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लेख/विचार

बरसाना में लठमार होली क्यों होती है – मीनाक्षी शर्मा

**जिस समय कंस का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था बृषभान बाबा गोकुल जाकर नंद बाबा को अपने पास बुला लाए । वहां आकर नंदबाबा ने ब्रज की पहाड़ियों पर नंद गांव बसा लिया और जहां तक भी श्री वृषभानु जी का राज्य था प्रथम तो वहां राक्षस आते नहीं थे और अगर

कोई आ जाता था तो श्री जी की कृपा से गोपी भाव में आ जाता था!

**बरसाने की लट्ठमार होली संपूर्ण जगत में नारी सशक्तिकरण का अनूठा प्रमाण है नंदगांव बरसाने की यह प्रेम पगी परंपरा आज भी चली आ रही है स्वयं श्री कृष्ण ठाकुर जी ने बरसाना व अष्ट सखियों के गांवों की गोपियों को इकट्ठा करके श्री पूर्णमासी प्रोतानि जी की देख रेख में गोपियों का दल बनाया पूर्णमासी प्रोतानी ने स्वयं गोपियों को लाठी चलाना सिखाया!

**स्वयं श्री ठाकुर जी ने गोपियों को उद्दत करते हुए कहा था कि हे गोपियों हम नंद गांव से आएंगे तुम अगर हमारे ऊपर लाठियों की बौछार कर देती हो तो हम यह मान लेंगे कि हमारी अनुपस्थिति में तुम राक्षसों (कंस के सैनिकों ) को मारकर ढेर कर सकती हो बरसाने की लट्ठमार होली का मूल उद्देश्य यही है!

** कैसा देश निगोड़ा जग होरी और बृज में होरा ,बरसाना की होरी वैसे ही होरा नहीं है किसी कवि ने कहा है कि फागुन में रसिया घरवारी ,ब्रज बरसाना में ग्वाल बाल रसिया नहीं होते हैं होरी में ब्रज की गोपी ही सही मायने में रसिया होती है!

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एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों की समस्याओं पर हुई चर्चा।

भारतीय स्वरूप संवाददाता, जयपुर। एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक व अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन राजस्थान इकाई के तत्वावधान में होटल वेस्टा मौर्या में किया गया। इस अवसर पर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों ने जो कदम उठाए हैं वो छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर अप्रत्यक्ष रूप से आघात है । चंदोला ने साफ तौर पर कहा कि जिस सरकार ने जब भी छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध काम किया है। वो सफल नहीं हुआ है, बल्कि उन्होंने बुरा अंजाम भुगता है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध बनाई गईं गलत नीतियों को तुरंत खत्म किया जाए। उ0प्र0 राज्य के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति में कई ऐसे मानक बनाये गए हैं। जिनसे साफ तौर पर जाहिर होता है कि वो छोटे और मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध एक साजिश है जिसे खत्म किया जाए। पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति से मार्किग सिस्टम को हटाया जाए व रीडर शिप प्रोफाइल के फार्म को हटाया जाए। यह भी मांग की कि विज्ञापन के निर्धारित कोटे के मुताबिक विज्ञापन जारी किए जाएं। एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा ने केंद्र सरकार से अखबारी कागज न्यूज प्रिंट से जी एस टी हटाने की मांग रखी।
वहीं राजस्थान इकाई के अध्यक्ष डॉ अनंत शर्मा ने कहा कि कोविड के कारण छोटे व मझोले समाचार पत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। अतः छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के उत्थान के लिए आर्थिक पैकेज जारी किया जाए।
कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य अशोक चतुर्वेदी ने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार को बेमतलब के नियमों को छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों पर ना थोपा जाए। अनिल यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों का गला घोंटने का काम किया है। जबकि छोटे अखबार ही सच्ची व जमीनी खबरों को सबके सामने लाते हैं।इस मौके पर राजस्थान इकाई के द्वारा एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए। और भव्य स्वागत किया गया। साथ ही छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के मालिकों की समस्याओं को हल कराने के लिए हेल्पलाइन नम्बर की घोषणा की गई। वहीं बृजेन्द्र प्रकाश हलचल ने उपसमितियां बनाने की बात रखी।इस मौके पर मध्यप्रदेश से राजेन्द्र प्रसाद बिंजवे, गुजरात से शंकर कतीरा, मयूर बोरीचा, असम से किरी रॉन्ग हेंग, राजस्थान से डॉक्टर अनंत शर्मा, अमृता मौर्य, अशोक चतुर्वेदी, अनिल यादवए ब्रजेन्द्र प्रकाश हलचल, उप्र से इकाई अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, डी के मैथानी, शलभ जायसवाल, अरविंद्र यादव, भगवती चंदोला, के. सी. चंदोला, राजस्थान से गोपाल गुप्ता, अशोक सिंघल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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“क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर त्रिदिवसीय व्याख्यान कार्यशाला के अंतिम दिन का कार्यक्रम आयोजित 

