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रक्षा मंत्री ने ओएफबी से बनी सात रक्षा कंपनियों के कामकाज की एक वर्ष पूरा होने पर समीक्षा की

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में दिनांक 30 सितंबर, 2022 को पूर्व आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) से बनी सात रक्षा कंपनियों के कामकाज की समीक्षा उनके संचालन का एक वर्ष पूरा होने के अवसर पर आयोजित एक बैठक में की। इन कंपनियों ने दिनांक 15 अक्टूबर, 2021 को ‘विजयादशमी’ के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्र को समर्पित किए जाने से पहले दिनांक 1 अक्टूबर, 2021 से काम करना शुरू कर दिया था ।

बैठक के दौरान रक्षा उत्पादन विभाग के अधिकारियों ने पिछले एक साल में इन नए डीपीएसयू द्वारा की गई प्रगति के बारे में रक्षा मंत्री को जानकारी दी। सात कंपनियों के अधिकारियों और कर्मचारियों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ओएफबी का निगमीकरण इन संस्थाओं की वास्तविक क्षमता को उजागर करके देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार था। उन्होंने इस तथ्य की सराहना की कि ये कंपनियां अपने कर्मचारियों के हितों की रक्षा करते हुए पूर्ण स्वायत्तता, दक्षता और जवाबदेही के साथ प्रगति के पथ पर सुचारू रूप से आगे बढ़ रही हैं, जो कि सरकार द्वारा ओएफबी को निगमित करने के निर्णय का आधार था।

रक्षा मंत्री ने कहा, “पूर्ववर्ती ओएफबी अपने बुनियादी ढांचे और कुशल जनशक्ति के साथ देश की एक रणनीतिक संपत्ति थी, जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा में बहुमूल्य योगदान दिया। हालांकि पिछले कुछ दशकों में उच्च लागत, असंगत गुणवत्ता और उत्पादों की आपूर्ति में देरी को लेकर सशस्त्र बलों की चिंताएं थीं। सरकारी विभाग होने के कारण ओएफबी के पास लाभ दिखाने की बहुत कम जवाबदेही थी। सदियों पुरानी प्रक्रियाएं, प्रथाएं, कागजी कार्य और नियम और विनियम थे, जो प्रासंगिकता खो चुके थे। इन प्रथाओं से छुटकारा पाना समय की मांग थी और आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका निगमीकरण था। सरकार शुरू से ही इन कंपनियों को संभालती रही है। यह देखकर खुशी होती है कि वे प्रगति के मार्ग में आगे बढ़ रहे हैं।”

इन कंपनियों को वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 के दौरान आधुनिकीकरण के लिए 2,953 करोड़ रुपये की राशि इक्विटी के रूप में जारी की गई है और 2026-27 तक इन कंपनियों को पूंजीगत व्यय के लिए 6,270 करोड़ रुपये की राशि जारी करने की योजना है। इसके अलावा, इन कंपनियों को आपातकालीन प्राधिकरण कोष के रूप में 3,750 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

इन नई कॉर्पोरेट संस्थाओं को प्रदान की गई कार्यात्मक और वित्तीय स्वायत्तता, सरकार द्वारा हाथ में लेने के साथ, उनके प्रदर्शन में परिलक्षित होने लगी है। छह महीने की छोटी अवधि यानी 01 अक्टूबर, 2021 से 31 मार्च, 2022 के भीतर, इन नई कंपनियों ने 8,400 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हासिल किया है, जो पिछले वित्तीय वर्षों के दौरान पूर्ववर्ती ओएफबी के निर्गम के मूल्य को देखते हुए महत्वपूर्ण है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भी, सात नए डीपीएसयू ने संचयी बिक्री लक्ष्य लगभग अनुमानित किया है। 17,000 करोड़ रुपये, जो पूर्ववर्ती ओएफबी की पिछली उपलब्धियों की तुलना में काफी अधिक है।

लगभग उत्पादन उपलब्धि के खिलाफ। 1 अप्रैल, 2021 से 30 सितंबर, 2021 की अवधि के लिए 5,028 करोड़ रुपये, नए डीपीएसयू ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले छह महीनों में 6,500 करोड़ रुपये से अधिक की उत्पादन उपलब्धि दर्ज की है। निगमीकरण के बाद, नई संस्थाओं ने बदले हुए कॉर्पोरेट सेट अप में उत्पादकता और गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सात कंपनियों में से छह ने अनंतिम वित्तीय विवरणों के आधार पर मुनाफे का संकेत दिया है।

इन डीपीएसयू के कामकाज में और सुधार करने के लिए श्री राजनाथ सिंह ने कुछ प्रमुख क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। वर्तमान युग को प्रौद्योगिकी-संचालित बताते हुए उन्होंने कंपनियों को नवीनतम तकनीकों को विकसित करने या उनसे परिचित होने का आह्वान किया, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने के लिए रक्षा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने उनसे घरेलू अनुसंधान और विकास के माध्यम से आधुनिकीकरण पर विशेष जोर देने का आग्रह किया क्योंकि यह आगे बढ़ने का सबसे मजबूत और सुरक्षित तरीका है।

रक्षा मंत्री ने दुनिया भर में भारत की बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया, इसे कंपनियों की जिम्मेदारी बताया कि वे इस उद्देश्य को प्राप्त करने के प्रयासों में योगदान दें। उन्होंने कंपनियों से प्रतिस्पर्धी बोली के मौजूदा समय में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आक्रामक और प्रगतिशील रवैये के साथ रणनीति तैयार करने और लागू करने का आह्वान किया।

श्री राजनाथ सिंह ने पूंजी निवेश को एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू बताया, जिसके संदर्भ में सरकार वर्तमान में कंपनियों को संभाल रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस युग में डीपीएसयू को अपनी आकांक्षाओं के अनुसार आने वाले समय में बाजार से पूंजी जुटाने में सक्षम होना चाहिए।

