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महिला जगत

हैरान हूँ मैं कभी इस बात पर कभी उस बात पर

आज कल यू ट्यूब पर लगातार तरहां तरहा के उपाय बताये जा रहे है।लोगों को कन्फ़्यूशज किया जा रहा है,अलग अलग बातें समझा कर।बेचारे लोग अपनी समस्याओं से परेशान हो कर पंडित ज्योतिषी से पूछते जा रहे हैं !!कि बताये हमारे कौन सा ग्रह अच्छा है कौन सा बुरा .. पंडित जी कोई ऐसा उपाय बता दीजिए ,बस पैसा सब तरफ़ से बरसना शुरू हो जाये।
मैं कहती हूँ अगर क़िस्मत मे पैसा होगा, तो आ ही जायेगा.. अगर पैसा क़िस्मत मे नही है तो जो हम पंडितों से पूछ पूछ कर, कभी ये उपाय तो कभी वो उपाय कर रहे होते है ,उससे मुझे नहीं लगता कि पैसा आ जायेगा .. चलो मान भी लें कि उपाय करने से कहीं से पैसा आ भी गया या किसी जप ,तप ,साम ,दाम ,दंड ,भेद से कहीं पैसा इकट्ठा हो भी गया तो दोस्तों ..
वो धन कुछ समय तो सुख दे सकता है हमेशा नही।कभी-कभी ऐसा धन दुख ही दे कर जाता है।
हैल्थ प्रोब्लम, बच्चों का बिगड़ना , क्लेश या कोई और समस्या ले कर आता क्योंकि इसे हमने अपनी ज़िद्द से अर्जित किया।
पैसा लम्बे समय तक वही फलता फूलता है जो नेक कमाई ,साफ़ मन से अर्जित किया हो। हम लोग व्रत भी करते है तो भी शर्तों पर।भगवान के सामने पहले बात रखी जाती है कि हे भगवान आप मेरा ये काम करें तो मैं आप का व्रत करूँगा।
ये तो ऐसी बात है कि हमारा बच्चा ज़िद्द करे, मां बाप से कि आप को मेरी बात माननी होगी …
नहीं तो मैं अन्न नहीं ग्रहण करूँगा।
जबकि बच्चे को तो पता भी नहीं कि वो उसकी वो माँग सही है भी या नही।
दूसरी बात ,जब हमारा बच्चा इस तरह की ज़िद्द ले कर बैठ जाता है तो हमें क़तई अच्छा नहीं लगता..कंयूकि माँ बाप को पता होता है क्या देना ज़रूरी है बच्चे के लिए ,वो तो वक़्त आने पर दे ही
देंगे ।अब किसी छोटे बच्चे को उसकी ज़िद्द पर कार तो नहीं दी सकती। वो तो जब वो उसके काबिल होगा तो उसका पिता उसे वक़्त आने पर ले भी देगा।
इक होड़ सी ..
इक भागदौड़ सी लगी हुई है हर कहीं।सब कुछ पाने की चाह रखे हुए है लोग।तुम उससे आगे और मैं तुम्हारे आगे।
ये कैसा जीवन है ?जिसमें शान्ति नही,सन्तोष नही ,इक दूसरे के सिर पर पैर रख कर आगे बढ़ने की चाहत हमें कहीं नहीं ले जा सकती।
अगर ग्रहों की बात करें तो हमें किसी से पूछने की ज़रूरत है तो ही नहीं।दोस्तों ।
सब उपाय हमारे ही आसपास है ।
हमारे अंदर ही है।
सिर्फ़ उन्हें साफ़ साफ़ देखने, समझने और व्यवहारिक जीवन में लाने की ही ज़रूरत है।
🌹
पिता ..” सूर्य ग्रह “का प्रतीक है।
जो व्यक्ति पिता की इज़्ज़त करता है,उनकी सेवा करता है उनपर किसी प्रकार का खर्च , उनके इलाज पर खर्च करता है
उनके पास वक़्त निकाल कर बैठता है ,पैरो को दबाता है …
अवश्य ही उसका सूर्य बलवान होता है। उसे सूर्य ग्रह को उंचा करने के लिए कोई उपाय की ज़रूरत है ही नही।अगर बाप क तकलीफ़ दोगे या उससे किसी तरह का छल करोगे ,तो कितना भी आप सूर्य को जल चढ़ा लें..
सूर्य नीच का ही रहेगा।
पिता को हर सुख, हर सुविधा दे कर ही हम अपना सूर्य बलवान कर सकते है।
🌹ऐसे ही चन्द्र ग्रह
इस ग्रह के नीच होने पर मन की कमजोरी ,बीमारी और उदासी घेरे रहती है “माता का रूप है “उसको शान्त करने के लिए माता की सेवा ,उसका सम्मान ,माता को सुन्दर कपड़ा ,उनको सुगन्धित फूल देना ।उसकी हर इच्छा को पूरा करना ही “चन्द्र को उंचा “करने के उपाय है 
🌹भाई ,दोस्त ,यार ये सब ही मंगल ग्रह के ही रूप है
इन सब से किया गया छल कपट ,निरादर ,हमारे मंगल ग्रह के दूषित कर देता है।पंडित कह देते है पीली या लाल दालों को पानी में डालो ..या किसी आनाथ आश्रम में पीली चीजो का दान कर दो ..
मैं तो बस यही कह रही हूँ अपने किसी आसपास नज़र घुमा कर देखिए ,
अपने किसी दोस्त को या अपने छोटे या बड़े भाई को ,..कहीं उसे तो हमारी सहायता की आवश्यकता नहीं।
उनको सहारा दो।कभी ऐसा भी होता है आप के घर राजाओं जैसा भोजन खाया जा रहा होता है और आप का भाई या कोई दोस्त या कोई आप का जानने वाले के यहाँ दाल खाना भी नसीब नहीं होता।
सो किसी ऐसे की मदद ही आप का मंगल को उंचा कर देगी।भगवान ने हमारे लिए सारे उपाय बहुत सरल और हमारे आसपास ही रखे हुए है।
मंगल को उंचा करने का यही सीधा सा तरीक़ा है अपने भाई ,यार ,दोस्तों से बना कर रखे बिना की छल कपट के। फिर देखिए मंगल आप का उंचा ही होगा।
🌹“बुध का रूप “बहन या बेटी ही है
अपनी बहन या किसी की बहन , अपनी बेटी या किसी की बेटी की इज़्ज़त करने से। उसके दुख सुख में खड़े होने से हमारा बुध ग्रह को ताकतवर बन जाता है पंडित भी हरी चीजों का दान बता देते है मगर कोशिश करें ,दान सब से पहले अपने आसपास के परिवारों से ही शुरू करे।
🌹“बृहस्पति ग्रह “
गुरू का रूप ही है
गुरू को सम्मान देना उसकी आज्ञा को मानना, उसकी सेवा मे लगना। बृहस्पति ग्रह को ख़ुश करने में सक्षम है
और हमारा उच्च का गुरू हो जायेगा 
🌹“शुक्र ग्रह का रूप “
पति या पत्नी ही है जिनके साथ हमारा सम्बंध जुड़ता है।
पति को ख़ुश रखना ,
उसका सम्मान करना ,
उसको अपने हाथों से भोजन बना कर खिलाना,उसके हर काम को ह्रदय से करना..,
उसके दुख सुख में साथ निभाना शुक्र ग्रह को उच्च कर देता है।
ऐसे ही पत्नियों को हर तरह का सुख देना पुरुषों का शुक्र ग्रह उच्च का कर देता है।
🌹“शनि ग्रह का रूप “
हमारे साथ जुड़े हुए पिता के रिश्तेदार जैसे
चाचा ,ताया ,बुआ
माँ से जुड़े रिश्तेदारों का सम्मान…बुजुर्गों का सम्मान ,उनकी सेवा से शनि उच्च के होते हैं ।
पक्षियों और जानवरों पर दया भाव रखना उनको पानी या खाने को कुछ देने से भी शनि उच्च के होते है नौकरों को नौकर न समझ कर उन्हें भी इज़्ज़त देना शनि ग्रह उच्च का कर देता है शनि आप के व्यवहार को देखता है कि आप किस के साथ क्या व्यवहार करते है सो अपनी सोच को साफ़ और सुव्यवस्थित रखने पर शनि की किरपा मिलती रहती है ।
🌹“राहू ग्रह “
ससुराल के रूप में होता है ।
उनसे बना कर रखिए।जो वो दे दे प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया जाये ,
उनसे कभी माँगा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनको देने की इच्छा ही राहू को उच्च का कर देती है।अपने शरीर की सफ़ाई ,अपने घर की सफ़ाई ,अपनी रसोई और अपने घर के शौचालय को साफ़ रखने से राहू उच्च का हो जाता है अपने घर में चीजों को सही तरीक़े सलीक़े से रखने से राहू उच्च का होता है।
🌹“केतु ग्रह..”
पंडित, महात्मा ,साधु या गुरू रूप है
उनकी सेवा करना ..
केतु को मोक्ष का कारक ग्रह भी माना जाता है इसीलिए इस मे सब से अच्छा बर्ताव .. साफ़ मन .. दया भाव .. छल कपट से दूर रहने पर ही केतु उच्च के होते है।
ग्रह कोई भी हो ,
अगर आप अच्छे हैं।
अच्छे विचार रखते है
सब की मदद कर रहे है।
यथा योग्य दान भी कर रहे है।
बुरे ग्रह का प्रभाव चाहे व्यक्ति पर पड़ तो सकता है मगर वो आप को नुक़सान नहीं पहुँचा पायेगा।
सब का भला करना
और सब के लिए मंगल की कामना करने वाले का कोई भी ग्रह कभी नुक़सान नहीं करता।
सब विकारों से दूर होने पर ही केतु हमें मोक्ष की ओर ले कर जायेगा
दोस्तों !!
बात बहुत सीधी और सरल है। अब सोचने की बात है ये सब उपाय इक सुलझा हुआ व्यक्ति बहुत आसानी से कर सकता है बस अपनी अन्तरात्मा को जगाने की ही ज़रूरत है।ये सब बातें तो हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बातें शामिल होनी ही चाहिए ।इसमें केवल अच्छा स्वभाव ही रखने की आवश्यकता है
इसमें न कोई पैसा ख़र्च करने की ज़रूरत है ,न किसी पंडितों को पैसा देने की । न ही किसी के पास जाने की ज़रूरत है यहाँ तो अपने आप को और अपनी द्वारा की गई हर गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है 
✍️ लेखिका स्मिता

