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राजनीति

एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में छोटे व मझोले वर्ग के समाचारपत्रों की समस्याओं पर हुई चर्चा।

भारतीय स्वरूप संवाददाता, जयपुर। एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक व अखिल भारतीय सम्मेलन का आयोजन राजस्थान इकाई के तत्वावधान में होटल वेस्टा मौर्या में किया गया। इस अवसर पर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर शिकंजा कसने के लिए केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकारों ने जो कदम उठाए हैं वो छोटे व मझोले समाचार पत्रों पर अप्रत्यक्ष रूप से आघात है । चंदोला ने साफ तौर पर कहा कि जिस सरकार ने जब भी छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध काम किया है। वो सफल नहीं हुआ है, बल्कि उन्होंने बुरा अंजाम भुगता है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने इसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरा बताया। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि छोटे व मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध बनाई गईं गलत नीतियों को तुरंत खत्म किया जाए। उ0प्र0 राज्य के अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति में कई ऐसे मानक बनाये गए हैं। जिनसे साफ तौर पर जाहिर होता है कि वो छोटे और मझोले समाचार पत्रों के विरुद्ध एक साजिश है जिसे खत्म किया जाए। पंवार ने कहा कि डी ए वी पी की नई नीति से मार्किग सिस्टम को हटाया जाए व रीडर शिप प्रोफाइल के फार्म को हटाया जाए। यह भी मांग की कि विज्ञापन के निर्धारित कोटे के मुताबिक विज्ञापन जारी किए जाएं। एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा ने केंद्र सरकार से अखबारी कागज न्यूज प्रिंट से जी एस टी हटाने की मांग रखी।
वहीं राजस्थान इकाई के अध्यक्ष डॉ अनंत शर्मा ने कहा कि कोविड के कारण छोटे व मझोले समाचार पत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। अतः छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के उत्थान के लिए आर्थिक पैकेज जारी किया जाए।
कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य अशोक चतुर्वेदी ने कहा कि कहा कि केंद्र सरकार को बेमतलब के नियमों को छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों पर ना थोपा जाए। अनिल यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों का गला घोंटने का काम किया है। जबकि छोटे अखबार ही सच्ची व जमीनी खबरों को सबके सामने लाते हैं।इस मौके पर राजस्थान इकाई के द्वारा एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए। और भव्य स्वागत किया गया। साथ ही छोटे व मझोले वर्ग के समाचार पत्रों के मालिकों की समस्याओं को हल कराने के लिए हेल्पलाइन नम्बर की घोषणा की गई। वहीं बृजेन्द्र प्रकाश हलचल ने उपसमितियां बनाने की बात रखी।इस मौके पर मध्यप्रदेश से राजेन्द्र प्रसाद बिंजवे, गुजरात से शंकर कतीरा, मयूर बोरीचा, असम से किरी रॉन्ग हेंग, राजस्थान से डॉक्टर अनंत शर्मा, अमृता मौर्य, अशोक चतुर्वेदी, अनिल यादवए ब्रजेन्द्र प्रकाश हलचल, उप्र से इकाई अध्यक्ष श्याम सिंह पंवार, डी के मैथानी, शलभ जायसवाल, अरविंद्र यादव, भगवती चंदोला, के. सी. चंदोला, राजस्थान से गोपाल गुप्ता, अशोक सिंघल सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ईमानदार , लेकिन अधिकारी भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे -शिवपाल

उत्तर प्रदेश के इटावा में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की तारीफ की वहीं उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं। लेकिन जो अधिकारी वह भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे हैं। वहीं उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा है कि देश में दिन व दिन महंगाई बढ़ती जा रही है। वहीं उन्होंने बताया कि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में बिजली का बिल काफी कम है ।और उत्तर प्रदेश में बिजली की कीमत काफी अधिक है। वही देश में बढ़ रहे पेट्रोल डीजल के दामों पर सरकार पर निशाना साधा और सरकार से कहा कि सरकार को पेट्रोल डीजल के दामों को वापस लेना चाहिए । वहीं उन्होंने आगामी पंचायती चुनाव को लेकर जानकारी देते हुए बताया है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी सभी पंचायती चुनाव मैं अपने उम्मीदवारों को उतारेगी ।वहीं भाजपा के द्वारा 4 साल विकास के नाम पर उन्होंने बताया कि पिछली सरकार के द्वारा जो विकास कार्य किए गए उन विकास कार्य को भाजपा सरकार अपना बता रही।

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गृह मंत्रालय ने देश में महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए कई कदम उठाए

