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प्रधानमंत्री ने बेंगलुरू में 27000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज बेंगलुरू में 27,000 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न रेल और सड़क बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इससे पहले, प्रधानमंत्री ने मस्तिष्क अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन किया और आईआईएससी बेंगलुरु में बागची पार्थसारथी मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल की आधारशिला रखी। उन्होंने डॉ. बी. आर. अंबेडकर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (बेस) विश्वविद्यालय के एक नए परिसर का भी उद्घाटन किया और उनके परिसर में भारत रत्न डॉ. बी. आर. अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण किया। उन्होंने 150 आईटीआई के आधुनिकीकरण को टेक्नोलॉजी हब के रूप में समर्पित किया। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत, मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी भी उपस्थित थे। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधान मंत्री ने कहा कि कर्नाटक में 5 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं और 7 रेलवे परियोजनाएं रखी गई हैं। कोंकण रेलवे के शत-प्रतिशत बिजलीकरण के महत्वपूर्ण पड़ाव के हम साक्षी बने हैं। ये सभी प्रोजेक्ट कर्नाटक के युवाओं, मध्यम वर्ग, किसानों, श्रमिकों, उद्यमियों को नई सुविधाएं और नए अवसर प्रदान करेंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंगलुरू, देश के लाखों युवाओं के लिए सपनों का शहर है। बैंगलुरू, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना का प्रतिबिंब है। “बैंगलुरु का विकास, लाखों सपनों का विकास है। इसलिए बीते 8 वर्षों में केंद्र सरकार का ये निरंतर प्रयास रहा है कि बैंगलुरू के सामर्थ्य को और बढ़ाया जाए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंगलुरू को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए रेल, रोड, मेट्रो, अंडरपास, फ्लाईओवर, हर संभव माध्यमों पर डबल इंजन की सरकार काम कर रही है। बैंगलुरू के जो सब-अर्बन इलाके हैं, उनको भी बेहतर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सभी उपायों की बात पिछले चार दशकों से चल रही थी और अब ‘डबल इंजन’ सरकार के साथ लोगों ने इन परियोजनाओं को पूरा करने का मौका मौजूदा सरकार को दिया है। प्रधानमंत्री ने परियोजना को समय पर पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि वह अगले 40 महीनों में बेंगलुरु के लोगों के सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे जो पिछले 40 वर्षों से रुके हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलुरू उपनगरीय रेल परियोजना से कनेक्टिविटी बेंगलुरू शहर को उसके उपनगरों और सैटेलाइट टाउनशिप से जोड़ेगी और इसका कई गुना प्रभाव होगा। इसी तरह, बेंगलुरु रिंग रोड परियोजना से शहर की भीड़भाड़ कम होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में सरकार ने रेल संपर्क के पूर्ण परिवर्तन पर काम किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अब तेज भी हो रही है, स्वच्छ भी हो रही है, आधुनिक भी हो रही है, सुरक्षित भी हो रही है और सिटीजन फ्रेंडली भी बन रही है। उन्होंने कहा, “हमने देश के उन हिस्सों में भी रेल को पहुंचाया है, जहां इसके बारे में कभी सोचना भी मुश्किल था। भारतीय रेल अब वो सुविधाएं, वो माहौल भी देने का प्रयास कर रही है जो कभी हवाई अड्डों और हवाई यात्रा पर ही उपलब्ध थी। भारत रत्न सर एम. विश्वेश्वरैया के नाम पर बैंगलुरू में बना आधुनिक रेलवे स्टेशन भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।” प्रधानमंत्री ने एकीकृत मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टरप्लान से नई गति मिल रही है। उन्होंने कहा कि आगामी मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क इसी विजन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि गतिशक्ति की भावना से चलाई जा रही इस तरह की परियोजनाओं से युवाओं को रोजगार मिलेगा और आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेंगलुरु की सफलता की कहानी 21वीं सदी के भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती है। बैंगलुरू ने ये दिखाया है कि सरकार अगर सुविधाएं दे और नागरिक के जीवन में कम से कम दखल दे, तो भारतीय युवा क्या कुछ नहीं कर सकते हैं। बैंगलुरू, देश के युवाओं के सपनों का शहर है और इसके पीछे उद्यमशीलता है, इनोवेशन है, पब्लिक के साथ ही प्राइवेट सेक्टर की सही उपयोगिता है। उन्होंने कहा कि बेंगलुरु उन लोगों के लिए एक सबक है जो अभी भी भारत के निजी उद्यम की भावना का अनादर करते हैं। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, 21वीं सदी का भारत, धन सृजित करने वालों, नौकरी देने वालों और नवप्रवर्तकों का भारत है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र के रूप में यह भारत की संपत्ति और ताकत है।