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फूलों का अपशिष्ट सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहा है

जैसे-जैसे भारत स्थिरता और सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ रहा है, अपशिष्ट से संपदा बनाने पर ध्यान केंद्रित करना ही रास्ता है। मंदिरों में खाद बनाने के गड्ढे बनाने और पुनर्चक्रण प्रयासों में मंदिर ट्रस्टों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल करने से रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा हो सकते हैं। पुजारियों और भक्तों को नदियों में फूलों का कचरा न डालने को लेकर उन्हें शिक्षित करने के लिए आउटरीच कार्यक्रम से कचरे में कमी लाने में मदद मिल सकती है। “हरित मंदिर” अवधारणा को मंदिरों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में बदलने की नीतियों में एकीकृत किया जा सकता है। पारंपरिक फूलों के बजाय डिजिटल प्रसाद या स्वाभाविक तरीके से सड़नशील सामग्रियों को बढ़ावा देने से भी फूलों के कचरे को कम करने में मदद मिल सकती है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड को पार्कों आदि जैसे हरे भरे स्थानों में फूलों के कचरे का पता लगाने और उसे प्रबंधित करने में शामिल किया जा सकता है।

भारत में फूलों के अपशिष्ट का क्षेत्र नई वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका इसके बहुआयामी लाभों से पता चलता है। यह न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि कचरे को कूड़ा-स्थलों से प्रभावी ढंग से हटाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है।

आध्यात्मिक स्थलों से एकत्र किया गया फूलों का अपशिष्ट, जो कि ज्यादातर स्वाभाविक तरीके से सड़नशील होता है, अक्सर लैंडफिल या जल निकायों में समाप्त हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी सालाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लेती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, कई भारतीय शहर अभिनव समाधान ला रहे हैं। सामाजिक उद्यमी फूलों से जैविक खाद, साबुन, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।