देश में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए गृह मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं, जिनके लिए निर्भया कोष से वित्तपोषण किया गया है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने यौन हमलों के मामलों में समय से जांच पूरी करने सहित महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के प्रति राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को संवेदनशील बनाने के लिए एक अलग महिला सुरक्षा इकाई की स्थापना भी की है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने बीते 7 साल के दौरान महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा की दिशा में कई कदम उठाए हैं। यौन हमलों के घृणित मामलों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए भारत सरकार ने आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम, 2018 के माध्यम से बलात्कार की सजा को ज्यादा कठोर कर दिया है। कानून में संशोधन को प्रभावी रूप से जमीनी स्तर पर लागू किया जाना सुनिश्चित करने के लिए एमएचए द्वारा कई कदम उठाए गए हैं और उनकी प्रगति की लगातार निगरानी की जा रही है। इनमें यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली (आईटीएसएसओ), यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ), सीआरआई-एमएसी (क्राइम मल्टी-एजेंसी केन्द्र) और नई नागरिक सेवाएं शामिल हैं। आईटी से जुड़ी इन पहलों से समयबद्ध और प्रभावी जांच में सहायता मिलती है।गृह मंत्री श्री अमित शाह ने सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों से इन ऑनलाइन टूल्स के प्रभावी उपयोग के लिए बलपूर्वक सिफारिश की है।

 

आईटीएसएसओ और एनडीएसओ

यौन अपराधों के लिए जांच निगरानी प्रणाली (आईटीएसएसओ) एक ऑनलाइन विश्लेषणात्मक साधन है, जिसे यौन हमलों के मामलों  में पुलिस जांच की निगरानी और समयबद्ध तरीके से पूरा किए जाने (आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018 के तहत वर्तमान में यह दो महीने है) के लिए लॉन्च किया गया है। वहीं, यौन अपराधियों के राष्ट्रीय डाटाबेस (एनडीएसओ) को बार-बार अपराध करने वालों की पहचान करने और साथ ही जांच में यौन अपराधियों पर अलर्ट हासिल करने के लिए पेश किया गया है।

 

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आपराधिक मामलों का समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से राज्यों को सहूलियत देने के कदम के रूप में एक स्थगन चेतावनी मॉड्यूल भी विकसित किया गया है। इसके तहत, जब भी एक सरकारी वकील किसी आपराधिक मामले में दो बार से ज्यादा स्थगन की मांग करता है, तो इस प्रणाली में अपरिहार्य देरी से बचने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को अलर्ट भेजने का एक प्रावधान है।

 

सीआरआईएमएसी

क्राइम मल्टी एजेंसी केन्द्र (सीआरआई-एमएसी) को राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों के पुलिस थानों और मुख्य कार्यालयों को घृणित अपराधों और अंतर राज्यीय अपराध के मामलों में सामंजस्य से संबंधित अन्य मुद्दों से जुड़ी जानकारी साझा करने के लिए 12 मार्च, 2020 को पेश किया गया है। इसे राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों को ईमेल/एसएमएस के माध्यम से अपराध और अंतर राज्यीय अपराधों के अलर्ट या संबंधित जानकारियां भेजने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

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नई नागरिक सेवाएं

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों के लिए अपने पोर्टल digitalpolicecitizenservice.gov.in पर नई नागरिक सेवाएं लॉन्च की हैं। इन सेवाओं में ‘गुमशुदा लोगों की खोज’ जैसे कार्य शामिल हैं, जिससे नागरिकों को खोजे गए अज्ञात लोगों/ अज्ञात मृतकों के राष्ट्रीय डाटाबेस से अपने लापता परिजनों को खोजने में मदद मिलती है।इसके अलावा ‘घोषित अपराधियों’ से जुड़ी एक अन्य सेवा है, जिससे नागरिकों को घोषित अपराधियों से जुड़ी ऑनलाइन जानकारी हासिल करने में मदद मिलती है।

 

 

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निर्भया कोष परियोजनाओं में तेजी

महिलाओं की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एमएचए द्वारा निर्भया कोष से वित्तपोषित परियोजनाओं को तेजी से लागू किया जा रहा है। ‘आपात प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली (ईआरएसएस)’ ऐसी पहलों का एक उदाहरण है। यह अखिल भारतीय, एकल, कई आपात स्थितियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त नंबर 112 है। ईआरएसएस वर्तमान में मार्च, 2022 तक देश के 34 राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों में परिचालित है। इसे आधिकारिक रूप से 16 फरवरी, 2019 को पेश किया गया था। तब से ईआरएसएस अखिल भारतीय स्तर पर 15.66 मिनट के प्रतिक्रिया समय के साथ 11.48 करोड़ कॉल्स का प्रबंधन (31 जनवरी, 2021 तक) कर चुका है। 112 इंडिया मोबाइल एप्लीकेशन के फरवरी, 2019 तक 9.98 लाख डाउनलोड हो चुके हैं, जिस पर 5.75 लाख यूजर पंजीकृत हैं जिनमें 2.65 लाख महिलाएं हैं।

 

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महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों की रोकथाम

एमएचए का महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम पर मुख्य जोर है। वर्तमान में, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मिजोरम, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सहित 14 राज्यों ने साइबर फॉरेंसिक ट्रेनिंग लैबोरेटरी की स्थापना कर ली है। 13295 पुलिस कर्मचारियों, अधिवक्ताओं और न्यायिक अधिकारियों को महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों की पहचान, पता लगाने और समाधान में प्रशिक्षण दिया गया है। गृह मंत्रालय ने एक पोर्टल www.cybercrime.gov.in भी लॉन्च किया है, जिस पर नागरिक अश्लील कंटेंट की सूचना दे सकते हैं और उसे 72 घंटों के भीतर ब्लॉक कराया जा सकता है। एमएचए द्वारा सुधार के साथ इस पोर्टल को 30 अगस्त, 2019 को लॉन्च किया गया है।

