कानपुर 5 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज कानपुर द्वारा आज 5 जून, 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें वृक्षारोपण कर छात्राओं को ज्यादा से ज्यादा प्लांटेशन करने के लिए प्रेरित किया गया। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो अर्चना श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में छात्राओं को वृक्षारोपण के महत्व के बारे में बताया। आइ क्यू ए सी इंचार्ज प्रो बंदना निगम ने कहा कि हम प्लास्टिक का प्रयोग प्रतिबंधित करके एवम् अधिक से अधिक वृक्षारोपण करके भूमंडलीय उष्मीकरण तथा जलवायु परिवर्तन के होने वाले खतरों को कम कर सकते है। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव तथा समस्त वॉलिंटियर्स का सराहनीय योगदान रहा।
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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर में कार्यक्रम का आयोजन
कानपुर 30 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय स्वरूप नगर में लायंस इंटरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन ज्ञान प्रकाश गुप्ता द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (MJF) लायन ज्ञान प्रकाश गुप्ता द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 184 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन चित्र दयाल (पी जी डी), लायन विवेक श्रीवास्तव( कैबिनेट सेक्रेटरी), लायन दिनेश्वर दयाल( कैबिनेट ट्रेजरार) लायन पवन तिवारी (डिस्ट्रिक्ट पी आर ओ) लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन वीना ऐरन ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज तृतीय चरण में पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152 पुस्तकों प्रदान की गई थीं । आगे भी आवशयक्तानुसार लायंस इंटरनेशनल क्लब , छात्राओं के लिए शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
कार्यक्रम का समापन लायन विनोद बाजपेई द्वारा धन्यवाद देकर किया गया। इस कार्यक्रम में लायन इंटरनेशनल के अन्य सदस्य लायन सुधा यादव ,लायन रेनू गुप्ता, लायन मोनिका अग्रवाल एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की सभी शिक्षिकाएं एवम पुस्तकालय प्रभारी उपस्थित रही।
डी जी कॉलेज, के इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब तथा एनएसएस द्वारा मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाते हुए मतदान हेतु शपथ दिलवा कर मतदान के लिए प्रेरित किया
कानपुर 10 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता डी जी कॉलेज, कानपुर में स्थापित इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब तथा एनएसएस द्वारा संयोजिका डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में कारगिल पार्क में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाते हुए वहां उपस्थित समस्त नागरिकों को मतदान करने हेतु शपथ दिलवाई तथा उन्हें प्रेरित किया कि मतदान करना हमारा अधिकार एवं कर्तव्य दोनों है। मतदान के द्वारा हम अपनी सरकार का चुनाव कर सकते हैं तथा समाज में जो बदलाव ला सकते हैं। देश हित में तथा एक मजबूत लोकतंत्र की स्थापना हेतु हर एक व्यक्ति को मतदान अवश्य करना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से आकांक्षा यादव, पंखुड़ी, रिद्धि, सिद्धि, फसीहा एवं निकिता आदि छात्राओं का योगदान सराहनीय रहा।
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अतुल दीक्षित
सम्पादक मुद्रक प्रकाशक
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Read More »मदर्स डे
“इसको कहा था कि ऑफिस से छुट्टी ले ले लेकिन मेरी सुनती कहां है?” रेवती गुस्से में बड़बड़ा रही थी। “छह बजे लड़के वाले आ जाएंगे इसे देखने और अभी तो इसका तैयार होना भी बाकी है और कम से कम एक नाश्ता तो अपने हाथ का बना कर रखें क्या सब बाजार का ही खिलाएंगे?” रेवती अपने पति शंकर की ओर देखते हुए बोली।
शंकर:- “कहा तो था मैंने कि जल्दी घर आ जाना, रुको! मैं फोन करता हूं उसे। आजकल ट्रैफिक भी बहुत ज्यादा रहता है कहीं फस गई होगी।”
शंकर:- “हेलो! बेटा कहां हो? घर आने में कितनी देर है? तुम्हें पता है सब फिर भी लेट कर रही हो? चलो जल्दी घर आ जाओ।”
मुस्कान:- “जी पापा! बस निकल ही रही थी, आज काम भी जरा ज्यादा था बस आधे घंटे में आ रही हूं।”
शंकर:- “हां! ठीक है ।”
(शंकर रेवती से):- “आ रही है आधे घंटे में”
रेवती:- “भगवान करे सब ठीक से निपट जाए। आज छुट्टी ले लेती तो अच्छा होता। खैर।”
करीब पौने घंटे में मुस्कान घर आई।
मुस्कान:- “सॉरी – सॉरी जरा लेट हो गई। बस! अभी दस मिनट में रेडी हो जाती हूं।” रेवती के चेहरे पर नाराजगी के भाव थे।
मुस्कान:- “मम्मी ढोकले का गोल रेडी है ना अभी बना देती हूं।”
मुस्कान:- “अरे मम्मी! क्यों गुस्सा कर रही हो सब कुछ समय पर हो जाएगा। उन्हें आने में अभी एक घंटा बाकी है तब तक सब हो जाएगा।” रेवती बिना कुछ बोले किचन में चली जाती है। करीब आधे घंटे बाद मुस्कान पटियाला सलवार कमीज पहन कर बाहर आती है। कानों में झुमके, आंखों में काजल, गले में पतली चेन, हाथों में कड़े डालकर बहुत प्यारी लग रही थी। वो सादगी में भी बहुत अच्छी दिख रही थी।
रेवती:- “अरे! लिपस्टिक क्यों नहीं लगाई और वह पेंडेंट सेट रखा था वो पहनना था बेटा! इतना सिंपल कोई तैयार होता है क्या?”