रक्षा मंत्रालय द्वारा प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए आयात निर्भरता को कम करने पर जोर देने पर प्रकाश डालते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि निर्यात बढ़ाने की दिशा में योगदान करने के लिए डीपीएसयू का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा, “आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रक्षा निर्माण एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। रक्षा मंत्रालय ने 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 1.75 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें 35,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। डीपीएसयू को लक्ष्य हासिल करने और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास करना चाहिए।”

श्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि आने वाले समय में कंपनियां टर्नओवर, लाभप्रदता, बाजार मूल्यांकन और समग्र विकास में नए मील के पत्थर छुएंगी। उन्होंने कंपनियों को फोर्स मल्टीप्लायर करार दिया जो देश के रक्षा उत्पादन को आगे ले जाएगी और विश्व मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करेगी।

राजनाथ सिंह ने कहा, “भारत एक वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर रहा है। निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ हमारा उद्देश्य डिजाइन, उत्पादन, निर्यात के क्षेत्र में भारत को दुनिया के शीर्ष देशों में लाना है। आज जब हमारा देश 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हमारा रक्षा निर्यात पिछले 7-8 वर्षों की तुलना में 5-6 गुना बढ़कर 13,000 करोड़ रुपये हो गया है। नए प्रबंधन को घरेलू जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ विदेशों में नए अवसरों का पता लगाना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नई कंपनियां रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी, साथ ही अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देंगी।

अपनी स्थापना के बाद से इन डीपीएसयू ने अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिए रास्ते तलाशना शुरू कर दिया है और अपने ग्राहक आधार और उत्पाद प्रोफ़ाइल में विविधता लाने के लिए एक आक्रामक दृष्टिकोण अपनाया है। पिछले एक साल के दौरान, नई कंपनियों को 7,200 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के घरेलू ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। नई कंपनियों की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियां नीचे सूचीबद्ध हैं:

  • म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) ने पिछले एक साल में विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद के लिए 1,500 करोड़ रुपये से अधिक के निर्यात ऑर्डर प्राप्त किए हैं। ग्लाइडर्स इंडिया लिमिटेड (जीआईएल) को भी पैराशूट के निर्यात के ऑर्डर मिले हैं।
  • यंत्र इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) ने उत्पाद और ग्राहक विविधीकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इससे उन्हें भारतीय रेलवे जैसे गैर-रक्षा बाजार से 300 करोड़ रुपये से अधिक के ऑर्डर प्राप्त करने में मदद मिली है।
  • ट्रूप कम्फर्ट्स लिमिटेड (टीसीएल) ने एक विशिष्ट बाजार में प्रवेश करने और लंबे समय में अपने व्यवसाय को बनाए रखने के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट, बैलिस्टिक हेलमेट, ईसीडब्ल्यूसीएस आदि जैसी वस्तुओं का विकास किया है।
  • आर्मर्ड वाहन निगम लिमिटेड (एवीएनएल) ने सीआरपीएफ के लिए डिज़ाइन किए गए माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल का एक नया संस्करण विकसित किया है, जो अन्य सशस्त्र बलों के लिए भी उपयोगी हो सकता है ।
  • एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड को दिल्ली पुलिस को जेवीपीसी कार्बाइन की आपूर्ति का ऑर्डर मिला है ।
  • म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) पिनाका रॉकेट यानी पिनाका एमके-I (विस्तारित रेंज) और डीपीआईसीएम के नए वेरिएंट को सफलतापूर्वक प्रूफ फायर करने में सक्षम है।
  • एमआईएल ने 40 मिमी यूबीजीएल गोला-बारूद, 500 किलोग्राम जनरल परपज़ बम और 76/62 एसआरजीएम एचईडीए गोला-बारूद भी सफलतापूर्वक विकसित किया है ।
  • इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड ने टैंकों के लिए ड्राइवर नाइट साइट विकसित की है जो फ्यूजन इमेजिंग की तकनीक के मामले में पहली है।

इन नई संस्थाओं ने अपने संसाधनों के इष्टतम उपयोग और लागत में कमी की दिशा में विभिन्न उपाय शुरू किए हैं। उन्होंने विभिन्न लागत बचत उपाय भी किए हैं जैसे ओवरटाइम और गैर-उत्पादन गतिविधियों के लिए खर्च में कमी और सौर ऊर्जा का उपयोग, जल पुनर्चक्रण, एलईडी पर स्विच करना आदि जैसे उपाय किए हैं।

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे और रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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भारतीय रेलवे “रेलगाड़ियां एक नजर में(टीएजी)” के रूप में जानी जाने वाली अपनी नई अखिल भारतीय रेलवे समय सारणी जारी करेगा, जो 1 अक्टूबर, 2022 से लागू होगी

रेल मंत्रालय “रेलगाड़ियां एक नजर में (टीएजी)” के रूप में जानी जाने वाली अपनी नई अखिल भारतीय रेलवे समय सारणी जारी करेगा, जो 1अक्टूबर, 2022 से लागू होगी। नई ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में ‘1 अक्टूबर, 2022 से भारतीय रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट अर्थात www.indianrailways.gov.in पर भी उपलब्ध होगी।

नई समय सारिणी की मुख्य विशेषताएं निम्‍नलिखित हैं:

  1. भारतीय रेलवे लगभग 3,240 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन करता है, जिनमें वंदे भारत एक्सप्रेस, गतिमान एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, हमसफ़र एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, अंत्योदय एक्सप्रेस, गरीब रथ एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, युवा एक्सप्रेस, उदय एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस और अन्य प्रकार की रेलगाडि़यां शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय रेलवे नेटवर्क पर लगभग 3,000 यात्री रेलगाडि़यों और 5,660 उपनगरीय रेलगाडि़यों  का भी परिचालन किया जाता है। इन पर प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 2.23 करोड़ है।
  • II. अतिरिक्त भीड़भाड़ को कम करने और यात्रियों की मांग को पूरा करने के लिए, 2021-22 के दौरान 65,000 से अधिक विशेष ट्रेन यात्राएं संचालित की गईं। रेलगाडि़यों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 566 कोचों को स्थायी रूप से संवर्धित किया गया।