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प्रधानमंत्री ने ‘’आजादी का अमृत महोत्सव’’ मनाने के लिए राष्ट्रीय समिति को संबोधित किया

स्वतंत्रता के 75 वर्ष का समारोह, आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय समिति की आज पहली बैठक आयोजित हुई। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पैनल को संबोधित किया। राज्यपालों, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, राजनेताओं, वैज्ञानिकों, अधिकारियों, मीडिया शख्सियतों, आध्यात्मिक नेताओं, कलाकारों तथा फिल्म से जुड़े व्यक्तियों, खिलाड़ियों तथा जीवन के अन्य क्षेत्रों के विख्यात व्यक्तियों सहित राष्ट्रीय समिति के विभिन्न सदस्यों ने बैठक में भाग लिया।

राष्ट्रीय समिति के जिन सदस्यों ने बैठक में इनपुट तथा सुझाव दिये, उनमें पूर्व राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, पूर्व प्रधानमंत्री श्री एच डी देवेगौड़ा, श्री नवीन पटनायक, श्री मल्लिकार्जुन खड़गे, श्रीमती मीरा कुमार, श्रीमती सुमित्रा महाजन, श्री जे.पी. नड्डा, मौलाना वहीदुद्दीन खान शामिल थे। समिति के सदस्यों ने प्रधानमंत्री को “आजादी का अमृत महोत्सव” की योजना बनाने तथा इसके आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने महोत्सव के दायरे के और विस्तारित करने के लिए अपने सुझाव तथा इनपुट दिए। केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भविष्य में ऐसी और अधिक बैठकें होंगी तथा आज प्राप्त हुए सुझावों एवं इनपुटों पर विचार किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश धूमधाम और उत्साह के साथ आजादी के 75 वर्ष का समारोह मनाएगा, जो ऐतिहासिक प्रकृति, गौरव और इस अवसर के महत्व के अनुकूल होगा। उन्होंने समिति के सदस्यों से प्राप्त होने वाले नए विचारों तथा विविध सोचों की सराहना की। उन्होंने आजादी के 75 वर्ष के महोत्सव को भारत के लोगों को समर्पित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष का समारोह एक ऐसा समारोह होना चाहिए, जिसमें स्वतंत्रता संग्राम की भावना, शहीदों को श्रद्धांजलि तथा भारत के निर्माण के उनके संकल्प का अनुभव किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस समारोह को सनातन भारत के गौरव की झलकियों तथा आधुनिक भारत की चमक को भी साकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समारोह को संतों की आध्यात्मिकता की रोशनी तथा हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और ताकत को भी परिलक्षित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम विश्व के सामने इन 75 वर्षों की उपलब्धियों को भी प्रदर्शित करेगा तथा अगले 25 वर्षों के लिए हमारे लिए संकल्प करने की एक रूपरेखा भी प्रदान करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी संकल्प बिना समारोह के सफल नहीं है। उन्होंने कहा कि जब कोई संकल्प समारोह का रूप ले लेता है तो लाखों लोगों की प्रतिज्ञा और ऊर्जा उसमें जुड़ जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 75 वर्षों का समारोह 130 करोड़ भारतीयों की भागीदारी के साथ किया जाना है तथा लोगों की यह भागीदारी इस समारोह के मूल में है। इस समारोह में 130 करोड़ देशवासियों की अनुभूतियां, सुझाव तथा सपने शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने जानकारी दी कि 75 वर्षों के समारोह के लिए पांच स्तंभों का निर्णय किया गया है। ये हैं- स्वतंत्रता संग्राम, 75 पर विचार, 75 पर उपलब्धियां, 75 पर कदम तथा 75 पर संकल्प। इन सभी को 130 करोड़ भारतीयों के विचारों तथा भावनाओं में शामिल किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कम ज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने तथा लोगों को उनकी कहानियों के बारे में भी बताने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश का हर कोना देश के बेटों और बेटियों की शहादत से भरा हुआ है और उनकी कहानियां देश के लिए प्रेरणा का शाश्वत स्रोत होंगी। उन्होंने कहा कि हमें प्रत्येक वर्ग के योगदान को सामने लाना है। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो पीढ़ियों से देश के लिए बहुत महान कार्य कर रहे हैं, उनके योगदान, विचार तथा सोच को राष्ट्रीय प्रयासों के साथ समेकित किये जाने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह ऐतिहासिक समारोह स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरे करने, ऐसी ऊंचाई पर भारत को पहुंचाने, जिसकी उन्होंने कल्पना की थी, को लेकर है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश ऐसी चीजें अर्जित कर रहा है, जिसके बारे में कुछ वर्ष पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि यह समारोह भारत के ऐतिहासिक गौरव के अनुरूप होगा।