स्वच्छ भारत मिशन स्थिरता की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहा है, जहां सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट से संपदा का सिद्धांत सर्वोच्च है। इस बदलाव के बीच, फूलों का अपशिष्ट कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उभर रहा है जिससे इस चुनौती से निपटने के लिए शहरों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास हो रहे हैं।

उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर रोज़ 75,000 से 100,000 तक दर्शनार्थी आते हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फूल और अन्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसके लिए खास ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहन हैं, जो इस कचरे को एकत्र करते हैं और फिर इसे थ्रीटीपीडी प्लांट में संसाधित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बदल दिया जाता है। शिव अर्पण स्व-सहायता समूह की 16 महिलाएं फूलों के कचरे से विभिन्न उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएं बनाती हैं और इसके लिए उन्हें रोजगार भी दिया गया है। इसके अलावा, इस कचरे से स्थानीय किसानों के लिए खाद बनाया जाता है और यह जैव ईंधन के रूप में भी काम करता है। उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,200 टन फूलों के कचरे से कुल 3,02,50,000 स्टिक का उत्पादन किया गया है।

मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना करीब 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं। कुछ खास दिनों में तो यह आंकड़ा 1,00,000 तक पहुंच जाता है, जो 120 से 200 किलोग्राम फूल चढ़ाते हैं। मुंबई स्थित डिजाइनर हाउस ‘आदिव प्योर नेचर’ ने एक स्थायी उद्यम शुरू किया है, जो मंदिर में अर्पित किये गए फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदलकर कपड़े के टुकड़े, परिधान, स्कार्फ, टेबल लिनेन और बड़े थैले के रूप में अलग-अलग वस्त्र बनाता है। वे सप्ताह में तीन बार फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं, जो 1000-1500 किलोग्राम/सप्ताह होता है। इस कचरे की छंटाई के बाद कारीगरों की एक टीम सूखे फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदल देती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदा, गुलाब और अड़हुल के अलावा, टीम प्राकृतिक रंग बनाने और भाप के माध्यम से बनावट वाले प्रिंट बनाने के लिए नारियल के छिलकों का भी उपयोग करती है।

तिरुपति नगर निगम हर दिन मंदिरों से 6 टन से ज़्यादा फूलों का अपशिष्ट उठाता है। वहां फूलों के कचरे को इकट्ठा करके उसे दोबारा इस्तेमाल करने योग्य मूल्यवान उत्पादों में बदल दिया जाता है। इसके ज़रिए स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं को रोज़गार मिला है। रीसाइकिलिंग का यह काम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम अगरबत्ती के 15 टन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र में किया जाता है। इन उत्पादों को रीसाइकिल किए गए कागज़ और तुलसी के बीजों से भरे कागज़ से पैक किया जाता है ताकि कार्बन उत्सर्जन शून्य हो।

फूलों के कचरे की रीसाइकिलिंग करने वाले कानपुर स्थित फूल, प्रतिदिन विभिन्न शहरों के मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट एकत्र करके बड़े-बड़े मंदिरों को इस कचरे की समस्या से निजात दिला रहा है। यह फूल’ भारत के पांच प्रमुख मंदिर शहरों अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से लगभग 21 मीट्रिक टन फूलों का अपशिष्ट प्रति सप्ताह (3 टीपीडी) एकत्र करता है। इस कचरे से अगरबत्ती, धूपबत्ती, बांस रहित धूपबत्ती, हवन कप आदि जैसी वस्तुएं बनाई जाती हैं। फूल’ द्वारा नियोजित महिलाओं को सुरक्षित कार्य स्थान, निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं। गहन तकनीकी शोध के साथ, स्टार्टअप ने ‘फ्लेदर’ विकसित किया है, जो पशु चमड़े का एक व्यवहार्य विकल्प है और इसे हाल ही में पेटा (पीईटीए) के सर्वश्रेष्ठ नवाचार शाकाहारी दुनिया से सम्मानित किया गया था।

हैदराबाद स्थित स्टार्टअप, होलीवेस्ट ने ‘फ्लोरजुविनेशन’ नामक एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से फूलों के कचरे को पुनर्जीवित किया है। 2018 में स्थापित कंपनी के संस्थापक माया विवेक और मनु डालमिया ने विक्रेताओं, मंदिरों, कार्यक्रम आयोजकों, सज्जाकारों और फूलों का अपशिष्ट  पैदा करने वालों के साथ भागीदारी की। वे 40 मंदिरों, 2 फूल विक्रेताओं और एक बाजार क्षेत्र से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं और खाद, अगरबत्ती, सुगंधित शंकु और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते हैं। वर्तमान में, होलीवेस्ट‘ 1,000 किलोग्राम/सप्ताह फूलों के कचरे को जल निकायों में जाने से रोक रहा है या लैंडफिल में सड़ने से बचा रहा है।

पूनम सहरावत का स्टार्टअप ‘आरुही’ दिल्ली-एनसीआर में 15 से अधिक मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करता है, 1,000 किलोग्राम कचरे को रिसाइकिल करता है और हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है। सहरावत ने फूलों के कचरे से उत्पाद बनाने के लिए 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।

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नव प्रवेशित छात्राओं का अभिविन्यास कार्यक्रम संपन्न

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 10 जुलाई एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज माल रोड, में आज नए छात्रों का अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें नव प्रवेशित छात्राओं को महाविद्यालय के गौरवपूर्ण इतिहास के साथ ही साथ समस्त संचालित विभागों, उसमें कार्यरत शिक्षक ,उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य तथा भविष्य में बच्चे यहा क्या प्रगति कर सकते हैं ?इस पर मुख्य रूप से प्रकाश डाला गया ।कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की अनुशासन समिति के तत्वाधान में किया गया ।कार्यक्रम का संचालन शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो चित्रा सिंह तोमर द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सुमन ने बच्चों के अधिक संख्या में आगमन से प्रसन्न होकर बहुत ही प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। महाविद्यालय में एनएसएस, एनसीसी , रोबर रेंजर के प्रभारी ने भी बच्चों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रही ,राष्ट्रगान के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।