III. ट्रेन के इंजन और डिब्‍बों का अधिकतम उपयोग करना:

  1. रेकस के लाइ ओवर की समीक्षा के दौरान पाया गया कि मौजूदा सेवाओं के विस्तार या आवृत्ति बढ़ाने के लिए इन रेक का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। यह इंजन और डिब्‍बों के उपयोग को अधिकतम करेगा और यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
  • ii. वर्ष 2021-22 के दौरान, 106 नई सेवाएं शुरू की गईं, 212 सेवाओं का विस्तार किया गया और 24 सेवाओं की आवृत्ति बढ़ाई गई।
  1. प्रीमियम ट्रेनों का प्रसार:
  1. वर्तमान में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें नई दिल्ली-वाराणसी और नई दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटरा के बीच चलाई जा रही हैं। एक और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन गांधीनगर कैपिटल और मुंबई सेंट्रल के बीच 30.09.2022 से शुरू की गई है। भारतीय रेलवे नेटवर्क पर और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
  • ii. मनोरंजन, स्थानीय व्यंजन, वाईफाई आदि जैसी ऑनबोर्ड सेवाओं की पेशकश करने वाली तेजस एक्सप्रेस सेवाओं का भी भारतीय रेलवे नेटवर्क पर प्रसार किया जा रहा है। वर्तमान में भारतीय रेलवे में 7 जोड़ी तेजस एक्सप्रेस सेवाएं परिचालित की जा रही हैं।
  1. मंडलों की कार्यशील समय-सारणी में कॉरिडोर ब्लॉक का प्रावधान:

पटरियों की संरचना, सिग्नलिंग गियर, ओवरहेड उपकरण आदि जैसे स्थिर बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए, फिक्स्ड कॉरिडोर ब्लॉक का प्रावधान  सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई है। इन कॉरिडोर ब्लॉकों की अवधि प्रत्येक खंड में 3 घंटे से होगी। इससे न केवल इन परिसंपत्तियों की विश्वसनीयता में सुधार होगा बल्कि यात्रियों की सुरक्षा में भी वृद्धि होगी।

  1. आईसीएफ डिजाइन के रेक का एलएचबी में रूपांतरण:

यात्री सुरक्षा में सुधार लाने और बेहतर सवारी की सुविधा के साथ तेज पारगमन प्रदान करने के लिए आईसीएफ डिजाइन के रेक के साथ परिचालित की जाने वाली मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का रूपांतरण किया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने वर्ष 2021-2022 की अवधि के लिए आईसीएफ के 187 रेक एलएचबी में परिवर्तित किये।

  1. विलंब से चलने वाली रेलगाडि़यों के समयपालन में सुधार लाने के प्रयास:

समय की पाबंदी में सुधार लाने के लिए समय सारिणी में आवश्यक परिवर्तन शामिल किए गए हैं। ठोस प्रयासों की बदौलत मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के समयपालन में कोविड से पूर्व (2019-20) की समय की पाबंदी की तुलना में लगभग 9 प्रतिशत सुधार हुआ है।

  1. रेकों का मानकीकरण:

विभिन्न रखरखाव डिपो में रेक लिंक के एकीकरण द्वारा रेकों को मानकीकृत किया गया है, ताकि परिचालन में बेहतर लचीलेपन लाया सके और इस प्रकार समयपालन में सुधार लाने में भी मदद मिलती है।

  1. पारंपरिक यात्री ट्रेनों का एमईएमयू/डीईएमयू से प्रतिस्‍थापन

वर्ष 2021-22 में, 60 पारंपरिक यात्री सेवाओं को एमईएमयू द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, जिससे प्रणाली की समग्र गतिशीलता में वृद्धि हुई है।

X. ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में’ की ई-बुक‘ के रूप में उपलब्धता:

ट्रेन समय सारणी के डिजिटलीकरण के अंग के रूप में, ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में’(टीएजी) अब ‘ई-बुक’ के  रूप में भी उपलब्ध होगी, जिसे आईआरसीटीसी की वेबसाइट (www.irctc.co.in & www.irctctourism.com) से डाउनलोड किया जा सकता है।

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उपराष्ट्रपति ने उद्योगों से अंदरूनी क्षेत्रों में उद्यमशील उपक्रम लगाने का आह्वान किया

उपराष्ट्रपति  जगदीप धनखड़ ने जीवंत सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम (एमएसएमई) के माध्यम से देश के भीतरी इलाकों में जड़ें जमा रही उद्यमी संस्कृति का पूरी तरह से लाभ उठाने का व्यापार और उद्योग निकायों से आह्वान किया है। उन्होंने इन नए उद्यमियों को सहारा देने और उन्हें अपनी क्षमता को विकसित करने में सहायता प्रदान करने का भी आह्वान किया है।

आज नई दिल्ली में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के 117वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने उन्‍नतिशील भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र की सराहना करते हुए कहा कि 75,000 से अधिक की संख्या के साथ भारतीय व्यापार परिदृश्य में अब कई गेम चेंजर स्टार्टअप हैं।

गौरतलब है कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था में एक युगांतरकारी परिवर्तन का साक्षी बन रहा है। श्री धनखड़ ने पर्याप्त कौशल उन्नयन द्वारा भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश का पूरी तरह से उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जब हम सभी की पूरी क्षमता और प्रतिभा को सामने लाने में मदद करते हैं तो यह सामाजिक हितों की सबसे बेहतर सेवा होती है।