प्रधानमंत्री ने एमएसएमई के महत्व पर भी प्रकाश डाला और कहा कि एसएमई की परिभाषा में बदलाव के साथ, उनके विकास के नए रास्ते खुले हैं। आत्मनिर्भर भारत में विश्वास के प्रतीक के रूप में, भारत ने 200 करोड़ रुपये तक के अनुबंधों में विदेशी भागीदारी को समाप्त कर दिया है। केंद्र सरकार के विभागों को एमएसएमई से 25 फीसदी तक खरीदारी करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि जीईएम पोर्टल एमएसएमई खंड के लिए एक महान प्रवर्तक साबित हो रहा है।

स्टार्टअप क्षेत्र में अत्यधिक प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते दशकों में देश में कितनी बिलियन डॉलर कंपनियां बनी हैं, आप उंगलियों पर गिन सकते हैं। लेकिन पिछले 8 साल में 100 से अधिक बिलियन डॉलर कंपनियां खड़ी हुई हैं, जिसमें हर महीने नई कंपनियां जुड़ रही हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 के बाद पहले 10000 स्टार्टअप बनने में 800 दिन का समय लगा था, लेकिन अब इतने स्टार्टअप 200 दिनों से भी कम समय में जुड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले आठ साल में बनाए गए यूनिकॉर्न का मूल्य करीब 12 लाख करोड़ रुपये है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका साफ मानना है, उपक्रम चाहे सरकारी हो या फिर प्राइवेट, दोनों देश के ऐसेट हैं, इसलिए सबको समान अवसर मिलना चाहिए। यही सबका प्रयास है। प्रधानमंत्री ने देश के युवाओं को सरकार द्वारा प्रदान की जा रही विश्व स्तरीय सुविधाओं पर उनके दृष्टिकोण और विचारों का परीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि मेहनत करने वाले युवाओं को सरकार मंच मुहैया करा रही है। अंत में उन्होंने कहा कि सरकारी कंपनियां भी समान अवसर पर प्रतिस्पर्धा करेंगी।

परियोजनाओं का विवरण:

बेंगलुरु उपनगरीय रेल परियोजना (बीएसआरपी) बेंगलुरु शहर को उसके उपनगरों और सैटेलाइट टाउनशिप से जोड़ेगी। इस परियोजना को 15,700 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाना है। परियोजना में 4 गलियारों की परिकल्पना की गई है जिनकी कुल लंबाई 148 किलोमीटर से अधिक है। प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु कैंट और यशवंतपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखी, जिन्हें क्रमशः 500 करोड़ रुपये और 375 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने बैयप्पनहल्ली में भारत के प्रथम वातानुकूलित रेलवे स्टेशन- सर एम. विश्वेश्वरैया रेलवे स्टेशन को राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे लगभग 315 करोड़ रुपये की कुल लागत से आधुनिक हवाई अड्डे की तर्ज पर विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री ने उडुपी, मडागांव और रत्नागिरी से इलेक्ट्रिक ट्रेनों को झंडी दिखाकर रोहा (महाराष्ट्र) से ठोकुर (कर्नाटक) तक शत-प्रतिशत विद्युतीकृत कोंकण रेलवे लाइन (लगभग 740 किलोमीटर) को राष्ट्र को समर्पित किया। कोंकण रेलवे लाइन का विद्युतीकरण 1280 करोड़ से अधिक की लागत से किया गया है। प्रधानमंत्री ने अर्सीकेरे से तुमकुरु (लगभग 96 किमी) और येलहंका से पेनुकोंडा (लगभग 120 किमी) क्रमशः यात्री ट्रेनों और एमईएमयू सेवा को हरी झंडी दिखाकर दो रेलवे लाइनों के दोहरीकरण की परियोजनाओं को भी राष्ट्र को समर्पित किया। दो रेलवे लाइन दोहरीकरण परियोजनाओं को क्रमशः 750 करोड़ रुपये और 1100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु रिंग रोड परियोजना के दो खंडों की आधारशिला भी रखी। 2280 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित होने वाली इस परियोजना से शहर में यातायात की भीड़ को कम करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने विभिन्न अन्य सड़क परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, जैसे-एनएच-48 के नेलामंगला-तुमकुर खंड को छह लेन का बनाना, एनएच-73 के पुंजालकट्टे-चारमाड़ी खंड का चौड़ीकरण, एनएच-69 के एक खंड का पुनर्वास और आधुनिकीकरण। इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 3150 करोड़ रुपये है। प्रधानमंत्री ने मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क की आधारशिला भी रखी, जिसे लगभग 1800 करोड़ रुपये की लागत से बेंगलुरु से लगभग 40 किलोमीटर दूर मुद्दलिंगनहल्ली में विकसित किया जा रहा है। यह परिवहन, हैंडलिंग और द्वितीयक माल ढुलाई लागत को कम करने में मदद करेगा।

