भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 द्वारा *मिशन लाइफ – पर्यावरण संरक्षण* के मुद्दे को ध्यान मे रखते हुए छात्राओं के द्वारा पोस्टर बनाकर आसपास के लोगों को जागरूक किया गया। महाविद्यालय सेंचुरी कलब कोऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में एक जागरूकता रैली भी निकाली गई।
प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने अपने उद्बोधन में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमे वन संरक्षण हेतु चिपको आंदोलन की प्रणेता अमृता देवी को कभी नहीं भूलना चाहिए तथा यथासंभव पेड़ों को कटने से बचाने, नए पौधों को आरोपित व उनका पालन-पोषण करना चाहिए। छात्राओं के द्वारा बस्ती वासियों को हरित घर की संकल्पना बताते हुए 5 मुख्य मुद्दों- वृक्षारोपण, जल संरक्षण, कचरे के वर्गीकरण, निस्तारण एवं चक्रण, पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण लिए इकोब्रिक्स बनाकर विभिन्न उपयोगी सामग्री बनाने के लिए उनका प्रयोग करने व जीव-जंतु संरक्षण तथा ऊर्जा की बचत की ओर उन्मुख व अभिप्रेरित किया। डॉ सिरोही ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि मिशन लाइफ के अंतर्गत व्यक्तिगत _ छोटे-छोटे प्रयासों के द्वारा पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखा जा सकता है। उन्होंने अपने व्याख्यान में वेदो का भी उल्लेख किया जिनमें संपूर्ण जैव- जगत, जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधों आदि को देव स्वरूप मानकर पूजा करना मनुष्य का धर्म बताया गया था। यह सब पर्यावरण संरक्षण के ही उपाय है। कार्यक्रम में महाविद्यालय कार्यालय अधीक्षक डॉ कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत डॉ नवीन, डॉ प्रजापति एवम् डॉ संचिता लक्ष्मी विशेष रूप से उपस्थित रहे । समस्त छात्राओं की सक्रिय सहभागिता उल्लेखनीय रही।
शिक्षा
दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य के अंतर्गत सरोज देवी फाउंडेशन के सहयोग से मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया गया
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में सेंचुरी क्लब, विजन कानपुर@2047 के अंतर्गत महिलाओं की सुरक्षा, स्वावलंबन व सशक्तिकरण के मुद्दे को ध्यान में रखते हुए सरोज देवी फाउंडेशन के सहयोग से मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया गया। इस दिन पूरी दुनिया में ‘मासिक धर्म स्वच्छता दिवस’ मनाया जाता है। 2014 में जर्मन के ‘वॉश यूनाइटेड’ नाम के एक एनजीओ ने इस दिन को मनाने की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य – लड़कियों और महिलाओं को महीने के उन 4-5 दिन यानी मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता रखने के लिए जागरूक करना है।
महाविद्यालय सेंचुरी क्लब समन्वयक डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि सरोज देवी फाउंडेशन से हाइजीन एजुकेटर श्रीमती अनुपमा चौधरी ने अपने व्याख्यान में छात्राओं को मासिक धर्म के समय रखी जाने वाली सावधानियों से अवगत कराते हुए उस समय होने वाली कठिनाइयों को कम करने, संतुलित भोजन, उचित व्यायाम, आहार-विहार आदि के बारे में सुझाव दिए। इस अवसर पर एक जागरूकता रैली का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व प्राचार्य डॉ साधना सिंह, डॉ निवेदिता टंडन, आई क्यू ए सी इंचार्ज प्रो वंदना निगम, प्रो पप्पी मिश्रा, प्रो प्रज्ञा सहाय, प्रो मुकुलिका हितकारी, प्रो सुमन सिंह, प्रो स्वाति सक्सेना, डॉ कृष्णेंद्र कुमार श्रीवास्तव, स्वस्थ संसार संस्थान से श्री प्रमोद श्याम जी व उनकी टीम, सरोज देवी फाउंडेशन से श्री अरविंद चौधरी, श्रीमती संध्या एवम उनकी संपूर्ण टीम तथा समस्त छात्राओं की प्रतिभागिता सराहनीय रही।
होनहार “शौर्य मोहन”, भावी संस्कृत विद्वान
शौर्य मोहन, जीव विज्ञान के छात्र, वीरेंद्र स्वरूप शिक्षा केंद्र, श्यामनगर, कानपुर, यूपी के प्रतिष्ठित स्कूल ने कक्षा बारहवीं सीबीएसई (2023)परीक्षा में संस्कृत में 100/100 अंक प्राप्त किए।वे 10 वर्ष की उम्र से ही हिंदी और संस्कृत में कविताएँ लिखने लगे थे। उनका सपना संस्कृत के विद्वानों के लिए अपनी वेबसाइट बनाने का था। जब वह 12 साल के थे, तब उन्होंने अपनी दादी के साथ संस्कृत में बातचीत शुरू की, जो अभी भी उनकी संस्कृत की गुरु हैं । वह अपनी शिक्षिका को अपनी प्रेरणा मानते हैं।