मुस्कान:- “अरे मम्मी! जैसी हूं वैसे ही रहने दो ना! बाद में कमियां निकलेंगे उससे तो अच्छा है कि मैं जैसी हूं वैसी ही देख ले मुझे।”
शंकर:- “ठीक ही तो कह रही है मुस्कान की मां और अच्छी तो लग रही है। छोड़ो यह सब, अब जाओ बेटा जल्दी से नाश्ता बना लो।”
मुस्कान:- “जी पापा!”
करीब साढ़े छह बजे लड़के वाले घर आए। आपस में एक दूसरे को अभिवादन करने के बाद बैठक में सब लोग बैठ कर औपचारिक बातचीत करने लगे। लड़की की मां:- “बहन जी बिटिया को तो बुलाईये।”
रेवती:- “जी बस! अभी आ रही है।”
रेवती अंदर जाती है और मुस्कान को साथ लेकर बाहर आती है। मुस्कान सबको नमस्ते करती है और अपने पिता के बगल में बैठ जाती है।
लड़के की मां:- “और बेटा काम कैसा चल रहा है? वैसे तो सब बायोडाटा में ही पढ़ लिया था। तुम्हारे शौक क्या-क्या है? घर के काम में दिलचस्पी रखती हो क्या? क्योंकि मेरा मानना है कि कितने ही कामकाजी और आधुनिक क्यों ना हो लेकिन घर के कामकाज आने चाहिए।”
मुस्कान:- “जी! थोड़ा बहुत तो सभी काम कर लेती हूं। खाना भी बना लेती हूं, बस सिलाई कढ़ाई वगैरह नहीं आती।
रेवती:- “पढ़ाई और फिर नौकरी में लग जाने के बाद, थोड़ा बहुत घर के काम सीखने के बाद इन सब कामों के लिए समय नहीं मिल पाता था इसे लेकिन घर के सभी काम जानती है।”
लड़के की मां:- “समझती हूं मैं! आजकल दोहरी जिम्मेदारी हो जाती है लड़कियों पर। अगर तुम लोगों को आपस में कुछ बात करनी हो तो कर सकते हो।”
मुस्कान:- “नहीं! बात करने जैसा क्या है? लेकिन मुझे अपनी एक बात आप दोनों से कहनी है।” सभी सवालिया नजरों से उसे देखने लगते हैं।
लड़के की मां:- “हां बेटा! जरूर कहो!”
मुस्कान:- “मेरे मम्मी पापा का मेरे अलावा और कोई नहीं है और मेरे जाने के बाद वो एकदम अकेले हो जाएंगे तो मैं चाहूंगी कि शादी के बाद भी मैं इनका ध्यान रखूं। उम्मीद है कि आपको आपत्ति नहीं होगी।”
लड़के की मां:- “मेरा भी एक ही बेटा है, इसके पापा की जाने के बाद हम दोनों ही एक दूसरे का सहारा है, अब तुम आ जाओगी तो मेरा एक हाथ और बढ़ जाएगा। उसी तरह मुकुल से शादी करने के बाद तुम्हारे मम्मी पापा को भी एक बेटा मिल जाएगा और तुम दोनों हम तीनों का ख्याल रखना। क्यों ठीक है ना मुकुल?”
