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राजनीति

पीयूष गोयल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में पब्लिक सिस्टम लैब (पीएसएल) का उद्घाटन किया

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कल अपने संबोधन में एक विकसित राष्ट्र के निर्माण की बात कही और एक विकसित भारत बनने के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ जय अनुसंधान का एक स्पष्ट आह्वान किया। जय अनुसंधान के प्रधान मंत्री के आह्वान का उल्लेख करते हुए,  श्री गोयल ने कहा कि  “अमृत काल में प्रवेश करने के पहले ही दिन सार्वजनिक प्रणाली प्रयोगशाला (पब्लिक सिस्टम लैब – पीएसएल) की शुरुआत करने का इससे बेहतर तरीका और क्या हो सकता हैI वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में पब्लिक सिस्टम लैब (पीएसएल) का उद्घाटन करने के अवसर पर बोल रहे थे। मंत्री महोदय ने कहा, “पब्लिक सिस्टम लैब कई तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती  है। सार्वजनिक खाद्य खरीद और वितरण ऐसा ही  एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम हैं जिसमें यह नवाचार अत्यधिक योगदान दे सकता है।” सार्वजनिक प्रणाली प्रयोगशाला नवाचार का एक ऐसा ही  आदर्श उदाहरण है जो हमारे राष्ट्र के विकास में योगदान देगा और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में दक्षता लाकर देश को भ्रष्टाचार से छुटकारा दिलाएगा”।

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सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक प्रभावी तथा कुशल बनाने के लिए नवाचार और अभिनव समाधानों के उपयोग पर सरकार के जोर दिए जाने के बारे में बोलते हुए श्री गोयल ने कहा “वैश्विक महामारी के दौरान  प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) जैसी सरकारी पहलों के माध्यम से  भारत खाद्य सुरक्षा से निपटने में दुनिया के लिए एक रोल मॉडल रहा है। ऐसी व्यापक महामारी के बावजूद सरकार ने एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड के माध्यम से सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है।

सार्वजनिक प्रणाली प्रयोगशाला (पब्लिक लैब सिस्टम)  की स्थापना के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली और विश्व खाद्य कार्यक्रम की सराहना करते हुए, श्री गोयल ने कहा कि इस दिशा में  किए जा रहे शोध कार्य विश्व में सार्वजनिक वितरण प्रणाली को अधिक कुशल एवं प्रभावी बनाने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार के उपयोग को प्रदर्शित करेंगे। युवाओं से एक विकसित और समृद्ध भारत के निर्माण में अपना  योगदान देने का आह्वान करते हुए  श्री गोयल ने कहा “आज भारत की चर्चा दुनिया में एक उभरती हुई महाशक्ति के रूप में, स्टार्टअप्स के राष्ट्र के रूप में, नवोन्मेषकों के राष्ट्र के रूप में और अपने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को समय से पहले ही प्राप्त करने वाले राष्ट्र के रूप में की जाती है। और यह तभी संभव है जब युवा मष्तिष्क भारत के विकास में योगदान देने वाले नवीन विचारों के साथ आए। सार्वजनिक प्रणाली प्रयोगशाला (पब्लिक सिस्टम लैब – पीएसएल) की शुरुआत होने  से नागरिकों पर बहुत प्रभाव पड़ेगा  और इससे शिक्षाविदों तथा अन्य हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण लाभ मिलेगा। यह प्रयोगशाला संचालन अनुसंधान,  कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) , डेटा विज्ञान आदि के ज्ञान का उपयोग उन महत्वपूर्ण समस्याओं को हल करने के लिए करेगी जो करोड़ों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह खाद्य, स्वास्थ्य, परिवहन और सुशासन के क्षेत्र में काम करेगा। वर्तमान लक्ष्य  खाद्य आपूर्ति श्रृंखला और सार्वजनिक परिवहन का  अनुकूलन और इष्टतम उपयोग करना हैI

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धर्मेंद्र प्रधान ने नागरिकों से न्यू इंडिया के लिए पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए नागरिक सर्वेक्षण में भाग लेने का आग्रह किया

केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने नागरिकों से एक नया पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के लिए नागरिक सर्वेक्षण में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 के अनुरूप एक सशक्त राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक प्रमुख भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि एक जीवंत, सशक्त, समावेशी और भविष्यवादी राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का विकास वैश्विक दृष्टिकोण के साथ समन्वित सांस्कृतिक सुदृढ़ता सहित, शिक्षा को औपनिवेशिक प्रभाव से मुक्त करने और हमारी अगली पीढ़ियों में गर्व की गहरी भावना पैदा करने के लिए आवश्यक है।

शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार करने और बाद में पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और अन्य शिक्षण सामग्री के डिजाइन के लिए एक ऑनलाइन सार्वजनिक परामर्श सर्वेक्षण के माध्यम से जनता के सुझाव आमंत्रित किए हैं।

भारत सरकार ने 29 जुलाई, 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 की घोषणा की, जो राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) विकसित करते हुए शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में सुधार की सिफारिश करती है। जिला परामर्श समितियों, राज्य फोकस समूहों और राज्य संचालन समिति, राष्ट्रीय फोकस समूहों और राष्ट्रीय संचालन समिति आदि के गठन के माध्यम से राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा की प्रक्रिया शुरू की गई है।

