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भारत के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाला ऐतिहासिक समारोह कल से शुरू होगा

भारत सरकार ने देश के संविधान को अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में वर्ष भर चलने वाले ऐतिहासिक समारोह की शुरुआत की घोषणा की है। यह निर्णय हमारे लोकतंत्र की उल्लेखनीय यात्रा और हमारे संस्थापक सिद्धांतों तथा संवैधानिक मूल्यों की स्थायी विरासत को दर्शाता है, जो संविधान दिवस 26 नवंबर, 2024 से शुरू होगा। यह समारोह ” हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान “ अभियान के तहत आयोजित किए जा रहा हैं और इसका उद्देश्य संविधान में निहित मूल मूल्यों को दोहराते हुए संविधान के निर्माताओं के योगदान का सम्मान करना है।

26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी, 1950 से प्रभावी है। इस संविधान ने भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की। यह दिन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन दुनिया के सबसे लंबे लिखित संविधान को अपनाया गया था, जो भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की आधारशिला है। अपनी स्थापना के बाद से, संविधान पिछले 75 वर्षों से राष्ट्र की प्रगति को आकार देने वाले मार्गदर्शक ढांचे के रूप में कार्य कर रहा है।

समारोह के मुख्य अंश:

  • विशेष वेबसाइट ( constitution75.com ): संविधान की विरासत से नागरिकों को परस्पर संवाद  गतिविधियों और संसाधनों के माध्यम से जोड़ने के लिए एक समर्पित वेबसाइट constitution75.com बनाई गई है। वेबसाइट पर निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:
    • प्रस्तावना पढ़ें और वीडियो रिकॉर्ड करें: नागरिक अपनी पसंद की भाषा में संविधान की प्रस्तावना पढ़ते हुए वीडियो रिकॉर्ड करके अभियान में भाग ले सकते हैं। वीडियो को अभियान की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड किया जा सकता है।
    • संविधान को विभिन्न भाषाओं में पढ़ें : संविधान का पूर्ण पाठ विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध है, यह सभी नागरिकों के लिए सुलभ हैं।
    • इतिहास को जाने: संविधान निर्माण के बारे में जानें, संविधान सभा की चर्चाएं पढ़ें, संविधान निर्माण में शामिल विभिन्न समितियों की रिपोर्टें पढ़ें और आधुनिक भारत को आकार देने वाले मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
    • संवादात्मक फीचर : “अपना संविधान जानें” एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) सक्षम इंटरैक्टिव सुविधा है , जहां कोई भी संविधान के बारे में प्रश्न पूछ सकता है और भारत के संविधान से संबंधित विस्तृत उत्तर प्राप्त कर सकता है।

 

  • 26 नवंबर, 2024 को प्रस्तावना का सामूहिक वाचन
    • 26 नवंबर, 2024 को स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक, शहरों से लेकर गांवों तक पूरे देश में लाखों लोग एक साथ संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे।
    • वेबसाइट ( constitution75.com ) पर अपनी सेल्फी और वीडियो अपलोड करके उन्हें गर्व के साथ सोशल मीडिया पर साझा करें।
  • 26 नवंबर, 2024 को संसद के केन्द्रीय कक्ष में उद्घाटन कार्यक्रम :
  1. राष्ट्रपति के नेतृत्व में, उपराष्ट्रपति , प्रधानमंत्री , लोकसभा अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में संसद के केन्द्रीय कक्ष में एक भव्य उद्घाटन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा ।
  2. कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:
  • भारतीय संविधान की महिमा, इसके निर्माण और ऐतिहासिक यात्रा को समर्पित लघु फिल्म की प्रस्तुति।
  • भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ को समर्पित एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया जाएगा।
  • “भारत के संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारत के संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शीर्षक पुस्तकों का विमोचन।
  • भारतीय संविधान की कला को समर्पित पुस्तिका का विमोचन।
  • भारतीय संविधान का संस्कृत भाषा में विमोचन।
  • भारतीय संविधान का मैथिली भाषा में विमोचन।
  • राष्ट्रपति के नेतृत्व में प्रस्तावना का औपचारिक वाचन किया जाएगा।

भारत सरकार ने नागरिकों से इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बनने, अपने संविधान पर सामूहिक गर्व दिखाने तथा हमारे राष्ट्र को परिभाषित करने वाले लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाने का आह्वान किया है।

इस समारोह में ऐसे भाग लें!

  • संविधान की प्रस्तावना पढ़ने, अपना वीडियो रिकॉर्ड करने तथा अपलोड करने और भागीदारी का प्रमाण पत्र डाउनलोड करने के लिए constitution75.com पर जाएं ।
  • वेबसाइट की संवादात्मक फीचर का लाभ उठाएं, विभिन्न भाषाओं में संविधान का अन्वेषण करें, तथा उस विकास यात्रा के बारे में अधिक जानें जिसने भारत को उसका मार्गदर्शक ढांचा प्रदान किया है।
  • 26 नवंबर, 2024 को राष्ट्रव्यापी अभियान में शामिल हों, देशभर के स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों, पंचायतों और अन्य स्थानों पर संविधान की प्रस्तावना पढ़ने में हिस्सा लें। दूसरों को प्रेरित करने के लिए अपनी भागीदारी के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा करें।

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डॉ. मनसुख मांडविया ने 75वें संविधान दिवस से पूर्व माय भारत के युवा स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित ‘हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान’ पदयात्रा निकाली

केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल और श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज नई दिल्ली में 75वें संविधान दिवस के उपलक्ष्य में ‘माय भारत’ के स्वयंसेवकों की ओर से आयोजित 6 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में भाग लिया। “हमारा संविधान हमारा स्वाभिमान” विषय पर आधारित यह पदयात्रा मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से शुरू हुई और कर्तव्य पथ तथा इंडिया गेट से होकर गुजरी। इस पदयात्रा में माय भारत के 10,000 से अधिक युवा स्वयंसेवकों के साथ-साथ प्रमुख युवा हस्तियां, केंद्रीय मंत्री और सांसद शामिल हुए।

