कानपुर 8 मार्च, भारतीय स्वरूप संवाददाता, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज की एन एस एस इकाई कोदोमबनी द्वारा गोद लिए गए गांव काकोरी में पोषक आहार वितरण कार्यक्रम किया गया कार्यक्रम के प्रारंभ में एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने महिला दिवस के इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत कर महिलाओं को जागरूक किया इस अवसर पर डॉ मोनिका शुक्ला एवं श्रीमती रीता आदि शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं, एन एस एस यूनिट से लगभग 30 वालंटियर ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया , एन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर के व्याख्यान के उपरांत महिलाओं को पोषक आहार का वितरण किया गया तदोपरांत उन्हें स्वास्थ एवं स्वच्छता से संबंधित शपथ दिलाई गई कार्यक्रम में काकोरी की सभी महिलाओं एवं बच्चों ने भाग लिया
महिला जगत
दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजाजीपुरम , लखनऊ में वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित
भारतीय स्वरूप संवाददाता, लखनऊ 3 मार्च को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, राजाजीपुरम , लखनऊ में वार्षिकोत्सव एवं पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य महोदया प्रोफेसर अर्चना राजन जी ने की कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में श्री नरेंद्र शंकर पांडे (सलाहकार,गृह मंत्रालय, भारत सरकार )एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती मीरा पांडे जी उपस्थित रहे सर्वोच्च अंक प्राप्त मेधावी छात्राओं को सम्मानित किया गया साथ ही वर्ष पर्यंत आयोजित की गई विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजई प्रतिभागियों को भी मुख्य अतिथि के कर कमलों से प्रशस्ति पत्र एवं पुरस्कार प्रदान किए गए इस अवसर पर महाविद्यालय की समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ नेहा जैन की पुस्तक “कार्यशील महिलाओं का समाजशास्त्रीय अध्ययन “का विमोचन किया गया महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका एवं इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रियंका शर्मा की पुस्तक “social history in modern india”का भी विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे
मजबूत लोकतंत्र
लोकतंत्र मतलब जनता द्वारा जनता के लिए निर्धारित व्यवस्था। जनता द्वारा निर्धारित व्यक्ति संरक्षक की भूमिका निभाता है। अच्छा बुरा सोच कर उनके हितों को ध्यान में रखता है। इस चुनावी बयार में ही लोकतंत्र की मजबूती का भान होता है। एक वक्त था जब नेता शब्द सम्मानजनक माना जाता था। वो देश – समाज के लिए समर्पणभाव रखता था लेकिन जैसे-जैसे सत्ता में नेताओं की पकड़ मजबूत होती गई वैसे वैसे उनकी सोच, समझ, सलीका और शैली भी बदलती गई। आज के नेता अपने वैचारिक स्तर से नीचे गिर गए हैं। चुनाव, घोषणा – पत्र और सभाओं में दिए के प्रलोभनों द्वारा जनता को बरगलातें हैं लेकिन जनता भी इनको समझ चुकी है। फ्री की चीजों को लेने के बाद वो भी नेताओं जैसा ही व्यवहार करने लगी है। नेताओं के वादों पर से अब लोगों का भरोसा उठ गया है। आज नेताओं को दल बदलने में जरा भी वक्त नहीं लगता। जो नेता पहले अन्य दल की बुराई कर रहे थे दल बदलते ही पुराने दल का विरोध करने लगते हैं। निजी हितों के लिए व्यापारियों की तरह खुलेआम सौदेबाजी खरीद-फरोख्त करते हैं। इनका मकसद अच्छा बुरा सोचे बिना जैसे भी बने सिर्फ अपना कार्य सिद्ध करना होता है।