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प्रधानमंत्री ने विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन 2021 का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया। शिखर सम्मेलन की थीम ‘अपने साझा भविष्य को पुनर्परिभाषित करना: सभी के लिए संरक्षित और सुरक्षित वातावरण’ है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस गति को बनाए रखने के लिए टीईआरआई को बधाई दी और कहा कि ऐसे वैश्विक मंच हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि दो चीजें परिभाषित करेंगी कि आने वाले वक्त में मानवता की विकास यात्रा कैसे सामने आएगी। पहला अपने लोगों का स्वास्थ्य है। दूसरा हमारी पृथ्वी का स्वास्थ्य है, दोनों आपस में जुड़े हुए हैं।

उन्होंने कहा कि हम सब यहां पृथ्वी के स्वास्थ्य के बारे में बात करने के लिए एकत्रित हुए हैं। हम जिस चुनौती के स्तर का सामना करते हैं, वे व्यापक रूप से चर्चित हैं। लेकिन, हम पारंपरिक दृष्टिकोण से अपने सामने आने वाली समस्याएं नहीं सुलझा सकते हैं। आधुनिक समय की जरूरत है कि हम तय खांचे से हटकर सोचे, अपने युवाओं में निवेश करें और सतत विकास की दिशा में काम करें।

प्रधानमंत्री ने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ संघर्ष के लिए जलवायु न्याय पर जोर दिया। जलवायु न्याय, ट्रस्टीशिप के दृष्टिकोण से प्रेरित है, जिसमें विकास सबसे गरीब व्यक्ति के साथ सहानुभूति के साथ आता है। जलवायु न्याय का अर्थ विकासशील देशों को विकसित होने के लिए पर्याप्त जगह देना भी है। जब हम में से हर कोई अपने व्यक्तिगत और/ सामूहिक कर्तव्यों को समझे, जलवायु न्याय हासिल हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत के इरादे के पीछे ठोस पहल का समर्थन है। उत्साही सार्वजनिक प्रयासों से प्रेरित, हम पेरिस संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को पार करने के रास्ते पर हैं। हम 2005 के स्तर से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की उत्सर्जन तीव्रता 33 से 35 प्रतिशत तक घटाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत, भूमि क्षरण तटस्थता संबंधी अपनी प्रतिबद्धता को लेकर लगातार प्रगति कर रहा है। भारत में नवीकरणीय ऊर्जा भी रफ्तार पकड़ रही है। हम 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता स्थापित करने के रास्ते पर अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यायसंगत पहुंच के बगैर सतत विकास अधूरा है। इस दिशा में भी भारत ने अच्छी प्रगति की है। मार्च 2019 में, भारत ने लगभग सौ प्रतिशत विद्युतीकरण हासिल कर लिया था। यह सतत तकनीक और नवाचार मॉडलों के जरिए हुआ। उन्होंने रेखांकित किया कि उजाला कार्यक्रम के माध्यम से 36.7 करोड़ एलईडी बल्ब लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। इसने सालाना 80 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन घटाया है। जल जीवन मिशन ने लगभग 18 महीनों में ही 3.40 करोड़ से ज्यादा परिवारों को नल कनेक्शन से जोड़ा है। पीएम उज्ज्वला योजना के जरिए गरीबी रेखा से नीचे के 8 करोड़ से ज्यादा परिवारों की खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन तक पहुंच बनी है। उन्होंने कहा, हम भारत के एनर्जी बास्केट में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने के लिए काम कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने ध्यान दिलाया कि अक्सर निरंतरता (सस्टेनेबिलिटी) पर होने वाली बातचीत हरित ऊर्जा पर केंद्रित हो जाती है, लेकिन हरित ऊर्जा तो सिर्फ साधन है। हमें जिस लक्ष्य की तलाश है, वह हरी-भरी धरती है। वनों और हरियाली के प्रति हमारी संस्कृति का गहरा सम्मान उत्कृष्ट नतीजों में बदल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सतत विकास पाने के हमारे अभियान में पशु संरक्षण पर विशेष ध्यान देना शामिल है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच से सात वर्षों में, शेर, बाघ, तेंदुए और गंगा नदी की डॉल्फिन की आबादी बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों का ध्यान दो पहलुओं पर खींचा: एकजुटता और नवाचार। उन्होंने कहा कि सतत विकास केवल सामूहिक प्रयासों से ही हासिल हो पाएगा। जब सभी व्यक्ति राष्ट्र का भला सोचें, जब सभी देश वैश्विक कल्याण के बारे में सोचें, तभी सतत विकास एक वास्तविकता बन पाएगा। भारत ने इस दिशा में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के माध्यम से एक प्रयास किया है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से अपने मस्तिष्क और राष्ट्र को दुनिया के सर्वोत्तम कार्यव्यवहार के लिए खुला रखने का अनुरोध किया।

नवाचार के बारे में, उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण अनुकूल तकनीक और अन्य मुद्दों पर कई स्टार्ट-अप्स काम कर रहे हैं। एक नीति निर्माताओं के रूप में, हमें इन विभिन्न प्रयासों का समर्थन करना चाहिए। हमारे युवाओं की ऊर्जा निश्चित रूप से उत्कृष्ट परिणामों की तरफ ले जाएगी।

