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दीपावली दियों का उत्सव ,रोशनी का त्योहार

🪔 दीवाली दीयो का उत्सव ,रोशनी का त्योहार बहुत ही ख़ूबसूरत। सारे परिवार मे इक ख़ुशी की लहर। मीठी मीठी ठण्ड की शुरूवात बाज़ारों की रौनक़,पटाखों, मिठाईयो की दुकानों के बाहर लम्बी क़तारें , हर कही चहल पहल ,बच्चे बड़े बुजुर्ग सभी को बेसब्री से इसका इन्तज़ार भी रहता है नये कपड़े ,नये खिलौने, ख़ूब सारे पकवान। ये सब हमारे भारत मे ही होता है उस रात पूरा देश जगमगा रहा होता है।
दोस्तों !ख़ुशक़िस्मत है वो जो इस दिन अपने सारे अरमान पूरे कर पाते है। कुछ लोग हज़ारों लाखों के पटाखे जला डालते है और किसी के पास कुछ फुलझड़ियाँ एक दो अनार या फिरकी ही होती है और कुछ ऐसे होते जो सिर्फ़ दूसरे के घरों मे जल रहे पटाखों से ,उनकी घरों की रोशनी देख कर ख़ुश हो रहे होते है।
भारत 🇮🇳 को छोड़े हुये मुझे इक ज़माना बीत गया मगर दीवाली की यादें आज भी इक दम ताज़ा है जैसे कल की ही बात हो। याद है मुझे आज भी वो दिवाली का दिन।इंग्लैंड आने के बाद इक बार दीवाली मनाने का सौभाग्य मुझे भी मिला।ख़ूब पटाखे ख़रीदे .कपड़े ख़रीदे ,खाने पीने का सामान।ख़ूब शापिंग की।सोचा ख़ूब मज़े करूँगी परिवार के साथ।
फिर भी मन में इक अजीब सी उदासी सी थी ।हुआ यू ,मैंने सुबह अपनी गली मे इक औरत को देखा था।जो बेहद गरीब।घर से भी दुखी .. और अपने शरीर से भी ।जब वो सब के घरों का कूड़ा
इकट्ठा करती,तो ग़ुस्से मे किसी न किसी को कुछ कह भी देती।सब आस पडोस के लोग उसकी बातें करते कि इसका सुबह मुँह देख लो तो सारा दिन ख़राब निकलता है वग़ैरह वग़ैरह।
मैं सोच रही थी ,उसका क्या क़सूर है जहां जिसको जन्म मिलता है ।उसको वैसे ही रहना पड़ता है ।कोई नही चाहता ,जब तेज गर्मी मे सभी लोग दोपहर को ऐ सी मे बैठे ठण्डी हवा ले रहे हो और उन्हें सड़ती गर्मी मे लोगों के घर का कूड़ा करकट उठाना पड़ता हो।
ज़रा सोचो दोस्तों रब न करे, किसी को ऐसे काम करना पड़े तो क्या बीते।दिल ने कहा इस बार कुछ अलग से किया जाये मैं फिर से मार्केट गई अपने ड्राइवर के साथ ।कुछ कपड़े ,कुछ घर का राशन ,मिठाई और कुछ पटाखे और इक डिब्बी मे सोने के झूमके,जो मैं बहुत बड़े होने की वजह से कभी पहन ही नही पाई थी ,को पैक करवाया और घर आ गई और बेसब्री से उस औरत का इन्तज़ार करने लगी।पता था मुझे कि वो शाम को भी कूड़ा करकट उठाने आती थी ।थोड़ी देर मे ही उसकी बेटी दिखाई दी ।मैंने पूछा आज तुम्हारी अम्मां कहाँ हैं ?वो कहने लगी वो बैठी है पेड के नीचे।थकी है बेचारी।अब उम्र के कारण कुछ बीमारी के कारण थक जाती है अम्मां ।मैं सोचने लगी अम्मां किसी की भी हो ,आराम का हक़ उम्र के साथ सब का होता है मगर ये अम्मां अब भी इतना सख़्त काम कर रही है रोज़ी रोटी के लिये।
मैंने कहा !
मिलना था मुझे उनसे। उनकी बेटी हैरान थी कि मैं कयूं मिलना चाह रही हूँ ।बोली दीदी !आज सुबह ही आप के घर का कूड़ा तो उठा ले गये है,
और भी है क्या ? तो मैं ले जाती
हूँ ।मैंने कहा !
नही नही ऐसा कुछ नही।तुम अपनी अम्मां को बुलवा लाओ।लड़की ने अम्मां को आवाज़ें दी तो
थोड़ी देर के बाद मेरे पास धीरे धीरे चलती अम्मां भी आ गई।
मैंने देखा धूल से लथ पथ शरीर ,बिखरे बाल ,नंगे पैर ,होंठ धूप और प्यास के कारण सूखे पड़े थे ।सिहर उठी मैं।सबसे पहले मैंने अपनी चप्पल निकाल कर उसे पहना दी।पानी पिलाया और उसे बिठा कर कहा !अम्मां पहले थोड़ा साँस ले लो।फिर मैंने सब कुछ उसकी झोली में रख दिया ,जो मैं उसे देने के लिये बाज़ार से लाई
था।वो हैरान कि इतना सामान ।मैने सारा सामान उसके ठेले पर रखवाया।तब मैंने उसे वो डिब्बी धीरे से थमा दी और कहा !अम्मां रख ले इसे ।तुम्हारी बेटी की शादी मे काम आयेंगी ।डिब्बी को खोल कर वो रो पड़ी कहने लगी !
मैं तो साफ़ सफ़ाई करने वाली, कूड़ा उठाने वाली आप इतने क़ीमती झूमके मुझे कयूं दे रही है ।मैंने हंस कर कहा !इसीलिए ही दे रही हूँ ।
