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‘लोगों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है’: उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि लोगों को विरोध करने का पूरा अधिकार है, लेकिन एक लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से राष्ट्र के हितों को नुकसान होगा। श्री नायडू ने लोगों से चरमपंथी प्रवृत्तियों से दूर रहने का आह्वाहन किया। नायडू ने उप-राष्ट्रपति निवास में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों के एक समूह के साथ बातचीत की। इस दौरान उन्होंने लोगों से देश की एकता, संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने का आह्वाहन किया। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘घृणा और असहिष्णुता भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं।’ उपराष्ट्रपति ने इस बात को दोहराया कि भारत सबसे बड़ा संपन्न संसदीय लोकतंत्र है और ‘सर्व धर्म समभाव’ के सिद्धांत का अनुपालन करता है। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक शासकों ने भारतीयों के बीच एक हीन भावना उत्पन्न करने के प्रयास किए। श्री नायडू ने छात्रों से भारत की गौरवशाली सभ्यता पर गर्व करने का अनुरोध किया।

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छात्रों के विभिन्न सवालों के जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए ऊंचा लक्ष्य रखना, कड़ी मेहनत करना और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहना महत्वपूर्ण है। उन्होंने छात्रों को अपने महान नेताओं के जीवन व शिक्षाओं के बारे में पढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए उनके गुणों को अपनाने की सलाह दी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे चाहते हैं कि छात्र अधिक से अधिक भाषाओं में दक्षता प्राप्त करते हुए अपनी मातृभाषा की रक्षा करें और उसे बढ़ावा दें। उन्होंने छात्रों को स्वस्थ भोजन अभ्यासों को अपनाने और नियमित व्यायाम करने की भी सलाह दी।

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चांद आज कुछ कह रहा था

झरोखे में से झांक रहा था
चांद आज कुछ कह रहा था

एक अरसे से मुलाकात नहीं थी
जाने क्यों चांद में वो बात नहीं थी

खेल लुकाछिपी का खेल रहा था
और संग हवाओं के झूम रहा था

चंचल चितवन लिये डोल रहा था
जाने क्यों मन अपनी ओर खींच रहा था

रात आधी थी बात भी अधूरी थी
वो बस अपनी ही मौज में गुम हो रहा था

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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मिशन शक्ति फेज 4 (उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल) के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर योग कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 21 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कालेज, कानपुर में मिशन शक्ति फेज 4 (उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल) के अंतर्गत ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ पर एक योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम को प्राचार्य डाॅ जोसेफ डेनियल के नेतृत्व में मिशन शक्ति प्रभारी डाॅ मीतकमल द्विवेदी ने संचालित किया एवं एनसीसी कैडेट्स की भी प्रतिभागिता रही। योगाचार्य वेद प्रकाश जी एवं योगाचार्य निधि प्रकाश ने छात्रों को योग के फायदे के बारे में जानकारी दी और उन्हें विभिन्न योगासन ताड़ासन, कटिचक्रासन, अर्धचंद्र आसन को करने की सही तरीके के विषय में बताया ।उन्होंने छात्रो के बौद्धिक विकास और मानसिक संतुलन के लिए आवश्यक योगासनों से अवगत कराया । उन्हे कैसे अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए इस विषय मे भी जानकारी दी । कॉलेज की उप प्राचार्या सबीना बोदरा, एनसीसी केयरटेकर हिमांशु दीक्षित, रिषभ आदि भी मौजूद रहे ।100 से अधिक छात्र -छात्राएं इस कार्यक्रम सम्मिलित हुए।

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अच्छा सोचे तो अच्छा होगा ~ स्मिता केंथ

