कानपुर नगर 14 अगस्त, 2024 (सू0वि0)* जिला युवा कल्याण एवं प्रा०वि०द० अधिकारी आरती जायसवाल ने बताया कि युवा कल्याण प्रान्तीय रक्षक दल विभाग के तत्वावधान में एक दिवसीय जनपद स्तरीय युवा उत्सव प्रतियोगिता का आयोजन माह सितम्बर, 2024 में किया जाना प्रस्तावित है। युवा उत्सव निम्न विधाओं में आयोजित की जानी है, राष्ट्रीय युवा उत्सव 2024 हेतु युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों को Innovation in Science and Technology की थीम आवंटित की गयी है। जिसमें निम्न प्रतियोगिताओं का आयोजन जनपद स्तर से लेकर राज्य स्तर तक किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि थीमेटिक अवयव के अन्तर्गत प्रतिभागियों द्वारा Innovation in Science and Technology की थीम पर आधारित प्रोजेक्ट का प्रदर्शन किया जायेगा, जिसमें एकल एवं समूह दोनों अलग-अलग रूप में प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी।
सांस्कृतिक अवयव के अन्तर्गत 04 प्रतियोगिताओं Group Folk Dance, Group Folk Song, Solo Folk Dance, Solo Folk Song का आयोजन जनपद से राज्य स्तर पर कराया जायेगा। इसके अतिरिक्त जीवन कौशल अवयव के अन्तर्गत 04 प्रतियोगिताओं Story Writing, Poetry, Declamation, Painting का आयोजन जनपद स्तर से लेकर राज्य स्तर तक किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि युवा उत्सव 2024 के आयोजन के सम्बन्ध में भारत सरकार की गाईड लाइन के अनुसार प्रतियोगिता में प्रतिभागियों की आयु 12 जनवरी, 2025 को 15 वर्ष से 29 वर्ष होनी अनिवार्य है एवं जनपद स्तर पर विजेता प्रतिभागी मण्डल स्तर पर प्रतिभाग करेंगें। मण्डल स्तर पर विजयी प्रतिभागी राज्य स्तर पर प्रतिभाग कर सकते है। इच्छुक प्रतिभागी अपना पंजीकरण कार्यालय जिला युवा कल्याण एवं प्रा०वि०द०अधिकारी कानपुर नगर के कक्ष संख्या-4 विकास भवन द्वितीय तल में व्यक्तिगत रूप से एवं ई-मेल द्वारा dywokanpurnagar@gmail.com के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सभी विकास खण्डों के क्षेत्रीय युवा कल्याण अधिकारी से सम्पर्क कर आवेदन किया जा सकता है।
मनोरंजन
सुर सारथी के बैनर तले सजी गायकी के शौकीनों की महफिल
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर के काकादेव स्थित पकवान रेस्टोरेंट में नए पुराने गीतों के साथ संगीत की बेहतरीन महफिल सजी, जिसमे गायकी के शौकीनों ने अपनी कला से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया !
मुख्य अतिथि कानपुर यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और मुस्कुराए कानपुर के ब्रांड एंबेसडर सुधांशु राय ने कार्यक्रम का शुभारम्भ माता सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया, सुर सारथी ने गायकी के शौकीनों को एक शानदार मंच उपलब्ध कराया!
आशीष अवस्थी के सफल संचालन तथा राजेंद्र और सुभाष के क्रमबद्ध और अनुशासनात्मक तरीके से गायक गायिकाओं को आमंत्रित करने की वजह से कार्यक्रम में चार चांद लग गए तथा कार्यक्रम के अंत तक मधुर स्वरों की गंगा बहती रही,
आरती, पूर्णिमा, रंजना, अंजली, सुषमा, अंजना, संगीता, प्रीति, मोनिका, संध्या, स्मिता, नीता, मनीष, रंजन, अतुल, अवधेश, अनिल, गिरीश, जीतू, आलोक, जितेंद्र, नीरज आदि ने अपने सुरों से माहौल खुशनुमा बना दिया।!
