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प्रधानमंत्री ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2020 के ग्रैंड फिनाले को संबोधित किया

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स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के ग्रैंड फिनाले में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र देश के सामने आने वाली चुनौतियों के कई समाधानों पर काम कर रहे हैं। समस्याओं के समाधान देने के साथ ही यह डाटा, डिजिटलीकरण और हाई-टेक भविष्य को लेकर भारत की आकांक्षाओं को भी मजबूत करता है। उन्होंने स्वीकार किया कि तेजी से बदलती 21वीं सदी में भारत को अपनी वही प्रभावी भूमिका निभाने के लिए उतनी ही तेजी से खुद को भी बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में नवाचार, अनुसंधान, डिजाइन, विकास और उद्यमिता के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका उद्देश्य भारत की शिक्षा को और अधिक आधुनिक बनाना है और प्रतिभाओं के लिए अवसर पैदा करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे 21वीं सदी के युवाओं की सोच, जरूरतों, उम्मीदों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक नीति दस्तावेज नहीं है बल्कि 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। उन्होंने कहा, ‘आज भी कई बच्चों को लगता है कि उन्हें ऐसे विषय के आधार पर आंका जाता है, जिसमें उनकी कोई रुचि नहीं है। माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि के दबाव के कारण बच्चे दूसरों के द्वारा चुने गए विषयों को ही पढ़ने के लिए मजबूर होते हैं। इसका परिणाम यह है कि एक बड़ी आबादी जो अच्छी तरह से शिक्षित तो है लेकिन अधिकांश जो उन्होंने पढ़ा है, उनके लिए उपयोगी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा प्रणाली में एक व्यवस्थित सुधार लाकर इस दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास करती है और शिक्षा के उद्देश्य और सामग्री दोनों को बदलने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि एनईपी सीखने, अनुसंधान और नवाचार पर फोकस करती है साथ ही स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के अनुभव को लाभदायक, व्यापक और ऐसा बनाने का विचार है, जो छात्र की स्वाभाविक रुचि का मार्गदर्शन कर सके।

छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह हैकाथॉन पहली समस्या नहीं है, जिसका समाधान निकालने की आपने कोशिश की है, न ही यह आखिरी है।’ उन्होंने युवाओं को तीन चीजें करने की सलाह दी: सीखना, सवाल पूछना और समाधान करना। उन्होंने कहा कि जब कोई सीखता है तो उसके पास सवाल करने की बुद्धि आती है और भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस भावना को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि फोकस स्कूल बैग के बोझ से हटाकर, जो स्कूल के बाद नहीं रहता है, सीखने के फायदे की तरफ बढ़ना है- जो जीवन में काम (याद करने से लेकर महत्वपूर्ण सोच तक) आती है।

अंत:विषय अध्ययन पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर नई शिक्षा नीति की सबसे रोमांचक विशेषताओं में से एक है। यह अवधारणा लोकप्रियता हासिल कर रही है क्योंकि एक ही साइज सबके लिए फिट नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर देने से यह सुनिश्चित होगा कि फोकस उस पर हो जो विद्यार्थी पढ़ना चाहता है, उस पर नहीं जो समाज उससे अपेक्षा करता है।

शिक्षा तक पहुंच

बाबा साहब अंबेडकर की बात का जिक्र करते हुए कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए, पीएम ने कहा कि यह शिक्षा नीति भी उनके सुलभ शिक्षा के विचारों को समर्पित है। प्राथमिक शिक्षा से शुरू होकर शिक्षा तक पहुंच को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति बड़ी है। उन्होंने कहा कि नीति का लक्ष्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2035 तक बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना है। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वाले तैयार करने पर जोर दिया गया है। यानी एक तरह से यह हमारी मानसिकता और हमारे दृष्टिकोण में सुधार लाने की कोशिश है।

स्थानीय भाषा पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने और विकसित करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपने शुरुआती वर्षों में अपनी भाषा में सीखने से लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति दुनिया का समृद्ध भारतीय भाषाओं से भी परिचय कराएगी।

वैश्विक एकीकरण पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो नीति लोकल (स्थानीय) पर केंद्रित है, पर वैश्विक एकीकरण पर भी समान रूप से ध्यान दिया गया है। शीर्ष वैश्विक संस्थानों को भारत में परिसर खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इससे भारतीय युवाओं को विश्वस्तरीय माहौल और अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में भी मददगार होगा। इससे भारत में विश्व-स्तरीय संस्थानों के निर्माण में भी मदद मिलेगी, जिससे भारत वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनकर उभरेगा।

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सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया।

सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी हमेशा से ही अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी राजनेता के साथ साथ कानून के भी अच्छे जानकार  हैं। सुशांत सिंह के केस में वह अक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सुशांत केस के लिए उन्होंने वकील का चयन करवाया साथ ही प्रधानमंत्री को लेटर लिख कर सीबीआई जांच की भी मांग की। सुशांत के केस में वह शुरू से ही साजिश बता रहे हैं। अब सुशांत सिंह राजपूत के केस में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हत्या का शक जताया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशम मीडिया पर सुशांत के केस से जुड़े 26 प्वाइंट शेयर किए है जो ये दावा करते है कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं  की बल्कि उनकी हत्या की गयी हैं। 

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सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया। साथ ही सुशांत के शरीर पर कई चोट के निशान थे उसके बारे में रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है जो काफी हैरान करने वाली बात है। 

सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी दावा किया जिस कपड़े से सुशांत के फांसी लगाने का दावा किया जा रहा है उससे मुमकिन नहीं है फांसी को लगा पाना। सुशांत के कमरे से कोई स्टूल नहीं मिला है, सीसीटीवी भी नहीं थे साथ ही कमरे की एक चाभी भी गायब थी। यह सब इत्तेफाक नहीं है। सुशांत की हत्या कि गयी है। उन्होंने मुंबई पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं। स्वामी के इन दावों में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगी।

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डिजिटल शिक्षा पर “भारत रिपोर्ट-2020” जारी, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने जारी की रिपोर्ट

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने आज डिजिटल शिक्षा पर भारत रिपोर्ट-2020 जारी की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों द्वारा घर पर बच्चों के लिए सुलभ और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने और उनके सीखने के क्रम में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अपनाए गए अभिनव तरीकों की विस्तृत व्याख्या करती है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वह इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ें ​ताकि उन्हें दूरस्थ शिक्षा और सभी के लिए शिक्षा की सुविधा के लिए सरकार की ओर से की की गई विभिन्न पहलों की जानकारी मिल सके।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने शिक्षा को एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित किया गया है जिसका लक्ष्य प्री-नर्सरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं तक स्कूलों के व्यापक स्पेक्ट्रम में डिजिटल शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना है। गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा ने वैश्वीकरण के वर्तमान संदर्भ में एक नई प्रासंगिकता हासिल कर ली है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षकों, विद्वानों और छात्रों को सीखने की उनकी ललक में मदद करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि “दीक्षा मंच”, “स्वयं प्रभा टीवी चैनल”, ऑनलाइन एमओओसी पाठ्यक्रम, ऑन एयर– “शिक्षा वाणी”, दिव्यांगों के लिए एनआईओएस द्वारा विकसित “डेजी, ई-पाठशाला”,  “ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज (एनआरओईआर) की राष्ट्रीय रिपोजिटरी”, टीवी चैनल, ई-लर्निंग पोर्टल, वेबिनार, चैट समूह और पुस्तकों के वितरण सहित राज्य/केन्द्र शासित सरकारों के साथ अन्य डिजिटल पहल।

      रिपोर्ट में प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक”, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, श्री संजय धोत्रे और स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव, एमएचआरडी, श्रीमती अनीता करवाल के संदेश हैं। रिपोर्ट को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों के परामर्श से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के डिजिटल शिक्षा प्रभाग द्वारा तैयार किया गया है।

      इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों ने छात्रों के द्वार पर डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य भी किया है। छात्रों से जुड़ने के लिए कुछ प्रमुख माध्यमों के रूप में सोशल मीडिया टूल जैसे व्हाट्सएप ग्रुप, यू ट्यूब चैनल, आनलाइन कक्षाएं, गूगल मीट, स्काइप के साथ ई-लर्निंग पोर्टल, टीवी (दूरदर्शन और क्षेत्रीय चैनल), रेडियो और दीक्षा का उपयोग किया गया जिसमें दीक्षा का उपयोग सभी हितधारकों की सबसे प्रमुख पसंद थी।

      राज्य सरकारों द्वारा की गई कुछ प्रमुख डिजिटल पहल में राजस्थान में “स्माइल” (सोशल मीडिया इंटरफेस फॉर लर्निंग एंगेजमेंट), जम्मू में “प्रोजेक्ट होम क्लासेस”, छत्तीसगढ़ में “पढ़ाई तुहार दुवार” (आपके द्वार पर शिक्षा), बिहार में “उन्नयन” पहल पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से शिक्षा, दिल्ली में एनसीटी का अभियान “बुनियाद”, केरल का अपना शैक्षिक टीवी चैनल (हाई-टेक स्कूल प्रोग्राम), “ई-विद्वान पोर्टल” और साथ ही मेघालय में शिक्षकों के लिए मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम शामिल हैं। तेलंगाना में कोविड संकट के दौरान शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ऑनलाइन सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है।