एक तकनीकी मंच-वेबसाइट और मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, ताकि बड़े पैमाने पर और कागज रहित तरीके से कार्य का निष्पादन करना संभव हो सके। माता-पिता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, शिक्षक-अध्यापक जैसे हितधारकों तक पहुंचने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बॉटम-अप दृष्टिकोण का उपयोग करते हुए, राज्य फोकस समूहों और राज्य संचालन समिति के माध्यम से जिला स्तरीय परामर्श, मोबाइल ऐप-आधारित सर्वेक्षण, राज्य स्तरीय विचार-विमर्श आयोजित किए गए हैं। शिक्षक, छात्र, आदि जमीनी स्तर पर और स्कूली शिक्षा के भविष्य, बचपन की देखभाल और शिक्षा, शिक्षक शिक्षा और वयस्क शिक्षा के बारे में अपने विचार और राय एकत्रित करते हैं।

राष्ट्रीय स्तर पर भी राष्ट्रीय फोकस समूहों और राष्ट्रीय संचालन समिति को विभिन्न मुद्दों व चिंताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए लगाया गया है, जिसमें विभिन्न मंत्रालयों, स्वायत्त निकायों, गैर-सरकारी संगठनों, कंपनियों, परोपकारी एजेंसियों आदि के साथ बातचीत शामिल है, ताकि एनसीएफ की फॉर्मूलेशन के लिए मूल्यवान इनपुट एकत्रित किया जा सके। इस प्रक्रिया में हितधारकों का मार्गदर्शन करने के लिए एनसीएफ के निर्माण के लिए एक शासनादेश दस्तावेज विकसित किया गया है।

देश में विविधता को देखते हुए, प्रत्येक हितधारक को अवसर प्रदान करना समय की आवश्यकता है। भारत में शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन लाने और संबंधित सामान्य चिंताओं पर विचार साझा करने के प्रति इच्छुक व्यक्ति इसमें भाग ले सकते हैं, चाहे वे अनिवार्य रूप से माता-पिता या शिक्षक या छात्र न हों। इस तरह के भिन्न-भिन्न और विविध विचारों से एनईपी 2020 के विजन के सुचारु कार्यान्वयन के लिए एक व्यावहारिक रोड-मैप तैयार होने की संभावना है।

शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों/प्राचार्यों, स्कूल संचालकों, शिक्षाविदों, अभिभावकों, छात्रों, समुदाय के सदस्यों, गैर-सरकारी संगठनों, विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों, कलाकारों, कारीगरों, किसानों और स्कूली शिक्षा और शिक्षक शिक्षा में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति सहित सभी हितधारकों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। यह ऑनलाइन सर्वेक्षण हमारे संविधान की आठवीं अनुसूची की भाषाओं सहित 23 भाषाओं में किया जा रहा है।

हमसे जुड़ें और ऑनलाइन सर्वेक्षण में भाग लें तथा भारत में शिक्षा के लिए एक मजबूत, लचीला और सुसंगत इको-सिस्टम तैयार करने में योगदान दें। अभी ऑनलाइन सर्वेक्षण करने के लिए लिंक: https://ncfsurvey.ncert.gov.in पर क्लिक करें।

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हर घर तिरंगा अभियान के तहत ‘हर घर तिरंगा’ वेबसाइट पर 6 करोड़ से ज्यादा तिरंगा सेल्फी अपलोड की गईं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर हर घर में तिरंगा लाने और उसे फहराने हेतु लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए “हर घर तिरंगा” अभियान शुरू किया। इस पहल का मकसद लोगों के दिलों में देशभक्ति की भावना जगाना और जनभागीदारी की भावना से आजादी का अमृत महोत्सव मनाना था। राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और मंत्रालयों ने पूरे जोश के साथ इस अभियान में बड़े पैमाने पर भाग लिया। विभिन्न स्थानों के गैर सरकारी संगठनों और स्वयं सहायता समूहों ने भी हर घर तिरंगा को आजादी के अमृत महोत्सव की कामयाबी के रास्ते में एक प्रतिष्ठित बेंचमार्क बनाने में योगदान दिया। पूरे मुल्क की देशभक्ति और एकता को चित्रित करने के लिए स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों को शामिल करते हुए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए।

इस अभियान के दौरान कई नए कीर्तिमानों को छुआ गया जैसे चंडीगढ़ के सेक्टर 16 के क्रिकेट स्टेडियम में 5,885 लोगों की भागीदारी से ‘राष्ट्रीय ध्वज लहराती हुई दुनिया की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला की तस्वीर’ का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया गया। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को मजबूत करने के लिए एनआईडी फाउंडेशन और चंडीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।

एक और शानदार उपलब्धि ये रही कि हर घर तिरंगा की वेबसाइट पर 6 करोड़ से ज्यादा तिरंगा सेल्फी अपलोड की गई हैं। हाइब्रिड प्रारूप में तैयार किए गए इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत तौर पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ वास्तविक और भावनात्मक जुड़ाव की परिकल्पना की गई थी। साथ ही साथ इस पहल के लिए बनाई गई विशेष वेबसाइट (www.harghartirang.com) पर एक सेल्फी अपलोड करने के जरिए सामूहिक उत्सव और देशभक्ति की उमंग को बढ़ाने की भी परिकल्पना की गई थी।

इसके अलावा ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक हिस्से के तौर पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत सेलिब्रेशंस को चिन्हित करने के लिए श्रीनगर जिला प्रशासन ने स्वतंत्रता के 75वें साल का जश्न मनाने के लिए बख्शी स्टेडियम में 1850 मीटर लंबे राष्ट्रीय ध्वज को प्रदर्शित करके एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।

केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास (डीओएनईआर) मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने देश के नागरिकों को धन्यवाद दिया और कहा, हर घर तिरंगा अभियान को सफल बनाने के लिए पूरा देश साथ आया है। विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का इस तरह का उत्साह राष्ट्र की एकता और अखंडता की अटूट भावना का प्रतीक है। उन्होंने कहा, “पूरे देश ने हर घर तिरंगा अभियान में हिस्सा लिया और तिरंगे के साथ 6 करोड़ से अधिक सेल्फी ली गईं और अपलोड की गईं। ये इस महान राष्ट्र के लिए हमारे प्यार और गर्व को दर्शाता है। जिन लोगों ने तिरंगे के साथ सेल्फी ली हैमैं उन सभी से अनुरोध करूंगा कि उत्सव की इस भावना को जारी रखने के लिए हर घर तिरंगा पोर्टल पर तस्वीरें अपलोड करना जारी रखें।श्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, हर घर तिरंगा अभियान में शामिल होने के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान को सफल करने के लिए धन्यवाद भारत।” उन्होंने आगे कहा, “जब भी प्रधानमंत्री जी ने देश के नागरिकों से आह्वान किया हैतब लोगों ने काफी उत्साह के साथ प्रतिक्रिया दी है। चाहे लोगों से आग्रह किया गया हो कि जिन्हें एलपीजी सब्सिडी की जरूरत नहीं है वे इसे त्याग देंया फिर कोविड-19 फ्रंटलाइन योद्धाओं के प्रयासों को मान सम्मान देने की बात होया फिर हर घर तिरंगा अभियान हो।” भारत स्वतंत्रता के अपने 76वें वर्ष की ओर अब बढ़ रहा है और उससे पहले हर घर तिरंगा अभियान ने 15 अगस्त 2022 तक 75 सप्ताह की उलटी गिनती को पूरा किया। ये अभियान आजादी का अमृत महोत्सव के नोडल मंत्रालयसंस्कृति मंत्रालय द्वारा संचालित था।

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‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए रक्षा मंत्रालय क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी में छलांग लगाने को पूरी तरह तैयार

ऐसे समय जब देश स्वतंत्रता के 75 साल पर ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है, तो भारत उच्चस्तरीय रक्षा प्रणालियों से अपने सशस्त्र बलों को लैस करने के लिए स्वदेशी और अधिक उन्नत क्वांटम संचार प्रौद्योगिकी के साथ वैश्विक नेताओं की पांत में शामिल होने के लिए तैयार है। रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स)
– रक्षा नवाचार संगठन (डीआईओ) के तत्वावधान में बेंगलुरु स्थित डीप टेक स्टार्ट-अप क्यूएनयू लैब्स ने क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (क्यूकेडी) के माध्यम से उन्नत सुरक्षित संचार का नवाचार कर दूरी की बाधाओं को तोड़ दिया है । यह परियोजना भारतीय सेना के साथ आईडीएक्स-डीआईओ द्वारा क्यूरेटेड की गई । सफल परीक्षणों के बाद अब भारतीय सेना ने प्रस्ताव (आरएफपी) और इसकी तैनाती के लिए वाणिज्यिक अनुरोध जारी करके क्यूएनयू लैब्स द्वारा विकसित क्यूकेडी सिस्टम की खरीद की प्रक्रिया शुरू की है।

क्वांटम प्रौद्योगिकी की सैन्य प्रयोजनों में काफी संभावना है तथा आधुनिक काल के युद्ध में लीक से हट कर यह प्रभाव डाल सकती है । एक क्यूकेडी प्रणाली स्थलीय ऑप्टिकल फाइबर बुनियादी ढांचे में कुछ दूरी (इस मामले में, 150 किमी से अधिक) के बीच अलग-अलग दूरी (150 किमी से अधिक) के बीच सममितीय की के क्वांटम सिक्योर सीक्रेट पेयर के निर्माण की अनुमति देती है । क्यूकेडी हैक न किए जाने योग्य क्वांटम चैनल बनाने में मदद करता है ताकि हैक न किए जाने योग्य एन्क्रिप्शन कुंजी बनाई जा सके, जिसका उपयोग एंड पॉइंट्स पर महत्वपूर्ण डेटा / आवाज / वीडियो को एन्क्रिप्ट करने के लिए किया जाता है।

स्टार्ट-अप की सफलता से उत्साहित रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार ने ‘आज़ादी का अमृत काल’ में एक मील की पत्थर की उपलब्धि के रूप में स्वदेशी क्यूकेडी प्रौद्योगिकी के विकास को और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की एक सफल सफलता की कहानी के रूप में बताया । उन्होंने डीप टेक में काम कर रहे आईडीईएक्स स्टार्ट-अप के प्रयासों की सराहना की क्योंकि वे आधुनिक और भविष्य के युद्ध के लिए अभिनव समाधान के साथ सशस्त्र बलों को लैस कर रहे हैं । रक्षा सचिव ने रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय, आईडीईएक्स-डीआईओ, आर्मी डिजाइन ब्यूरो और भारतीय सेना सिग्नल निदेशालय के प्रयासों की भी सराहना की, जिसने देश में पहली बार हाई एंड क्वांटम प्रौद्योगिकी के विकास में योगदान दिया है । उन्होंने कहा कि आईडीईएक्स रक्षा नवाचार में क्रांतिकारी बदलाव करता है और लागत और समय के एक अंश पर नए तकनीकी समाधानों को बढ़ावा देने में मदद करता है।