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नितिन गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)- 275 के बेंगलुरु निदाघट्टा खंड को छह लेन का बनाने का काम कई वादों के साथ आगे बढ़ रहा है

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि 21वीं सदी का नया भारत दुनिया में सबसे अच्छी बुनियादी सुविधाओं के निर्माण पर केंद्रित है। ट्वीट्स की एक श्रृंखला में उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच)- 275 के बेंगलुरु- निदाघट्टा खंड को छह लेन का बनाने की परियोजना बहुत सारे वादों और संभावनाओं के साथ आगे बढ़ रही है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image001ZKVV.jpg गडकरी ने कहा कि बैंगलोर से निदाघट्टा खंड एनएच-275 का वह हिस्सा है जो बैंगलोर दक्षिण क्षेत्र में पंचमुखी मंदिर जंक्शन के पास जंक्शन से शुरू होता है और निदाघट्टा से पहले समाप्त होता है। उन्होंने आगे कहा कि यह सड़क पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण खंड है क्योंकि यह बिदादी, चन्नापटाना, रामनगर के शहरों से होकर गुजरती है जहां एशिया में रेशम कोकून का सबसे बड़ा बाजार है और देश के एकमात्र गिद्ध अभयारण्य तक पहुंच प्रदान करता है और यह श्रीरंगपटना, मैसूर, ऊटी, केरल और कुर्ग को जोड़ेगा। मंत्री महोदय  ने कहा कि एक बार इस परियोजना के पूरी हो जाने के बाद 3 घंटे का वर्तमान यात्रा समय घटकर 90 मिनट का रह जाएगा जिससे ईंधन की खपत और कार्बन फुटप्रिंट में कमी आएगी। उन्होंने कहा कि सड़क सुरक्षा संवर्द्धन के साथ ही ग्रेड जंक्शनों को खत्म करने  और दुर्घटनाओं/भिडंत को खत्म करने के लिए वाहनों के लिए अंडरपास/ओवरपास प्रदान करके  परियोजना पर विशेष ध्यान दिया गया है। गडकरी ने बताया कि इस खंड में कुल 51.5 किमी की लंबाई वाले 6 बाईपासों के निर्माण से यातायात की भीड़ को कम करने और बिदादी, रामनगर, चन्नारायपटना, मद्दुर, मांड्या और श्रीरंगपटना जैसे शहरों के स्वास्थ्य, पर्यावरण और सड़क सुरक्षा को सुनिश्चित करने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के वादे को पूरा करते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम एमओआरटीएच देश के कोने-कोने में ऐसी कई गतिशील परियोजनाओं को पूरा करने और देश में नागरिकों के लिए समृद्धि लाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही है।

 