      कुछ राज्यों ने दूरस्थ शिक्षा की सुविधा के लिए नवीन मोबाइल ऐप और पोर्टल लॉन्च किए हैं। मध्य प्रदेश ने टॉप पैरेंट ऐप लॉन्च किया है, जो एक नि:शुल्क मोबाइल ऐप है जो छोटे बच्चों के माता-पिता (3-8 साल) को बाल विकास के ज्ञान और व्यवहारों की सीख देता है ताकि उन्हें अपने बच्चों के साथ सार्थक जुड़ाव बनाने में मदद मिल सके। केएचईएल (इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग के लिए नॉलेज हब), एक गेम आधारित एप्लीकेशन भी शुरू किया गया है, जो कक्षा एक से लेकर कक्षा 3 तक के छात्रों के लिए है। उत्तराखंड “संपर्क बैंक ऐप” का उपयोग कर रहा है, जिसके माध्यम से प्राथमिक स्कूल के छात्र एनिमेटेड वीडियो, ऑडिओ, वर्कशीट, पहेलियों आदि का उपयोग कर सकते हैं। असम ने कक्षा 6 से 10. के लिए “बिस्वा विद्या असम मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। बिहार ने कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए ई-पुस्तकों के साथ “विद्यावाहिनी ऐप” लॉन्च किया है। “उन्नयन बिहार पहल” के तहत बिहार सरकार ने छात्रों के लिए “मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय” शुरू किया है। इसी तरह शिक्षकों के लिए “उन्नयन बिहार” के तहत शिक्षक ऐप शुरू किया गया है। चंडीगढ़ ने कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के सीखने के परिणाम का आकलन करने के लिए “फीनिक्स मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। महाराष्ट्र ने राज्य में छात्रों के लिए “लर्निंग आउटकम स्मार्ट क्यू मोबाइल ऐप” लॉन्च किया है। पंजाब ने कक्षा 1 से 10 तक के लिए आई स्कूएला लर्न मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। “सिक्किम एडुटेक ऐप” राज्य शिक्षा विभाग के तहत सिक्किम के सभी स्कूलों को जोड़ता है। इसमें छात्रों, शिक्षकों और प्रशासनिक इकाइयों के साथ-साथ अभिभावकों को भी लॉगिन करने की सुविधा दी गई है। त्रिपुरा में छात्रों के मूल्यांकन की सुविधा के लिए ‘एम्पॉवर यू शिक्षा दर्पण’ नाम का एक एप्लिकेशन शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश ने 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्षित करते हुए “टॉप पैरेंट ऐप” लॉन्च किया है। वर्तमान में बच्चों के लिए “चिंपल”, “मैथ्स मस्ती” और “गूगल बोलो” जैसे तीन बेहतरीन एडुटेक ऐप हैं।

      राज्य भी शिक्षा के एक माध्यम के रूप में व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। “ओडिशा शिक्षा संजोग”- ओडिशा में एक व्हाट्सएप आधारित डिजिटल लर्निंग कार्यक्रम शुरू किया गया है जो एक सुव्यवस्थित तरीके से वर्ग समूहों के साथ ई-सामग्री साझा करता है। व्हाट्सएप के माध्यम से पंजाब और पुद्दुचेरी में भी ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। राजस्थान व्हाट्सएप का उपयोग “हवामहल- खुशनुमा शनिवार” कार्यक्रम के लिए कर रहा है, जहां छात्र कहानियों को सुनकर व्हाट्सएप के माध्यम से दिए गए निर्देशों के आधार पर खेल, खेल सकते हैं। मिशन प्रेरणा की ई-पाठशाला उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और छात्रों के बीच संपर्क का एक व्हाट्सएप समूह है। हिमाचल प्रदेश ने तीन व्हाट्सएप अभियान शुरू किए हैं, जैसे, “करोना”, “थोड़ी मस्ती, थोड़ी पढ़ाई” और जहां राज्यों द्वारा ई-सामग्री की व्यवस्था की गई है ‘वहां हर घर पाठशाला’। छात्र इसकी मदद से अपने सवाल हल करते हैं और उस पर शिक्षक अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए, इस अभियान का नाम “हम किसी से कम नहीं- मेरा घर पाठशाला” रखा गया है। सामग्री को व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से साझा किया जा रहा है जिसके साथ विशेष शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।  

कई राज्यों को इंटरनेट के बिना कम तकनीकी रूपों के साथ शिक्षण और निर्देशन के लिए रचनात्मक उपायों को अपनाना पड़ा है। उदाहरण के लिए- अरुणाचल प्रदेश में, प्राथमिक कक्षा के छात्र ऑल इंडिया रेडियो, ईटानगर के माध्यम से अपनी मातृभाषा में दिलचस्प रेडियो वार्ताएँ प्राप्त कर रहे हैं। झारखंड के जिलों में क्षेत्रीय दूरदर्शन और उपलब्ध रेडियो स्लॉट के माध्यम से बच्चों को संबोधित करने वाले वास्तविक शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। स्थानीय टीवी चैनलों पर वर्चुअल कंट्रोल रूम के माध्यम से कक्षाओं को प्रसारित करने की पुद्दुचेरी की ऐसी ही पहल है। मणिपुर ने कक्षा 3 से 5 तक के छात्रों के लिए कॉमिक पुस्तकों की शुरुआत की है ताकि उन्हें मजेदार तरीके से अवधारणाओं को सीखने में मदद मिल सके। लद्दाख जैसे कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में भी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए ईएमबीआईबीई बैंगलोर गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है। वर्तमान समय में सामुदायिक जुड़ाव सबसे कठिन काम है ऐसे में स्थानीय और व्यक्तिगत संसाधनों का महत्व ज्यादा हो गया है। हरियाणा राज्य द्वारा क्विज प्रतियोगिताओं जैसी लोकप्रिय सुविधाएँ आयोजित की जाती हैं।

      दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने की चुनौतियों से निपटने के लिए, एनआईओएस और स्वयं प्रभा सामग्री उन बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जो इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं और जिनकी रेडियो और टीवी तक सीमित पहुंच है। नवोन्मेषी माध्यमों से सामग्री उपलब्ध कराने के लिए राज्यों की पहल समावेशी शिक्षा को सुनिश्चित कर रही है। उदाहरण के लिए- आंध्र प्रदेश ने महत्वपूर्ण विषयों को समझने और अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए छात्रों के लिए टोल फ्री कॉल सेंटर और टोल फ्री वीडियो कॉल सेंटर शुरू किया है। खराब मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण, छत्तीसगढ़ ने मोटर ई-स्कूल शुरू किया है। राज्य ने वीएफएस (वर्चुअल फील्ड सपोर्ट) के रूप में एक टोल फ्री नंबर भी शुरू किया है। झारखंड ने रोविंग शिक्षक की शुरुआत की है, जहां कई शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आते हैं। गुजरात ने जुबानी पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए- वंचन अभियान और बच्चों के लिए “मैलो-सलामत ए हंफैलो” (परिवार का घोंसला-सुरक्षित है) जैसा सामाजिक मनोवैज्ञानिक सहायता कार्यक्रम चलाया है। पश्चिम बंगाल ने भी छात्रों के लिए विशेष और समर्पित टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।