सुबह सुबह जल्दी से घर के काम निपटा कर, मैंने तैयार होने के लिए अपनी कमरे की अलमारी में से इक शिफ़ॉन की साड़ी निकाली जो मुझे बेहद पसंद भी थी।हल्का आसमानी रंग बहुत गर्मी में यही अच्छा लगेगा ,सोच कर झट से तैयार हो गई।तैयार हो कर रामदीन काका को आवाज़ दी और कहा ! रामदीन काका जल्दी से गाड़ी में गिफ़्ट रखवा दीजिए और ड्राइवर से कहे ,गाड़ी को बाहर निकाले, मैं अभी आ रही हूँ। लेट तो मैं पहले ही हो गई थी। आज गर्मी बहुत थी मगर गाड़ी में गाने की धुन के साथ गुनगुनाते रास्ते का पता ही नहीं चला। जैसे तैसे करके मैं शैलजा के यहाँ पहुँची।आज उसके यहाँ शादी की सालगिरह की पार्टी रखी हुई थी। पार्टी के दौरान इधर-उधर की बातें मिलना मिलाना तो चल ही रहा था,तभी मेरा ध्यान उरमी की तरफ़ गया ,जो मेरी बचपन की सहेली थी उसका असली नाम उर्मिला है मगर मैं प्यार से उसे उरमी बुलाती हूँ जो अपनी बिमारी का ज़िक्र बार बार सभी से कर रही थी और सब को बता रही थी कि कैसे वो पिछले कुछ महीनों से परेशान रही।मैं अपनी सहेलियों से मिलते मिलाते उरमी को पीछे से जाकर अपनी बाँहों में ले लिया।मुझे वहाँ देख कर उरमी भी बहुत खुश हुई।हम दोनों वैसे तो एक ही शहर में रहते हैं मगर मिलना बहुत कम हो पाता है उसने भी मुझे ज़ोर से अपनी बाँहों में लिया और हैरान हो कर पूछने लगी कि मैं कहा रहती हूँ आजकल , कहीं दिखाई नहीं देती।थोड़ी इधर उधर की बात के बाद मैंने कहा।  सुन उरमी तुम मेरी प्यारी सहेली हो इसीलिए मैं तुम से इक बात शेयर करना चाहती हूँ। दोस्तों। वो बात जो कहीं न कहीं शायद हम सब के लिए समझना ज़रूरी भी है। मैंने उसे इक औरत जिस का नाम आयशा था ,की बात बताई। आयशा जो एक जवान ,सुन्दर और अच्छे परिवार से थी।काफ़ी अरसे से बिमार चल रही थी जब डाक्टरों का इलाज भी साथ नहीं दे रहा था तो काफ़ी निराश हो गई।किसी के घर ,किसी रोज़ उसकी मुलाक़ात किसी स्वामी जी से हुई।जहां उसने अपनी बिमारी की बात स्वामी जी से कह डाली।उसकी बात सुन कर स्वामी जी ने कहा ! घबराओ नहीं। ये मंत्र किया करो सबठीक हो जाओगा।आयशा बिमारी से तो झूंझ ही रही थी ,तो सोचा। जाप करने में हर्ज ही क्या है और विश्वास से मंत्र का जाप करने लगी। तीन सालों के बाद ,ठीक हो कर स्वामी जी के पास फिर आई।स्वामी जी ने पूछा। कैसी हो ?कहने लगी !जी अब ठीक हूँ। मंत्र और आप की किरपा से ठीक हो गई हूँ ।स्वामी जी कहा। तो चलो ,अब मौज करो और स्वामी जी ने उसे वहाँ से उठने का इशारा भी कर दिया ।