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महिला जगत

एस.एन. सेन बा.वि.पी.जी. कॉलेज में विवेकानंद जयंती (राष्ट्रीय युवा दिवस) पर विशेष समारोह आयोजित

कानपुर 12 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस.एन. सेन बा.वि.पी.जी. कॉलेज सभागार में महाविद्यालय की 17वीं बटालियन यू.पी. गर्ल्स से जुड़ी एनसीसी शाखा तथा ट्रेनिंग व प्लेसमेंट सेल तथा महिंद्रा इंस्टिट्यूट के द्वारा ‘स्वामी विवेकानंद जयंती’ “राष्ट्रीय युवा दिवस” के अवसर पर एक प्रेरणादायक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर एनसीसी कैडेट्स द्वारा स्वामी जी के विभिन्न प्रेरणादायी विचारों से संबंधित पोस्टर बनाएं जाने के साथ ही महाविद्यालय में नवनिर्मित स्मार्ट क्लास में विवेकानंद जी के जीवन पर आधारित फिल्म का भी प्रसारण किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ आज के मुख्य वक्ता श्री अंकित त्रिवेदी व सुश्री अंजलि त्रिवेदी, प्राचार्या प्रोफेसर सुमन, रोजगार प्रकोष्ठ प्रभारी प्रोफेसर गार्गी यादव, एनसीसी कोष्ठ प्रभारी डॉ प्रीति यादव तथा महाविद्यालय की मुख्य अनुशासिका कैप्टन ममता ने दीप प्रज्वलन व सरस्वती मां की चित्र व स्वामी विवेकानंद जी के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्या ने अपने संबोधन में बताया कि मानव जाति में युवा वर्ग सबसे ज्यादा शक्तिशाली है और भारत देश में सबसे ज्यादा युवा शक्ति है। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा युवाओं को शक्तिशाली बनाने हेतु अनेक योजनाएं आरंभ की गई हैं, जिसका लाभ लेकर देश के युवा स्वयं का व अंततः अपने देश व समाज का विकास कर सकते है। युवाओं को स्वामी विवेकानंद के जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश सेवा के प्रति अपने आप को समर्पित करने का संदेश दिया। कार्यक्रम के अंत में प्रो. गार्गी यादव ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया|कार्यक्रम में डा प्रीति सिंह , डॉ मीनाक्षी व्यास ,डॉ शैल बाजपेयी डॉ प्रीता अवस्थी तथा अन्य शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।

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27वें राष्ट्रीय युवा उत्सव में हिस्सा लेने कानपुर विश्वविद्यालय से नासिक के लिए टीम रवाना

कानपुर 11 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा 27वां राष्ट्रीय युवा उत्सव नासिक, महाराष्ट्र में 12 जनवरी से 16 जनवरी 2024 के मध्य मनाया जा रहा है। डॉ श्याम मिश्रा, राष्ट्रीय सेवा योजना छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर द्वारा अवगत कराया गया कि इस युवा महासम्मेलन में राष्ट्रीय सेवा योजना, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर से 11 स्वयंसेवकों का दल टीम लीडर डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में आज कानपुर सेंट्रल से नासिक के लिए रवाना हुआ। इसमें डी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही का चयन राष्ट्रीय सेवा योजना उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड कंटिजेंट लीडर के रूप में किया गया। साथ में डी जी कॉलेज की दो छात्राओं वर्षा सिंह एवं आरती वर्मा का चयन प्रतिभागी के रूप में हुआ। डी ए वी कॉलेज से ऋषि श्रीवास्तव, आकांक्षा सक्सेना एवं प्रज्ञा वाखले, बी एन डी कॉलेज से सक्षम मिश्रा, अरमापुर कॉलेज से रूपेंद्र सिंह यादव, डी एस एन कॉलेज उन्नाव से शिवांगी मिश्रा एवं आदर्श पांडे, एल वाई कॉलेज, फर्रुखाबाद से रजत गुप्ता एवं रमन चतुर्वेदी का चयन युवा सम्मेलन प्रतिभागियों के रूप में किया गया। जिसमें वे विभिन्न संस्कृत अकादमी एवं खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेंगे। उत्तर प्रदेश से कुल 60 प्रतिभागियों तथा 6 कार्यक्रम अधिकारियों का चयन क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय सेवा योजना, उत्तर प्रदेश एवम् उत्तराखंड के द्वारा उक्त कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए किया गया है।

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पीएफसी ने गुजरात सरकार के साथ 25,000 करोड़ रुपए की विद्युत परियोजनाओं के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