हम लोग जो समाज मे बहुत सभ्य कहलाते है हम गंद डालते है।कूड़ा फैकंते है ,और आप है जो हमारा फैंका हुआ कूड़ा उठाती है हमारी सफ़ाई करती हैं ।मैंने कहा अब बताओ अम्मां ।कौन बड़ा,या कौन उंचा।कूड़ा फेंकने वाला या उसे उठा कर सफ़ाई करने वाला।वो निशब्द सी लगातार रो रही थी।मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ा और कहा !अब मुझे अपने मुख का दर्शन भी करा दे जो उसने पूरी तरहा से ढँक रखा था।उसने रोते रोते अपने मुख से कपड़ा हटा दिया।
दोस्तों !
आप यक़ीन नहीं करेंगे
जब मैंने उसे देखा ..मुँह आंसूओ से जैसे धुल चुका था।मैंने उसे उपर से नीचे तक निहारा तो लगा इसमे भी रब का वास है ।ये भी इक सुन्दर आत्मा है जो बाहर सब का कूडा करकट साफ़ करती करती ख़ुद इक साफ़ सुन्दर आत्मा हो चुकी
है।मैंने उसके हाथों में कुछ पैसे थमा दिये।
उस वक़्त उस औरत ने जिसे लोग “जमादारनी “कहते है ,ने मुझ पर आशीर्वादो की झंडी ही लगा दी ।बहुत कुछ कहती रही …कहती गई कहने लगी कि “तेरी आत्मा का नूर तेरे चेहरे को हमेशा रौशन करता रहे “यही अल्फ़ाज़ थे दोस्तों!
जो मेरे कानों मे अकसर गुंजन करते है।
मैने कहा !अम्मां ऐसा भी क्या दे दिया मैंने।सब ही देते है।ये तो कुछ भी नही।कहने लगी !बेटी बात चीजो की नही ।बात सम्मान की है जो तुम मुझे दे रही हो।
उस वक़्त मुझे लगा कि मैंने सच मे ही लक्ष्मी पूजन कर लिया और मां का आशीर्वाद भी ले लिया।
शुक्रगुज़ार हूँ रब की🙏 कि मुझे उसने ये वो इक लम्हा दिया। अगले साल मुझे पता लगा।बेचारी कैंसर से लड़ती लड़ती इस दुनिया से जा चुकी थी।
ये बात जो सच है को शेयर करने का मेरा मकसद ..अपनी तारीफ़ बटोरना बिलकुल भी नहीं है ।सभी देते है और बहुत कुछ करते भी
है ।मेरे लिए ये लम्हा एक ऐसा था।आज भी सोचती हूँ तो रोमांचित हो जाती हूँ ।बात तो आनन्द की है ,कहीं से भी मिल सकता है ।रब सब में है।सिर्फ़ देखने की आँख चाहिए।हर इक चलते फिरते जीव में उसका वास है ।कोई छोटा नहीं और कोई बड़ा नहीं ।
दोस्तों !
इस बार दीवाली को अलग किसी और भी तरीक़े से मनाये .. आसपास मे कोई बच्चे ,जो चीजो के लिये तरस रहे है उनकी ख़ुशी का साधन बटोरें। मेरा यक़ीन है बच्चे गणेश रूप ही होते है ,अगर हम अपने आसपास के बच्चों को ख़ुशी दे पायें ,तो यकीनन ही देव गणेश आप के इस करम से आवश्यक ही प्रसन्न हो जायेगे। हमारे आसपास ही देवी देवता रहते है मगर हम मंद बुद्धि के कारण उन्हें पहचान नही पाते।
दोस्तों !
उस रात लोग पटाखे और जूआ खेलते है ।हम कितना पैसा बर्बाद कर देते है पटाखे का धूआँ तो वैसे भी वातावरण को दूषित ही करता है जो हम सब की सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है।पटाखों को जलाना जैसे पैसों को जलाया जाने के बराबर है।हम हज़ारों लाखों पटाखों पर खर्च न कर अपने आसपास किसी को वो पैसे दे दे। या कोई ऐसा इन्तज़ाम कर दे ।जिससे किसी के घर मे आमदनी का रास्ता बन सके ।आप के किये गये उस उपकार से वो भी आने वाली अगली दीवाली ख़ूब ख़ुशी से मना सके।बड़ी बड़ी दुकानों की जगह जो सड़कों के किनारे सामान बेच रहे होते है ।उनसे सामान ख़रीदे ताकि उनका घर भी चल सके।
दोस्तों !
दीवाली पर हम सब मिठाई के डिब्बे ,पहले तो मिठाई की दुकान पर घंटो घंटो खड़े हो कर ख़रीदते है फिर दोस्तों के घर बाँटने जाते है जिनके घरों मे डिब्बे जाते है उनके घरों मे पहले ही कितने डिब्बे आये हुए होते है।यहाँ का डिब्बा वहां ,और वहाँ का डिब्बा यहाँ।
रजे हुये घरों मे देने की बजाये किसी ज़रूरत मंद को दे और दुआयें बटोरे।
दोस्तों !
मेरी और से आप सब को दीवाली की ढेरों शुभकामनाएँ ।ये दिवाली सब के लिये शुभ व मंगलकारी हो। हमारे मन के अन्धेरों का नाश कर हमे रोशनी की तरफ़ ले जाये इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
हैपी दीवाली। 🙏 स्मिता