आयशा वहाँ से उठ खड़ी हुईं,तो स्वामी जी की पत्नी ,जो पास में ही बैठी थी ,आयशा से पूछने लगी। क्या हुआ था? और अपने पास बैठा लिया। महिलायें तो महिला ही होती है ,जैसे आयशा इसी इन्तज़ार में थी कि कोई उससे ,उसका हाल पूछ ले और वो सारी बात उसे बताये। एकदम से आयशा ने अपनी कहानी सुनानी शुरू कर दी कि कैसे वो पिछले 7 सालो से बिमारी से झूझ रही थी।कैसे मुम्बई के अस्पताल में इलाज करवाया।कैसे उसे अपनी ज़मीन बेचनी पड़ी।कैसे उसके पति ने पानी की तरह पैसा बहाया उसके इलाज के लिये,और बता रही थी इतनी बीमार थी कि घर का काम भी नही कर पाती थी वग़ैरह वग़ैरह बहुत लम्बी लिस्ट थी जो वो बता रही थी स्वामी जी की पत्नी को, पिछले 45 मिनटों से लगातार आयशा बोलती जा रही थी और उसे ऐसा करते देख स्वामी जी ने आयशा को अपने पास बुलाया और कहा !तुम क्या चाहती हो ?कया तुम चाहती हो कि तुम फिर से बिमार हो जाओ? आयशा घबरा गई और बोली, नहीं नहीं स्वामी जी ,मैं ऐसा क्यों चाहूँगी। तब स्वामी जी ने कहा!तुम्हें बिमारी आई ।तुमने मंत्र से इसे ठीक भी कर लिया।अब जितना अपनी बिमारी का गुणगान करोगी न,बिमारी फिर से तुमहारे पास आ जायेगी।जैसे हमारे घर मे कोई आये और हम ख़ूब आवभगत करे ,तो वो मेहमान हमारे घर बार बार आना चाहता है क्यूँकि उन्हें पता होता है ,कि इस घर मे मेरा सन्मान होता है। जहाँ किसी को कोई नही पूछता वहाँ कोई दोबारा जाना नहीं चाहता।स्वामी जी ने कहा, यूँ भी सारा श्रेय मैं मन्त्र को भी नही दे सकता। कहीं न कहीं तुम्हें विश्वास भी था कि तुम अब ठीक हो जाओगी ,उसी विश्वास ने भी अपना काम शुरू कर दिया था, अब चुप रहो। बीमारी की महिमा या गुणगान ज़्यादा न करो ,नही तो वो फिर आ जायेगी, तब मैने उरमी से कहा, तुम भी तो वही कर रही हो ,बार बार बीमारी की बात दोहारा रही हो। ये सुन कर उर्मिला ने कहा! मेरी तौबा, मै किसी को भी ,आज के बाद बिमारी की बात नही दोहराऊँगी। दोस्तों! उसी को याद कीजिये जिसे आप चाहते है कि आप के पास आयेजो। चीज़ नही चाहते उसकी बात को दोहराये भी नही, दुनिया चाहोगे तो दुनिया मिलेगी, रब को याद करोगे तो रब भी मिल जायेगा, प्यार मोहब्बत इश्क़ वफ़ा जो चाहिए उसी का ज़िक्र करें, जैसे हम बहुत सरसरा से कह देते है रिश्तों मे कोई सच्चाई नही बची तो यही सब तो हो रहा है हमारे आसपास। हम सरसरा सा यू ही कह देते है कि बच्चे आजकल अपना ही सोचते है तो हो भी यही रहा है, क्योंकि हम ही ऐसी एनर्जी, ऐसी ऊर्जा भेज रहे है अपने आसपास, दोस्तों, अपनी सोच को पकड़े और अच्छा सोचे तो अच्छा ही होगा, इस जहान का इक दस्तूर है जनाब! वो ये है कि “सुना है तेरे जहाँ मे जिसे शिद्दत से चाहो ,वो आज नही ,तो कल मिलता ज़रूर है “और मुझे भी इन्तज़ार है उसी पल का !