मुकुल:- “जी मम्मी! आप बिल्कुल ठीक कह रही हैं।”
रेवती और शंकर जरा घबराये हुये थे कि कहीं रिश्ता टूट न जाए लेकिन उनका जवाब सुनकर उन्होंने चैन की सांस ली और मुस्कान की भी टेंशन खत्म हो गई थी। वह किचन में नाश्ता लाने चली गई। नाश्ते के साथ वो दो गुलाब के फूल भी साथ लाई। एक अपनी होने वाली सास को और एक अपनी मां को फूल देते हुए बोली “हैप्पी मदर्स डे” घर में खुशी का माहौल बन गया था। मुकुल भी सभी को नाश्ता परोसने में मुस्कान की मदद करने लगा। ~प्रियंकर वर्मा माहेश्वरी
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Read More »ऐसी है माँ मेरी”
इंग्लैंड मे रहने की वजह से मुझे मौक़ा नहीं मिलता है कि मैं अपनी मां के साथ “मदर डे “भारत 🇮🇳 में मना नहीं पाऊँ,
वैसे तो उनके बारे में कुछ भी कहना नामुमकिन सा लगता है बस इक कोशिश ही है जो मैं कुछ अलफ़ाज़ लिख पाई हूँ..
सिर्फ़ मेरी ही माँ नही “बल्कि सभी माँओं को मेरे ये भाव समर्पित है”🙏🙏🙏
ऐसी है माँ मेरी कुछ भी साथ हो उसके …अच्छा या बुरा… तो रब की मर्ज़ी समझ कर ह्रदय से स्वीकारतीं है।
किसी बात पर दुखी न होना ..न कोई बात दिल से लगाती है …ऐसा ही होना था क़िस्मत मे ..बस यही बात समझाती है …
मेरी माँ को बहुत इँगलिश बोलनी तो आती नहीं ..मगर फिर भी सिर उठा कर मुझे जीना सिखाती है ..
“फोरगैट दा पास्ट ऐंड मूव ओन“ यही मंत्र वो मुझे सिखाती है पास्ट को गर न भूलोगे तो आगे कैसे बढ़ोगे तुम .. इक सैनिक की तरह तन कर मुझ को फिर बड़े प्यार से समझाती है कभी कभी हाथों को अपने आसमान की ओर फैलाती है फिर आँखे बंद करके यही बात दोहराती है “झोली भरी है मेरे मौला की ..
जब मर्ज़ी होगी तब वो देगा । संभाल न पायेगा तू जब बारिशे होंगी रहमत की .. अपने विश्वास से ही फिर वो .. ढाढ़स मुझे बँधाती है ..
🌹🌹🌹 ऐसी है माँ मेरी 🌹🌹🌹 कर्मकांड नहीं आता उसको .. बस … मीरा बन कर … अपने गिरधर को रिझाती है रब के हर रंग में ख़ुश रहती है वो .. “शुक्र शुक्र .., मेरे मौला का ..”🙏 दिन रात ये आलाप लगाती है .. “हाथ की तो कोई तेरे खींच भी लेगा .. तेरे माथे की छीन सके न कोई “ भोली सी सूरत ले फिर ये भी बात समझाती है .. करने दे तू … उसको अपना काम .. तू अपने काम पर ध्यान दे .. फिर देख.. तेरी मेहनत .. तेरी क़िस्मत कैसे रंग लाती है लाडो से भरी माँ मेरी हर पल मुझ से लाड लडाती है
लेखिका स्मिता ✍️
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Read More »डी जी कॉलेज द्वारा किया गया कानपुर दर्शन यात्रा का आयोजन
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर के द्वारा उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन , कमिश्नर, कानपुर नगर तथा क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी, कानपुर मंडल, कानपुर नगर के निर्देशन में कानपुर नगर के ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, व्यावसायिक एवं शैक्षणिक पर्यटन को बढ़ावा देने एवं छात्र-छात्राओं के मध्य उसके व्यापक प्रचार प्रसार हेतु स्थापित किए गए युवा पर्यटन क्लब के सौजन्य से क्लब की कोऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही के कानपुर दर्शन यात्रा का आयोजन किया गया । जिसमें महाविद्यालय की 32 छात्राओं ने प्रतिभाग किया । इस यात्रा के दौरान छात्राओं ने अटल घाट पर स्वच्छता अभियान भी चलाया। कानपुर दर्शन यात्रा में मुख्य रूप से गंगा बैराज, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, इस्कॉन टेंपल, ब्रह्मव्रत घाट, ब्रह्मा जी की खूंटी, लव कुश जन्मस्थली, ध्रुव टीला, नाना राव पेशवा स्मारक पार्क, ग्रीन पार्क स्थित विजिटर्स गैलरी एवं म्यूजियम, मोतीझील स्थित कारगिल पार्क, ओपन जिम एवं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एरेना पार्क तथा कानपुर विश्वविद्यालय का भ्रमण कराया गया। साथ में उपस्थित गाइड कार्तिकेय सिंह ने समस्त स्थानो के बारे में छात्राओं को विस्तार पूर्वक जानकारियां दी। कानपुर दर्शन यात्रा को सफलतापूर्वक संचालित करने में नगर निगम अधिकारी श्री शशांक दीक्षित जी एवं महाविद्यालय प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा तथा कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव का सहयोग सराहनीय रहा।
Read More »किटी पार्टी
बालकनी में दाल सूखने के लिए रखी हुई थी। शाम होने को आई सोचा उठा लूं, बहू को आने में पता नहीं अभी और कितना वक्त लगेगा? छत पर पहुंची ही थी कि पड़ोसन सीमा ने आवाज दी, “अरे सविता भाभी आजकल दिखाई नहीं देती? तबीयत तो ठीक है ना?”