प्रधानमंत्री ने आपदा प्रबंधन क्षमताओं का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इसके लिए मानव संसाधन के विकास और तकनीक पर ध्यान देने की जरूरत है। कोलिएशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर के साझेदार के रूप में, हम इस दिशा में काम कर रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारत आगे सतत विकास के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार है। हमारा मानव केंद्रित दृष्टिकोण वैश्विक कल्याण के लिए शक्ति को कई गुना बढ़ाने वाला बन सकता है।

इस अवसर पर महामहिम डॉ. मोहम्मद इरफान, गुयाना सहकारी गणराज्य के राष्ट्रपति; माननीय जेम्स मारपे, पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री; श्री मोहम्मद नशीद, पीपुल्स मजलिस के स्पीकर, मालदीव गणराज्य; सुश्री अमीना जे मोहम्मद, उप-महासचिव, संयुक्त राष्ट्र, और श्री प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री उपस्थित रहे।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एयरो इंडिया 2021 पर राजदूतों के गोल-मेज वर्चुअल सम्मेलन की अध्यक्षता

रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग ने आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एयरो इंडिया 2021 पर राजदूतों का गोल-मेज वर्चुअल सम्मेलन (राउंड-टेबल वर्चुअल कॉन्फ्रेंस) आयोजित किया। मंत्रालय के लोगों तक पहुंचने के इस प्रमुख प्रयास में 75 देशों के राजदूत, मिशन व रक्षा प्रमुखों को मिलाकर 200 से ज्यादा व्यक्ति शामिल हुए, जो 2021 में 3-7 फरवरी तक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में होने वाले 13वें द्विवार्षिक कार्यक्रम की बढ़ती प्रतिष्ठा का संकेत है। नई दिल्ली में विदेशी मिशनों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों को एयरो इंडिया-21 के बारे में पहले ही जानकारी दे दी गई थी, ताकि फरवरी 2021 में होने वाले इस कार्यक्रम में उनके नेताओं और वरिष्ठतम निर्णयकर्ताओं की उपस्थिति को प्रोत्साहित किया जा सके, जहां एक ही जगह पर भारत की एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण क्षमताओं का प्रदर्शन किया जाएगा।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, आत्मनिर्भरता के साथ-साथ मित्र देशों की जरूरतें पूरी करने का उद्देश्य पाने के लिए लोक-निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के साथ एयरो इंडिया-21 भारत को विश्व के शीर्ष पांच रक्षा और एयरोस्पेस उद्योगों में पहुंचाने के दृष्टिकोण पर आधारित है। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “आत्मनिर्भर भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने का केंद्र बिंदु था और इस दिशा में रक्षा मंत्रालय ने स्वचालित मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 74 प्रतिशत तक बढ़ाने, रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया-2020, सह-विकास और सह-उत्पादन के लिए भारत में निवेश प्रोत्साहित करने के लिए संशोधित दिशा-निर्देश बनाने जैसी कई सरकारी सुधारों की घोषणा की है। इसके अलावा इस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के साथ-साथ कारोबार को सरल बनाने के लिए महामारी वाले महीनों के लिए रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्धन नीति-2020 (डीपीईपीपी-2020) का प्रारूप भी बनाया है।”

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र परिपक्व हुआ है और भारत में विनिर्माण उद्योग लगाने और भारत में उत्पादित रक्षा उपकरणों का निर्यात करने के लिए मित्र देशों के साथ पारस्परिक लाभ देने वाली साझेदारियों की तलाश की जा रही है। उन्होंने आगे कहा कि “एयरो इंडिया-21, 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं व सेवाओं में 5 बिलियन अमरीकी डॉलर के निर्यात के साथ कारोबार को 25 अरब अमरीकी डॉलर तक ले जाने सरकार के लक्ष्य को प्रदर्शित करेगा।”

दुनिया भर के प्रतिनिधियों को जानकारी दी गई कि एयरो इंडिया-21, एक व्यापार उन्मुख कार्यक्रम होगा और कोविड-19 की शर्तों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। 11 सितंबर 2020 को रक्षा मंत्री के द्वारा इस कार्यक्रम की वेबसाइट शुरू करने के बाद इस कार्यक्रम को लेकर लोगों में जबरदस्त रुचि देखने को मिली है और 90 प्रतिशत से ज्यादा जगह का बुक हो जाना एयरो शो में भाग लेने के लिए प्रदर्शकों (एग्जीबिटर्स) में जबरदस्त उत्साह को दर्शाता है। बहुत ही सुव्यवस्थित व्यापार कार्यक्रमों और सेमिनारों की योजना बनाई जा रही है और एशिया के इस सबसे बड़े एयर शो में 500 से अधिक प्रदर्शकों के आने की उम्मीद है।

रक्षा मंत्री ने राजदूतों से अपने-अपने देशों और रक्षा उद्योगों के प्रमुखों को एयरो इंडिया-21 में बड़े पैमाने पर शामिल होने के लिए प्रभावित करने का आग्रह किया, ताकि “रणनीतिक साझेदारियों के लक्ष्य के साथ-साथ भारत में उपलब्ध रणनीतिक और व्यावसायिक अवसरों का मजबूती से लाभ उठा सकें।” श्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर आधिकारिक एयरो इंडिया-2021 उद्घाटन फिल्म का भी विमोचन किया।