महारत्न सार्वजनिक प्रतिष्ठान पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड (पीएफसी) और विद्युत क्षेत्र में अग्रणी एनबीएफसी ने 3 जनवरी, 2024 को गांधीनगर में गुजरात सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौता ज्ञापन का मुख्य उद्देश्य राज्य की उत्पादन, पारेषण और वितरण परियोजनाओं के लिए व्यापक वित्तीय सहायता देना है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर पीएफसी की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्रीमती परमिंदर चोपड़ा और गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल) के प्रबंध निदेशक श्री जय प्रकाश शिवहरे ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, उच्च तथा तकनीकी शिक्षा, कानून और न्याय मंत्री श्री रुशिकेश पटेल, गुजरात के मुख्य सचिव श्री राज कुमार, गुजरात के अपर मुख्य सचिव श्री एस जे हैदर, प्रमुख सचिव (ऊर्जा एवं पेट्रोकेमिकल्स विभाग) श्रीमती ममता वर्मा, पीएफसी के  कार्यकारी निदेशक (परियोजनाएं) श्री आर.के. चतुर्वेदी तथा पीएफसी, जीयूवीएनएल और अन्य विद्युत कंपनियों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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गांधीनगर में हस्ताक्षर किया गया यह समझौता ज्ञापन गुजरात उर्जा विकास निगम लिमिटेड (जीयूवीएनएल), गुजरात राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (जीएसईसीएल), गुजरात एनर्जी ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (जीईटीसीओ), दक्षिण गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (डीजीवीसीएल), मध्य गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (एमजीवीसीएल), पश्चिम गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (पीजीवीसीएल) और उत्तर गुजरात विज कंपनी लिमिटेड (यूजीवीसीएल) द्वारा शुरू की गई विभिन्न परियोजनाओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सहयोग इन विविध परियोजनाओं को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण दीर्घकालिक ऋण तथा अन्य महत्वपूर्ण धन आवश्यकताओं को सुविधाजनक बनाने में सहायक होगा।

गांधीनगरगुजरात में एमओयू हस्ताक्षर समारोह के दौरान श्रीमती परमिंदर चोपड़ासीएमडीपीएफसी और श्री जय प्रकाश शिवहरेएमडी (जीयूवीएनएल)।

समझौता ज्ञापन के अनुसार परिकल्पित वित्तीय सहायता शानदार 25,000 करोड़ रुपये है। यह पूरे गुजरात में विभिन्न परियोजनाओं को सशक्त बनाने के लिए समर्पित है। यह पर्याप्त वित्तीय प्रतिबद्धता क्षेत्र में विद्युत अवसंरचना को मजबूत बनाने तथा विद्युत क्षेत्र में राज्य की महत्वाकांक्षी पहल का समर्थन करने के लिए पीएफसी की दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। विद्युत अवसंरचना के विस्तार की सुविधा के अतिरिक्त समझौता ज्ञापन अन्य बातों के साथ-साथ गुजरात में 10,000 रोजगार सृजन में भी मदद करेगा।

इस रणनीतिक गठबंधन से गुजरात में ऊर्जा स्थिरता और दक्षता का एक नया युग प्रारंभ होने की आशा है, जो परिवर्तनकारी बदलावों के लिए मंच तैयार करेगा तथा एक मजबूत और विश्वसनीय विद्युत अवसंरचना के लिए राज्य की परिकल्पना को साकार रूप देने के लिए प्रेरित करेगा।

इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर गुजरात के विद्युत परिदृश्य को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो राज्य के लोगों के लिए विश्वसनीय, स्थायी और सुलभ विद्युत के भविष्य के प्रति साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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एस.एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज में स्मार्ट क्लासेज का शुभारंभ