वह ब्रिन-ओ-ब्रेन, गणित, प्रतियोगिता में दो बार राष्ट्रीय चैंपियन रह चुके हैं तथा स्कूल स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिता में भी चैंपियन रह चुके हैं । इसके अतिरिक्त जब उन्होंने विश्वविद्यालय में 100 से अधिक शोधार्थियों के सामने राष्ट्रीय संगोष्ठी में संस्कृत में शोध पत्र प्रस्तुत किया तो उनकी बहुत सराहना हुई। वह अपनी संस्कृति और सभ्यता के लिए भावुक हैं। उनका लक्ष्य निकटतम भविष्य में संस्कृत में चरक संहिता और अन्य प्राचीन साहित्य को आम आदमी की भाषा में सुलभ कराना है ताकि वर्तमान समय में आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति को मजबूत किया जा सके।
भारत उत्थान न्यास, महिला समिति द्वारा मातृदिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी: *आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नारी का स्वरूप* गूगल मीट पर आयोजित की गई
कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, भारत उत्थान न्यास, महिला समिति द्वारा मातृदिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी: *आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नारी का स्वरूप* गूगल मीट पर आयोजित की गयी। कानपुर आकाशवाणी की उद्घोषिका रंजना यादव के संचालन में आयोजित संगोष्ठी के संयोजक व न्यास के केन्द्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल ने अतिथि के रूप में उपस्थित समस्त मातृशक्ति को प्रणाम करते हुए उनका स्वागत किया। मुख्य वक्ता डॉ. चित्रा तोमर ने कहा कि यही सत्य है कि महिलाएं अनेक रूपों मे सशक्त है यदि वे स्वम पर दया खाना छोड़ दें क्योंकि सदियों की विरासत ने हमें यही सिखाया है अपने स्वाभिमान एवं दृण इच्छा शक्ति को आधार बनाकर बधाओं कों नष्ट करने का सामर्थ्य है नारी मे और एक माँ क़े रूप मे तो वह जीवनदायिनी है अतः सकारात्मक सोच रखना आवश्यकत है। मुख्य अतिथि डॉ. शशि अग्रवाल ने आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व आज महिलाओं का नेतृत्व स्वीकार कर उनका अनुसरण कर रहा है। इसलिए अब दुनिया की आधी आबादी के रूप में हम सभी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आबूधाबी से विशिष्ट अतिथि ललिता मिश्रा ने अपनी कविता, भविष्य बाहें पसारे करता उसका इंतजार। युग निर्माता वो जननी, लक्ष्य भेदने को तैयार। इतिहास रचाकर करती है वो अपना सोलह श्रृंगार। आज की नारी है जो, सबल, सचेत, सृजनकार सुनाई। अमेरिका से रेखा भाटिया ने कहा कि मानसिक सोच में बदलाव ज़रूरी समय बीतने के साथ वर्तमान आधुनिक और भौतिकवादी काल में नारी का स्वरुप बदला है। उच्च शिक्षा ग्रहण कर नारी हर क्षेत्र में अग्रणी है। समाज, देश और विश्व के सामाजिक और आर्थिक विकास में अपना विशिष्ठ योगदान दे रही है। घर, बाहर कड़ी मेहनत से, लगन से, निष्ठा से सभी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर नारी ने संतुलन और सांमजस्य बनाने की भरपूर कोशिश की है। स्त्रियों की सामाजिक दशा में बदलाव ज़रूर हुआ है लेकिन उपभोक्तावादी इस आधुनिक काल में नारी के सशक्तिकरण का आकलन केवल आर्थिक और भौतिक दृष्टी से किया जा रहा है, नारी को मात्र प्रदर्शन और भोग की वस्तु की तरह पेश किया जाता है। यह सुधार केवल सतही स्तर पर है जैसे रहन-सहन-पहनावा ,नौकरी इत्यादि तक ही सिमित होकर रह गया है। आधुनिकता के नाम पर थोपी गई संस्कृति- संस्कार और पहनावे में स्वतंत्रता को शक्तिकरण का मापक बनाकर विभिन्न प्रचार माध्यमों से स्त्रियों के शरीर को वस्तु की तरह नुमाइश कर स्त्री की गरिमा पर गंभीर और भयंकर कुठाराघात होने लगा है। इस काल में नर-नारी के एकदूसरे के पूरक भाव की जगह विरोधी भाव को अधिक उभारा गया। आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल कर लेने के बाद भी स्त्रियों के विरुद्ध अपराध, यौन हिंसा, घरेलु हिंसा,अत्याचार,सामाजिक, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न और शोषण में वृद्धि ही हुई है। बलात्कार की घटनाएँ भारत ही नहीं वरन अमेरिका में भी ज्यादा घटती हैं। नारी स्वरुप का सशक्तिकरण सम्पूर्ण रूप से अभी भी मात्र एक छलावा है, जिसमें नारी स्वयं भी छली जा रही है।