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अतुल दीक्षित “सम्पादक प्रकाशक”
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Read More »समुद्री पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने कई पहल शुरू की हैं।
- 19 अक्टूबर 2023 की अधिसूचना संख्या 60/2023-सीमा शुल्क के अनुसार, सरकार द्वारा विदेशी ध्वज वाले विदेशी जहाज़ों के लिए एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) छूट प्रदान की गई है, जब वे कोस्टल रन में परिवर्तित हो जाते हैं, बशर्ते छह महीने के भीतर उन्हें विदेश जाने वाले जहाज़ में पुन: परिवर्तित कर दिया जाए।
- लंगरगाह के लिए, क्रूज़ जहाज़ को मालवाहक जहाज पर प्राथमिकता दी जाती है।
- युक्तिसंगत क्रूज़ टैरिफ़ को शुरू किया गया है।
- बंदरगाह शुल्क 0.085 डॉलर/जीआरटी (निश्चित दर) पर वसूला जाता है और लंगरगाह पर रहने के पहले 12 घंटों के लिए 6 डॉलर का नाममात्र यात्री हेड टैक्स लिया जाता है।
- क्रूज़ जहाजों को उनकी कॉल के परिमाण के आधार पर 10 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक की छूट दी जाती है।
- क्रूज जहाजों को आकर्षित करने के लिए ऑस्टिंग शुल्क हटा दिए गए हैं।
- ई-वीजा और आगमन पर वीजा सुविधाओं का विस्तार किया गया है।
- एकल ई-लैंडिंग कार्ड शुरू किया गया है, जो समुद्री पर्यटन कार्यक्रम में सभी बंदरगाहों के लिए मान्य है।
- विदेशी क्रूज जहाजों के लिए कॉबोटेज माफ कर दिया गया है। यह छूट विदेशी क्रूज जहाज को अपने घरेलू चरण के दौरान भारतीय नागरिकों को एक भारतीय बंदरगाह से दूसरे भारतीय बंदरगाह तक ले जाने की अनुमति देती है।
- वैश्विक समुद्री भारत शिखर सम्मेलन 2023 का आयोजन मुंबई में किया गया और इसे भारत के समुद्री उद्योग जगत में एक महत्वपूर्ण क्षण माना गया, जिसने अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की। इस आयोजन के दौरान, “2047 तक भारत में 50 मिलियन क्रूज यात्रियों को आकर्षित करने के लिए समुद्री यात्रा पर निकलें” पर एक समर्पित सत्र आयोजित किया गया, जिसमें दुनिया भर के प्रतिष्ठित क्रूज लाइनों के अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने भाग लिया।
यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज (9 अगस्त 2024) लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
गंगा नदी के माध्यम से परिवहन
जल मार्ग विकास परियोजना के तहत वाराणसी के मिल्कीपुर ग्रामसभा से सटे राल्हूपुर ग्रामसभा में मल्टीमॉडल टर्मिनल (एमएमटी) विकसित किया गया है। एमएमटी से कार्गो की ट्रायल मूवमेंट सफलतापूर्वक की गई है।
विश्व बैंक के परामर्श से जल मार्ग विकास परियोजना के कार्यान्वयन की अवधि दो वर्ष के लिए बढ़ा दी गई है।
यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
बड़ी हिट होने की तैयारी में इंडिया इंटरनेशनल हॉस्पिटैलिटी एक्सपो 2024
इसके अलावा आईएचई का नवीनतम संस्करण आतिथ्य क्षेत्र से संबंधित चार संबद्ध शो से जुड़ा है। इसमें कैटरिंग एशिया, टेंट डेकोर एशिया और आयुष एक्सपो शामिल हैं। एक छत के नीचे आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम इस क्षेत्र की बहुआयामी जरूरतों के लिए वन-स्टॉप समाधान की पेशकश करके आतिथ्य उद्योग के समाभिरूपता को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। यह सामूहिक आयोजन उद्योग जगत के पेशेवरों के लिए एक अमूल्य संसाधन होने का भरोसा दिलाता है, जो नवीनतम रुझानों, तकनीक और सेवाओं तक पहुंच प्रदान करता है। इसके साथ ही उन संबंधों को बढ़ावा देता है जो आतिथ्य उद्योग को आगे बढ़ाएंगे। आईएचई 2024 ने आतिथ्य उद्योग के भीतर सहयोग की श्रृंखला में एक कदम आगे बढ़ाते हुए वियतनाम के साथ भागीदार देश के रूप में साझेदारी की है। आईएचई 2024 में भारत और इसके आतिथ्य क्षेत्र के साथ व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए राजनयिक, आतिथ्य पेशेवर, शेफ और एसोसिएट्स शामिल होंगे। प्रसिद्ध वियतनामी शेफ फेम वान डोंग और गुयेन वान थोंग भारत के सेलिब्रिटी शेफ नंदलाल और गौतम के साथ अपने मास्टरक्लास आयोजित करने के लिए तैयार हैं। यह उत्साह तब और बढ़ जाएगा जब हिमाचल प्रदेश आईएचई 2024 में मुख्य केंद्र बिंदु राज्य के रूप में शामिल होगा। इस दौरान हिमाचल पर्यटन अपने अद्भुत पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देगा।
इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट के अध्यक्ष डॉ. राकेश कुमार ने कहा कि यह हम सभी के लिए एक-दूसरे से सीखने, नई साझेदारी बनाने और विकास और सहयोग के रास्ते तलाशने का अवसर है। उन्होंने सभी से आतिथ्य के भविष्य का पता लगाने और उसे आकार देने के लिए एक साथ आने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित हो कि हमारा उद्योग वैश्विक मंच पर अनुकूल माहौल बनाने के साथ विकास करे और फलता-फूलता रहे। आईएचई 2024 हमारा सबसे सफल संस्करण और एक मील का पत्थर होने का वादा करता है जो व्यवसाय के विकास में योगदान करने और आतिथ्य क्षेत्र की गतिशील और सुदृढ़ प्रकृति को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है।
आईएचई 2024 ने कई अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों का विश्वास जीता है जिन्हें इस मंच पर अपने बेहतरीन उत्पादों और सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिए शामिल किया गया है। प्रमुख प्रदर्शकों और सहयोगियों की सूची में टॉप्स इंडिया, वीनस, अनुपम रॉयल्स, बून, अल्फाड्रॉइड, करामत, एलई 5 स्टैगियोनी, आईएफबी, पतंजलि, नेचुरिन, कोहे, बोरेचा, वीएफआई ग्रुप आदि शामिल हैं। टॉप्स इंडिया सुविधाजनक और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसे पाक सॉस, जैम, अचार आदि की रेंज प्रदर्शित करने के लिए तैयार है, जो गोल्डन पार्टनर के रूप में आईएचई 2024 में शामिल हो गया है।
चार संबद्ध शो के 1000 से अधिक प्रदर्शकों की संयुक्त भागीदारी के साथ आईएचई 2024 में विभिन्न प्रकार की श्रेणियां शामिल हैं। यह व्यवसायों के लिए उत्पादों और सेवाओं की एक व्यापक श्रृंखला पेश करती हैं।
नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों से लेकर पारंपरिक आतिथ्य पेशकशों तक आईएचई 2024 में उद्योग जगत के एक गतिशील मिश्रण को एक साथ लाकर एक ऐसा मंच बना रहा है जहां व्यवसाय खोज सकते हैं, जुड़ सकते हैं और फल-फूल सकते हैं।
इसके अलावा, द होटल एंड रेस्तरां इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचओटीआरईएमएआई) एसोसिएशन ऑफ रिसोर्स कंपनीज फॉर द हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एआरसीएचआईआई) निप्पॉन ग्लोबल, इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन इंटीरियर डिजाइनर (आईआईआईडी) दिल्ली चैप्टर, परचेजिंग प्रोफेशनल फोरम (पीपीएफ) और होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ इंडिया (एचआरएएनआई) सहित आतिथ्य उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रसिद्ध आतिथ्य संघ और परिषदें आईएचई 2024 में शामिल होने के लिए कृतसंकल्प हैं। वे सभी अपने सहयोगियों और सदस्यों को मेगा हॉस्पिटैलिटी एक्सपो में लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आईएचई 2024 में एचआरएएनआई 5 और 6 अगस्त 2024 को इंडिया एक्सपो मार्ट लिमिटेड के हॉल 14 और हॉल 15 में अपना वार्षिक कॉन्क्लेव आयोजित करेगा। दूसरी ओर क्षेत्र-विशिष्ट ज्ञान प्रदान करने और अपने क्षेत्र में फलने-फूलने वाले अपार अवसरों का अवलोकन देने के लिए आईआईआईडी, दिल्ली क्षेत्रीय चैप्टर को ज्ञान भागीदार के रूप में शामिल किया गया है।
समग्र आयोजन को रोचक बनाने के लिए चार दिवसीय हॉस्पिटैलिटी सोर्सिंग गाला रोमांचक पाक शाला संबंधी प्रतियोगिताओं से भी भरा हुआ है, जिसमें शामिल हैं:
- पेस्ट्री क्वीन इंडिया प्रतियोगित
- मास्टर बेकर्स चैलेंज इंडिया 2024
- इंडिया पिज्जा लीग चैंपियनशिप