कानपुर 31 दिसंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता एस.एन. सेन बी.वी.पी.जी. कॉलेज में *दो स्मार्ट क्लासेज का भव्य उद्घाटन प्रमिला पाण्डे मेयर, कानपुर नगर , लोकसभा सांसद सत्यदेव पचौरी एवं उच्च क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी प्रोफेसर रिपुदमन सिंह एवं बलराम नरुला, उद्योगपति एवं संरक्षक भारतीय विचारक समिति के कर कमलों द्वारा हुआ*।एनसीसी के कैडेट्स ने अतिथि गण को सैनिक सलामी दी।कार्यक्रम का शुभारंभ प्रमिला पांडे मेयर, कानपुर नगर , सांसद सत्यदेव पचौरी, उच्च क्षेत्रीय शिक्षा अधिकारी,कानपुर मंडल, प्रोo रिपु दमन सिंह , बलराम नरुला,उद्योगपति एवं संरक्षक भारतीय विचारक समिति,प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष पी.के मिश्रा, सचिव पी.के सेन, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो० सुमन, व मुख्य अनुशासिका कप्तान ममता अग्रवाल ने दीप प्रज्वलन व सरस्वती मां के माल्यार्पण से किया। अतिथियों का स्वागत तथा आभार पुष्प गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं उत्तरीय प्रदान कर किया गया।
प्राचार्या प्रो० सुमन ने अतिथियों का परंपरागत स्वागत करते हुए कहा कि हर्ष का विषय है कि गत वर्ष की विदाई एवं नूतन वर्ष का शुभारंभ हम स्मार्ट क्लास के उद्घाटन से कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह दोनो स्मार्ट क्लास माननीय सत्यदेव पचौरी जी ने सांसद निधि से जो कुल रु 25.953 लाख रुपए में बनकर तैयार है ,के द्वारा अनुदानित है lउन्होंने कहा कि स्मार्ट क्लास से बच्चों की शैक्षिक गुणवत्ता में और अधिक सुधार होगा। माननीय प्रमिला पांडे जी ने सबको बधाई देते हुए कहा की स्मार्ट क्लास छात्राओं की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार के लिए एक सशक्त माध्यम होगा।माननीय सांसद श्री सत्यदेव पचौरी जी ने कहा कि स्मार्ट क्लास बनाने से छात्राओं का न सिर्फ सर्वांगीण विकास होगा बल्कि उनकी अपने विषय में गहरी रुचि एवं समझ भी विकसित होगी तथा आज के आभासी दुनिया से पठन-पाठन को जोड़ने में मदद मिलेगी। माननीय श्री बलराम नरूला शिक्षा जी ने कहा कि स्मार्ट क्लास के द्वारा इंटरएक्टिव और सहभागी शिक्षण का साधन उपलब्ध हो रहा है जो छात्राओं तथा शिक्षण के लिए प्रभावकारी सिद्ध होगा। प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा जी ने कहा कि स्मार्ट क्लास के द्वारा छात्राओं को विजुअल तरीके से जटिल विषयों को समझाने में मदद मिलेगी।
कार्यक्रम के अंत में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ने कार्यक्रम की सफलता हेतु सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कहा कि एक स्मार्ट क्लास आर्ट्स ब्लॉक तथा दूसरा साइंस ब्लॉक में बनाया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा छात्राओं को इसका लाभ मिल सके l डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रयोग करने से यह शिक्षिकाओं की क्षमता को भी बढ़ाएगीl छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए यह निश्चित रूप से सार्थक सिद्ध होगा lउन्होंने सभी शिक्षिकाओं और छात्राओं को बधाई दीl कार्यक्रम का संचालन प्रो० गार्गी यादव जी विभागाध्यक्षा, रसायन शास्त्र ने किया। कार्यक्रम में विद्यालय की वरिष्ठ प्रवक्ता प्रो० निशि प्रकाश, प्रो० अलका टंडन, प्रो० मीनाक्षी व्यास, प्रो प्रीति पांडे, डॉ० रचना निगम तथा अन्य सभी प्रवक्ताएं उपस्थित रही। साथ ही तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों ने भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित की । इस अवसर पर एनसीसी प्रभारी कुमारी प्रीति यादव एवं एनसीसी कैडेट्स प्रियंका कुमारी ,प्रियंका शर्मा ,ज्योति यादव, दीपाली अग्रहरि का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ l

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हर शय “इश्क़ नहीं “…

वक़्त से पूछा मैने .. अब इसका हल क्या है ? …
वक़्त ने कहा … मुझे गुज़र जाने दे ..
मैंने पूछा !! इस दर्द का इलाज क्या है ?
वक़्त ने हसं कर कहा .. .. “थोड़ा सब्र रख “
संभलने में वक़्त तो लगेगा.. इस जहान में हर शय
“इश्क़ नहीं “ जो पल भर में हो जाये….
🌹❤️🌹
दोस्तों ! समुद्र में तूफ़ान आने से कई बार बड़े बड़े