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उपराष्ट्रपति ने मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और लोगों से कृषि के प्रति सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की

उपराष्ट्रपति,  वेंकैया नायडु ने आज मीडिया, वैज्ञानिक बिरादरी और समग्र रूप से लोगों समेत सिविल सोसायटी से कृषि की तरफ सकारात्मक भाव दर्शाने की अपील की। कृषि को एक पवित्र गतिविधि बताते हुए उन्होंने कहा कि किसानों की सुरक्षा करना और कृषि को लाभदायक बनाना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सभी प्रकार की मदद करना वक्त की मांग है।

नायडु आज हैदराबाद में रायथू नेस्तम प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘प्रकृति सैन्यम’ का विमोचन कर रहे थे। यह पुस्तक उन 100 किसानों की सफलता की कहानियों का वर्णन करती है जो जैविक और पारंपरिक खेती में करने लगे हैं। श्री नायडु ने उम्मीद जताई कि यह पुस्तक अनेक लोगों को जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करेगी।

यह बताते हुए कि ब्रिटिश शासन ने भारतीय कृषि को बुरी तरह प्रभावित किया है,  नायडु ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद खाद्य सुरक्षा की तलाश में, ‘‘हमने अपने प्राकृतिक पर्यावरण पर कृषि के प्रभाव की अनदेखी की है।’’ उन्होंने कहा कि जैविक खेती की ओर लौटने के लिए हाल के वर्षों में किए गए प्रयासों को देखकर प्रसन्नता हो रही है। श्री नायडु ने कहा कि प्राकृतिक खेती लागत को नियंत्रित कर सकती है और किसानों के लिए एक स्थिर आय पैदा कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग के के दौर में किसानों को भी अत्यधिक लाभ होगा। उन्होंने कहा, ’’आगे, हमें कृषि संरक्षण को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ स्थिरता भी सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

उपराष्ट्रपति ने कहा कि संबद्ध गतिविधियों, विशेष रूप से पशुपालन को अपनाने वाले किसानों को खाद और जैव उर्वरक का एक शक्तिशाली स्रोत मिलने से जैविक खेती में लाभ होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को संबद्ध गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए जो किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान कर सकती हैं और उन्हें कृषि में अनिश्चितताओं से बचा सकती हैं। देसी नस्लों के संरक्षण का आह्वान करते हुए, श्री नायडु ने कहा, ‘‘पशुधन राष्ट्रीय धन है।’’

कृषि में प्रौद्योगिकी को शामिल करने के महत्व पर बल देते हुए श्री नायडु ने प्राकृतिक और जैविक खेती में और अधिक शोध करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने मोटे अनाज में लोगों की बढ़ती अभिरुचि का लाभ उठाने और ऐसी फसलों में वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया। उन्होंने कृषि विश्वविद्यालयों, अनुसंधान केंद्रों और क्षेत्र स्तर के कार्यान्वयन के बीच अधिक तालमेल बनाने की आवश्यकता बताई। उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि किसानों के बीच पहुंच बढ़ाने के लिए शोधों का प्रकाशन भारतीय भाषाओं में होना चाहिए।

श्री नायडू ने उद्यमी युवाओं के कृषि के क्षेत्र में प्रवेश करने की प्रवृत्ति पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि यह कृषि के पुनरुद्धार के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने कृषि को लाभदायक बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, नीति आयोग, व्यापार निकायों और मीडिया सहित विभिन्न हितधारकों से और अधिक समन्वित प्रयासा करने की अपील की और कहा कि युवाओं को भी इस परिवर्तन में भागीदार बनाया जाना चाहिए।

निदेशक, भाकृअनुप-एनएएआरएम, श्री श्रीनिवास राव, तेलंगाना पशुपालन विभाग के निदेशक, डॉ. एस. रामचंद्र, रायथू नेस्तम प्रकाशन के संस्थापक, श्री यादपल्ली वेंकटेश्वर राव, अनेक किसानों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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मैं पराया धन नहीं, मैं तुम्हारी बिटिया हूं~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

क्यों मायका पराया करना है

क्यों न ऐसा मानें कि अब हमारा
दो घर हो गया है.
कभी इस घर तो कभी उस घर
जाकर साथ निभाना है
हां ये मान लिया कि
पिया घर जरा ज्यादा फर्ज निभाना है
पर मायके में भी तो कुछ फर्ज,

कुछ रिवाजनिभाना है
सब जिम्मेदारी बेटे ही क्यों ले लें
सबको मिलकर एक साथ निभाना है
क्यों मैं सुनूं कि अब कब आओगी तुम
क्यों न ऐसा सुनूं कि जब भी समय मिले
बिटिया घर आ जाना तुम
फर्क बढ़ जाता है जब
परिवार का दायरा बढ़ जाता है
तो क्यों न ऐसा सोचें कि
जिम्मेदारियां निभाने में दो हाथ
और जुड़ जाते हैं
बेटे जब चले जाते नौकरी, व्यापार के लिए
दूर प्रदेश…. तब क्या वो पराये हो जाते हैं
थोड़े थोड़े समय पर थोड़े समय के लिए