इन पाक शाला (रसोई) संबंधी प्रतियोगिताओं के दौरान युवा आतिथ्य पेशेवरों और रसोइयों को भाग लेने और नवीनतम खाना बनाने के कौशल सीखने का शानदार मौका मिल सकता है।
आईएचई 2024 की प्रमुख श्रेणियों में हॉस्पिटैलिटी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जिसमें होरेका (होटल, रेस्तरां और खानपान) परिचालन आपूर्ति और उपकरण, आतिथ्य तकनीक, खाद्य और पेय पदार्थ, हाउसकीपिंग और चौकीदारी (जननिटरी), रखरखाव और इंजीनियरिंग, फर्नीचर, फिक्स्चर और उपकरण सुविधाएं प्रबंधन, और सफाई और स्वच्छता शामिल हैं।
आईएचई उनकी सभी सोर्सिंग जरूरतों को पूरा करने और आतिथ्य उद्योग में नवीनतम नवाचारों, रुझानों और प्रगति के बारे में जानने के लिए एक बहुप्रतीक्षित वार्षिक बी2बी एक्सपो है जो उद्योग में ऐतिहासिक ऊंचाइयों, मान्यता और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए एक यात्रा के लायक है।
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे
संशोधित निर्धारित समापन तिथि अक्टूबर, 2025 है।
यह कॉरिडोर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के प्रमुख आर्थिक केंद्रों को कनेक्टिविटी प्रदान करता है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, दिल्ली से जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (जेएनपीटी) की दूरी में लगभग 180 किलोमीटर की कमी और जुड़े हुए गंतव्यों तक यात्रा के समय में 50 प्रतिशत तक की कमी शामिल है।
यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही सूर्य प्रताप को खेल मंत्री ने किया सम्मानित।
अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही एवं मानव अधिकार कार्यकर्ता सूर्य प्रताप को माननीय खेल मंत्री उत्तर प्रदेश ने किया सम्मानित
भारतीय स्वरूप संवाददाता, बाल और महिला अधिकारी अधिकारों के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले सूर्य प्रताप मिश्र पुत्र महेंद्र प्रताप मिश्र को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ” उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च युवा पुरूस्कार 2023 से नवाजा था।
18 मार्च 2024 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आर्थिक सहयोग से दुनिया की चौथी ऊँची चोटी एवं अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट किलिमंजारो (लगभग 20 हजार फ़ीट ) पर सूर्य ने बतौर युवा पर्वतारोही ने भारतीय ध्वज ‘तिरंगा’ फहराकर प्रदेश व देश का मान बढ़ाने के लिये उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री श्री गिरीश चंद्र यादव ने सम्मानित किया।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल लखनऊ से हुई और सैनिक स्कूल मे पढ़ाई के दौरान भारत स्काउट गाईड के नेशनल एडवेंचर संस्थान पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश ) से नेशनल एडवेंचर प्रोग्राम मे A ग्रेड हासिल किया ,एवं झारखण्ड एडवेंचर ट्रेवल अकेडमी एवं नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तराखंड से पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, पैराशेलिंग एवं अन्य एडवेंचर प्रोग्राम को A ग्रेड से उत्तीर्ण किया!
लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक करने के दौरान NCC मे C सर्टिफिकेट हासिल किये! भविष्य मे अन्य 6 महाद्वीपो के सर्वोच्च पर्वत शिखरो पर भारतीय तिरंगा फहरा अपने जनपद व देश का मान बढ़ाने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण व बाल संरक्षण हेतू पुरे विश्व को सन्देश देना चाहते है!
हैरान हूँ मैं कभी इस बात पर कभी उस बात पर
मैं कहती हूँ अगर क़िस्मत मे पैसा होगा, तो आ ही जायेगा.. अगर पैसा क़िस्मत मे नही है तो जो हम पंडितों से पूछ पूछ कर, कभी ये उपाय तो कभी वो उपाय कर रहे होते है ,उससे मुझे नहीं लगता कि पैसा आ जायेगा .. चलो मान भी लें कि उपाय करने से कहीं से पैसा आ भी गया या किसी जप ,तप ,साम ,दाम ,दंड ,भेद से कहीं पैसा इकट्ठा हो भी गया तो दोस्तों ..
