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घरेलू स्त्रियों का बायोडाटा नहीं होता.

घरेलू स्त्रियों का बायोडाटा नहीं होता….
उनकी तालीम और डिग्रियां कहीं धूल में सनी,
गर्द में दब जाती है….

वह खुद भूल जाती है कि उन्होंने तालीम हासिल की है
उन्हें याद रहता है बस पत्नी, बहू और मां की हासिल की हुई डिग्रियां

हर एक में अव्वल आना उनकी जिम्मेदारी है..
उनका कागजों का कोई औचित्य नहीं
जो ‘कागज’ कमा ना सके….

बहू के संस्कार से लेकर मां के संस्कार तक की तालीम में पीएचडी तो हो ही जाती है
यह जुदा है की ‘कमियां’ तो फिर भी रही जाती है…

अनपढ़, गंवार और तुम्हें कुछ मालूम नहीं है की डिग्रियां घर से ही मिल जाती है
इसीलिए उनका ‘बायोडाटा’ नहीं बस घरेलू स्त्री ही कहलाती है…

प्रियंका वर्मा माहेश्वरी 

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रंग दे गुलाल मोहे…

होली करीब आते जा रही थी और मेरे मन में उमंगे बढ़ती जा रही थी। इस बार पक्का सोच लिया था कि प्रतीक को ढेर सारा गुलाल लगाऊंगी और खुद लगवाऊंगी भी। मैं खास होली के लिए सफेद रंग की ड्रेस भी खरीद कर ले आई थी।

नई-नई शादी और शादी के बाद मेरी पहली होली कुछ ज्यादा ही रोमांच था मेरे भीतर। मैं तरह-तरह के पकवान बनाने में व्यस्त हो गई। होली में गुझिया बहुत पसंद थी मुझे और हमारे यहां तो भांग की गुजिया भी बनाई जाती है। भाभियां अपने देवरों को भांग की गुझिया खिला देती और भांग भी बहुत पी जाती थी हमारे यहाँ। लेकिन मैंने इस सब का इंतजाम नहीं किया था क्योंकि मैं रंग में भंग नहीं डालना चाहती थी। मुझे बस प्रतीक के साथ होली खेलनी थी और उसके साथ समय बिताना था ताकि मेरी पहली होली की यादें हमेशा रंगीन रहे।
नीरजा! नीरजा ! कहां हो तुम? प्रतीक की आवाज आई।
मैं:- “आ रही हूं, बोलो क्या काम है? क्यों घर को सर पर उठा रखा है?”
प्रतीक:-  “चलो बाजार चलते हैं। रंग गुलाल और पूजा का सामान वगैरा ले आते हैं, फिर बाद में मेरे पास वक्त नहीं होगा।”
मैं:-  “अच्छा ठीक है! कुछ देर रुको मैं जरा हाथ का काम निपटा लूं फिर आती हूं।” दस मिनट बाद हम लोग बाजार सामान लेने के लिए निकल गए। रंगों को देखकर मेरा मन मचलने लगा। मन हुआ कि अभी प्रतीक को गुलाल मल दूं लेकिन मैंने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखा। जरूरत की चीजें खरीद कर हम घर आ गए।
प्रतीक अगली सुबह ही दोस्तों के साथ बाहर चले गए। मैंने फोन किया तो उठाया नहीं और दोपहर में घर आए तो कुछ नशे की हालत में दिखे। मैंने कहा, “आज से ही पीना शुरू कर दिया? होली तो कल है?”
प्रतीक:- “अरे ! दोस्तों के साथ था तो थोड़ी ले ली। अब मुझे खाना दो बहुत भूख लगी है।
मैं:-  “तुम्हारे कपड़े खराब है तो पहले नहा लो और मैं नींबू पानी लाती हूं तुम्हारे लिए।”
प्रतीक:- “नहीं ! मुझे वापस जाना है सब मेरा इंतजार कर रहे हैं बाद में आकर नहाऊंगा मैं।”
मैं:- “प्रतीक तुम्हारी हालत ठीक नहीं है और अब तुम्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं है। आराम करो। कल होली खेलेंगे।”
प्रतीक :- “तुम चुप रहो! फालतू बातें मत किया करो, मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं यह तुम मत बताओ। जो कहा है वह करो।”
मुझे प्रतीक का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगा लेकिन मैं चुप रही। मेरे बहुत मना करने के बाद भी प्रतीक अपने दोस्तों के पास चले गए। रात को भी बहुत देर से घर आये और बहुत नशे में थे। आते ही सो गये। मैं जो इतने सपना संजो कर बैठी थी वह टूटते दिखाई दे रहे थे। सुबह होली की पूजा थी और प्रतीक सो रहे थे। मैंने प्रतीक को आवाज दी।
मैं:- “प्रतीक उठो आठ बज गए हैं।”
प्रतीक हड़बड़ा कर उठ गया ।
प्रतीक:- “अरे आठ बज गए तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं?”
मैं:- “मैंने उठाया था लेकिन तुम उठे नहीं। अब उठ जाओ मैं चाय लेकर आती हूं।”
प्रतीक हाथ मुंह धोने चला गया और चाय पीकर फ्रेश होकर कब चला गया मुझे मालूम ही नहीं पड़ा। मैंने फोन लगाया और पूछा, “अरे! कहां चले गए आप? नाश्ता भी नहीं किया?”
प्रतीक:- “हां! मैं मेरे दोस्तों के साथ हूं। एक दोस्त के फार्म हाउस पर जा रहे हैं हम सब लोग।”
मैं:- “आज के दिन मुझे आपके साथ होली खेलनी थी। मम्मी पापा के यहां जाना था।”
प्रतीक:- “देखो आज तो समय नहीं है कल जाएंगे वहां और मैं आता हूं तब खेल लेना होली। यही एक दो दिन का तो मौका मिलता है जो मैं दोस्तों के साथ बिता सकता हूं और तुम पास में भाभी और दीदी है ना खेल लेना उनके साथ। अच्छा खाने पर मेरा इंतजार मत करना।”
मैं दुखी हो गई और मुझे सारे रंग फीके लगने लगे। मैं काम में लग गई और फिर बाद में तबीयत ठीक नहीं है का बहाना करके कमरे में आ गई। बाहर होली है… होली है की आवाजें… बच्चों की चिल्लाने की आवाजें आ रही थी और मैं अंदर ही अंदर कुढ़ रही थी। थकावट के कारण मेरी आंख लग गई थी कि प्रतीक के आने की आहट हुई। प्रतीक पूरे रंग में रंगे हुए थे।
प्रतीक:- “अरे! लेटी क्यों हो तुम? गई नहीं कहीं?”
मैं:- “नहीं मन नहीं हुआ।”
प्रतीक:- “अच्छा कुछ ले आओ खाने के लिए बहुत भूख लग रही है।”
मैं:- “क्यों वहां कुछ खाया नहीं?”
प्रतीक:- “खाया पर पता नहीं क्यों भूख लग रही है फिर से।”
मैं:- “अच्छा आती हूं लेकर।” मैं गुझिया पापड़ लेकर कमरे में आ गई कि प्रतीक ने गुलाल की थैली मेरे ऊपर पलट दी और आगे बढ़कर अपना गाल मेरे गाल से लगाकर गुलाल लगा दिया और पास आकर कहा “होली है”। मैं खुशी और शर्म से लाल हो गई। मैं प्रतीक को देखे जा रही थी।
प्रतीक:-  “सुबह से तो कह रही थी कि आपके साथ होली खेलनी है, अब सब छोड़ कर आया हूं तो ऐसे क्यों खड़ी हो?”
खाने की प्लेट जो रंग से रंग गई थी मैंने बाजू में रख दी और हाथों में रंग लेकर प्रतीक को रंग दिया। मेरी होली रंगीन होने लगी थी और मन गा रहा था…. मल दे गुलाल मोहे…. कि आई होली आई रे…….। ~प्रियंका वर्मा माहेश्वरी 