गौरतलब है कि कोरोना काल में जो भी नियम कानून बने वह बस जनता के लिए ही थे। चुनावी रैलियों पर यह नियम नहीं लागू हुये। तो सरकार कौन सी सोशल डिस्टेंसिंग की बात कर रही थी। जहां लोगों को मरने के लिए आमंत्रित किया जा रहा था। शादी समारोहों में लोगों की उपस्थिति पर संख्या निर्धारित कर दी गई, स्कूल – कॉलेज बंद कर दिए गए लेकिन चुनावी क्षेत्रों में कोरोना का कहीं असर नहीं दिखाई देता था। सरकारी घोषणाएं, मंत्रियों के मुस्कुराते चेहरे और अखबार के विज्ञापनों में आंकड़ों में विकास नजर आ जाता है तो फिर आज का युवा रोजगार क्यों मांग रहा है? वो क्यों परेशान है? यदि समस्याएं खत्म हो गई है तो आंदोलन क्यों हो रहे हैं? जनता का पैसा चुनाव प्रचार, रैलियों और विज्ञापनों में खर्च हो जाता है और बचा कुचा घपला कर भगोड़े ले जाते हैं और जनता को मुफ्त नाम का लॉलीपॉप थमा दिया जाता है।
हम सरकार चुनते हैं तो यह जरूरी नहीं हो जाता कि सरकार के हर निर्णय का समर्थन किया जाये। हमारे घर का मुखिया पिता होता है और उसके द्वारा लिया हुआ निर्णय अंतिम निर्णय होता है। मगर जब वह गलत निर्णय या तानाशाही करता है तो पुत्र, पुत्री और पत्नी द्वारा विरोध के स्वर उठने लगते हैं। उसे चेताया जाता है कि आपका यह निर्णय सही नहीं है। कुछ यही बात लोकतंत्र के प्रतिनिधि पर भी लागू होती है सरकारें आयेंगी और जायेंगी लेकिन जनता को सही गलत का फर्क समझ में आना चाहिए और आज लोकतंत्र की यही मांग भी है। –प्रियंका वर्मा महेश्वरी
एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज के ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एक सेमिनार का आयोजन
कानपुर 24 फरवरी एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज कानपुर में ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा एक सेमिनार का आयोजन किया गया, कार्यक्रम का शुभारंभ वीएलसीसी से आए हुई हेड ऑफ इंस्टीट्यूट कु. प्राची , स्किन एक्सपर्ट कु.आस्था, मेक अप आर्टिस्ट कु.अनामिका, श्री गौतम जी, प्रबंध समिति के सचिव श्री पी के सेन, प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल तथा कार्यक्रम प्रभारी डॉ.गार्गी यादव ने दीप प्रज्वलित कर किया, वीएलसीसी से आई हुई टीम ने छात्राओं को मेकअप, हेयर कटिंग, न्यूट्रीशन के क्षेत्र में किस तरह से अपना करियर बनाए इस बारे में विस्तार से बताया। साथ ही छात्राओं को कैंपस में ही हेयरकट और मेकअप का डेमो भी दिया। वीएलसीसी से आई हुई वहां की हेड ऑफ इंटीट्यूट, प्राची जी ने कन्वेंशनल और नॉन कन्वेंशनल करियर के बारे में विस्तार से बताया। प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत महाविद्यालय में स्थापित ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा छात्राओं के ज्ञानवर्धन, विकास और रोजगार से संबंधित विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहेगा जिससे छात्राओं का सर्वांगीण विकास हो सके। कार्यक्रम का संचालन ट्रेनिंग एंड प्लेसमेंट सेल की प्रभारी डॉ. गार्गी यादव ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. निशा वर्मा ने किया। कार्यक्रम में प्लेसमेंट सेल की सदस्य डॉ. कोमल सरोज व समस्त प्रवक्ताए और छात्राएं उपस्थित रही।
डीआरडीओ ने विज्ञान सर्वत्र पूज्यते में लिया हिस्सा, देश भर के 16 शहरों में प्रदर्शनियों का आयोजन
‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) देश भर में आयोजित होने वाले ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम में भाग ले रहा है। 22 से 28 फरवरी, 2022 के दौरान देश के हर हिस्से से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्रदर्शित करने के लिए विज्ञान सर्वत्र पूज्यते अखिल भारतीय कार्यक्रम है।
डीआरडीओ पूरे देश के 16 शहरों में ‘अमृत महोत्सव साइंस शोकेस : रोडमैप टू 2047’ विषय पर प्रदर्शनियों का आयोजन भी कर रहा है। डीआरडीओ की ओर से आगरा, अल्मोड़ा, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, जोधपुर, लेह, मुंबई, मैसूर, पुणे, तेजपुर, एरानाकुलम, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बहुत बड़ी प्रदर्शनी आयोजित की जा रही हैं। ‘महोत्सव’ में डीआरडीओ की भागीदारी अनुसंधान एवं विकास संगठनों द्वारा किए जा रहे कार्यों और 2047 की राह में विचारों और प्रौद्योगिकी के प्रयासों को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।
विभिन्न तकनीकों से संबंधित कई डीआरडीओ उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें नाग, मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम), आकाश, ब्रह्मोस, अस्त्र, प्रलय, मिशन शक्ति, बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन (एईआरवी), मारीच, 3डी सेंट्रल एक्विजिशन रडार (3डी सीएआर), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, ब्रिज लेयर टैंक (बीएलटी) आदि के मॉडल शामिल हैं। इसमें रेट्रोमोटर, बूस्टर मोटर, समग्र रॉकेट मोटर आवरण, ड्रॉप टैंक, ब्रेक डिस्क आदि तकनीकी का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
इस सप्ताह के दौरान देश भर के अलग-अलग केंद्रों पर विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास पर प्रख्यात वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी होंगे। डीआरडीओ के वैज्ञानिक देश भर के 33 केंद्रों पर 11 अलग-अलग भारतीय भाषाओं में विभिन्न मुद्दों और विषयों पर व्याख्यान भी दे रहे हैं।
स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए भारत सरकार एक साल का कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव आयोजित कर रही है। सरकार के विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन राज्यों के स्तर पर एजेंसियों के साथ करीबी साझेदारी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं।
‘अमृत महोत्सव विज्ञान’ जिसका नाम ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ भी है, हमारी वैज्ञानिक विरासत और प्रौद्योगिकी कौशल को प्रदर्शित करेगा, जिसने रक्षा, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, कृषि, खगोल विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान खोजने में मदद की है। यह कार्यक्रम डीआरडीओ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), अंतरिक्ष विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय और संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित किया जाता है।
Read More »क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी वूमेन एन इन बोर्न साइंटिस्ट बाय नेचर कार्यक्रम आयोजित
कानपुर 16 फरवरी, क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय द्वारा एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया
जिसका शीर्षक था वूमेन एन इन बोर्न साइंटिस्ट बाय नेचर यह कार्यक्रम आयु पैक इंटरनेशनल यूनियन आफ प्योर एंड अप्लाइड केमेस्ट्री यूएसए में ग्लोबल वूमेन ब्रेकफास्ट एवं एसोसिएशन ऑफ केमिस्ट्री टीचर मुंबई के संयुक्त तत्वावधान मैं किया गया