वो धन कुछ समय तो सुख दे सकता है हमेशा नही।कभी-कभी ऐसा धन दुख ही दे कर जाता है।
हैल्थ प्रोब्लम, बच्चों का बिगड़ना , क्लेश या कोई और समस्या ले कर आता क्योंकि इसे हमने अपनी ज़िद्द से अर्जित किया।
पैसा लम्बे समय तक वही फलता फूलता है जो नेक कमाई ,साफ़ मन से अर्जित किया हो। हम लोग व्रत भी करते है तो भी शर्तों पर।भगवान के सामने पहले बात रखी जाती है कि हे भगवान आप मेरा ये काम करें तो मैं आप का व्रत करूँगा।
ये तो ऐसी बात है कि हमारा बच्चा ज़िद्द करे, मां बाप से कि आप को मेरी बात माननी होगी …
नहीं तो मैं अन्न नहीं ग्रहण करूँगा।
जबकि बच्चे को तो पता भी नहीं कि वो उसकी वो माँग सही है भी या नही।
दूसरी बात ,जब हमारा बच्चा इस तरह की ज़िद्द ले कर बैठ जाता है तो हमें क़तई अच्छा नहीं लगता..कंयूकि माँ बाप को पता होता है क्या देना ज़रूरी है बच्चे के लिए ,वो तो वक़्त आने पर दे ही
देंगे ।अब किसी छोटे बच्चे को उसकी ज़िद्द पर कार तो नहीं दी सकती। वो तो जब वो उसके काबिल होगा तो उसका पिता उसे वक़्त आने पर ले भी देगा।
इक होड़ सी ..
इक भागदौड़ सी लगी हुई है हर कहीं।सब कुछ पाने की चाह रखे हुए है लोग।तुम उससे आगे और मैं तुम्हारे आगे।
ये कैसा जीवन है ?जिसमें शान्ति नही,सन्तोष नही ,इक दूसरे के सिर पर पैर रख कर आगे बढ़ने की चाहत हमें कहीं नहीं ले जा सकती।
अगर ग्रहों की बात करें तो हमें किसी से पूछने की ज़रूरत है तो ही नहीं।दोस्तों ।
सब उपाय हमारे ही आसपास है ।
हमारे अंदर ही है।
सिर्फ़ उन्हें साफ़ साफ़ देखने, समझने और व्यवहारिक जीवन में लाने की ही ज़रूरत है।
पिता ..” सूर्य ग्रह “का प्रतीक है।
जो व्यक्ति पिता की इज़्ज़त करता है,उनकी सेवा करता है उनपर किसी प्रकार का खर्च , उनके इलाज पर खर्च करता है
उनके पास वक़्त निकाल कर बैठता है ,पैरो को दबाता है …
अवश्य ही उसका सूर्य बलवान होता है। उसे सूर्य ग्रह को उंचा करने के लिए कोई उपाय की ज़रूरत है ही नही।अगर बाप क तकलीफ़ दोगे या उससे किसी तरह का छल करोगे ,तो कितना भी आप सूर्य को जल चढ़ा लें..
सूर्य नीच का ही रहेगा।
पिता को हर सुख, हर सुविधा दे कर ही हम अपना सूर्य बलवान कर सकते है।
ऐसे ही चन्द्र ग्रह
इस ग्रह के नीच होने पर मन की कमजोरी ,बीमारी और उदासी घेरे रहती है “माता का रूप है “उसको शान्त करने के लिए माता की सेवा ,उसका सम्मान ,माता को सुन्दर कपड़ा ,उनको सुगन्धित फूल देना ।उसकी हर इच्छा को पूरा करना ही “चन्द्र को उंचा “करने के उपाय है
भाई ,दोस्त ,यार ये सब ही मंगल ग्रह के ही रूप है
इन सब से किया गया छल कपट ,निरादर ,हमारे मंगल ग्रह के दूषित कर देता है।पंडित कह देते है पीली या लाल दालों को पानी में डालो ..या किसी आनाथ आश्रम में पीली चीजो का दान कर दो ..