जहाज़ डूब ज़ाया करते हैं
मगर इक लकड़ी का टुकड़ा जो हमे समुद्र से बाहर निकालने की

क्षमता रखता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि “सह ले !
हँस कर ,हर सितम ज़िन्दगी का ..
न कर शिकायत … न शिकवा किसी से …बस मान कर चल …तेरे
सब्र में ही तेरा सकून छिपा है।
🌹🌹🌹
जो इन्सान अपनी ज़ुबान से किसी को ग़लत नहीं कहता, गाली गलौज नहीं करता ।अच्छा सोचता है ,हर लम्हा मालिक की याद में रहकर मालिक का नाम जिस की ज़ुबान पर रहे ।ऐसे इन्सान की ज़ुबान में ताक़त आ जाती है उसी ताक़त को वाणी की सिद्धि कहते है और ऐसा इन्सान किसी को कुछ कह दे तो वो सच होने लगता है,
और अगर हाथ सब को देने के लिए ही उठे, सब की मदद करे तो हाथों में बरकत आ जाती है।ऐसे लोग जब दूसरों को आशीर्वाद देते हैं तो वो फलीभूत होने लगता है।
इसी तरह जब आँखे दूसरों मे सिर्फ़ अच्छाई ही देखती है ,कुछ बुरा दिखाई ही नही देता , जिनकी आँखों में सदा करूणा रहती है उनकी नज़र में ताक़त आ जाती है इसी को ही सिद्धी पाना कहते हैं हम ने अक्सर ये सुना होगा कि फ़लाह इन्सान की नज़र हम पर क्या पड़ी ,मेरी तकलीफ़ दूर हो गई।
कभी-कभी हम ये भी कह देते है ,किसी ने हमे जो कहा था ,देखो आज मेरे साथ हो रहा है।
ये सब ताक़ते है ज़रूरी नहीं कि मंत्रों से ही हम सिद्धि पा सकते हैं ।अपने मन करम विचारों से भी हम सिद्धियो के स्वामी बन सकते है। भगवान के यहाँ बस यहीं नियम है कि इन्सान को इन्सान बन कर रहना चाहिए।
मगर काम क्रोध लोभ मोह हम इन्सानों को, इन्सानियत से हैवानियत की तरफ़ मोड़ देता है।
दोस्तों !
इक औरत
बहुत कमाई वाली थी।उसे मै साध्वी कह सकती हूँ
उसके यहाँ उसकी सेवा मे इक औरत रहा करती थी जिसका नाम लौरा था
लौरा आये दिनों बिमार रहने लगी .. वो साध्वी से कहती ,आप मुझे किसी तरह ठीक कर दो .. साध्वी बस मुस्कुरा देती .. और कहती !
लौरा “सह लो अभी “..
मगर लौरा की बिमारी में कोई सुधार नहीं आ रहा था।
इक दिन फिर लौरा ने साध्वी से कहा !
मैंने कितने साल आप की सेवा की है ।आप मुझे ठीक क्यों नहीं करती ।साध्वी ने फिर बड़े प्यार से लौरा के सिर पर हाथ फेर कर कहा!
तभी कह रही हूँ तुम से कि अभी तुम इस बिमारी को सह लो।
लौरा सोचने लगी मैंने ऐसे ही अपना वक़्त बर्बाद कर दिया, इस साध्वी के पीछे लग कर ..
दिन पर दिन लौरा की बिमारी तेज़ी से बढ़ने लगी।
लौरा फिर साध्वी के पास आ कर रो कर कहने लगी अब ये दर्द मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा ,मेरी मदद किजीए ।
मुझे ठीक कर दो .. मै बहुत तकलीफ़ में हूँ ।
इस बार साध्वी ने आँखें बंद करके लौरा के लिए प्रार्थना की और इक पुड़िया लौरा के हाथ में रख दी और कहा !
ये लो विभूति ,इसका सेवन रोज़ करना।मेरे गुरू की किरपा से तुम जल्दी ठीक हो जाओगी.. लौरा को दस बाहर दिनों मे ही असर होने लगा और वो धीरे धीरे ठीक होने लगी ।
कुछ साल लौरा के अच्छे गुज़र गये मगर कुछ सालों बाद लौरा की बीमारी फिर ज़ोरों से आई और लौरा इस संसार को छोड़ कर चली गई।
वक़्त गुजरने लगा।
अब जब भी साध्वी अपने ध्यान में बैठती तो उसे लौरा दिखने लगी ..जो साध्वी के सामने रोया करती ।साध्वी ने कहा !
अब कंयू रोती हो लौरा ?
लौरा कहती !
यहाँ इक दरवाज़ा है सब जीवात्माये अन्दर जा रही है ।जब भी वो दरवाज़ा खुलता है, बहुत अच्छी सुगंध बाहर तक आती है।मै भी वहाँ जाना चाहती हूँ मगर मुझे अन्दर नहीं जाने देते।
बाहर ही रोक लेते हैं ।
जब वजह पूछती हूँ तो कहते हैं कि तुम्हारे करमो की वजह से वो बिमारी आई थी और उन्हीं करमो का तुम्हें भुगतान करना था मगर तुमने उस बिमारी को सहा नहीं , रब की रजा को न मान कर अपनी दख़लंदाज़ी की और रब की रजा में ख़लल डाला। इसी लिए तुम अन्दर नहीं जा सकती ।
लौरा कहने लगी जब आप को सब पता था फिर मुझे उस वक़्त आपने कंयू ठीक किया था।
अब मै जहां हूँ ,वहाँ कुछ भी अच्छा नही है
इक अजीब सी गंध है वहाँ जो असहनीय है।
साध्वी ने लौरा से कहा !
तभी मै कहा करती थी ,अभी यहाँ सह लो ..ताकि तुम्हारा आगे का रास्ता सुखमय हो जाये मगर तुम ही ज़िद्द किया करती थीं अगर उस वक़्त मेरा कहा मान लेती तो तुम भी आज उस ..दरवाज़े से अन्दर जा सकती।
.. दोस्तों
जैसे किसी परिन्दे के पंखों पर बहुत बड़े बड़े पत्थर रख दिये जाये तो वो परिन्दा आसानी से उड़ नहीं सकता है और जब हम करमो को हँस कर सह लेते है
तो करम रूपी पत्थर पँखो से हटने लगते है और रूह हल्की महसूस करने लगती हैं और जब इस संसार को छोडने का वक़्त आता है आसानी से उड़ जाती है .. करमो का यहीं बोझ हमें यहाँ भी तंग करता है और वहाँ भी …..।