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तालाश उसकी.. जो रूह को छुए

न ही मोहताज हूँ मैं…
और .. न ही आरज़ू है कोई..
कि वो मुझे गुलाब देता …
बेहतरीन सौग़ातों से नवाज़ा हुआ है उसने मुझे …
शिद्दत दी ..
लम्हे दिये..
यादे दी ..
इन्तज़ार दिया ..
उसपर वो ..
उसका
बेशक़ीमती इश्क़ जो
आज भी
मेरी रूह को
महका रहा है
🌹♥️🌹♥️
ये फूल है .. या फिर तेरा ख़याल .. जिसे छूते ही ..महक जाती हूँ मैं .,

दोस्तों !
वैलेण्टाइन बहुत ख़ास दिन होता है उन लोगों के लिए जो प्यार का इज़हार करना चाहते हैं मेरे हिसाब से प्यार बताने की ..या जताने की चीज है ही नहीं .. इसे दिल और रूह अपने आप ही महसूस कर लेती है …
वैलेण्टाइन पर कुछ शेयर करना चाहती हूँ आप सब से .. 🙏

आज सब कन्फ़्यूज है सोचते हैं उन्हें मोहब्बत हो गई है..मगर कई बार वो महज़ एक आकर्षण या फिर ज़रूरत से बढ़ कर कुछ भी नहीं ..मोहब्बत तो इक पाक जज़्बा है जो सिर्फ़ इक बार ही होती है बार बार नही .. मगर लोगों का कहना है कि ये कभी भी हो सकता है।
..असल में ..ये एक अनियंत्रित मन की अवस्था है जिसे अपने मन पर ..इन्द्रियों पर कंट्रोल नही ।
हम सब…दोस्तों से
रिश्तेदारों से ..
बच्चों से और माँ बाप से करते है।
मगर हर प्यार मे फ़र्क़ होता है ..
शिद्दत का ..
तासीर का ..
केवल एक प्यार ,एक सम्बन्ध जो हमे सकून देता है जिसका सम्बंध हमारे जिस्म और रूह के साथ होता है वो एक ही हो सकता है ।
हमारे ऋषि मुनि कहा करते थे घर में रह कर ही ..
सब भोगों को ..भोग सकते है
भोगों को भोगते भोगते मन विरक्त होने लगता है .. और हम विरह की ओर चल पढ़ते हैं ।
विरह बहुत क्षरेठ अवस्था है जो इन्सान को भगवान की ओर ले जाने में सहायक होती है ..

जब इन्सान जीवन भोग चुकता है कुछ समय पश्चात कहने लगता है अब वो चीज़ नहीं रही ..चाहे वो रिश्ता हो या दुनियादारी हो ।
तब इन्सान उदासीनता को महसूस करने लगता है तो ऐसे मे ध्यान भटकता है यानि इधर उधर जाता है

जब कि वो ही अवस्था होती है जब हम अपने असली उद्देश्य की तरफ़ चल सके जिस कारण हम देह में आये हैं इक उम्र के बाद सहज होना .. रूक जाना और गहरा सोचना ज़रूरी है जो हम सब नहीं कर रहे ।
आज के दौर में लोग शादी को ले कर भी बड़े कन्फ़्यूज.है हर कोई यही चाहता कि उसकी शादी बड़े घर में हो … पैसे वाले के साथ हो .. जब कि हम सब जानते हैं कि पैसा हमें वो सुख नहीं दे सकता जिसे हम सकून कहते है।

दोस्तों !
लोगों की सूरतों पर न जा कर बल्कि दिल और संस्कारों को परखना लेना।
जीवन साथी पोटेन्षियिलटी …क्षमताओं .. और
क़ाबलियत के हिसाब से ही ढूँढना।याद ये भी रखना ..हर इन्सान पहले थोड़े से ही शुरू करता है फिर आगे बढ़ता है।जिन को पहले से ही सब बना बनाया मिल जाता है उनकी अपनी.. क्या क़ाबलियत हो सकती है। इन्सान वही है जो खुद खड़ा हो कर.. अपना रास्ता बनाता है गिर गिर कर संभलने वाला इन्सान ही असल मे सफल कहलाने के काबिल है ।

किसी ऐसे की तालाश…जो सिर्फ़ आप ही का हो .. जिसमें मर्यादा हो।
किसी ऐसे की तालाश.. जो तुम्हारी रूह को महका दे।

पैसा तो वक़्त के साथ बन भी जाता है और कई बार आप को दुख दे चला भी जाता है..देखा जा रहा है ..कई बार बच्चों की ..जहां शादियाँ हो रही होती है ..वहाँ सिर्फ़ पैसा ही पैसा होता है मगर सच्चाई ,लौयलटी ..,प्यार बिलकुल नहीं होते।लोग एक दूसरे से बहुत जल्दी ऊब रहे है ।
हर चीज़ की तरह ..उन्हें रिश्तो मे भी वैरायइटी चाहिए होती है।
यही वजह है कि लोग अपने रिश्तो मे ज़्यादा देर तक ख़ुश नहीं रह पा रहे ..और फिर शुरू हो जाती है किसी और की तालाश …जो लोगों के घुटन और डिप्रेशन की ख़ास वजह बन रही हैं समाज में।
दोस्तों ।
आज के दौर में प्यार जिस्मों तक ही सीमित है, जो बेहद अफ़सोस की बात है …इन्सान उस जिस्म की चाह में रहता है जो ख़त्म हो जायेगा ..किसी को अगर अपना बनाने की चाह हो, तो कोशिश करो कि उसकी रूह को छू पाओ या कोई …तुम्हारी रूह को छू पाये …जो वाक़ई में तुम्हारे सकून का सबब होगा ..सच्चे प्यार की तलाश अगर है तो पहले खुद सच्चा बनना पढ़ता .. अगर सीता जैसा पार्टनर चाहिए तो खुद को राम बनाना होगा ..केवल यही एक रास्ता है
जो आप को सकून की ओर ले जायेगा 🙏🌹

