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महिला जगत

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द की और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित किया गया

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा 18 जुलाई, 2024 को सिविल सेवा परीक्षा-2022 (सीएसई-2022) की अनंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवार सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया था। इस नोटिस में अपनी पहचान को गलत तरीके से पेश करके परीक्षा नियमों में निर्धारित प्रदत्त सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए उन्हें 25 जुलाई, 2024 तक एस.सी.एन. में अपना जवाब प्रस्तुत करना था। हालांकि, उन्होंने 04 अगस्त, 2024 तक का अतिरिक्त समय मांगा था, ताकि वह अपने जवाब के लिए आवश्यक दस्तावेज एकत्र कर सकें।

2. यूपीएससी ने सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, उन्हें 30 जुलाई, 2024 को दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया गया, ताकि वे एस.सी.एन. में अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें। सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को यह भी स्पष्ट रूप से बता दिया गया कि यह उनके लिए अंतिम अवसर है और इससे आगे उन्हें कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा। उन्हें स्पष्ट शब्दों में यह भी बताया गया कि यदि उपरोक्त तिथि/समय तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यूपीएससी उनसे कोई और संदर्भ लिए बिना आगे की कार्रवाई करेगा। उन्हें दिए गए अतिरिक्त समय के बावजूद, वह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रहीं।

3. यूपीएससी ने उपलब्ध अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच की है और उसे सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया। सीएसई-2022 के लिए उसकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी आगामी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है।

4. सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को देखते हुए, यूपीएससी ने वर्ष 2009 से 2023 यानि 15 वर्षों के सीएसई के 15,000 से अधिक अंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवारों के उपलब्ध अभिलेखों की उनके द्वारा प्राप्त प्रयासों की संख्या के संबंध में गहन जांच की। इस विस्तृत जांच के बाद, सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को छोड़कर, किसी अन्य उम्मीदवार को सीएसई नियमों के तहत प्रदत्त संख्या से अधिक प्रयासों का लाभ उठाते हुए नहीं पाया गया है। सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के एकमात्र मामले में, यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उसके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी क्योंकि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। यूपीएससी एसओपी को और सशक्त करने की प्रक्रिया में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा ना आ सके।

5. जहां तक ​​झूठे प्रमाणपत्र (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों) जमा करने की शिकायतों का सवाल है, यूपीएससी यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह प्रमाण पत्रों की केवल प्रारंभिक जांच करता है, जैसे कि प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है या नहीं, प्रमाण पत्र किस वर्ष से संबंधित है, प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि, प्रमाण पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है या नहीं, प्रमाण पत्र का प्रारूप आदि। आम तौर पर, यदि प्रमाणपत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, तो उसे असली माना जाता है। यूपीएससी के पास हर साल उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए हजारों प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच करने का न तो अधिदेश है और न ही साधन। हालांकि, यह समझा जाता है कि प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच और सत्यापन का कार्य कार्य सौंपे गए अधिकारियों द्वारा किया गया है।

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यूनियन बजट – 2024 में युवा एवं महिलाओं के कौशल विकास एवं रोजगार हेतु किए गए विशेष प्रावधान

कानपुर 29 जुलाई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में एनएसएस वालंटियर्स एवं अन्य छात्र छात्राओं को बजट 2024 में युवाओं के कौशल विकास , रोजगार एवं महिला सशक्तिकरण हेतु विशेष रूप से किए गए प्रावधानों पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें सभी वॉलिंटियर्स ने सक्रिय सहभागिता की तथा अपने-अपने विचार रखें। कार्यक्रम अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि आत्मनिर्भर भारत , मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया , एवम् स्किल इंडिया आदि योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए छात्राओं को बताया गया कि किस प्रकार से युवा खासकर महिलाएं एवं युवतियां किस प्रकार से , कहां से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकती हैं तथा अपना रोजगार (स्टार्टअप) प्रारंभ कर स्वयं आत्मनिर्भर बन सकती हैं तथा अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कर देश के आर्थिक विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज ने जागरूकता अभियान चलाकर नशा मुक्त भारत बनाने का संदेश दिया