सविता:- “अब क्या बताऊं बहन बहू लाकर भी सुख नसीब में नहीं है।”
सीमा:- “क्यों क्या हो गया भाभी?”
सविता:- “उसे अपने सजने संवरने और घूमने – फिरने से ही फुर्सत नहीं मिलती। बेटे के सामने तो भली बनी रहती है और कामकाज का तो पूछो ही मत! मनमर्जी है बस।”
सीमा:- “आजकल ऐसा ही जमाना है भाभी। किसी को क्या कह सकते हैं। मुंह बंद रखने में ही भलाई है।”
सविता:- “हां सो तो है। चलो जाती हूं अपनी चाय तो बना लूं मैं! दूसरों को भरोसे कब तक बैठी रहूंगी।”
सीमा:- “हां भाभी।”
शाम के 7:00 बज गए थे और लीना अभी तक नहीं आई थी। 7:20 को लीना ने घर में कदम रखा।
सविता:- “अरे लीना आज तो बहुत देर हो गई? कहां रह गई थी?”
लीना:- “अरे! मम्मी जी वो बस विम्मी के यहां से निकलने में जरा देर हो गई थी और आज ट्रैफिक भी बहुत था। मैं आपके लिए चाय बना देती हूं।”
सविता:- नहीं, रहने दो। मैंने पी ली है। तुम तो खाना खाकर आई होगी ना।”
लीना:- “जी मम्मी! आप सबके लिए आलू के पराठे और रायता बनाने वाली हूं।”
सविता:- “ठीक है एक घंटा तो लग ही जाएगा? कुछ काम हो तो बोल देना।”
लीना:- “जी।”
लीना जल्दी-जल्दी कपड़े चेंज करके किचन में आ गई । दोपहर में ही आलू उबालकर मसाला बनाकर रख दिया था और आटा गूंथकर फ्रिज में रख दिया था, रायता भी दोपहर को ही रेडी करके रख दिया था तो इस समय मुझे बड़ी शांति थी, एकदम से दौड़भाग नहीं करनी पड़ी।
लीना:- “मम्मी जी! खाना तैयार हो गया है पापा जी को भी बोल दीजिए। आप दोनों ही खाने के लिए बैठें।”
सविता:- “इतनी जल्दी तैयार हो गया!”
लीना:- “वो मैंने दोपहर को ही तैयारी कर ली थी इसलिए फटाफट रेडी हो गया।”
सविता:- “हमारे जमाने में यह किटी विटी नहीं होती थी। महीने में तीन चार बार तो बाहर ही खाती हो और यह क्या अलग-अलग से कपड़े पहनती रहती हो? ढंग के कपड़े पहना करो।”
(लीना हंसते हुए) “मम्मी किटी में थीम रखी जाती है तो उसी हिसाब से सबको वैसे ही कपड़े पहनने होते हैं।”
सविता:- “सब एक जैसे बंदर बन जाते हैं क्या? और वो हंसने लगती है।
लीना:- “बंदर तो नहीं लेकिन जंगल में मंगल मनाने का आनंद आता है” और बिना कुछ कहे किचन में चली जाती है।
लीना काम करते-करते मन ही मन कुढ़ते रहती है। इनको मेरा खुश रहना भी अच्छा नहीं लगता। दोस्तों के साथ कुछ समय गुजार लेती हूं तो कुछ समय घर और टेंशन दोनों से दूर हो जाती हूं लेकिन इन्हें नहीं सुहाता। बस घर में पड़े रहो काम करो और बातें सुनो इनकी। तभी डोरबेल बजती है और वो दरवाजा खोलती है तो सामने विकी खड़ा था। विकी के अंदर आते ही लीना दरवाजा बंद करके पूछती है कि, “आइसक्रीम लाने के लिए कहा था आप लेकर नहीं आए?”
विकी:- (कपड़े बदलते हुए) अभी खाना खाकर जब वॉक पर चलेंगे तो लेते आएंगे।”
लीना:- “ठीक है”।
विकी:- “कैसी रही तुम्हारी किटी?”