आते हैं वो फर्ज निभाने के लिए
तब भी तो तुम ऐसा ही कहती हो न
कि जब समय मिले तो जल्दी आ जाना
मैं पराया धन नहीं हूं
मैं तुम्हारी बिटिया हूं
हमें हमेशा साथ निभाना है

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योग से मन और शरीर दोनों का विकास होता है : सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं राजमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2022 के 12 दिन के काउंटडाउन के तहत अरुणाचल प्रदेश की सुरम्य जीरो वैली में हुए योग उत्सव में भाग लिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002RUK7.jpgकेंद्रीय मंत्री के साथ ही अरुणाचल प्रदेश सरकार में शिक्षा, सांस्कृतिक मामले, स्वदेशी मामलों के मंत्री ताबा तेदिर और अरुणाचल प्रदेश सरकार में कृषि, बागवानी, पशु पालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री तेगे तेकी के अलावा कई अन्य योग के चाहने वाले आज सुबह हुए योग उत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा कि योग मन और शरीर दोनों का विकास करता है। यह हमारी आत्मा को सक्रिय करते हुए हमें शांति और व्यवस्थित रखता है। उन्होंने कहा कि भवगद् गीता ने योग के सार को खूबसूरती से बताया है, जो स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं की यात्रा है। उन्होंने कहा, मैं आज सुबह खूबसूरत जीरो वैली में योग का अभ्यास करके खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।

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अपने पिता के खेत में प्रशिक्षण से लेकर खेलो इंडिया रजत पदक जीतने तक महाराष्ट्र की कल्याणी गाडेकर ने लंबा सफर तय किया है

मिट्टी का एक गड्ढा, जो उसके पिता के छोटे खेत में एक अस्थायी कुश्ती के मैदान के रूप में बदला गया, कल्याणी गडेकर के लिए आदर्श प्रशिक्षण मैदान बन गया है।

इसका अर्थ यह नहीं कि महाराष्ट्र की पहलवान, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में 53 किलो वर्ग में रजत पदक विजेता कोई बहुत धनी परिवार में पैदा हुई थी। बात यह है कि उसके पिता के पास कोई विकल्प नहीं था। कुश्ती के प्रशंसक पांडुरंग गडेकर चाहते थे कि युवा कल्याणी पहलवान बने। लेकिन विदर्भ के वाशिम जिले के जयपुर नामक उनके छोटे से गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं था। वह हंस कर कहती है, ‘‘ मेरे पिता ने किसी तरह जिम्नास्टिक के नरम मैट एकत्र किए तथा उस पर एक बेडशीट डाल दी जिससे कि मुझे कुश्ती के मैट पर खेलने का एहसास हो। ‘‘ हालांकि पिता और पुत्री की जोड़ी अस्थायी कुश्ती अखाड़ा बन जाने के बाद भी नहीं टूटी। पांडुरंग को कोच तथा प्रशिक्षक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी क्योंकि राज्य द्वारा अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को पैदा किए जाने के बाद भी उनके जिले में एक भी कोच नहीं था। उनकी साझीदारी तब टूटी जब कल्याणी ने अपने पहले ही प्रयास में स्कूल नेशनल्स में जगह बना ली। उनके माता पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच कर उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए सोनीपत स्थानांतरित कर दिया। कल्याणी स्मरण करती है, ‘‘ मेरे छोटे भाई और बहन ने मिट्टी के उसी गड्ढे में प्रशिक्षण करना जारी रखा जब मैं शहर चली आई। बच्चों के रूप में हम बहुत मस्ती किया करते थे। ‘‘ संयोग से, अब तीनों भाई बहन मुंबई में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 18 वर्षीया कल्याणी ने आरंभिक प्रशिक्षण से लेकर बुधवार को यहां 53 किग्रा रजत पदक जीतने तक निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है। हालांकि यह आसान नहीं था। दो बार, उसने सेमी फाइनल में पंजाब की मनजीत कौर को पराजित किया। लेकिन फाइनल में वह हरियाणा की अंतिम के दांव को रोकने में विफल हो गई कल्याणी, जिसने 46 किलो वर्ग में केआईवाईजी पुणे संस्करण में भी रजत पदक जीता था, बताती है, ‘‘ हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से प्रसन्न हूं। मैं आम तौर पर 50 किलो वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हूं। लेकिन चूंकि यहां 49 किलो वर्ग है, इसलिए मुझे 53 किलो के वर्ग में जाना पड़ा। मैं इतने कम समय में अपना वजन कम नहीं कर सकी। ‘‘लगभग एक वर्ष पूर्व, उसे एसएआई स्कीम के तहत मुंबई के कांदिवली में प्रशिक्षण के लिए चुना गया और वह अपने सामरिक वाले खेल पर कोच श्री अमोल यादव के साथ काम कर रही है। श्री यादव ने कहा, ‘‘ वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है और उचित कोचिंग की कमी के कारण बहुत रक्षात्मक हुआ करती थी। लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हम अगले  6-10 महीने में उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार देख सकते हैं।