क्यूएनयू लैब्स के सह-संस्थापक और सीईओ श्री सुनील गुप्ता ने कहा कि भारत को क्वाण्टम प्रौद्योगिकी के ज़रिए डीप तकनीक के क्षेत्र में आगे रखने के दृष्टिकोण ने अंततः परिणाम दिए हैं । उन्होंने कहा कि आईडीईएक्स के ओपन चैलेंज -2 जीतने ने इस सफलता को प्राप्त करने के लिए क्यूएनयू प्रयोगशालाओं को लॉन्चिंग पैड प्रदान किया है।

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राजस्थान के जोधपुर में एक कार्यक्रम में रक्षा मंत्री ने कहा कि बुरी नजर डालने वाले किसी भी व्यक्ति से देश की रक्षा के लिए फुलप्रूफ सुरक्षा तंत्र मौजूद है

सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी भारत विरोधी तत्व देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता पर बुरी नजर न डाले एक फुलप्रूफ सुरक्षा तंत्र बनाया है । यह बात रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने दिनांक 13 अगस्त, 2022 को राजस्थान के जोधपुर में प्रसिद्ध मारवाड़ी योद्धा वीर दुर्गादास राठौड़ की प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर कही । श्री राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने भारत के लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी है और राष्ट्र को आश्वासन दिया है कि जो भी देश में शांति और सद्भाव को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसे करारा जवाब दिया जाएगा । उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को नवीनतम हथियारों / प्लेटफार्मों से लैस किया जा रहा है, साथ ही उन्होंने यह जोड़ा कि वे भविष्य के सभी खतरों से निपटने और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तैयार हैं।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/PIC2TO5E.jpg

रक्षा मंत्री ने एक सशक्त सेना बनाने के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि रक्षा मंत्रालय ने ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत सशस्त्र बलों के लिए स्वदेशी हथियारों/ प्लेटफॉर्मों के निर्माण के लिए अनेक सुधार किए हैं । उन्होंने कुछ सुधारों को सूचीबद्ध किया, जिसमें 2022-23 में घरेलू उद्योग के लिए पूंजीगत खरीद बजट का 68 प्रतिशत और निजी उद्योग के लिए घरेलू पूंजी खरीद बजट का 25 प्रतिशत आवंटित करना शामिल है।

श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए गए उपायों के कारण भारत दुनिया के शीर्ष 25 रक्षा निर्यातकों में जगह बनाने के लिए छलांग लगा चुका है । उन्होंने कहा, “इस दशक के अंत तक भारत न केवल अपने लिए रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा किंतु मित्रवत विदेशी देशों की जरूरतों को भी पूरा करेगा । ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ हमारे रक्षा उत्पादन विभाग का नया मंत्र है । हमारा संकल्प आने वाले समय में भारत को रक्षा उपकरणों का शुद्ध निर्यातक बनाना है।”

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर वीर दुर्गादास राठौड़ को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्हें सामाजिक सद्भाव, ईमानदारी, बहादुरी और भक्ति का प्रतीक बताया । उन्होंने कहा कि जाति या धर्म के बावजूद लोगों को वीर दुर्गादास राठौड़ से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने समाज में विभाजनकारी तत्वों के खिलाफ शांति और सद्भाव के लिए प्रयास किया।

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भारत की माननीया राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 76वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश

छिहत्तरवें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर देश-विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को मैं हार्दिक बधाई देती हूं। इस गौरवपूर्ण अवसर पर आपको संबोधित करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। एक स्वाधीन देश के रूप में भारत 75 साल पूरे कर रहा है। 14 अगस्त के दिन को विभाजन-विभीषिका स्मृति-दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। इस स्मृति दिवस को मनाने का उद्देश्य सामाजिक सद्भाव, मानव सशक्तीकरण और एकता को बढ़ावा देना है। 15 अगस्त 1947 के दिन हमने औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों को काट दिया था। उस दिन हमने अपनी नियति को नया स्वरूप देने का निर्णय लिया था। उस शुभ-दिवस की वर्षगांठ मनाते हुए हम लोग सभी स्वाधीनता सेनानियों को सादर नमन करते हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया ताकि हम सब एक स्वाधीन भारत में सांस ले सकें।

भारत की आजादी हमारे साथ-साथ विश्व में लोकतंत्र के हर समर्थक के लिए उत्सव का विषय है। जब भारत स्वाधीन हुआ तो अनेक अंतरराष्ट्रीय नेताओं और विचारकों ने हमारी लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली की सफलता के विषय में आशंका व्यक्त की थी। उनकी इस आशंका के कई कारण भी थे। उन दिनों लोकतंत्र आर्थिक रूप से उन्नत राष्ट्रों तक ही सीमित था। विदेशी शासकों ने वर्षों तक भारत का शोषण किया था। इस कारण भारत के लोग गरीबी और अशिक्षा से जूझ रहे थे। लेकिन भारतवासियों ने उन लोगों की आशंकाओं को गलत साबित कर दिया। भारत की मिट्टी में लोकतंत्र की जड़ें लगातार गहरी और मजबूत होती गईं।

अधिकांश लोकतान्त्रिक देशों में वोट देने का अधिकार प्राप्त करने के लिए महिलाओं को लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ा था। लेकिन हमारे गणतंत्र की शुरुआत से ही भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार को अपनाया। इस प्रकार आधुनिक भारत के निर्माताओं ने प्रत्येक वयस्क नागरिक को राष्ट्र-निर्माण की सामूहिक प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर प्रदान किया। भारत को यह श्रेय जाता है कि उसने विश्व समुदाय को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता से परिचित कराया।