सत्र के विषय “इंडिया@75: सेलिब्रेटिंग इंडियाज परसूट फॉर सेल्फ रिलायंस”  का उल्लेख करते हुए  श्री धनखड़ ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत एक तरह से हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक सदी पहले स्वदेशी आंदोलन का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए भारत की खोज आत्म-केंद्रित होने की नहीं है, अपितु यह विश्व समावेशी है और कोविड महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों को चिकित्सा आपूर्ति इसका मात्र एक उदाहरण है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह सरकार के साथ-साथ उद्योगों का भी दायित्व है कि वह मानव संसाधनों विशेष रूप से युवा जनसांख्यिकी का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि ‘न्यू इंडिया’ का मंत्र “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास” केवल सरकार तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके लिए व्यापक प्रयासों का आह्वान किया गया है।

हाल ही में विश्‍व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत इस दशक के अंत तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह भारतीय उद्योग, हमारे मेहनती किसानों, हमारे श्रमजीवी श्रमिकों, कारीगरों और हमारे प्रर्वतक वैज्ञानिक के लिए एक गौरव का विषय है।

इस अवसर पर पीएचडीसीसीआई के अध्‍यक्ष श्री प्रदीप मुल्तानी,  पीएचडीसीसीआई के वरिष्‍ठ उपाध्‍यक्ष श्री साकेत डालमिया, पीएचडीसीसीआई के उपाध्यक्ष श्री संजीव अग्रवाल, पीएचडीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष श्री संजय अग्रवाल और विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधि और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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मजबूत कदम जरूरी

काफी समय बाद कांग्रेस खेमे में फिर से काफी हलचल दिखाई दे रही है कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर और घटनाक्रम बहुत तेजी से बदल रहे हैं। हालांकि राहुल गांधी की “भारत छोड़ो यात्रा” ने जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है और एक सकारात्मक नजरिया भी उनके प्रति पनपने लगा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस दल के अंदरूनी कलह का असर उनके मिशन पर पड़ सकता है।

विदित है कि अध्यक्ष पद के लिए गहलोत सूची में सबसे आगे हैं लेकिन आपसी विवाद के चलते फैसला निर्णायक नहीं हो पा रहा है। अध्यक्ष पद की लाइन में कांग्रेस नेतृत्व का विरोध करने वाले शशि थरूर भी आगे हैं। सचिन पायलट का मौन क्या असर दिखाएगा अभी गर्भ में है। शुरू शुरू में गहलोत और शशि थरूर का नाम आगे था लेकिन राजस्थान में मचे राजनीतिक बवाल से कई और नाम भी सामने आ रहे हैं- मल्लिकार्जुन खड़गे, दिग्विजय सिंह, केसी वेणुगोपाल, मुकुल वासनिक है। यह सभी नाम और चेहरे गांधी परिवार के खास माने जाते हैं। यह सभी लोग चुनावी राजनीति से दूर हैं और इनकी अपनी पहचान है।
शायद यह पहली बार है जब कांग्रेस पार्टी को गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष मिलेगा और यही वक्त है जब राजशाही व्यवस्था को दरकिनार कर आपसी कलह को मिटाकर संगठन को मजबूत किया जाए। राहुल गांधी की “भारत छोड़ो यात्रा” कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व के लिए डूबते को तिनके का सहारा है।

~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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40 महीने का बकाया वेतन ना मिलने पर लाल इमली के मजदूरों ने दिया धरना

कानपुर 25 सितंबर संवाद सूत्र सुभाष मिश्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा रखते हुए गोविंद नगर विधायक सुरेंद्र मैथानी के कार्यालय में आज लाल इमली कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह और सूती मिल मजदूर यूनियन के संयोजक राजू ठाकुर के साथ सैकड़ों की तादात में कर्मचारियों में जिनमें महिलाएं भी नारे लगाते हुए पांडव नगर स्थित कार्यालय पहुंची! जहां पर विधायक सुरेंद्र मैथानी ने मजदूरों को भरोसा जताते हुए कहा कि आपके द्वारा दिए गए ज्ञापन को लखनऊ जाकर विशेष रूप से मुख्यमंत्री को हालात से अवगत कराऊंगा उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के द्वारा रोजगार गारंटी योजना और तमाम वही योजनाएं जिनके आप लोग पात्र हैं! उनके फार्म कैंप के माध्यम से भरे जाएंगे! विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कर्मचारियों के पीड़ित परिवार जनों को भरोसा जताते हुए कहा कि आपको 40 माह के वेतन और 4 साल का बोनस समेत ग्रेजुएटी और छुट्टी के नकदीकरण के बकाया भुगतान के लिए सड़क से सदन तक प्रयास करेंगे पीपी एक्ट के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को प्रताड़ित करते हुए उन्होंने नए सर्किल रेट के आधार पर मूल्यांकन करते हुए डैमेज चार्ज लगाकर 211 लोगों को नोटिस दी गई थी जिससे घबराकर मजदूरों के परिवार जन भयभीत हैं प्रकरण को विधायक मैथानी ने गंभीरता से लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ऑनलाइन पंजीयन कराएंगे जो एक कैंप के माध्यम से होगा जिसमें जो पात्र होंगे उन्हें उक्त योजना के तहत आवास दिलाएंगे!ज्ञापन देने वालों में प्रमुख रुप से श्री अजय सिंह,राजू ठाकुर, राशिद अली, ज्ञान सिंह,भानमती, सरिता अवस्थी,मनोज,अरुण तिवारी गुड्डन,विद्यासागर शुक्ला,काशीनाथ यादव शिवेश,संतोष अवध राज जोगिंदर सिंह ‘राणा आदि लोग मौजूद थे!