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केंद्र ने सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) को चरणबद्ध रूप से खत्म करने के लिए राज्यों को पत्र लिखा

देश भर के राज्य/केंद्र शसित प्रदेश और शहरी स्थानीय निकाय “क्लीन एंड ग्रीन” के व्यापक जनादेश के तहत विश्व पर्यावरण दिवस पर 5 जून, 2022 को देश को सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) से मुक्त करने के साथ-साथ पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान देने के लिए अभियान चलाएंगे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 29 मई, 2022 को राष्ट्र के नाम 89वें मन की बात संबोधन के बाद ऐसा हो रहा है, जिसमें उन्होंने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नागरिकों को एक साथ शामिल होने तथा स्वच्छता एवं वृक्षारोपण के लिए प्रयास करने का आह्वान किया था।

विश्व पर्यावरण दिवस के दोहरे जनादेश और 30 जून, 2022 तक भारत के एसयूपी पर प्रतिबंध के संकल्प को देखते हुए, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इन आदेशों को पूरा करने के लिए कई तरह की गतिविधियों को लेकर एक विस्तृत सलाह जारी की है। इनमें प्लास्टिक कचरा संग्रह पर विशेष जोर देने के साथ बड़े पैमाने पर सफाई और प्लॉगिंग अभियान शामिल होंगे, साथ ही, सभी नागरिकों  – छात्र, स्वैच्छिक संगठन, स्वयं सहायता समूह, स्थानीय गैर सरकारी संगठन/सीएसओ, एनएसएस और एनसीसी कैडेट, आरडब्ल्यूए, बाजार संघ, कॉर्पोरेट संस्थाएं, आदि की भागीदारी के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाएगा।

राष्ट्रव्यापी एसयूपी प्रतिबंध के संकल्प को लागू करने के लिए परामर्श में सुझाई गई अनेक पहलें शामिल हैं। वर्तमान में आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा  स्वच्छ भारत मिशन – शहरी 2.0 कार्यान्वित किया जा रहा है। इसके तहत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जिसमें एसयूपी का उन्मूलन शामिल है – फोकस का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। मिशन के तहत, प्रत्येक शहरी स्थानीय निकाय को कचरे के  शत-प्रतिशत स्रोत पृथक्करण को अपनाने की आवश्यकता है, और सूखे कचरे (प्लास्टिक कचरे सहित) को रीसाइक्लिंग और/या मूल्य वर्धित उत्पादों के रूप में प्रसंस्करण के लिए आगे के अंशों में विभाजित करने के लिए एक सामग्री पुनर्प्राप्ति सुविधा (एमआरएफ) तक पहुंच हो, जिससे प्लास्टिक और सूखे कचरे की मात्रा कम से कम होकर डंपसाइट्स या जलाशयों में समाप्त हो जाए।