जो मिल रहा है उसी में ही शुक्र
करें ।
“दुख सुख उसका ही भेजा हुआ है प्रशाद है “ऐसा मान कर उसे ह्रदय से ग्रहण करें तो ही हम सकून से रह सकते हैं यहाँ भी और फिर आगे के संसार मे भी

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डी जी कॉलेज में सड़क सुरक्षा पखवाड़ा आरंभ

डी जी कॉलेज, कानपुर में रोड सेफ्टी क्लब के द्वारा सड़क सुरक्षा पखवाड़े के अंतर्गत प्रभारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में रैली निकाल कर जनमानस में जागरूकता लाने का कार्य किया गया। इस अभियान में महाविद्यालय की समस्त छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस अवसर पर छात्राओं को सड़क सुरक्षा की शपथ भी दिलवायी गई।प्राचार्य जी के द्वारा अपने वक्तव्य में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा गया कि हमें स्वयं तो यातायात व सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करना ही चाहिए अपने परिवार, आस-पड़ोस तथा अन्य व्यक्तियों को भी इन नियमों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अत्यंत कारगर उपाय साबित हो सकता है, हमें किशोर विभिन्न गतिविधियों के द्वारा गतिशीलता लाने चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय एन सी सी इंचार्ज डॉ मनीष पांडे, कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव तथा अनुराधा सिंह का विशेष योगदान रहा।

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राष्ट्रपति ने लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  नई दिल्ली में लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आपाधापी ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गड़बड़ी उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। लाभ अधिक से अधिक बढ़ाने की अवधारणा पश्चिमी संस्कृति का एक हिस्सा हो सकती है लेकिन भारतीय संस्कृति में इसे प्राथमिकता नहीं दी गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति में उद्यमिता का स्‍थान प्रमुख है।

राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्‍यक्‍त की कि हमारे युवा स्वरोजगार की संस्कृति को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्‍टम है। भारत विश्‍व के सर्वश्रेष्ठ यूनिकॉर्न हब में शामिल है। यह हमारे देश के युवाओं के तकनीकी ज्ञान के अतिरिक्‍त उनके प्रबंधन कौशल और व्यावसायिक नेतृत्व का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विश्‍व की अग्रणी तकनीकी कंपनियों का नेतृत्व भी कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रबंधन शिक्षण संस्थानों की शिक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन लाने होंगे ताकि देश का अधिक प्रभावी और समावेशी विकास हो सके। उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संगठनात्मक प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विदेश स्थित व्यवसायों पर केस स्टडी और लेखों के बजाय भारत स्थित भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केस स्टडी लिखी और सिखाई जानी चाहिए। हमारे प्रबंधन संस्थानों को अपने शोध का फोकस भी भारत की पत्रिकाओं पर करना चाहिए। उन भारतीय पत्रिकाओं पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए जो ओपन एक्सेस डोमेन में हैं और जो देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले सभी श्रेणी के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल में उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग से जिस तरह 41 श्रमिकों को निकाला गया है, उसकी न केवल सराहना हो रही है, बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन की भी बात की जा रही है। यह एक बहुत अच्छा और जीवंत विषय है, विशेषकर संकट में नेतृत्व और टीमवर्क के लिए।

राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कहा कि अनेक लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने के बारे में भी चिंतित हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी पक्षों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जानता है और इसका सही इस्तेमाल करता है उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने का भय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएम लखनऊ जैसे संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए।

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प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गरबा नृत्‍य को शामिल किए जाने की सराहना की

प्रधानमंत्री मोदी ने आज यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गुजरात के गरबा नृत्‍य का नाम शमिल किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;

“गरबा जीवन, एकता और हमारी गहन परंपराओं का उत्सव है। यूनेस्‍को की अमूर्त विरासत सूची में इसका शिलालेख विश्‍व के समक्ष भारतीय संस्कृति के सौंदर्य को दर्शाता है। यह सम्मान हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए बधाई वैश्विक स्वीकृति।”