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में सही मायनों में नारी को लैंगिक समानता, विचारों की समानता, समान अवसर और अधिकार मिले हैं , एक भ्रम है। लेकिन यह सोचकर संतोष होता है कि पितृसत्तात्मक सोच से नारी मुक्त होना चाहती है और निरंतर अग्रसर है। लेकिन सशक्तिकरण वैचारिक स्तर पर होना चाहिए, लैंगिक समानता, समान अधिकार और समान अवसर मिलने चाहिए जिसके लिए आवश्यक है नारी के प्रति सम्मान, संवेदनशील व्यवहार की भावना बढ़ाने के साथ ही सहिष्णुता उनकी सुरक्षा, जीवनशैली चुनने की उसे स्वतंत्रता होनी चाहिए। जिसके लिए सामाजिक और मानसिक सोच में बदलाव लाना बेहद ज़रूरी है। हिसार, हरियाणा की विशिष्ट वक्ता डॉ. गीतू भुटानी ने कहा कि कितनी बड़ी शक्ति आज हमारे हाथ में है। जिसे हमने पहचाना ही नहीं है। वी आर होम मेकर, हम जेनरेशन मेकर। बाहर से आने वाला आपको नहीं जीत सकता, जो आपके अंदर बैठा है, आपका स्वावलंबन, आत्मविश्वास। वही सब कुछ बदल सकता है। महिलाओं को अपने भीतर जीतना है, उन्हें बाहरी ताकत की ज़रूरत नहीं। हरियाणा से नेहा धवन और दुबई से निशा गिरि द्वारा वक्तव्य और कविता प्रस्तुत की ग्रीन। लखनऊ से डॉ. आनंदेश्वरी अवस्थी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा किभारतीय नारी को शक्ति का पुंज बताया उन्होंने कहा कि सहनशीलता और सृजनात्मक गुण नारी की अदम्य शक्तियां हैं। बनारस की प्रो. चम्पा कुमारी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यहां डॉ. के सुवर्णा, डॉ. अनीता निगम, डॉ. रोचना विश्वनोई, शशि सिंह आदि उपस्थित रहे।
आज लॉन्च किया गया “युवा पोर्टल” हमें संभावित युवा स्टार्ट अप उद्यमों को जोड़ने और पहचानने में मदद करेगा – केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में एनपीएल के “वन वीक-वन लैब” कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि हितधारकों की भागीदारी व्यापक होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि स्टार्ट-अप उद्यम उचित उद्योग मार्गदर्शन और सही विशेषज्ञता के बिना टिकाऊ नहीं होंगे, खासकर अगर उद्योग क्षेत्र की व्यापक भागीदारी नहीं है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 6 जनवरी, 2023 को “वन वीक-वन लैब” पहल की शुरुआत की थी। प्रौद्योगिकी, नवाचार और स्टार्ट-अप में भारत के वैश्विक नेतृत्व पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान की 37 सीएसआईआर परिषदों में से प्रत्येक के पास काम के अलग विशेष क्षेत्र के लिए देश भर में फैली प्रयोगशालाएं समर्पित हैं और “वन वीक-वन लैब” अभियान उनमें से प्रत्येक को अपना काम दिखाने का अवसर प्रदान करेगा ताकि अन्य लोग इससे लाभान्वित हो सकें और हितधारक इसके बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को नागपुर में आयोजित 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में प्रधानमंत्री के संबोधन का उल्लेख किया, जब उन्होंने कहा था, “हम उस वैज्ञानिक दृष्टिकोण के परिणाम भी देख रहे हैं जिसके साथ आज का भारत आगे बढ़ रहा है। भारत तेजी से विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक बन रहा है।“
डॉ. जितेंद्र सिंह ने हरियाणा के करनाल में स्थापित की गई खगोल विज्ञान प्रयोगशाला के शुभारंभ की भी सराहना की और कहा कि यह सभी को समान अवसर प्रदान करेगी और यहां तक कि दिव्यांग भी कौशल, कला और शिल्प के विभिन्न रूपों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने कहा, विभिन्न भाषाओं में शुरू की जाने वाली सुविधा श्रवण बाधित छात्रों को अंतरिक्ष की सरल से जटिल अवधारणाओं के अलावा सूर्य, चंद्रमा और सितारों के बारे में जानने में सक्षम बनाएगी।