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फेम इंडिया योजना के चरण-II के तहत 13,41,459 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को 5,790 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई

हाइब्रिड इलेक्ट्रिक वाहनों का तीव्र अंगीकरण और विनिर्माण (फेम) योजना के चरण-II के तहत बजटीय आवंटन और धनराशि के परिव्यय का विवरण निम्नलिखित है:

क्रम संख्या वित्तीय वर्ष बजट आवंटन धनराशि का उपयोग (31.01.2024 की स्थिति के अनुसार)
1 2019-20 500 करोड़ रुपये 500 करोड़ रुपये
2 2020-21 318.36 करोड़ रुपये 318.36 करोड़ रुपये
3 2021-22 800 करोड़ रुपये 800 करोड़ रुपये
4 2022-23 2897.84 करोड़ रुपये 2402.51 करोड़ रुपये
5 2023-24 5171.97 करोड़ रुपये 1980.83 करोड़ रुपये

 

भारी उद्योग मंत्रालय ने 25 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 68 शहरों में 2,877 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन की मंजूरी दी है। इन चार्जिंग स्टेशनों में से 148 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण किया जा चुका है और इनका परिचालन किया जा रहा है।

इसके अलावा भारी उद्योग मंत्रालय ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की तीन तेल विपणन कंपनियों को 7,432 इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए पूंजीगत सब्सिडी के रूप में 800 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है।

31 जनवरी, 2024 की स्थिति के अनुसार फेम इंडिया योजना के चरण-II के तहत इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माताओं को 13,41,459 इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पर 5790 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई है। (31 जनवरी, 2024 की स्थिति के अनुसार फेम-II पोर्टल पर दावाकृत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नीचे दिए गए ब्यौरे के अनुसार)

क्रम संख्या वाहन का प्रकार कुल वाहन संख्या
1 दोपहिया 11,85,829
2 तिपहिया 1,38,639
3 चौपहिया 16,991
  कुल 13,41,459

इसेक अलावा भारी उद्योग मंत्रालय ने शहर के भीतर परिचालन के उद्देश्य से विभिन्न शहरों/एसटीयू/राज्य सरकार की इकाइयों के लिए 6862 इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है। 29 नवंबर, 2023 की स्थिति के अनुसार इन 6,862 ई-बसों में से 3487 बसों की आपूर्ति एसटीयू को की जा चुकी है।

यह जानकारी भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर ने आज राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में दी।

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एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज में श्रीराम जी का सांकेतिक पदार्पण

भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज में श्रीराम जी का सांकेतिक पदार्पण किया गया जिसमें राम सीता और लक्ष्मण के रूप में महाविद्यालय की शारीरिक शिक्षा विभाग की छात्राओं ने अद्वितीय छवि दिखाते हुए श्री राम सीता मैया और श्री लक्ष्मण जी के रूप में महाविद्यालय सभागार में प्रवेश किया। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय कानपुर खो खो संघ सचिव एवं रोटरी क्लब के क्रीड़ा विभाग के अध्यक्ष अजय शंकर दीक्षित द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया साथी उन्हें एक रामायण उपहार के रूप में भेद करते हुए उनका स्वागत और अभिनंदन किया। सभी आगंतुकों ने राम सीता लक्ष्मण जी की आरती उतारी तदुपरांत उनके ऊपर फूलों की वर्षा की गई और सभी ने ईश्वर के रूप को अपने हृदय में उतारा। अजय ने छात्राओं को श्री राम के द्वारा किए गए त्याग और समर्पण के साथ-साथ उनके पुरुषोत्तम होने की विशेषताओं और व्यक्तित्व गुडों को अपनाने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। मीडिया प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया पूरे कार्यक्रम को संचालित और आयोजन शारीरिक शिक्षा विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर प्रीति पांडे के द्वारा किया गया महाविद्यालय में सभी शिक्षिका, छात्राएं एवं शिक्षक कर्मचारियों ने कार्यक्रमों में कार्यक्रम में सहभागिता की ।

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हर शय “इश्क़ नहीं “…

वक़्त से पूछा मैने .. अब इसका हल क्या है ? …
वक़्त ने कहा … मुझे गुज़र जाने दे ..
मैंने पूछा !! इस दर्द का इलाज क्या है ?
वक़्त ने हसं कर कहा .. .. “थोड़ा सब्र रख “
संभलने में वक़्त तो लगेगा.. इस जहान में हर शय
“इश्क़ नहीं “ जो पल भर में हो जाये….
🌹❤️🌹
दोस्तों ! समुद्र में तूफ़ान आने से कई बार बड़े बड़े

