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राजनीति

केंद्र ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय आयोगों को एक महीने से अधिक के लिए स्थगन नहीं देने और उपभोक्ता शिकायतों के निपटारे में तेजी लाने के लिए कहा

उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) ने उपभोक्ता शिकायतों का जल्द निपटाने सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला आयोगों के रजिस्ट्रारों और अध्यक्षों को  पत्र लिखकर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत प्रदान की गई समयसीमा का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक महीने से अधिक के लिए स्थगन आदेश नहीं देने को कहा है। स्थगन अनुरोधों के कारण शिकायतों के समाधान में 2 महीने से अधिक की देरी के मामले में, आयोग पार्टियों पर लागत लगाने पर विचार कर सकता है। सचिव डीओसीए श्री रोहित कुमार सिंह ने अपने पत्र में उपभोक्ताओं को सस्ता, परेशानी मुक्त और जल्द न्याय दिलाने पर जोर दिया है। इस पत्र में कहा गया है कि बार-बार और लंबे समय तक स्थगन न केवल उपभोक्ता को उसके सुनने और उसके निवारण के अधिकार से वंचित करता है, बल्कि उस अधिनियम की भावना को भी खत्म कर देता है जिसका विधायिका ने इरादा किया था। इसलिए, उपभोक्ता आयोगों से अनुरोध है कि वे सुनिश्चित करें कि किसी भी परिस्थिति में लंबी अवधि के लिए स्थगन प्रदान नहीं किया जाए। इसके अलावा, किसी भी पक्ष द्वारा स्थगन के दो से अधिक अनुरोधों के मामले में, उपभोक्ता आयोग निवारक उपाय के रूप में पार्टियों पर लागत लगा सकता है। अधिनियम की धारा 38(7) के तहत शिकायत स्वीकार करने की प्रक्रिया पर उपभोक्ता आयोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए पत्र में जोर दिया गया है कि प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्र निपटारा किया जाना आवश्यक है और विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से 3 महीने की अवधि के भीतर जहां शिकायत के लिए वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं होती है और यदि वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता होती है तो 5 महीने के भीतर शिकायत पर निर्णय लेने का प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, अधिनियम यह भी कहता कि कोई भी स्थगन आमतौर पर उपभोक्ता आयोगों द्वारा तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि पर्याप्त कारण नहीं दिखाया गया हो और स्थगन के कारणों को लिखित रूप में दर्ज नहीं किया गया हो। आयोगों को स्थगन से होने वाली लागतों के बारे में आदेश देने का भी अधिकार है। यह उल्लेख किया जा सकता है कि अधिनियम की धारा 38(2)(ए) के अनुसार आयोग स्वीकार की गई शिकायत की एक प्रति विरोधी पक्ष को 30 दिनों की अवधि के भीतर या विस्तारित 15 दिनों की अवधि के भीतर मामले पर अपना पक्ष देने का निर्देश देगा, जो इसके द्वारा दी जा सकती है। धारा 38(3)(बी)(ii) में आगे प्रावधान है कि यदि विरोधी पक्ष कोई कार्रवाई करने में या निर्धारित समय के भीतर अपने मामले को पेश करने में विफल रहता है, तो आयोग साक्ष्य के आधार पर एक पक्षीय निर्णय लेने के लिए आगे बढ़ सकता है। इसके अलावा, पत्र में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम हिली मल्टीपर्पज कोल्ड स्टोरेज प्राइवेट लिमिटेड में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के 04.03.2020 को दिए फैसला का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें कहा गया था कि उपभोक्ता आयोगों के पास शिकायतों का जवाब दाखिल करने के लिए अधिनियम की धारा 13 में उल्लिखित 30 दिनों के अतिरिक्त 15 दिनों की अवधि के अलावा और समय बढ़ाने की कोई शक्ति नहीं है। मेसर्स डैडीज बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड और अन्य बनाम मनीषा भार्गव और अन्य के मामले में 11.02.2021 को दिए गए फैसले तथा डायमंड एक्सपोर्ट्स और अन्य बनाम यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड एंड ओर्स मामले में 14.12.2021 को दिए गए फैसले में भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसी निर्णय की पुष्टि की गई है। सचिव डीओसीए ने सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और सभी उपभोक्ता आयोगों को पत्र लिखकर उपभोक्ताओं को ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है। पत्र में, इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने ई-दाखिल तंत्र स्थापित किया है जिसमें ई-नोटिस, केस डॉक्यूमेंट डाउनलोड लिंक और वर्चुअल हियरिंग लिंक, विपरीत पक्ष द्वारा लिखित प्रतिक्रिया दाखिल करने, शिकायतकर्ता द्वारा प्रत्युत्तर दाखिल करने और एसएमएस/ई-मेल के माध्यम से अलर्ट पाने सहित कई विशेषताएं हैं। आयोगों से अनुरोध किया गया है कि वे ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से उपभोक्ताओं को अपनी शिकायतों को दर्ज करने के लिए प्रोत्साहित करें।  उपभोक्ता कार्य विभाग 31.05.2022 को राष्ट्रीय, राज्य और जिला आयोगों के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ-साथ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में उपभोक्ता मामलों के प्रभारी सचिव के साथ राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन भी कर रहा है। इसमें उपभोक्ताओं के लिए विवाद निवारण तंत्र को अधिक प्रभावी, तेज और परेशानी मुक्त बनाने पर चर्चा और विचार-विमर्श किया जाएगा।