क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर आयोजित कार्यशाला का तीसरा दिन भौतिक विज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, भारतीय विज्ञान अकादमी बंगलुरू, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर  त्रिदिवसीय व्याख्यान कार्यशाला  के अंतिम दिन

के पांचवे तकनीकी सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय की भौतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोo अनुराधा मिश्रा FNA ने दो व्याख्यानों में क्वांटम भौतिकी के मूल सिद्धांतों जैसे द्विविमीय निकाय के लिए विविधता विधि (Variation methods for 2-D system), अनहार्मोनिक दोलित्र, बेल असमानता आदि महत्वपूर्ण विषयो को विस्तार में बताया जिसके बिना क्वांटम प्रौद्योगिकी के विशिष्ट अनुप्रयोगों को समझना असंभव है।

छठे और अंतिम तकनीकी सत्र के प्रथम एवम द्वितीय दोनो व्याख्यानो में JIIT नोएडा के प्रोo अनिर्बान पाठक, FNA ने क्वांटम क्रिप्टोग्राफी तथा उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस विधा में अभेद्य क्रिप्टोसिस्टम के विकास के लिये कुछ विशेष कणों या प्रकाश तरंगों (फोटोन) तथा उनकी मूलभूत क्वांटम विशेषताओं का प्रयोग किया जाता है। यह तकनीक काफी व्यावहारिक है क्योंकि किसी प्रणाली की क्वांटम अवस्था का मापन उस पूरी प्रणाली में अवरोध उत्पन्न किये बिना असंभव है।क्वान्टम क्रिप्टोग्राफी को प्रयोगशाला में कैसे किया जाए तथा अभी हम कहां पर है, का विस्तार में वर्णन किया। कार्यशाला के सभी सत्रों की अध्यक्षता क्रमश डाo सत्य प्रकाश सिंह, मनीष कपूर एवम मीतकमल ने की। कार्यशाला के समापन सत्र में IISER, भोपाल के डाo तेजस टैंक, सैंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली की डाo संजू एo, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर की एमएससी की छात्राएं कुo भाव्या भट्ट तथा कुo हिमांशी त्रिवेदी ने कार्यशाला के विषय में अपने विचार व्यक्त किए तथा इस महत्वपूर्ण विषय और देश के प्रमुख संस्थानो के द्वारा अपने अनुसंधान को इस प्लेटफार्म पर सरल तरीके से समझाने पर आभार व्यक्त किया। कार्यशाला पर विस्तृत रिपोर्ट समन्वयक डाo राजेश कुमार द्विवेदी, तथा धन्यवाद प्रस्ताव व संचलन उप समन्वयक डाo सत्य प्रकाश सिंह द्वारा किया गया। कालेज के प्राचार्य डॉo जोजेफ डेनियल द्वारा तीनों विज्ञान अकादमी, कार्यशाला निदेशक, सभी रिसोर्स पर्सन्स तथा भौतिक विज्ञान विभाग का इस कार्यशाला के सफल संचालन पर आभार व्यक्त किया गया। तकनीकी संचालन श्री अतहर रशीद द्वारा किया गया।

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“क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला, का दूसरा दिन

कानपुर 13 मार्च, भौतिक विज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, भारतीय विज्ञान अकादमी बंगलुरू, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।

आज दूसरे दिन के तीसरे तकनीकी सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय की भौतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोo अनुराधा मिश्रा FNA ने दो व्याख्यानों में क्वांटम भौतिकी के मूल सिद्धांतों को विस्तार में पढ़ाया जो क्वान्टम अनुप्रयोगों को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

चौथे तकनीकी सत्र के प्रथम व्याख्यान में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के प्रोo सीo एमo चंद्रशेखर ने क्वांटम सिमुलेशन के विषय में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि क्वांटम सिमुलेशन के द्वारा दूसरे व्याख्यान में टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान के प्रोo आरo विजयराघ्वन ने आईबीएम क्वांटम कंप्यूटर के बारे में विस्तार से बताया। आज कार्यशाला का विशिष्ट व्याख्यान प्रोo एसo एo रामाकृष्णा, निदेशक, CSIR-CSIO, चंडीगढ़ के द्वारा दिया गया जिसमे उन्होंने मेटामैटेरियल के अनुप्रयोगों की विस्तार में चर्चा की। कार्यशाला के सभी सत्रों की अध्यक्षता क्रमश डाo राजेश कुमार द्विवेदी, सत्य प्रकाश सिंह, रवि प्रकाश महलवाला तथा मनीष कपूर ने की। तकनीकी संचालन श्री अतहर रशीद द्वारा किया गया।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर के भाैतिक विज्ञान विभाग, भारतीय विज्ञान अकादमी बंगलुरू, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला का आयोजन