लीना:- “अच्छी रही! बहुत मजा आया, खाना भी अच्छा था। पता है मैं दो बार जीती में गेम में!”
विक्की मुस्कुरा देता है और कहता है, “अब तुम तो खाना खा चुकी हो, अब इस भूखे को भी जल्दी से खाना खिला दो।”
(लीना हंसते हुए) “हां भई हां ! चलो तैयार है खाना।”
खाना खाकर दोनों वाक पर चले जाते हैं।
सविता:- “लो! अब फिर से चली गई? यह नहीं कि मेरी दवाई और कमरे में पानी रख कर जाती?” सविता का पति:- अरे भाग्यवान! एक दिन कुछ काम तुम भी कर लिया करो क्यों उसके पीछे पड़ी रहती हो? रोज तो वही करती है।”
सविता:- “आप तो चुप ही रहो! जब देखो उसका पक्ष लेते रहते हैं। पतिदेव ने मोबाइल में सर झुका लिया।
वापस आते हुए विकी और लीना आइसक्रीम लेते हुए आए।
लीना:- “मम्मी जी! आइसक्रीम!”
सविता:- “फ्रिज में रख दो… अभी खाऊंगी तो रात में खांसी आएगी। कल दोपहर में खा लूंगी तेरे पापा को दे दो जाकर, मेरी दवाई और पानी कमरे में रखती जाओ।
लीना:- “जी!”
सुबह लीना घर के सभी काम जल्दी-जल्दी निपटाती जा रही थी। उसे मार्केट जाना था।
लीना:- “मम्मी जी! फ्रूट और टेलर के अलावा मीना आंटी के यहां से क्या लाना है आपके लिए और फ्रूट में क्या लेती आऊं?”
सविता:- “मीना मसाले देने वाली थी और कुछ मुखवास मंगवाई थी वो लेती आना और सुन टेलर को डांटना! बोलना कि आजकल सिलाई बराबर नहीं कर रहा और महंगा भी बहुत कर दिया है और फ्रूट कुछ भी ले आओ लेकिन तुम्हारे पापा जी के लिए सेब और केला जरूर लेती आना।”
लीना:- “जी।”
बाजार के काम निपटाते-निपटाते लीना को शाम के 5:00 बज गए।
सविता:- ” जाने कहां रह गई यह? बाहर जाती है तो पंख लग जाते हैं। जरा से काम के लिए पूरा दिन लगा दिया।” तभी लीना घर में आती है।
सविता:- “अरे ! बहुत देर लगा दी कहां रह गई थी?
लीना:- “कहीं नहीं, बस मीना आंटी और टेलर के पास ही देर हो गई। मेरा भी काम था बाजार में तो लेट हो गया।”
सविता:- “चाय बना दूं?”
लीना:- “ओह! नहीं मैं बनाती हूं सबके लिए।”
(लीना के ससुर):- “अरे सविता! तू ही चाय बना लेती। वह अभी तो आई है बाहर से थक कर।”
सविता:- “बोला तो था मैंने पर वह खुद बनाने चली गई।”
(लीना के ससुर):- “गलत बात है, लीना के आने के बाद से तुम बहुत आलसी हो गई हो।”
सविता:- “हां सारी बुराई मुझमें में ही है।” ससुर उठ कर बाहर चले जाते हैं।
कुछ दिन बाद लीना का अपनी सहेलियों के साथ गेट टूगेदर का प्रोग्राम बनता है।
लीना:- “मम्मी जी! मैं अपनी सहेलियों के पास जा रही हूं। शाम के खाने की तैयारी कर दी है, आकर फुलके के उतार दूंगी।”
सविता:- “अरे कितनी किटी होती है तुम्हारी महीने में? अभी कुछ दिन पहले ही तो गई थी।”
लीना:- “जी! दो हैं। कभी-कभी दोनों की तारीख आसपास आ जाती है।” लीना कमरे में चली आती है। उसका मूड खराब हो गया था।
शाम को लीना ने हल्के नीले रंग की साड़ी पहनी और उससे मैचिंग ज्वैलरी पहन कर तैयार हो गई। बालों में जूड़ा बनाया और एक गुलाब का फूल लगाकर खुद को कांच में देखने लगी और मन ही मन खुद से कहने लगी, आज का बेस्ट ड्रेसिंग प्राइज मैं ही जीतूंगी। उसने घड़ी देखा और पर्स लेकर बाहर निकली।
लीना:- “मम्मी जी! मैं जा रही हूं 7:00 बजे तक आ जाऊंगी।”
सविता:- “अरे इतना तैयार होकर जाना पड़ता है क्या तुम्हारी किटी में?”