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‘लोगों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है’: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि लोगों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन एक लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से राष्ट्र के हितों को नुकसान होगा। श्री नायडू ने लोगों से चरमपंथी प्रवृत्तियों से दूर रहने का आह्वाहन किया। नायडू ने उप-राष्ट्रपति निवास में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लोगों से देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने का आह्वाहन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘घृणा और असहिष्णुता भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं।’ उपराष्ट्रपति ने इस बात को दोहराया कि भारत सबसे बड़ा संपन्न संसदीय लोकतंत्र है और ‘सर्व धर्म समभाव’ के सिद्धांत का अनुपालन करता है। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक शासकों ने भारतीयों के बीच एक हीन भावना उत्पन्न करने के प्रयास किए। श्री नायडू ने छात्रों से भारत की गौरवशाली सभ्यता पर गर्व करने का अनुरोध किया।

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छात्रों के विभिन्न सवालों के जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए ऊंचा लक्ष्य रखना, कड़ी मेहनत करना और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहना महत्वपूर्ण है। उन्होंने छात्रों को अपने महान नेताओं के जीवन व शिक्षाओं के बारे में पढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए उनके गुणों को अपनाने की सलाह दी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे चाहते हैं कि छात्र अधिक से अधिक भाषाओं में दक्षता प्राप्त करते हुए अपनी मातृभाषा की रक्षा करें और उसे बढ़ावा दें। उन्होंने छात्रों को स्वस्थ भोजन अभ्यासों को अपनाने और नियमित व्यायाम करने की भी सलाह दी।

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चांद आज कुछ कह रहा था

झरोखे में से झांक रहा था
चांद आज कुछ कह रहा था

एक अरसे से मुलाकात नहीं थी
जाने क्यों चांद में वो बात नहीं थी

खेल लुकाछिपी का खेल रहा था
और संग हवाओं के झूम रहा था

चंचल चितवन लिये डोल रहा था
जाने क्यों मन अपनी ओर खींच रहा था

रात आधी थी बात भी अधूरी थी
वो बस अपनी ही मौज में गुम हो रहा था

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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मिशन शक्ति फेज 4 (उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल) के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर योग कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 21 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कालेज, कानपुर में मिशन शक्ति फेज 4 (उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल) के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम को प्राचार्य डाॅ जोसेफ डेनियल के नेतृत्व में मिशन शक्ति प्रभारी डाॅ मीतकमल द्विवेदी ने संचालित किया एवं एनसीसी कैडेट्स की भी प्रतिभागिता रही। योगाचार्य वेद प्रकाश जी एवं योगाचार्य निधि प्रकाश ने छात्रों को योग के फायदे के बारे में जानकारी दी और उन्हें विभिन्न योगासन ताड़ासन, कटिचक्रासन, अर्धचंद्र आसन को करने की सही तरीके के विषय में बताया ।उन्होंने छात्रो के बौद्धिक विकास और मानसिक संतुलन के लिए आवश्यक योगासनों से अवगत कराया । उन्हे कैसे अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए इस विषय मे भी जानकारी दी । कॉलेज की उप प्राचार्या सबीना बोदरा, एनसीसी केयरटेकर हिमांशु दीक्षित, रिषभ आदि भी मौजूद रहे ।100 से अधिक छात्र -छात्राएं इस कार्यक्रम सम्मिलित हुए।

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अच्छा सोचे तो अच्छा होगा ~ स्मिता केंथ