भारतीय सांकेतिक भाषा एस्ट्रोलैब में 65 उपकरण हैं जिनमें एक बड़ा टेलीस्कोप, इंटरैक्टिव मॉडल, ऑडियो विजुअल एड्स, फन फैक्ट पोस्टर शामिल हैं। इसमें भारतीय सांकेतिक भाषा में अंतरिक्ष और विज्ञान से संबंधित सरल और जटिल विषयों पर बायोपिक्स, व्यावहारिक प्रदर्शन, मजेदार तथ्य, व्याख्यात्मक वीडियो सहित 90 से अधिक वीडियो स्ट्रीम करने के लिए सप्ताह के सातों दिन, चौबीस घंटे वर्चुअल एक्सेस है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, आज के कार्यक्रम से, जिसमें वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की सभी प्रयोगशालाएं न केवल जनता के लिए अपनी प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करेंगी, बल्कि युवा अन्वेषकों, छात्रों, स्टार्ट-अप्स को भी प्रबुद्ध करेंगी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि शिक्षाविद् और उद्यमी अपने ज्ञान को बढ़ाने और डीप टेक वेंचर्स के माध्यम से अवसरों का पता लगाने के लिए लोगों तक पहुंचेंगे। “वन वीक, वन लैब” अभियान के तहत, लगातार हफ्तों में, सीएसआईआर की प्रत्येक प्रयोगशाला भारत के लोगों के लिए अपने अद्वितीय नवाचारों और तकनीकी प्रगति का प्रदर्शन करेगी। सीएसआईआर की प्रयोगशालाएं अद्वितीय हैं। इन प्रयोगशालाओं को जीनोम से भूविज्ञान, भोजन से ऊर्जा, खनिजों से सामग्री तक फैले विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने याद दिलाया कि सीएसआईआर-एनपीएल भारतीय मानक समय (आईएसटी) का संरक्षक है, जिसे सीज़ियम परमाणु घड़ी और हाइड्रोजन मेसर्स से युक्त परमाणु समय पैमाने का उपयोग करके विकसित किया गया है। इतना ही नहीं, अल्ट्रा-सटीक उपग्रह लिंक का उपयोग करके भारतीय मानक समय को अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ समय यूटीसी (समन्वित यूनिवर्सल टाइम) के कुछ नैनोसेकंड के भीतर इंगित किया जा सकता है। आइए और जानिए कि कैसे सीएसआईआर-एनपीएल देश का समय सही रखता है!
क्या आप जानते हैं कि सीएसआईआर-एनपीएल ने वायुमंडलीय प्रदूषण की निगरानी के लिए गैस और वायुजनित कणों के मापन को मानकीकृत किया है?
सीएसआईआर-एनपीएल के निदेशक प्रोफेसर वेणुगोपाल अचंता ने कहा कि सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल) 17 से 21 अप्रैल तक एक सप्ताह एक प्रयोगशाला कार्यक्रम आयोजित कर रही है। कार्यक्रम का उद्देश्य एनपीएल में उपलब्ध तकनीकों और सेवाओं के बारे में संभावित भागीदारों के बीच जागरूकता पैदा करना, सामाजिक समस्याओं का समाधान प्रदान करना, सटीक माप के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करना और लोगों में वैज्ञानिक जिज्ञासा विकसित करना है, खासकर उन छात्रों में जो देश का भविष्य हैं।
डॉ. अचंता ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 180 स्कूल विभिन्न गतिविधियों के लिए एनपीएल से प्रयोगशालाओं के संपर्क में हैं और भविष्य में इस तरह की बातचीत के लिए और स्कूलों के साथ के संपर्क होगा।
यह भारतीय मानक समय (आईएसटी) के प्रसार के कार्य सहित लंबाई, द्रव्यमान, तापमान आदि के माप मानकों को संरक्षित और बनाए रखता है। एनपीएल भविष्य के क्वांटम मानकों और आगामी तकनीकों को स्थापित करने के मिशन के साथ बहु-विषयक अनुसंधान एवं विकास कर रहा है ताकि भारत अंतरराष्ट्रीय माप प्रयोगशालाओं के बराबर बना रहे। यह उभरते हुए भारत की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए “मेक इन इंडिया” कार्यक्रम के तहत परिष्कृत विश्लेषणात्मक उपकरण (यानी आयात विकल्प) विकसित कर रहा है और “कौशल भारत” कार्यक्रम के तहत माप के क्षेत्र में युवा वैज्ञानिकों और उद्योग कर्मियों को प्रशिक्षण दे रहा है।
18 से 20 अप्रैल तक तीन दिवसीय स्टार्टअप/एमएसएमई/इंडस्ट्री मीट होगी। इस आयोजन का उद्देश्य उद्योगों को एनपीएल द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं का प्रदर्शन करना है। इस आयोजन में, एनपीएल द्वारा सहायता प्राप्त/नियुक्त/तकनीकी सहायता/परामर्श/सेवाएं प्रदान करने वाली सभी संबंधित पार्टियों को आमंत्रित किया जाता है। आयोजन के दौरान प्रत्येक दिन, 20 से अधिक उद्योग भाग लेंगे जहां वे न केवल अपनी प्रौद्योगिकियों/सेवाओं (जहां एनपीएल ने योगदान दिया है) का प्रदर्शन करेंगे बल्कि एनपीएल के वैज्ञानिक और तकनीकी समर्थन के बारे में भी बात करेंगे। नवाचार ढांचे और पारिस्थितिक तंत्र से संबंधित कई अन्य प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और विकास के लिए 4 नए औद्योगिक भागीदारों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