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अधूरे ख्वाब

अधूरे ख़्वाबों को सजा मत समझिये.. बल्कि ये इक ज़रिया है जो तुम्हे उस ओर ले जायेगा और यक़ीं रखो इक रोज यही तुझे तेरे महबूब से भी मिलवाएगा
🌹🌹🌹🌹
अक्सर लोग मुझ से पूछते हैं आप अधूरी कहानियों पर ज़्यादा लिखती है और वजूहात भी पूछते है, वैसे तो वजह कोई मेरी पर्सनल नही है।
अधूरेपन का अहसास तो हर इन्सान को कभी न कभी होता ही है।प्यार और अधूरेपन दोनों अलग नही है। दोनों ही इक दूजे से जुड़े हुए हैं।
“जो किसी को या किसी चीज़ को गहरा प्यार करता है वही अधूरेपन के अहसास को भी जान सकता है”।प्यार को समझने के साथ साथ अधूरेपन को भी समझना बहुत ज़रूरी है।
लिखना मेरा शौक़ है मगर हर लेखक अपनी आप बीती ही नहीं कहता बल्कि उसमें इक क़ाबलियत .. इक समझ होती है दूसरों के मन के भावों को ,दूसरों की पीड़ा और .. हर बात के दोनों पहलुओं को समझने की शक्ति होती है कयोंकि उसका मन ठहरा हुआ ,होने की वजह से वो हर बात की गहराई को महसूस कर लेता है, दूसरों की जगह पर खुद को रख कर हर इक का दरद समझ लेता है।और ..
फिर उसी के आधार पर उनकी कलम चला करती है .. मै अधूरी कहानियाँ इसीलिए लिखा करती हूँ क्योंकि मैं समझती हूँ जो आज अधूरा है ,यकीनन वो कभी न कभी पूरा ज़रूर होगा।
जब तक पूरा नहीं हो जाता …कहानियाँ बनती रहती है और संसार चलता रहता है।
अधूरापन ..या किसी चीज़ की कमी का अहसास होने पर
हम मन से..
विचारों से , गहरे होने लगते है यही वजह होती है।
हमारी चाहत मे शिद्दत बढ़ने लगती है जब हम हर वकत उसी के बारे में सोचते रहते हैं और ये सोच ही फिर आगे चल कर, हमे अधूरेपन से पूर्णता की तरफ़ ले जाती है .. ।
हम सब के ऊपर इक शक्ति है। जिसका काम ही यही है ,अधूरे को पूरा करना …,चाहे इस जन्म में पूरा करे या अगले किसी जन्म मे।
दोस्तों!
यदि हमारे सब ख़्वाब पूरे हो जाये। ज़िन्दगी में सब कुछ पा लिया जाये तो फिर आगे रह ही क्या जाता है ,कि उसकी कोई कहानी बनाई जाये..न तो उसमें कोई खुवाईश होगी
न कमी .. न कोई चाहत रह जायेगी ..न ही कोई शिद्दत…पूरा होने का मतलब ही “अंत हो जाना”।
जब हम कोई लक्ष्य या मक़सद पूरा कर लेते है ।
रिश्ते हम भोग चुके होते हैं। चीजों को अच्छे से जान चुके होते है।
जब परिवार में सबसे अपना हिसाब पूरा कर चुकते हैं तो इच्छाये समाप्त होने लगती है तो दुनिया मे आने के रास्ते बंद हो जाते है। क्यूं आयेगा कोई ?
जब कोई वजह ही नहीं रहती, तो फिर कोई मतलब ही नहीं रहता वापस इस संसार में आने का। जैसे जैसे हम ज़िन्दगी को जान चुके होते है अनुभव कर चुके होते है उससे हम मुक्त होते जाते है धीरे धीरे..
बेशक !
पूर्णता बहुत सुन्दर और आनंद देने वाली होती है मगर अधूरापन हमे अन्दर से और बाहर से और भी सुन्दर बना देता।
.”पूर्णिमा का चाँद “
पूरा कितना मनमोहक होता है ।उसको देखने भर से ही मन में शान्ति का संचालन होने लगता है और शायरों की कलम ✍️ लिखने को बेकरार होने लगती है।
मगर
“आधा चाँद “
वो भी कमाल का होता है ।
आधे चाँद की रात को ही
ईद का चाँद कहा जाता है।
वो हम सब जानते ही हैं ,
कि दोनों कितने ख़ास है।
जब जब हम इन्सानों की कहानियों में जब पूर्णता आती है तो सब ठहर जाता है।
अधूरापन ही आगे चलता है, अनंत काल तक ..जन्मों जन्मों तक ..
चाहे वो बिन कहे भाव हो ..
चाहते हो . ..
खुवाईशे हो ..
या दुनिया का कारोबार हो …
.सारी उम्र कुछ लोग ग़रीबी देखते हैं उनकी अमीर बनने की चाह अधूरी रह जाये तो इस इच्छा का अंत नहीं होगा जब तक ये इच्छा पूरी न होगी यही कुदरत का नियम है
अधूरे को पूरा करना ही जीवन का मक़सद होता है …
इस संसार में “
मोक्ष “के लिए
अधूरे से पूरे होना ज़रूरी है।
.. मेरी इक दोस्त है जिस को भगवान ने सब दे रखा था।
वो अक्सर कहा करती कि मै कभी भगवान से कुछ माँगती नहीं ,सब खुद ब खुद मिल रहा है .,
पैसा ,शोहरत ,पार्टीज़ ,ज़मीन जायदाद ,आभूषण से भरी हुई थी कारोबार भी बहुत था … उसके पास प्यार करने वाला पति भी था।
वक़्त ने पलटा मारा ..
सब चला गया। मगर जब गया तो बहुत दुखी हुई।
अब हर वकत उन चीजों का ही चिंतन करती रहती है।सब वापस पाना चाहती है।भगवान से प्रार्थना करती है, कि उसे सब वापस मिल जाये ।
इसी तरह हम सब भी जब चीजों को खो देते है तो उन्हें फिर से पाना चाहते हैं और फिर उन्हें वापस पाने का चाहत ,हमें इस संसार में वापस ले कर आती है।क्योंकि अब हम ख़ुद को पूरा महसूस नहीं कर रहे।