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खेलो इंडिया महिला वुशू लीग के पटियाला में होने वाले उत्तरी क्षेत्रीय मुकाबले के लिए तैयारी पूरी

खेलो इंडिया महिला वुशु लीग का आगामी उत्तरी क्षेत्रीय दौर, बहुत से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने वाला है, क्योंकि इसमें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एथलीट आयरा चिश्ती और कोमल नागर अपना शानदार प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। यह प्रतियोगिता 9 से 13 जुलाई तक पटियाला के नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान में होगी, जिसमें सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर श्रेणियों के 350 एथलीट अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। एसएआई पटियाला द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में सांडा (लड़ाई) और ताओलू (रूप) दोनों शामिल होंगे और इसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख की प्रतिभागी भाग लेंगी।

युवा मामले और खेल मंत्रालय का खेल विभाग भारतीय वुशु महासंघ द्वारा आयोजित 7.2 लाख रुपये की पुरस्कार राशि वाली इस प्रतियोगिता का वित्तपोषण करता है। सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर स्पर्धाओं के शीर्ष आठ वुशु एथलीटों को नकद प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

पिछले महीने कर्नाटक में हुए दक्षिण क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद यह अगले दौर की क्षेत्रीय प्रतिस्‍पर्धा होगी। चार क्षेत्रीय मुकाबलों के बाद राष्ट्रीय रैंकिंग चैंपियनशिप आयोजित की जाएगी।

महिला वुशु लीग कई ऐसी नई खिलाड़ियों को मौका देगी जो अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता आयरा (18 वर्ष) और कोमल (19 वर्ष) की तरह बड़ा नाम कमाना चाहती हैं और  जो एनएसएनआईएस पटियाला सेंटर में प्रशिक्षण ले रही हैं।

2022 में इस प्रतियोगिता में पदार्पण करने वाली आयरा ने कहा, “मैं तीसरी खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में अपने घरेलू मैदान में खेलने को लेकर बहुत उत्साहित हूं और पिछली दो चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हूं।” आयरा ने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग उन बहुत सारी लड़कियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो खेलों में अपना भविष्य संवारना चाहती हैं और मैं इसके लिए सरकार की आभारी हूं। जहां तक ​मेरा सवाल है, मैं 52 किग्रा वर्ग में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हूं और इस भार वर्ग में भारत के लिए यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला बनना चाहती हूं। इससे पहले, मेरा लक्ष्य इस सितंबर में चीन में होने वाली सीनियर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है।”

जम्मू-कश्मीर की आयरा चिश्ती खेलो इंडिया महिला वुशु लीग में लगातार तीसरा स्वर्ण पदक जीतने की कोशिश में हैं।

जम्मू-कश्मीर की आयरा, जो सीनियर 52 किग्रा सांडा वर्ग में हिस्सा लेंगी, ने 2022 में इंडोनेशिया में जूनियर वुशु विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने 2022 में जॉर्जिया में अंतर्राष्ट्रीय वुशु चैंपियनशिप में स्वर्ण और 2024 में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता था।

चंडीगढ़ की कोमल सांडा में रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2023 की स्वर्ण पदक विजेता हैं। उन्‍होंने कहा, “कैलेंडर वर्ष में राष्ट्रीय टूर्नामेंट के अलावा एक और टूर्नामेंट खेलने का अवसर मिलने से हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है।”

कोमल ने 14 साल की उम्र में आत्मरक्षा तकनीक सीखना शुरू किया था, उन्‍होंने कहा, “खेलो इंडिया महिला लीग हमें अपने प्रदर्शन का आकलन करने, अपने खेल की खामियों और उसमें सुधार करने की दिशा में काम करने के लिए एक अच्छा मंच प्रदान करती है।”

चंडीगढ़ की कोमल ने रूसी मॉस्को स्टार्स वुशु इंटरनेशनल चैंपियनशिप 2023 में स्वर्ण पदक जीता

महिलाओं के लिए खेल के विषय में:

महिलाओं के लिए खेल विषय के तहत, खेलो इंडिया महिला लीग को दो मुख्य प्रारूपों में तय किया गया है: मेजर लीग और सिटी लीग। ये लीग विभिन्न खेल प्रारूपों में महिलाओं के प्रदर्शन को बढ़ावा देने के लिए मंच के रूप में काम करती हैं। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक खेल की आवश्यकताओं के अनुरूप विशिष्ट आयु श्रेणियों या भार श्रेणियों में लीग आयोजित की जाती हैं।

केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा समर्थित यह दृष्टिकोण न केवल महिला एथलीटों की व्यापक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है, बल्कि देश भर में विभिन्न कौशल स्तरों और आयु समूहों में प्रतिभा की पहचान और उसके विकास की सुविधा भी देता है। इन खेल प्रारूपों के माध्यम से, खेलो इंडिया पहल का उद्देश्य देश में एक जीवंत खेल संस्कृति को बढ़ावा देना और भारत की महिला एथलीटों के प्रदर्शन में सुधार करना है।

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नीट परीक्षा विवाद… आखिर क्यों?

UGC-NET परीक्षा की नई तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया है कि UGC-NET की परीक्षा 21 अगस्त से 4 सितंबर के बीच में होने वाली है, इसके साथ-साथ ज्वाइंट CSIR-UCG NET की परीक्षा जुलाई 25 से 27 जुलाई के बीच में होने वाली है। इसी कड़ी में NCET परीक्षा 10 जुलाई को करवाई जाएगी। बड़ी बात यह है कि इन परीक्षाओं को इस बार ऑनलाइन करवाया जा रहा है क्योंकि पिछली बार  UGC-NET की परीक्षा ऑफलाइन करवाई गई थी।