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अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती के अवसर पर गणेश शंकर विद्यार्थी का राष्ट्रबोध विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होगा

संगीत नाटक अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती के अवसर पर गणेश शंकर विद्यार्थी का राष्ट्रबोध विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रही है| यह संगोष्ठी दि मारल व भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से ओंकारेश्वर सरस्वती विद्या निकेतन, जवाहर नगर, कानपुर में आज दिनाँक 26 अक्टूबर 2021 को पूर्वान्ह 11:00 बजे से होगी|

अतः आपसे निवेदन है कि उपरोक्त कार्यक्रम में अपने प्रतिनिधिगण को उक्त स्थान पर समय से भेजकर कवरेज कराने का कष्ट करें। इस अवसर पर आपकी भी अमूल्य व गरिमामयी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है

 

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रक्षाबंधन के अवसर पर शहर आये लोगों को बांधा रक्षा सूत्र

कानपुर। रोट्रेक्ट क्लब कानपुर स्टार और खुशी फाउंडेशन द्वारा संचालित राधे राधे रसोई में रक्षाबंधन के अवसर पर उन भाइयों, अंकल को रोट्रेक्ट और इंटरैक्ट क्लब कानपुर स्टार की सदस्यों ने हैंडमेड राखी बांधी जो परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए शहर आए। भाई-बहन के इस पवित्र दिन भी घर से दूर है, आज उनको अहसास कराने की हम बहनें है यहाँ पर और हम लोगों के रहते आप लोगों की कलाई, माथा सूना नहीं रहेगा, मन भर आया जब माथे पर टीका और राखी बाँधने के उपराँत क्या छोटे,बड़े भाइयों, अंकल पैर छू कर आशीर्वाद ले रहे थे या जुग जुग जिओ आशीर्वाद दे रहे थे। कुछ भाइयों ने शगुन भी दिया। बिहारी जी से यहीं प्रार्थना की कि कोई भाई का माथा, कलाई सूनी ना रहे। कोई बहन आज के दिन भाई को राखी बाँधने के लिए थाली सजाए इंतजार ना करे, ये राखियाँ रोट्रेक्टर, इंटेरेक्टर साथियों ने कई दिन की मेहनत से बनाई थी जिसमें उनका परिवार भी शामिल था और बहुत से राखियाँ दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी के बच्चों ने बेस्ड मैटीरियल से बनाई थी। आज भी 125 राधाकृष्ण भक्तों को भोजन प्रसाद सेवा की। इस अवसर पर रो सुशील चक, राजीव अग्रवाल, गौरव तिवारी, दीपक अग्रवाल, शशिकांत शर्मा, मनप्रीत कालरा, हुनर कालरा, हरसिमरन कौर,संचालि मिश्रा, जुबैर अहमद, अमित सक्सेना, स्नेहा, शिवांगी मिश्रा, सैय्यद मोहम्मद निमान, विनीता अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

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कानपुर में मुंबई की तरह एमएसटी शुरू की जाए

कानपुर। यूपी दैनिक रेल यात्री कल्याण समिति के संरक्षक राजेश शुक्ल, सचिव राहुल शुक्ल, मनीष मिश्रा, श्रीधर कश्यप, अभिषेख सिंह, गौरव जायसवाल, अमन, रीतेश सिंह ने रविवार को सांसद सत्यदेव पचौरी से मुलाकात कर ट्रेनों में मुंबई की तर्ज पर एमएसटी खोलने की मांग की। प्रतिनिधियों ने कहा कि लखनऊ, फतेहपुर, प्रयागराज तक हर दिन हजारों लोगों को अप-डाउन करना पड़ रहा है लेकिन रोज हर यात्री को चार सौ रूपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

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54 पैरालंपिक एथलीट भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतने के लिए 25 अगस्त से अपनी यात्रा शुरू करेंगे

प्रमुख तथ्य :

•54 एथलीटों के साथ किसी भी पैरालंपिक में भारत द्वारा भेजी गई अब तक की यह सबसे बड़ी टीम है।

•भाविना और सोनलबेन पहले दिन यानी 25 अगस्त को टोक्यो में अपने अंतिम चयन प्रतिस्पर्धा (क्वालीफिकेशन राउंड) की शुरुआत करेंगी। वे टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) कोर ग्रुप का हिस्सा हैं।