जहाज़ डूब ज़ाया करते हैं
मगर इक लकड़ी का टुकड़ा जो हमे समुद्र से बाहर निकालने की

क्षमता रखता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि “सह ले !
हँस कर ,हर सितम ज़िन्दगी का ..
न कर शिकायत … न शिकवा किसी से …बस मान कर चल …तेरे
सब्र में ही तेरा सकून छिपा है।
🌹🌹🌹
जो इन्सान अपनी ज़ुबान से किसी को ग़लत नहीं कहता, गाली गलौज नहीं करता ।अच्छा सोचता है ,हर लम्हा मालिक की याद में रहकर मालिक का नाम जिस की ज़ुबान पर रहे ।ऐसे इन्सान की ज़ुबान में ताक़त आ जाती है उसी ताक़त को वाणी की सिद्धि कहते है और ऐसा इन्सान किसी को कुछ कह दे तो वो सच होने लगता है,
और अगर हाथ सब को देने के लिए ही उठे, सब की मदद करे तो हाथों में बरकत आ जाती है।ऐसे लोग जब दूसरों को आशीर्वाद देते हैं तो वो फलीभूत होने लगता है।
इसी तरह जब आँखे दूसरों मे सिर्फ़ अच्छाई ही देखती है ,कुछ बुरा दिखाई ही नही देता , जिनकी आँखों में सदा करूणा रहती है उनकी नज़र में ताक़त आ जाती है इसी को ही सिद्धी पाना कहते हैं हम ने अक्सर ये सुना होगा कि फ़लाह इन्सान की नज़र हम पर क्या पड़ी ,मेरी तकलीफ़ दूर हो गई।
कभी-कभी हम ये भी कह देते है ,किसी ने हमे जो कहा था ,देखो आज मेरे साथ हो रहा है।
ये सब ताक़ते है ज़रूरी नहीं कि मंत्रों से ही हम सिद्धि पा सकते हैं ।अपने मन करम विचारों से भी हम सिद्धियो के स्वामी बन सकते है। भगवान के यहाँ बस यहीं नियम है कि इन्सान को इन्सान बन कर रहना चाहिए।
मगर काम क्रोध लोभ मोह हम इन्सानों को, इन्सानियत से हैवानियत की तरफ़ मोड़ देता है।
दोस्तों !
इक औरत
बहुत कमाई वाली थी।उसे मै साध्वी कह सकती हूँ
उसके यहाँ उसकी सेवा मे इक औरत रहा करती थी जिसका नाम लौरा था
लौरा आये दिनों बिमार रहने लगी .. वो साध्वी से कहती ,आप मुझे किसी तरह ठीक कर दो .. साध्वी बस मुस्कुरा देती .. और कहती !
लौरा “सह लो अभी “..
मगर लौरा की बिमारी में कोई सुधार नहीं आ रहा था।
इक दिन फिर लौरा ने साध्वी से कहा !
मैंने कितने साल आप की सेवा की है ।आप मुझे ठीक क्यों नहीं करती ।साध्वी ने फिर बड़े प्यार से लौरा के सिर पर हाथ फेर कर कहा!
तभी कह रही हूँ तुम से कि अभी तुम इस बिमारी को सह लो।
लौरा सोचने लगी मैंने ऐसे ही अपना वक़्त बर्बाद कर दिया, इस साध्वी के पीछे लग कर ..
दिन पर दिन लौरा की बिमारी तेज़ी से बढ़ने लगी।
लौरा फिर साध्वी के पास आ कर रो कर कहने लगी अब ये दर्द मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा ,मेरी मदद किजीए ।
मुझे ठीक कर दो .. मै बहुत तकलीफ़ में हूँ ।
इस बार साध्वी ने आँखें बंद करके लौरा के लिए प्रार्थना की और इक पुड़िया लौरा के हाथ में रख दी और कहा !
ये लो विभूति ,इसका सेवन रोज़ करना।मेरे गुरू की किरपा से तुम जल्दी ठीक हो जाओगी.. लौरा को दस बाहर दिनों मे ही असर होने लगा और वो धीरे धीरे ठीक होने लगी ।
कुछ साल लौरा के अच्छे गुज़र गये मगर कुछ सालों बाद लौरा की बीमारी फिर ज़ोरों से आई और लौरा इस संसार को छोड़ कर चली गई।
वक़्त गुजरने लगा।
अब जब भी साध्वी अपने ध्यान में बैठती तो उसे लौरा दिखने लगी ..जो साध्वी के सामने रोया करती ।साध्वी ने कहा !
अब कंयू रोती हो लौरा ?
लौरा कहती !
यहाँ इक दरवाज़ा है सब जीवात्माये अन्दर जा रही है ।जब भी वो दरवाज़ा खुलता है, बहुत अच्छी सुगंध बाहर तक आती है।मै भी वहाँ जाना चाहती हूँ मगर मुझे अन्दर नहीं जाने देते।
बाहर ही रोक लेते हैं ।
जब वजह पूछती हूँ तो कहते हैं कि तुम्हारे करमो की वजह से वो बिमारी आई थी और उन्हीं करमो का तुम्हें भुगतान करना था मगर तुमने उस बिमारी को सहा नहीं , रब की रजा को न मान कर अपनी दख़लंदाज़ी की और रब की रजा में ख़लल डाला। इसी लिए तुम अन्दर नहीं जा सकती ।
लौरा कहने लगी जब आप को सब पता था फिर मुझे उस वक़्त आपने कंयू ठीक किया था।
अब मै जहां हूँ ,वहाँ कुछ भी अच्छा नही है
इक अजीब सी गंध है वहाँ जो असहनीय है।
साध्वी ने लौरा से कहा !
तभी मै कहा करती थी ,अभी यहाँ सह लो ..ताकि तुम्हारा आगे का रास्ता सुखमय हो जाये मगर तुम ही ज़िद्द किया करती थीं अगर उस वक़्त मेरा कहा मान लेती तो तुम भी आज उस ..दरवाज़े से अन्दर जा सकती।
.. दोस्तों
जैसे किसी परिन्दे के पंखों पर बहुत बड़े बड़े पत्थर रख दिये जाये तो वो परिन्दा आसानी से उड़ नहीं सकता है और जब हम करमो को हँस कर सह लेते है
तो करम रूपी पत्थर पँखो से हटने लगते है और रूह हल्की महसूस करने लगती हैं और जब इस संसार को छोडने का वक़्त आता है आसानी से उड़ जाती है .. करमो का यहीं बोझ हमें यहाँ भी तंग करता है और वहाँ भी …..।

जो मिल रहा है उसी में ही शुक्र
करें ।
“दुख सुख उसका ही भेजा हुआ है प्रशाद है “ऐसा मान कर उसे ह्रदय से ग्रहण करें तो ही हम सकून से रह सकते हैं यहाँ भी और फिर आगे के संसार मे भी

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उड़ान योजना के अंतर्गत 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम सहित 76 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 517 हवाई मार्ग शुरू किए गए

क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)-उड़ान के माध्यम से देश के दूरदराज इलाकों में अब तक अप्रयुक्त/अपेक्षाकृत कम प्रयुक्त हवाई अड्डों को जोड़कर क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाया गया है। उड़ान योजना के अंतर्गत पांच दौर की बोली के आधार पर, अब तक 517 मार्गों के लिए 76 हवाई अड्डों को जोड़ कर परिचालन शुरू किया गया है, जिसमें 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम शामिल हैं। उड़ान योजना के अंतर्गत उड़ान शुरू होने से 130 से ज्यादा शहरों की जोड़ी बन गई है। उड़ान योजना के अंतर्गत अब तक 2.47 लाख उड़ानें संचालित की गई है, जिसमें 1.3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने यात्रा की है।

इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही रियायतें निम्नानुसार हैं:

हवाईअड्डा ऑपरेटर:

  1. हवाईअड्डा ऑपरेटर आरसीएस उड़ानों पर लैंडिंग और पार्किंग कर न लगाएं।
  2.  भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आरसीएस उड़ानों पर कोई टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाएं।
  3. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के  42.50% पर रियायती आधार पर लगाया जाए।
  4. चयनित एयरलाइन प्रचालकों (एसएओ) ने सभी हवाईअड्डों पर इस योजना के अंतर्गत ऑपरेटरों को स्व-ग्राउंड हैंडलिंग की अनुमति दी है।