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केन्‍द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कन्हेरी गुफाओं में विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया

केन्‍द्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री (डोनर) श्री जी. किशन रेड्डी ने आज बोरीवली के नजदीक संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कन्हेरी गुफाओं में पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया। संस्‍कृति मंत्री ने कहा, “कन्हेरी गुफाएं हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं क्योंकि वे हमारे उद्भव और अतीत का प्रमाण प्रदान करती हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर किए गए कार्यों का उद्घाटन करना सौभाग्य की बात है। बुद्ध का संदेश संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए आज भी महत्‍वपूर्ण है।”

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श्री रेड्डी ने कहा कि हमारी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में रुचि दिखाना और उसकी जिम्मेदारी लेना प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है। संस्‍कृति मंत्री ने कहा कि हमारी विरासत की रक्षा, संरक्षण और प्रचार-प्रसार में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉरपोरेट और सिविल सोसाइटी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां इन खजानों तक पहुंच सकें। इंडियन ऑयल फाउंडेशन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में कन्हेरी में उन्नत पर्यटक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के कार्य में शामिल है। वर्तमान इमारत में आगन्‍तुक मंडप, रखवाली करने वालों के आवास, बुकिंग ऑफिस को अपग्रेड करने के साथ उनका नवीनीकरण किया गया है। बुकिंग काउंटर से लेकर कस्टोडियन क्वार्टर तक के क्षेत्र को प्राकृतिक दश्‍यों से सुशोभित किया गया है। चूंकि गुफाएं जंगल के मुख्य क्षेत्र में आती हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती है, इसके बावजूद सौर ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली की व्यवस्था की गई है। आगंतुकों की रुचि बनाए रखने के लिए सरल और सुविधाजनक विवेचना केन्‍द्र की स्‍थापना की गई है जिसमें ग्यारह व्‍याख्‍यात्‍मक पैनलों की मदद से प्रमुख गुफाओं की उत्कृष्ट विशेषताओं और अद्वितीयता को उजागर किया गया है। कन्हेरी का ट्रेल मैप यानी रास्‍ता दिखाने वाला नक्‍शा एक और महत्वपूर्ण विशेषता है जो आगंतुकों का समय बचाने में मदद करता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूरे मठ परिसर के 3डी वर्चुअल टूर पर भी काम कर रहा है। कन्हेरी गुफाएं मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में बड़े पैमाने पर बेसाल्ट आउटक्रॉप में गुफाओं का समूह और कटी हुई चट्टानों से बने स्मारकों का एक समूह है। इनमें बौद्ध मूर्तियां और राहत नक्काशी, पेंटिंग और शिलालेख हैं, जो पहली शताब्दी सीई से 10वीं शताब्दी सीई तक की हैं। पानी के अनेक जलाशयों के साथ खुदाई की सतह और क्षेत्र, शिलालेख, एक सबसे पुराना बांध, एक स्तूप दफन गैलरी और उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली इसकी एक आश्रम और तीर्थ केन्‍द्र के रूप में लोकप्रियता का संकेत देती है। कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण में और क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किए गए दान के माध्यम से फला-फूला।

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संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के असामयिक निधन पर सम्मान स्‍वरूप कल पूरे देश में एक दिवसीय राजकीय शोक मनाया जाएगा

संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति और अबू धाबी के शासक महामहिम शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान का असामयिक निधन हो गया है। भारत सरकार ने दिवंगत गणमान्य व्यक्ति के सम्मान में पूरे देश में एक दिन का राजकीय शोक मनाने की घोषणा की है।

राजकीय शोक के दिन पूरे देश में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां राष्ट्रीय ध्वज नियमित रूप से फहराया जाता है। इस दिन कोई भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा।

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स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के लिये असम और अरुणाचल प्रदेश में काष्ठशिल्प और अगरबत्ती उद्योग को गति देने में केवाईआईसी का बड़ा प्रयास

खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग (केवाईआईसी)ने असम और अरुणाचल प्रदेश में 100 महिलाओं सहित 150 प्रशिक्षित खादी शिल्पकारों को स्व-रोजगार की विभिन्न गतिविधियों से जोड़ा है। केवाईआईसी के अध्यक्ष श्री विनय कुमार सक्सेना ने अरुणाचल प्रदेश के तवांग में 50 शिल्पकारों को काष्ठकला की मशीनें वितरित कीं। इसी तरह उन्होंने गुवावाटी, असम में शिल्पकारों को अगरबत्ती बनाने वाली 50 मशीनें और अचार बनाने वाली 50 मशीनों का वितरण किया। पहली बार केवाईआईसी ने मशीनों द्वारा काष्ठकला का प्रशिक्षण देने का कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय युवाओं को दिया जा रहा है, जिसका उद्देश्य तवांग के स्थानीय जनजातीय युवाओं के लिये स्थायी रोजगार उत्पन्न हो सकें। इसका एक और उद्देश्य है राज्य की पारंपरिक काष्ठकला को दोबारा जीवित करना। सभी काष्ठ शिल्पकार बीपील परिवारों से सम्बंधित हैं तथा केवाईआईसी 20 दिनों का समग्र प्रशिक्षण देता है। प्रशिक्षण पूरा हो जाने के बाद इन शिल्पकारों को मशीनें प्रदान की जाती हैं।

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शनिवार को, श्री सक्सेना ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएम-ईजीपी) के तहत 50 महिला शिल्पकारों को अगरबत्ती बनाने वाली 50 मशीनें वितरित कीं, ताकि वे अपनी अगरबत्ती निर्माण इकाइयां स्थापित कर सकें। इसका एक और उद्देश्य है कि स्थानीय अगरबत्ती उद्योग को मजबूत किया जाये। उल्लेखनीय है कि असम में अगरबत्ती निर्माण में बहुत रोजगार हैं। केवाईआईसी ने इसके लिये एक व्यापारिक साझीदार को भी जोड़ा है, जो असम का सफल स्थानीय अगरबत्ती निर्माता है। वह कच्चा माल उपलब्ध करायेगा तथा इन 50 महिला उद्यमियों को मजदूरी चुकाते हुये उनके द्वारा बनाई गई समस्त अगरबत्तियां खरीदेगा। केवाईआईसी अध्यक्ष श्री सक्सेना ने कहा कि पूर्वोत्तर में युवाओं को आत्मनिर्भर बनाते हुये खादी गतिविधियों को प्रधानमंत्री की परिकल्पना “आत्मनिर्भर भारत” के साथ जोड़ा गया है। उन्होंने कहा, “केवाईआईसी ने पूर्वोत्तर में स्थायी रोजगार सृजन और पारंपरिक शिल्प को मजबूत करने पर लगातार जोर दिया है। केवाईआईसी के समर्थन से काष्ठशिल्प, अगरबत्ती निर्माण और अचार बनाने जैसे कृषि व खाद्य-आधारित उद्योगों के बल पर स्थानीय युवा व महिलायें सशक्त बनेंगी तथा उनके घर में ही रोजगार के अवसर मिलेंगे।” उल्लेखनीय है कि हाल में ही केवाईआईसी ने अरुणाचल प्रदेश में दो ‘अरि रेशम प्रशिक्षण और उत्पादन केंद्र’ खोलेहैं। साथ ही तवांग में मोनपा हस्तनिर्मित कागज उद्योग को दोबारा जीवित किया गया है। इसके अतिरिक्त केवाईआईसी ने पिछले दो वर्षों में अगरबत्ती और गोल बांस की छड़ी निर्माण सहित बांस उत्पादों की 430 इकाइयां असम और अरुणाचल प्रदेश में स्थापित की हैं।

 