भौतिक विज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, भारतीय विज्ञान अकादमी बंगलुरू, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इसका उदघाटन आज गूगल मीट प्लेटफार्म पर डाo सबीना बोदरा, विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग द्वारा ईश वंदना से प्रारंभ हुआ।

कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए भौतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवम समन्वयक डाo राजेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि क्वांटम भौतिकी का उद्गम कैसे हुआ तथा विगत 100 वर्षों में आज उसके विभिन्न अनुप्रयोग जैसे Quantum computing, Quantum cryptography आदि कितने महत्वपूर्ण है कि उसके विकास के लिए प्रकाश तरंगों तथा उनकी मूलभूत क्वान्टम विशेषतायो का प्रयोग किया जाता है ।मुख्य अतिथि प्रोo एच० एस० मनि, सेवानिवृत्त IIT, Kanpur + निदेशक, HRI, Allahabad तथा वर्तमान में Adjunct Professor, CMI ने आज के युग को क्वांटम भौतिकी का युग बताया तथा इस प्रकार की कार्यशालाओ के संपादन के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि बदलते परिवेश में हमें भी सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्वान्टम कंप्यूटिंग असीमित संभावनाओं वाली टेक्नोलॉजी है। क्वांटम संचार प्रणाली बैंकिंग, रक्षा व सामरिक एजेंसियों के लिए सुरक्षित संचार स्थापित करने में अत्यंत कारगर साबित होगी। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोo अनिर्बान पाठक, FNA, जेपी यूनिवर्सिटी नोएडा और प्रोo अनुराधा मिश्रा FNA, मुंबई विश्वविद्यालय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि क्वान्टम तकनीकियों में क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम प्रकाशिकी, क्वांटम सूचना प्रसंस्करण, क्वांटम इंटरनेट और क्वांटम कृत्रिम बुद्धिमत्ता शामिल है। कालेज के प्राचार्य डाo जोसेफ डेनियल ने कहा कि क्वान्टम कार्यशाला केवल भौतिक विज्ञान के छात्रों और शिक्षकोंके लिए ही नहीं बल्कि रसायन, जीव विज्ञान तथा इंजीनियरिंग के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने इस विशेष विषय पर कार्यशाला के कालेज में आयोजन के लिए तीनों विज्ञान अकादमी का आभार व्यक्त किया। अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कालेज प्रबंधन समिति के सचिव रेवo सैमुएल पाल लाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बयाया कि आज का क्वांटम कंप्यूटर किसी भी ऐसी गणना को कर सकता है जिसमे आधुनिक सुपर कंप्यूटर करने में सक्षम नहीं है। इसीलिए पिछले वित्त वर्ष में हमारी सरकार ने 8000 करोड़ खर्च का एलान क्वान्टम टेक्नालॉजी के लिए किया था। कार्यशाला का धन्यवाद प्रस्ताव एवम कुशल संचालन उप समन्वयक डाo सत्य प्रकाश सिंह ने किया।

पहले तकनीकी सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय की भौतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोo अनुराधा मिश्रा FNA ने दो व्याख्यानों में क्वांटम भौतिकी के मूल सिद्धांतों को विस्तार में पढ़ाया।

दूसरे तकनीकी सत्र के प्रथम व्याख्यान में प्रोo अनिर्बान पाठक, FNA, जेपी यूनिवर्सिटी नोएडा ने क्वांटम प्रयोगशाला के मूल अंग क्वान्टम गेट, क्वान्टम परिपथ द्वारा क्वांटम कंप्यूटर की संकल्पना को परिलक्षित किया।

दूसरे व्याख्यान में हरीश चंद्र अनुसंधान संस्थान, प्रयागराज की शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार विजेता प्रोo अदिति सेन डे ने क्वांटम संचार विषय को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार क्वांटम संचार अधिक सुरक्षित है ।क्वांटम संचार एप्लाइड क्वांटम भौतिकी का एक क्षेत्र है, जो क्वांटम सूचना प्रसंस्करण और क्वांटम टेलीपोर्टेशन से सम्बंधित है। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग क्वांटम क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग कर सूचना चैनलों की होने वाली जासूसी को रोकना है। क्वांटम क्रिप्टोग्राफी का सबसे विकसित अनुप्रयोग क्वांटम कुंजी वितरण (QAD) है। इस प्रणाली के संचालन में दो पक्ष एकल फोटॉन (एक क्वांटम कण) का उपयोग करते हैं, विभिन्न QAD इस तरह से डिज़ाइन किये जाते है कि संचार में उपयोग होने वाले फोटॉन में किसी प्रकार की हेराफेरी होने पर सम्पूर्ण संचार प्रणाली को रोका जा सके। इस कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के 200 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। उदघाटन समारोह में कालेज परिवार के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रोo नलिन कुमार, डाo शिप्रा श्रीवास्तव, राजनीति विभाग के अध्यक्ष डाo आशुतोष सक्सेना, दर्शन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष