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति प्रोफ़ेसर विनय कुमार पाठक जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया, महिलाओ का विज्ञान के क्षेत्र में डिजिटल सशक्तिकरण होना अत्यंत आवश्यक है तभी वह आगे आने वाली पीढ़ी को भी सशक्त कर पाएंगी, प्रोफेसर मैरी गारसन कोचेयर ऑस्ट्रेलिया से ने सभी प्रतिभागियों को विज्ञान की महत्व के बारे संबोधित किया /मुख्य वक्ता डॉ सुनीता भगत ,दिल्ली यूनिवर्सिटी ने संबोधन में बताया कि विज्ञान और समाज के पोषण में महिलाओं की उभरती भूमिका रहती है महिलाओं की बौद्धिक क्षमता को साकार करना लैंगिक असमानता और विकास, अनुकूलन,अभिव्यक्ति के माध्यम से जमीनी स्तर पर महिलाओं का सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है।दूसरे मुख्य वक्ता डॉ अजय विशेश्वर ,फैकेल्टी और रिसर्च साउथ अफ्रीका के टॉक का शीर्षक था” महिलाओं में विज्ञान बनाम विज्ञान में महिलाएं” उन्होंने बताया कि कैसे एक महिला का प्रहारवाला चरित्र, जो वैज्ञानिक दिशा की ओर अग्रसर है, तथा महिला की विज्ञान के सभी क्षेत्रों और पहलुओं को अपनाने की क्षमता , अत्यंत सराहनीय पूजनीय है, कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ श्वेता चंद ने प्रार्थना द्वारा किया। सभी प्रतिभागियों का स्वागत प्रोफेसर जोसेफ डेनियल,प्राचार्य , क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, ने किया कार्यक्रम की संयोजक डॉ मीत कमल ने संगोष्ठी के शीर्षक की जानकारी दी उन्होंने बताया कि कैसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा सशक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है तथा छात्र-छात्राओं को इस विषय की प्रेरणा देनी बहुत ही जरूरी है कार्यक्रम का संचालन डॉ आनंदिता भट्टाचार्य ने कुशल पूर्वक किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ श्रद्धा सिन्हा ए.सी.टी वाइस प्रेसिडेंट ने दिया, इस कार्यक्रम में डॉ डी वी प्रभु विल्सन कॉलेज मुंबई , श्री बृजेश पारे ए.सी.टी प्रेसिडेंट, डॉ सुधा जैन जोशना, असीम एवं अन्य कॉलेज के अध्यापक एवं छात्र छात्र छात्राएं भी मौजूद रहे।
हर मर्ज का इलाज है कपालभाती
कपालभाति के लाभ
वैसे तो कापलभाति के बहुत सारे लाभ है लेकिन यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में बताया गया है।
कपालभाति लगभग हर बिमारियों को किसी न किसी तरह से रोकता है।
कपालभाति को नियमित रूप से करने पर वजन घटता है और मोटापा में बहुत हद तक फर्क देखा जा सकता है।
इसके अभ्यास से त्वचा में ग्लोइंग और निखार देखा जा सकता है।
यह आपके बालों के लिए बहुत अच्छा है।
यह क्रिया अस्थमा के रोगियों के लिए एक तरह रामबाण है। इसके नियमित अभ्यास से अस्थमा को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
कपालभाति से श्वसन मार्ग के अवरोध दूर होते हैं तथा इसकी अशुद्धियां एवं बलगम की अधिकता दूर होती है।
यह शीत, राइनिटिस (नाक की श्लेष्मा झिल्ली का सूजना), साइनसाइटिस तथा श्वास नली के संक्रमण के उपचार में उपयोगी है।
यह उदर में तंत्रिकाओं को सक्रिय करती है, उदरांगों की मालिश करती है तथा पाचन क्रिया को सुधारती है।
यह फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि करती है।
यह साइनस को शुद्ध करती है तथा मस्तिष्क को सक्रिय करती है।
यह पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाता है।
माथे के क्षेत्र में यह विशेष प्रकार की जागरुकता उत्पन्न करती है तथा भ्रूमध्य दृष्टि के प्रभावों को बढ़ाती है।
यह कुंडलिनीशक्ति को जागृत करने में सहायक होती है।