हर साल लाखों छात्र मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए Neet की परीक्षा देते हैं। Neet परीक्षा विवाद के बाद लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। 5 मई को देशभर से करीब 23 लाख स्टूडेंट्स ने यह परीक्षा दी थी, लेकिन पेपरों की बिक्री से लेकर अंकों के अवैध वितरण की ग्रेस पद्धति और परिणामों की घोषणा तक हर स्तर पर घोटाला हुआ।
नीट परीक्षा मानसिक योग्यता का परिक्षण होता है।
एक परीक्षा 23 लाख छात्र और बहुत से सवाल। 50 हजार रूपए की पुस्तकें, लाखों रुपए कोचिंग फीस के बाद 12-12 घंटे तक बच्चों की पढ़ाई और उसके बाद हजारों प्रश्नों में से 180 प्रश्न पूछे जाते हैं जिनके उत्तर छात्रों को देने होते हैं। फिर मेरिट लिस्ट बनने के बाद छात्रों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिलता है।
इन घोटालों के चलते इस साल नीट परीक्षा में टॉपर्स की संख्या 67 तक पहुंच गई जबकि पिछले साल टॉपर्स की यही संख्या सिर्फ दो थी। गुजरात के गोधरा में जय जलाराम स्कूल में नीट परीक्षा केंद्र पाने के लिए 10 लाख रुपए की बोली लगाई गई, क्योंकि वड़ोदरा में एक कोचिंग क्लासेज के संचालक ने नीट पेपर को लीक करने और अधिकतम अंक लाने की जिम्मेदारी ली थी।
पैसे फेंककर उपलब्ध कराई गई नीट में सफलता की गारंटी वाला गुजरात का शॉर्टकट एजेंटों के माध्यम से देश के कई छात्रों तक पहुंच गया। इसलिए बिहार, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक आदि राज्यों के छात्रों ने अपने घर के पास परीक्षा केंद्र का विकल्प छोड़कर हजारों किलोमीटर दूर गुजरात के गोधरा के परीक्षा केंद्र को चुना। इसके लिए इन छात्रों के अभिभावकों ने एजेंटों को लाखों रुपए की रिश्वत दी। अभिभावकों से 12 करोड़ रुपए ऐंठने के बाद छात्रों को सफलता का रास्ता बताया गया। विद्यार्थियों को आश्वस्त किया गया कि जिन प्रश्नों के उत्तर आपको नहीं आते, उस स्थान को खाली छोड़ दें, परीक्षा के बाद हम उत्तर पुस्तिका में आपके द्वारा छोड़े गए प्रश्नों के सही उत्तर भर देंगे और यह धांधली उन शासकों की नाक के नीचे हुआ जो सुशासन और पारदर्शिता जैसी बड़ी बड़ी बातें करते हैं।
नीट पेपर लीक में सीबीआई ने झारखंड से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें ओएसिस स्कूल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल अपराध मे शामिल पाये गये।
इस विवाद में आम जनता ने भी ख़ुद को शामिल कर लिया है जिसका इस परीक्षा से कुछ लेना देना नहीं है। हरदयाल पब्लिक स्कूल के पास एक दुकानदार ने बताया कि मेडिकल परीक्षा हुई थी और वहां लोग कह रहे थे कि पेपर लीक हो गया है, क्योंकि बहुत सारे बच्चों ने टॉप कर लिया है।
इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने पेपर लीक के आरोपों के बाद यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द कर दिया था। यह परीक्षा 18 जून को हुई थी और अगले ही दिन इसे रद्द कर दिया गया था।
10 दिनों में 4 परीक्षाएं स्थगित कर दी गई। पेपर लीक, भ्रष्टाचार, अनियमितताएं और शिक्षा माफ़िया ने हमारी शिक्षा प्रणाली में घुसपैठ कर ली है। देर से की गई कार्रवाई से कोई फ़ायदा नहीं होने वाला है क्योंकि अनगिनत युवा इससे परेशान हो रहे हैं। फ़िलहाल ये साफ़ नहीं है कि इस परीक्षा के साथ आगे क्या होगा?
सबसे अहम सवाल कि इतनी चुस्त सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद पेपर लीक कैसे हुआ और जब व्यवस्था के ही लोग लिप्त पाये जा रहे हैं तो न्याय की किसी भी तरह की उम्मीद करना बेकार है? बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और उनकी मेहनत कैरियर और खुद उनके साथ-साथ माता-पिता की अपेक्षाओं के साथ खिलवाड़ करना है। इस तरह की धांधली के शिकार वो बच्चे ज्यादा होते हैं जो मेहनत करके परीक्षा देने आते हैं। दोबारा परीक्षा देना मतलब फिर से उतनी तैयारी करना जोकि समय की बर्बादी भी है हालांकि कुछ छात्र दोबारा परीक्षा की मांग कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात कि संसद में इस मुद्दे को उठाने नहीं दिया जा रहा है जबकि यह शिक्षा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और महत्वपूर्ण सवाल यह भी है केंद्र चुप्पी क्यों लगाए हुए हैं? परीक्षाओं में धांधली होना अब आम हो चला है। देश में पिछले 7 सालों में पेपर लीक की तकरीबन 70 घटनाएं सामने आई हैं। इस सबसे बच्चों का मनोबल गिरते जा रहा है। क्या जरूरी नहीं हो जाता है कि सरकार शिक्षा जैसे मुद्दों पर थोड़ा गंभीर हो जाए?

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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और अनुप्रिया सिंह पटेल ने ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव गणपतराव जाधव और श्रीमती अनुप्रिया सिंह पटेल ने आज ‘आयुष्मान भारत, गुणवत्त स्वास्थ्य’ कार्यक्रम में तीन पहलों का शुभारंभ किया। ये पहल भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतरीन करने एवं कारोबार करने को और भी अधिक आसान बनाने में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।

केंद्रीय मंत्रियों ने आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (एएएम) के लिए वर्चुअल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) आकलन; एक डैशबोर्ड, जो राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्वास्थ्य संस्थानों व केंद्रों को भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों (आईपीएचएस) के अनुपालन की त्वरित निगरानी करने और तदनुसार ठोस कदम उठाने में मदद करेगा; और फूड वेंडर्स के लिए स्पॉट फूड लाइसेंस एवं पंजीकरण पहल का शुभारंभ किया।

केंद्रीय मंत्रियों ने इस कार्यक्रम के दौरान वर्चुअली निर्धारित किए गए स्वास्थ्य एएएम-एससी को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक प्रमाण पत्र प्रदान किये।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image003LGH4.jpgइसी कार्यक्रम में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक भी जारी किये गए। ये मानक एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं में प्रबंधन एवं परीक्षण प्रणालियों की गुणवत्ता और क्षमता में सुधार करेंगे, जो परीक्षण के परिणामों की विश्वसनीयता पर सकारात्मक रूप से असर डालेंगे। इनसे प्रयोगशाला से प्राप्त होने वाले परिणामों के संबंध में चिकित्सकों, रोगियों और आम जनता का भरोसा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, कायाकल्प के लिए संशोधित दिशा-निर्देश भी जारी किए गए।