•अरुणा महिलाओं के अंडर 49 किग्रा में के-44 वर्ग में भाग लेंगी। वे 2 सितंबर को राउंड ऑफ-16 राउंड्स से अपने प्रतिस्पर्धा की शुरुआत करेंगी। वे टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का हिस्सा हैं।

•सकीना, जो महिलाओं के 50 किग्रा वर्ग में भाग लेंगी, राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाली एकमात्र भारतीय महिला पैरालंपिक खिलाड़ी हैं।

भारत के 54 एथलीट; तीरंदाजी, एथलेटिक्स (ट्रैक एंड फील्ड), बैडमिंटन, तैराकी, भारोत्तोलन समेत 9 खेलों में भाग लेंगे। यह किसी भी पैरालंपिक में भारत द्वारा भेजी गई अब तक की सबसे बड़ी टीम है। सभी 54 एथलीट टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का हिस्सा हैं।

गुजरात राज्य की भाविना पटेल और सोनलबेन पटेल दोनों पैरालंपिक खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देने की कोशिश करेंगी। यह जोड़ी क्रमशः पैरा टेबल टेनिस महिला एकल व्हीलचेयर वर्ग 4 श्रेणी और महिला एकल व्हीलचेयर वर्ग 3 श्रेणी में भाग ले रही है। वे महिला युगल स्पर्धा में भी जोड़ी के रूप में भाग लेंगी।

(चित्र: सोनलबेन पटेल)

भाविना और सोनलबेन अपने क्वालीफिकेशन राउंड की शुरुआत टोक्यो में पहले दिन यानी 25 अगस्त को करेंगी। क्वालीफाइंग राउंड 25, 26 और 27 अगस्त को होंगे, जबकि सेमीफाइनल और फाइनल क्रमशः 28 और 29 अगस्त को होंगे।

 

(चित्र: भाविना)

दोनों खिलाड़ियों ने अहमदाबाद स्थित ब्लाइंड पीपुल्स एसोसिएशन में प्रशिक्षक ललन दोषी की देख-रेख में प्रशिक्षण लिया है। भाविना जहां इस समय अपने वर्ग में दुनिया में 8वें स्थान पर हैं, वहीं सोनलबेन 19वें स्थान पर हैं। दोनों सरदार पटेल पुरस्कार और एकलव्य पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं और एशियाई खेलों में पदक विजेता रही हैं।

दोनों खिलाड़ी टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) कोर ग्रुप का हिस्सा हैं और दोनों को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के मामले में भारत सरकार से महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है। भाविना को व्यक्तिगत प्रशिक्षण के लिए टीटी टेबल, रोबोट और टीटी व्हीलचेयर तथा आगामी टोक्यो पैरालंपिक खेलों की तैयारी के लिए फिजियोथेरेपी, आहार विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक और प्रशिक्षण शुल्क के साथ-साथ प्रशिक्षण के लिए टेबल टेनिस बॉल, प्लाई, रबर, गोंद आदि जैसे उनके खेल से जुड़े विशिष्ट उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी मिली है।

पैरा टीटी से जुड़ी अपनी बड़ी बहनों के नक्शेकदम पर चलते हुए पैरालंपिक खेलों में पैरा ताइक्वांडो में भारत की एकमात्र प्रतिनिधि 21 वर्ष की अरुणा तंवर होंगी। हरियाणा की अरुणा महिलाओं के 49 किलोग्राम से कम भार के के-44 वर्ग में भाग लेंगी। वो 2 सितंबर को राउंड- ऑफ-16 राउंड्स में अपना जौहर दिखायेंगी।

 

(चित्र:अरुणा तंवर)

अरुणा इस समय के-44 वर्ग में 30वें स्थान पर हैं और वो 2018 में वियतनाम में आयोजित एशियाई पैरा ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में रजत पदक विजेता रही हैं। साथ ही, वो 2019 में तुर्की में आयोजित विश्व पैरा ताइक्वांडो चैम्पियनशिप में कांस्य पदक विजेता रही हैं। वो टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स) का एक हिस्सा हैं और उन्हें उनके खेल से जुड़े विशिष्ट उपकरणों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता भी मिली है।

(चित्र:अरुणा तंवर)

पैरा पावरलिफ्टिंग के लिए भारत जय दीप और सकीना खातून के रूप में दो सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को वहां भेज रहा है। जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में जन्मी सकीना बेंगलुरु स्थित साई राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण ले रही हैं, वहीं दूसरी ओर हरियाणा के रहने वाले जय दीप रोहतक स्थित राजीव गांधी स्टेडियम में प्रशिक्षण ले रहे हैं। ये दोनों ही टॉप्‍स कोर टीम का हिस्सा हैं।

सकीना, जो महिलाओं के 50 किग्रा तक के वर्ग में भाग लेंगी, अब तक की एकमात्र भारतीय महिला पैरालिंपियन हैं, जिन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में कोई पदक जीता है। उन्‍होंने वर्ष 2014 में ग्लासगो में यह पदक जीता था। वह पैरा एशियन गेम्स 2018 की रजत पदक विजेता भी हैं। बचपन में हुई पोलियो की गंभीर बीमारी की वजह से ही सकीना दिव्‍यांगता से ग्रस्‍त हो गई हैं। मैट्रिक तक पढ़ाई कर लेने के बाद उन्होंने दिलीप मजूमदार और अपने वर्तमान कोच फरमान बाशा से प्राप्‍त वित्तीय सहायता की बदौलत वर्ष 2010 में पावरलिफ्टिंग प्रशिक्षण शुरू किया।