      सुदूर क्षेत्रों में समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति सही नहीं है राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी बच्चों के घर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया है। जिन राज्यों ने छात्रों तक पहुँचने के लिए यह पहल की है, ओडिशा, मध्य प्रदेश (दक्शता उन्नाव कार्यक्रम के तहत), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव आदि शामिल हैं। लक्षद्वीप ने छात्रों को ई-सामग्री से लैस टैबलेट वितरित किए हैं। नगालैंड ने छात्रों को नाममात्र की लागत पर डीवीडी/पेन ड्राइव के माध्यम से अध्ययन सामग्री वितरित की है। जम्मू और कश्मीर ने दृष्टिबाधित शिक्षार्थियों के लिए लैपटॉप और ब्रेल स्पर्श पठनीयता के साथ छात्रों को मुफ्त टैब वितरित किए हैं।

      डिजिटल शिक्षा पहल भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मददगार बन रही है। गोवा ने राज्य में प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए एम्बाइब, एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सीखने, अभ्यास और परीक्षण के लिए ऑनलाइन मंच के साथ साझेदारी की है। कर्नाटक ने दूरदर्शन के माध्यम से एक परीक्षा तैयारी कार्यक्रम, और एक एसएसएलसी परीक्षा तैयारी कार्यक्रम शुरू किया है। एनईईटी परीक्षा की तैयारी करने वाले तमिलनाडु के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त छात्रों के लिए विस्तृत विश्लेषण के साथ ऑनलाइन अभ्यास परीक्षण उपलब्ध हैं।

      राज्यों द्वारा विविध आवश्यकताओं को पूरा करने की जरूरत, भाषा पर पूरा नियंत्रण रखने के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास भी सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए एनसीटी दिल्‍ली द्वारा उच्च कक्षाओं के लिए शिक्षा सामग्री तैयार की गई है। लॉकडाउन के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्राइमरी कक्षाओं के छात्रों को मजेदार तरीके से पढ़ाने के लिए ऐसी सेवाओं की एसएमएस/आईवीआर के माध्यम से व्यवस्था की जा रही है। इसी तरह तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्य भी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मध्य प्रदेश और गुजरात सक्रिय रूप से विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए समावेशी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस प्रकार से सभी राज्यों के शिक्षा विभाग मिलकर दूरस्थ शिक्षा के रास्ते में आने वाली ​मुश्किलों को दूर करने के लिए पूरी तरह समर्पित और प्रतिबद्ध हैं।

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कई दिनों के इलाज के बाद मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने ली आखिरी सांस.

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन, कई दिनों के इलाज के बाद आज ली आखिरी सांस

मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन का निधन हो गया। मेदांता अस्पताल के निदेशक डॉ. राकेश कपूर ने जानकारी देते हुए बताया कि लालजी टंडन ने लखनऊ के मेदांता अस्पताल में सुबह पांच बजकर 35 मिनट पर ली अंतिम सांस ली। लालजी टंडन के निधन के बाद उनके बेटे और यूपी सरकार में मंत्री आशुतोष टंडन  ट्वीट करके कहा कि बाबूजी नहीं रहे। 

गौरतलब है कि लालजी टंडन को 11 जून को सांस लेने में दिक्कत, बुखार और पेशाब में परेशानी की वजह से लखनऊ स्थित मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को मध्यप्रदेश का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला  ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर मंगलवार को पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल, वरिष्ठ राजनेता लालजी टंडन जी के निधन पर सादर पुष्पांजलि। सार्वजनिक जीवन में विविध पदों पर रहते हुए आप देश तथा आमजन की सेवा में सदैव तत्पर रहे। उनका दीर्घ अनुभव तथा संवैधानिक प्रक्रियाओं की गहरी समझ उनकी सलाह को महत्वपूर्ण बनाती थी। 

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प्रधानमंत्री मोदी ने रीवा की मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्ट्र को समर्पित की

आधिकारिक बुलेटिन - 1 (10-July-2020 ...
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से रीवा में अत्‍याधुनिक मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्‍ट्र को समर्पित की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से मध्‍य प्रदेश के रीवा में अत्‍याधुनिक मेगा सौर ऊर्जा परियोजना राष्‍ट्र को समर्पित की। यह एशिया की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा परियोजना है।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि मौजूदा दशक में रीवा परियोजना पूरे क्षेत्र को स्‍वच्‍छ और सुरक्षित ऊर्जा के बड़े केन्‍द्र के रूप में बदल देगी। उन्‍होंने कहा कि इस परियोजना से दिल्‍ली मेट्रो सहित रीवा और उसके आस-पास के समूचे क्षेत्र को बिजली की आपूर्ति की जाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि बहुत जल्द मध्य प्रदेश भारत में सौर ऊर्जा का मुख्य केंद्र होगा, क्योंकि नीमच, शाजापुर, छतरपुर और ओंकारेश्वर में ऐसी कई प्रमुख परियोजनाओं पर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के गरीबों, मध्यम वर्ग के लोगों, आदिवासियों और किसानों को इसका सबसे ज्‍यादा मिलेगा। उन्‍होंने कहा कि सौर ऊर्जा21 वीं सदी में आकांक्षी भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने का एक प्रमुख माध्यम होगा। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा ‘निश्चित, शुद्ध और सुरक्षित’ है। सूर्य से ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति के कारण इसका हमेशा मिलना सुनिश्चित रहता है तथापर्यावरण के अनुकूल होने के कारण यह शुद्ध होती है और इसके अलावा यह हमारी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए एक सुरक्षित स्रोत भी है।