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स्पॉट फूड लाइसेंस पहल का प्रारंभ होना खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली (एफओएससीओएस) के माध्यम से तत्काल लाइसेंस जारी करने और पंजीकरण सेवा प्रदान करने के लिए एक नई व्यवस्था है। खाद्य सुरक्षा एवं अनुपालन प्रणाली एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी वाला प्लेटफार्म है, जिसे सभी खाद्य सुरक्षा विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग तथा पंजीकरण की प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव प्राप्त होता है।

श्री प्रतापराव जाधव ने सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण पहलों की शुरुआत “सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा” प्रदान करने और कल्याण को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास की निरंतरता का हिस्सा है। उन्होंने 1.73 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्थापित करने, साल 2014 से मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी करने, एम्स की संख्या 7 से बढ़ाकर 23 करने और 2014 से पीजी और एमबीबीएस सीटों की संख्या दोगुनी से अधिक करने को लेकर केंद्र सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने आगे कहा, “सरकार अधिक कुशल मानव संसाधन और गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो वर्तमान और भविष्य की चिकित्सा संबंधी चुनौतियों से निपट सकती है।” अनुप्रिया पटेल ने कहा कि वर्चुअल एनक्यूएएस मूल्यांकन और डैशबोर्ड की शुरुआत के साथ-साथ दो दस्तावेजों के जारी होने से सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा। वहीं, स्पॉट फूड लाइसेंस की शुरुआत से भारत में व्यापार करने में सुगमता बढ़ेगी।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image006NJXS.jpgउन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का ध्यान सस्ती स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच प्रदान करने के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने पर भी है। श्रीमती पटेल ने बताया कि सरकार माननीय प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप साल 2047 तक एक सुदृढ़ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना के निर्माण के लिए काफी परिश्रम कर रही है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने सरकार की ओर से गुणवत्ता और अपने नागरिकों के लिए कारोबार में सुगमता प्रदान करने पर निरंतर ध्यान दिए जाने को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि जहां केंद्र सरकार राज्यों को एनक्यूएएस प्रमाणन प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करती है, वहीं उन स्वास्थ्य केंद्रों को हतोत्साहित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता के न्यूनतम मानक को सुनिश्चित नहीं करते हैं।

एफएसएसएआई के सीईओ श्री जी कमला वर्धन राव ने कहा कि एफओएससीएस के माध्यम से लाइसेंस व पंजीकरण तत्काल जारी करने से भारत में व्यापार करने को लेकर सुगमता में उल्लेखनीय सुधार होगा और माननीय प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विश्वास की सोच में योगदान करने में सहायता मिलेगी। इससे पहले पूरे भारत में विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों से आए स्वास्थ्य कर्मियों ने एनक्यूएएस प्रशिक्षण के अपने अनुभव और अपने केंद्रों को एनक्यूएएस प्रमाणित करवाने की यात्रा के साथ-साथ प्रमाणन के कारण आए बदलावों को साझा किया। इसके अलावा देश भर से आए खाद्य विक्रेताओं ने भी अपने स्टॉल के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने के अपने अनुभव को साझा किया।

पृष्ठभूमि:

आयुष्मान आरोग्य मंदिर के लिए वर्चुअल मूल्यांकन

आयुष्मान आरोग्य मंदिर उप-केंद्रों (एएएम-एससी) का वर्चुअल प्रमाणन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए गुणवत्ता आश्वासन संबंधी संरचना में एक महत्वपूर्ण नवाचार का प्रतिनिधित्व करता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना के तहत, सभी नागरिकों के लिए व्यापक, सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) की स्थापना और संचालन किया गया है। वर्तमान में, देश भर में 170,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों के नेतृत्व में, एएएम में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा की टीमों को प्रारंभिक देखभाल, ट्राइएज का प्रबंधन करने और आगे के उपचार के लिए रोगियों को उपयुक्त सुविधाओं के लिए संदर्भित करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह दृष्टिकोण पर्याप्त रेफरल लिंकेज के साथ समुदाय के निकट प्राथमिक देखभाल सेवाएं प्रदान करके माध्यमिक और तृतीयक देखभाल सुविधाओं पर बोझ को कम करता है। स्वास्थ्य समस्याओं की प्रारंभिक पहचान और प्रबंधन रोग को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। इसके लिए उन्नत देखभाल की आवश्यकता होती है।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, ग्रामीण और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (उप केंद्रों) के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) विकसित किए गए, जिसका लक्ष्य 2026 तक पूर्ण अनुपालन करना था। मूल्यांकन प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन शुरू किए गए हैं, जिसमें वर्चुअल टूर और रोगियों, कर्मचारियों और समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत शामिल है। प्रत्येक स्वास्थ्य सेवा सुविधा गुणवत्ता प्रमाणन प्राप्त करने के लिए एक कठोर बहु-स्तरीय मूल्यांकन प्रक्रिया से गुज़रेगी, जिसका मूल्यांकन स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पैनल में शामिल राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किया जाएगा।

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाएं (आईपीएचएल)

जीवन रक्षक उपचार और बीमारी की कारगर रोकथाम करने के लिए उच्च-गुणवत्ता वाले नैदानिक परीक्षणों तक पहुंच सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सशक्त प्रयोगशाला सेवाओं के बिना, रोगी अक्सर निजी सुविधाओं का सहारा लेते हैं, जिससे उन्हें काफी ज़्यादा खर्च और वित्तीय भार उठाना पड़ता है। इसलिए, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय ने एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (आईपीएचएल) की स्थापना करके पीएम-आयुष्मान भारत स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत प्रयोगशाला प्रणालियों को मजबूत किया है। ये प्रयोगशालाएं नैदानिक सेवाओं में पहुंच, दक्षता और गुणवत्ता सुनिश्चित करती हैं, जो प्रभावी स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए मौलिक हैं।