(चित्र:सकीनाखातून)

जय दीप, जो पुरुषों के 65 किग्रा तक के वर्ग में भाग ले रहे हैं, भारतीय खेल प्राधिकरण में सहायक कोच हैं। इन दोनों ही खिलाडि़यों को तीन से भी अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने और खेल किट से युक्‍त खेल विज्ञान सहायता के साथ राष्ट्रीय कोचिंग शिविरों में भाग लेने में भारत सरकार की ओर से महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्‍त हुआ है। ये दोनों ही खिलाड़ी 27 अगस्त को अपने-अपने फाइनल राउंड में टोक्यो में खेलेंगे।

(चित्र:जय दीप)

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प्रधानमंत्री ने सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सोमनाथ, गुजरात में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। उद्घाटन की गई परियोजनाओं में सोमनाथ समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर श्री लाल कृष्ण आडवाणी, केन्द्रीय गृह मंत्री, केन्द्रीय पर्यटन मंत्री एवं गुजरात के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री उपस्थित थे।

दुनिया भर के श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने के लिये अदम्य इच्छाशक्ति दिखाई थी। सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जोड़ा था। श्री मोदी ने कहा, “यह हमारा सौभाग्य है कि हम आजादी के 75वें वर्ष में सोमनाथ मंदिर को नई भव्यता प्रदान करने में सरदार साहब के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं।”प्रधानमंत्री ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को याद किया, जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक कई मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि परंपरा और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ और गुजरात के कच्छ के परिवर्तन जैसी पहलों को गुजरात ने बहुत नजदीक से देखा है, आधुनिकता को पर्यटन से जोड़ने का परिणाम देखा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हर कालखंड की यह मांग रही है कि हम धार्मिक पर्यटन की दिशा में भी नई संभावनाओं को खोजें और लोकल अर्थव्यवस्था से तीर्थ यात्राओं का जो रिश्ता रहा है उसे और मजबूत करें।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये शिव ही हैं जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं। शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं और अनादि हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है।”

 

पवित्र मंदिर के इतिहास का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि मंदिर को बार-बार तोड़ा गया, लेकिन हर हमले के बाद वह कैसे फिर उठ खड़ा हुआ। उन्होंने कहा, “यह इस विश्वास का प्रतीक है कि असत्य कभी सत्य को पराजित नहीं कर सकता और आतंक कभी आस्था को कुचल नहीं सकता।” उन्होंने कहा, “जो तोड़ने वाली शक्तियां हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वह किसी कालखंड में कुछ समय के लिये भले हावी हो जाये, लेकिन उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वह ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती। यह उस समय भी सत्य था, जब कुछ आक्रमणकारी सोमनाथ के मंदिर को तोड़ रहे थे और आज भी उतना ही सत्य है, जब ऐसी सोच दुनिया के सामने खतरा बनी हुई है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर उसका भव्य जीर्णोद्धार सदियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैचारिक निरंतरता के कारण संभव हुआ है। राजेंद्र प्रसाद जी, सरदार पटेल और केएम मुंशी जैसे महापुरुषों को आजादी के बाद भी इस अभियान के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था। लेकिन, अंततः 1950 में सोमनाथ मंदिर आधुनिक भारत के दिव्य स्तंभ के रूप में स्थापित हो गया। देश कठिन समस्याओं के सौहार्दपूर्ण समाधान की ओर बढ़ रहा है। राम मंदिर के रूप में आधुनिक भारत की महिमा का एक उज्ज्वल स्तंभ बनकर सामने आ रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारी सोच इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की होनी चाहिए, एक नया भविष्य बनाने की होनी चाहिए। उन्होंने ‘भारत जोड़ो आंदोलन’के अपने मंत्र  का उल्लेख करते हुए कहा कि उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है बल्कि विचारों के संपर्क से भी है। प्रधानमंत्री ने कहा, “ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है।” उन्होंने कहा, “हमारे लिए इतिहास और धर्म का सार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास है।” प्रधानमंत्री ने भारत की एकता को रेखांकित करने में विश्वास और विश्वास प्रणाली की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं। इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों में अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना की ही अभिव्यक्ति है।’