इस पदयात्रा की शुरुआत ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के साथ हुई, जिसमें डॉ. मनसुख मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ एक पेड़ लगाया। इसके बाद श्री पीयूष गोयल, श्री धर्मेंद्र प्रधान, श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, श्री किरण रिजिजू, श्री अर्जुन राम मेघवाल, सुश्री रक्षा निखिल खडसे जैसे केंद्रीय मंत्रियों के साथ-साथ अन्य सांसद इस पदयात्रा में शामिल हुए। योगेश्वर दत्त, मीराबाई चानू, रवि दहिया, योगेश कथूनिया जैसे प्रमुख युवा प्रतीकों और ओलंपिक पदक विजेताओं ने भी पदयात्रा में भाग लिया।

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पदयात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत में केंद्रीय मंत्री डॉ. मांडविया ने ‘माय भारत’ के 10,000 से ज़्यादा युवा स्वयंसेवकों की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि देश के युवाओं ने न सिर्फ़ संविधान की प्रस्तावना पढ़ीबल्कि इसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नए भारत के युवा ‘विकसित भारत’ के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में एक व्यापक प्रदर्शनी के जरिए भारतीय संविधान की विकास यात्रा को प्रदर्शित किया गया और इसमें प्रमुख हस्तियों के योगदान को प्रमुखता से बताया गया। ऐतिहासिक वेशभूषा पहने युवाओं ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर और सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे नेताओं का चित्रण करके इतिहास को जीवंत कर दिया, जिससे मनोरंजक अनुभव मिला। पूरे मार्ग के साथ-साथ, पदयात्रा में विभिन्न स्थलों पर जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शनियां दिखाई गईं। प्रतिभागियों ने पारंपरिक गुजराती नृत्य, राजस्थानी लोक नृत्य और ऊर्जावान पंजाबी भांगड़ा सहित मंत्रमुग्ध करने वाले अनेक सांस्कृतिक प्रदर्शनों का आनंद लिया।

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इस पदयात्रा का उद्देश्य युवाओं में संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना था। इस अवसर पर इंडिया गेट पर एक विशेष समारोह आयोजित किया गया, जिसमें युवाओं ने सामूहिक रूप से संविधान की प्रस्तावना पढ़ी। इस दौरान भारत के संविधान की नींव के रूप में प्रस्तावना की भूमिका और न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के इसके प्रमुख मूल्यों पर प्रकाश डाला गया। केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों की मौजूदगी में इस कार्यक्रम में भारतीय लोकतंत्र में इन सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित किया गया। समारोह स्थल के रूप में राष्ट्रीय एकता के प्रतीक इंडिया गेट ने समारोह के प्रभाव को और बढ़ा दिया। प्रस्तावना पढ़ने के बाद, डॉ. मांडविया ने अपने संसदीय सहयोगियों के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस को पुष्पांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम के केंद्र में युवाओं की भागीदारी रही। पूरे कार्यक्रम के दौरान माय भारत पंजीकरण अभियान चलाया गया। प्रतिभागी प्रस्तावना थीम वाले सेल्फी पॉइंट के साथ अपनी यादगार तस्वीरें ले सकते थे। पूरे रास्ते में माय भारत के स्वयंसेवकों ने प्रतिभागियों के लिए जलपान के स्टॉल लगाकर और स्वच्छ भारत अभियान में प्रमुखता से भाग लेकर पदयात्रा के पूरे मार्ग में स्वच्छता सुनिश्चित करके महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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इस पदयात्रा में एनसीआर क्षेत्र के 125 से अधिक कॉलेजों और एनवाईकेएस, एनएसएस, एनसीसी और भारत स्काउट्स एंड गाइड्स सहित विभिन्न संगठनों के युवा प्रतिभागियों ने सफलतापूर्वक भाग लिया। यह संविधान के 75वें वर्ष के जश्न में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यानी मील का पत्थर साबित हुआ। इस कार्यक्रम में विकसित भारत के लिए संवैधानिक मूल्यों को संरक्षित करने और इसे बढ़ावा देने में युवाओं की भूमिका पर जोर दिया गया।

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पीएम-जनमन में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह परिवारों के लिए मध्य प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा आवासों की और स्वीकृति

केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जनमन योजना (पीएम-जनमन) के माध्यम से देश में, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह परिवारों के विकास के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में सरकार लगातार काम कर रही है। इसी के तहत, केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के आदिवासी परिवारों को सौगात देते हुए मध्य प्रदेश में 30 हजार से ज्यादा आवासों की और स्वीकृति प्रदान की है। केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वंचितों और शोषितों के प्रति पीएम मोदी जी की सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध एवं संवेदनशील है। श्री चौहान ने कहा कि इस तबके के उत्थान के लिए हरसंभव काम निरंतर किए जाएंगे।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अतंर्गत, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्ष 2024-25 के लिए अतिरिक्‍त लक्ष्‍यों के आवंटन को मंजूरी देते हुए कहा कि पीएम जनमन मिशन का लक्ष्य उन विशेष रूप से कमजोर 75 जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास का है, जो विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की योजनाओं से छूट गए हैं। श्री चौहान ने कहा कि मोदी सरकार का पूर्ण ध्यान, देश में आखिरी छोर पर खड़े लोगों तक पहुंच का है। उन्होंने बताया कि पीएम-जनमन के तहत लक्षित आवासों (4.90 लाख घर) को मार्च 2026 तक पूर्ण किया जाना है।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि इससे पूर्व राज्‍यों को 3,70,963 (2,18,890 वर्ष 2023-24 में एवं 1,52,073 वर्ष 2024-25 में) का लक्ष्‍य आवंटित किया गया है, जिनमें से 3.38 लाख आवासों की स्‍वीकृति दी जा चुकी है एवं 2.71 लाभार्थियों को प्रथम किश्‍त जारी की जा चुकी है तथा 62,005 आवास पूर्ण किए जा चुके हैं। राज्‍यों ने सर्वे के पश्‍चात 46,573 अतिरिक्‍त पात्र परिवारों को चिन्हित किया है, जिनमें से 30 हजार से अधिक आवासों का अतिरिक्त आवंटन मध्य प्रदेश के लिए किया गया है। इससे पहले, मध्य प्रदेश के लिए 1,44,200 आवासों की स्वीकृति दी जा चुकी है।