कानपुर 26 जुलाई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत आज दिनांक 26 जुलाई 2024 को एन एस एस वॉलिंटियर्स के द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा जागरूकता अभियान चलाकर नशा मुक्त भारत बनाने का संदेश आम जन जन तक पहुंचाया गया। इस अवसर पर छात्राओं ने स्लोगन राइटिंग, डिबेट पोस्टर मेकिंग आदि प्रतियोगिताएं की। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो वंदना निगम तथा सेल्फ फाइनेंस डायरेक्टर प्रो अर्चना वर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। वॉलिंटियर्स के द्वारा लोगों को नशे से होने वाली हानि जैसे रोड एक्सीडेंट्स तथा गंभीर रोगों कैंसर , टीवी, फेफड़ों के अन्य रोग, त्वचा संबंधी रोग तथा विभिन्न प्रकार की एलर्जी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारियां दी गई ।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में एक पेड़ मां के नाम तथा पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ अभियान के अंतर्गत किया गया पौधारोपण

दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के स्वयंसेवकों द्वारा एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत वृहद पौधारोपण किया गया । इस वर्ष की थीम “पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ” के आधार पर समस्त वॉलिंटियर्स एवं प्राध्यापिकाओं ने पौधारोपण करते हुए निरंतर प्रयास से पेड़ो को बचाए रखने हेतु संकल्प लिया । इस अवसर पर उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशानुसार मातृ वाटिका का निर्माण भी किया गया। लगाए गए पौधों में मुख्यतः सागौन , आम , जामुन इमली, नीम , पीपल , पाखड़ , नींबू इत्यादि रहे। इस अवसर पर कुछ पौधे मातृ वाटिका में लगाए गए तथा कुछ पौधे छात्राओं को वितरित किए गए ताकि वह अपने घर, आंगन या प्रांगण में वह पौधा लगाकर उसकी रक्षा करें तथा उसे पाल पोसकर बड़ा करें।
इस अभियान के अंतर्गत आज यह दूसरा चरण था जिसमें कुल 50 पौधे लगाए गए प्रथम चरण में भी 50 पौधे स्वयं सेविकाओं को लगाने हेतु वितरित किए गए थे। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो वंदना निगम में छात्राओं को वृक्ष लगाने तथा उनकी सुरक्षा करने के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इस अवसर पर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग, रसायन शास्त्र विभाग, भूगोल विभाग की समस्त प्राध्यापिकाओं समेत आइक्यूएसी इंचार्ज प्रो सुगंधा तिवारी एवं अलका श्रीवास्तव उपस्थिति रही। राष्ट्रीय सेवा योजना की 56 छात्राओं के द्वारा मातृ वाटिका के निर्माण में सक्रिय योगदान किया गया।

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‘केंद्रीय बजट 2024-25’ की तैयारियों का अंतिम चरण आज नई दिल्ली में ‘पारंपरिक हलवा समारोह’ के साथ शुरू हुआ

केंद्रीय बजट 2024-25 तैयार करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण को रेखांकित करने वाला ‘हलवा समारोह’ आज नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी की उपस्थिति में आयोजित किया गया।

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बजट की तैयारी में शामिल अधिकारियों की ‘लॉक-इन’ प्रक्रिया शुरू होने से पहले हर साल ‘पारंपरिक हलवा समारोह’ आयोजित किया जाता है। ‘केंद्रीय बजट 2024-25’ को 23 जुलाई, 2024 को पेश किया जाएगा।

वार्षिक वित्तीय विवरण (जिसे आम तौर पर बजट के रूप में जाना जाता है), अनुदान मांग (डीजी), वित्त विधेयक, इत्‍यादि सहित समस्‍त केंद्रीय बजट दस्तावेज भी ‘केंद्रीय बजट मोबाइल ऐप’ पर उपलब्ध होंगे, ताकि डिजिटल सुविधा के सबसे सरल रूप का उपयोग करके बजट दस्तावेजों को सांसदों (एमपी) और आम जनता को बिना किसी परेशानी के सुलभ कराया जा सके। यह ऐप द्विभाषी (अंग्रेजी एवं हिंदी) है और यह एंड्रॉयड एवं आईओएस दोनों ही प्लेटफॉर्मों पर उपलब्ध होगा। इस ऐप को केंद्रीय बजट वेब पोर्टल (www.indiabudget.gov.in)  से भी डाउनलोड किया जा सकता है।