सुबह सुबह जल्दी से घर के काम निपटा कर, मैंने तैयार होने के लिए अपनी कमरे की अलमारी में से इक शिफ़ॉन की साड़ी निकाली जो मुझे बेहद पसंद भी थी।हल्का आसमानी रंग बहुत गर्मी में यही अच्छा लगेगा ,सोच कर झट से तैयार हो गई।तैयार हो कर रामदीन काका को आवाज़ दी और कहा ! रामदीन काका जल्दी से गाड़ी में गिफ़्ट रखवा दीजिए और ड्राइवर से कहे ,गाड़ी को बाहर निकाले, मैं अभी आ रही हूँ। लेट तो मैं पहले ही हो गई थी। आज गर्मी बहुत थी मगर गाड़ी में गाने की धुन के साथ गुनगुनाते रास्ते का पता ही नहीं चला। जैसे तैसे करके मैं शैलजा के यहाँ पहुँची।आज उसके यहाँ शादी की सालगिरह की पार्टी रखी हुई थी। पार्टी के दौरान इधर-उधर की बातें मिलना मिलाना तो चल ही रहा था,तभी मेरा ध्यान उरमी की तरफ़ गया ,जो मेरी बचपन की सहेली थी उसका असली नाम उर्मिला है मगर मैं प्यार से उसे उरमी बुलाती हूँ जो अपनी बिमारी का ज़िक्र बार बार सभी से कर रही थी और सब को बता रही थी कि कैसे वो पिछले कुछ महीनों से परेशान रही।मैं अपनी सहेलियों से मिलते मिलाते उरमी को पीछे से जाकर अपनी बाँहों में ले लिया।मुझे वहाँ देख कर उरमी भी बहुत खुश हुई।हम दोनों वैसे तो एक ही शहर में रहते हैं मगर मिलना बहुत कम हो पाता है उसने भी मुझे ज़ोर से अपनी बाँहों में लिया और हैरान हो कर पूछने लगी कि मैं कहा रहती हूँ आजकल , कहीं दिखाई नहीं देती।थोड़ी इधर उधर की बात के बाद मैंने कहा।  सुन उरमी तुम मेरी प्यारी सहेली हो इसीलिए मैं तुम से इक बात शेयर करना चाहती हूँ। दोस्तों। वो बात जो कहीं न कहीं शायद हम सब के लिए समझना ज़रूरी भी है। मैंने उसे इक औरत जिस का नाम आयशा था ,की बात बताई। आयशा जो एक जवान ,सुन्दर और अच्छे परिवार से थी।काफ़ी अरसे से बिमार चल रही थी जब डाक्टरों का इलाज भी साथ नहीं दे रहा था तो काफ़ी निराश हो गई।किसी के घर ,किसी रोज़ उसकी मुलाक़ात किसी स्वामी जी से हुई।जहां उसने अपनी बिमारी की बात स्वामी जी से कह डाली।उसकी बात सुन कर स्वामी जी ने कहा ! घबराओ नहीं। ये मंत्र किया करो सबठीक हो जाओगा।आयशा बिमारी से तो झूंझ ही रही थी ,तो सोचा। जाप करने में हर्ज ही क्या है और विश्वास से मंत्र का जाप करने लगी। तीन सालों के बाद ,ठीक हो कर स्वामी जी के पास फिर आई।स्वामी जी ने पूछा। कैसी हो ?कहने लगी !जी अब ठीक हूँ। मंत्र और आप की किरपा से ठीक हो गई हूँ ।स्वामी जी कहा। तो चलो ,अब मौज करो और स्वामी जी ने उसे वहाँ से उठने का इशारा भी कर दिया ।