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आयुष्मान भारत प्रधानमन्त्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयुष्मान भारत दिवस का यू०एच०एम० (उर्सला) सभागार में शुभारम्भ

कानपुर नगर, दिनांक 23 सितम्बर, 2022(सू0वि0)*
सांसद सत्यदेव पचौरी द्वारा आयुष्मान भारत प्रधानमन्त्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत योजना के चार वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयुष्मान भारत दिवस का यू०एच०एम० (उर्सला) सभागार में शुभारम्भ किया गया।
आयुष्मान भारत दिवस के पावन अवसर पर माननीय सांसद श्री सत्यदेव पचौरी द्वारा आयुष्मान लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड वितरित किया गया तथा उत्कृष्ट कार्य करने वाले निजी एवं राजकीय चिकित्सालयों को प्रशस्ति पत्र प्रदान करते हुए उक्त चिकित्सालयों से आयुष्मान लाभार्थियों को गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध कराने हेतु अपेक्षा की गई।
इस अवसर पर मा0 सांसद जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज पूरे देश में आयुष्मान दिवस मनाया जा रहा है। मा0 प्रधानमंत्री जी द्वारा आयुष्मान योजना का शुभारम्भ वर्ष 2018 में गरीब व्यक्तियों का पांच लाख तक का मुफ्त इलाज कराने हेतु किया गया था, पूरे देश में लोग इस योजना का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर वर्ग जो अपना इलाज नहीं करा पा रहे थे वो इस योजना से अपना इलाज करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना के अन्तर्गत लोग सरकारी के साथ-साथ प्राइवेट अस्पतालों में भी इसका लाभ उठा रहे हैं। यह योजना विश्व की सबसे बड़ी योजना है, किसी भी देश में इतनी बड़ी योजना लागू नहीं है इसका श्रेय किसी को जाता है तो वह मा0 प्रधानमंत्री जी को जाता है। मा0 प्रधानमंत्री जी ने इस योजना का शुभारम्भ कर गरीबों को इलाज कराने का अवसर प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि यह समाज के लिये बहुत बड़ी सेवा व सहायता है, जिसकी आज लोगों का आवश्यकता है।
कार्यक्रम में अपर निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण डॉ० जी0के0 मिश्रा, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ० आलोक रंजन, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ० एस0के0 सिंह (नोडल अधिकारी, आयुष्मान भारत). समस्त सूचीबद्ध राजकीय एवं निजी चिकित्सालय एवं चिकित्सालयों में कार्यरत आयुष्मान मित्रों तथा कॉमन सर्विस सेन्टर के प्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया।
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वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, अगस्त, 22 के अंत तक अब तक 216 मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग (समपारों) को हटाया गया

भारतीय रेलवे में समपारों को हटाए का कार्य मिशन मोड में किया जा रहा है। अब तक, भारतीय रेलवे ब्रॉड गेज नेटवर्क पर सभी मानव रहित समपारों को हटा दिया गया है। मानव रहित समपारों को हटाने की गति 2009-14 के दौरान प्रति वर्ष 1137 से बढ़कर 2014-19 के दौरान अब औसतन 1884 प्रति वर्ष हो गई है।वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, 1000 के लक्ष्य के मुकाबले अगस्त-22 के अंत तक अब तक 216 मानवयुक्त समपारों को हटा दिया गया है, जो कि इसी अवधि में वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान हासिल प्रगति की तुलना में 10 प्रतिशत अधिक है। वर्ष 2009-14 की अवधि के दौरान 199 मानवयुक्त समपारों को बंद कर दिया गया जिनकी संख्‍या 2014-22 के दौरान प्रति वर्ष 676 हो गई।

मानवयुक्त समपारों को समाप्त करने के कार्य में तेजी लाने के उद्देश्य से पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों का निर्माण और रेलवे के संचालन (विशेषकर स्वर्णिम चतुर्भुज/डायगनल मार्गों और पहचाने गए मार्गों पर 160 किलोमीटर प्रति घंटे) में सुधार के लिए प्राथमिकताएं तय करके उन्मूलन कार्यों के 100 प्रतिशत निधियन के लिए नीति में परिवर्तन जैसे उपाय किए गए हैं। हालांकि आरओबी/आरयूबी के निर्माण की लागत रेलवे और संबंधित राज्य सरकार द्वारा समान रूप से साझा की जा रही थी, हाल ही में वित्त पोषण प्रतिमान में बदलाव ने किसी भी पक्ष को अपनी आवश्यकता के आधार पर निर्माण की पूरी लागत वहन करने की अनुमति दे दी है। प्रगति में तेजी लाने के लिए राशि का आबंटन पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के 4500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6500 करोड़ रुपये (44% की वृद्धि) कर दिया गया है।

पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों का निर्माण (आरओबी/आरयूबी):

समपारों को हटाने के तहत समपारों के स्थान पर पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। 2014-22 की अवधि के दौरान पुलों के ऊपर/नीचे सड़कों के निर्माण की प्रगति 1225 संख्या प्रति वर्ष है जो कि 2009-14 के दौरान 763 की तुलना में 61 प्रतिशत अधिक है। वर्तमान वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, अगस्‍त 2022 तक 250 सड़कों का पुल के ऊपर/नीचे निर्माण किया गया है जो इसी अवधि के लिए वित्‍त वर्ष 2021-22 की तुलना में 5 प्रतिशत अधिक है।

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असम में 14 लोकसभा क्षेत्रों के 33 जिलों के कुल 306 बच्चों को स्वस्थ बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है

असम के मुख्यमंत्री और महिला एवं बाल विकास मंत्री ने 5वें राष्ट्रीय पोषण माह के उद्घाटन समारोह में 1 सितंबर, 2022 को 10 बच्चों को राज्य स्तर पर स्वस्थ बाल पुरस्कार प्रदान किये।