श्री मोदी ने कहा कि इस तरह की सौर ऊर्जा परियोजनाएं आत्मानिर्भर भारत (स्व-विश्वसनीय भारत) का सही प्रतिनिधित्‍व करती हैं। 

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भरता और प्रगति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। अर्थव्यवस्था या फिर पारिस्थितिकी पर ध्यान केंद्रित करने की दुविधा का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं और अन्य पर्यावरण के अनुकूल उपायों पर ध्यान केंद्रित करके ऐसी दुविधाओं का समाधान किया है। उन्‍होंने कहा कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी विरोधाभासी नहीं हैं बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार के सभी कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जीवन सुगमता को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने स्वच्छ भारत, गरीबों के घरों में एलपीजी सिलेंडरों की आपूर्ति, सीएनजी नेटवर्क के विकास जैसे कार्यक्रमों का जिक्र किया, जिसमें जीवन को आसान बनाने तथा  गरीबों और मध्यम वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा केवल कुछ परियोजनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीने का एक तरीका है।

उन्‍होंने कहा कि जब नवीकरणीय ऊर्जा की बड़ी परियोजनाएं शुरू की जाती हैं तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि स्वच्छ ऊर्जा के प्रति दृढ़ संकल्प जीवन के हर क्षेत्र में दिखाई दे। सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि इसका लाभ देश के हर कोने, समाज के हर वर्ग, हर नागरिक तक पहुंचे। उन्होंने इस बारे में एलईडी बल्बों का उदाहरण पेश करते हुए बताया कि किस तरह से इनके इस्‍तेमाल ने बिजली के बिल को कम किया है। एलईडी बल्बों के इस्‍तेमाल की वजह से लगभग 4 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड को पर्यावरण में जाने से रोका जाता है। उन्होंने कहा कि इससे 6 अरब यूनिट बिजली की बचत हुई है जिससे सरकारी खजाने के 24,000 करोड़ रुपये बचे हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार ‘हमारे पर्यावरण, हमारी हवा, हमारे पानी को भी साफ बनाए रखने की दिशा में काम कर रही है और यह सोच सौर ऊर्जा, नीति और रणनीति में भी दिखाई देती है।

श्री मोदी ने कहा कि सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की अनुकरणीय प्रगति दुनिया के लिए दिलचस्‍पी की एक बड़ी वजह होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रमुख कदमों के कारण, भारत को स्वच्छ ऊर्जा का सबसे आकर्षक बाजार माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) को सौर ऊर्जा के मामले में पूरी दुनिया को एकजुट करने के मकसद से शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके पीछे वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड की भावना थी।

प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि मध्य प्रदेश के किसान सरकार के ‘कुसुम’  कार्यक्रम का भरपूर लाभ उठाएंगे और अपनी भूमि में आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा संयंत्रों को स्थापित करेंगे।उन्होंने आशा व्यक्त की कि बहुत जल्द भारत पावर का एक प्रमुख निर्यातक होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत फोटोवोल्टिक सेल, बैटरी और स्टोरेज जैसे सौर संयंत्रों के लिए आवश्यक विभिन्न हार्डवेयर के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम तेजी से आगे बढ़ रहा है और सरकार उद्योग, युवाओं, एमएसएमई और स्टार्टअप्स को इस अवसर से न चूकने और सौर ऊर्जा के लिए आवश्यक सभी वस्‍तुओं के उत्पादन और बेहतरी के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

कोविड महामारी के कारण चल रहे संकट का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार या समाज के लिए, करुणा और सतर्कता इस कठिन चुनौती से निपटने के लिए सबसे बड़े प्रेरक तत्व हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की शुरुआत से ही सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन और ईंधन की आपूर्ति की जाए। उन्होंने कहा कि इसी भावना के साथ  सरकार ने अनलॉकिंग के चरण में भी इस साल नवंबर तक खाद्य और एलपीजी की मुफ्त आपूर्ति जारी रखने का फैसला किया।यही नहीं, सरकार निजी क्षेत्र के लाखों कर्मचारियों के कर्मचारी भविष्‍य निधि खाते में भी पूरा योगदान दे रही है। इसी तरह, पीएम-स्वनिधि योजना के माध्यम से वे लोग लाभान्वित हो रहे हैं जिनके पास व्‍यवस्‍था तक पहुंच के सबसे कम संसाधन हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब मध्यप्रदेश के लोग अपने राज्‍य को तरक्‍की के रास्‍ते पर आगे ले जाने के लिए अपने घरों से बाहर निकल रहे हैं, तो ऐसे में उन्हें दो गज की दूरी बनाए रखने, चेहरे पर मास्‍क पहनने और कम से कम 20 सेंकेंड तक साबुन से हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करना चाहिए।