इस कार्यक्रम की थीम ‘द रनवे टु अ बिलियन अपॉर्चुनिटीज’ है, जिसमें सिविल एयरोस्पेस क्षेत्र के अलावा एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण के अवसरों को शामिल किया गया है। रक्षा मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि एयरो इंडिया-21, कोविड के बाद की दुनिया में बढ़त लेने और हमारी शक्ति को आगे और मजबूत करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करेगा।

रक्षा उत्पादन विभाग ने एयरो इंडिया-21 के सभी पक्षों के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी और आश्वासन दिया कि कोविड-19 की शर्तों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। कर्नाटक सरकार ने भी एक प्रस्तुति दी, जिसमें प्रतिभागियों को एक नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण में कार्यक्रम आयोजित करने संबंधी तैयारियों के बारे में बताया गया।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बी. एस. येदियुरप्पा ने भी प्रतिष्ठित दर्शकों को संबोधित किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कर्नाटक सरकार फरवरी 2021 में बेंगलुरु में एयरो इंडिया-21 के सुरक्षित संचालन के लिए प्रतिभागियों की सुरक्षा और कोविड-19 के प्रोटोकॉल को ध्यान में रखकर सभी आवश्यक तैयारियां करेगी।

रक्षा राज्यमंत्री श्री श्रीपद येसो नाइक, सचिव (रक्षा उत्पादन) श्री राज कुमार ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और आत्मनिर्भर भारत के एक स्तंभ के रूप में स्वदेशी रक्षा उद्योग को गति प्रदान करने के रक्षा मंत्रालय के संकल्प को सामने रखा और विदेशी प्रतिनिधियों को एयरो इंडिया-21 में शामिल होने के लिए आमंत्रित भी किया।

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उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है-इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने देश के प्रत्येक नागरिकों से अपील की है कि वे समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत बनाने में योगदान करें। पीएचडीसीसीआई द्वारा ‘बिल्डिंग आत्मनिर्भर भारत’ विषय पर आयोजित आज एक वेब कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलने में इसकी भूमिका, जो न केवल अपनी बल्कि दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करती है, को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

श्री प्रधान ने आज कहा कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत एक रोल मॉडल बन रहा है। उन्होंने कहा, “समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा करने और सही मायने में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर हमारा फोकस है। भारत प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसमें जनसांख्यिकीय लाभांश, बंदरगाहों की व्यापक उपलब्धता है, जो व्यवसायों और उद्योगों के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र मुहैया कराते हैं। हम 21वीं शताब्दी का एक ऐसा भारत बनाने के लिए काम कर रहे हैं, जो अपनी और दुनिया की भी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होगा।”

मंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया स्वदेशी आंदोलन और दांडी मार्च से लेकर आत्मानिर्भर भारत के आह्वान तक, ‘आत्मानिर्भर भारत’ का दर्शन एक अधिक लचीला और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के पीछे निरंतर प्रेरक शक्ति रहा है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट देशवासियों की भावना को कम नहीं कर पाया है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पुनरुत्थान की राह पर है। पिछले महीने जीएसटी संग्रह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक था, रेलवे माल ढुलाई में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और निर्यात 5 प्रतिशत बढ़ा है। पेट्रोल और डीजल की बिक्री भी सामान्य स्तर पर पहुंच गई है।

मंत्री ने कहा कि भारत को एक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए सरकार काम कर रही है, और वह ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर भी बढ़ रही है। उन्होंने दोहराया कि सरकार के पास कोई और काम नहीं है सिवाय इसके कि उसे केवल लोगों के कल्याण पर ध्यान देना चाहिए। इस दिशा में उन्होंने कहा कि सरकार ने व्यापार को आसान बनाने के लिए पहल की है, पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई है, भ्रष्टाचार को खत्म किया है और धन सृजनकर्ताओं का सम्मान किया है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र में उठाए कदमों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि एलपीजी कनेक्शन 95 प्रतिशत आबादी तक पहुंच गए हैं जिनमें 8 प्रतिशत गरीब परिवार भी शामिल हैं। इस अप्रैल में बीएस-VI मानक ईंधन पेश किया गया है। ऊर्जा संबंधित न्याय को सुनिश्चित किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि देश के निर्यात में इस्पात क्षेत्र का भी योगदान रहा है।

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महिला अधिकारियों को भारतीय सेना में स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए चयन बोर्ड की कार्यवाही शुरू

भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) प्रदान करने की जांच के लिए गठित विशेष नंबर 5 चयन बोर्ड ने 14 सितंबर 2020 को सेना मुख्यालय में कार्यवाही शुरू की। बोर्ड का नेतृत्व एक वरिष्ठ जनरल अधिकारी करता है। बोर्ड में ब्रिगेडियर रैंक की एक महिला अधिकारी भी शामिल होती है। प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए महिला अधिकारियों को पर्यवेक्षकों के रूप में कार्यवाही को देखने की अनुमति दी गई है।

      स्क्रीनिंग प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करने वाली महिला अधिकारियों को न्यूनतम स्वीकार्य चिकित्सा श्रेणी में पाये जाने के बाद स्थायी कमीशन प्रदान किया जाएगा।