23 जुलाई, 2024 को संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री का बजट भाषण पूरा हो जाने के बाद ही समस्‍त बजट दस्तावेज इस मोबाइल ऐप पर उपलब्ध होंगे।

हलवा समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री के साथ वित्त मंत्रालय के सचिव और बजट की तैयारी में शामिल भारत सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी मौजूद थे।

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इस समारोह के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री ने ‘बजट प्रेस’ का भी मुआयना किया और बजट की तैयारियों की समीक्षा करने के अलावा संबंधित अधिकारियों को अपनी शुभकामनाएं भी दीं।

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योग गठिया के रोगियों को राहत पहुंचा सकता है

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि योगाभ्यास से गठिया (रूमेटाइड अर्थराइटिस-आरए) के रोगियों के स्वास्थ्य में काफी सुधार आ सकता है।

आरए एक पुरानी ऑटोइम्यून बीमारी है जो जोड़ों में सूजन का कारण बनती है। यह जोड़ों को नुकसान पहुंचाती है और इस रोग में दर्द होता है। इसके कारण फेफड़े, हृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य अंग प्रणालियां भी प्रभावित हो सकती हैं। परंपरागत रूप से, योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला, एनाटॉमी विभाग और रुमेटोलॉजी विभाग एम्स, नई दिल्ली द्वारा एक सहयोगी अध्ययन ने गठिया के रोगियों में सेलुलर और मोलेक्यूलर स्तर पर योग के प्रभावों की खोज की है। इससे पता चला है कि कैसे योग पीड़ा से राहत देकर गठिया के मरीजों को लाभ पहुंचा सकता है।

पता चला है कि योग सेलुलर क्षति और ऑक्सीडेटिव तनाव (ओएस) को नियंत्रित करके सूजन को कम करता है। यह प्रो- और एंटी-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स को संतुलित करता है, एंडोर्फिन के स्तर को बढ़ाता है, कोर्टिसोल और सीआरपी के स्तर को कम करता है तथा मेलाटोनिन के स्तर को बनाए रखता है। इसके जरिये सूजन और अतिसक्रिय प्रतिरक्षा प्रणाली चक्र का विघटन रुक जाता है।

मोलेक्यूलर स्तर पर, टेलोमेरेज़ एंजाइम और डीएनए में सुधार तथा कोशिका चक्र विनियमन में शामिल जीन की गतिविधि को बढ़ाकर, यह कोशिकाओं की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। इसके अतिरिक्त, योग माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाता है, जो ऊर्जा चयापचय को बढ़ाकर और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करके टेलोमेर एट्रिशन व डीएनए क्षति से बचाता है।

डीएसटी द्वारा समर्थित, एम्स के एनाटॉमी विभाग के मोलेक्यूलर री-प्रोडक्शन एंड जेनेटिक्स प्रयोगशाला में डॉ. रीमा दादा और उनकी टीम द्वारा किए गए एक अध्ययन में दर्द में कमी, जोड़ों की गतिशीलता में सुधार, चलने-फिरने की कठिनाई में कमी और योग करने वाले रोगियों के लिए जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि दर्ज की गई। ये समस्त लाभ योग की प्रतिरक्षात्मक सहनशीलता और मोलेक्यूलर रेमिशन स्थापित करने की क्षमता में निहित हैं।