यह कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए बहुत लाभप्रद योगाभ्यास है।
कपालभाति की सावधानियां
से ध्यान लगाने से पूर्व एवं आसन तथा नेति क्रिया के उपरांत करना चाहिए। सांस भीतर स्वतः ही अर्थात् बल प्रयोग के बगैर ली जानी चाहिए तथा उसे बल के साथ छोड़ा जाना चाहिए किंतु व्यक्ति को इससे दम घुटने जैसी अनुभूति नहीं होनी चाहिए।
हृदय रोग, चक्कर की समस्या, उच्च रक्तचाप, मिर्गी, दौरे, हर्निया तथा आमाशाय के अल्सर से पीड़ित व्यक्तियों को यह क्रिया नहीं करनी चाहिए।
डा श्रुति कौशिक🙏लखनऊ
एस एन सेन पी जी बालिका विद्यालय की एन एस एस यूनिट (कदोबिनी देवी ) द्वारा मतदाता जागरुकता अभियान का आयोजित
कानपुर 12 फरवरी एस एन सेन पी जी बालिका विद्यालय की एन एस एस यूनिट ( कदोम्बिनी देवी ) द्वारा मतदाता जागरुकता अभियान का आयोजन किया गया जिसके अन्तर्गत मतदाता जागरुकता पर फूल् बाग से 2 किलोमीटर की दूरी तक रैली निकाली गई तथा लोगो को मतदान से सम्बन्ध मे पोस्टर एवम स्लोगन और नारों के द्वारा मतदान करने के लिए जागृत किया गया
रैली मे कालेज की प्राचार्या डा निशा अगरवाल,राष्ट्रीय सेवा योजना की कार्यक्रम अधिकारी डा चित्रा सिंह तोमर,डा अलका तन्डन,डा रचना निगम,डा ऋचा सिंह, डा रीटा,डा मोनिका शुक्ला,डा प्रीत अवश्थी,डा सरिका अवस्थी आदि कालेज की अनेक प्रवक्ता ने भाग लिया
इश्क़ तो उसी का मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुँचा
🌹मेरी रूह को जो छू जाये ..वो ज़रिया महज़ गुलाब नहीं हो सकता। रूहानी इश्क़ की पाकीज़गी को गर क़ायल करना चाहो ,तो कुछ कतरा अशक बहाना होगा। ”बहुत इश्क़ इश्क़ तू करता है ,पता भी है ये इश्क़ होता क्या है ?जिस को ये इश्क़ लगा ,चाहे वो रब का हो या जग का फिर वो शख़्स खुद मे रहता ही कहाँ है फिर तो जैसे साहेब राज़ी वैसे वो राज़ी”। ये सच है ! इश्क़ की गलियों मे रंगरूप ,धनदौलत रुतबा कोई मायने नहीं रखता।सामने वाले की ख़ुशी किस बात में है,यही इक फ़िक्र रह जाती है। वहाँ त्याग स्वीकार और सिर्फ़ समर्पण ही होता है और बातें भी सिर्फ़ खामोशियाँ ही करती है बिना शर्तों के, बिना शिकायत के ,बिना अल्फ़ाज़ो के।जहां आँखों से बहा पानी आंसू न रह कर अमृत हो जाता है।
क्या ख़ूब कहा किसी फ़क़ीर ने कि इश्क़ तेरे विच ,मन मर्ज़िया न चलदियां .. जो यार कहे, ओही बिस्मिल्ला। इश्क़ की बेशुमार दौलत“दर्द”होता है जो सहना हर किसी के बस की बात है ही नही। इश्क़ “ठहराव “है उम्र भर का इन्तज़ार हैं।महज़ इक गुलाब🌹देना या लेना ही इश्क़ नहीं है ..ये तो सिर्फ़ इज़हारे इश्क़ है जनाब। गुलाब चाहे कितना भी खूबसूरत क्यों न हो ..वक़्त रहते मुरझायेंगा ही ..मगर इश्क़ तो वो शय है जो मरने के बाद भी इसकी महक क़ायम रहती है। दोस्तों! रब के या दुनिया के प्रेम में कोई ज़्यादा फ़र्क़ नही। दोनो ही सब्र माँगते है और सब्र हर किसी से होता नही, न ही ये कोई सौदा है जिसे ख़रीदा या बेचा जा सके। प्रेम तो इक रूहानी अहसास है जहां“मैं “खो”जाये..और बस “ तू ही तू“रह जाये।प्रेम मे दूरियाँ के कोई मायने नही।बावजूद दूरियों के भी अगर इश्क़ क़ायम रह जाता है ,तो वो इश्क़ ही कुछ और होता है।जब वाक़ई मे आप इश्क़ से रुबरू होते है तो न केवल गुलाब बल्कि आप खुद को ही समर्पित करने के लिए बाध्य हो जाते है। जब कोई बाहरी रंग रूप से आकर्षित होता है वो आकर्षण कभी ठहरता नहीं अगर दिल से प्रेम हो जाये तो आख़िरी साँस तक चलता है..और जब कही इश्क़ रूह से हो जाये ,तो वो अमरत्व को प्राप्त करता है। कोई विरला ही इसका अनुभव कर पाता है।इसे ही रूहानी इश्क़ भी कहा जाता है मगर अफ़सोस !