मैं तो बस यही कह रही हूँ अपने किसी आसपास नज़र घुमा कर देखिए ,
अपने किसी दोस्त को या अपने छोटे या बड़े भाई को ,..कहीं उसे तो हमारी सहायता की आवश्यकता नहीं।
उनको सहारा दो।कभी ऐसा भी होता है आप के घर राजाओं जैसा भोजन खाया जा रहा होता है और आप का भाई या कोई दोस्त या कोई आप का जानने वाले के यहाँ दाल खाना भी नसीब नहीं होता।
सो किसी ऐसे की मदद ही आप का मंगल को उंचा कर देगी।भगवान ने हमारे लिए सारे उपाय बहुत सरल और हमारे आसपास ही रखे हुए है।
मंगल को उंचा करने का यही सीधा सा तरीक़ा है अपने भाई ,यार ,दोस्तों से बना कर रखे बिना की छल कपट के। फिर देखिए मंगल आप का उंचा ही होगा।
“बुध का रूप “बहन या बेटी ही है
अपनी बहन या किसी की बहन , अपनी बेटी या किसी की बेटी की इज़्ज़त करने से। उसके दुख सुख में खड़े होने से हमारा बुध ग्रह को ताकतवर बन जाता है पंडित भी हरी चीजों का दान बता देते है मगर कोशिश करें ,दान सब से पहले अपने आसपास के परिवारों से ही शुरू करे।
“बृहस्पति ग्रह “
गुरू का रूप ही है
गुरू को सम्मान देना उसकी आज्ञा को मानना, उसकी सेवा मे लगना। बृहस्पति ग्रह को ख़ुश करने में सक्षम है
और हमारा उच्च का गुरू हो जायेगा
“शुक्र ग्रह का रूप “
पति या पत्नी ही है जिनके साथ हमारा सम्बंध जुड़ता है।
पति को ख़ुश रखना ,
उसका सम्मान करना ,
उसको अपने हाथों से भोजन बना कर खिलाना,उसके हर काम को ह्रदय से करना..,
उसके दुख सुख में साथ निभाना शुक्र ग्रह को उच्च कर देता है।
ऐसे ही पत्नियों को हर तरह का सुख देना पुरुषों का शुक्र ग्रह उच्च का कर देता है।
“शनि ग्रह का रूप “
हमारे साथ जुड़े हुए पिता के रिश्तेदार जैसे
चाचा ,ताया ,बुआ
माँ से जुड़े रिश्तेदारों का सम्मान…बुजुर्गों का सम्मान ,उनकी सेवा से शनि उच्च के होते हैं ।
पक्षियों और जानवरों पर दया भाव रखना उनको पानी या खाने को कुछ देने से भी शनि उच्च के होते है नौकरों को नौकर न समझ कर उन्हें भी इज़्ज़त देना शनि ग्रह उच्च का कर देता है शनि आप के व्यवहार को देखता है कि आप किस के साथ क्या व्यवहार करते है सो अपनी सोच को साफ़ और सुव्यवस्थित रखने पर शनि की किरपा मिलती रहती है ।
“राहू ग्रह “
ससुराल के रूप में होता है ।
उनसे बना कर रखिए।जो वो दे दे प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया जाये ,
उनसे कभी माँगा नहीं जाना चाहिए बल्कि उनको देने की इच्छा ही राहू को उच्च का कर देती है।अपने शरीर की सफ़ाई ,अपने घर की सफ़ाई ,अपनी रसोई और अपने घर के शौचालय को साफ़ रखने से राहू उच्च का हो जाता है अपने घर में चीजों को सही तरीक़े सलीक़े से रखने से राहू उच्च का होता है।
“केतु ग्रह..”
पंडित, महात्मा ,साधु या गुरू रूप है
उनकी सेवा करना ..
केतु को मोक्ष का कारक ग्रह भी माना जाता है इसीलिए इस मे सब से अच्छा बर्ताव .. साफ़ मन .. दया भाव .. छल कपट से दूर रहने पर ही केतु उच्च के होते है।
ग्रह कोई भी हो ,
अगर आप अच्छे हैं।
अच्छे विचार रखते है
सब की मदद कर रहे है।
यथा योग्य दान भी कर रहे है।
बुरे ग्रह का प्रभाव चाहे व्यक्ति पर पड़ तो सकता है मगर वो आप को नुक़सान नहीं पहुँचा पायेगा।
सब का भला करना
और सब के लिए मंगल की कामना करने वाले का कोई भी ग्रह कभी नुक़सान नहीं करता।
सब विकारों से दूर होने पर ही केतु हमें मोक्ष की ओर ले कर जायेगा
दोस्तों !!