आयशा वहाँ से उठ खड़ी हुईं,तो स्वामी जी की पत्नी ,जो पास में ही बैठी थी ,आयशा से पूछने लगी। क्या हुआ था? और अपने पास बैठा लिया। महिलायें तो महिला ही होती है ,जैसे आयशा इसी इन्तज़ार में थी कि कोई उससे ,उसका हाल पूछ ले और वो सारी बात उसे बताये। एकदम से आयशा ने अपनी कहानी सुनानी शुरू कर दी कि कैसे वो पिछले 7 सालो से बिमारी से झूझ रही थी।कैसे मुम्बई के अस्पताल में इलाज करवाया।कैसे उसे अपनी ज़मीन बेचनी पड़ी।कैसे उसके पति ने पानी की तरह पैसा बहाया उसके इलाज के लिये,और बता रही थी इतनी बीमार थी कि घर का काम भी नही कर पाती थी वग़ैरह वग़ैरह बहुत लम्बी लिस्ट थी जो वो बता रही थी स्वामी जी की पत्नी को, पिछले 45 मिनटों से लगातार आयशा बोलती जा रही थी और उसे ऐसा करते देख स्वामी जी ने आयशा को अपने पास बुलाया और कहा !तुम क्या चाहती हो ?कया तुम चाहती हो कि तुम फिर से बिमार हो जाओ? आयशा घबरा गई और बोली, नहीं नहीं स्वामी जी ,मैं ऐसा क्यों चाहूँगी। तब स्वामी जी ने कहा!तुम्हें बिमारी आई ।तुमने मंत्र से इसे ठीक भी कर लिया।अब जितना अपनी बिमारी का गुणगान करोगी न,बिमारी फिर से तुमहारे पास आ जायेगी।जैसे हमारे घर मे कोई आये और हम ख़ूब आवभगत करे ,तो वो मेहमान हमारे घर बार बार आना चाहता है क्यूँकि उन्हें पता होता है ,कि इस घर मे मेरा सन्मान होता है। जहाँ किसी को कोई नही पूछता वहाँ कोई दोबारा जाना नहीं चाहता।स्वामी जी ने कहा, यूँ भी सारा श्रेय मैं मन्त्र को भी नही दे सकता। कहीं न कहीं तुम्हें विश्वास भी था कि तुम अब ठीक हो जाओगी ,उसी विश्वास ने भी अपना काम शुरू कर दिया था, अब चुप रहो। बीमारी की महिमा या गुणगान ज़्यादा न करो ,नही तो वो फिर आ जायेगी, तब मैने उरमी से कहा, तुम भी तो वही कर रही हो ,बार बार बीमारी की बात दोहारा रही हो। ये सुन कर उर्मिला ने कहा! मेरी तौबा, मै किसी को भी ,आज के बाद बिमारी की बात नही दोहराऊँगी। दोस्तों! उसी को याद कीजिये जिसे आप चाहते है कि आप के पास आयेजो। चीज़ नही चाहते उसकी बात को दोहराये भी नही, दुनिया चाहोगे तो दुनिया मिलेगी, रब को याद करोगे तो रब भी मिल जायेगा, प्यार मोहब्बत इश्क़ वफ़ा जो चाहिए उसी का ज़िक्र करें, जैसे हम बहुत सरसरा से कह देते है रिश्तों मे कोई सच्चाई नही बची तो यही सब तो हो रहा है हमारे आसपास। हम सरसरा सा यू ही कह देते है कि बच्चे आजकल अपना ही सोचते है तो हो भी यही रहा है, क्योंकि हम ही ऐसी एनर्जी, ऐसी ऊर्जा भेज रहे है अपने आसपास, दोस्तों, अपनी सोच को पकड़े और अच्छा सोचे तो अच्छा ही होगा, इस जहान का इक दस्तूर है जनाब! वो ये है कि “सुना है तेरे जहाँ मे जिसे शिद्दत से चाहो ,वो आज नही ,तो कल मिलता ज़रूर है “और मुझे भी इन्तज़ार है उसी पल का !