पूरे भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में कुपोषण एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। एक स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण की पहल को ध्यान में रखते हुए, असम ने “कुपोषण मुक्त असम” के लक्ष्य को साझा किया। आंगनबाडी केन्द्रों के 20 स्वस्थ बच्चों को लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के स्तर पर “स्वस्थ बालक” पुरस्कार के रूप में सम्मानित किया जाना था। 6 माह से 3 वर्ष तथा 3 से 5 वर्ष आयु वर्ग के स्वस्थ बच्चों की पहचान करने के क्रम में पोषण पखवाड़ा-2022 के तहत 21 मार्च से 27 मार्च के दौरान वजन और ऊंचाई की माप के लिए पूरे राज्य में बच्चों के विकास की निगरानी की गई और बच्चों के विकास की माप के लिए जागरूकता पैदा करने के साथ अभियान चलाया गया। पोषण पखवाड़ा के दौरान संबंधित जिले से सभी आईसीडीएस परियोजना को कवर करने वाले प्रत्येक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से बीस स्वस्थ बच्चों की पहचान की गई। यह असम के मुख्यमंत्री द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य सामाजिक जागरूकता में वृद्धि करने के माध्यम से पोषण में सुधार करना है।

स्वस्थ बाल पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य है:

1) 6 माह से 3 वर्ष तथा 3 से 5 वर्ष आयु वर्ग के स्वस्थ बच्चों की पहचान करना तथा बच्चों के विकास की माप के लिए जागरूकता पैदा करना और अभियान चलाना।

2) माता-पिता के बीच अपने बच्चे के स्वास्थ्य और भलाई के लिए रचनात्मक प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देना, स्वस्थ बच्चों के माता-पिता को प्रोत्साहित करना।

3) बच्चों के स्वास्थ्य के बारे में समुदाय को संवेदनशील बनाना और आहार विविधता एवं उम्र के अनुकूल भोजन का महत्व जैसी सामाजिक जागरूकता के माध्यम से शिशुओं / बच्चों के पोषण में सुधार करना।

4) राज्य में स्वास्थ्य और पोषण कल्याण के लिए सामुदायिक भागीदारी को संगठित करना।

स्वस्थ बच्चे की पहचान करने की विधि

आंगनबाडी कार्यकर्ता (एडब्ल्यूडब्ल्यू)/सहायिका (एडब्ल्यूएच) द्वारा तौल पैमाना और स्टेडियोमीटर या शिशुमापी की सहायता से लक्षित समूह में बच्चों का वजन और ऊंचाई/लंबाई मापना।

बच्चों का वजन मापने के बाद डब्ल्यूएचओ की विकास सारणी में सही तरीके से अंकित करके स्वस्थ बच्चों की पहचान करना।

संबंधित पर्यवेक्षकों/ब्लॉक पोषण टीम ने पूरी प्रक्रिया में एडब्ल्यूडब्ल्यू/ एडब्ल्यूएच का मार्गदर्शन किया।

पहचान किये गए स्वस्थ बच्चों के विवरण को निर्धारित प्रारूप में सूचीबद्ध किया गया।

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केन्‍द्रीय खेल और युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग ठाकुरअमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे

केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर के वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह में 20 सितम्‍बर को विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे।

केन्‍द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर 20 सितंबर, 2022 को 52वें वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्‍तर पर, खेलो इंडिया और अखिल भारतीय अंतर विश्‍वविद्यालय स्‍तरों पर विभिन्न खेल विधाओं में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर को ख्याति दिलाने वाले खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे। उत्‍कृष्‍ट प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को नकद पुरस्कार और विश्वविद्यालय स्तर पर समग्र रूप से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कॉलेजों को ट्राफियां प्रदान की जाएंगी।

इस अवसर पर श्री अनुराग ठाकुर मुख्य अतिथि होंगे और पंजाब के खेल और युवा सेवा विभाग के कैबिनेट मंत्री श्री गुरमीत सिंह मीत हेयर अध्यक्षीय भाषण देंगे। इसके अलावा, कुलपति प्रो. जसपाल सिंह संधू इस अवसर पर खिलाड़ियों और मेहमानों को संबोधित करेंगे।

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने खेल के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है और भारत की प्रतिष्ठित मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी 23 बार जीती है। इसने 35 अर्जुन पुरस्कार विजेता, 6 पद्म श्री पुरस्कार विजेता और 2 द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता दिए हैं। प्रत्‍येक वर्ष शारीरिक शिक्षा विभाग (संबद्ध शिक्षण) 90 से अधिक गुरु नानक देव विश्वविद्यालय इंटर-कॉलेज (पुरुष और महिला) चैंपियनशिप आयोजित करता है और विश्वविद्यालय की 70 से अधिक टीमों (पुरुषों और महिलाओं) को अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए भेजता है। भारतीय खेल प्राधिकरण ने खेल विषयों हॉकी और हैंडबॉल में खेलो इंडिया केन्‍द्रों की तथा तलवारबाजी (फेन्सिंग) और तीरंदाजी में खेलो इंडिया अकादमियों की स्थापना की है।

विश्वविद्यालय हर साल वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित करता है, जिसमें लगभग 250 खिलाड़ियों (अंतर्राष्ट्रीय/खेलो इंडिया/अंतर-विश्वविद्यालय स्तरों) को लगभग 2.00 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई केंद्र प्रायोजित योजना को मंजूरी दी- पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया)

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज एक नई केंद्र प्रायोजित योजना- पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) को मंजूरी दी। केंद्र सरकार/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित कुछ चयनित मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके देश भर के 14500 से अधिक स्कूलों को पीएम श्री स्कूलों के रूप में विकसित करने के लिए यह एक नई योजना होगी। पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी घटकों का प्रदर्शन करेंगे, अनुकरणीय स्कूलों के रूप में कार्य करेंगे और अपने आसपास के अन्य स्कूलों को सहायता व मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे। पीएम श्री स्कूल छात्रों के संज्ञानात्मक विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान करेंगे और 21 वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल से युक्त समग्र और पूर्ण-विकसित व्यक्तियों का निर्माण और उनका पोषण करने का प्रयास करेंगे।