साइंटिफिक रिपोर्ट्स, 2023 में प्रकाशित अध्ययन https://www.nature.com/articles/s41598-023-42231-w से पता चलता है कि योग तनाव को कम करने में मदद कर सकता है, जो गठिया  के लक्षणों के लिए एक ज्ञात कारण है। कोर्टिसोल जैसे तनाव हार्मोन को कम करके, योग अप्रत्यक्ष रूप से सूजन को कम कर सकता है, माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन में सुधार कर सकता है, जो ऊर्जा उत्पादन और सेलुलर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और -एंडोर्फिन, मस्तिष्क-व्युत्पन्न न्यूरोट्रॉफ़िक कारक (बीडीएनएफ), डीहाइड्रोएपियनड्रोस्टेरोन (डीएचईए), मेलाटोनिन और सिरटुइन-1 (एसआईआरटी-1) के बढ़े हुए स्तरों से को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम कर सकता है। योग न्यूरोप्लास्टिसिटी को बढ़ावा देता है और इस प्रकार रोग निवारण रणनीतियों में सहायता करता है तथा को-मॉर्बिड डिप्रेशन की गंभीरता को कम करता है।

इस शोध से गठिया रोगियों के लिए पूरक चिकित्सा के रूप में योग की क्षमता का प्रमाण मिलता है। योग न केवल दर्द और जकड़न जैसे लक्षणों को कम कर सकता है, बल्कि रोग नियंत्रण और जीवन की बेहतर गुणवत्ता में भी योगदान दे सकता है। दवाओं के विपरीत, योग के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और यह गंभीर ऑटोइम्यून स्थितियों के प्रबंधन के लिए एक सस्ता व प्रभावी तथा स्वाभाविक विकल्प प्रदान करता है।

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फाइलेरिया उन्मूलन कार्यशाला आयोजित

भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के एनएसएस क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ और एनएसएस प्रकोष्ठ उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा पी सी आई तथा ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए युवाओं की प्रतिभागिता के उद्देश से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई । कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य सम्पर्क अधिकारी प्रो. मंजू सिंह और युवा अधिकारी समरदीप सक्सेना एवं राजेश तिवारी  के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय, पी सी आई एवम् जी एच एस के अधिकारियो द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम में प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों के 27 जनपदों से 70 से अधिक कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । इस कार्यक्रम में कानपुर विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक डॉ श्याम मिश्रा जी के नेतृत्व में सर्वाधिक 13 कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । जनपद कानपुर नगर से जिला नोडल अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के साथ डी ए वी कॉलेज से डॉ चंद्र सौरभ एवम् बी एन डी कॉलेज से डॉ प्रमोद ने प्रतिभाग किया।

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हैरान हूँ मैं कभी इस बात पर कभी उस बात पर