आईपीएचएल के लिए राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (एनक्यूएएस) को सुसंगत, सटीक और सुरक्षित प्रयोगशाला परीक्षण प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए विकसित किया गया है। इन मानकों का उद्देश्य रोगियों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करना, जिला और ब्लॉक-स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को सक्षमता प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करना और गुणवत्ता मानकों को लगातार बनाए रखना और सुधारना है। सटीक परीक्षण परिणाम प्रदान करने, त्रुटियों को कम करने और तेज, विश्वसनीय और सस्ती नैदानिक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रयोगशालाओं के लिए इन मानकों का पालन करना आवश्यक है। आईपीएचएल मानक जिला अस्पताल के भीतर या एक स्वतंत्र इकाई के रूप में स्थित पूरी तरह कार्यात्मक प्रयोगशालाओं पर लागू होते हैं। यह परिकल्पना की गई है कि राज्य और जिला स्तर पर गुणवत्ता आश्वासन टीम जिले में आईपीएचएल में एनक्यूएएस के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होगी।

सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय पर निगरानी के लिए एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) डैशबोर्ड का शुभारंभ

एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली (आईपीएचएस) अनुपालन डैशबोर्ड का शुभारम्भ  भारत के स्वास्थ्य सेवा विकास में एक क्रांतिकारी रणनीति का प्रतिनिधित्व करता है। आईपीएचएस दिशानिर्देशों के साथ उन्नत डिजिटल उपकरणों को एकीकृत करके, मंत्रालय सार्वजनिक स्वास्थ्य में उत्कृष्टता लाने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि प्रत्येक व्यक्ति को सर्वोत्तम संभव स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो। यह पहल राष्ट्र के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए सरकार के अटूट समर्पण का एक प्रमाण है।

आईपीएचएस डैशबोर्ड सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक ऐसा अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो जिला अस्पतालों, उप-जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आयुष्मान आरोग्य मंदिर सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के मूल्यांकन और अनुपालन स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है। मंत्रालय का लक्ष्य इस अत्याधुनिक डिजिटल उपकरण का लाभ उठाकर यह सुनिश्चित करना है कि सभी स्वास्थ्य सेवा संस्थान आईपीएचएस 2022 द्वारा निर्धारित मानकों का पालन करें, जिससे प्रत्येक नागरिक को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी की गारंटी मिले।
यह डैशबोर्ड ओपन डेटा किट (ओडीके) टूल के माध्यम से वास्तविक समय डेटा संग्रह और विश्लेषण की सुविधा प्रदान करता है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों को गहन मूल्यांकन करने, अंतराल की पहचान करने और आवश्यक सुधारों को तुरंत लागू करने में सक्षम बनाया सके । यह पहल सुनिश्चित करती है कि स्वास्थ्य सुविधाएं बुनियादी ढांचे, उपकरण और मानव संसाधनों के आवश्यक मानकों को बनाए रखें, जिससे बेहतर स्वास्थ्य परिणाम प्राप्त होंगे और एक स्वस्थ और अधिक न्यायसंगत समाज को बढ़ावा मिलेगा।
14 जून, 2024 तक, 216,062 सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में से 36,730 से अधिक का मूल्यांकन किया गया है, जिनमें से 8,562 पूरी तरह से आईपीएचएस मानकों के अनुरूप हैं। नई सरकार के गठन के पहले 100 दिनों के भीतर 70,000 स्वास्थ्य संस्थानों को अनुपालन के अनुरूप बनाने का लक्ष्य है।
अधिक जानकारी के लिए कृपया स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ।

एफओएससीओएस :

एफओएससीओएस एक अत्याधुनिक, अखिल भारतीय आईटी प्लेटफ़ॉर्म है जिसे सभी खाद्य सुरक्षा नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। यह अभिनव प्रणाली लाइसेंसिंग और पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाती है, जिससे उपयोगकर्ता को बेहतर अनुभव मिलता है। लाइसेंसिंग और पंजीकरण से परे, एफओएससीओएस ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग, खाद्य सेवा प्रतिष्ठानों के लिए स्वच्छता रेटिंग, सुरक्षा मापदंडों के लिए तीसरे पक्ष के ऑडिट के माध्‍यम से स्व-अनुपालन की सुविधा प्रदान करता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के अन्य आईटी प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ा, एफओएससीओएस खाद्य व्यवसाय संचालकों के लिए एक व्यापक समाधान प्रदान करता है।

कारोबार में सुगमता में और सुधार लाने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, एफएसएसएआई ने काम में आने लायक एक नई व्‍यवस्‍था शुरू की है जो खाद्य व्यवसायों की कम जोखिम वाली श्रेणियों के लिए लाइसेंस और पंजीकरण को तुरंत जारी करने में सक्षम बनाती है। इसे डिजिटल सत्यापन के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि खाद्य सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाए। यह नया प्रावधान खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण) विनियमन, 2011 के तहत निर्धारित लाइसेंस और पंजीकरण के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने की मौजूदा प्रक्रियाओं का पूरक है।

वर्तमान में, एफएसएसएआई लाइसेंस प्राप्त करने में पूर्ण आवेदन जमा करने की तिथि से 30 से 60 दिन लग सकते हैं। लाइसेंस के लिए, इसमें आम तौर पर 60 दिन लगते हैं, जबकि यदि निरीक्षण की आवश्यकता नहीं है तो पंजीकरण में 7 दिन और यदि निरीक्षण की आवश्यकता है तो 30 दिन तक का समय लग सकता है।

लाइसेंसिंग प्राधिकरण के हस्तक्षेप के बिना लाइसेंस जारी करने की सुविधा चुनिंदा श्रेणियों जैसे थोक विक्रेताओं, वितरकों, खुदरा विक्रेताओं, ट्रांसपोर्टरों, वायुमंडलीय नियंत्रण + ठंड के बिना भंडारण, आयातकों, खाद्य वेंडिंग एजेंसियों, प्रत्यक्ष विक्रेताओं और व्यापारी-निर्यातकों के लिए उपलब्ध होगी। पंजीकरण के तत्काल अनुदान के लिए, ऊपर बताई गई श्रेणियों में आवेदन करने वाले छोटे खाद्य व्यवसायों के साथ-साथ स्नैक्स/चाय की दुकानों और फेरीवालों (घुमंतू/चलते खाद्य विक्रेता) के छोटे खुदरा विक्रेताओं को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे। यह योजना दूध, मांस और मछली जैसी उच्च जोखिम वाली खाद्य श्रेणियों में शामिल व्यवसायों पर लागू नहीं होगी।