(लीना हंसते हुये) “मम्मी जी थीम के हिसाब से कपड़े पहने होते हैं। आज के नीले रंग की साड़ी पहननी है और जो सबसे अच्छा तैयार होगा उसे प्राइज मिलेगा।”
सविता:- “जाने क्या-क्या करते हो तुम लोग? हमारे जमाने में तो यह सब था नहीं तो हम क्या जाने? ठीक है जाओ।”
लीना सहेलियों के बीच पहुंचती है। सभी एक दूसरे से बहुत गर्मजोशी से मिलती है।
एक सहेली लीना से:- “क्यों लेट हो गया तुझे?”
लीना:- “घर है और घर पर सास है, मोगैंबो को खुश करके ही घर से निकल सकती हूं।” सब जोर से हंसने लगती है।
दूसरी सहेली:- “हां यार यह किटी ना हो तो लाइफ बोरिंग हो जाए यही कुछ समय होता है हमारे पास जब हम घर भूल जाते हैं और मजे करते हैं और फिर एक नई एनर्जी के साथ वापस घर जाते हैं।” सभी भावुक हो कर सहमति का भाव जताती हैं। अपनी बातचीत, गेम, फोटो शोटो लेने और खाने पीने में लीना को लेट होने लगा। लीना बोली, अरे! पार्टी जल्दी खत्म करो घर भी जाना है।” फिर कुछ देर में सभी एक दूसरे को बाय बाय करके अपने घर जाने लगीं।
लीना रास्ते में घर पहुंचने पर अपने काम का खाका का खींच रही थी कि पहले किचन का काम फिर बाद में दूसरे काम कि तभी उसकी गाड़ी बंद हो गई। एक तो लेट हो रहा था और दूसरे बीच रास्ते में गाड़ी बंद हो गई। वह परेशान हो गई उसने तुरंत घर पर फोन लगाया लेकिन सिग्नल नहीं होने के कारण फोन नहीं लग रहा था। उसने विकी को फोन करके सब बताया और कहा कि घर में मम्मी पापा को बता दो नहीं तो वो परेशान होंगे। वो गाड़ी खींचकर मैकेनिक के पास ले गई और ठीक करवा कर घर लौटी। घर पहुंच कर देखा कि उसकी सास नाराज होकर बैठी है।
सविता:- “समय देख रही हो क्या हो रहा है? 9:00 बज रहे हैं और तुम्हारा कोई ठिकाना नहीं?”
लीना:- “मैंने फोन लगाया था लेकिन आपका फोन नहीं लग रहा था तो मैंने विक्की को फोन करके कह दिया था कि वह आपको बता दे।”
सविता:- “हां! आया था फोन लेकिन कितनी देर हो गई? गाड़ी बनने छोड़कर ऑटो से ही आ जाती तुम लेकिन नहीं तुम्हारी मौजमजा ज्यादा जरूरी है। हम भले यहां भूखे मरते रहे। घर के सारे काम पड़े हैं और तुम घूमती रहो।”
लीना को रोना आ गया वह कमरे में आ गई और दरवाजा बंद कर लिया। कुछ देर में विकी भी आ गया। उसे घर का माहौल कुछ भारी लगा। उसने लीना को आवाज दी मगर वह नहीं आई तो वह अपने कमरे की ओर गया और दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खोलते ही लीना विकी पर बरस पड़ी।
लीना:- “तुम बताओ! कि मैं घर पर कौन सा काम नहीं करती हूं? कौन सी जिम्मेदारी से पीछे हटती हूं या मेरी वजह से किसी को कोई तकलीफ पहुंचती है? जहां तक हो सकता है मैं सब मैनेज करती हूं, फिर भी कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ कमियां गिना ही दी जाती है मुझे। मेरा घर से बाहर जाना किटी में मौजमजा करना मम्मी जी को अखरता है। जब देखो ताना मारते रहती हैं। अरे घर से कुछ देर के लिए सहेलियों के साथ मजे करने जाती हूं तो कौन सा गुनाह करती हूं। मैं तो नहीं करती दूसरी औरतों की तरह सोसाइटी में जाकर सास की बुराई। मैं भली मेरा घर भला। रास्ते में गाड़ी खराब हो गई तो इसमें मेरा क्या दोष? एकआध दिन निभा नहीं सकते क्या?”