डाo दिनेश चंद्र श्रीवास्तव, गणित विभाग के अध्यक्ष डाo आरo केo जुनेजा, रसायन विज्ञान की डाo मीतकमल, भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोo आरo पीo महलवाल तथा डाo मनीष कपूर आदि उपस्थित रहे। कार्यशाला का तकनीकी संचालन श्री अतहर रशीद द्वारा किया जा रहा है।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में “दैनिक जीवन में रसायन” कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 11 दिसम्बर क्राइस्ट चर्च कॉलेज में     एक व्याख्यान श्रृंखला “दैनिक जीवन में रसायन”   कार्यक्रम  आयोजित किया गया । कार्यक्रम में सभी छात्रों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर गुप्ता ने किया । कार्यक्रम की शुरुआत मैं डॉ ए के नेथेनियल द्वारा प्रार्थना की गई । क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल ने छात्रों को रसायन विज्ञान की श्रृंखला की अहमियत बताई । इस श्रृंखला का आयोजन कार्यक्रम सं योजि का डॉ मीत कमल के संरक्षण में किया गया । इस श्रृंखला में अतिथि वक्ता रहे डॉ सौ रभ कुमार सिंह जो कि आईआईटी हैदराबाद के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं जो क्राइस्टचर्च कॉलेज   कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके हैं । जिन्होंने एक्सप्लोरिंग केमिस्ट्री विद कंपाउंड ऑफ पावरफुल टूल फॉर न्यू एज केमिस्ट नामक विषय पर चर्चा की जिससे छात्र आनंदित हुए । रेवरान सैमुअल पौल कॉलेज के पेट्रेन ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा  बढ़ाई । डॉ श्रद्धा सिन्हा एक्ट वाइस प्रेसिडेंट ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया। इस श्रृंखला में छात्रों ने गीत व नाटक के माध्यम से आम जनता के मध्य रसायन विज्ञान के महत्व को प्रदर्शित किया । छात्रों ने खाने की वस्तुओं में हुई मिलावट के बारे में जानकारी दी । कार्यक्रम में तरुणा , एकता , शिवम , अजमा , भावना को पल मधुरिमा , शबनम, सुधाकर , अर्पित , वैष्णवी , अनि रुद्ध शि वांगी , शिरीन , रिनी , दीपेंद्र आदि छात्र उपस्थित रहे । कार्यक्रम में रसायन विज्ञान की शिक्षिका डॉ ज्योत्स्ना लाल , डॉ श्वेता चंद एवं अन्य शिक्षक उपस्थित रहे । कार्यक्रम में 200 प्रतिभागी मौजूद थे । अंत में डॉ आनंदिता भट्टाचार्य धन्यवाद सभी को दिया । 

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एस एन सेन बा. वि.पी जी कॉलेज तथा आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वाधान में किशोरी स्वास्थ्य एवं योग विषय पर कार्यशाला का आयोजन

 

 

कानपुर 7 दिसम्बर एस.एन.सेन बा.वा.पी.जी कॉलेज, कानपुर के वनस्पति विज्ञान विभाग तथा आरोग्य भारती ने ‘किशोरी स्वास्थ्य एवं योग’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री अशोक कुमार वार्ष्णेय जी आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव मुख्य अतिथि रहे।
कार्यशाला का शुभारंभ सरस्वती पूजा तथा धनवंतरी इस्तवंन से हुआ। महाविद्यालय के सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल, मुख्य अतिथि श्री अशोक कुमार वार्ष्णेय, श्री गोविन्द जी, डॉ . बी.एन आचार्य, डॉ. सीमा द्विवेदी ने दीप प्रज्वलित किया तथा प्राचार्या निशा अग्रवाल ने कार्यशाला की औपचारिक उद्घाटन की घोषणा की। श्री अशोक कुमारवार्ष्णेय जी ने अपने उद्बोधन में स्वस्थ रहने के गुर बताए और बिना औषधि योग और संयम से कैसे स्वस्थ रहें पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि आस-पास उपस्थित वनस्पतियों द्वारा संयमित जीवन, तथा एक-तीन-आठ (एक घंटे श्रम, तीन बार भोजन तथा आठ घंटे सोना) ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है। डॉ. सीमा द्विवेदी, एसोसिस्ट प्रोफेसर, मैडिकल कॉलेज, कानपुर ने किशोरी स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं को योग के माध्यम से किस प्रकार समाधान करें ये बताया।
कार्यक्रम का संकलन ,संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रीति सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया। कार्यक्रम में छात्राओं के अतिरिक्त सभी शिक्षक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भी सक्रिय प्रतिभाग किया। साथ ही छात्राओं को मास्क तथा ‘वैरी श्योर’ सेनेटरी पैड का मुफ्त वितरण किया गया।

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अंतर्विरोध (लघु कथा)

सुबह से ही रसोई में नाना प्रकार के पकवान बनने की तैयारियां हो रही थी. कभी रसोई में न जाने वाली ‘कुसुम’ अपनी ‘मेड’ लक्ष्मी को समझा रही थी- “लक्ष्मी, कचौरियां खूब स्वादिष्ट होनी चाहिए… और दही बड़े रूई जैसे मुलायम मटर पनीर चटपटी, दादी को स्वादिष्ट खाना बहुत पसंद था, वो खुद भी बहुत अच्छा बनाती थीं, मैंने तो २५ साल उनके हाथ का खाना खाया है,और हाँ, भरवां बैगन और खीर ज़रूर बनाना.