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उपराष्ट्रपति ने मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और लोगों से कृषि के प्रति सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की

उपराष्ट्रपति,  वेंकैया नायडु ने आज मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और समग्र रूप से लोगों समेत सिविल सोसायटी से कृषि की तरफ सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की। कृषि को एक पवित्र गतिविधि बताते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की सुरक्षा करना और कृषि को लाभदायक बनाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सभी प्रकार की मदद करना वक्त की मांग है।

नायडु आज हैदराबाद में रायथू नेस्तम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘प्रकृति सैन्यम’ का विमोचन कर रहे थे। यह पुस्तक उन 100 किसानों की सफलता की कहानियों का वर्णन करती है जो जैविक और पारंपरिक खेती में करने लगे हैं। श्री नायडु ने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक अनेक लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करेगी।

यह बताते हुए कि ब्रिटिश शासन ने भारतीय कृषि को बुरी तरह प्रभावित किया है,  नायडु ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद खाद्य सुरक्षा की तलाश में, ‘‘हमने अपने प्राकृतिक पर्यावरण पर कृषि के प्रभाव की अनदेखी की है।’’ उन्होंने कहा कि जैविक खेती की ओर लौटने के लिए हाल के वर्षों में किए गए प्रयासों को देखकर प्रसन्नता हो रही है। श्री नायडु ने कहा कि प्राकृतिक खेती लागत को नियंत्रित कर सकती है और किसानों के लिए एक स्थिर आय पैदा कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के के दौर में किसानों को भी अत्यधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा, ’’आगे, हमें कृषि संरक्षण को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ स्थिरता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि संबद्ध गतिविधियों, विशेष रूप से पशुपालन को अपनाने वाले किसानों को खाद और जैव उर्वरक का एक शक्तिशाली स्रोत मिलने से जैविक खेती में लाभ होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को संबद्ध गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान कर सकती हैं और उन्हें कृषि में अनिश्चितताओं से बचा सकती हैं। देसी नस्लों के संरक्षण का आह्वान करते हुए, श्री नायडु ने कहा, ‘‘पशुधन राष्ट्रीय धन है।’’

कृषि में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के महत्व पर बल देते हुए श्री नायडु ने प्राकृतिक और जैविक खेती में और अधिक शोध करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने मोटे अनाज में लोगों की बढ़ती अभिरुचि का लाभ उठाने और ऐसी फसलों में वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों और क्षेत्र स्तर के कार्यान्वयन के बीच अधिक तालमेल बनाने की आवश्यकता बताई। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि किसानों के बीच पहुंच बढ़ाने के लिए शोधों का प्रकाशन भारतीय भाषाओं में होना चाहिए।

श्री नायडू ने उद्यमी युवाओं के कृषि के क्षेत्र में प्रवेश करने की प्रवृत्ति पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह कृषि के पुनरुद्धार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कृषि को लाभदायक बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, नीति आयोग, व्यापार निकायों और मीडिया सहित विभिन्न हितधारकों से और अधिक समन्वित प्रयासा करने की अपील की और कहा कि युवाओं को भी इस परिवर्तन में भागीदार बनाया जाना चाहिए।

निदेशक, भाकृअनुप-एनएएआरएम, श्री श्रीनिवास राव, तेलंगाना पशुपालन विभाग के निदेशक, डॉ. एस. रामचंद्र, रायथू नेस्तम प्रकाशन के संस्थापक, श्री यादपल्ली वेंकटेश्वर राव, अनेक किसानों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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मैं पराया धन नहीं, मैं तुम्हारी बिटिया हूं~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

क्यों मायका पराया करना है

क्यों न ऐसा मानें कि अब हमारा
दो घर हो गया है.
कभी इस घर तो कभी उस घर
जाकर साथ निभाना है
हां ये मान लिया कि
पिया घर जरा ज्यादा फर्ज निभाना है
पर मायके में भी तो कुछ फर्ज,

कुछ रिवाजनिभाना है
सब जिम्मेदारी बेटे ही क्यों ले लें
सबको मिलकर एक साथ निभाना है
क्यों मैं सुनूं कि अब कब आओगी तुम
क्यों न ऐसा सुनूं कि जब भी समय मिले
बिटिया घर आ जाना तुम
फर्क बढ़ जाता है जब
परिवार का दायरा बढ़ जाता है
तो क्यों न ऐसा सोचें कि
जिम्मेदारियां निभाने में दो हाथ
और जुड़ जाते हैं
बेटे जब चले जाते नौकरी, व्यापार के लिए
दूर प्रदेश…. तब क्या वो पराये हो जाते हैं
थोड़े थोड़े समय पर थोड़े समय के लिए

आते हैं वो फर्ज निभाने के लिए
तब भी तो तुम ऐसा ही कहती हो न
कि जब समय मिले तो जल्दी आ जाना
मैं पराया धन नहीं हूं
मैं तुम्हारी बिटिया हूं
हमें हमेशा साथ निभाना है

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योग से मन और शरीर दोनों का विकास होता है : सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं राजमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2022 के 12 दिन के काउंटडाउन के तहत अरुणाचल प्रदेश की सुरम्य जीरो वैली में हुए योग उत्सव में भाग लिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002RUK7.jpgकेंद्रीय मंत्री के साथ ही अरुणाचल प्रदेश सरकार में शिक्षा, सांस्कृतिक मामले, स्वदेशी मामलों के मंत्री ताबा तेदिर और अरुणाचल प्रदेश सरकार में कृषि, बागवानी, पशु पालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री तेगे तेकी के अलावा कई अन्य योग के चाहने वाले आज सुबह हुए योग उत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा कि योग मन और शरीर दोनों का विकास करता है। यह हमारी आत्मा को सक्रिय करते हुए हमें शांति और व्यवस्थित रखता है। उन्होंने कहा कि भवगद् गीता ने योग के सार को खूबसूरती से बताया है, जो स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं की यात्रा है। उन्होंने कहा, मैं आज सुबह खूबसूरत जीरो वैली में योग का अभ्यास करके खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।