19 अप्रैल को एक मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव आयोजित किया जाएगा जहां सीएसआईआर-एनपीएल में एडवांस इन मेट्रोलॉजी हैंडबुक जारी की जाएगी। मैट्रोलोजी के क्षेत्र में सीएसआईआर-एनपीएल की भूमिका, प्रयास, भविष्य के लिए सीएसआईआर-एनपीएल का रोड मैप, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का विकास, पैनल डिस्कशन आदि को मैट्रोलोजी सम्मेलन में शामिल किया गया है।
20 अप्रैल को आरएंडडी कॉन्क्लेव और वीमेन इन स्टेम आयोजित किया जाएगा। इसमें एनपीएल परिवार के प्रमुख वैज्ञानिक और पूर्व छात्र अपना दृष्टिकोण साझा करेंगे। विज्ञान-प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगति में सीएसआईआर-एनपीएल की भूमिका का प्रदर्शन किया जाएगा। कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है। अनुसंधान और विकास में एसटीईएम करियर में महिलाओं के लिए हालिया रुझानों, चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए महिला वैज्ञानिकों द्वारा कई गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। साथ ही, भारत की प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिकों पर एक वृत्तचित्र फिल्म भी प्रदर्शित होगी।
एक दिवसीय स्किल कॉन्क्लेव 21 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा। कॉन्क्लेव का मुख्य फोकस जनता को सीएसआईआर-एनपीएल के कौशल विकास कार्यक्रम के बारे में शिक्षित करना और हमारे जीवन के सभी पहलुओं से संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न विशेषज्ञ व्याख्यान और कौशल प्रदर्शनों की मेजबानी करके स्थानीय लोगों को प्रेरित करना है। देश में विभिन्न उद्योगों, शैक्षणिक संस्थानों और समाज के लिए आवश्यक कुशल जनशक्ति को प्रशिक्षित करने के लिए सीएसआईआर-एनपीएल समय-समय पर कई कार्यक्रम आयोजित करता रहा है।
सीएसआईआर-एनपीएल और इसके “वन वीक वन लैब” कार्यक्रम के बारे में अधिक जानकारी के लिए एनपीएल की वेबसाइट है: https://www.nplindia.org/
इसमें भाग लेने के इच्छुक लोग इस कार्यक्रम के लिए पंजीकरण करा सकते हैं।
इंपीरियल कॉलेज लंदन ने कॉलेज में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए 400,000 ब्रिटिश पौंड की छात्रवृत्ति की घोषणा की
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई युवा-केंद्रित नीतियों की श्रृंखला के कारण यह समय भारत के युवाओं और छात्रों के लिए सर्वोत्तम है।
इंपीरियल कॉलेज लंदन में डॉ. जितेंद्र सिंह की यात्रा के अवसर पर कॉलेज प्रबंधन ने कॉलेज में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों के लिए 400,000 ब्रिटिश पौंड की छात्रवृत्ति की घोषणा की। इसमें से 50 प्रतिशत छात्रवृत्ति भारत की छात्राओं को दी जाएगी।
इस अवसर पर उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वे यूरोप के सर्वाधिक प्रगतिशील विश्वविद्यालयों में से एक प्रमुख विश्वविद्यालय में आकर बहुत प्रसन्न हैं। इस विश्वविद्यालय ने विश्व को होनहारों के अतिरिक्त पेनिसिलिन, होलोग्राफी और फाइबर ऑप्टिक्स दिए हैं।
इंपीरियल कॉलेज लंदन, इंग्लैंड में एक सार्वजनिक अनुसंधान विश्वविद्यालय है। यह कॉलेज ब्रिटेन में अनुसंधान, पर्यावरण अनुसंधान और रसेल समूह विश्वविद्यालयों में अनुसंधान प्रभाव के लिए प्रथम श्रेणी में गिना जाता है। यह एमएस और पार्किंसंस का ऊतक बैंक, ‘कई स्क्लेरोसिस, पार्किंसंस रोग और संबंधित स्थितियों वाले व्यक्तियों द्वारा दान किए गए केंद्रीय तंत्रिका तंत्र ऊतकों के नमूनों’ का संग्रह भी है। यह ब्रिटेन के सबसे बड़े ब्रेन बैंक के संग्रह का हिस्सा है। यहां दुनिया भर के 100 से अधिक विभिन्न संस्थानों में अनुसंधान परियोजनाओं में उपयोग किए जा रहे अंगों के नमूनों के साथ लगभग 1,650 नमूने -80ºC पर संग्रहीत किए जाते हैं।
