देश कि स्थिरता उस देश की आर्थिक स्थिति के द्वारा सुनिश्चित होती है, परन्तु एक अन्य वास्तविकता यह भी है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे बेरोजगारी, पर्यावरण का अवनयन, आवासों की कमी, निम्न जीवन स्तर जैसी समस्याए जुड़ी रहती है। इसका उदहारण यह है कि वर्तमान में भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। यह गरीबी और अभाव, अपराध, चोरी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व तस्करी जैसी समस्याओं को जन्म देती है। पर्यावरण की दृष्टि से भी जनसंख्या वृद्धि हानिकारक है। बढ़ती आवश्यकताओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहने किया जा रहा है जिसके परिणाम विनाशकारी सिद्ध हो रहे है। जनसंख्या वृद्धि को जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं मृदा प्रदूषण के लिये भी दोषी माना जा रहा है l ऐसा इसलिए क्योंकि जनसंख्या वृद्धि का सबसे गंभीर प्रभाव पर्यावरण पर ही देखा गया है l
यूपी की जनसंख्या पर योगी प्लान
विगत कई वर्षो से भारत में जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुददा रहा है। देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा है। पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न सगंठनों तथा प्रभुद्ध लोगों ने इससे संबधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वे संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया l
इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वे इससे संबधित अधिनियम पारित करें। जिसक अंतर्गत हालही में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर यूपी की योगी सरकार ने नई जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट पेश किया l इस ड्राफ्ट के अंतर्गत अब यूपी में 2 से ज्यादा बच्चों के होने पर उत्तरप्रदेश के किसी भी निवासी को किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिलेगा l सरकारी नौकरियों में मौका भी नहीं मिलेगा, स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक होंगी और राशन कार्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
यूपी विधि आयोग ने कहा कि पास होने के 1 साल बाद कानून लागू होगा। कानून से प्रोत्साहन ज्यादा और हत्सोत्साहन नहीं होगा। सभी जाति धर्म को देखते हुए मसौदे पर काम किया जाएगा किसी विशेष जाति को टारगेट नहीं किया जाएगा।
बच्चा एक फायदे अनेक
कानून में यह सुनिश्चित किया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को अनेक फायदे मिल पांएगें l 1 बच्चे के बाद नसबंदी कराने पर स्वास्थ्य सुविध होगी. एकल बच्चा लड़का है तो 80 हजार रूपये की मदद मिलेगी और अगर एकल बच्चा लड़की है तो 1 लाख रूपए दिए जाएंगे, साथ ही बच्चे के 20 साल का होने तक बीमा कवरेज होगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले पर बच्चे को फायदा मिलेगा। सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को प्राथमिकता मिलेगी और एक बच्चा लड़की हो तो ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्ष दी जाएगी। सबसे ज्यादा आबादी का राज्य की जनसंख्या 23 करोड़ है l यूपी में जन्म दर राष्ट्रीय औसत से अभी 2.2 प्रशित अधिक है। आखिरी बार जनसंख्या नीति साल 2000 में पारित हुई थी जिसमें जन्म दर 2.7 प्रशित का 2026 तक 2.1 प्रतिशत लाने का लक्ष्य था। 2021-2030 के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी l
विरोधजीवियों के द्वारा इस प्रगतिशील कानून पर हल्ला उठाना वास्तव में उनकी निम्न मानसिकता और त्रुटिपूर्ण राजनीति का उदाहरण है l बाहरहाल हमें यह समझना होगा कि जनसंख्या वृद्धि किसी एक राज्य की समस्या ना होकर संपूर्ण भारत की समस्या है जिसका निवारण भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए  – प्रीती राठौर

लेखिका शिवाजी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं

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महाकुम्भ, आस्था,धर्म,और संस्कृति का संगम है -सतपाल महाराज