पीएम-जनमन में आंध्रप्रदेश में सड़कों की स्‍वीकृति- केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने पीएम-जनमन के अंतर्गत आंध्र प्रदेश राज्‍य में 297.18 कि.मी लंबाई की 76 सड़कों की स्‍वीकृति भी प्रदान की है। इन 76 सड़कों की अनुमानित लागत 275.07 करोड़ रुपये है, जिसमें से केंद्रीय अंश 163.39 करोड़ रुपये एवं राज्य अंश 111.68 करोड़ रुपये है।

मध्य प्रदेश में अतिरिक्त स्वीकृत आवास (जिलावार)

अनूपपुर 1522
अशोक नगर 2294
बालाघाट 401
छिंदवाड़ा 202
दतिया 110
डिंडौरी 1532
गुना 2084
ग्वालियर 266
जबलपुर 42
मंडला 903
मुरैना 695
नरसिंहपुर 158
रायसेन 29
सिवनी 117
शहडोल 2591
श्योपुर 7561
शिवपुरी 5154
सीधी 1042
सिंगरौली 1895
उमरिया 4092
विदिशा 448

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राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने उपभोक्ता शिकायतों के समाधान के लिए 1000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी की

एक महत्वपूर्ण सुधार में, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने शिकायतों के समाधान में तेजी लाने के लिए अपने कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी की। ये कंपनियां ई-कॉमर्स, यात्रा और पर्यटन, निजी शिक्षा, एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, खुदरा दुकानें, ऑटोमोबाइल, डीटीएच व केबल सेवाएं और बैंकिंग समेत प्रमुख क्षेत्रों में फैली हुई हैं। इन कन्वर्जेंस कंपनियों से जुड़ी शिकायतें ऑनलाइन समाधान के लिए सीधे उनके पास स्थानांतरित कर दी जाती हैं।

कन्वर्जेंस साझेदारों की संख्या 2017 में 263 कंपनियों से लगातार बढ़कर अब 1009 कंपनियों तक पहुंच गई है। यह बढ़ोतरी हेल्पलाइन की दक्षता बढ़ाने, त्वरित और प्रभावी शिकायत निवारण को सक्षम करने और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में इन साझेदारों की भूमिका पर प्रकाश डालती है। साझेदारियां यह सुनिश्चित करती हैं कि उपभोक्ता शिकायतों का निपटान मामले के पहले स्तर पर ही कर लिया जाए, जिससे उपभोक्ता के भरोसे में बढ़ोतरी हो। हालांकि, यदि कोई शिकायत नहीं सुलझती, तो उपभोक्ताओं को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उचित उपभोक्ता आयोग से संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

भारत सरकार का उपभोक्ता मामले विभाग (डीओसीए) शिकायत निवारण प्रक्रिया में सुधार के लिए नियमित रूप से शिकायत डेटा को मॉनीटर करता है। हाल ही में, विभाग ने शीर्ष दस नॉट-कन्वर्जेंस कंपनियों की पहचान की है, जिन्हें मौजूदा वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान सबसे अधिक शिकायतें प्राप्त हुई हैं। इन कंपनियों में डेल्हिवरी लिमिटेड, इलेक्ट्रॉनिक्सकॉम्प.कॉम, डोमिनोज पिज्जा, हेयर अप्लायंसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, फर्स्टक्राई.कॉम, थॉमसन इंडिया, महिंद्रा एंड महिंद्रा, रैपिडो, ओरिएंट इलेक्ट्रिक लिमिटेड और सिंफनी लिमिटेड शामिल हैं। इन कंपनियों के साथ चल रही शिकायतों पर चर्चा करने, उन्हें संबोधित करने और उन्हें कन्वर्जेंस पार्टनर के रूप में शामिल करने के लिए अगले सप्ताह एक बैठक निर्धारित है।

एनसीएच के तकनीकी परिवर्तन से इसकी कॉल-हैंडलिंग क्षमता में सार्थक बढ़ोतरी हुई है। एनसीएच की ओर से प्राप्त कॉलों की संख्या जनवरी 2015 में 14,795 कॉल से जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल तक लगभग दस गुना बढ़ गई है। यह तेज बढ़ोतरी अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन का उपयोग करने में उपभोक्ताओं के बढ़ते भरोसे को दिखाती है। प्रति माह दर्ज की जाने वाली शिकायतों की औसत संख्या 2017 में 37,062 से बढ़कर 2024 में 1,12,468 हो गई है।

शिकायत निवारण प्रणाली में और सुधार के लिए, एनसीएच 2.0 पहल के हिस्से के तौर पर एनसीएच एक एआई-आधारित बोली की पहचान, एक अनुवाद प्रणाली और एक बहुभाषी चैटबॉट शुरू करने की प्रक्रिया में है। इस तकनीकी अद्यतन का उद्देश्य शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को अधिक सहज, कुशल और समावेशी बनाना है।

एआई-संचालित बोली की पहचान और अनुवाद प्रणाली उपभोक्ताओं को मानवीय हस्तक्षेप को कम करते हुए, उनकी स्थानीय भाषाओं में बोलने के माध्यम से शिकायत दर्ज करने की अनुमति देगी। बहुभाषी चैटबॉट त्वरित समय सहायता प्रदान करके, मानवीय डेटा भरने को कम करके और समग्र उपयोगकर्ता अनुभव को बढ़ाकर शिकायत को निपटाने की प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित करेगा।