इन्सान दिल या जिस्म पर ही अटक गया, इश्क़ तो उसी का मुकम्मल हुआ जो रूह तक पहुँच गया। 🙏
इश्क़ तो जिस्मों से परे ,पाकीज़गी मे ही ये पनपता और महकता है।बिना छूऐ भी प्यार करना।जुदा हो कर भी उसी का ही ..हो कर रहना।अपनी खुदी को ही खो देना ..ये है मोहब्बत।प्रेम वही कर सकता है जो प्रेम के बदले कुछ न चाहे ..जो सिर्फ़ प्रेम देना जानता हो ..बदले मे मिले न मिले ,उसे ..उससे कोई सरोकार नही।
कृष्ण दीवानी मीरा साक्षात्कार प्रेम की ही मूर्ति थी।कृष्ण को उसने कभी देखा नही, छुआ नही। बस उसके अहसास से प्रेम किया और रंग गई उसी के रंग मे। वक़्त जितना भी माडर्न हो जाये दोस्तों सच्चे प्रेम की परिभाषा वही रहेगी। “स्त्री अगर बहुत सुन्दर है इसीलिए उससे प्रेम हो जाये, ये मात्र आकर्षण या वासना भी हो सकती हैं ।विपरीत इसके ..किसी स्त्री से प्रेम हो जाये फिर वो हर हाल मे सुन्दर लगे तो यक़ीनन प्रेम हुआ” सुन्दर चेहरा तो किसी को लुभा ही लेता है। खूबसूरत “दिल”पर कोई भी आशिक़ हो सकता है मगर मन की सादगी किसी की भी रूह को छू सकने की ताक़त रखता है, दोस्तों, बेशक प्यार का इज़हार गुलाब दे कर करे मगर कोशिश करे ,उन्हें गुलाब के साथ-साथ अपना पूर्ण समर्पण भी दे ,जो उनके जीवन को सदा के लिए महका दे।आप का प्यार इक बेशक़ीमती इत्र की तरहां हो जिसकी महक दूसरो को भी महसूस हो …आज हम अगर खुद मे झांके और देखे , क्या वाक़ई मे हम ऐसे इश्क़ से वाक़िफ़ है जो आख़िरी साँस तक चले।आज हालात कुछ और है जो किसी हद तक ठीक नही ।ये वैलेंटाइन बाहरी देशों की सभ्यता थी।हमारे देश मे इसका चलन कुछ ही सालों से हुआ है ।वैलेंटाइन को मनाईये ज़रूर ,मगर गुलाब सिर्फ़ उसे ही दे ..जिसके साथ आप सारी उम्र गुज़ारना चाहे हर किसी को दे कर खुद को छोटा न करे।
ये बात कुछ साल पहले लंदन की है इक लड़का बहुत प्यार करता था किसी लड़की से .. वैलेंटाइन के दिन उसने उसको एक हज़ार पौण्ड का बेशक़ीमती गुलाब का गुलदस्ता दिया और फिर लंदन के किसी बड़े होटल मे दोनो ने लंच किया।लड़के ने शाम को अपने दोस्तों के साथ पार्टी रख ली और पार्टी के दौरान लड़के ने लड़की को शादी के लिये प्रपोज़ भी कर दिया।यानी वैलेंटाइन को यादगार बनाने के लिये कोई कसर नही छोड़ी ।दोनों बहुत ख़ुश थे।साल के बाद शादी भी हो गई ।दो सालों में सारी दुनिया भी घूम डाली।मगर दो साल के बाद दोनों एक दूसरे से अलग हो गये .. उससे अगले साल वो लड़का किसी और को गुलाबों का गुलदस्ता भेज रहा था और लड़की किसी और के साथ वैलेंटाइन मना रही थी। मेरे हिसाब से न तो ये इश्क़ है न ही प्यार या मोहब्बत… हाँ आकर्षण ज़रूर कह सकती हूँ बहुत से लोग आकर्षण को ही इश्क़ समझ लेते हैं ।आप इसे क्या कहते है ये फ़ैसला मै आप पर ही छोड़ देती हूँ ।इश्क़ इतना सस्ता है ही नही ,जो गुलाब दे कर उसे ख़रीद लिया जाये या छोड़ दिया जाये..मगर ये आज विदेशों में ही नहीं बल्कि सब जगह ये चलन चल रहा है।