हरिद्वार| उत्तराखंड के पर्यटन संस्कृति कैबिनेट मंत्री एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी  सतपाल  महाराज ने कहा कि कुम्भ महापर्व सदियों से चला आ रहा है भारतीय सनातन संस्कृति का अद्वितीय महापर्व है जिसका अमृतमय सन्देश आत्मसात करके ही विश्व को विनाश से बचाया जा सकता है। महाराज  ने प्रेमनगर आश्रम स्थितगोवर्धन हॉल में आयोजित विशाल अध्यात्म-योग-साधना शिविर के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने दैनिक तथा सामाजिक कार्यों  को करने की आदत बनानी है। महाराज ने कहा कि भारत के ऋषि-महऋषियों एवं धर्म शास्त्रों के ज्ञान का मूल है कि समस्त प्राणियों के श्वांस-प्रश्वांस में समाये प्रभु-नाम के अध्यात्म तत्व-ज्ञान से ही मानव के विनाश कारी मन पर काबू किया जा सकता है। समुद्र मंथन से अमृत कुम्भ निकला और उसकी बूँदें चार स्थानोंपर गिरीं जहां पर हर बारह वर्ष में कुम्भ मनाया जाता है। महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत का प्राचीन विज्ञान इतना उन्नत था कि ऋषि-महाऋषियों को यह ज्ञात था कि हर बारह वर्ष में बृहस्पति सूर्य की राशि में लौटता है जिससे महा-योग की स्थिति उत्पन्न होती है तथा इसी पावन योग में कुम्भ पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि समुद्र से निकले चौदह रत्नो में सबसे पहले विष निकला जिसके विनाश से भगवान शिव ने संसार की रक्षा की ।  मानव मन को अध्यात्म ज्ञान से संतुलित करके ही मन के सागर मंथन से हम अमरत्व की दिशा प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए हमें अपने समाज की व राष्ट्र सहित समग्र मानवता की प्रगति को सुनिश्चित व सुरक्षित रखने हेतु हम सबको कुम्भ अर्थात घड़ा बनकर अच्छाइयों का संग्रह अपने अंदर करना होगा। तभी हम विनाशकारी शक्तियों का डटकर मुकाबला करते हुए अमृतत्व की शक्ति से अपने व अपने समाज की रक्षा कर भारत को एक महाशक्ति बना सकते हैं। कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमृता रावत सहित देश से विभिन्न राज्यों से आये हुए अनेक-अनुभवी संत-महात्माओं ने अपने विचार रखे तथा कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कलाकारों ने अपने मधुर भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध किया।

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शांति समझौते के वर्षों बाद कोलंबिया में हिंसा और मानवीय संकट गहराया

शांति समझौते के वर्षों बाद कोलंबिया में हिंसा और मानवीय संकट गहराया

7 अप्रैल 2021 तक हुए 26 हत्याकांडों में 95 लोग मारे गए। इस हिंसा ने लगभग 15,000 लोगों के विस्थापित होने के लिए मजबूर किया है।

हत्याकांड, सोशल लीडर्स की हत्या, रिवॉल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस ऑफ कोलंबिया (एफएआरसी) गुरिल्ला समूह के पूर्व लड़ाकों का नरसंहार कोलंबिया में जारी है। देश में लगभग हर रोज कम से कम एक हिंसक घटना की खबर जरुर मिलती है।

इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट एंड पीस स्टडीज (आईएनडीईपीएजेड) के अनुसार इस साल 6 अप्रैल तक 43 सोशल लीडर्स और एफएआरसी के 14 पूर्व लड़ाकों की हत्या अवैध सशस्त्र समूहों और नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले समूहों द्वारा की गई। इसके अलावा इस साल के पहले 97 दिनों में 25 हत्याकांडों में 95 लोग मारे गए हैं।

इसके अलावा, एक हालिया रिपोर्ट में आईएनडीईपीएजेड ने इस साल हिंसा के कारण जबरिया सामूहिक विस्थापन में खतरनाक स्तर पर वृद्धि का संकेत दिया। देश के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 15,000 लोगों को 2021 के पहले तीन महीनों में 65 सामूहिक विस्थापन की घटनाओं में अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

पूर्व राष्ट्रीय सरकार और एफएआरसी के बीच नवंबर 2016 में हुए शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद हिंसा की स्थिति में सुधार होना चाहिए था लेकिन इसे लागू करने में इवान ड्यूक की अगुवाई वाली दक्षिणपंथी सरकार की विफलता के बाद और खराब हो गई है।