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प्रधानमंत्री ने लुम्बिनी, नेपाल में मायादेवी मंदिर के दर्शन किये

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू के कठुआ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत रिकॉर्ड 68 सड़कों के निर्माण की समीक्षा की

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं पीएमओ, कार्मिक और लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू के कठुआ में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत रिकॉर्ड 68 सड़कों के निर्माण कार्य पूरे होने की समीक्षा की और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल-नाहयान के निधन के सम्मान में आज मनाए गए राजकीय शोक के कारण औपचारिक उद्घाटन को टाल दिया।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि 547 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित 526 किलोमीटर तक की हर मौसम उपयुक्त सड़कों से एक लाख 20,000 से अधिक लोगों को लाभ हो सकता है, जिनमें से अधिकांश दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न गंभीर चुनौतियों के बावजूद कुछ को छोड़कर सभी परियोजनाओं को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद देश में विकास की रफ्तार से, विशेष रूप से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में, समझौता में नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि सड़कें एक विकासशील राष्ट्र की जीवन रेखा होती हैं जिनसे शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि उत्पादों के विपणन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में लाभ मिलता है और साथ ही इससे समाज को अनेक फायदे मिलते हैं।

मंत्री ने 29.50 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 22 पुलों के पूरा होने के कार्य की भी समीक्षा की जिनका जल्द ही लोकार्पण किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार के पिछले 7-8 वर्षों में देश में कार्य संस्कृति में भारी बदलाव आया है और परियोजनाओं को अब किसी अन्य बातों के बजाय आवश्यकता-आधारित जरूरतों को देखते हुए मंजूरी दी जा रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नई सड़क परियोजनाओं की स्वीकृति में स्थानीय सांसदों या विधायकों द्वारा किए गए अनुरोध के बजाय सरपंचों और अन्य स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के विचारों को प्राथमिकता दी जाती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि उनके संसदीय क्षेत्र उधमपुर-कठुआ-डोडा को 2014 के बाद से जम्मू-कश्मीर में पीएमजीएसवाई अनुदान का सबसे अधिक आवंटन प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा कि नई परियोजनाओं के लिए पीएमजीएसवाई की केंद्रीय निधि के 4,175 करोड़ रुपये में से करीब 3,884 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जो उधमपुर-कठुआ-डोडा के पहाड़ी और दुर्गम इलाकों की निधि का लगभग दो-तिहाई है, समीक्षा बैठक में डॉ. जितेंद्र ने केंद्रशासित प्रदेश में सड़क संपर्क को मजबूत करने की दिशा में सरकार की पहल पर प्रकाश डाला और कहा कि वर्तमान सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता है कि जम्मू और कश्मीर के हर हिस्से को तेजी से विकास के लिए एक टिकाऊ सड़क नेटवर्क मिले। उन्होंने कहा कि सरकार पीएमएवाई, पीएमजीएसवाई और मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ दूरस्थ पंचायतों और ब्लॉकों और जम्मू-कश्मीर के अन्य कठिन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विभिन्न विभागों के अधिकारियों से पीआरआई सदस्यों के साथ समन्वय में काम करने और बेहतर समन्वय व तालमेल के लिए एसओपी बनाने का आग्रह किया ताकि समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। डीडीसी अध्यक्ष, उधमपुर श्री लाल चंद, डीडीसी अध्यक्ष, डोडा श्री. धनतेर सिंह, डीडीसी अध्यक्ष, किश्तवाड़ पूजा ठाकुर, डीडीसी अध्यक्ष, रामबन डॉ. शमशाद शान, डीडीसी अध्यक्ष सांबा, श्री. केशव शर्मा, डीडीसी अध्यक्ष रजौरी एडवोकेट नसीम लियाकत और डीडीसी अध्यक्ष, रियासी श्री सराफ सिंह नाग भी बैठक में शामिल हुए।

बैठक में कठुआ के डीसी श्री राहुल पांडे, उधमपुर की डीसी कृतिका ज्योत्सना, सांबा की डीसी अनुराधा गुप्ता, रामबन के डीसी श्री मुसरत इस्लाम, किश्तवाड़ के डीसी श्री अशोक कुमार शर्मा, डोडा के डीसी श्री विकास शर्मा और रियासी डीसी बबीला रखवाल ने भी हिस्सा लिया।