पिछले पांच वर्षों में इंपीरियल के विद्यार्थियों ने 300 से अधिक भारतीय संस्थानों में भागीदारों के साथ 1,200 से अधिक शोध प्रकाशनों में लेखन में साझेदारी की है। अनुसंधान भागीदारों में भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलोर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान (टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) शामिल हैं। कॉलेज में वर्तमान में 700 भारतीय छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और भारत में इंपीरियल कॉलेज से शिक्षा पाने वाले 3,000 से अधिक पूर्व छात्रों का एक समुदाय है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने जीवंत माहौल में लगभग एक घंटा छात्रों से बातचीत की और उन्होंने कहा कि यह भारत में युवाओं के लिए सर्वोत्तम समय है, क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले 9 वर्षों में कई बाधाओं को दूर किया है और कई बोझिल नियमों को हटाया है तथा एक सक्षम वातावरण बनाया गया है, जहां युवा अपनी आकांक्षाओं को अनुभव कर सकते हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी प्रतिभागियों के लिए खोला गया है। अब अंतरिक्ष क्षेत्र में भी सैकड़ों स्टार्टअप हैं। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप आंदोलन को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से बढ़ावा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप यह आंकड़ा 100 से अधिक यूनिकॉर्न के साथ 350 से बढ़कर 90,000 से अधिक हो गया है।
उन्होंने कहा कि जिस बायोटेक क्षेत्र को पहले उपेक्षा की जाती थी, वर्तमान सरकार ने उस पर विशेष ध्यान दिया है और कोरोना वैक्सीन की सफलता की कहानी के बाद छात्र इसमें रुचि दिखा रहे हैं। 2014 में 50 स्टार्टअप थे, अब देश में लगभग 6000 बायो स्टार्टअप हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इंपीरियल कॉलेज लंदन आपके जीवन के लिए आपका अल्मा मेटर बनने जा रहा है। यहां से प्राप्त ज्ञान आजीवन आपके साथ रहेगा, जब आप लौटें तो यहां से प्राप्त ज्ञान और सीख को समर्पित करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि भारत तीसरे सबसे बड़े वैश्विक स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के रूप में उभरा है और यह 12-15 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बार-बार भारतीय छात्रों से अगले 25 वर्षों के लिए तैयारी करने का आह्वान किया है, क्योंकि स्वतंत्र भारत अब 100वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने यह कहते हुए अपनी बात समाप्त की कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा अन्य क्षेत्रों में रुचि रखने वाले छात्रों की वापसी और भविष्य में अनुसंधान के क्षेत्र में भविष्य बनाने वाले इच्छुक छात्रों के लिए देश में नए अवसर सृजित किए गए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ब्रिटेन की 6 दिवसीय यात्रा पर हैं। वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक उच्च स्तरीय आधिकारिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
डी जी कॉलेज में व्याख्यानमाला के अंतर्गत “बिहेवियरल अप्रोच इन सोशल साइंसेज” विषय पर व्याख्यान अयोजित
कानपुर 29 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर के तथा भूगोल विभाग तथा मनोविज्ञान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही व्याख्यानमाला के अंतर्गत आज दिनांक 29 अप्रैल, 2023 को “बिहेवियरल अप्रोच इन सोशल साइंसेज” विषय पर एक व्याख्यान प्रो. जावेद हसन खान, सीनियर प्रोफेसर, भूगोल विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के द्वारा दिया गया। उन्होंने अपने व्याख्यान में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि व्यवहारवाद, सीखने का एक सिद्धांत है जो बताता है कि सभी व्यवहारों को कंडीशनिंग नामक प्रक्रिया के द्वारा मानव-पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों के माध्यम से सीखा जाता है। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा जी ने दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रो जाबिर हसन खान के द्वारा अनुसंधान एवं अकादमिक कार्यों के उन्नयन हेतु किए जा रहे प्रयास एवं उनके बौद्धिक व सामाजिक सोच निश्चित ही भूगोल विषय तथा समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी।