(डॉ रानी वर्मा )

‘सोना’ को माँ की बातों में एक अजीब सा उत्साह व दादी के प्रति अपार लगाव, जुड़ाव, सेवा-भाव दिखाई दे रहा था. वह आश्चर्य चकित थी! ऐसा क्या हो गया? कैसे माँ के मन में दादी के प्रति इतना प्रेम उमड़ रहा है? आखिरकार उसने पूछ ही लिया, “ माँ, आज ऐसा क्या है? इतने पकवान बन रहे हैं और विशेष रूप से दादी की पसंद के?” कुसुम बड़े गर्व से सर उठा कर बोल पड़ी, अरे सोना, “आज मातृ-नवमी है, तेरी दादी का श्राद्, आज के दिन ब्राह्मणी को भोजन कराने से पुन्य मिलता है, पितृदोष दूर होता है, इसीलिए आज तेरी दादी की पसंद के पकवान बन रहे हैं, तेरी दादी खुश होकर आशीर्वाद देंगी और हमें पितृदोष नहीं लगेगा.”

सोना हतप्रभ थी. अतीत की धुंधली स्मृतियाँ उसके मानस-पटल पर अंकित होने लगीं. जब असहाय दादी बिस्तर पर पड़े-पड़े खाने के लिए मांगती, तो माँ अक्सर झिड़क दिया करती, “सारा दिन बिस्तर पर पड़े-पड़े खाओगी तो पचेगा कैसे?” बेस्वाद सब्जी, कड़े-कड़े दही बड़े, मोटी–मोटी रोटी, जो दादी अपने पोपले मुंह से खा भी नहीं पाती थी, माँ उन्हें खाने को देती. दादी ठीक से खा भी नहीं पाती, लेकिन माँ को कोई फर्क नहीं पड़ता, वह मुंह बिचका कर, सिर झटकते हुए, ‘उहं’ कह कर अपने बेड-रूम में चली जाती.

माँ की तीखी आवाज़ से सोना का ध्यान टूटा, “सोना, दादी के पलंग पर नई चादर, जो मैं कल लाई हूँ, पंडिताइन को देने के लिए, वो बिछा दे…, और वह साड़ी का पैकेट भी वहीँ रख दे”, कुसुम बोले जा रही थी और सोना को दादी की मैली-कुचैली, फटी धोती और पलंग पर महीनों से बिछी पुरानी चादर याद आ रही थी. दादी जब चादर बदलने को कहती, माँ फटकार देती –“ क्या करोगी चादर बदलवा कर? दिन भर ऐसे ही तो पड़े रहना है. कौन आ रहा है आपके कमरे में जो चादर देखेगा?” दादी आँखों में आंसू भरे, करवट लिए चुपचाप पड़ी रहती.

पंडिताइन के लिए ऐसी आवभगत, स्वागत-सत्कार की तैयारी देख कर सोना का मन स्वार्थ और आडम्बर के सामाजिक अंतर्विरोध की अतल गहराइयों में डूबने लगा, उसका मन चीख-चीख कर पूछ रहा था ‘माँ, ऐसी सेवा और सत्कार दादी को जीवित रहते क्यों नहीं मिला?’

(डॉ रानी वर्मा: 10 अक्टूबर 2020)

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उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है-इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश के प्रत्येक नागरिकों से अपील की है कि वे समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत बनाने में योगदान करें। पीएचडीसीसीआई द्वारा ‘बिल्डिंग आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर आयोजित आज एक वेब कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने में इसकी भूमिका, जो न केवल अपनी बल्कि दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करती है, को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

श्री प्रधान ने आज कहा कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है। उन्होंने कहा, “समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने और सही मायने में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर हमारा फोकस है। भारत प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें जनसांख्यिकीय लाभांश, बंदरगाहों की व्यापक उपलब्धता है, जो व्यवसायों और उद्योगों के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र मुहैया कराते हैं। हम 21वीं शताब्दी का एक ऐसा भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जो अपनी और दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा।”

मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया स्वदेशी आंदोलन और दांडी मार्च से लेकर आत्मानिर्भर भारत के आह्वान तक, ‘आत्मानिर्भर भारत’ का दर्शन एक अधिक लचीला और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के पीछे निरंतर प्रेरक शक्ति रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट देशवासियों की भावना को कम नहीं कर पाया है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पुनरुत्थान की राह पर है। पिछले महीने जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक था, रेलवे माल ढुलाई में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और निर्यात 5 प्रतिशत बढ़ा है। पेट्रोल और डीजल की बिक्री भी सामान्य स्तर पर पहुंच गई है।

मंत्री ने कहा कि भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार काम कर रही है, और वह ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भी बढ़ रही है। उन्होंने दोहराया कि सरकार के पास कोई और काम नहीं है सिवाय इसके कि उसे केवल लोगों के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। इस दिशा में उन्होंने कहा कि सरकार ने व्यापार को आसान बनाने के लिए पहल की है, पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई है, भ्रष्टाचार को खत्म किया है और धन सृजनकर्ताओं का सम्मान किया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र में उठाए कदमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एलपीजी कनेक्शन 95 प्रतिशत आबादी तक पहुंच गए हैं जिनमें 8 प्रतिशत गरीब परिवार भी शामिल हैं। इस अप्रैल में बीएस-VI मानक ईंधन पेश किया गया है। ऊर्जा संबंधित न्याय को सुनिश्चित किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि देश के निर्यात में इस्पात क्षेत्र का भी योगदान रहा है।

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पुरुष समाज मेरी नज़र में- प्रधानमंत्री के नाम खुला खत -डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

प्रधानमंत्री के नाम खुला ख़त — देश की सभी बेटियों के पिता और कितने सामूहिक बलात्कारों का दर्द सहे हम और मौत के घाट उतर दी जाएं ?

पुरुष समाज मेरी नज़र में —–

डॉ मंजू डागर चौधरी “अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार”

1 ) वो पुरुष समाज को जन्म देती है और वो उसको कोठा और बलात्कार देता है।

2 ) न जाने कितनी बार घर पर भी अपनी बीवी का हर रात बलात्कार करते हो चाहे वो पीरियड्स में ही क्यों न हो। फिर आप शान से खुद को मर्द कहते हो।

3 ) क्या कभी किसी एकांत में अपनी नज़रो में भी गिरते हो या केवल मर्द ही बने फिरते रहते हो। याद है न मर्द जाति तुमको जब किसी सार्वजनिक जगह पर पार्क में , यात्रा में या कहीं भी कोई नारी अपने दुधमुँहे बच्चे को दुध पिलाती हुई नज़र आती है तब किस ललचाई नज़र से उसके खुले स्तनो को देखते हो कि मिल जाये तो अभी नोच लो उसका मांस।

4 ) याद है न तुमको जब कोई लड़की किसी कैमिस्ट से अपनी पीरियड्स के दौरान सुरक्षा के लिए पैड खरीदती है तब उसको कैसे घूरते हो जैसे उसने अभी भी कोई वस्त्र न पहना हो। ये भी एक तरह से उस बच्ची का बलात्कार है।

5 ) आप मर्दों की वजह से ही अभी भी भारत के बहुत से छेत्रों में आज भी शर्म के मारे बेटियाँ पीरियड्स के दौरान गन्दा कपड़ा इस्तेमाल करने को मजबुर हैं। आप कहेंगे लड़की न जा कर कैमिस्ट से उसकी माँ पैड्स खरीद लाये जैसे कि आप उसको बख्स देते हो अपनी हैवानियत भरी सोच से।

6 ) कितनी ही नन्ही बच्चियों से ले कर 80 साल तक की बुजुर्ग़ नारियों को तुमनें अपनी हवस का शिकार बनाया है। नारी तो छोड़िये तुमने तो जानवरों तक का बलात्कार किया है। कभी मुर्ग़ी का कभी बकरी का तो कभी गाय या भैंस का भी। फिर कहते हो हम मर्द है।

मेरा सीधा सवाल आप से है प्रधानमंत्री नरेंद मोदी जी से है क्योंकि किसी भी देश का प्रधानमंत्री अपनी जनता का पिता होता है । आज हिंदुस्तान की हर बेटी आपकी बेटी है। उसकी अस्मिता की सुरक्षा की जिम्मेदारी इस समाज के साथ -साथ आपके कन्धों पर भी है। अगर आप सारे हिंदुस्तान की बेटियों की अस्मिता की सुरक्षा नहीं कर सकते तब पिता बने रहने का आपको कोई हक़ नहीं है। आप कितने महाभारत करवाएंगे प्रधानमंत्री जी। पहले महाभारत में तो न आप थे न मैं लेकिन बेटियाँ तब भी थी। एक द्रोपदी के अपमान का बदला महाभारत में तब्दील जरुर हुआ था लेकिन और भी बहुत से सामाजिक कारण थे उस युद्ध के। समाज का विघटन हो रहा है दिन -प्रतिदिन। वक़्त रहते संभालिये इसको नहीं तो इन वहशी -दरिंदों की वजह से ही बेटियों की एक बार फिर से गर्भ में ही हत्याएं करनी आरंभ कर देगा ये घिनौना होता जा रहा समाज।