केंद्र सरकार:

  1. इस योजना की अधिसूचना जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए आरसीएस हवाईअड्डों से एसएओ द्वारा खरीदे गए हवाई र्इंधन (एटीएफ) पर 2% की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा।
  2. एसएओ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइंस दोनों के साथ कोड साझाकरण व्यवस्था में प्रवेश करने की स्वतंत्रता है।

राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के आरसीएस हवाई अड्डों पर:

  1. राज्यों में स्थित आरसीएस हवाईअड्डों पर एटीएफ पर वैट को 10 वर्षों की अवधि के लिए घटाकर 1 प्रतिशत या उससे कम करना।
  2. आरसीएस हवाई अड्डों के विकास के लिए अगर आवश्यक हो, तो न्यूनतम भूमि को निशुल्क और बाधाओं से मुक्त करना एवं आवश्यकतानुसार मल्टी-मॉडल भीतरी इलाकों को संपर्क प्रदान करना।
  3. आरसीएस हवाई अड्डों पर सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं मुफ्त प्रदान करना।
  4. आरसीएस हवाई अड्डों पर रियायती दरों पर बिजली, पानी और अन्य उपयोगिता सेवाएं प्रदान करना या उपलब्ध कराना।

इस योजना से अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा यात्री लाभान्वित हुए हैं।

यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गरबा नृत्‍य को शामिल किए जाने की सराहना की

प्रधानमंत्री मोदी ने आज यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गुजरात के गरबा नृत्‍य का नाम शमिल किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;

“गरबा जीवन, एकता और हमारी गहन परंपराओं का उत्सव है। यूनेस्‍को की अमूर्त विरासत सूची में इसका शिलालेख विश्‍व के समक्ष भारतीय संस्कृति के सौंदर्य को दर्शाता है। यह सम्मान हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए बधाई वैश्विक स्वीकृति।”

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अधूरे ख्वाब

अधूरे ख़्वाबों को सजा मत समझिये.. बल्कि ये इक ज़रिया है जो तुम्हे उस ओर ले जायेगा और यक़ीं रखो इक रोज यही तुझे तेरे महबूब से भी मिलवाएगा
🌹🌹🌹🌹
अक्सर लोग मुझ से पूछते हैं आप अधूरी कहानियों पर ज़्यादा लिखती है और वजूहात भी पूछते है, वैसे तो वजह कोई मेरी पर्सनल नही है।
अधूरेपन का अहसास तो हर इन्सान को कभी न कभी होता ही है।प्यार और अधूरेपन दोनों अलग नही है। दोनों ही इक दूजे से जुड़े हुए हैं।
“जो किसी को या किसी चीज़ को गहरा प्यार करता है वही अधूरेपन के अहसास को भी जान सकता है”।प्यार को समझने के साथ साथ अधूरेपन को भी समझना बहुत ज़रूरी है।
लिखना मेरा शौक़ है मगर हर लेखक अपनी आप बीती ही नहीं कहता बल्कि उसमें इक क़ाबलियत .. इक समझ होती है दूसरों के मन के भावों को ,दूसरों की पीड़ा और .. हर बात के दोनों पहलुओं को समझने की शक्ति होती है कयोंकि उसका मन ठहरा हुआ ,होने की वजह से वो हर बात की गहराई को महसूस कर लेता है, दूसरों की जगह पर खुद को रख कर हर इक का दरद समझ लेता है।और ..
फिर उसी के आधार पर उनकी कलम चला करती है .. मै अधूरी कहानियाँ इसीलिए लिखा करती हूँ क्योंकि मैं समझती हूँ जो आज अधूरा है ,यकीनन वो कभी न कभी पूरा ज़रूर होगा।
जब तक पूरा नहीं हो जाता …कहानियाँ बनती रहती है और संसार चलता रहता है।
अधूरापन ..या किसी चीज़ की कमी का अहसास होने पर
हम मन से..
विचारों से , गहरे होने लगते है यही वजह होती है।
हमारी चाहत मे शिद्दत बढ़ने लगती है जब हम हर वकत उसी के बारे में सोचते रहते हैं और ये सोच ही फिर आगे चल कर, हमे अधूरेपन से पूर्णता की तरफ़ ले जाती है .. ।
हम सब के ऊपर इक शक्ति है। जिसका काम ही यही है ,अधूरे को पूरा करना …,चाहे इस जन्म में पूरा करे या अगले किसी जन्म मे।
दोस्तों!
यदि हमारे सब ख़्वाब पूरे हो जाये। ज़िन्दगी में सब कुछ पा लिया जाये तो फिर आगे रह ही क्या जाता है ,कि उसकी कोई कहानी बनाई जाये..न तो उसमें कोई खुवाईश होगी
न कमी .. न कोई चाहत रह जायेगी ..न ही कोई शिद्दत…पूरा होने का मतलब ही “अंत हो जाना”।
जब हम कोई लक्ष्य या मक़सद पूरा कर लेते है ।
रिश्ते हम भोग चुके होते हैं। चीजों को अच्छे से जान चुके होते है।
जब परिवार में सबसे अपना हिसाब पूरा कर चुकते हैं तो इच्छाये समाप्त होने लगती है तो दुनिया मे आने के रास्ते बंद हो जाते है। क्यूं आयेगा कोई ?
जब कोई वजह ही नहीं रहती, तो फिर कोई मतलब ही नहीं रहता वापस इस संसार में आने का। जैसे जैसे हम ज़िन्दगी को जान चुके होते है अनुभव कर चुके होते है उससे हम मुक्त होते जाते है धीरे धीरे..
बेशक !
पूर्णता बहुत सुन्दर और आनंद देने वाली होती है मगर अधूरापन हमे अन्दर से और बाहर से और भी सुन्दर बना देता।
.”पूर्णिमा का चाँद “
पूरा कितना मनमोहक होता है ।उसको देखने भर से ही मन में शान्ति का संचालन होने लगता है और शायरों की कलम ✍️ लिखने को बेकरार होने लगती है।
मगर
“आधा चाँद “
वो भी कमाल का होता है ।
आधे चाँद की रात को ही
ईद का चाँद कहा जाता है।
वो हम सब जानते ही हैं ,
कि दोनों कितने ख़ास है।
जब जब हम इन्सानों की कहानियों में जब पूर्णता आती है तो सब ठहर जाता है।
अधूरापन ही आगे चलता है, अनंत काल तक ..जन्मों जन्मों तक ..
चाहे वो बिन कहे भाव हो ..
चाहते हो . ..
खुवाईशे हो ..
या दुनिया का कारोबार हो …
.सारी उम्र कुछ लोग ग़रीबी देखते हैं उनकी अमीर बनने की चाह अधूरी रह जाये तो इस इच्छा का अंत नहीं होगा जब तक ये इच्छा पूरी न होगी यही कुदरत का नियम है
अधूरे को पूरा करना ही जीवन का मक़सद होता है …
इस संसार में “
मोक्ष “के लिए
अधूरे से पूरे होना ज़रूरी है।
.. मेरी इक दोस्त है जिस को भगवान ने सब दे रखा था।
वो अक्सर कहा करती कि मै कभी भगवान से कुछ माँगती नहीं ,सब खुद ब खुद मिल रहा है .,
पैसा ,शोहरत ,पार्टीज़ ,ज़मीन जायदाद ,आभूषण से भरी हुई थी कारोबार भी बहुत था … उसके पास प्यार करने वाला पति भी था।
वक़्त ने पलटा मारा ..
सब चला गया। मगर जब गया तो बहुत दुखी हुई।
अब हर वकत उन चीजों का ही चिंतन करती रहती है।सब वापस पाना चाहती है।भगवान से प्रार्थना करती है, कि उसे सब वापस मिल जाये ।
इसी तरह हम सब भी जब चीजों को खो देते है तो उन्हें फिर से पाना चाहते हैं और फिर उन्हें वापस पाने का चाहत ,हमें इस संसार में वापस ले कर आती है।क्योंकि अब हम ख़ुद को पूरा महसूस नहीं कर रहे।