राष्ट्र की एकता को मजबूत करने में आध्यात्मिकता की भूमिका का उल्लेख जारी रखते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यटन और आध्यात्मिक पर्यटन की राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय क्षमता का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि देश आधुनिक अवसंरचना का निर्माण कर प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। उन्होंने रामायण सर्किट का उदाहरण दिया जो राम भक्तों को भगवान राम से संबंधित नए स्थानों से अवगत करा रहा है और उन्हें यह महसूस करा रहा है कि कैसे भगवान राम पूरे भारत के राम हैं। इसी तरह बुद्ध सर्किट दुनिया भर के भक्तों को सुविधाएं प्रदान करता है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पर्यटन मंत्रालय स्वदेश दर्शन योजना के तहत 15 विषयों पर पर्यटन सर्किट विकसित कर रहा है, जिससे उपेक्षित क्षेत्रों में पर्यटन के अवसर पैदा होंगे। केदारनाथ जैसे पहाड़ी इलाकों में विकास, चार धामों के लिए सुरंग और राजमार्ग, वैष्णव देवी में विकास कार्य, पूर्वोत्तर में हाई-टेक बुनियादी ढांचा दूरियां पाट रहे हैं। इसी तरह, 2014 में घोषित प्रसाद योजना के तहत 40 प्रमुख तीर्थ स्थलों का विकास किया जा रहा है, जिनमें से 15 पहले ही पूरे हो चुके हैं। गुजरात में 100 करोड़ रुपये से अधिक की तीन परियोजनाओं पर काम चल रहा है। तीर्थ स्थलों को जोड़ने पर ध्यान दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश न केवल आम नागरिकों को पर्यटन के माध्यम से जोड़ रहा है बल्कि आगे भी बढ़ रहा है। देश, यात्रा और पर्यटन प्रतिस्पर्धात्मकता सूचकांक में 2013 के 65वें स्थान से 2019 में 34वें स्थान पर पहुंच गया है।

सोमनाथ प्रोमनेड को प्रसाद (पिलग्रिमेज रेजुवेनेशन एंड स्पिरिचुअल, हेरीटेज ऑगमेंटेशन ड्राइव) योजना के तहत 47 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। ‘पर्यटक सुविधा केंद्र’ के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र, पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली के मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को प्रदर्शित करता है।

पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा कुल 3.5 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को अहिल्याबाई मंदिर के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा बनाया गया था। रानी अहिल्याबाई ने पुराने मंदिर को जीर्ण शीर्ण अवस्था में पाने के बाद नया निर्माण कराया था। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और संवर्धित क्षमता के लिए पूरे पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है।

श्री पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर निर्माण, गर्भगृह और नृत्य मंडप का विकास शामिल है।

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नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जबलपुर-दिल्ली रूट पर इंडिगो उड़ानों का उद्घाटन किया

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव श्री प्रदीप खरोला के साथ वर्चुअल रूप से जबलपुर-दिल्ली सेक्टर के लिए इंडिगो उड़ान को झंडी दिखाई। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान भी वर्चुअल रूप से उपस्थित थे। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में अन्य महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ-साथ मध्य प्रदेश के जल संसाधन, मत्स्य पालन कल्याण और मत्स्य विकास मंत्री श्री तुलसी राम सिलावट, मध्य प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति, अध्यात्म मंत्री श्रीमती उषा ठाकुर, मध्य प्रदेश के सांसद श्री राकेश सिंह, मध्य प्रदेश के सांसद श्री शंकर लालवानी ने मध्य प्रदेश से वर्चुअल रूप से इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अपने संबोधन में कहा, “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले सात वर्षों में भारतीय उड्डयन का जनतंत्रीकरण संभव हो पाया है, जो उड्डयन आम लोगों के लिए दूर का सपना था, वह अब सभी के लिए सुलभ होता जा रहा है। जबलपुर मध्यप्रदेश के सबसे महत्पूर्ण शहरों में से एक है, इस शहर में विभिन्न सेक्टरों के लिए कई प्रकार के अवसरों की संभावना है। आज से, जबलपुर को देश की राजधानी दिल्ली और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के साथ अतिरिक्त उड़ान कनेक्टिविटी प्राप्त हो गई है। इसके अतिरिक्त, इस शहर को 28 अगस्त 2021 से इंदौर तथा हैदराबाद से अतिरिक्त कनेक्टिविटी प्राप्त होगी। मुझे यह घोषणा करते हुए अति प्रसन्नता हो रही है कि पिछले 35 दिनों में हमने मध्य प्रदेश में 44 नई उड़ानों का प्रचालन आरंभ कर दिया है जिसमें से 26 विमान आवाजाही केवल जबलपुर से जुड़ी हुई है। महामारी के बावजूद हम न केवल पुराने रूटों का पुनरुत्थान कर रहे हैं बल्कि नई रूटें भी आरंभ कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि “आज हम न केवल नए रूट तथा जबलपुर से नई उड़ानें आरंभ कर रहे हैं, बल्कि हमने जबलपुर हवाई अड्डे के विकास के लिए 421 करोड़ रुपए की एक स्कीम को भी मंजूरी दी है। नए विकासों में 10 हजार स्क्वायर फीट के एक नए टर्मिनल भवन का निर्माण, एक नया एटीसी टावर तथा बड़े विमान प्रचालनों को व्यवहार्य बनाने के लिए रनवे के विस्तार को 1950 से 2750 मीटर करना शामिल है।”

मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विख्यात जबलपुर में 8 जिलों: जबलपुर, सिवनी, मांडला, छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर, कटनी, दिनदोरी तथा बालाघाट के डिविजनल मुख्यालय हैं। यह राज्य के सबसे मूल्यवान तथा विकसित शहरों में से भी एक है। हनुमंत बाड़ा जैन मंदिर, जबलपुर मदन महल, धुआंधार जलप्रपात, चौंसठ-योगिनी, भेड़ा घाट, मदन महल किले के निकट बैलेंसिंग रॉक, कचनार शहर में शिव प्रतिमा, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान जैसे बाघ अभ्यारण्य तथा पेंच नेशनल पार्क दुनिया भर के पर्यटकों को आमंत्रित करते हैं। इस शहर का एक समृद्ध इतिहास है और यह भारत की विरासत में भी झांकने का अवसर प्रस्तुत करता है।

जबलपुर मैसर्स इंडिगो एयरलाइन्स द्वारा कनेक्टेड 69वां घरेलू गंतव्य है। इन सीधी उड़ानों का लक्ष्य व्यापार एवं वाणिज्य में वृद्धि करना तथा जबलपुर में पर्यटन को बढ़ावा देना भी है, खासकर, ऐसे समय में जब भारतीय लगातार घरेलू छुट्टियों में ऐसे जगहों पर जाने की योजना बना रहे हैं जो पर्यटन की दृष्टि से अभी तक देश में विख्यात रहे हैं।

उड़ान का अनुसूची नीचे उल्लेखित हैः

 

उड़ान संख्या कहां से कहां तक बारंबारता प्रस्थान समय आगमन समय विमान कब से प्रभावी
6E 2016 DEL JLR प्रतिदिन 9:00 10:20 A320 20-अगस्त-21
6E 2017 JLR DEL प्रतिदिन 10:50 12:20 20- अगस्त -21
6E 917 BOM JLR प्रतिदिन 6:25 8:15 20- अगस्त -21
6E 916 JLR BOM प्रतिदिन 8:45 10:10 20- अगस्त -21
6E 7742 IDR JLR प्रतिदिन 7:45 9:20 ATR 28- अगस्त -21
6E 7743 JLR HYD प्रतिदिन 9:40 11:55 28- अगस्त -21
6E 7744 HYD JLR प्रतिदिन 12:30 14:45 28- अगस्त -21
6E 7745 JLR IDR प्रतिदिन 15:05 16:40 28- अगस्त -21

 

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विप्र शिरोमणि भगवान परशुराम की भव्य शोभायात्रा कल

हाथरस। विप्र शिरोमणि भगवान परशुराम की जयंती के उपलक्ष में ब्राह्मण महासभा के तत्वावधान में कल 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को विशाल एवं भव्य शोभायात्रा शहर में निकलेगी और शोभायात्रा में सभी विप्र बंधुओं एवं शहर की जनता से शामिल होने की अपील की गई है। उक्त संबंध में जानकारी देते हुए श्री ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष रवि रंजन द्विवेदी एडवोकेट, शोभा यात्रा संयोजक राजेश शर्मा ‘राजू’ एवं ब्राह्मण शिविर संयोजक विशाल सारस्वत ने बताया है कि विप्र शिरोमणि भगवान परशुराम की शोभायात्रा कल 13 अप्रैल को भारी धूमधाम के साथ आगरा रोड स्थित चित्रकूट व्यायामशाला से सायं 5 बजे प्रारंभ होगी और शोभा यात्रा का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सादाबाद विधायक रामवीर उपाध्याय द्वारा किया जाएगा। उन्होंने समस्त ब्राह्मण समाज एवं शहर की जनता से अनुरोध किया है कि शोभायात्रा में भारी संख्या में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करें।

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महाकुम्भ, आस्था,धर्म,और संस्कृति का संगम है -सतपाल महाराज

हरिद्वार| उत्तराखंड के पर्यटन संस्कृति कैबिनेट मंत्री एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी  सतपाल  महाराज ने कहा कि कुम्भ महापर्व सदियों से चला आ रहा है भारतीय सनातन संस्कृति का अद्वितीय महापर्व है जिसका अमृतमय सन्देश आत्मसात करके ही विश्व को विनाश से बचाया जा सकता है। महाराज  ने प्रेमनगर आश्रम स्थितगोवर्धन हॉल में आयोजित विशाल अध्यात्म-योग-साधना शिविर के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने दैनिक तथा सामाजिक कार्यों  को करने की आदत बनानी है। महाराज ने कहा कि भारत के ऋषि-महऋषियों एवं धर्म शास्त्रों के ज्ञान का मूल है कि समस्त प्राणियों के श्वांस-प्रश्वांस में समाये प्रभु-नाम के अध्यात्म तत्व-ज्ञान से ही मानव के विनाश कारी मन पर काबू किया जा सकता है। समुद्र मंथन से अमृत कुम्भ निकला और उसकी बूँदें चार स्थानोंपर गिरीं जहां पर हर बारह वर्ष में कुम्भ मनाया जाता है। महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत का प्राचीन विज्ञान इतना उन्नत था कि ऋषि-महाऋषियों को यह ज्ञात था कि हर बारह वर्ष में बृहस्पति सूर्य की राशि में लौटता है जिससे महा-योग की स्थिति उत्पन्न होती है तथा इसी पावन योग में कुम्भ पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि समुद्र से निकले चौदह रत्नो में सबसे पहले विष निकला जिसके विनाश से भगवान शिव ने संसार की रक्षा की ।  मानव मन को अध्यात्म ज्ञान से संतुलित करके ही मन के सागर मंथन से हम अमरत्व की दिशा प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए हमें अपने समाज की व राष्ट्र सहित समग्र मानवता की प्रगति को सुनिश्चित व सुरक्षित रखने हेतु हम सबको कुम्भ अर्थात घड़ा बनकर अच्छाइयों का संग्रह अपने अंदर करना होगा। तभी हम विनाशकारी शक्तियों का डटकर मुकाबला करते हुए अमृतत्व की शक्ति से अपने व अपने समाज की रक्षा कर भारत को एक महाशक्ति बना सकते हैं। कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमृता रावत सहित देश से विभिन्न राज्यों से आये हुए अनेक-अनुभवी संत-महात्माओं ने अपने विचार रखे तथा कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कलाकारों ने अपने मधुर भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध किया।