आज कल यू ट्यूब पर लगातार तरहां तरहा के उपाय बताये जा रहे है।लोगों को कन्फ़्यूशज किया जा रहा है,अलग अलग बातें समझा कर।बेचारे लोग अपनी समस्याओं से परेशान हो कर पंडित ज्योतिषी से पूछते जा रहे हैं !!कि बताये हमारे कौन सा ग्रह अच्छा है कौन सा बुरा .. पंडित जी कोई ऐसा उपाय बता दीजिए ,बस पैसा सब तरफ़ से बरसना शुरू हो जाये।
मैं कहती हूँ अगर क़िस्मत मे पैसा होगा, तो आ ही जायेगा.. अगर पैसा क़िस्मत मे नही है तो जो हम पंडितों से पूछ पूछ कर, कभी ये उपाय तो कभी वो उपाय कर रहे होते है ,उससे मुझे नहीं लगता कि पैसा आ जायेगा .. चलो मान भी लें कि उपाय करने से कहीं से पैसा आ भी गया या किसी जप ,तप ,साम ,दाम ,दंड ,भेद से कहीं पैसा इकट्ठा हो भी गया तो दोस्तों ..
वो धन कुछ समय तो सुख दे सकता है हमेशा नही।कभी-कभी ऐसा धन दुख ही दे कर जाता है।
हैल्थ प्रोब्लम, बच्चों का बिगड़ना , क्लेश या कोई और समस्या ले कर आता क्योंकि इसे हमने अपनी ज़िद्द से अर्जित किया।
पैसा लम्बे समय तक वही फलता फूलता है जो नेक कमाई ,साफ़ मन से अर्जित किया हो। हम लोग व्रत भी करते है तो भी शर्तों पर।भगवान के सामने पहले बात रखी जाती है कि हे भगवान आप मेरा ये काम करें तो मैं आप का व्रत करूँगा।
ये तो ऐसी बात है कि हमारा बच्चा ज़िद्द करे, मां बाप से कि आप को मेरी बात माननी होगी …
नहीं तो मैं अन्न नहीं ग्रहण करूँगा।
जबकि बच्चे को तो पता भी नहीं कि वो उसकी वो माँग सही है भी या नही।
दूसरी बात ,जब हमारा बच्चा इस तरह की ज़िद्द ले कर बैठ जाता है तो हमें क़तई अच्छा नहीं लगता..कंयूकि माँ बाप को पता होता है क्या देना ज़रूरी है बच्चे के लिए ,वो तो वक़्त आने पर दे ही
देंगे ।अब किसी छोटे बच्चे को उसकी ज़िद्द पर कार तो नहीं दी सकती। वो तो जब वो उसके काबिल होगा तो उसका पिता उसे वक़्त आने पर ले भी देगा।
इक होड़ सी ..
इक भागदौड़ सी लगी हुई है हर कहीं।सब कुछ पाने की चाह रखे हुए है लोग।तुम उससे आगे और मैं तुम्हारे आगे।
ये कैसा जीवन है ?जिसमें शान्ति नही,सन्तोष नही ,इक दूसरे के सिर पर पैर रख कर आगे बढ़ने की चाहत हमें कहीं नहीं ले जा सकती।
अगर ग्रहों की बात करें तो हमें किसी से पूछने की ज़रूरत है तो ही नहीं।दोस्तों ।
सब उपाय हमारे ही आसपास है ।
हमारे अंदर ही है।
सिर्फ़ उन्हें साफ़ साफ़ देखने, समझने और व्यवहारिक जीवन में लाने की ही ज़रूरत है।
🌹
पिता ..” सूर्य ग्रह “का प्रतीक है।
जो व्यक्ति पिता की इज़्ज़त करता है,उनकी सेवा करता है उनपर किसी प्रकार का खर्च , उनके इलाज पर खर्च करता है
उनके पास वक़्त निकाल कर बैठता है ,पैरो को दबाता है …
अवश्य ही उसका सूर्य बलवान होता है। उसे सूर्य ग्रह को उंचा करने के लिए कोई उपाय की ज़रूरत है ही नही।अगर बाप क तकलीफ़ दोगे या उससे किसी तरह का छल करोगे ,तो कितना भी आप सूर्य को जल चढ़ा लें..
सूर्य नीच का ही रहेगा।
पिता को हर सुख, हर सुविधा दे कर ही हम अपना सूर्य बलवान कर सकते है।
🌹ऐसे ही चन्द्र ग्रह
इस ग्रह के नीच होने पर मन की कमजोरी ,बीमारी और उदासी घेरे रहती है “माता का रूप है “उसको शान्त करने के लिए माता की सेवा ,उसका सम्मान ,माता को सुन्दर कपड़ा ,उनको सुगन्धित फूल देना ।उसकी हर इच्छा को पूरा करना ही “चन्द्र को उंचा “करने के उपाय है 
🌹भाई ,दोस्त ,यार ये सब ही मंगल ग्रह के ही रूप है
इन सब से किया गया छल कपट ,निरादर ,हमारे मंगल ग्रह के दूषित कर देता है।पंडित कह देते है पीली या लाल दालों को पानी में डालो ..या किसी आनाथ आश्रम में पीली चीजो का दान कर दो ..
मैं तो बस यही कह रही हूँ अपने किसी आसपास नज़र घुमा कर देखिए ,
अपने किसी दोस्त को या अपने छोटे या बड़े भाई को ,..कहीं उसे तो हमारी सहायता की आवश्यकता नहीं।