ये बदलाव यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी भाषाई पृष्ठभूमि के उपभोक्ताओं को शिकायत निवारण प्रणाली तक समान पहुंच प्राप्त हो। उपभोक्ता मामले विभाग चिंतामुक्त, त्वरित और किफायती प्रभावी शिकायत समाधान प्रक्रिया उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। एनसीएच 2.0 पहल के अंतर्गत जेनरेटिव एआई, बोली को समझने, अनुवाद और चैटबॉट प्रौद्योगिकियों की शुरूआत मामले के पहले चरण में उपभोक्ता संरक्षण में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।

विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) को नया रूप दिया है, जिससे यह पूरे भारत में उपभोक्ताओं के लिए मामले के पहले चरण में शिकायत निवारण के लिए पहुंच का केंद्रीय बिंदु बन गया है। यह हेल्पलाइन हिंदी, अंग्रेजी, कश्मीरी, पंजाबी, नेपाली, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मैथिली, संथाली, बंगाली, उड़िया, असमिया और मणिपुरी समेत 17 भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे सभी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को टोल-फ्री नंबर 1915 के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज करने की सुविधा मिलती है। शिकायतों को एकीकृत शिकायत निवारण तंत्र (इनग्राम) पोर्टल पर भी दर्ज किया जा सकता है, जो एक केंद्रीकृत आईटी-सक्षम प्रणाली है और व्हाट्सऐप, एसएमएस, ईमेल, एनसीएच ऐप, वेब पोर्टल और उमंग ऐप जैसे चैनल पर शिकायतें दर्ज करने की सुविधा प्रदान करती है।

एक बार शिकायतें प्राप्त होने पर, एनसीएच उन्हें समाधान के लिए संबंधित कंपनियों, नियामकों या सरकारी विभागों को भेज देता है।

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सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने जम्मू-कश्मीर में ट्विन-ट्यूब जवाहर सुरंग का नवीनीकरण शुरू किया; दिसंबर 2024 में जनता के लिए खुलेगी

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने जम्मू और कश्मीर में 1956 में निर्मित 2.5 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब जवाहर सुरंग का नवीनीकरण किया है। इसे अत्याधुनिक आधुनिक तकनीक का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा, संरक्षा और आराम को बढ़ाने के लिए उन्‍नत किया गया है। इस प्रकार इसे आधुनिक सुरंगों के बराबर लाया गया है। पुनर्निर्मित सुरंग दिसंबर 2024 में जनता के लिए खोल दी जाएगी।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित 62.5 करोड़ रुपये की लागत से इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण मोड के माध्यम से पुनर्वास किया गया। इसे बीआरओ के प्रोजेक्ट बीकन द्वारा लगभग एक वर्ष में पूरा किया गया है। इसके उन्‍नयन में सिविल के साथ-साथ इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कार्य भी शामिल है। इसमें 76 उच्‍च क्षमता के सीसीटीवी कैमरे, धुआं और आग का पता लगाने वाले सेंसर, एससीएडीए सिस्टम और वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक केंद्रीकृत निगरानी कक्ष भी शामिल है।

जवाहर सुरंग ऐतिहासिक रूप से कश्मीर घाटी और लेह को शेष भारत से जोड़ने वाले पीर-पंजाल रेंज के माध्यम से एक महत्वपूर्ण मार्ग रही है। यह राष्‍ट्रीय राजमार्ग-44 का विकल्‍प है। जिन वाहनों को नवनिर्मित काजीकुंड-बनिहाल सुरंग को पार करने की अनुमति नहीं है, जैसे कि तेल टैंकर, विस्फोटक से लदे और गैसोलीन वाहन, वे इस सुरंग का उपयोग करेंगे।

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केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने लेह में एनटीपीसी की ग्रीन हाइड्रोजन बसों को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया

केंद्रीय विद्युत तथा आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने आज विद्युत मंत्रालय, लेह प्रशासन और एनटीपीसी के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में लेह में एनटीपीसी की हरित हाइड्रोजन बसों के बेड़े को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

बसों को हरी झंड़ी दिखाकर रवाना करने के बाद, मंत्री महोदय ने एक हाइड्रोजन बस में सवार होकर हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन से लेह हवाई अड्डे तक 12 किलोमीटर की यात्रा की।

केंद्रीय मंत्री ने एनटीपीसी को गतिशीलता, पीएनजी के साथ सम्मिश्रण, हरित मेथनॉल जैसे विभिन्न मोर्चों पर हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों को अपनाने और नवीकरणीय ऊर्जा पर समग्र जोर देने के माध्यम से देश की ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइजेशन प्रयासों में उसके अनूठे योगदान के लिए बधाई दी।

लेह स्थित हरित हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजना में 1.7 मेगावाट का सौर संयंत्र, 80 किलोग्राम/दिन क्षमता वाला हरित हाइड्रोजन फिलिंग स्टेशन और 5 हाइड्रोजन इंट्रा-सिटी बसें शामिल हैं। प्रत्येक बस 25 किलोग्राम हाइड्रोजन भरकर 300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। यह दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई (3650 मीटर एमएसएल) वाली हरित हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजना भी है, जिसे कम घनत्व वाली हवा, शून्य डिग्री से नीचे के तापमान में संचालित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और यह 350 बार प्रेशर पर हाइड्रोजन भर सकती है।

यह स्टेशन प्रतिवर्ष लगभग 350 एमटी कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा तथा वातावरण में प्रतिवर्ष 230 एमटी शुद्ध ऑक्सीजन का योगदान देगा, जो लगभग 13000 पेड़ लगाने के बराबर है।

लद्दाख में हरित हाइड्रोजन गतिशीलता समाधान की संभावना बहुत मजबूत है, क्योंकि यहां कम तापमान के साथ उच्च सौर विकिरण होता है, जो सौर ऊर्जा और हरित हाइड्रोजन का कुशलतापूर्वक उत्पादन करने के लिए एक उपयुक्त स्थान है। इन स्थानों पर इस हरित ईंधन के उत्पादन और उपयोग से जीवाश्म ईंधन रसद से बचा जा सकेगा और ऊर्जा आवश्यकता के मामले में ये स्थान आत्मनिर्भर बनेंगे।