पूरे होंगे…तो ही मोक्ष मिल सकता है इसी लिए दोस्तों !!
अधूरेपन के अहसास से घबराए नहीं ,न ही डिप्रेशन की कागार में खुद को खड़ा करे बल्कि इक उम्मीद जगाये कि आज ये अधूरेपन ही हमे पूरे की ओर ले कर जायेगा और याद दिलाये खुद को…
.
“मैं आज अधूरी हूँ तो किसी रोज़ पूरी भी हो जाऊँगी ,बस यही ख़याल काफ़ी है ख़ुश
रहने के लिए “
लेखिका स्मिता ✍️

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दर्शकों को सिनेमा का निरंतर आनंद प्रदान करते रहने के संकल्प के साथ 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का शानदार समापन

अरब सागर में आज हुए सूर्यास्त की स्वर्णिम आभा के साथ गोवा में पणजी के शानदार समुद्र तट पर अपनी सिनेमाई उत्कृष्टता और मनोहारी वातावरण की सुंदर आभा के बीच 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव का रंगारंग समापन हो गया। शानदार समापन समारोह के साथ आज अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचे इस महोत्सव में फिल्म और मनोरंजन जगत की जानी-मानी हस्तियों, फिल्म निर्माताओं और दिग्गजों ने भागीदारी की।

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चित्र मेः इफ्फी में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन पीकॉक पुरस्कार अर्जित वाली फिल्म एंडलेस बॉर्डस का एक दृश्य

फ़ारसी फ़िल्म एंडलेस बॉर्डर्स ने सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का गोल्डन पीकॉक पुरस्कार हासिल किया

अब्बास अमीनी द्वारा निर्देशित फारसी फिल्म एंडलेस बॉर्डर्स को 54वें आईएफएफआई में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन पीकॉक पुरस्कार मिला। जूरी ने कहा कि यह फिल्म दर्शाती है कि आप अपने आप को जिन भावनात्मक और नैतिक बंधनों में बाध लेते हैं, वे भौतिक सीमाओं से कहीं अधिक जटिल हो सकते हैं।

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चित्र में: स्टीफ़न कोमांडारेव की ओर से ब्लागाज़ लेसन्स की अभिनेत्रियाँ एली स्कोर्चेवा और रोज़ाल्या एबगरियन सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का सिल्वर पीकॉक पुरस्कार प्राप्त करते हुए

बुल्गारिया के निर्देशक स्टीफन कोमांडेरेव को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए सिल्वर पीकॉक का पुरस्कार

बुल्गारिया के निर्देशक स्टीफन कोमांडेरेव को उनकी फिल्म ब्लागाज लेसन्स के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के तौर पर सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया। जूरी के वक्तव्य में कहा गया है कि स्टीफन कोमांडेरेव एक महिला के चरित्र के माध्यम से एक सक्षम और हैरान करने वाले सबक के रूप में अपनी कहानी पेश करते हैं, जिसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का निर्णय लेते समय अपने मूल्यों से समझौता करना होता है। ब्लागाज लेसन्स की अभिनेत्रियों एली स्कोरचेवा और रोजाल्या एबगेरियन ने स्टीफन कोमांडेरेव की ओर से पुरस्कार प्राप्त किया। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, तुर्की निर्देशक नूरी सीलान, ऑस्ट्रेलियाई फिल्म निर्माता हेलेन लीक और फिल्म अभिनेत्री ईशा गुप्ता ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया।

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चित्र में: फिल्म एंडलेस बॉर्डर्स में पौरिया रहीमी सैम का एक दृश्य

पौरिया रहीमी सैम को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष) के लिए सिल्वर पीकॉक पुरस्कार से सम्मानित किया गया

अब्बास अमीनी द्वारा निर्देशित फारसी फिल्म एंडलेस बॉर्डर्स में ईरानी अभिनेता पौरिया रहीमी सैम को उनकी भूमिका के लिए सर्वसम्मति से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया है। जूरी ने अभिनेता का चयन “शूटिंग की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपने सहयोगियों, बच्चों और वयस्कों के साथ भावपूर्ण अभिनय और प्रभावशाली संवाद के लिए किया है।”

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चित्र में: इंस्टिट्यूट फ्रैंकैस की जूलियट ग्रैंडमोंट मेलानी थिएरी की ओर से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक पुरस्कार प्राप्त करते हुए

मेलानी थिएरी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक पुरस्कार जीता

फ्रांसीसी अभिनेत्री मेलानी थिएरी को फिल्म पार्टी ऑफ फूल्स में उनकी शानदार भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) के लिए सिल्वर पीकॉक से सम्मानित किया गया है। जूरी ने कहा कि अभिनेत्री ने अपने पात्र को निभाने में अभिव्यक्त की गई आशा से निराशा तक की सभी भावनाओं को गंभीरता से दर्शकों के सामने प्रदर्शित किया है। इंस्टीट्यूट फ्रेंकैस के जूलियट ग्रैंडमोंट ने मेलानी थिएरी की ओर से गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, फिल्म निर्माता जेरोम पैलार्ड और पार्श्व गायक और फिल्म संगीतकार हरिहरन से पुरस्कार प्राप्त किया।

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चित्र में: कन्नड़ फिल्म निर्माता ऋषभ शेट्टी कांतारा के लिए विशेष जूरी पुरस्कार प्राप्त करते हुए