पीएम श्री स्कूलों की योजना (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया–उभरते भारत के लिए पीएम स्कूल) को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसकी कुल परियोजना लागत 27360 करोड़ रुपये है। कुल परियोजना लागत में वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए 18128 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल है।

प्रमुख विशेषताएं:    

• पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन को प्रदर्शित करेंगे, समय के साथ अनुकरणीय स्कूलों के रूप में उभरेंगे और निकटवर्ती स्कूलों को मार्गदर्शन व नेतृत्व प्रदान करेंगे। वे अपने-अपने क्षेत्रों में एक समान, समावेशी और आनंदमय स्कूल वातावरण में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में नेतृत्व प्रदान करेंगे, जो विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी जरूरतों और बच्चों की विभिन्न शैक्षणिक क्षमताओं का ध्यान रखती है और एनईपी 2020 के विज़न के अनुरूप उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार बनाती है।

• पीएम श्री स्कूल मार्गदर्शन प्रदान करके अपने संबंधित क्षेत्रों के अन्य स्कूलों को नेतृत्व प्रदान करेंगे।

• सौर पैनल और एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती के साथ पोषण उद्यान, अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण और जल संचयन, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं/ प्रथाओं का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित हैकथॉन और जैविक जीवन शैली को अपनाने के लिए जागरूकता जैसे पर्यावरण-अनुकूल पहलुओं को शामिल करने वाले ग्रीन स्कूलों के रूप में पीएम श्री स्कूलों को विकसित किया जाएगा।

• इन स्कूलों में अपनाया गया शिक्षाशास्त्र अधिक अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, खेल/खिलौना आधारित (विशेषकर, प्राथमिक वर्षों में) उत्सुकता आधारित, खोज-उन्मुख, शिक्षार्थी-केंद्रित, चर्चा-आधारित, लचीला और मनोरंजक होगा।

• प्रत्येक कक्षा में प्रत्येक बच्चे के सीखने के परिणामों पर ध्यान दिया जाएगा। सभी स्तरों पर मूल्यांकन वैचारिक समझ, वास्तविक जीवन स्थितियों में ज्ञान के अनुप्रयोग और योग्यता पर आधारित होगा।

• प्रत्येक क्षेत्र (डोमेन) के लिए उपलब्धता, पर्याप्तता, उपयुक्तता और उपयोग के संदर्भ में उपलब्ध संसाधनों और उनकी प्रभावशीलता एवं उनके प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों का आकलन किया जाएगा और कमियों को व्यवस्थित व योजनाबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।

• रोजगार क्षमता बढ़ाने और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योग के साथ संपर्क।

• परिणामों को मापने के लिए प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को निर्दिष्ट करते हुए एक स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन फ्रेमवर्क (एसक्यूएएफ) भी विकसित किया गया है। अपेक्षित मानकों को सुनिश्चित करने के लिए नियमित अंतराल पर इन स्कूलों का गुणवत्ता मूल्यांकन किया जाएगा।

पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना की प्रमुख विशेषताएं हैं:

ए. गुणवत्ता और नवाचार (शिक्षा-प्राप्ति को बेहतर बनाने की योजना, समग्र प्रगति कार्ड, अभिनव शिक्षाशास्त्र, इनोवेटिव अध्यापन, बिना स्कूल बैग वाले दिन, स्थानीय कारीगरों के साथ इंटर्नशिप, क्षमता निर्माण आदि)

बी. आरटीई अधिनियम के तहत लाभार्थी उन्मुख पात्रता वाले शत-प्रतिशत पीएम श्री स्कूलों को विज्ञान और गणित के किट मिलेंगे।

सी. वार्षिक स्कूल अनुदान (समग्र स्कूल अनुदान, पुस्तकालय अनुदान, खेल अनुदान)।

डी. बालवाटिका और मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता सहित प्रारंभिक बचपन की देखभाल व शिक्षा।

ई. लड़कियों और सीडब्ल्यूएसएन के लिए सुरक्षित एवं उपयुक्त बुनियादी ढांचे के प्रावधान सहित समानता और समावेश।

एफ. छात्रों के लिए प्रस्तावित विषयों के चुनाव में लचीले रुख को प्रोत्साहित करना।

जी. शिक्षकों और छात्रों के बीच भाषा की बाधाओं को पाटने में मदद करने के लिए तकनीकी उपायों का उपयोग करते हुए मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रोत्साहित करना।

एच.  डिजिटल शिक्षाशास्त्र का उपयोग करने के लिए आईसीटी, स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल लाइब्रेरी। पीएम श्री स्कूलों को शत-प्रतिशत आईसीटी, स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल पहल के तहत कवर किया जाएगा।

ए. मौजूदा अवसंरचना को मजबूत करना

जे. व्यावसायिक प्रयासों और विशेष रूप से स्थानीय उद्योग के साथ इंटर्नशिप/उद्यमिता के अवसरों को बढ़ाना। विकास परियोजनाओं/आस-पास के उद्योग के साथ कौशल का मानचित्रण और तदनुसार पाठ्यक्रम/पाठ्यचर्या विकसित करना।

के. इन विद्यालयों को सभी आधुनिक सुविधाओं के साथ विकसित करने के लिए परिपूर्णता आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा। सभी स्कूलों को विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय, आईसीटी सुविधा और वोकेशनल लैब आदि उपलब्ध कराए जाएंगे।

ग्रीन स्कूल पहल

इसके अलावा, इस योजना में स्कूल की अवसंरचना के उन्नयन और सुविधाओं के निर्माण के लिए मौजूदा योजनाओं/पंचायती राज संस्थाओं/शहरी स्थानीय निकायों और सामुदायिक भागीदारी के साथ समन्वय की परिकल्पना की गई है।