कार्यक्रम का संयोजन भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संगीता सिरोही, धन्यवाद प्रस्ताव मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा शर्मा व संचालन डॉ अंजना श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में समस्त प्रवक्ताये, डॉ शशि बाला सिंह, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ वंदना द्विवेदी, डॉ श्वेता गोंड़, डी ए वी कॉलेज से प्रो. अस्थाना, कार्यालय अधीक्षक कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत सभी शोधार्थियों व छात्राओं की उपस्थिति सराहनीय रहा।
एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलज में मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग समारोह आयोजित
कानपुर 19 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर में मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग समारोह (MoU Ceremony) का आयोजन महाविद्यालय सभागार में किया गया। महाविद्यालय ने अपना प्रथम समझौता ज्ञाप (MoU) वरदान इंस्टीट्यूट ऑफ़ अल्टरनेटिव मेडिसिंस एंड एलाइड साइंसेज मेरठ के साथ किया। वरदान इंस्टीट्यूट की चेयरपर्सन डॉ. पल्लवी रस्तौगी, सेन महाविद्यालय के सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, प्राचार्य प्रो. सुमन ने MoU पर हस्ताक्षर किए। प्रो. सुमन ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्यार्थी हित हेतु महाविद्यालय आगे भी ऐसी ही कड़ियां जोड़ता रहेगा। श्री पी. के. सेन जी ने इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार को बधाई एवम् शुभकामनाएं दी। डॉ. पल्लवी रस्तौगी ने छात्राओं को अवगत कराया कि वरदान इंस्टीट्यूट के सहयोग से सेन महाविद्यालय में व्यवसायपरक शिक्षा के अंतर्गत एक्यू फिजियो कोर्स, चक्र संतुलन, कलर थैरेपी, एक्यूप्रेशर व नेचुरोपैथी का बेसिक कोर्स, डाइट एंड न्यूट्रीशन कोर्स आदि विभिन्न पाठ्यक्रम तथा कार्यशालाएं संचालित की जाएंगी। साथ ही मेधावी छात्राओं को इन पाठक्रमों हेतु छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। इस MoU सेरेमनी के अवसर पर प्रबंध तंत्र सदस्य श्रीमती दीपाश्री सेन सहित समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
Read More »एस एन सेन बा वि पी जी कॉलेज मे कार्यशाला: ईथनोबॉटनी तथा आयुर्वेद का आयोजित
कानपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बा वि पी जी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग ने कार्यशाला: ईथनोबॉटनी तथा आयुर्वेद का आयोजन किया ।
कार्यशाला का शुभारंभ प्रबंध तंत्र के सचिव श्री पी के सेन , संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन , प्राचार्या प्रो सुमन , मुख्य अतिथि डॉ वंदना पाठक, की नोट स्पीकर डॉ संजीव ओझा तथा वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति सिंह ने दीप प्रज्वलित करके किया। पी के सेन ने महान चिकित्सकों तथा वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए छात्राओ को प्रेरित किया कि वे ध्यान से इस प्रकार के वक्तव्यों को सुनें यही व्यावहारिक ज्ञान का माध्यम हैं ।प्राचार्या प्रो सुमन ने कार्यशाला के शुभारम्भ की औपचारिक घोषणा की ।मुख्य अतिथि डॉ वंदना पाठक सुप्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य ने आयुर्वेद , उसकी प्राचीनता और भव्यता को उजागर किया और कहा आयुर्वेद ही प्राचीनतम और दीर्घकालिक प्रभाव देने वाली चिकित्सा पद्धति है।डॉ संजीव ओझा ने नयी शिक्षा नीति द्वारा सम्मिलित नये पाठ्यक्रम पर आधारित अपने साथ लाए औषधीय पौधों एवं जड़ी बूटियों से छात्राओ को परिचित करवाते हुए किया। डॉ ओझा राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं जाने माने आयुर्वेदाचार्य हैं। सी एस आई आर- एन बाई आर आई द्वारा प्रदत्त हर्बल ड्रिंक तथा बी जी आर -34 जैसी औषधियों को प्रदान करने में विशेष योगदान दिया है। आज महाविद्यालय में उपस्थित छात्राओ को उन्होंने पुरानी जनजातियों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले पौधों की जानकारी दी और उपयोग के बारे में बताया।अपने वक्तव्य में उन्होंने सिद्धा, आयुर्वेद और यूनानी औषधीय पद्धतिओं की जानकारी दी ।आयुष, एन एम बी पी , सीमैप तथा सी ए आर आई जैसे संस्थानों का परिचय देते हुए उनकी कार्य पद्धति पर प्रकाश डाला। विज्ञान संकाय की कॉर्डिनेटर प्रो गार्गी यादव ने मुख्य अतिथि डॉ पाठक और डॉ ओझा को कोटि कोटि धन्यवाद देते हुए छात्राओं के ज्ञान वर्धन के सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रीति सिंह ने किया। विभाग की अन्य प्रवक्ता डॉ राइ घोष ने सक्रिय योगदान दिया।प्रो गार्गी यादव , डॉ शैल बाजपेयी, डॉ अमिता सिंह ,कु वर्षा एवं तैयबा कार्यशाला में उपस्थित रहे।
नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस का हुआ आयोजन, पुरा छात्रों ने स्कूली दिनों की यादों को किया ताजा
“हम नव युग की नई भारती, नई आरती/हम स्वराज्य की ऋचा नवल/भारत की नवलय हों/नव सूर्योदय, नव चंद्रोदय/हमीं नवोदय हों” प्रार्थना के साथ नवोदय विद्यालय स्थापना दिवस और एल्युमिनाई मीट समारोह का आयोजन वाराणसी में बीएचयू स्थित शताब्दी कृषि भवन में किया गया। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, असम इत्यादि विभिन्न राज्यों के पुरातन नवोदय विद्यार्थी शामिल हुए और अनेकता में एकता की विशिष्टता को रेखांकित करते हुए स्कूली दिनों की यादों को ताजा किया। बीएचयू के कुलगीत, नवोदय प्रार्थना, स्वागत गीत के बीच अतिथियों ने पं. मदन मोहन मालवीय और नवोदय विद्यालय के संस्थापक राजीव गांधी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि अप्रैल, 1986 में दो नवोदय विद्यालयों से आरंभ हुआ यह सफर आज 661 तक पहुँच चुका है। देश भर में नवोदय विद्यालय के 16 लाख से अधिक पुरा विद्यार्थियों का नेटवर्क समाज को नई दिशा देने के लिए तत्पर है। आज नवोदय एक ब्रांड बन चुका है। राजनीति, प्रशासन, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, सैन्य सेवाओं से लेकर विभिन्न प्रोफेशनल सेवाओं, बिजनेस और सामाजिक सेवाओं में नवोदयन्स पूरे भारत ही नहीं वरन पूरी दुनिया में अपना अलग मुकाम बना रहे हैं। श्री यादव ने कहा कि अमृत काल में भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करने में नवोदयन्स की अहम भूमिका है। नवोदय विद्यालय एक सरकारी संस्थान होने के बावजूद उत्कृष्ट शिक्षा और बेहतर परीक्षा परिणामों की वजह से आज शीर्ष पर है।
बरेका में चीफ इंजीनियर श्री रणविजय सिंह ने कहा कि हमारे व्यक्तित्व के निर्माण में नवोदय का बहुत योगदान रहा है। हम वहाँ ज़िंदगी को समझना और सही मायनों में जीना सीखते हैं। श्री काशी विश्वनाथ धाम में सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट श्री विनोद सिंह ने कहा कि नवोदय परिवार आज भी बेहद संगठित है और लोग एक दूसरे से दिल से जुड़े हैं। सुख-दुःख में एक दूसरे के साथ जिस तरह से खड़े रहते हैं, वह मन में हैरत ही नहीं गर्व भी पैदा करता है।
सम्मानित होने वाले नवोदयंस- इस अवसर पर नवोदय विद्यालय के पुरा विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव, बीएचयू हिंदी विभाग प्रोफेसर डॉ. सत्यपाल शर्मा, फिजिक्स प्रोफ़ेसर डॉ. सुरेंद्र कुमार, बरेका चीफ इंजीनियर रणविजय सिंह, श्री काशी विश्वनाथ धाम में सीआरपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट विनोद सिंह, डीआरएम ऑफिस में इंजीनियर अभिषेक सिंह, बिजली विभाग अधिशाषी अभियंता चंद्रशेखर चौरसिया, सर सुन्दरलाल चिकित्सालय, बीएचयू में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर ममता मिश्रा, मंचीय कवि दानबहादुर सिंह, एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. पंकज गौतम, असिस्टेंट प्रोफ़ेसर डॉ. सत्यपाल यादव, पुलिस उप निरीक्षक सुनील गौड़, डॉ. प्रदीप गौतम, विमलेश कुमार, अमित त्रिपाठी इत्यादि सम्मानित हुए।
कार्यक्रम में मंचीय कवि दान बहादुर सिंह ने अपनी कविताओं से शमां बांधा वहीं तमाम पुरा विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति कर लोगों का दिल जीत लिया।
कार्यक्रम का संयोजन सोमेश चौधरी, महेंद्र मिश्र ‘मोहित’, शालिन्दी और देवव्रत ने किया, वहीं संचालन अनुराधा व अभिषेक ने किया।
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