भारतीय फिल्म निर्माता ऋषभ शेट्टी ने विशेष जूरी पुरस्कार जीता

भारतीय फिल्म निर्माता ऋषभ शेट्टी को उनके समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म कांतारा के लिए स्पेशल जूरी पुरस्कार प्राप्त हुआ है। जूरी ने एक बेहद महत्वपूर्ण कहानी की प्रस्तुति के लिए निर्देशक की क्षमता की प्रशंसा की। जूरी के अनुसार, “वन के देवता की अपनी संस्कृति में निहित यह फिल्म, संस्कृति और सामाजिक स्थिति के बावजूद दर्शकों तक अपनी पहुंच बनाती है।” गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, स्पेनिश सिनेमैटोग्राफर जोस लुइस अल्काइन और फ्रांसीसी फिल्म निर्माता एवं आईएफएफआई जूरी सदस्य कैथरीन डुसार्ट के द्वारा यह पुरस्कार प्रदान किया गया।

निर्देशक रेगर आजाद काया को सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फीचर फिल्म का पुरस्कार

सीरियाई अरब गणराज्य के एक होनहार फिल्म निर्माता रेगर आजाद काया को उनकी फिल्म व्हेन द सीडलिंग्स ग्रो के लिए सर्वश्रेष्ठ डेब्यू फीचर फिल्म का पुरस्कार मिला है। जूरी ने कहा कि फिल्म छोटी-छोटी घटनाओं के माध्यम से हमें एक पिता, बेटी और एक खोए हुए लड़के के जीवन के एक दिन की कहानी सफलतापूर्वक दिखलाती है।

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चित्र मेः ड्रिफ्ट फिल्म का एक दृश्य

एंथनी चेन की ड्रिफ्ट को आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक

एंथनी चेन द्वारा निर्देशित फ्रेंच, ब्रिटिश और ग्रीक सह-निर्माण से बनी फिल्म ड्रिफ्ट को प्रतिष्ठित आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक से नवाजा गया। चयन जूरी के अनुसार यह फिल्म दर्शाती है कि कैसे जीवन की अनिश्चितताओं से गुजरने के दौरान किसी के साथ अनचाहे बंधन में बंध जाते है और यह आशा और सौम्यता का भाव जगाता है।

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चित्र में: हॉलीवुड अभिनेता और निर्माता माइकल डगलस सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त करते हुए

हॉलीवुड अभिनेता/निर्माता माइकल डगलस को सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार

समापन समारोह में प्रसिद्ध हॉलीवुड अभिनेता और निर्माता माइकल डगलस को प्रतिष्ठित सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार मिला। पुरस्कार प्राप्त करते हुए माइकल डगलस ने कहा “करियर लाइफटाइम अचीवमेंट जैसा पुरस्कार प्राप्त करना एक उत्कृष्ट सम्मान है, जब मैंने पुरस्कार के बारे में सुना तो मैं और मेरा परिवार बहुत प्रसन्न हुए।”

प्रतिष्ठित अभिनेता ने कहा कि सिनेमा में विभिन्न सांस्कृतिक कलात्मक अभिव्यक्तियों के साथ लोगों को एकजुट करने और बदलने की क्षमका है। दो बार के ऑस्कर विजेता अभिनेता ने सिनेमा की वैश्विक भाषा के और अधिक विस्तार पर बात करते हुए कहा कि भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) फिल्म निर्माण अदभुद क्षमता और समय, भाषा और भौगोलिक क्षेत्रों से परे सांस्कृतिक कलात्मक अभिव्यक्तियों का स्मरण कराता है। डगलस ने भारतीय सिनेमा की प्रशंसा करते हुए कहा कि आरआरआर, ओम शांति ओम और लंच बॉक्स उनकी कुछ पसंदीदा भारतीय फिल्में हैं।

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चित्र मेः समापन समारोह में कैथरीन ज़ेटा जोन्स को सम्मानित करते हुए

प्रख्यात अभिनेत्री और माइकल डगलस की पत्नी कैथरीन ज़ेटा जोन्स को भी सम्मानित किया गया। कैथरीन ने कहा कि भारत में उन्हें जो प्रेम और आतिथ्य मिला, उसे देखकर मन प्रसन्न हो गया।

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चित्र में: दीपक कुमार मिश्रानिदेशकपंचायतविजय कोशीसीरिज के निर्माता और द वायरल फीवर टीवीएफ के अध्यक्ष और मनीष मेंघानीनिदेशककंटेंट लाइसेंसिंगप्राइम वीडियो सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज (ओटीटी) पुरस्कार प्राप्त करते हुए

पंचायत सीजन 2′ को सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज (ओटीटी) का पुरस्कार

दीपक कुमार मिश्रा द्वारा निर्देशित पंचायत सीजन 2 ने हाल में शुभारंभ किये गये सर्वश्रेष्ठ वेब सीरीज (ओटीटी) का पुरस्कार प्राप्त किया। यह सीरीज एक इंजीनियरिंग स्नातक के जीवन का वर्णन करती है जो नौकरी के बेहतर विकल्पों की कमी के कारण उत्तर प्रदेश के सुदूर काल्पनिक गांव फुलेरा में पंचायत सचिव के रूप में सेवा में शामिल होता है। अभिषेक त्रिपाठी ने इस सीरिज में मुख्य नायक जितेंद्र कुमार की भूमिका निभाई हैं।

सीरीज़ के निर्देशक दीपक कुमार मिश्रा, सीरीज़ के निर्माता और द वायरल फीवर टीवीएफ के अध्यक्ष विजय कोशी और निर्देशक, कंटेंट लाइसेंसिंग, प्राइम वीडियो मनीष मेंघानी ने गोवा के मुख्यमंत्री से पुरस्कार प्राप्त किया। अभय पन्नू द्वारा निर्देशित रॉकेट बॉयज़ सीज़न 1 को इस श्रेणी में विशेष उल्लेख प्राप्त हुआ।

 

चित्र में: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारणखेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर समापन समारोह में वीडियो संदेश देते हुए

आईएफएफआई में कई बातें पहली बार हुई और यह महोत्सव अभूतपूर्व उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा: केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री

केंद्रीय सूचना और प्रसारण, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने समापन समारोह में एक वीडियो संदेश देते हुए कहा कि 54वां भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव विविधता में एकता का उत्सव है और यह ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना का प्रतीक है। यह महोत्सव दुनिया भर से रचनात्मक प्रतिभाओं, फिल्म निर्माताओं, सिनेमा प्रेमियों और सांस्कृतिक रूप से उत्साही लोगों को एक मंच पर ला रहा है। उन्होंने कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के दर्शन को अपनाने के आह्वान का आईएफएफआई में भी पालन किया जा रहा है। आईएफएफआई का यह आयोजन वास्तव में असाधारण था, इसमें कई बातें पहली बार हुई और यह अभूतपूर्व उपलब्धियों से परिपूर्ण रहा जिसने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल करते हुए सर्वश्रेष्ठ फिल्म निर्माण की प्रक्रिया का प्रदर्शन किया।”