उनको सहारा दो।कभी ऐसा भी होता है आप के घर राजाओं जैसा भोजन खाया जा रहा होता है और आप का भाई या कोई दोस्त या कोई आप का जानने वाले के यहाँ दाल खाना भी नसीब नहीं होता।
सो किसी ऐसे की मदद ही आप का मंगल को उंचा कर देगी।भगवान ने हमारे लिए सारे उपाय बहुत सरल और हमारे आसपास ही रखे हुए है।
मंगल को उंचा करने का यही सीधा सा तरीक़ा है अपने भाई ,यार ,दोस्तों से बना कर रखे बिना की छल कपट के। फिर देखिए मंगल आप का उंचा ही होगा।
🌹“बुध का रूप “बहन या बेटी ही है
अपनी बहन या किसी की बहन , अपनी बेटी या किसी की बेटी की इज़्ज़त करने से। उसके दुख सुख में खड़े होने से हमारा बुध ग्रह को ताकतवर बन जाता है पंडित भी हरी चीजों का दान बता देते है मगर कोशिश करें ,दान सब से पहले अपने आसपास के परिवारों से ही शुरू करे।
🌹“बृहस्पति ग्रह “
गुरू का रूप ही है
गुरू को सम्मान देना उसकी आज्ञा को मानना, उसकी सेवा मे लगना। बृहस्पति ग्रह को ख़ुश करने में सक्षम है
और हमारा उच्च का गुरू हो जायेगा 
🌹“शुक्र ग्रह का रूप “
पति या पत्नी ही है जिनके साथ हमारा सम्बंध जुड़ता है।
पति को ख़ुश रखना ,
उसका सम्मान करना ,
उसको अपने हाथों से भोजन बना कर खिलाना,उसके हर काम को ह्रदय से करना..,
उसके दुख सुख में साथ निभाना शुक्र ग्रह को उच्च कर देता है।
ऐसे ही पत्नियों को हर तरह का सुख देना पुरुषों का शुक्र ग्रह उच्च का कर देता है।
🌹“शनि ग्रह का रूप “
हमारे साथ जुड़े हुए पिता के रिश्तेदार जैसे
चाचा ,ताया ,बुआ
माँ से जुड़े रिश्तेदारों का सम्मान…बुजुर्गों का सम्मान ,उनकी सेवा से शनि उच्च के होते हैं ।
पक्षियों और जानवरों पर दया भाव रखना उनको पानी या खाने को कुछ देने से भी शनि उच्च के होते है नौकरों को नौकर न समझ कर उन्हें भी इज़्ज़त देना शनि ग्रह उच्च का कर देता है शनि आप के व्यवहार को देखता है कि आप किस के साथ क्या व्यवहार करते है सो अपनी सोच को साफ़ और सुव्यवस्थित रखने पर शनि की किरपा मिलती रहती है ।
🌹“राहू ग्रह “
ससुराल के रूप में होता है ।
उनसे बना कर रखिए।जो वो दे दे प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया जाये ,
उनसे कभी माँगा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनको देने की इच्छा ही राहू को उच्च का कर देती है।अपने शरीर की सफ़ाई ,अपने घर की सफ़ाई ,अपनी रसोई और अपने घर के शौचालय को साफ़ रखने से राहू उच्च का हो जाता है अपने घर में चीजों को सही तरीक़े सलीक़े से रखने से राहू उच्च का होता है।
🌹“केतु ग्रह..”
पंडित, महात्मा ,साधु या गुरू रूप है
उनकी सेवा करना ..
केतु को मोक्ष का कारक ग्रह भी माना जाता है इसीलिए इस मे सब से अच्छा बर्ताव .. साफ़ मन .. दया भाव .. छल कपट से दूर रहने पर ही केतु उच्च के होते है।
ग्रह कोई भी हो ,
अगर आप अच्छे हैं।
अच्छे विचार रखते है
सब की मदद कर रहे है।
यथा योग्य दान भी कर रहे है।
बुरे ग्रह का प्रभाव चाहे व्यक्ति पर पड़ तो सकता है मगर वो आप को नुक़सान नहीं पहुँचा पायेगा।
सब का भला करना
और सब के लिए मंगल की कामना करने वाले का कोई भी ग्रह कभी नुक़सान नहीं करता।
सब विकारों से दूर होने पर ही केतु हमें मोक्ष की ओर ले कर जायेगा
दोस्तों !!
बात बहुत सीधी और सरल है। अब सोचने की बात है ये सब उपाय इक सुलझा हुआ व्यक्ति बहुत आसानी से कर सकता है बस अपनी अन्तरात्मा को जगाने की ही ज़रूरत है।ये सब बातें तो हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बातें शामिल होनी ही चाहिए ।इसमें केवल अच्छा स्वभाव ही रखने की आवश्यकता है
इसमें न कोई पैसा ख़र्च करने की ज़रूरत है ,न किसी पंडितों को पैसा देने की । न ही किसी के पास जाने की ज़रूरत है यहाँ तो अपने आप को और अपनी द्वारा की गई हर गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है 
✍️ लेखिका स्मिता