मैं मानती हूं कि भारत की यह उपलब्धि केवल संयोग नहीं थी। सभ्यता के आरंभ में ही भारत-भूमि के संतों और महात्माओं ने सभी प्राणियों की समानता व एकता पर आधारित जीवन-दृष्टि विकसित कर ली थी। महात्मा गांधी जैसे महानायकों के नेतृत्व में हुए स्वाधीनता संग्राम के दौरान हमारे प्राचीन जीवन-मूल्यों को आधुनिक युग में फिर से स्थापित किया गया। इसी कारण से हमारे लोकतंत्र में भारतीयता के तत्व दिखाई देते हैं। गांधीजी सत्ता के विकेंद्रीकरण और जन-साधारण को अधिकार-सम्पन्न बनाने के पक्षधर थे।

पिछले 75 सप्ताह से हमारे देश में स्वाधीनता संग्राम के महान आदर्शों का स्मरण किया जा रहा है। ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मार्च 2021 में दांडी यात्रा की स्मृति को फिर से जीवंत रूप देकर शुरू किया गया। उस युगांतरकारी आंदोलन ने हमारे संघर्ष को विश्व-पटल पर स्थापित किया। उसे सम्मान देकर हमारे इस महोत्सव की शुरुआत की गई। यह महोत्सव भारत की जनता को समर्पित है। देशवासियों द्वारा हासिल की गई सफलता के आधार पर ‘आत्मनिर्भर भारत’ के निर्माण का संकल्प भी इस उत्सव का हिस्सा है। हर आयु वर्ग के नागरिक पूरे देश में आयोजित इस महोत्सव के कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। यह भव्य महोत्सव अब ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के साथ आगे बढ़ रहा है। आज देश के कोने-कोने में हमारा तिरंगा शान से लहरा रहा है। स्वाधीनता आंदोलन के आदर्शों के प्रति इतने व्यापक स्तर पर लोगों में जागरूकता को देखकर हमारे स्वाधीनता सेनानी अवश्य प्रफुल्लित हुए होते।

हमारा गौरवशाली स्वाधीनता संग्राम इस विशाल भारत-भूमि में बहादुरी के साथ संचालित होता रहा। अनेक महान स्वाधीनता सेनानियों ने वीरता के उदाहरण प्रस्तुत किए और राष्ट्र-जागरण की मशाल अगली पीढ़ी को सौंपी। अनेक वीर योद्धाओं तथा उनके संघर्षों विशेषकर किसानों और आदिवासी समुदाय के वीरों का योगदान एक लंबे समय तक सामूहिक स्मृति से बाहर रहा। पिछले वर्ष से हर 15 नवंबर को ‘जन-जातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का सरकार का निर्णय स्वागत-योग्य है। हमारे जन-जातीय महानायक केवल स्थानीय या क्षेत्रीय प्रतीक नहीं हैं बल्कि वे पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

प्यारे देशवासियो,

एक राष्ट्र के लिए, विशेष रूप से भारत जैसे प्राचीन देश के लंबे इतिहास में, 75 वर्ष का समय बहुत छोटा प्रतीत होता है। लेकिन व्यक्तिगत स्तर पर यह काल-खंड एक जीवन-यात्रा जैसा है। हमारे वरिष्ठ नागरिकों ने अपने जीवनकाल में अद्भुत परिवर्तन देखे हैं। वे गवाह हैं कि कैसे आजादी के बाद सभी पीढ़ियों ने कड़ी मेहनत की, विशाल चुनौतियों का सामना किया और स्वयं अपने भाग्य-विधाता बने। इस दौर में हमने जो कुछ सीखा है वह सब उपयोगी साबित होगा क्योंकि हम राष्ट्र की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हम सब 2047 में स्वाधीनता के शताब्दी-उत्सव तक की 25 वर्ष की अवधि यानि भारत के अमृत-काल में प्रवेश कर रहे हैं।

हमारा संकल्प है कि वर्ष 2047 तक हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों को पूरी तरह साकार कर लेंगे। इसी काल-खंड में हम बाबासाहब भीमराव आम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान का निर्माण करने वाली विभूतियों के vision को साकार कर चुके होंगे। एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हम पहले से ही तत्पर हैं। वह एक ऐसा भारत होगा जो अपनी संभावनाओं को साकार कर चुका होगा।

दुनिया ने हाल के वर्षों में एक नए भारत को उभरते हुए देखा है, खासकर COVID-19 के प्रकोप के बाद। इस महामारी का सामना हमने जिस तरह किया है उसकी सर्वत्र सराहना की गई है। हमने देश में ही निर्मित वैक्सीन के साथ मानव इतिहास का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान शुरू किया। पिछले महीने हमने दो सौ करोड़ वैक्सीन कवरेज का आंकड़ा पार कर लिया है। इस महामारी का सामना करने में हमारी उपलब्धियां विश्व के अनेक विकसित देशों से अधिक रही हैं। इस प्रशंसनीय उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं। इस आपदा में कोरोना योद्धाओं द्वारा किया गया योगदान विशेष रूप से प्रशंसनीय है।

कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में मानव-जीवन और अर्थ-व्यवस्थाओं पर कठोर प्रहार किया है। जब दुनिया इस गंभीर संकट के आर्थिक परिणामों से जूझ रही थी तब भारत ने स्वयं को संभाला और अब पुनः तीव्र गति से आगे बढ़ने लगा है। इस समय भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में से एक है। भारत के start-up eco-system का विश्व में ऊंचा स्थान है। हमारे देश में start-ups की सफलता, विशेषकर unicorns की बढ़ती हुई संख्या, हमारी औद्योगिक प्रगति का शानदार उदाहरण है। विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थ-व्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान physical और digital infrastructure के विकास में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। प्रधानमंत्री गति-शक्ति योजना के द्वारा connectivity को बेहतर बनाया जा रहा है। परिवहन के जल, थल, वायु आदि पर आधारित सभी माध्यमों को भली-भांति एक दूसरे के साथ जोड़कर पूरे देश में आवागमन को सुगम बनाया जा रहा है। प्रगति के प्रति हमारे देश में दिखाई दे रहे उत्साह का श्रेय कड़ी मेहनत करने वाले हमारे किसान व मजदूर भाई-बहनों को भी जाता है। साथ ही व्यवसाय की सूझ-बूझ से समृद्धि का सृजन करने वाले हमारे उद्यमियों को भी जाता है। सबसे अधिक खुशी की बात यह है कि देश का आर्थिक विकास और अधिक समावेशी होता जा रहा है तथा क्षेत्रीय विषमताएं भी कम हो रही हैं।

लेकिन यह तो केवल शुरुआत ही है। दूरगामी परिणामों वाले सुधारों और नीतियों द्वारा इन परिवर्तनों की आधार-भूमि पहले से ही तैयार की जा रही थी। उदाहरण के लिए ‘Digital India’ अभियान द्वारा ज्ञान पर आधारित अर्थ-व्यवस्था की आधारशिला स्थापित की जा रही है। ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ का उद्देश्य भावी पीढ़ी को औद्योगिक क्रांति के अगले चरण के लिए तैयार करना तथा उन्हें हमारी विरासत के साथ फिर से जोड़ना भी है।

आर्थिक प्रगति से देशवासियों का जीवन और भी सुगम होता जा रहा है। आर्थिक सुधारों के साथ-साथ जन-कल्याण के नए कदम भी उठाए जा रहे हैं। ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ की सहायता से गरीब के पास स्वयं का घर होना अब एक सपना नहीं रह गया है बल्कि सच्चाई का रूप ले चुका है। इसी तरह ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत ‘हर घर जल’ योजना पर कार्य चल रहा है।

इन उपायों का और इसी तरह के अन्य प्रयासों का उद्देश्य सभी को, विशेषकर गरीबों को, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। भारत में आज संवेदनशीलता व करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य हमारे वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के हाशिये पर रहने वाले लोगों के कल्याण हेतु कार्य करना है। हमारे राष्ट्रीय मूल्यों को, नागरिकों के मूल कर्तव्यों के रूप में, भारत के संविधान में समाहित किया गया है। देश के प्रत्येक नागरिक से मेरा अनुरोध है कि वे अपने मूल कर्तव्यों के बारे में जानें, उनका पालन करें, जिससे हमारा राष्ट्र नई ऊंचाइयों को छू सके।

प्यारे देशवासियो,

आज देश में स्वास्थ्य, शिक्षा और अर्थ-व्यवस्था तथा इनके साथ जुड़े अन्य क्षेत्रों में जो अच्छे बदलाव दिखाई दे रहे हैं उनके मूल में सुशासन पर विशेष बल दिए जाने की प्रमुख भूमिका है। जब ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना से कार्य किया जाता है तो उसका प्रभाव प्रत्येक निर्णय एवं कार्य-क्षेत्र में दिखाई देता है। यह बदलाव विश्व समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा में भी दिखाई दे रहा है।

भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान और सबसे बढ़कर देश की महिलाएं हैं। अब देश में स्त्री-पुरुष के आधार पर असमानता कम हो रही है। महिलाएं अनेक रूढ़ियों और बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रही हैं। सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में उनकी बढ़ती भागीदारी निर्णायक साबित होगी। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से कहीं अधिक है।

हमारे देश की बहुत सी उम्मीदें हमारी बेटियों पर टिकी हुई हैं। समुचित अवसर मिलने पर वे शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। अनेक बेटियों ने हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में देश का गौरव बढ़ाया है। हमारे खिलाड़ी अन्य अंतर-राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। हमारे बहुत से विजेता समाज के वंचित वर्गों में से आते हैं। हमारी बेटियां fighter-pilot से लेकर space scientist होने तक हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं।

प्यारे देशवासियो,

जब हम स्वाधीनता दिवस मनाते हैं तो वास्तव में हम अपनी ‘भारतीयता’ का उत्सव मनाते हैं। हमारा भारत अनेक विविधताओं से भरा देश है। परंतु इस विविधता के साथ ही हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा है जो एक समान है। यही समानता हम सभी देशवासियों को एक सूत्र में पिरोती है तथा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।

भारत अपने पहाड़ों, नदियों, झीलों और वनों तथा उन क्षेत्रों में रहने वाले जीव-जंतुओं के कारण भी अत्यंत आकर्षक है। आज जब हमारे पर्यावरण के सम्मुख नई-नई चुनौतियां आ रही हैं तब हमें भारत की सुंदरता से जुड़ी हर चीज का दृढ़तापूर्वक संरक्षण करना चाहिए। जल, मिट्टी और जैविक विविधता का संरक्षण हमारी भावी पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है। प्रकृति की देखभाल माँ की तरह करना हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हम भारतवासी अपनी पारंपरिक जीवन-शैली से पूरी दुनिया को सही राह दिखा सकते हैं। योग एवं आयुर्वेद विश्व-समुदाय को भारत का अमूल्य उपहार है जिसकी लोकप्रियता पूरी दुनिया में निरंतर बढ़ रही है।