गौरतलब है कि सितंबर, 2020 में डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू क्षेत्र के कठुआ, डोडा, उधमपुर और रियासी जिलों में 23 सड़कों और पुलों की परियोजनाओं का अनावरण किया था। लगभग 73 करोड़ रुपये की लागत और 111 किलोमीटर की लंबाई वाली परियोजनाओं से इस क्षेत्र के 35,000 से अधिक लोगों को लाभ मिला। 23 परियोजनाओं में पीएमजीएसवाई के तहत संपर्क के लिए हर मौसम में उपयुक्त 15 सड़कें और लोगों को बेहतर संपर्क के लिए 8 पुल शामिल हैं।

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केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने नासिक में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल की नींव रखी

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा और स्वास्थ्य एवम् परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती पवार ने महाराष्ट्र में नासिक के शिंदे में आज एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल (ईएमआरएस) के निर्माण की नींव रखी। प्रस्तावित ईएमआर स्कूल का लक्ष्य नासिक के दूरदराज के आदिवासी गांवों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना है।

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उद्घाटन समारोह में बोलते हुए श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि शिंदे में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल की योजना जनजातीय कार्य मंत्रालय ने आसपास के आदिवासी इलाकों में उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बनाई है। उन्होंने कहा, “ईएमआर स्कूल, सीबीएसई पाठ्यक्रम का पालन करेंगे।” केन्‍द्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि ईएमआरएस ऐसी योजना है, जिसके तहत पूरे भारत में आदिवासियों (एसटी) के लिए मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल बनाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि उत्तरपूर्व, छत्तीसगढ़, गुजरात और ओडिशा समेत देश के दूसरे राज्यों में भी ऐसे ही स्कूल खोले जाने की योजना है। श्री अर्जुन मुंडा ने आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण और इसमें शिक्षा की भूमिका पर उनके विचारों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में जनजातीय कार्य मंत्रालय आदिवासी इलाकों में छात्रों को उन्नत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर भी खुशी जताई कि आसपास के इलाके में आदिवासी किसान अंगूर, स्ट्रॉबेरी, प्याज आदि की खेती कर रहे हैं और उन्होंने आदिवासियों से उनके बच्चों को स्कूल भेजने की अपील भी की। नींव रखे जाने के बाद आदिवासी नृत्य और संगीत का सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किया गया।

2018-19 के केंद्रीय बजट में घोषणा की गई थी कि 50 प्रतिशत और कम से कम 20,000 से अधिक की आदिवासी आबादी वाले प्रखंडों में एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल बनाए जाएंगे। सरकार ने देशभर में 452 नए स्कूल बनाने की योजना बनाई है। एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूल जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए खोला जा रहा है, जिसमें न केवल अकादमिक शिक्षा पर जोर होगा, बल्कि इसमें आदिवासी छात्रों के संपूर्ण विकास पर जोर दिया जाएगा। इसमें कक्षा 6 से लेकर 12 तक के छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा और एक स्कूल की क्षमता 480 छात्रों की होगी। फिलहाल पूरे देश में नवोदय विद्यालय की तर्ज पर 384 एकलव्य स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिनमें स्थानीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने के लिए बेहद उन्नत सुविधाओं को उपलब्ध कराने के अलावा खेल और कौशल विकास में भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ईएमआरएस स्कूलों में छात्रों के समग्र विकास की जरूरतों को परिसर में ही पूरा करने की सुविधाएं मौजूद हैं और इनमें मुफ़्त रहने-खाने की व्यवस्था के साथ शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।

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अटल घाट गंगा नदी में गंगा को निर्मल बनाने व मत्स्य संरक्षण हेतु 80 से 100 मिली मी0 की 40 हजार मछलियों प्रवाहित