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फूलों का अपशिष्ट सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहा है

जैसे-जैसे भारत स्थिरता और सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, अपशिष्ट से संपदा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ही रास्ता है। मंदिरों में खाद बनाने के गड्ढे बनाने और पुनर्चक्रण प्रयासों में मंदिर ट्रस्टों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा हो सकते हैं। पुजारियों और भक्तों को नदियों में फूलों का कचरा न डालने को लेकर उन्हें शिक्षित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम से कचरे में कमी लाने में मदद मिल सकती है। “हरित मंदिर” अवधारणा को मंदिरों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में बदलने की नीतियों में एकीकृत किया जा सकता है। पारंपरिक फूलों के बजाय डिजिटल प्रसाद या स्वाभाविक तरीके से सड़नशील सामग्रियों को बढ़ावा देने से भी फूलों के कचरे को कम करने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को पार्कों आदि जैसे हरे भरे स्थानों में फूलों के कचरे का पता लगाने और उसे प्रबंधित करने में शामिल किया जा सकता है।

भारत में फूलों के अपशिष्ट का क्षेत्र नई वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका इसके बहुआयामी लाभों से पता चलता है। यह न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि कचरे को कूड़ा-स्थलों से प्रभावी ढंग से हटाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है।

आध्यात्मिक स्थलों से एकत्र किया गया फूलों का अपशिष्ट, जो कि ज्यादातर स्वाभाविक तरीके से सड़नशील होता है, अक्सर लैंडफिल या जल निकायों में समाप्त हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी सालाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लेती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, कई भारतीय शहर अभिनव समाधान ला रहे हैं। सामाजिक उद्यमी फूलों से जैविक खाद, साबुन, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन स्थिरता की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहा है, जहां सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट से संपदा का सिद्धांत सर्वोच्च है। इस बदलाव के बीच, फूलों का अपशिष्ट कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उभर रहा है जिससे इस चुनौती से निपटने के लिए शहरों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास हो रहे हैं।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर रोज़ 75,000 से 100,000 तक दर्शनार्थी आते हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फूल और अन्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसके लिए खास ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहन हैं, जो इस कचरे को एकत्र करते हैं और फिर इसे थ्रीटीपीडी प्लांट में संसाधित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बदल दिया जाता है। शिव अर्पण स्व-सहायता समूह की 16 महिलाएं फूलों के कचरे से विभिन्न उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएं बनाती हैं और इसके लिए उन्हें रोजगार भी दिया गया है। इसके अलावा, इस कचरे से स्थानीय किसानों के लिए खाद बनाया जाता है और यह जैव ईंधन के रूप में भी काम करता है। उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,200 टन फूलों के कचरे से कुल 3,02,50,000 स्टिक का उत्पादन किया गया है।

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना करीब 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं। कुछ खास दिनों में तो यह आंकड़ा 1,00,000 तक पहुंच जाता है, जो 120 से 200 किलोग्राम फूल चढ़ाते हैं। मुंबई स्थित डिजाइनर हाउस ‘आदिव प्योर नेचर’ ने एक स्थायी उद्यम शुरू किया है, जो मंदिर में अर्पित किये गए फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदलकर कपड़े के टुकड़े, परिधान, स्कार्फ, टेबल लिनेन और बड़े थैले के रूप में अलग-अलग वस्त्र बनाता है। वे सप्ताह में तीन बार फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं, जो 1000-1500 किलोग्राम/सप्ताह होता है। इस कचरे की छंटाई के बाद कारीगरों की एक टीम सूखे फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदल देती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदा, गुलाब और अड़हुल के अलावा, टीम प्राकृतिक रंग बनाने और भाप के माध्यम से बनावट वाले प्रिंट बनाने के लिए नारियल के छिलकों का भी उपयोग करती है।