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पीयूष गोयल ने झारखंड में हंसडीहा-गोड्डा नई रेल लाइन राष्ट्र को समर्पित की

झारखंड का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करने के लिए केन्द्रीय रेल, वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज हंसडीहा-गोड्डा नई लाइन को राष्ट्र को समर्पित किया और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गोड्डा-नई दिल्ली हमसफ़र स्पेशल ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इस नई लाइन से बेहतर परिवहन सुविधा, लागत प्रभावी और वस्तुओं की त्वरित आवाजाही में लाभ होगा और झारखंड के दुमका और गोड्डा में सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिलेगी। इस आयोजन के दौरान, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ, श्री सुनीत शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस अवसर पर बात करते हुए, श्री पीयूष गोयल ने कहा, “झारखंड अपने खनिजों और कई पवित्र स्थानों के लिए प्रसिद्ध है और भारतीय रेल इस राज्य की असल क्षमता को वास्तविकता में बदलने में अपना योगदान दे रहा है। इस हंसडीहा-गोड्डा परियोजना को 2011 में मंजूरी दी गई थी, हालांकि 2014 तक कोई प्रगति नहीं हुई थी। 2014 में जब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने परियोजनाओं की समीक्षा की, तो यह खुलासा हुआ था कि अभी तक इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण भी नहीं हुआ था। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर, इस नई लाइन परियोजना पर तेजी से प्रगति हुई। अब तक इस परियोजना ने 550 करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित किया है। इस नई हंसडीहा-गोड्डा रेल लाइन से क्षेत्र में और अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने की गति से विकास होगा, भविष्य में इस क्षेत्र से किसानों की उपज भेजने के लिए किसान रेल शुरू की जा सकती है।”

श्री गोयल ने यह भी कहा कि वर्तमान में झारखंड में 20,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 36 रेल परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जो झारखंड से होकर गुजरता है, राज्य की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।

भारतीय रेलवे नया इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने, अपने नेटवर्क की क्षमता बढ़ाने और प्रतिष्ठित ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। इस लक्ष्य की ओर भारतीय रेलवे ने झारखंड में हंसडीहा-गोड्डा नई लाइन परियोजनाओं की शुरुआत की है। झारखंड राज्य में बुनियादी ढांचे के काम के विकास और यात्री सुविधाओं को प्रदान करने के लिए 663 करोड़ रुपये का कुल खर्च किया गया है।

हंसडीहा-गोड्डा नई लाइन की स्थापनाकी झारखंड के आम लोगों की लंबे समय से लंबित मांग थी। इससे राज्य के इस हिस्से के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण और कनेक्टिविटी में तेजी आएगी। नई लाइन परियोजना की कुल लंबाई 32 किमी है, जो झारखंड के गोड्डा और दुमका जिलों से गुजरती है। झारखंड की नई लाइन परियोजना में कुल पांच स्टेशन हैं- हंसडीहा, गंगवारा, पोरैयाहाट, कथवन और गोड्डा। सभी पांचों स्टेशनों में बुनियादी ढांचा विकास और यात्री सुविधाओं को बढ़ाया गया है। इस 32 किमी नए स्ट्रेच की गति क्षमता 120 किमी प्रति घंटा है। नई लाइन परियोजना को चालू करते समय, दो प्रमुख पुलों और तैंतीस छोटे पुलों का निर्माण किया गया है।

हंसडीहा-गोड्डा रेलवे लाइन एक कोल प्रायरिटी प्रोजेक्ट है और रेलवे ने कोयले जैसे औद्योगिक इनपुट्स की आवाजाही और कारोबार और उद्योगों के तेजी से विकास के साथ-साथ झारखंड में रोज़गार सृजन को ध्यान में रखते हुए परियोजना को तेज़ी से पूरा करने के लिए हर संभव कदम उठाए हैं।

इसके अलावा, इस नई लाइन में ट्रेन सेवाओं की शुरुआत से यात्रियों को भारत की राजधानी दिल्ली की ओर जाने में लाभ होगा। गोड्डा से नई दिल्ली जाने वाली इस नई सुपरफास्ट हमसफर एक्सप्रेस ट्रेन के आने से यात्री भागलपुर होते हुए को नई दिल्ली तक की आरामदायक यात्रा कर सकेंगे।

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