दोस्तों। माना ये इश्क़ को ज़ाहिर करने की पहली निशानी गुलाब हो सकती है,मगर गुलाब तो एक ही काफ़ी है और सिर्फ़ “अकेला गुलाब”प्यार की नींव तो नही हो सकता।गुलाब लेने वाले को भी ये समझना ज़रूरी है कि गुलाब के साथ काँटे भी होते हैं और उसे भी वैसे ही स्वीकार करें जैसे गुलाब 🌹को किया जाता है दुया करती हूँ ये प्रेम का उत्सव मनाने के लिये आप को वैलेंटाइन का इन्तज़ार न करना पड़े बल्कि हर दिन गुलाब जैसा ही खिला और महकता रहे 🙏गुलाब की पंखुड़ियों की लालिमा ..आपके चेहरे के नूर को ..चार चाँद लगा दे।
हैपी वैलेंटाइन….🙏 स्मिता
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के ५७ स्थापना दिवस के अवसर पर एस ऍन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय की ऍन एस एस इकाई द्वारा गोद ली गयी मलिन बस्ती काकोरी में एक स्वाथ्य एवम पोषण शिविर का महिलाओं एवम बच्चों के लिए आयोजन
कानपुर 9 फरवरी, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के ५७ स्थापना दिवस के अवसर पर एस ऍन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय की ऍन एस एस इकाई द्वारा गोद ली गयी मलिन बस्ती काकोरी में एक स्वाथ्य एवम पोषण शिविर का महिलाओं एवम बच्चों के लिए आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल ने शिविर का उद्गाटन किया साथ ही साथ शिविर की सफलता के लिए सभी ऍन एस एस वालंटियर्स और प्रोग्राम अधिकारी को शुभकामनाए दी। कार्यक्रम अधिकारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने महिलाओं व बच्चों को स्वस्थ्य के प्रति जागरूक रहने की आव्यशकता को बताया। डॉ प्रीति सिंह ने आयुर्वेद तथा जड़ीबूटियों और वनपस्तियों का, जोकि उस बस्ती में आसानी से उपलब्ध हैं, का प्रयोग कर स्वस्थ्य रहने के प्रति महिलाओं को जागरूक किया। डॉ मोनिका शुक्ला ने जरुरी पोषण के प्रति महिलाओं को जागरूक किया तथा बताया कि उपलब्ध अनाज, दालों और सब्जियों से किस प्रकार वे महिलाएं पोषण प्राप्त कर सकती हैं। शिविर का समापन ऍन एस एस यूनिट कि छात्राओं द्वारा बस्ती में पोषण और स्वस्थ्य से सम्बंधित पोस्टरों के साथ रैली निकल कर हुआ जिसमें सभी महिलाओं, बच्चों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। शिविर का आयोजन बहुत ही सफल रहा।
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