एनटीपीसी विभिन्न हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों की तैनाती के अलावा पूरे देश में और ज्यादा हाइड्रोजन गतिशीलता परियोजनाएं स्थापित कर रही है तथा आंध्र प्रदेश में हाइड्रोजन हब की स्थापना सहित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तेजी से बढ़ा रही है।

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फ्लोरोजेनिक जांच के उपयोग से एचआईवी जीनोम की स्पष्ट पहचान की नई तकनीक विकसित की गई

शोधकर्ताओं ने फ्लोरोमेट्रिक जांच द्वारा एचआईवी-जीनोम व्युत्पन्न जी-क्वाड्रप्लेक्स के चार जुड़े हुए न्यूक्लियोटाइड्स स्ट्रिंग वाले असामान्य और विशिष्ट डीएनए संरचना की खोज के लिए नई तकनीक विकसित की है। इससे  एचआई वायरस का सटीकता से पता लगाया जा सकता  है।

ह्यूम्न इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस टाइप 1 (एचआईवी-1) एक रेट्रोवायरस है जो प्रतिरोध हीनता जनित सिंड्रोम एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स) के लिए जिम्मेदार है।  मानव स्वास्थ्य के लिए यह दुनिया भर में खतरा बना हुआ है। आम तौर पर एचआईवी की जांच  में शुरुआती संक्रमण का पता नही चल पाता और क्रॉस-रिएक्टिविटी के कारण यह मिथ्या सकारात्मकता का जोखिम बढ़ा सकता है। इस वायरस की आरंभिक पहचान की अन्य जांच में अल्प संवेदनशीलता और दीर्घकालीन प्रक्रिया चलती है। मौजूदा न्यूक्लिक एसिड-आधारित जांच सामान्य तौर पर डीएनए सेंसिंग जांच के उपयोग से गलत पॉजिटिव रिपोर्ट देती हैं जिससे गैर-विशिष्ट और लक्षित एम्पलीकॉन के बीच अंतर जानना मुश्किल हो जाता है। इस संदर्भ में, विशिष्ट न्यूक्लिक एसिड अनुक्रमों की पहचान और लक्ष्यीकरण से झूठी पॉजिटिविटी में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। इसलिए, अब आणविक जांच विकसित होने से रोगजनक जीनोम में असामान्य अद्वितीय न्यूक्लिक एसिड जीक्यू संरचनाओं की भली-भांति पहचान हो सकती है और सटीक नैदानिक जांच के विकास में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।

जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) के वैज्ञानिकों की एक टीम ने नई जांच ​​तकनीक विकसित की है जिसे जीक्यू टोपोलॉजी-टारगेटेड रिलायबल कंफॉर्मेशनल पॉलीमॉर्फिज्म (जीक्यू-सीआरपी) प्लेटफॉर्म कहा जाता है। आरंभ में  इसे सार्स – कोव 2 जैसे रोगजनकों के फ्लोरोमेट्रिक पता लगाने के लिए विकसित किया गया था। अब  इस उपयोगी प्लेटफ़ॉर्म को एचआईवी  की जांच के लिए सफलतापूर्वक अनुकूलित किया गया है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान जेएनसीएएसआर के वैज्ञानिको सुमन प्रतिहार, वसुधर भट एस.वी., कृति के. भागवत, थिमैया गोविंदराजू ने 176-न्यूक्लियोटाइड युक्त जीनोमिक सेगमेंट के रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन और एम्पलीफिकेशन विधि द्वारा एचआईवी-व्युत्पन्न जीक्यू डीएनए का जीक्यू टोपोलॉजी पता लगाने की प्रस्तुति दी।

संबंधित अध्ययन एनालिटिकल केमिस्ट्री में प्रकाशित किया गया है जिसमें जीक्यू संरचना में डीएसडीएनए के पीएच-मध्यस्थ, सुगम, एकल-चरण मात्रात्मक संक्रमण को दिखाया गया है। इसमें बेंज़ोबिस्थियाज़ोल-आधारित फ्लोरोसेंट जांच (टीजीएस64) का उपयोग कर वायरस का पता लगाया जाता है। यह एचआईवी की विश्वसनीय जांच की पद्धति प्रदान करता है।

यह शोध अध्ययन हाल के वर्षों में विकसित अधिकांश अन्य जांच के विपरीत विशिष्ट और असामान्य न्यूक्लिक एसिड-लघु अणु पारस्पारिकता के आधार पर विशिष्ट नैदानिक पद्धति है।

इस आणविक पहचान प्लेटफ़ॉर्म को मौजूदा न्यूक्लिक एसिड आधारित डायग्नोस्टिक प्लेटफ़ॉर्म में शामिल किया जा सकता है, जिससे अनुक्रम विशिष्ट पहचान से उत्पन्न विश्वसनीयता और बढ़ेगी।

यह मौजूदा प्रवर्धन-आधारित तकनीकों की समस्या भी कम कर सकता है, गैर-विशिष्ट प्रवर्धन से उत्पन्न होने वाले भ्रामक-पॉजिटिव परिणामों और लक्षित जीक्यू (गैर-विहित न्यूक्लिक एसिड अनुरूपता) का स्पष्ट रूप से पता लगाने में सहायक हो सकता है।

जीक्यू-आरसीपी आधारित प्लेटफ़ॉर्म को बैक्टीरिया और वायरस सहित विभिन्न डीएनए/आरएनए आधारित रोगों का पता लगाने के लिए व्यावहारिक रूप से अपनाया जा सकता है।

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ईएसआई योजना के अंतर्गत सितंबर, 2024 में 20.58 लाख नए कर्मी नामांकित

कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के वेतन भुगतान संबंधी अनंतिम आंकड़ों से पता चलता है कि इसमें सितंबर, 2024 में 20.58 लाख नए कर्मचारी जोड़े गए हैं।

सितंबर, 2024 तक 23,043 नए प्रतिष्ठानों को ईएसआई योजना के सामाजिक सुरक्षा दायरे में लाया गया है। इससे अधिक कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