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भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा पुरुष, देशभक्त संत एवं विनम्रता की बेमिसाल नजीर थे स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवोकानन्द की शिक्षाएँ आज भी राह दिखाती हैं, नयी ऊर्जा प्रदान करती हैं

महापुरुषों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती। उनका मानवहितकारी चिन्तन एवं कर्म कालजयी होता है और युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है। स्वामी विवेकानंद हमारे ऐसे ही एक प्रकाश-स्तंभ हैं, वे भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता, युगीन समस्याओं के समाधायक, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक एवं आध्यात्मिक सोच के साथ पूरी दुनिया को वेदों और शास्त्रों का ज्ञान देने वाले एक महामनीषी युगपुरुष थे। जिन्होंने 4 जुलाई 1902 को महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए थे। स्वामी विवेकानन्द का संन्यास एवं संतता संसार की चिन्ताओं से मुक्ति या पलायन नहीं था। वे अच्छे दार्शनिक, अध्येता, विचारक, समाज-सुधारक एवं प्राचीन परम्परा के भाष्यकार थे। काल के भाल पर कुंकुम उकेरने वाले वे सिद्धपुरुष हैं। वे नैतिक मूल्यों के विकास एवं युवा चेतना के जागरण हेतु कटिबद्ध, मानवीय मूल्यों के पुनरुत्थान के सजग प्रहरी, अध्यात्म दर्शन और संस्कृति को जीवंतता देने वाली संजीवनी बूटी, वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु हैं। वे अनावश्यक कर्मकांडों के विरुद्ध थे और हिन्दू उपासना को व्यर्थ के अनेक कृत्यों से मुक्त कराना चाहते थे। उन्होंने समाज की कपट वृत्ति, दंभ, क्रूरता, आडम्बर और अनाचार की भर्त्सना करने में संकोच नहीं किया। इन्हीं कारण वे तत्कालीन युवापीढ़ी के आकर्षण का केन्द्र बने, इसमें कोई शक नहीं कि वे आज भी अधिकांश युवाओं के आदर्श हैं। उनकी हमेशा यही शिक्षा रही कि आज के युवक को शारीरिक प्रगति से ज्यादा आंतरिक प्रगति की जरूरत है। वे युवकों में जोश भरते हुए कहा करते थे कि उठो मेरे शेरों ! इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो। वे एक बात और कहते थे कि जो तुम सोचते हो वह हो जाओगे। ऐसी ही कुछ प्रेरणाएं हैं जो आज भी युवकों को आन्दोलित करती हैं, पथ दिखाती हैं और जीने का दर्शन प्रदत्त करती हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नया भारत निर्मित करने की बात कर रहे हैं, उसका आधार स्वामी विवेकानन्द की शिक्षाएं एवं प्रेरणाएं ही हैं।

स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में उनके प्रयासों एवं प्रस्तुति के कारण ही पहुँचा। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी भारतीय संस्कृति एवं आध्यात्मिक मूल्यों को सुदृढ़ कर रहा है। वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। कलकत्ता के एक कुलीन बंगाली परिवार में जन्मे विवेकानंद आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे। वे अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीव स्वयं परमात्मा का ही एक अवतार हैं। इसलिए मानव जाति की सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है।

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तनाव पूर्ण और चुनोतियों भरे इस वक़्त में आपस में एक दूसरे का हौसला बढ़ाएं

अतुल दीक्षित ग्रुप एडिटर भारतीय स्वरुप समाचार पत्र

समय बहुत ही तनावपूर्ण चल रहा है। किसी को भी पारिवारिक या व्यवसायिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तो कृपया एक दूसरे से जरूर साझा करें और बात करें। ग्रुप में मैसेज के जरिए ही नहीं बल्कि फोन पर भी एक दूसरे से बात करें। यह साल नफा नुकसान देखने का नहीं है बल्कि अपने मनोबल को बनाए रखने का और अपनी सेहत को बचाए रखने का है। नौकरी में या अपने काम धंधे में बेशक नुकसान हो रहा हो लेकिन यदि आपने अपनी सेहत बचा ली तो यह इस समय का सबसे बड़ा मुनाफा है। एक दूसरे से बात करते रहिए और आपस में सब का हौसला बढ़ाते रहिए। अभी हम सब की जरूरत और जिम्मेदारी है कि एक दूसरे के साथ सकारात्मक चीजों को साझा करें।

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अमित शाह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के तीनों नगर निगमों के महापौर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में दिल्ली में कोरोना की स्थिति पर चर्चा की।

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमें यथाशीघ्र एक कोरोना मुक्त स्वस्थ व समृद्ध देश और दिल्ली बनाना है। आज नई दिल्ली में श्री अमित शाह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन, दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल, मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के तीनों नगर निगमों के महापौर और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में दिल्ली में कोरोना की स्थिति पर चर्चा की।