बात बहुत सीधी और सरल है। अब सोचने की बात है ये सब उपाय इक सुलझा हुआ व्यक्ति बहुत आसानी से कर सकता है बस अपनी अन्तरात्मा को जगाने की ही ज़रूरत है।ये सब बातें तो हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बातें शामिल होनी ही चाहिए ।इसमें केवल अच्छा स्वभाव ही रखने की आवश्यकता है
इसमें न कोई पैसा ख़र्च करने की ज़रूरत है ,न किसी पंडितों को पैसा देने की । न ही किसी के पास जाने की ज़रूरत है यहाँ तो अपने आप को और अपनी द्वारा की गई हर गतिविधियों पर नज़र रखने की ज़रूरत है
लेखिका स्मिता
फूलों का अपशिष्ट सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा दे रहा है
भारत में फूलों के अपशिष्ट का क्षेत्र नई वृद्धि का अनुभव कर रहा है, जिसका इसके बहुआयामी लाभों से पता चलता है। यह न केवल महिलाओं के लिए सार्थक रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है, बल्कि कचरे को कूड़ा-स्थलों से प्रभावी ढंग से हटाकर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे रहा है।
आध्यात्मिक स्थलों से एकत्र किया गया फूलों का अपशिष्ट, जो कि ज्यादातर स्वाभाविक तरीके से सड़नशील होता है, अक्सर लैंडफिल या जल निकायों में समाप्त हो जाता है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी खतरे पैदा होते हैं और जलीय जीवन को नुकसान पहुंचता है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट के अनुसार, अकेले गंगा नदी सालाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लेती है। स्वच्छ भारत मिशन-शहरी 2.0 के तहत, कई भारतीय शहर अभिनव समाधान ला रहे हैं। सामाजिक उद्यमी फूलों से जैविक खाद, साबुन, मोमबत्तियां और अगरबत्ती जैसे मूल्यवान उत्पाद बनाने के लिए आगे आ रहे हैं।
स्वच्छ भारत मिशन स्थिरता की ओर एक परिवर्तनकारी यात्रा का नेतृत्व कर रहा है, जहां सर्कुलर इकोनॉमी और अपशिष्ट से संपदा का सिद्धांत सर्वोच्च है। इस बदलाव के बीच, फूलों का अपशिष्ट कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में उभर रहा है जिससे इस चुनौती से निपटने के लिए शहरों और स्टार्टअप्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास हो रहे हैं।
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में हर रोज़ 75,000 से 100,000 तक दर्शनार्थी आते हैं, जिससे प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फूल और अन्य अपशिष्ट उत्पन्न होता है। इसके लिए खास ‘पुष्पांजलि इकोनिर्मित’ वाहन हैं, जो इस कचरे को एकत्र करते हैं और फिर इसे थ्रीटीपीडी प्लांट में संसाधित करके पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों में बदल दिया जाता है। शिव अर्पण स्व-सहायता समूह की 16 महिलाएं फूलों के कचरे से विभिन्न उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुएं बनाती हैं और इसके लिए उन्हें रोजगार भी दिया गया है। इसके अलावा, इस कचरे से स्थानीय किसानों के लिए खाद बनाया जाता है और यह जैव ईंधन के रूप में भी काम करता है। उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 2,200 टन फूलों के कचरे से कुल 3,02,50,000 स्टिक का उत्पादन किया गया है।
मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में रोजाना करीब 40,000-50,000 श्रद्धालु आते हैं। कुछ खास दिनों में तो यह आंकड़ा 1,00,000 तक पहुंच जाता है, जो 120 से 200 किलोग्राम फूल चढ़ाते हैं। मुंबई स्थित डिजाइनर हाउस ‘आदिव प्योर नेचर’ ने एक स्थायी उद्यम शुरू किया है, जो मंदिर में अर्पित किये गए फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदलकर कपड़े के टुकड़े, परिधान, स्कार्फ, टेबल लिनेन और बड़े थैले के रूप में अलग-अलग वस्त्र बनाता है। वे सप्ताह में तीन बार फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं, जो 1000-1500 किलोग्राम/सप्ताह होता है। इस कचरे की छंटाई के बाद कारीगरों की एक टीम सूखे फूलों को प्राकृतिक रंगों में बदल देती है। आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले गेंदा, गुलाब और अड़हुल के अलावा, टीम प्राकृतिक रंग बनाने और भाप के माध्यम से बनावट वाले प्रिंट बनाने के लिए नारियल के छिलकों का भी उपयोग करती है।
तिरुपति नगर निगम हर दिन मंदिरों से 6 टन से ज़्यादा फूलों का अपशिष्ट उठाता है। वहां फूलों के कचरे को इकट्ठा करके उसे दोबारा इस्तेमाल करने योग्य मूल्यवान उत्पादों में बदल दिया जाता है। इसके ज़रिए स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं को रोज़गार मिला है। रीसाइकिलिंग का यह काम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम अगरबत्ती के 15 टन क्षमता वाले निर्माण संयंत्र में किया जाता है। इन उत्पादों को रीसाइकिल किए गए कागज़ और तुलसी के बीजों से भरे कागज़ से पैक किया जाता है ताकि कार्बन उत्सर्जन शून्य हो।