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अपने पिता के खेत में प्रशिक्षण से लेकर खेलो इंडिया रजत पदक जीतने तक महाराष्ट्र की कल्याणी गाडेकर ने लंबा सफर तय किया है

मिट्टी का एक गड्ढा, जो उसके पिता के छोटे खेत में एक अस्थायी कुश्ती के मैदान के रूप में बदला गया, कल्याणी गडेकर के लिए आदर्श प्रशिक्षण मैदान बन गया है।

इसका अर्थ यह नहीं कि महाराष्ट्र की पहलवान, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में 53 किलो वर्ग में रजत पदक विजेता कोई बहुत धनी परिवार में पैदा हुई थी। बात यह है कि उसके पिता के पास कोई विकल्प नहीं था। कुश्ती के प्रशंसक पांडुरंग गडेकर चाहते थे कि युवा कल्याणी पहलवान बने। लेकिन विदर्भ के वाशिम जिले के जयपुर नामक उनके छोटे से गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं था। वह हंस कर कहती है, ‘‘ मेरे पिता ने किसी तरह जिम्नास्टिक के नरम मैट एकत्र किए तथा उस पर एक बेडशीट डाल दी जिससे कि मुझे कुश्ती के मैट पर खेलने का एहसास हो। ‘‘ हालांकि पिता और पुत्री की जोड़ी अस्थायी कुश्ती अखाड़ा बन जाने के बाद भी नहीं टूटी। पांडुरंग को कोच तथा प्रशिक्षक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी क्योंकि राज्य द्वारा अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को पैदा किए जाने के बाद भी उनके जिले में एक भी कोच नहीं था। उनकी साझीदारी तब टूटी जब कल्याणी ने अपने पहले ही प्रयास में स्कूल नेशनल्स में जगह बना ली। उनके माता पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच कर उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए सोनीपत स्थानांतरित कर दिया। कल्याणी स्मरण करती है, ‘‘ मेरे छोटे भाई और बहन ने मिट्टी के उसी गड्ढे में प्रशिक्षण करना जारी रखा जब मैं शहर चली आई। बच्चों के रूप में हम बहुत मस्ती किया करते थे। ‘‘ संयोग से, अब तीनों भाई बहन मुंबई में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 18 वर्षीया कल्याणी ने आरंभिक प्रशिक्षण से लेकर बुधवार को यहां 53 किग्रा रजत पदक जीतने तक निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है। हालांकि यह आसान नहीं था। दो बार, उसने सेमी फाइनल में पंजाब की मनजीत कौर को पराजित किया। लेकिन फाइनल में वह हरियाणा की अंतिम के दांव को रोकने में विफल हो गई कल्याणी, जिसने 46 किलो वर्ग में केआईवाईजी पुणे संस्करण में भी रजत पदक जीता था, बताती है, ‘‘ हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से प्रसन्न हूं। मैं आम तौर पर 50 किलो वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हूं। लेकिन चूंकि यहां 49 किलो वर्ग है, इसलिए मुझे 53 किलो के वर्ग में जाना पड़ा। मैं इतने कम समय में अपना वजन कम नहीं कर सकी। ‘‘लगभग एक वर्ष पूर्व, उसे एसएआई स्कीम के तहत मुंबई के कांदिवली में प्रशिक्षण के लिए चुना गया और वह अपने सामरिक वाले खेल पर कोच श्री अमोल यादव के साथ काम कर रही है। श्री यादव ने कहा, ‘‘ वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है और उचित कोचिंग की कमी के कारण बहुत रक्षात्मक हुआ करती थी। लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हम अगले  6-10 महीने में उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार देख सकते हैं।

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