कानपुर नगर 6 मई, (सू0वि0) कैबिनेट मंत्री, मत्स्य, उ0 प्र0 सरकार डॉ0 संजय निषाद ने आज अटल घाट गंगा नदी में गंगा को निर्मल बनाने व मत्स्य संरक्षण हेतु 80 से 100 मिली मी0 की 40 हजार मछलियों को प्रवाहित किया। उन्होंने गंगा नदी में मछलियों को प्रवाहित करते हुये कहा कि ये विभिन्न प्रकार की मछलियॉ गंगा में हानिकारक शैवाल को खाकर गंगा को स्वच्छ बनाने में मदद करेगी। उन्होंने बताया कि रोहू, कतला, नैन प्रजातियों की मछलियॉ नदी के तल में जमा कचरे को साफ करती है और इसके साथ ही मत्स्य संपदा को बढाती है। पानी में इन मछलियो के प्रवाहित होने से गंगा में स्वच्छता के साथ मत्स्य संपदा में तेजी से बढोतरी होगी और गंगा को निर्मल बनाने में यह मछलियॉ कारगर होगी।
उन्होंने कहा कि मत्स्य संपदा में बढोतरी होने से मछुआ समुदाय के लोगो को मत्स्य पालन के साथ लाभ भी प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि रोहू मछली पानी के ऊपरी सतह सरफेस फीडर में मौजूद असुद्धियो को खाती है, कतला मछली पानी के बीच की गन्दगी को खाकर नष्ट करती तथा नैन मछली पानी की निचली सतह में रहकर गन्दगी को खत्म करती है और जो भी गैसे आदि कचरे में दबी होती है उन्हें नष्ट करती है।
उन्होंने मत्स्य पालन विभाग द्वारा संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अन्तर्गत मत्स्य पालको को निःशुल्क रुपये 05 लाख की धनराशि की दुर्घटना बीमा योजना की जानकारी देते हुये कहा कि मत्स्य पालक इस योजना का लाभ प्राप्त करे। उन्होंने मत्स्य पालकों को जागरुक करते हुये कहा कि वह सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ प्राप्त करे और स्वास्थ्य, शिक्षा व अपने रोजगार पर विशेष ध्यान देकर जीवन स्तर को बेहतर बनाये। उन्होंने मत्स्य विभाग के अधिकारियों को इस योजना से मत्स्य पालकों को लाभान्वित करने के लिये इसका व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु कैम्प लगाकर योजना का लाभ दिलाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को मत्स्य पालकों के हितो में संचालित योजनाओं की अधिक से अधिक मछुआ समुदाये के लोगों को जानकारी देते हुये समयबद्ध क्रियान्वन कराये जाने के निर्देश दिये।
इससे पश्चात उन्होंने डीएवी कालेज में मत्स्य संपदा सेक्टर के डिप्लोमा प्रशिक्षणार्थियों से संवाद करते हुये मत्स्य पालन सेक्टर को और उपयोगी बनाये जाने तथा वैज्ञानिकों से मत्स्य पालन व मत्स्य संपदा को और बेहतर तथा उपयुक्त बनाने के लिये सुझाव प्राप्त किये। जिससे की मत्स्य पालन को बढावा देने के साथ और अधिक लोगो को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
कार्यक्रम में उप निदेशक मत्स्य डा0 नरुलहक, सहायक निदेशक मत्स्य एन0के0 अग्रवाल, नमामि गंगे के सचिव, प्रभागी वन अधिकारी व अन्य संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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एक साथ 78,220 तिरंगे लहराकर भारत ने बनाया विश्व रिकार्ड

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भारत ने एक साथ सबसे ज़्यादा राष्ट्रीय ध्वज लहराने का रिकॉर्ड बनाया है। 23 अप्रैल 2022 को बिहार के भोजपुर के जगदीशपुर स्थित दुलौर मैदान में वीर कुंवर सिंह विजयोत्सव कार्यक्रम में 78 हज़ार 220 तिरंगे झंडों को एक साथ लहराकर भारत ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज किया।

मौका था जगदीशपुर के तत्कालीन राजा वीर कुंवर सिंह का अंग्रेजों के खिलाफ विजय प्राप्त करने का, जिन्हें 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में से एक माना जाता है। यह कार्यक्रम भारत की स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत गृह मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय ने आयोजित किया था।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के प्रतिनिधियों के सामने बनाये गए इस रिकॉर्ड के लिए कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की भौतिक पहचान के लिए बैंड पहनाए गए थे और पूरे कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई थी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कल्पना की है कि 2047 में पूरी दुनिया में हर क्षेत्र में भारत शीर्ष पर होना चाहिए और वीर कुंवर सिंह जी जैसे सभी वीर सेनानियों को यही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है। बाबू कुंवर सिंह जी बहुत बड़े समाज सुधारक भी थे और उन्होंने पिछड़े और दलितों का कल्याण करने का एक विचार उस जमाने में देश के सामने रखा। इतिहास ने बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया, उनकी वीरता, योग्यता, बलिदान के अनुरूप उन्हें इतिहास में स्थान नहीं दिया गया, लेकिन आज बिहार की जनता ने बाबू जी को श्रद्धांजलि देकर वीर कुंवर सिंह का नाम एक बार फिर इतिहास में अमर करने का काम किया है