फूलों के कचरे की रीसाइकिलिंग करने वाले कानपुर स्थित ‘फूल’, प्रतिदिन विभिन्न शहरों के मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट एकत्र करके बड़े-बड़े मंदिरों को इस कचरे की समस्या से निजात दिला रहा है। यह ‘फूल’ भारत के पांच प्रमुख मंदिर शहरों अयोध्या, वाराणसी, बोधगया, कानपुर और बद्रीनाथ से लगभग 21 मीट्रिक टन फूलों का अपशिष्ट प्रति सप्ताह (3 टीपीडी) एकत्र करता है। इस कचरे से अगरबत्ती, धूपबत्ती, बांस रहित धूपबत्ती, हवन कप आदि जैसी वस्तुएं बनाई जाती हैं। ‘फूल’ द्वारा नियोजित महिलाओं को सुरक्षित कार्य स्थान, निश्चित वेतन, भविष्य निधि, परिवहन और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभ मिलते हैं। गहन तकनीकी शोध के साथ, स्टार्टअप ने ‘फ्लेदर’ विकसित किया है, जो पशु चमड़े का एक व्यवहार्य विकल्प है और इसे हाल ही में पेटा (पीईटीए) के सर्वश्रेष्ठ नवाचार शाकाहारी दुनिया से सम्मानित किया गया था।
हैदराबाद स्थित स्टार्टअप, ‘होलीवेस्ट‘ ने ‘फ्लोरजुविनेशन’ नामक एक अनूठी प्रक्रिया के माध्यम से फूलों के कचरे को पुनर्जीवित किया है। 2018 में स्थापित कंपनी के संस्थापक माया विवेक और मनु डालमिया ने विक्रेताओं, मंदिरों, कार्यक्रम आयोजकों, सज्जाकारों और फूलों का अपशिष्ट पैदा करने वालों के साथ भागीदारी की। वे 40 मंदिरों, 2 फूल विक्रेताओं और एक बाजार क्षेत्र से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करते हैं और खाद, अगरबत्ती, सुगंधित शंकु और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते हैं। वर्तमान में, ‘होलीवेस्ट‘ 1,000 किलोग्राम/सप्ताह फूलों के कचरे को जल निकायों में जाने से रोक रहा है या लैंडफिल में सड़ने से बचा रहा है।
पूनम सहरावत का स्टार्टअप ‘आरुही’ दिल्ली-एनसीआर में 15 से अधिक मंदिरों से फूलों का अपशिष्ट इकट्ठा करता है, 1,000 किलोग्राम कचरे को रिसाइकिल करता है और हर महीने 2 लाख रुपये से अधिक कमाता है। सहरावत ने फूलों के कचरे से उत्पाद बनाने के लिए 3,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है।
खेल मंत्री ने एशियाई खेलों में योग को शामिल करने की आईओए की पहल का स्वागत किया
आईओए अध्यक्ष ने एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) के अध्यक्ष श्री राजा रणधीर सिंह को 26 जून को पत्र लिखकर एशियाई खेलों में योग को खेल के रूप में शामिल करने के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा है।
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत की है कि 21 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाए। मन और शरीर को एक साथ जोड़ने वाली इस विद्या ने दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है और यह अपने खुद के नियमों और अलग-अलग कार्यक्रमों के साथ एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में तैयार है।”
उन्होंने कहा, “भारत योग को लोकप्रिय बनाने में सबसे आगे रहा है और हमने इसे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल करके इसे एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में आगे बढ़ाया और इसे बड़ी सफलता मिली। यह जानकर खुशी हो रही है कि योग करने वालों की बढ़ती संख्या ने राष्ट्रीय खेलों के आयोजकों को इसे अपने कार्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया है।”
भारत सरकार ने अपनी विभिन्न पहलों के माध्यम से योग को एक प्रतिस्पर्धी खेल के साथ-साथ स्वस्थ जीवन जीने की कला और विज्ञान के रूप में बढ़ावा दिया है। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने भारत में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में योगासन को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए योगासन भारत को मान्यता दी है। इसके अतिरिक्त, 2020 से खेलो इंडिया यूथ गेम्स और खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के पिछले कई संस्करणों में योगासन को एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में जोड़ा गया है।
यह भी पता चला है कि विश्व योगासन (वर्ल्ड योगासन) द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था एशियाई योगासन ने पहले ही संबद्धता के लिए ओसीए को पत्र लिख दिया है ताकि योगासन को पूरे महाद्वीप में एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में विकसित किया जा सके।