प्यारे देशवासियो,

हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए।

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भारत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है: डॉ. जितेंद्र सिंह

भारत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 105 यूनिकॉर्न हैं जिनमें से 44 यूनिकॉर्न 2021 में और 19 यूनिकॉर्न 2022 में स्थापित हुए हैं। यह बात आज केंद्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान (स्वतंत्र प्रभार); पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित “डीएसटी स्टार्टअप उत्सव” के अवसर पर मुख्य भाषण देते हुए कही। उन्होंने कहा कि 2021-30 के दशक में भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) के लिए परिवर्तनकारी बदलाव होने की उम्मीद है।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कह कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान अनुसंधान और विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) में तीन गुना से अधिक वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत में 5 लाख से अधिक अनुसंधान एवं विकास कर्मी हैं,  इस संख्या में पिछले 8 वर्षों में 40-50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 वर्षों में बाहरी अनुसंधान एवं विकास में महिलाओं की भागीदारी भी दोगुनी हो गई है और अब अमेरिका और चीन के बाद विज्ञान और इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त करने वालों की संख्या के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। बदलती वैश्विक शक्तियों और प्रौद्योगिकी के कारण अंतरराष्ट्रीय जुड़ाव और नियम बनाने का केंद्र बनने के साथ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत वैश्विक मानकों की कसौटी पर खरा उतर रहा है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2015 में लाल किले की प्राचीर से स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत होने का जिक्र करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में अब 75,000 से अधिक स्टार्टअप का केंद्र बन गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी का विशेष फोकस विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर है, जिसमें देश के युवाओं में नए विचारों के साथ समस्याओं को हल करने और नवाचार करने की कल्पना को जागृत किया है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के स्टार्टअप केवल महानगरों या बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि 49 प्रतिशत स्टार्ट-अप टियर-2 और टियर-3 शहरों से हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास आईटी, कृषि, विमानन, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य और अंतरिक्ष क्षेत्रों जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप उभर रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रौद्योगिकी बिजनेस इन्क्यूबेटर (टीबीआई) के प्रमुख कार्यक्रम और 51 सीएडब्ल्यूएसीएच वित्त पोषित स्टार्ट-अप की एक कॉफी टेबल बुक सहित निधि के विभिन्न घटकों के तहत होनहार स्टार्ट-अप की विशेषता वाले 4 प्रकाशन भी जारी किए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत विश्व में प्रौद्योगिकी लेनदेन के लिए सबसे आकर्षक निवेश गंतव्यों के मामले में तीसरे स्थान पर है क्योंकि भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर एक मजबूत फोकस है। उन्होंने कहा भारत वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष देशों में से एक है और यह अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र के शीर्ष पांच देशों में शामिल है। यह क्वांटम प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बौद्धिकता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सेंटर फॉर ऑगमेंटिंग वार विद कोविड-19 हेल्थ क्राइसिस (सीएडब्ल्यूएसीएच) कार्यक्रम को डीएसटी द्वारा रिकॉर्ड समय में तब तैयार किया गया था जब कोविड फैल रहा था। यह भारत सरकार का पहला कार्यक्रम था जिसका उद्देश्य कोविड उत्पाद और समाधानों पर कार्य करने वाले स्टार्टअप की मदद करना था। उन्होंने कहा डीएसटी के कार्यक्रम का समग्र प्रभाव और परिणाम नवाचार और उद्यमिता पर बहुत महत्वपूर्ण रहा है। इससे 160 इन्क्यूबेटरों को बढ़ावा दिया, 12,000 स्टार्टअप को पोषित किया, जिसमें 1627 स्टार्टअप महिलाओं के नेतृत्व वाले थे और इससे 1,31,648 नौकरियों का सृजन हुआ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (जीआईआई) की वैश्विक रैंकिंग में लम्बी छलांग लगाई है। यह वर्ष 2015 में 81वें स्थान पर था जो 2021 में 46वें स्थान पर आ गया। उसने यह उपलब्धि दुनिया की 130 अर्थव्यवस्थाओं में हासिल की है। भारत 34 निम्न मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे स्थान पर है और जीआईआई के मामले में 10 मध्य और दक्षिणी एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में पहले स्थान पर है। जीआईआई रैंकिंग में लगातार सुधार विशाल ज्ञान पूंजी, जीवंत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम और सार्वजनिक और निजी अनुसंधान संगठनों द्वारा किए गए कुछ उत्कृष्ट कार्यों के परिणाम स्वरूप हुआ है।