जबकि 2,591 शहरी स्थानीय निकायों (4,704 में से) ने पहले ही केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार अधिसूचना के तौर पर एसयूपी प्रतिबंध की सूचना दी है। इसके तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि शेष 2,100 से अधिक  शहरी स्थानीय निकाय 30 जून, 2022 तक इसे अधिसूचित करें।  शहरी स्थानीय निकाय द्वारा एसयूपी ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान करने और उन्हें खत्म करने की आवश्यकता होगी, जबकि समानांतर रूप से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के समर्थन का लाभ उठाते हुए और विशेष प्रवर्तन दस्तों का गठन, औचक निरीक्षण करने और एसयूपी प्रतिबंधों को लागू करने के लिए चूककर्ताओं पर भारी जुर्माना और दंड लगाने की आवश्यकता होगी।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (पीडब्लूएम) (संशोधित) नियमावली, 2021 के अनुसार, पचहत्तर माइक्रोन (75 μ यानी 0.075 मिमी मोटाई) से कम नया या रीसायकल प्लास्टिक से बने कैरी बैग के निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जो प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियमावली, 2016 के तहत पहले अनुशंसित पचास माइक्रोन (50 μ) के स्थान पर 30 सितंबर, 2021 से प्रभावी है। इस नए प्रावधान के परिणामस्वरूप, नागरिकों को अब स्ट्रीट वेंडर, स्थानीय दुकानदारों, सब्जी विक्रेता आदि द्वारा प्रदान किए गए पतले प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग करने से रोकने और वैकल्पिक विकल्पों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन (संशोधित) नियम, 2021 के अनुसार प्रवर्तन को मजबूत करने के लिए कई पूरक पहल भी की जाएंगी। शहरी स्थानीय निकायों को बाजार में आसानी से उपलब्ध एसयूपी-विकल्पों (जैसे कपड़ा/जूट/प्लास्टिक बैग, सड़ने वाली कटलरी आदि) की पहचान करने और नागरिकों के बीच ऐसे विकल्पों के बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता होगी। बोतलबंद पेय से निपटने वाली कॉर्पोरेट संस्थाओं से अनुरोध किया जा सकता है कि वे बोतल बैंक स्थापित करें (जहां उपयोगकर्ता पीईटी बोतलों को छोड़ने के लिए भुगतान प्राप्त कर सकते हैं), और उनके विस्तारित उत्पादकों की जिम्मेदारी के हिस्से के रूप में विभिन्न स्थानों पर सब्सिडी वाले पुन: प्रयोज्य प्लास्टिक बोतल बूथ भी स्थापित करें। साथ ही, शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को एसयूपी के विकल्प प्रदान करने के लिए  थैला (बैग)/बार्टन (बर्तन) कियोस्क या भंडार स्थापित कर सकते हैं, विशेष रूप से सार्वजनिक बैठकों और त्योहारों में उपयोग के लिए, जिससे एसयूपी खपत को कम करने में मदद मिलती है। इन पहलों को एसयूपी के उपयोग को रोकने के लिए जागरूकता फैलाने और एसयूपी-विकल्पों का लाभ उठाने के लिए सभी सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और अन्य उच्च फुटफॉल क्षेत्रों में तैनात किए जाने वाले ‘स्वच्छता रथ’ के माध्यम से मजबूत किया जा सकता है।

राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों को भी पास के सीमेंट संयंत्रों या अन्य औद्योगिक इकाइयों के साथ समझौता कायम करने की सलाह दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उत्पन्न प्लास्टिक कचरे का एक हिस्सा या तो सीमेंट संयंत्रों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में या सड़क निर्माण के उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। बाद के उद्देश्य के लिए, शहरी स्थानीय निकायों या उनके लोक निर्माण विभागों को सड़क निर्माण में एसयूपी/बहुस्तरीय प्लास्टिक के उपयोग के लिए विस्तृत दिशा-निर्देशों के साथ आगे आने की आवश्यकता होगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एडवाइजरी में बड़े पैमाने पर लोगों की भागीदारी पर जोर दिया गया है, जहां सभी नागरिक श्रेणियां – निर्वाचित प्रतिनिधि जैसे मेयर और वार्ड पार्षद, स्वैच्छिक संगठन, स्थानीय एनजीओ/सीएसओ, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन, मार्केट एसोसिएशन, स्वयं सहायता समूह, छात्र और युवा एसयूपी प्रतिबंध और प्रवर्तन के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए समूहों आदि की पहचान की जानी है और उन्हें शामिल किया जाना है। शहरी स्थानीय निकाय नागरिकों को प्लास्टिक न फैलाने और प्लास्टिक को लैंडफिल में जाने से रोकने के लिए संकल्प  करने हेतु प्रोत्साहित कर सकते हैं, साथ ही मीडिया या सोशल नेटवर्क में अच्छे निपटान व्यवहार को प्रचारित करने के लिए इनाम अभियान भी चला सकते हैं ताकि दूसरों को एसयूपी उपयोग को रोकने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