बाबु वीर कुंवर सिंह 1857 के भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे, जिन्होंने लगभग 80 वर्ष की उम्र में भी विदेशी हुकूमत का डट कर मुकाबला किया। वे जगदीशपुर के परमार राजपूतों के उज्जयिनी वंश के परिवार से संबंधित थे, जो वर्तमान में भोजपुर जिले, बिहार, भारत का एक हिस्सा है। 80 साल की उम्र में, उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की कमान के तहत सैनिकों के खिलाफ सशस्त्र सैनिकों के एक चयनित बैंड का नेतृत्व किया। वह बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के मुख्य नायक थे। उन्हें वीर कुंवर सिंह के नाम से जाना जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उपस्थिति में इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री श्री आरके सिंह, श्री अश्विनी चौबे और श्री नित्यानंद राय मौजूद रहे। इनके अलावा उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी की भी उपस्थिति रही। सभी ने हज़ारों की तादाद में जुटे आमजन के साथ मिलकर एक साथ पांच मिनट तक तिरंगा लहराया और राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ का गायन किया।

 

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प्रधानमंत्री ने बनासकांठा के दियोदर में बनास डेयरी संकुल में कई विकास परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बनासकांठा जिले के दियोदर में एक नया डेयरी कॉम्प्लेक्स और आलू प्रसंस्करण संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया, जिसे 600 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से तैयार किया गया है। नया डेयरी कॉम्प्लेक्स एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट है। यह प्रतिदिन लगभग 30 लाख लीटर दूध के प्रसंस्करण, लगभग 80 टन मक्खन, एक लाख लीटर आइसक्रीम, 20 टन संघनित दूध (खोया) और 6 टन चॉकलेट का उत्पादन करने में सक्षम होगा। आलू प्रसंस्करण संयंत्र विभिन्न प्रकार के प्रसंस्कृत आलू उत्पादों जैसे फ्रेंच फ्राइज, आलू चिप्स, आलू टिक्की, पैटी आदि का उत्पादन करेगा, जिनमें से कई उत्पाद अन्य देशों में निर्यात किए जाएंगे। ये संयंत्र स्थानीय किसानों को सशक्त बनाएंगे और क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे। प्रधानमंत्री ने बनास सामुदायिक रेडियो स्टेशन भी राष्ट्र को समर्पित किया। यह सामुदायिक रेडियो स्टेशन किसानों को कृषि और पशुपालन से संबंधित प्रमुख वैज्ञानिक जानकारी प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। उम्मीद है कि रेडियो स्टेशन लगभग 1700 गांवों के 5 लाख से अधिक किसानों से जुड़ेगा। प्रधानमंत्री ने पालनपुर में बनास डेयरी संयंत्र में पनीर उत्पादों और मट्ठा पाउडर के उत्पादन के लिए विस्तारित सुविधाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। साथ ही, प्रधानमंत्री ने गुजरात के दामा में स्थापित जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री ने खिमना, रतनपुरा-भीलडी, राधनपुर और थावर में स्थापित होने वाले 100 टन क्षमता के चार गोबर गैस संयंत्रों की आधारशिला भी रखी। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्रभाई पटेल शामिल थे।

आयोजन से पहले, प्रधानमंत्री ने बनास डेयरी के साथ अपने जुड़ाव के बारे में ट्वीट किया तथा 2013 और 2016 में अपनी यात्राओं से तस्वीरें साझा कीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “पिछले कई वर्षों में, बनास डेयरी स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से किसानों और महिलाओं को सशक्त बनाने का केंद्र बन गया है। मुझे डेयरी के अभिनव उत्साह पर विशेष रूप से गर्व है जो उनके विभिन्न उत्पादों में देखा जाता है। शहद पर उनका निरंतर ध्यान रखना भी प्रशंसनीय है।” श्री मोदी ने बनासकांठा के लोगों के प्रयासों और भावना की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मैं बनासकांठा के लोगों की कड़ी मेहनत दृढ़ता की भावना की सराहना करना चाहता हूं। जिस तरह से इस जिले ने कृषि के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है वह काबिले तारीफ है। किसानों ने नई तकनीकों को अपनाया, जल संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया और परिणाम सभी के सामने हैं।”

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