इसके अतिरिक्त, वर्ष दर वर्ष विश्लेषण से पता चलता है कि वास्तविक रूप से पंजीकरण में सितंबर 2023 की तुलना में 9 प्रतिशत वृद्धि हुई है।

वर्ष दर वर्ष तुलना
मद सितंबर 2023 सितंबर 2024 वृद्धि
माह के दौरान पंजीकृत नये कर्मचारियों की संख्या  

18.88 लाख

 

20.58 लाख

 

1.70 लाख

आंकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष सितंबर माह के दौरान जोड़े गए कुल 20.58 लाख कर्मचारियों में से 10.05 लाख कर्मचारी 25 वर्ष तक की आयु वर्ग के हैं। यह कुल पंजीकृत कर्मचारियों का लगभग 48.83 प्रतिशत है।

वेतन भुगतान संबंधी आंकड़ों के लिंग-वार विश्लेषण के अनुसार, सितंबर 2024 में 3.91 लाख महिला सदस्यों का भी नामांकन हुआ है। इसके अतिरिक्त, सितंबर, 2024 में कुल 64 ट्रांसजेंडर कर्मचारियों ने भी ईएसआई योजना के तहत पंजीकरण कराया, जो समाज के हर वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए ईएसआईसी की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है।

वेतन भुगतान संबंधी आंकड़े अस्थायी हैं क्योंकि डेटा तैयार करना सतत प्रक्रिया है।

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प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी की दृष्टि और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में गरीब लोगों के लिए पक्के मकान बनाने और उपलब्ध कराने की सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण मई 2014 में प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (2015) और ग्रामीण (2016) का शुभारंभ हुआ।

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई – ग्रामीण) 20 नवंबर 2016 को शुरू की गई, जिसका लक्ष्य समाज के सबसे गरीब वर्गों के लिए आवास प्रदान करना था। लाभार्थियों का चयन कठोर तीन-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है जिसमें सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी 2011) और आवास+ (2018) सर्वेक्षण, ग्राम सभा अनुमोदन और जियो-टैगिंग शामिल है। इससे सुनिश्चित होता है कि सहायता सबसे योग्य व्यक्तियों तक पहुंचे। इस योजना में कुशल निधि संवितरण के लिए आईटी और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) को भी शामिल किया गया है। इसने विभिन्न निर्माण चरणों में जियो-टैग की गई तस्वीरों के माध्यम से क्षेत्र-विशिष्ट आवास डिजाइन और साक्ष्य-आधारित निगरानी भी लागू की है।

मूल रूप से 2023-24 तक 2.95 करोड़ मकानों को पूरा करने का लक्ष्य रखते हुए, इस योजना को 2 करोड़ और मकानों के साथ बढ़ाया गया, जिसमें वित्त वर्ष 2024-29 के लिए ₹3,06,137 करोड़ का कुल परिव्यय और वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹54,500 करोड़ का आवंटन किया गया।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्यक्षता में 9 अगस्त, 2024 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मैदानी क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये और पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों एवं पहाड़ी राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में 1.30 लाख  रुपये की मौजूदा इकाई सहायता पर दो करोड़ और मकानों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

आवेदन प्रक्रिया

पीएमएवाई-जी के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए, लाभार्थियों को सरल ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया https://web.umang.gov.in/landing/department/pmayg.html से गुजरना होगा।

पीएमएवाई-जी के तहत प्रगति:

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत सरकार ने 3.32 करोड़ मकान बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। 19 नवंबर, 2024 तक, 3.21 करोड़ मकानों को मंजूरी दी गई है, और 2.67 करोड़ मकान पूरे हो चुके हैं, जिससे लाखों ग्रामीण परिवारों की रहने की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।

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इस योजना में महिला सशक्तीकरण पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जिसमें 74% स्वीकृत मकानों का स्वामित्व पूरी तरह से या संयुक्त रूप से महिलाओं के पास है। यह योजना अब महिलाओं को 100% स्वामित्व प्रदान करने की आकांक्षा रखती है। कुशल रोजगार भी प्राथमिकता रही है। लगभग 3 लाख ग्रामीण राजमिस्त्रियों को आपदा-रोधी निर्माण में प्रशिक्षित किया गया है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हुई है।

दो करोड़ से अधिक परिवारों के लिए मकानों के निर्माण से लगभग दस करोड़ व्यक्तियों को लाभ होने की उम्मीद है। इस मंजूरी से बिना आवास वाले सभी लोगों और जीर्ण-शीर्ण और कच्चे घरों में रहने वाले लोगों के लिए सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले सुरक्षित मकानों के निर्माण की सुविधा मिलेगी। इससे लाभार्थियों की सुरक्षा, स्वच्छता और सामाजिक समावेशन सुनिश्चित होगा।

पीएमएवाई-जी की मुख्य विशेषताएं हैं:

  • 25 वर्ग मीटर की न्यूनतम इकाई (मकान) का आकार, जिसमें स्वच्छ खाना पकाने के लिए समर्पित क्षेत्र भी शामिल है।
  • लाभार्थी स्थानीय सामग्रियों और प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों का उपयोग करके गुणवत्तापूर्ण मकान बनाते हैं।
  • लाभार्थी को मानक सीमेंट कंक्रीट मकान डिजाइनों के बजाय संरचनात्मक रूप से सुदृढ़, सौंदर्यपूर्ण, सांस्कृतिक और पर्यावरण की दृष्टि से उपयुक्त मकान डिजाइनों का विस्तृत चयन की सुविधा उपलब्ध है।

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निर्माण के लिए संस्थागत ऋण

  • पात्र लाभार्थियों को उनके पक्के मकान के निर्माण के लिए 3% कम ब्याज दर पर ₹70,000 तक का ऋण उपलब्ध है।
  • अधिकतम मूल राशि जिसके लिए सब्सिडी का लाभ उठाया जा सकता है वह ₹2,00,000 है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्माण लागत व्यापक रूप से कवर की गई है।
  • यह अतिरिक्त ऋण सहायता लाभार्थियों पर वित्तीय बोझ को कम करने में मदद करती है, जिससे ग्रामीण परिवारों के लिए गृह निर्माण किफायती हो जाता है।