तिरुपति नगर निगम हर दिन मंदिरों से 6 टन से ज़्यादा फूलों का अपशिष्ट उठाता है। वहां फूलों के कचरे को इकट्ठा करके उसे दोबारा इस्तेमाल करने योग्य मूल्यवान उत्पादों में बदल दिया जाता है। इसके ज़रिए स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं को रोज़गार मिला है। रीसाइकिलिंग का यह काम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम अगरबत्ती के 15 टन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र में किया जाता है। इन उत्पादों को रीसाइकिल किए गए कागज़ और तुलसी के बीजों से भरे कागज़ से पैक किया जाता है ताकि कार्बन उत्सर्जन शून्य हो।

फूलों के कचरे की रीसाइकिलिंग करने वाले कानपुर स्थित फूल, प्रतिदिन विभिन्न शहरों के मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट एकत्र करके बड़े-बड़े मंदिरों को इस कचरे की समस्या से निजात दिला रहा है। यह फूल’ भारत के पांच प्रमुख मंदिर शहरों अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से लगभग 21 मीट्रिक टन फूलों का अपशिष्ट प्रति सप्ताह (3 टीपीडी) एकत्र करता है। इस कचरे से अगरबत्ती, धूपबत्ती, बांस रहित धूपबत्ती, हवन कप आदि जैसी वस्तुएं बनाई जाती हैं। फूल’ द्वारा नियोजित महिलाओं को सुरक्षित कार्य स्थान, निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं। गहन तकनीकी शोध के साथ, स्टार्टअप ने ‘फ्लेदर’ विकसित किया है, जो पशु चमड़े का एक व्यवहार्य विकल्प है और इसे हाल ही में पेटा (पीईटीए) के सर्वश्रेष्ठ नवाचार शाकाहारी दुनिया से सम्मानित किया गया था।

हैदराबाद स्थित स्टार्टअप, होलीवेस्ट ने ‘फ्लोरजुविनेशन’ नामक एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से फूलों के कचरे को पुनर्जीवित किया है। 2018 में स्थापित कंपनी के संस्थापक माया विवेक और मनु डालमिया ने विक्रेताओं, मंदिरों, कार्यक्रम आयोजकों, सज्जाकारों और फूलों का अपशिष्ट  पैदा करने वालों के साथ भागीदारी की। वे 40 मंदिरों, 2 फूल विक्रेताओं और एक बाजार क्षेत्र से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं और खाद, अगरबत्ती, सुगंधित शंकु और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते हैं। वर्तमान में, होलीवेस्ट‘ 1,000 किलोग्राम/सप्ताह फूलों के कचरे को जल निकायों में जाने से रोक रहा है या लैंडफिल में सड़ने से बचा रहा है।

पूनम सहरावत का स्टार्टअप ‘आरुही’ दिल्ली-एनसीआर में 15 से अधिक मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करता है, 1,000 किलोग्राम कचरे को रिसाइकिल करता है और हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है। सहरावत ने फूलों के कचरे से उत्पाद बनाने के लिए 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

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नव प्रवेशित छात्राओं का अभिविन्यास कार्यक्रम संपन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 10 जुलाई एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज माल रोड, में आज नए छात्रों का अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें नव प्रवेशित छात्राओं को महाविद्यालय के गौरवपूर्ण इतिहास के साथ ही साथ समस्त संचालित विभागों, उसमें कार्यरत शिक्षक ,उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य तथा भविष्य में बच्चे यहा क्या प्रगति कर सकते हैं ?इस पर मुख्य रूप से प्रकाश डाला गया ।कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की अनुशासन समिति के तत्वाधान में किया गया ।कार्यक्रम का संचालन शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो चित्रा सिंह तोमर द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सुमन ने बच्चों के अधिक संख्या में आगमन से प्रसन्न होकर बहुत ही प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। महाविद्यालय में एनएसएस, एनसीसी , रोबर रेंजर के प्रभारी ने भी बच्चों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रही ,राष्ट्रगान के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।

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