आईएफएफआई द्वारा किए गए समावेशिता और पहुंच की दिशा में किए गए प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि फिल्मों को विशेष रूप से दिव्यांग फिल्म-प्रेमियों के लिए तैयार किया गया ताकि वे सांकेतिक भाषा विशेषज्ञों के साथ बड़ी स्क्रीन पर सिनेमा की सुंदरता का आनंद ले सकें, जिन्होंने उनके लिए पूरी फिल्म का अनुवाद किया। उन्होंने कहा, “हमने महिलाओं की प्रतिभा का उत्सव मनाते हुए उनके द्वारा निर्देशित 40 से अधिक फिल्में शामिल करना सुनिश्चित किया।

पुरानी क्लासिक फिल्मों को पुनर्स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय फिल्म विरासत मिशन के प्रयासों को बधाई देते हुए, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि 4के डिजिटल प्रारूप में कई भाषाओं की 5,000 से अधिक फिल्मों को संगृहीत किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत की भावी पीढ़ियां इन महान कृतियों की सराहना कर सकें, आनंद ले सकें और प्रेरित हो सकें।

श्री अनुराग सिंह ठाकुर ने पुराने को संरक्षित करने और नए को बढ़ावा देने के दोहरे मिशन पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “’75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमॉरो’ के तहत ‘फिल्म चैलेंज’ ने युवा प्रतिभाओं को प्रदर्शित किया, जिससे उन्हें मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल करने का अवसर मिला। विशेष रूप से, 75 क्रिएटिव माइंड्स में से 45 को पहले ही क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के सामने अपने विचार प्रस्तुत करने के अवसर प्रदान किए जा चुके हैं। एनएफडीसी फिल्म बाजार ने अपने दायरे का विस्तार किया, विविध अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों का स्वागत किया और अंतर-सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा दिया। ‘वीएफएक्स एंड टेक पवेलियन’ की शुरुआत और एक वृत्तचित्र खंड में नवीनता और गैर-काल्पनिक कहानी का प्रदर्शन किया गया।

केंद्रीय मंत्री श्री ठाकुर ने 2023 के लिए सत्यजीत रे लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त करने के लिए श्री माइकल डगलस को बधाई दी और आईएफएफआई में सभी के लिए इस पल को विशेष बनाने के लिए उनके साथ आने के लिए सुश्री कैथरीन जेटा जोन्स को धन्यवाद दिया। उन्होंने गोल्डन पीकॉक अवार्ड्स के विजेताओं और आईएफएफआई में सर्वश्रेष्ठ वेब सीरिज (ओटीटी) के लिए पहले पुरस्कार के विजेताओं को भी बधाई दी।

फिल्म उद्योग के लिए गोवा को स्वर्ग बनाने के लिए प्रतिबद्ध: गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत

अतिथियों का स्वागत करते हुए गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत ने कहा कि गोवा में आयोजित 54वां आईएफएफआई कलात्मकता के उत्सव की खोज और कथा वाचन की क्षमता के प्रमाण की यात्रा है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष का संस्करण समावेशी वातावरण को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है जहां विविध विचारों का मिलन होता है और सिनेमाई उत्कृष्टता को बढ़ावा मिलता है। यह महोत्सव 75 से अधिक देशों की फिल्मों का प्रदर्शन करने वाले सिनेमा की विविधता और जीवंतता का सच्चा प्रतिबिंब रहा है, ”

श्री सावंत ने यह भी कहा कि यह महोत्सव गोवा के लिए विशेष रूप से खास है क्योंकि यह गोवा के फिल्म निर्माताओं को अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता दिखाने के लिए एक मंच प्रदान करके राज्य की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के फिल्म महोत्सव में गोवा के फिल्म निर्माताओं की भागीदारी वास्तव में उल्लेखनीय रही है।

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चित्र मेः समापन समारोह में स्वागत संबोधन देते गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत

शूटिंग के लिए आने वाले विदेशी फिल्म निर्माताओं के प्रति राज्य की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हरे-भरे जंगलों, नदी, झरनों, गांवों और टेरेस राईस खेतों के साथ, गोवा फिल्म निर्माताओं के लिए स्वर्ग होगा क्योंकि यह पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह की स्थिति का मिश्रण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि राज्य में फिल्मों की शूटिंग की सुव्यवस्थित प्रणाली विभिन्न स्थलों तक पहुंचने के लिए निर्बाध अनुमति भी प्रदान करती  है। उन्होंने कहा कि वह गोवा क्षेत्र को फिल्म उद्योग का स्वर्ग बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूं। श्री प्रमोद सांवत ने जानकारी देते हुए बताया कि अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी प्रदान करने वाले बुनियादी ढांचे को विकसित करने और अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माताओं को प्रोत्साहित करने की योजना पर कार्य जारी है।

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चित्र में: आईएफएफआई के अंतर्राष्ट्रीय जूरी के अध्यक्ष शेखर कपूर समापन समारोह में दर्शकों को संबोधित करते हुए

आईएफएफआई के अंतर्राष्ट्रीय जूरी के अध्यक्ष शेखर कपूर ने कहा कि फिल्म महोत्सव इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि संघर्ष और युद्ध के बीच दुनिया भर में क्या हो रहा है, इसके संदर्भ में हमारी कहानियों को बताना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारी कहानियाँ वही हैं जो हम हैं। कहानियाँ मूलतः मानव होने की ही गाथा हैं। मानव होना हमारा मूलभूत पहलू है। अगर हम अपनी कहानियाँ एक-दूसरे को बताते हैं, तो लोग सीमाओं के पार भी इन्हें सुनेंगे और एक-दूसरे को समझेंगे।

एनएफडीसी के प्रबंध निदेशक पृथुल कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। समापन समारोह में एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ मिस गोवा की उपाध्यक्ष दलीला लोबो, गोवा के मुख्य सचिव डॉ. पुनीत कुमार गोयल, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा की सीईओ सुश्री अंकिता मिश्रा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया। मंदिरा बेदी ने इस समारोह की मेजबानी की और उनके साथ अमित त्रिवेदी और आयुष्मान खुराना जैसे स्टार अभिनेताओं की शानदार प्रस्तुतियां भी इस महोत्सव का हिस्सा बनीं।

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