इसमें केंद्रीय गृह मंत्री ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और तीनों नगर निगमों से आज सुबह हुईं बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों जैसे घर-घर स्वास्थ्य सर्वे, कोरोना की टेस्टिंग आदि का बेहतर तरीके से निचले स्तर तक कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा। गृह मंत्री ने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य आपसी समन्वय से दिल्ली में कोरोना को हराना है।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमें यथाशीघ्र एक कोरोना मुक्त स्वस्थ तथा समृद्ध देश और दिल्ली बनाना है। उन्होँने कहा कि यह सभी के सहयोग और समन्वय से ही सम्भव है। केंद्रीय गृह मंत्री ने दिल्ली सरकार, तीनों मेयर व तीनों नगर निगम के आयुक्तों को साथ मिलकर काम करने और सुबह की बैठक में लिए गए सभी निर्णयों को अमल में लाने के निर्देश दिए। साथ ही गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को सभी दिशानिर्देशों का सख्ती से अनुपालन कराने के निर्देश दिए। 

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कक्षा 1-12 के लिए एनसीईआरटी के सभी टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाली ई-शिक्षण सामग्री के लिए समझौता ज्ञापन पर डिजिटल हस्ताक्षर किए गए

ई-शिक्षा को और ज्यादा रचनात्मक बनाने के लिए, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ की उपस्थिति में आज नई दिल्ली में एनसीईआरटी और रोटरी इंडिया ने एनसीईआरटी के सभी टीवी चैनलों पर कक्षा 1-12 के लिए प्रसारित होने वाली ई-शिक्षण सामग्री के लिए समझौता ज्ञापन पर डिजिटल हस्ताक्षर किए। शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव, श्रीमती अनिता करवाल ने भी इस डिजिटल कार्यक्रम में हिस्सा लिया।

इस कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि उन्हें एनसीईआरटी और रोटरी क्लब के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के संदर्भ में घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कोविड-19 महामारी के दौरान एमएचआरडी के मार्गदर्शन और समर्थन से, रोटरी इंडिया ह्यूमेनिटी फाउंडेशन और एनसीईआरटी के सहयोग में यह सुनिश्चित हो सकेगा कि एनसीईआरटी द्वारा अनुमोदित सामग्री ई-शिक्षा के माध्यम से पूरे देश के बच्चों तक पहुंच सके।

श्री निशंक ने कहा कि यह जानकर बड़ी प्रसन्नता महसूस हो रही है कि विद्या दान 2.0 के अंतर्गत रोटरी इंटरनेशनल कक्षा 1 से 12 के सभी विषयों के लिए एनसीईआरटी को हिंदी भाषा में ई-कंटेंट उपलब्ध कराएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह सामग्री उच्च श्रेणी की है और उच्च गुणवत्ता वाली है; इससे हमारे सभी बच्चों को बहुत फायदा पहुंचेगा। श्री निशंक ने कहा कि इसके साथ-साथ रोटरी इंटरनेशनल द्वारा विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी और साथ ही वयस्क साक्षरता मिशन में वह अपना संपूर्ण योगदान देगा। उन्होंने कहा कि वे शिक्षक प्रशिक्षण (पेशेवर विकास सहित) सामग्री भी उपलब्ध कराएंगे।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मार्च 2020 में जब नोवेल कोरोना वायरस, कोविड-19 को महामारी घोषित किया गया, तब से शिक्षार्थी, शिक्षक, अभिभावक और पूरा शिक्षण समुदाय गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। श्री निशंक ने कहा कि इस परिदृश्य में, एमएचआरडी प्रौद्योगिकी और नवाचार के साथ भारतीय लोकाचार में निहित सर्वश्रेष्ठ शिक्षण प्रणाली को मजबूत स्तंभों के रूप में विकसित करने की दिशा में अथक परिश्रम कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एमएचआरडी विभिन्न योजनाओं और पहलों के माध्यम से शिक्षा में प्रौद्योगिकी के एकीकरण की दिशा में काम कर रहा है जैसे कि ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड, दीक्षा, ई-पाठशाला, स्वयं और स्वयंप्रभा आदि। श्री निशंक ने कहा कि शिक्षा में नवाचार और डिजिटलीकरण को मजबूती प्रदान करने के लिए, मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा सभी के लिए ई-लर्निंग, सटीक और अद्तन पठन सामग्री बनाने की दिशा में ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जिससे छात्र घर बैठे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का उपयोग कर सकें। मंत्री ने कहा कि ई-लर्निंग के माध्यम से, हम प्रधानमंत्री के ‘एक राष्ट्र एक डिजिटल मंच’ के विजन को पूरा करना चाहते हैं।

श्री निशंक ने कहा कि हमने रेडियो और टीवी के माध्यम से अपने छात्रों तक पहुंचने का संकल्प लिया है जहां पर इंटरनेट या मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है और यह समझौता ज्ञापन उस दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से छात्रों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अधिक प्रभावी ढंग से पहुंचेगी।

शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव, श्रीमती अनिता करवाल ने रोटरी इंडिया ह्यूमेनिटी फाउंडेशन को विभिन्न भाषाओं में कक्षा 1 से लेकर 12वीं के विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता वाली ई-शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराने के प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।

एनसीईआरटी और रोटरी इंडिया ह्यूमेनिटी फाउंडेशन के बीच समझौता ज्ञापन पर एनसीईआरटी के निदेशक, प्रो. हृषिकेश सेनापति और एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक, प्रो. अमरेन्द्र बेहरा और रोटरी इंडिया की ओर से, निदेशक, रोटरी इंडिया वाटर मिशन, श्री रंजन ढींगरा ने हस्ताक्षर किए।