भारत में विकसित हो रहा खाद्य सुरक्षा इकोसिस्‍टम खाद्य व्यवसायों पर निगरानी रखने पर केन्‍द्रित पारंपरिक प्रथाओं से खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) कानून, 2006 के तहत विश्वास-निर्माण, आत्म-अनुपालन व्यवस्था में परिवर्तित हो रहा है। इन पहलों का उद्देश्य नियामक प्रक्रियाओं को डिजिटल बनाकर और विभिन्न अनुपालन मॉड्यूलों तक आसान पहुंच प्रदान करके खाद्य सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार करना है, जिससे व्यापार करने में आसानी बढ़े।

इस नई कार्यक्षमता का शुभारंभ भारत की अधिक कुशल और व्यापार-अनुकूल वातावरण बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो नवाचार, उद्यमशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है।

इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती आराधना पटनायक; केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकारों, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रमुख हितधारकों ने भाग लिया।

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कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को समृद्ध बनाने हेतु कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 29 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन सी ए ज्ञान प्रकाश गुप्ता जी द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 257 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन विवेक श्रीवास्तव, लायन पवन तुलसियान एवम लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ लायन वीना ऐरन जी ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज चतुर्थ चरण में एनईपी 2020 के अंतर्गत कला संकाय की 257 पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152, तृतीय चरण में 182 पुस्तकों प्रदान की गई थीं। अब तक कुल 657 पुस्तकें बुक बैंक में हमारे द्वारा दान की गई हैं आगे भी आवश्यकतानुसार लायंस क्लब , छात्राओं हेतु शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल, लायन क्लब कानपुर गंगेज, लायन क्लब कानपुर अलंकृत, लायन मृदुला वर्मा, लायन सर्वेश दुबे ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
इस कार्यक्रम में लायन सुधा यादव ,लायन सविता श्रीवास्तव, लायन सुषमा श्रीवास्तव, लायन संघमित्रा, लायन उत्तरा गर्ग एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की शिक्षिकाएं प्रो निशा पाठक, डॉ पूर्णिमा शुक्ला एवम पुस्तकालय प्रभारी श्रीमती सुमन उपस्थित रही I कार्यक्रम का समापन प्रो निशा पाठक के द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कर किया गया।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया

कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता. 10वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर की वॉलिंटियर्स के द्वारा कु. अनुराधा चंदेल के नेतृत्व में ग्रीन पार्क में आयोजित कार्यक्रम में योग किया गया। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का थीम *स्वयं और समाज के लिए योग* रहा। इसी संकल्प को दोहराते हुए समस्त वॉलिंटियर्स ने योग को अपने जीवन शैली में नियमित रूप से अपनाने का संकल्प लेते हुए यह भी प्रण लिया कि वह अपने परिवार तथा समाज को योग के लाभों से अवगत कराते हुए योग करने के लिए प्रेरित करेंगी। योगासनों के साथ-साथ छात्राओं ने विभिन्न यौगिक कक्रियाओं, ध्यान, प्राणायाम, साधना आदि के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की। इस अवसर पर जिला प्रशासन के द्वारा वॉलिंटियर्स को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हेतु विशेष रूप से तैयार की गई टी-शर्ट का वितरण भी किया गया।

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एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज में “दसवां अंतराष्ट्रीय योग दिवस” धूम-धाम से मना

कानपुर 22 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस ऍन सेन बी वी पी जी कॉलेज की ऍन एस एस यूनिट द्वारा “दसवां अंतराष्ट्रीय योग दिवस” को धूम-धाम से मनाया गया। फूलबाग बस्ती में ऍन एस ऐस की स्वयंसेविकाओं ने योग पर बस्ती वासियों को जागरूक किया साथ ही योग प्रशिक्षक भूमि तिवारी ने स्वयंसेविकाओं को योग का प्रशिक्षण दिया । ४० स्वयंसेविकाओं ने, बस्ती वासियों ने तथा अनेक शिक्षक व शिक्षिकाओं एवम शिक्षिनेतर्र कर्मचारियों ने योग का अभ्याहस किया। ऍन एस एस प्रभारी प्रो चित्रा सिंह तोमर ने योग के समापन पर स्वयंसेविकाओं को फल एवम मिष्ठान का वितरण किया।

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अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पूर्व जागरूकता कार्यक्रम

कानपुर 20 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना तथा मिशन शक्ति के संयुक्त तत्वावधान में एन एस एस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में 10वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अयोजन हेतु उत्तर प्रदेश की महामहिम राज्यपाल महोदया आदरणीया श्रीमती आनंदीबेन पटेल के निर्देशानुसार योग शपथ का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने हेतु बड़े पैमाने पर छात्राओं के द्वारा स्वयं तथा अपने परिवार के सदस्यों के द्वारा ऑनलाइन शपथ ली गई तथा महाविद्यालय में भी शपथ का आयोजन किया गया। छात्राओं ने योग के संबंध में जागरूकता फैलाने एवं विभिन्न योगासनों का अभ्यास भी किया जिनमे मुख्य रूप से ताड़ासन, त्रिकोणासन, वज्रासन, उष्ट्रासन, भुजंगासन, धनुरासन पवनमुक्तासन आदि तथा प्राणायाम व विभिन्न योगिक क्रियाओं यथा अनुलोम-विलोम, कपालभाति, शीत प्राणायाम, भ्रमर गुंजन, ओम् ध्वनि उच्चारण आदि के अभ्यास कराए गए। कार्यक्रम में आपसी सौहार्द, प्रेम, सद्भाव, शांति व देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत मंत्रोच्चारण व भजन का गायन भी किया गया।
इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्य प्रो अर्चना वर्मा, चीफ प्रॉक्टर प्रो अर्चना श्रीवास्तव, डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ मंजुला श्रीवास्तव एवम् कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापिकाएं उपस्थित रही।

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