इन सभी पहलों को उच्चतम स्तर पर निगरानी के लिए प्रलेखन और रिपोर्टिंग के लिए एक विस्तृत प्रोटोकॉल के माध्यम से राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और शहरी स्थानीय निकायों द्वारा दर्ज किया जाना है।

आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा स्वच्छ भारत मिशन – शहरी कार्यान्वित किया जा रहा है, जो देश के सभी वैधानिक शहरों में व्यापक स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन उपायों के माध्यम से “कचरा मुक्त शहर” बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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राष्ट्रीय महिला आयोग ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर परामर्श का आयोजन किया

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर एक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया ताकि एनआरआई पतियों द्वारा परित्यक्त भारतीय महिलाओं को राहत प्रदान करने के लिए सभी संबंधित हितधारकों को एक प्‍लेटफॉर्म पर साथ लाया जा सके और एनआरआई वैवाहिक मामलों से निपटने में आने वाली चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सके।

एनआरआई वैवाहिक मामलों में आने वाली वास्तविक चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोग ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, गैर सरकारी संगठनों और संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों जैसे पुलिस, भारतीय दूतावासों/ विदेश में मिशनों, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों, राष्ट्रीय/ राज्य / जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण आदि से विशेषज्ञों को आमंत्रित किया। परामर्श को तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था: ‘एनआरआई/ पीआईओ से विवाहित भारतीय महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं की पहचान’, ‘न्याय तक पहुंच: भारतीय न्‍याय प्रणाली में चुनौतियों का सामना’ और ‘विदेश में न्याय तक पहुंच: विदेशी न्‍याय प्रणाली में चुनौतियां’। सत्र का संचालन महिला संसाधन एवं वकालत केंद्र, चंडीगढ़ के कार्यकारी निदेशक डॉ. पाम राजपूत,  हरियाणा के डीआईजी (महिला सुरक्षा) आईपीएस सुश्री नाजनीन भसीन और एनआरआई के लिए पंजाब राज्‍य आयोग के पूर्व चेयरमैन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राकेश कुमार गर्ग ने किया। एक खुली परिचर्चा के तहत विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। परिचर्चा के दौरान विभिन्न राज्यों के शिकायतकर्ताओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। पैनलिस्टों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों में एनआरआई मामलों से निपटने वाली एजेंसियों/ पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, दूतावासों द्वारा संकटग्रस्त महिलाओं के मामले को प्राथमिकता के आधार पर उठाना, पीड़ितों के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन स्थापित करना और उन्हें विदेश कार्य मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के बारे में सूचित करना शामिल था। विशेषज्ञों ने तलाक, भरण-पोषण, बच्‍चों की परवरिश, उत्तराधिकार आदि के मामलों से संबंधित विदेशी अदालत द्वारा पारित आदेशों के पीड़ित महिलाओं पर प्रभाव के बारे में भी चर्चा की। साथ ही इस बात पर भी गौर किया गया कि भारतीय कानूनी व्‍यवस्‍था के मौजूदा प्रावधानों के तहत किस प्रकार ऐसी महिलाओं को राहत प्रदान की जा सकती है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य इस विचार-विमर्श के जरिये पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में प्रभावी कानूनी उपाय करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है।

 

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