रोटरी इंटरनेशनल के निदेशक 2019-21, श्री कमल संघवी ने इस टाई-अप के बारे में विस्तृत जानकारी दी, जिसमें शामिल हैं:

  • एनसीईआरटी टीवी टाई-अप: एनसीईआरटी के बारह राष्ट्रीय टेलीविजन चैनलों के माध्यम से कक्षा 1-12 के लिए पाठ्यक्रम मॉड्यूल का प्रसारण किया जाएगा, जो जुलाई 2020 से उपलब्ध होगा (एनसीईआरटी द्वारा उनके पाठ्यक्रम के अनुसार पाठ्य सामाग्रियों को परखा जाएगा)।
  • दीक्षा ऐप टाई-अप: एक ही समय में, भारत सरकार के राष्ट्रीय मोबाइल ऐप, दीक्षा के माध्यम से ई-लर्निंग मॉड्यूल भी उपलब्ध होंगे।

वर्तमान समय में यह सामग्री हिंदी और पंजाबी में उपलब्ध है और इसे लगभग 10 करोड़ छात्रों के लिए 12 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों में तुरंत लागू किया जाएगा। सामग्री के लिए बौद्धिक अधिकार रोटरी के पास होंगे और एनसीईआरटी को उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे अगले कुछ महीनों में उपयुक्त सामग्री का एनसीईआरटी और संबंधित राज्यों के एससीईआरटी द्वारा सभी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया जा सके।

रोटरी इंटरनेशनल के अध्यक्ष 2021-22, श्री शेखर मेहता ने कहा, “रोटरी ने हमारे साझीदारों के माध्यम से कक्षा 1-12 के लिए ई-लर्निंग सामग्री को तैयार किया है और; हम इसे देश में मुफ्त प्रदान करने की योजना बना रहे हैं, स्कूल के पाठ्यक्रम से संबंधित घर आधारित एक शिक्षण समाधान के रूप में। रोटरी को ई-लर्निंग में व्यापक अनुभव प्राप्त है, उसने पिछले 5 वर्षों में पूरे भारत के स्कूलों में 30,000 से ज्यादा सरकारी ई-लर्निंग सॉफ़्टवेयर/ हार्डवेयर को स्थापित किया है।“

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रक्षा मंत्रालय द्वारा ओएफबी कर्मचारियों के संगठनों के साथ ओएफबी के निगमीकरण पर वार्ता

रक्षा मंत्रालय (एमओडी) के रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) की एक उच्च स्तरीय आधिकारिक समिति (एचएलओसी) ने आज यहां आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) के निगमीकरण के बारे में उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कर्मचारियों के संघों/ संगठनो के साथ बातचीत के शुरुआत की पहल की है।

श्री वी एल कंठा राव, अतिरिक्त सचिव (डीडीपी) की अध्यक्षता वाली समिति ने रक्षा मंत्रालय और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर, इस प्रकार के तीन संघों- कंफेडरेशन ऑफ डिफेंस रिकॉग्नाइज्ड एसोसिएशन (सीडीआरए), इंडियन ऑर्डनेंस फैक्ट्रीज गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन (आईओएफजीओए) और नेशनल डिफेंस ग्रुप-बी गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन (एनडीजीबीजीओए) के साथ वीडियो कॉफ्रेंस के माध्यम से बैठक  की मेजबानी की, जिसमें सभी हितधारकों को उनकी भागीदारी के साथ पूर्वकथित निर्णय को लागू करने वाली सरकार की मंशा से अवगत कराया गया और संगठन के सदस्यों से तनख़्वाह, वेतन, सेवानिवृत्ति लाभ, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य सुविधाओं के संदर्भ में कर्मचारियों के लाभ/हितों की रक्षा और अन्य सेवा मामलों के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए, जबकि ओएफबी को एक या शतप्रतिशत सरकारी स्वामित्व वाले कॉरपोरेट संस्थाओं में परिवर्तित किया जा रहा है। नए कॉर्पोरेट इकाई/ संस्थाओं के लिए भविष्य में सरकार के आदेशों और आवश्यक बजटीय समर्थन के संदर्भ में उनकी चिंताओं पर भी सुझाव मांगे गए।

सौहार्दपूर्ण वातावरण में बैठक में चर्चा की गई। संघों द्वारा सभी ओएफबी कर्मचारी परिसंघों/ यूनियनों के साथ और ज्यादा बैठकें करने अनुरोध पर समिति द्वारा विचार किया गया और यह आश्वासन दिया गया कि परिसंघों/ यूनियनों के साथ मेल-जोल जारी रखा जाएगा।

सरकार ने 16 मई, 2020 को आत्मानिर्भर भारत पैकेज के एक भाग के रूप में यह घोषणा की थी कि ओएफबी का निगमीकरण करके आयुध आपूर्ति में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार किया जाएगा।

कर्मचारी संघों का प्रतिनिधित्व सीडीआरए के अध्यक्ष, श्री बी के सिंह और महासचिव, श्री बी बी मोहंती द्वारा किया गया। आईओएफएसजीओए का प्रतिनिधित्व इसके महासचिव, श्री एस बी चौबे और सामान्य कोषाध्यक्ष, श्री एम ए सिद्दीकी ने किया, जबकि एनजीडीबीजीओए का प्रतिनिधित्व इसके अध्यक्ष, श्री एम बारिक और महासचिव, जयगोपाल सिंह ने किया।

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