देश में सक्रिय विभिन्न सशस्त्र समूहों के सदस्य विशेष रूप से पर्यावरणविदों, भू- रक्षकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अफ्रो-वंशज और जनजातिय समुदायों के नेताओं को निशाना बनाते है जो भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का बचाव करने के लिए काम करते हैं और अपने क्षेत्रों में अवैध फसलों की खेती और अवैध खनन के खिलाफ विरोध करते हैं।

आईएडीईपीएजेड के अनुसार शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से 1,157 पर्यावरणविदों, मानवाधिकार रक्षकों, समुदाय, किसान और सोशल लीडर्स और एफएआरसी के 263 पूर्व लड़ाकों की हत्या कर दी गई है।

कई नेताओं ने कहा है कि ये हत्याएं आर्थिक हितों के साथ-साथ राजनीतिक एजेंडे से भी प्रेरित हैं। उन्होंने सामाजिक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों को दोषी ठहराने और अपराधी बताने की ड्यूक की नीतियों को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि यह उनके खिलाफ हिंसा को सामान्य करता है।

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एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों की समस्याओं पर हुई चर्चा।

भारतीय स्वरूप संवाददाता, जयपुर। एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक व अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन राजस्थान इकाई के तत्वावधान में होटल वेस्टा मौर्या में किया गया। इस अवसर पर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों ने जो कदम उठाए हैं वो छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर अप्रत्यक्ष रूप से आघात है । चंदोला ने साफ तौर पर कहा कि जिस सरकार ने जब भी छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध काम किया है। वो सफल नहीं हुआ है, बल्कि उन्होंने बुरा अंजाम भुगता है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध बनाई गईं गलत नीतियों को तुरंत खत्म किया जाए। उ0प्र0 राज्य के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति में कई ऐसे मानक बनाये गए हैं। जिनसे साफ तौर पर जाहिर होता है कि वो छोटे और मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध एक साजिश है जिसे खत्म किया जाए। पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति से मार्किग सिस्टम को हटाया जाए व रीडर शिप प्रोफाइल के फार्म को हटाया जाए। यह भी मांग की कि विज्ञापन के निर्धारित कोटे के मुताबिक विज्ञापन जारी किए जाएं। एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा ने केंद्र सरकार से अखबारी कागज न्यूज प्रिंट से जी एस टी हटाने की मांग रखी।
वहीं राजस्थान इकाई के अध्यक्ष डॉ अनंत शर्मा ने कहा कि कोविड के कारण छोटे व मझोले समाचार पत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। अतः छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के उत्थान के लिए आर्थिक पैकेज जारी किया जाए।
कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य अशोक चतुर्वेदी ने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार को बेमतलब के नियमों को छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों पर ना थोपा जाए। अनिल यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों का गला घोंटने का काम किया है। जबकि छोटे अखबार ही सच्ची व जमीनी खबरों को सबके सामने लाते हैं।इस मौके पर राजस्थान इकाई के द्वारा एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए। और भव्य स्वागत किया गया। साथ ही छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के मालिकों की समस्याओं को हल कराने के लिए हेल्पलाइन नम्बर की घोषणा की गई। वहीं बृजेन्द्र प्रकाश हलचल ने उपसमितियां बनाने की बात रखी।इस मौके पर मध्यप्रदेश से राजेन्द्र प्रसाद बिंजवे, गुजरात से शंकर कतीरा, मयूर बोरीचा, असम से किरी रॉन्ग हेंग, राजस्थान से डॉक्टर अनंत शर्मा, अमृता मौर्य, अशोक चतुर्वेदी, अनिल यादवए ब्रजेन्द्र प्रकाश हलचल, उप्र से इकाई अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, डी के मैथानी, शलभ जायसवाल, अरविंद्र यादव, भगवती चंदोला, के. सी. चंदोला, राजस्थान से गोपाल गुप्ता, अशोक सिंघल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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