बेहतर लाभ के लिए सरकारी योजनाओं के साथ अभिसरण

पीएमएवाई-जी ग्रामीण परिवारों के लिए व्यापक सहायता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न अन्य सरकारी पहलों के साथ मिलकर काम करती है। इन योजनाओं का उद्देश्य स्वच्छता, रोजगार, खाना पकाने के ईंधन और जल आपूर्ति जैसी कई जरूरतों को पूरा करके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

  • स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण (एसबीएम-जी): ग्रामीण घरों में बेहतर स्वच्छता सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए लाभार्थियों को शौचालय बनाने के लिए ₹12,000 तक मिलते हैं।
  • मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम): पात्र परिवार अकुशल श्रमिक के रूप में 95 दिनों का रोजगार प्राप्त कर सकते हैं, विशेष रूप से ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण के तहत, ₹90.95 की दैनिक मजदूरी प्राप्त कर सकते हैं।
  • प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई): इस योजना के तहत, प्रत्येक घर मुफ्त एलपीजी कनेक्शन का हकदार है, जो स्वच्छ और सुरक्षित खाना पकाने के ईंधन को बढ़ावा देता है।
  • पाइप्ड पेयजल और बिजली कनेक्शन: लाभार्थियों को पाइप्ड पेयजल और बिजली कनेक्शन सुलभ कराने की सुविधा प्रदान की जाती है, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होता है और असुरक्षित पानी और अनियमित बिजली आपूर्ति से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों में कमी आती है।
  • सामाजिक और तरल अपशिष्ट प्रबंधन: पीएमएवाई-जी लाभार्थियों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छता सुनिश्चित करने, अपशिष्ट प्रबंधन के लिए सरकारी कार्यक्रमों के साथ भी जुड़ती है।

भुगतान स्थानांतरण प्रक्रिया

पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए, पीएमएवाई-जी के तहत सभी भुगतान इलेक्ट्रॉनिक रूप से किए जाते हैं। भुगतान सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों या डाकघर खातों में स्थानांतरित किया जाता है जो आधार से जुड़े होते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि धनराशि बिना किसी देरी के इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुंच जाए।

तकनीकी नवाचार यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के सहयोग से आवास+ 2024 मोबाइल ऐप आधार-आधारित चेहरे प्रमाणीकरण और 3डी हाउस डिजाइन के साथ पारदर्शी लाभार्थी पहचान सुनिश्चित करता है।  इससे लाभार्थी उपयुक्त डिजाइन चुनने में सक्षम होते हैं।

लाभार्थियों के लिए पात्रता मानदंड

विशिष्ट मानदंडों का उपयोग करके पीएमएवाई-जी के लाभार्थियों की पहचान की जाती है।  इससे यह सुनिश्चित होता है कि सबसे योग्य परिवारों, विशेष रूप से आवास अभाव का सामना करने वाले लोगों को प्राथमिकता दी जाती है।

इस योजना के तहत, लाभार्थियों की पहचान एसईसीसी 2011 और आवास+ (2018) सर्वेक्षणों के माध्यम से की जाती है, जिन्हें ग्राम सभाओं द्वारा सत्यापित किया जाता है। पिछले एक दशक में, एसईसीसी 2011 की स्थायी प्रतीक्षा सूची पूरी हो गई है, और 20 से अधिक राज्यों की आवास+ 2018 सूची भी पूरी हो गई है।

पात्रता मानदंड इस प्रकार हैं:

  • आवासहीन परिवार: बिना आश्रय वाले सभी परिवार।
  • कच्चे घरों वाले परिवार: सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 के अनुसार कच्ची दीवारों और कच्ची छत वाले घरों या शून्य, एक या दो कमरों वाले घरों में रहने वाले परिवार।

अनिवार्य समावेशन मानदंड:

निम्नलिखित श्रेणियों के लोग स्वचालित रूप से लाभार्थियों की सूची में शामिल हो जाते हैं:

  • निराश्रित परिवार या भिक्षा पर जीवन यापन करने वाले।
  • मैनुअल मैला ढोने वाले
  • आदिम जनजातीय समूह
  • कानूनी तौर पर रिहा किये गये बंधुआ मजदूर

सहायता के लिए प्राथमिकता

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*19 नवंबर, 2024 तक

पात्र लाभार्थियों के दायरे में, निम्नलिखित श्रेणियों को प्राथमिकता दी जाएगी:

  • बेघर परिवार
  • शून्य या कम कमरे वाले घर (एक से अधिक कमरे वाले घरों के मामले में, कम कमरे वाले घरों को प्राथमिकता दी जाएगी)।

निम्नलिखित सामाजिक-आर्थिक मापदंडों का उपयोग करके गणना किए गए संचयी अभाव स्कोर के आधार पर विशेष प्राथमिकता भी दी जाएगी:

  • ऐसे परिवार जिनमें 16 से 59 वर्ष की आयु का कोई वयस्क सदस्य नहीं है।
  • महिला मुखिया वाले परिवार जिनमें कोई वयस्क पुरुष सदस्य नहीं है।
  • वे परिवार जिनमें 25 वर्ष से अधिक आयु का कोई साक्षर वयस्क नहीं है।
  • ऐसे परिवार जिनमें एक दिव्यांगजन सदस्य है और कोई सक्षम वयस्क नहीं है।
  • भूमिहीन परिवार शारीरिक आकस्मिक श्रम पर निर्भर हैं।

लक्ष्यों का निर्धारण

पीएमएवाई-जी विशिष्ट वंचित समूहों के लिए लक्षित सहायता भी सुनिश्चित करती है:

     .अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी): यह योजना एससी/एसटी परिवारों के लिए न्यूनतम 60% लक्ष्य आरक्षित करती है, जिसमें 59.58 लाख एससी घर और 58.57 लाख एसटी घर पूरे हो गए हैं।