कार्यान्वयन की रणनीति

(a.) पीएम श्री स्कूलों को समग्र शिक्षा, केवीएस और एनवीएस के लिए उपलब्ध मौजूदा प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से लागू किया जाएगा। अन्य स्वायत्त निकायों को आवश्यकतानुसार विशिष्ट परियोजना के आधार पर शामिल किया जाएगा।

(b.) इन स्कूलों की प्रगति का आकलन करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए इनकी सख्ती से निगरानी की जाएगी।

चयन की प्रक्रिया:

पीएम श्री स्कूलों का चयन चैलेंज मोड के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें विभिन्न स्कूल अनुकरणीय स्कूल बनने हेतु सहायता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। स्कूलों को ऑनलाइन पोर्टल पर स्वयं आवेदन करना होगा। इस योजना के पहले दो वर्षों के दौरान, इस पोर्टल को वर्ष में चार बार, यानी प्रत्येक तिमाही में एक बार खोला जाएगा।

ऐसे प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5/ 1-8) और माध्यमिक/उच्च माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 1-10/1-12/6-10/6-12) जिनका प्रबंधन केंद्र/राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों/ यूडीआईएसई+ कोड वाली स्थानीय स्व-शासन द्वारा किया जाता है उनके चयन के लिए इस योजना के अंतर्गत विचार किया जाएगा। ये चयन निश्चित समय सीमा के अंदर तीन चरणों वाली प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा, जो कि इस प्रकार है: –

चरण-1: राज्य/केंद्र शासित प्रदेश समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे जिसमें वे एनईपी को संपूर्ण रूप से लागू करने पर सहमति व्यक्त करेंगे और केंद्र इन स्कूलों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्धताओं को तय करेगा ताकि पीएम श्री स्कूलों के रूप में निर्दिष्ट गुणवत्ता का आश्वासन प्राप्त किया जा सके।

चरण-2: इस चरण में यूडीआईएसई+ डेटा के माध्यम से निर्धारित न्यूनतम बेंचमार्क के आधार पर उन स्कूलों के पूल की पहचान की जाएगाी जो पीएम श्री स्कूलों के रूप में चुने जाने के योग्य हैं।

चरण-3: ये चरण कुछ मानदंडों को पूरा करने के लिए चुनौती पद्धति पर आधारित है। इसमें स्कूलों के उपरोक्त पात्र पूल में से ही विद्यालय, चुनौती की शर्तों को पूरा करने के लिए मुकाबला करेंगे। इन शर्तों की पूर्ति को राज्यों/केवीएस/जेएनवी द्वारा भौतिक निरीक्षण के जरिए प्रमाणित किया जाएगा।

स्कूलों के दावों का सत्यापन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश/केवीएस/जेएनवी करेंगे और स्कूलों की सूची मंत्रालय को सुझाएंगे।

पूरे भारत में कुल स्कूलों की संख्या की ऊपरी सीमा के साथ प्रति ब्लॉक/यूएलबी अधिकतम दो स्कूलों (एक प्राथमिक और एक माध्यमिक/उच्च माध्यमिक) का चयन किया जाएगा। पीएम श्री स्कूलों के चयन और निगरानी के लिए स्कूलों की जियो-टैगिंग की जाएगी। जियो-टैगिंग और अन्य संबंधित कार्यों के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) की सेवाएं ली जाएंगी। स्कूलों के अंतिम चयन के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा।

पीएम श्री स्कूल का गुणवत्ता आश्वासन

  1. एनईपी 2020 का प्रदर्शन।
  2. नामांकन और सीखने की प्रक्रिया में प्रगति पर निगरानी के लिए स्टूडेंट रजिस्ट्री।
  3. प्रत्येक बच्चे के सीखने के स्तर में सुधार करके राज्य और राष्ट्रीय औसत से ऊपर के स्तर को प्राप्त करना।
  4. मध्यम श्रेणी के प्रत्येक छात्र, अत्याधुनिक और 21वीं सदी के कौशल से अवगत/उन्मुख।
  5.  माध्यमिक कक्षा का प्रत्येक छात्र कम से कम एक कौशल के साथ उत्तीर्ण होता है।
  6. हर बच्चे के लिए खेल, कला, आईसीटी।
  7. सतत और हरित स्कूल।
  8. सहायता व मार्गदर्शन के लिए प्रत्येक विद्यालय उच्च शिक्षा संस्थानों से जुड़ा/जुड़ा हुआ है।
  9. प्रत्येक विद्यालय स्थानीय उद्यमशील इकोसिस्टम से जुड़ा/जुड़ा हुआ है।
  10. प्रत्येक बच्चे को मनोवैज्ञानिक कल्याण और करियर के लिए परामर्श दिया जाता है।
  11. छात्र भारत के ज्ञान और विरासत से जुड़े होंगे; सभ्यता के लोकाचार और भारत के मूल्यों पर गर्व करेंगे; दुनिया में भारत के योगदान के बारे में जागरूक होंगे; समाज, जीवों और प्रकृति के प्रति कर्तव्यों के लिए सजग रहेंगे; कुछ भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम होंगे; समावेशिता, समानता और अनेकता में एकता का सम्मान करेंगे; दूसरों की सेवा करने की प्रेरणा होगी और ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने की इच्छा रखेंगे।
  12.  चरित्र निर्माण, नागरिकता मूल्य, राष्ट्र निर्माण के प्रति मौलिक कर्तव्य और उत्तरदायित्व।

इन स्कूलों को बच्चों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीवंत स्कूलों के रूप में विकसित किया जाएगा।

लाभार्थी:

इस योजना से 18 लाख से अधिक छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है। इसके अलावा पीएम श्री स्कूलों के आसपास के स्कूलों पर भी मार्गदर्शन और सहयोग के माध्यम से प्रभाव पड़ेगा।

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