पूरे होंगे…तो ही मोक्ष मिल सकता है इसी लिए दोस्तों !!
अधूरेपन के अहसास से घबराए नहीं ,न ही डिप्रेशन की कागार में खुद को खड़ा करे बल्कि इक उम्मीद जगाये कि आज ये अधूरेपन ही हमे पूरे की ओर ले कर जायेगा और याद दिलाये खुद को…
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“मैं आज अधूरी हूँ तो किसी रोज़ पूरी भी हो जाऊँगी ,बस यही ख़याल काफ़ी है ख़ुश
रहने के लिए “
लेखिका स्मिता ✍️

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“एबीवीपी का 69वां राष्ट्रीय अधिवेशन” ऋषि परम्परा वाहक का उनहत्तरवाँ झरना~ डॉ प्रीति

यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक परिवार है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद इस परिवार का युवा वर्ग है। इस युवा के आदर्श स्वामी विवेकानन्द हैं। संघ ने अपने परिवार के इस युवा सदस्य को जो सिखाया है उसका मूल है

काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं ॥
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पिछले उनसठ वर्षों की सतत यात्रा इन्हीं पांच विशेषताओं के साथ रही है। इतनी प्रसिद्धि, वीरता, संयम, महिमा, गुण, उपलब्धि, व्यापकता, विस्तार, उड़ान, गहराई, प्रवाह, उत्थान, परिपक्वता, सावधानी और सबसे बड़ी बात, इतना सुन्दर गीत-रूप किसी भी संगठन में ऐसे ही नहीं मिलता। एबीवीपी ने ये सभी गुण अपने पांच बुनियादी गुणों से हासिल किए हैं जो उसने अपने मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सीखे हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, जिसे संक्षेप में एबीवीपी के नाम से भी जाना जाता है, 7,8,9,10 दिसंबर को अपना 69वां अधिवेशन आयोजित कर रही है, यह न केवल भारत का बल्कि विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन है। विद्यार्थी परिषद, जिसकी स्थापना 9 जुलाई, 1949 को हुई थी, आज एक सोलह वर्षीय युवा की अद्भुत युवाता और ऊर्जा के साथ अपना उनहत्तरवाँ राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करने के लिए तैयार है। इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में देश के गृह मंत्री अमित जी शाह और समापन सत्र में देश के तेजस्वी एवं लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग ले रहे हैं
ज्ञान, शील और एकता के शब्द या मंत्र के साथ आगे बढ़ते हुए यह छात्र संगठन अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। अनेक लक्ष्य रखने वाले इस संगठन के मूल में एक ही लक्ष्य है- भारत माता को परम वैभव के शिखर पर स्थापित करना। बांग्लादेशी अवैध घुसपैठ, कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति, श्री राम जन्मभूमि, बांग्लादेश को तीन बीघे जमीन देने के विरुद्ध सत्याग्रह, तुष्टिकरण, शिक्षा का भारतीयकरण, नई शिक्षा प्रणाली, आतंकवाद का विरोध, शिक्षण संस्थानों में शुचिता-अनुशासन-गरिमा, का विकास शिक्षण संस्थानों। यह संगठन व्यावसायीकरण का विरोध, ग्रामीण क्षेत्रों के कोने-कोने में शिक्षा का प्रसार आदि जैसे कई लक्ष्यों और आंदोलनों को प्राप्त करके यहां तक पहुंचा है, यह संगठन अब एक विशाल वट वृक्ष बन गया है।