भारतीय संस्कृति में नारी का उल्लेख जगत्-जननी आदि शक्ति-स्वरूपा के रूप में किया गया है। लेकिन क्या समाज नारी को आज उसका ये हक़ दे रहा है ? “जब पुरुष में नारी के गुण आ जाते हैं तो वो महात्मा बन जाता है और अगर नारी में पुरुष के गुण आ जाये तो वो कुलटा बन जाती है”। ‘गोदान’ की ये पंक्तियां प्रेमचंद का नारी को देखने का संपूर्ण नज़रिया बयां करती हैं।

नारी ने तो बहुत बार पुरुष समाज को आईना दिखने की कोशिश की लेकिन वो अपने पुरुष होने के अहँकार के चलते कुछ देखने को तैयार ही नहीं होता फिर एक पुरुष मुंशी प्रेमचंद जी ने भी पूरी पुरुष जाति को आईना दिखाया वो भी उनको देखना गवारा नहीं। तब कितने ही समाज सुधारक आ जाये इस भारतीय समाज में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती।

प्रधानमंत्री जी आप महिला सशक्तिकरण की बात तो बहुत करते हैं लेकिन बेटियों को जीने का हक़ भी नहीं दिलवा पा रहे। आप हिंदुस्तान की बेटियों के पिता की भुमिका में पूरी तरह से निष्फल हो गए हैं। कहाँ हैं वो सभी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष जो महिलाओं को सुरक्षा देने के नाम पर पद और परतिष्ठा और बड़ा -बड़ा वेतन लेती हैं। किन कोठियों में छुपी हुई बैठी पार्टियां कर रहीं हैं वो। कौन से मेकअप और ब्रांडेड कपड़ो के साथ ? जहां पूरी तरह से शराब और सिगरेट के धुएँ के कश पर कश लगाये जाते हैं ?

कहा है वो मुख्य धारा की महान पत्रकार महिलाएं जो हिन्दू -मुस्लिम पर तो बड़ी पत्रकारिता करती हैं लेकिन बेटियों के सामुहिक दुष्कर्म पर अपना मुँह छुपा कर कहीं बैठी कोई नई ख़बर रच रहीं हैं कि इस बलात्कार को किस एंगेल से ख़बर बनाई जाये ताकि हमको भी कोई राष्ट्रीय या अंतराष्ट्रीय पत्रकारिता का अवॉर्ड मिल जाये। शर्म आनी चाहिए आप लोगों को जो आज भी ऐसी ख़बर लिखता है कि एक दलित लड़की से बलात्कार हुआ मतलब वो दलित थी इस लिए बलात्कार हुआ। दलित हटा दीजिये और जब वो बस लड़की रह जाये तब उससे बलात्कार नहीं होता। अरे समाज के ठेकेदारों अपनी सोच और दिमाग में भरे इस कचरे को बहार निकाल कर उस बेटी के सहे हुए दर्द को भी कभी समझ कर कोई ख़बर लिख लो। आपकी भी जवाबदेही बनती है इस समाज के प्रति। यही हालात चलते रहे तब आने वाले वक़्त में सामूहिक बलात्कार की खबरें होगी कि फला राज्य में बीजेपी की सरकार थी तब इतने बलात्कार हुए। कांग्रेस की सरकार थी तब इतने। फिर साथ ही लगी होगी नई हैडलाइन दलित लड़की से दुष्कर्म किया गया। मुस्लिम लड़की से दुष्कर्म किया गया , ईसाई लड़की से दुष्कर्म किया गया गोया लड़की न हो कर जाति और धर्म के साथ बलात्कार हुआ है। साथ ही एक और हैडलाइन आने को तैयार है कि बस हिंदू लड़कियों से बलात्कार क्यों नहीं होता क्योंकि मैंने तो खुद आज तक कोई ख़बर नहीं देखी जिसमें लिखा हो हिंदू लड़की से बलात्कार हुआ हो। कहने का मतलब बलात्कार तो होते रहे लेकिन फला जाति वाली या धर्म वाली नहीं बल्कि फला वाली का होना चाहिए। देखिए मेरी भारत सरकार और मीडिया घराने आप लड़की की अस्मिता की रक्षा कीजिये लड़की की , बलात्कार को जाति और धर्म से जोड़ना बंद कीजिये।

सुनो अरे विपक्षी राजनीतिक दल वालों ,दलितों की हितैषी राजनीतिक दलों की महारानियों , धर्म के नाम पर सियासती राजनीतिक दल वालो तुम अपनी घिनौनी राजनीतिक रोटियां सेकनी बंद करो। वोट के नाम पर बलात्कारियों को सजा दिलवाने की जगह उनको बचाने का नंगा नाच बंद करो। क्या तुमको रात को सोते हुए कभी उस मजबूर निरहि नारी की चीत्कार नहीं सुनाई पड़ती जब वहशी दरिंदे उसके जिस्म को नोच रहे होते हैं ??