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प्रधानमंत्री बिहार में 14,000 करोड़ रुपए की 9 राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 21 सितंबर, 2020 को बिहार में 9 राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे।

श्री नरेन्द्र मोदी बिहार के सभी 45,945 गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं से जोड़ने के लिए ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं का भी उद्घाटन करेंगे।

राजमार्गपरयोजनाएं

जिन 9 राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास होना है उनमें 350 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया जाएगा जिन पर 14,258 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इन सड़कों के निर्माण से बिहार के विकास को बढ़ावा मिलेगा, संपर्क बेहतर होगा और बिहार तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में अर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी। बिहार सहित पड़ोसी राज्यों झारखंड तथा उत्तर प्रदेश में लोगों और सामानों की आवाजाही आसान हो जाएगी।

प्रधानमंत्री ने वर्ष 2015 में बिहार के बुनियादी ढांचागत विकास के लिए विशेष पैकेज की घोषणा की थी। 54,700 करोड़ रुपए की लागत से 15 परियोजनाओं पर काम होना था जिनमें से 13 परियोजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं, 38 परियोजनाओं पर काम चल रहा है जबकि अन्य आवंटन या नीलामी की प्रक्रिया में हैं।

इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर बिहार में सभी नदियों पर पुल होंगे और राज्य के बड़े राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण की प्रक्रिया सम्पन्न हो जाएगी।

प्रधानमंत्री के इस पैकेज के अंतर्गत गंगा नदी पर पुलों की संख्या 17 हो जाएगी जिनकी कुल क्षमता 62 लेन की होगी। इस तरह से एक औसत अनुमान के अनुसार राज्य में नदियों पर प्रति 25 किलोमीटर पर एक पुल होगा।

राजमार्ग से जुड़ी परियोजनाओं में बख्तियारपुर-रजौली खंड पर राष्ट्रीय राजमार्ग 31 के 47.23 किलोमीटर लंबे खंड को चार लेन किया जाएगा, जिस पर 1149.55 करोड़ रुपए की लागत आएगी, इसी खंड पर 50.89 किलोमीटर सड़क को चार लेन किए जाने पर 2650.76 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है, राष्ट्रीय राजमार्ग 30 के आरा-मोहनिया खंड पर 54.53 किलोमीटर के चार लेन के जाने की परियोजना पर ईपीसी मोड से 885.41 करोड रुपए की लागत आएगी, राष्ट्रीय राजमार्ग 31 पर आरा-मोहनिया खंड पर ही 60.80 किलोमीटर सड़क को चार लेन की जाने पर ईपीसी मोड से 855.93  करोड़ रुपए की लागत आएगी, नरेनपुर- पूर्णिया खंड पर राष्ट्रीय राजमार्ग 131ए, पर 49 किलोमीटर को चार लेन किए जाने पर एचएएम मोड से 2288 करोड रुपए की लागत आएगी, एनएच 131जी, पटना रिंग रोड (कन्हौली-रामनगर) खंड को छह लेन किए जाने पर 913.15 करोड रुपए की लागत आएगी, पटना में गंगा नदी पर महात्मा गांधी सेतु के समानांतर राष्ट्रीय राजमार्ग -19 पर 14.5 किलोमीटर चार लेन के पुल निर्माण पर 2926.42 करोड़ रुपये की लागत आएगी, कोसी नदी पर एनएच 106 पर 28.93 किलोमीटर लंबा चार लेन का नया पुल (2 लेन का पेव्ड शोल्डर भी होगी) ईपीसी मोड पर बनेगा, जिसमें 1478.40 करोड़ रुपये की लागत आएगी, और गंगा नदी पर राष्ट्रीय राजमार्ग 131बी पर विक्रमशिला सेतु के समानांतर 4.445 किलोमीटर लंबा 4 लेन का पुल बनेगा जिस पर 1110.23 करोड़ रुपये की लागत आएगी।

ऑप्टिकलफाइबरइंटरनेटसेवाएं

बिहार के लिए यह एक सम्मानजनक परियोजना है जिसके अंतर्गत 45,945 गांवों को डिजिटल क्रांति से जोड़ने के लिए राज्य के कोने-कोने तक तेज गति कि इंटरनेट सुविधा पहुंचेगी।

यह परियोजना दूरसंचार विभाग, सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय और सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) के संयुक्त प्रयास से क्रियान्वित होगी।

बिहार राज्य में कुल 34,821 सीएससी यानी सामान्य सेवा केंद्र हैं, इन केंद्रों के साथ काम कर रहे लोग न केवल इंटरनेट परियोजना को क्रियान्वित करने में उपयोगी होने बल्कि इसे व्यवसायिक स्तर पर संचालित करने के प्रयास किए जाएंगे जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बिहार के प्रत्येक गांव के प्रत्येक नागरिक को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट की सेवाएं उपलब्ध हो सकें। इस परियोजना के अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक वाईफाई और 5 नि:शुल्क इंटरनेट कनेक्शन सरकारी संस्थानों जैसे प्राथमिक स्कूल, आंगनवाड़ी केंद्र, आशा कार्यकर्ता और जीविका दीदी इत्यादि को दिए जाएं।