विद्यार्थी परिषद ने अपनी 69 वर्षों की अथक, स्थायी और अद्भुत यात्रा में जो हासिल किया है वह दो ध्रुवों के बीच पुल बनने जैसा है। एक ओर यह संगठन भारत की बुनियादी ज्ञान परंपरा को उसके ज्ञान के शिखर पर स्थापित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर यह संगठन अंतरराष्ट्रीय स्तर और वैश्विक शिक्षा पद्धतियों को भी आत्मसात कर रहा है। यद्यपि भारतीय ज्ञान परंपरा और वैश्विक आधुनिक शिक्षा के एकीकरण का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है, लेकिन नई शिक्षा नीति के माध्यम से विद्यार्थी परिषद ने इस कार्य को बहुत आगे बढ़ाया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जहां भारतीय शिक्षा व्यवस्था में अनेक सुधारों की आवश्यकता को लेकर चिंतित एवं विचारशील था, वहीं विद्यार्थी परिषद संघ की इस चिंता को अनुकूलता में बदलने का एक बड़ा माध्यम साबित हुई है। एबीवीपी खुद ही संघ की नई शिक्षा नीति के लक्ष्यों को हासिल करने में जुट गई है. इस संगठन में न केवल विद्यार्थियों बल्कि शिक्षकों की भी निरंतर भागीदारी नई शिक्षा नीति को लागू करने के लक्ष्य में सहायक सिद्ध हुई है।
किसी भी राष्ट्र की मूल पहचान उसकी शिक्षा प्रणाली से निर्धारित होती है। यह संघ का अटल विश्वास रहा है और विद्यार्थी परिषद का पूरा संगठन इस विश्वास का वाहक और संवाहक रहा है। स्वामी विवेकानन्द ने शिक्षा के बारे में कहा है कि “पूर्णता का प्रकटीकरण मनुष्य में पहले से ही होता है!” इसी को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा नर को नारायण बनाने की क्षमता रखती है, यह संघ परिवार का विश्वास रहा है। संघ की इस विचारधारा को कोठारी आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट – “राष्ट्र का भाग्य वर्गों में आकार लेता है” में प्रतिबिंबित किया है। इस देश की रक्त कोशिकाओं और धमनियों में गहराई तक पैठ बनाने वाले अंग्रेज थॉमस मैकाले को पिछले एक दशक में अकारण ही बाहर नहीं निकाला गया है। इसके पीछे विद्यार्थी परिषद, संघ परिवार और सौ वर्षों की तपस्या का अमूल्य योगदान है।
नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे प्रमुख उपलब्धियों में से एक, जो आने वाली सदियों तक देश को चमकती और चकाचौंध करती रहेगी, वह है “नई शिक्षा नीति”। इस नई शिक्षा नीति के निर्धारण में विद्यार्थी परिषद का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। के कस्तूरीरंगन नई शिक्षा व्यवस्था का मसौदा तैयार कर रहे हैं. कस्तूरीरंगन समिति ने अपनी रिपोर्ट में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का भी जिक्र किया है और उसके प्रति आभार व्यक्त किया है. नई शिक्षा प्रणाली में अपने योगदान में एबीवीपी चंद्रयान अभियान और स्वामी विवेकानन्द से लेकर भारतीय ज्ञान परंपरा, भारतीय ऋषि परंपरा, गुरुकुल परंपरा, आचार्य चाणक्य, वैदिक तत्व, पौराणिक आख्यान और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक सब कुछ शामिल करके इसे समग्र बनाने का प्रयास किया है।
अपनी 69 वर्षों की यात्रा में, एबीवीपी ने अनगिनत अभियानों, आंदोलनों और आह्वानों को आमंत्रित करके हमारे समाज और राष्ट्र को बेहतर बनाने का काम किया है। अगर इन सबकी सूची बनाई जाए तो शायद पूरे समुद्र की स्याही और पूरी धरती का कागज कम पड़ जाएगा, लेकिन फिर भी विद्यार्थी परिषद की इस व्यापक यात्रा को अगर हमें तीन शब्दों में समझना है तो ये तीन शब्द ही हैं इस संगठन के लिए पर्याप्त हैं. – ज्ञान, शील एकता!!
विद्यार्थी परिषद नये परिवर्तनों का वाहक बन गयी है, सामाजिक समरसता का पर्याय बन गयी है, समस्याओं के समाधान का अचूक मंत्र बन गयी है, पर्यावरण संरक्षण का साधन बन गयी है, सृजनात्मकता का स्रोत बन गयी है, इन सभी गुणों से अखिल भारत बढ़ रहा है आगे। विद्यार्थी परिषद का 69वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित करने हेतु तत्पर विद्यार्थी परिषद को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं वंदन!!
एबीवीपी हर साल एक नया वार्षिक श्लोक निर्धारित करती है। पिछले वर्ष के गीत की इस पंक्ति को पढ़कर हमें इस संगठन का सार पता चलता है –
हम छात्र शक्ति के प्रखर पुंज , हम देव भूमि के हैं साधक,
हम छात्र शक्ति से राष्ट्रशक्ति , गढने वाले है आराधक!
हम तरुणाई में संस्कारों का अलख जगायेंगे ,
विश्वगुरु भारत का ध्वज लेकर जायेंगे !!

डॉ प्रीती
अस्सिस्टेंट प्रोफेसर
दिल्ली विश्वविद्यालय

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