विकी, सविता और लीना के ससुर सब चुपचाप सुन रहे थे। उस दिन सब बिना खाए अपने कमरे में चले गए।
(लीना के ससुर):- ” तुम भी न बिना वजह का हंगामा खड़ा कर देती हो, ना तुमको खाना बनाना और न ही दूसरे काम करने होते हैं। सब लीना ही करती है। फिर गाड़ी खराब हो गई तो उसने मैसेज भिजवा दिया था न कि लेट होगा फिर क्यों तमाशा किया? विकी का सोचो काम करके आया है थक गया होगा लेकिन भूखा सो गया और ऐसे में कल फिर से भूखा काम पर जाएगा घर का टेंशन लेकर? यह सही है क्या? क्या हो गया जो लीना महीने में दो बार अपनी सहेलियों के साथ समय बिताती है। यह तो अच्छा है कि फालतू औरतों की तरह तो उधर भटकती नहीं। इधर-उधर तुम्हारी बुराई नहीं करती है। कल को विकी को लेकर लीना अलग हो गई तो?” अब सविता जरा घबरा गई।
सुबह-सुबह सविता जल्दी उठ गई और किचन में गई तो देखा कि लीना चाय बनाने की तैयारी कर रही है।
सविता बालकनी में लगे तुलसी के पौधे से पत्तियां तोड़कर ले आई और धो कर लीना को देती हुई बोली, “चाय में डाल दो सबका सर दर्द सही हो जाएगा और कल के लिए सॉरी। ज्यादा लेट हो गया था तो परेशान हो गई थी।”
लीना हल्के से मुस्कुराई और सबके लिए चाय और बिस्किट लेकर बालकनी में आ गई। सबने चाय पी तो मन हल्का हो गया। लीना के ससुर मुस्कुराते हुए अखबार के पन्ने पलट रहे थे।
प्रियंका वर्मा माहेश्वरी
Read More »छात्राओं ने जाने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स
भारतीय स्वरूप संवाददाता एस सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित “8 lecture 8 साइंटिस्ट्स “ के छठे दिन दिनांक 27.04.2024 को दलहन अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आर के मिश्रा ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट पर व्याख्यान दिया। माँ सरस्वती को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके आज के व्याख्यान का शुभारंभ हुआ । डॉ आर के मिश्रा , डॉ गार्गी यादव एवं डॉ प्रीति सिंह ने दीप प्रज्वलित किया ।
डॉ मिश्र ने कहा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट किसी भी इंसान का वह अधिकार है जिसके द्वारा अपने मस्तिष्क की हर नयी खोज को वो उसको तुरंत अपने नाम से सुरक्षित कर सकता है। उनके अनुसार सब नयी खोज को पेटेंट अवश्य करवाना चाहिए । १९७० में एक पेटेंट एक्ट बनाया गया जिसकी जानकारी कर पेटेंट के लिए आवेदन करना चाहिए । डिज़ाइन, प्लांट, प्रोसेस किसी भी चीज़ का पेटेंट किया या सकता है। पेटेंट फाइल करने के १८ महीने बाद वो पब्लिश हो जाता है और यदि कोई ऑब्जेक्ट नहीं करता तो पेटेंट ग्रांट हो जाता है।अगर कोई नया रिटेन मटेरियल , गीत संगीत आदि हो तो कॉपीराइट करना चाहिए इसी प्रकार कोई लोगो ,आइकन आदि का ट्रेडमार्क रजिस्टर करवाना चाहिए
जी आई अर्थात् ज्योग्राफिकल इंडिकेशन को भी रजिस्टर करवाना चाहिए जो किसी स्थान की विशेष उत्पाद या कला हेतु लागू होता है। इस इंटरैक्टिव और ज्ञान से भरपूर व्याख्यान को सुनकर छात्राये जोश से भर गई । विज्ञान संकाय की छात्राओ , शिक्षिकाओं के अतिरिक्त श्री अवधेश ने भी पूर्ण मनोयोग से सहयोग किया ।
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अतुल दीक्षित
सम्पादक मुद्रक प्रकाशक
दैनिक भारतीय स्वरूप (उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र से प्रकाशित)
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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय एवं छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय (बहुविषयक) राष्ट्रीय संगोष्ठी Vibrant India@ 2047% Gateway to Social Economic Progress’ का आयोजन
भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर (केवीएम) महिला महाविद्यालय स्वरूप नगर के समाजशास्त्र विभाग द्वारा दिनांक 27/04/2024 एवं 28/04/2024 को छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय (बहुविषयक) राष्ट्रीय संगोष्ठी Vibrant India@ 2047% Gateway to Social Economic Progress’ का आयोजन किया जा रहा है. राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि माननीय श्री योगेन्द्र उपाध्याय उच्च शिक्षा मंत्री, उत्तर प्रदेश, विशिष्ट अतिथि श्री श्रीराम जी, प्रांत प्रचारक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कानपुर, माननीय प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, कुलपति छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर हैं. गुरुवार को आयोजित प्रेसवार्ता में प्रिंसिपल प्रोफेसर पूनम विज ने बताया कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य स्वतंत्र भारत के 2047 में सौ वर्ष पूर्ण होने पर भारत की सामाजिक और आर्थिक प्रगति और वैश्विक स्तर पर इसकी भूमिका पर चर्चा करना है. प्रोफेसर बिजली बताया कि अभी तक 300 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जिसमें 100 ज्यादा रजिस्ट्रेशन बाहर जिले और प्रदेश से आने वाले लोगों के हैं. 27 अप्रैल को सुबह 10:00 बजे इनॉग्रेशन सेशन के बाद सिंपोजियम होगा जिसमें सीएसजेएमयू के सीडीसी डायरेक्टर प्रोफेसर आर के द्विवेदी, डीएवी कॉलेज के प्रोफेसर विक्रमादित्य राय, मास्को से संजय कुमार तिवारी और बीएचयू से प्रोफेसर अरविंद कुमार द्विवेदी आदि रहेंगे. 27 और 28 दोनों दिन पेपर प्रेजेंटेशन होगा. दूसरे दिन के सेशन के चीफ गेस्ट क्रिस्प संस्था के अध्यक्ष प्रोफेसर बलराज चौहान होंगे. पार्टिसिपेट्स की बात करें तो बिहार, एमपी, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, झारखंड, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान आदि से लोग आ रहे हैं. इसके अलावा मैरीलैंड यूनिवर्सिटी से दो पार्टिसिपेट ऑनलाइन पेपर प्रजेंट करेंगे.
सेमिनार के संयोजिका डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला ने बताया कि संगोष्ठी में भारत के प्रमुख संस्थानों के समाजशास्त्र एवं अन्य विषय के प्रबुद्ध जन अधिक संख्या में प्रतिभाग कर रहे है, जिसमें एंटरप्रेन्योर, बैंकर, रिसर्च स्कॉलर और रेलवे बोर्ड के मेंबर आदि शामिल है. सेमिनार के बाद एक कंक्लुजन रिपोर्ट बनाकर यूनिवर्सिटी को दी जाएगी. सेमिनार वाले दिन ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन की फैसिलिटी भी अवेलेबल रहेगी. कॉन्फ्रेंस में डॉक्टर शोभा मिश्रा और नेहा सिंह मौजूद रही!
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Read More »एस एन सेन महाविद्यालय में आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI )मशीन लर्निंग (ML )इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स अर्थात् (आई ओ टी) ,हार्डवेयर बोर्ड्स ,सेंसर , एप्लीकेशन प्रोटोकॉल पर व्याख्यान आयोजित
भारतीय स्वरूप संवाददाता एस एन सेन ब वि पी जी कॉलेज में चल रही आठ दिवसीय व्याख्यान माला के तीसरे दिन दलहन अनुसंधान संस्थान के डॉ मनमोहन देव का व्याख्यान हुआ ।
व्याख्यान का शुभारंभ माँ सरस्वती के वंदन और माल्यार्पण के साथ हुआ । डॉ देव , प्रो सुमन , प्रो गार्गी यादव ,डॉ प्रीति सिंह ने दीप प्रज्वलित किया
डॉ मनमोहन देव का व्याख्यान मुख्यतः आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस (AI )मशीन लर्निंग (ML )इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स अर्थात् (आई ओ टी) ,हार्डवेयर बोर्ड्स ,सेंसर , एप्लीकेशन प्रोटोकॉल ,पीथन, ज्यूपिटर नोटबुक, कूगर आदि के बारे में जानकारी दी ।आज ९ बिलियन आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस डिवाइस हैं पर ये इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है कि २०२५ तक १९ बिलियन होने की संभावना है।सुपरवाइज्ड लर्निंग और अनसुपर्विज़्ड लर्निंग में क्या अंतर है। किस प्रकार डीआईएस फोरकास्ट और वेदर फोरकास्ट होता है ।कोई भी सेंसर अल्ट्रासोनिक वेव के सिद्धांत पर कैसे काम करता है।ड्रोन और कृषि में उसका उपयोग , प्रधानमंत्री जी की योजना महिला किसान ड्रोन निधि और डिजिटल स्काई की जानकारी दी साथ ही ड्रोन ख़रीदने के लिए सरकार की नियमावली भी बतायी।नयी नयी जानकारी पाकर छात्राओ की ख़ुशी देखते ही बनती थी। व्याख्यान में डा शैल बाजपेयी , डॉ शिवंगी यादव ,डॉ अमित सिंह ,डॉ रश्मि गुप्ता तथा श्री अवधेश मुख्य रूप से उपस्थित रहे ।
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