इस परियोजना से ई-शिक्षा, ई-कृषि, टेलीमेडिसिन, टेली विधि सेवाओं सहित अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाएं बिहार के प्रत्येक नागरिक से सिर्फ एक क्लिक दूर होंगी।

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शिक्षक पर्व पहल के तहत ‘समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर’ विषय पर वेबिनार

शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक पर्व के तहत नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) की प्रमुख विशेषताओं को उभारने के लिए यूजीसी के साथ संयुक्त रूप से “समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। अध्यापकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति-2020 को आगे ले जाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर, 2020 तक शिक्षक पर्व मनाया जा रहा है।

इसमें दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अनु सिंह लाथेर, हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. आर. सी. कुहाड़, बीपीएस महिला विश्वविद्यालय की उपकुलपति प्रो. सुषमा यादव, पंजाब के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति कुलपति प्रो. आर. पी. तिवारी और अंग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. सुरेश कुमार ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा समेत विभिन्न उप-विषयों पर अपनी बातें रखीं।

“समग्र और बहु-विषयी शिक्षा” विषय पर प्रो. आरसी कुहाड़ ने कहा कि मूल्यों की व्यवस्था, जीवन के स्थायी दर्शन, बहुलता और बहु-विषयी चीजों के आदर जैसी विशिष्टताएं और समग्र शिक्षा प्रणाली ने ही वास्तव में प्राचीन काल में भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया था। उन्होंने एनईपी 2020 के विभिन्न पहलुओं जैसे एसटीईएम विषयों के साथ मानविकी और कला विषयों के एकीकरण, प्रवेश लेने और बाहर निकलने की लचीली व्यवस्था, स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के पुनर्गठन, व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाने और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आदि पर विस्तार से बातें रखीं। उन्होंने बताया कि कैसे इन सभी सिफारिशों ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा में नई रुचि जगाई है और भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनने के रास्ते पर ले आई है।

प्रो. सुषमा यादव ने “समग्र और बहुविषयी उच्च शिक्षा के माध्यम से ज्ञान (आधारित) समाज निर्माण” विषय पर एक गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की। 2014 के बाद से सरकार की विभिन्न पहलों का उल्लेख करते हुए प्रो. सुषमा यादव ने बताया कि एनईपी-2020 में समग्र और बहु-विषयी सुधार सरकार के नवाचार, लचीलेपन और मुक्त पाठ्यक्रम की संस्कृति को विकसित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। इसमें समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को विकसित करने का जो तरीका है, वह शिक्षा को ज्यादा प्रयोगात्मक, रोचक, एकीकृत, जिज्ञासा निर्देशित, अन्वेषण उन्मुखी, सीखने पर केंद्रित, विमर्श आधारित, लचीला और आनंददायक बनाता है। प्राचीन काल में बेहतर शिक्षा प्रणाली के गठन में शामिल तत्वों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न कलाओं के ज्ञान और उनके आधुनिक इस्तेमाल की धारणा हमें 21वीं सदी में बढ़त दिलाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा को एक अलग क्षेत्र में स्थापित करेगी।

प्रो. आर. पी. तिवारी ने अपने भाषण में एनईपी 2020 में परिकल्पित समग्र और बहुविषयी शिक्षा की प्राचीन और मध्यकालीन भारत के गुरुकुलों में मिलने वाली शिक्षा से तुलना करते हुए “समग्र और बहुविषयी शिक्षा के साथ युवाओं के सशक्तिकरण” पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उस दौर में कैसे गुरुकुलों ने मानवों और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी। अपने संबोधन में उन्होंने सभी हितधारकों से एनईपी 2020 को लागू करने में योगदान करने की अपील की, क्योंकि एनईपी 2020 में भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की क्षमता है।

प्रो. सुरेश कुमार की बातें “बहु-विषयी और समग्र दृष्टिकोण के जरिए उच्च शिक्षा में बदलाव” पर केंद्रित रहीं, जो एनईपी 2020 के प्रस्तावित उद्देश्यों में से एक है। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इस नीति के बारे में एक प्रमुख बात है कि यह एक व्यक्ति के सामने यह सीखने की जरूरत पैदा करती है कि उसे कैसे सीखना है। इसके अलावा उन्होंने 2030 तक सभी जिलों में एक बहु-विषयी संस्थान बनाने की योजना के बारे में विस्तार से बताया, जहां वैश्विक मांगों के अनुरूप मुक्त विषय संयोजनों को चुनने की छूट होगी। उनकी बातों ने अंतरराष्ट्रीयकरण के लक्ष्यों, शिक्षकों शिक्षा में सुधार और विनियामक सुधारों पर प्रकाश डाला और इन सुधारों को बहु-विषयी व्यवस्था के जरिए जैसे विभिन्न वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम माना।

प्रो. अनु सिंह लाथेर ने कहा कि यह केवल विषय विशेष के ज्ञान को ही नहीं, जो मायने रखता है, बल्कि यह भी मायने रखता है कि संवाद को कैसे चलाने की जरूरत है। उन्होंने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को अपनाने के अलावा शिक्षा को ज्यादा व्यापक बनाने और बहु-विषयी संस्कृति को प्राप्त करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।

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