भारतीय पुलिस जो की महिलाओँ को न्याय दिलाने का टेंडर अपने नाम लिखवाये बैठी है वो खुद न जाने कितनी बार अपने थाने में ही मजबूर महिलाओं का न केवल शारीरिक बलात्कार ही करती है बल्कि मानसिक बलात्कार भी करती है गंदे -गंदे ढंग से सवाल करके। बेचारी लड़की को ऐसा घिनौना अहसास करवाती है जैसे उसने खुद ही अपना बलात्कार करवाया हो। कुछ दिन पहले ही एक पुलिस अधिकारी अपनी बीवी को मार कर शान से कंधे पर मैडल चमकाए कहते हैं ये मेरा घरेलु मामला है। वाह रे मर्दाने पुलिस वाले क्या शान है तुम्हारी। आप भूल गये कि समाज में अधिकारी बनने के उपरांत आप का व्यक्तिगत कुछ नहीं है। आप के परिवार की नारियाँ भी इसी समाज का हिस्सा हैं जिसकी सुरक्षा की ठेकेदारी आप को मिली है।

जब एक छोटी सी बेटी किसी घर में पैदा होती है न तब घर का हर पुरुष भी घर की महिलाओं की तरह ही उसको खिलाता है। उसके नाजुक अंगों को देख कर उसकी ज़्यादा परवाह करता है। पूरी तरह से ये सुनिश्चित करता है कि इस नन्हीं सी परी को कोई खरोंच तक न आये। जैसी नाजुक अंगों के साथ वो पैदा होती है हक़ीक़त में सारी उम्र उसका जिस्म नाजुक और कोमल ही रहता है। उसके शरीर में कुछ नहीं बदलता जैसे -जैसे वो बड़ी होती जाती है। मुझको ये कभी समझ नहीं आई पुरुष की मानसिकता कि अपने घर में पैदा हुई तो परी नज़र आई और दूसरे के घर पैदा हुई तब केवल उसका जिस्म नज़र आया जिसके साथ संभोग के सपने देखने लगता है वो। बुरी तरह से बढ़ते जा रहे बलात्कार और बलात्कार का भयानक रुप जो आज कल हमारे सामने निकल कर आ रहा है कि किसी के नाजुक अंगों में आप लोहे की रॉड डाल देते हैं ,किसी की अतड़िया तक बहार निकाल देते हैं , किसी की जीभ काट दे उसकी हड़िया तक तोड़ दे। वहशी दरिंदों को समाज के पुरषों को एक बात जरुर कहूँगी कि आप भले ही नारी को नोचते रहें क्योंकि आप जिंदा लाशें हैं तभी आपको उसका दर्द समझ नहीं आता। उसके शरीर पर आये घाव एक दिन भर भी जाएंगे लेकिन आत्मा पर आये घाव ता उम्र अन्दर ही अन्दर रिस्ते रहते हैं। वो जिन्दा तो रहती है लेकिन एक मुर्दे की तरह। कभी तो खुद के अंदर के राक्षस को मार कर सच वाला मर्द बनिये।

कितनी निर्भया ,कितनी गुड़िया ,कितनी परिया हर रोज नोच दी जाती है गिद्धों द्वारा और सब गूंगे -बहरे बने हुए बस कुछ दिन गली -चौराहों पर मोमबत्तियां जलाएंगे और अपने घरों में जा कर चैन की नींद सोयेंगे कि लीजिये हमनें न्याय की मांग में अपने होने की आहुति दे दी लेकिन अपने भीतर के गिद्ध को नहीं मरेंगे। आज किसी और की बेटी को नोचते सुना है कल अपनी बीवी को नोचेंगे क्योंकि उसको नोचने का तो प्रमाणपत्र मिल चुका है। सरकार को इसी वजह से क़ानून लाना पड़ा था कि बिना मर्ज़ी के किया गया संभोग भी बलात्कार की श्रेणी में ही आता है। लेकिन सच यही है बहुत सी बीवियों का भी हर पल बलात्कार उसके पति द्वारा ही किया जा रहा है। क्या सच में आप मर्द हैं ? क्या सच में ? एक बार सोचियेगा जरुर। #PMO India , #narendramodi #PMOffice #PMOIndia #HMOIndia #Modi #narendramodi_primeminister Ajay Kumar , Ranvir Sharda ji , Sharda Gulati Ma’am , RK Singh ji , Amitabh Kumar ji , Amit Kumar ji , Amitabh Yash ji

डबलिन से आपकी ही एक भारतीय बेटी
डॉ मंजू डागर चौधरी
अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार
आयरलैंड
Copyright @Dr.Manju Dagar Chaudhary

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