  • “सभी के लिए आवास” के उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक और महत्वपूर्ण पहल धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान है जो जनजातीय विकास पर केंद्रित है, जिसमें 63,843 गांवों को शामिल किया गया है, जिससे 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 5 करोड़ से अधिक जनजातीय लोगों को लाभ मिलता है। यह पहल आवास और सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका में महत्वपूर्ण अंतराल को दूर करती है।  इससे 72.31 लाख आदिवासी परिवार पहले से ही लाभान्वित हो रहे हैं।
  • लक्ष्य का 5% अलग-अलग दिव्यांग लाभार्थियों के लिए आरक्षित है, और अन्य 5% ओडिशा में फानी चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित परिवारों के लिए आवास को प्राथमिकता देता है।
  • अल्पसंख्यक: राष्ट्रीय स्तर पर कुल धनराशि का 15% अल्पसंख्यक परिवारों के लिए निर्धारित किया गया है। राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के बीच लक्ष्यों का आवंटन जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार अल्पसंख्यकों की आनुपातिक ग्रामीण आबादी पर आधारित है।

बहिष्करण की शर्त

कुछ परिवारों को उनकी वित्तीय स्थिति और संपत्ति के आधार पर योजना से बाहर रखा गया है। निम्नलिखित परिवारों को स्वचालित रूप से बाहर कर दिया जाएगा:

  • जिन परिवारों के पास किसान क्रेडिट कार्ड है और उनकी क्रेडिट सीमा ₹50,000 या उससे अधिक है।
  • सरकारी कर्मचारी या गैर-कृषि उद्यम वाले।
  • 15,000 रुपये से अधिक मासिक आय वाले या आयकर का भुगतान करने वाले परिवार।
  • जिन परिवारों के पास रेफ्रिजरेटर, लैंडलाइन फोन या सिंचित भूमि (2.5 एकड़ से अधिक) जैसी संपत्ति है।

समावेशिता को बढ़ाने के लिए, बहिष्करण मानदंड को 13 से घटाकर 10 कर दिया गया है, मछली पकड़ने वाली नाव या मोटर चालित दोपहिया वाहन के स्वामित्व जैसी शर्तों को हटा दिया गया है, और आय सीमा को बढ़ाकर ₹15,000 प्रति माह कर दिया गया है।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) ने सुरक्षित आवास प्रदान करके लाखों ग्रामीण परिवारों की जीवन स्थितियों को बदलने में उल्लेखनीय प्रगति की है। पीएमएवाई-जी आवास योजना से कहीं अधिक है – यह ग्रामीण भारत को सशक्त बनाने, सामाजिक समानता सुनिश्चित करने और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान के लिए आंदोलन है। दो करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण के लिए हालिया मंजूरी के साथ, सरकार “सभी के लिए आवास” लक्ष्य हासिल करने की प्रतिबद्धता को मजबूत कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक पात्र परिवार को गुणवत्तापूर्ण आवास और सम्मानजनक जीवन मिले।

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निडर, निष्पक्ष और सकारात्मक पत्रकारिता पर जोर

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर, -श्रीमदभगवत गीता को आत्मसात कर पत्रकारिता करें, इसमें है निर्माण का संदेश
कानपुर। भगवत गीता सिखाती है कि किस तरह निष्पक्ष, निडर, निस्वार्थ रहकर हम कर्म करें, जो हमें संतोष देगा और एक अच्छे समाज का निर्माण करेगा। पत्रकार भी गीता को आत्मसात कर पत्रकारिता धर्म का निर्वहन करें।
ये विचार कानपुर प्रेस क्लब की ओर से नवीन मार्केट कार्यालय में “पत्रकारिता में गीता का महत्व” विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किए। श्रीमद भगवत गीता वैदिक न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उमेश पालीवाल ने कहा समाज और राष्ट्र निर्माण में पत्रकारों की बड़ी भूमिका है। उन्हें गीता के संदेशों पर अमल करना चाहिए। उसमें स्पष्ट है कि कर्म ही धर्म है, उसी रास्ते पर बिना किसी डर, पक्षपात और स्वार्थ निष्काम भाव से चलते रहो। पत्रकारिता धर्म का निर्वहन इसी भाव से करो तो राष्ट्र मजबूत होगा। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़कर गीता को प्रचारित कर रहे अमरनाथ ने कहा कि निडर और निष्पक्ष पत्रकारिता से बड़ा कोई धर्म नहीं है और इस पवित्र कर्म के पथ पर कदम नहीं डगमगाएं, गीता वैदिक न्यास के जिलाध्यक्ष एवं समजसेवी भूपेश अवस्थी ने कहा गीता के संदेश हृदय में रख पत्रकारिता के रास्ते पर चलेंगे तो बिल्कुल न तो डरेंगे और न ही विचलित होंगे। वरिष्ठ पत्रकार जुवैद फारूखी ने कहा गीता और कुरान, दोनों ही कर्म और इंसानियत की राह पर चलना सिखाते हैं, कर्म ही प्रधान है। गीता न्यास से जुड़े कमल द्विवेदी ने कर्मयोग पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ पत्रकार महेश शर्मा ने शायरी के जरिये कर्मयोग की बात कही। प्रेस क्लब के अध्यक्ष सरस वाजपेयी ने सकारात्मक पत्रकारिता पर जोर देते हुए गीता आत्मसात करने की अपील की। इस मौके पर प्रेस क्लब के मंत्री शिवराज साहू, मोहित दुबे, कोषाध्यक्ष सुनील साहू, कौशतुभ मिश्र, रोहित मिश्र, दीपक सिंह, मयंक मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार जीपी वर्मा, अनिल मिश्र, उन्नाव-शुक्लागंज प्रेस क्लब के अध्यक्ष मयंक और कई पत्रकार मौजूद रहे। संचालन प्रेस क्लब के महामंत्री शैलेश अवस्थी ने किया। इस मौके पर डॉ. उमेश पालीवाल सहित सभी अथितियों को शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

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