डीएसटी सचिव, डॉ. एस चंद्रशेखर ने कहा कि भारत ने हाल के 7-8 वर्षों में एसटीआई क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है और कई प्रकाशनों के मामले में देश के समग्र प्रदर्शन में उल्लेखनीय वृद्धि भी देखी गई है। राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन डेटाबेस के आधार पर यह प्रकाशन के मामले में वैश्विक रूप से अब तीसरे स्थान पर है और 2013 में छठें स्थान पर था। पेटेंट (रेजिंडेंट पेटेंट फाइलिंग के मामले में विश्व स्तर पर 9वें स्थान पर) और शोध प्रकाशनों की गुणवत्ता (2013 में 13वें स्थान पर विश्व स्तर पर 9वें स्थान पर) के मामले में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने बताया कि डीएसटी के निधि कार्यक्रम ने स्टार्ट-अप्स के लिए बहुत आवश्यक समर्थन को तेजी से संसाधित किया है, जो बिजनेस इनक्यूबेटर और अन्य व्यावसायिक सहायता प्रदाताओं के सक्रिय समर्थन को बढ़ावा देता है।

विभिन्न क्षेत्रों से देश भर से निधि के तहत समर्थित 75 प्रभावशाली इनक्यूबेटेड स्टार्टअप्स को डीएसटी स्टार्टअप एक्सपो में 50 वस्तुगत के साथ-साथ 25 डिजिटल मोड में प्रदर्शित किया गया (एनएम-आईसीपीएस टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब से 5 स्टार्टअप भी स्टार्टअप के 50 स्टालों का हिस्सा थे)।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आयोजकों, टीम डीएसटी, देश भर से नवाचार के चैंपियनों- स्टार्टअप, इनक्यूबेटर, इनक्यूबेटर एसोसिएशन आईएसबीए को बधाई दी और उन्हें इस महान देश की विकास कहानी को उत्प्रेरित करने और डीएसटी स्टार्टअप बनाने के उनके निरंतर प्रयासों के लिए सफलता की कामना की तथा उन्हें इस उत्सव को सफल बनाने के लिए बधाई दी।

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आयकर विभाग ने उत्तर प्रदेश में छापेमारी की

आयकर विभाग ने 03.08.2022 को सार्वजनिक अनुबंध और रियल एस्टेट डेवलपमेंट के कारोबार में लगे झांसी स्थित एक समूह के ठिकानों पर छापेमारी कर तलाशी अभियान चलाया। यह तलाशी अभियान झांसी, दिल्ली, लखनऊ, कानपुर और गोवा स्थित लगभग 30 परिसरों में चलाया गया।

तलाशी अभियान के दौरान, विभिन्न तीसरे पक्षों की कई अचल संपत्तियों के दस्तावेजी साक्ष्य सहित कई आपत्तिजनक साक्ष्य प्राप्त हुए हैं और उन्हें जब्त कर लिया गया है।

लोक अनुबंध के कारोबार में साक्ष्य के प्रारंभिक विश्लेषण से पता चला है कि समूह हर वर्ष के अंत में अपने नियमित बही खातों में हेरफेर के माध्यम से अपने मुनाफे को कम दिखा कर बड़े पैमाने पर कर चोरी कर रहा था। ये हेर-फेर फर्जी खर्चों और फर्जी विविध लेनदारों आदि के दावे की प्रकृति के थे। इन विविध लेनदारों को अनुपस्थित और असत्यापित पाया गया था। 250 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के फर्जी खर्च और फर्जी विविध लेनदारों का दावा जब्त किए गए सबूतों से आंका गया है। तलाशी के दौरान शामिल किए गए प्रमुख व्यक्ति ने स्वेच्छा से उपरोक्त में से 150 करोड़ रुपये से अधिक की अतिरिक्त आय होना स्वीकार किया है।

रियल एस्टेट के कारोबार में लगी कंपनियों द्वारा अपनाई गई एक अन्य कार्यप्रणाली में स्टांप शुल्क मूल्य से अधिक धन की प्राप्ति शामिल थी जिसके परिणामस्वरूप कर चोरी हुई। इसके अतिरिक्त, ये कम्पनियाँ पर्याप्त निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद भी लेखांकन मानकों के अनुसार कर के लिए आय की घोषणा नहीं कर रही थीं। अब तक, तलाशी के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्यों की जांच में बेहिसाब प्राप्तियों की मात्रा का पता चला है, जो कुल मिलाकर 150 करोड़ रुपये है।

तलाशी अभियान में अब तक 15 करोड़ रुपये से अधिक की बेहिसाबी नकदी और जेवरात भी बरामद हुए हैं। मामले में आगे की जांच जारी है।

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डाक विभाग अपने 1.5 लाख डाकघरों के सर्वव्यापी नेटवर्क के साथ देश के हर एक नागरिक के लिए “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है

डाक विभाग अपने 1.5 लाख डाकघरों के सर्वव्यापी नेटवर्क के साथ देश के हर एक नागरिक के लिए “हर घर तिरंगा” कार्यक्रम को कार्यान्वित कर रहा है। भारतीय डाक ने 10 दिनों की छोटी अवधि के भीतर डाकघरों के साथ-साथ ऑनलाइन के माध्यम से नागरिकों को 1 करोड़ से अधिक राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री की है। विभाग ने 25 रुपये की बेहद कम कीमत पर इसकी बिक्री की है। वहीं, विभाग ने ऑनलाइन बिक्री के लिए पूरे देश में किसी भी पते पर राष्ट्रीय ध्वज को नि:शुल्क पहुंचाने की सुविधा प्रदान की है। अब तक नागरिकों ने ई-पोस्ट ऑफिस सुविधा के माध्यम से 1.75 लाख से अधिक राष्ट्रीय ध्वज की ऑनलाइन खरीदारी की है।

पूरे देश के 4.2 लाख डाक कर्मचारियों ने शहरों, कस्बों व गांवों में, सीमावर्ती क्षेत्रों में, वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों (एलडब्ल्यूई) और पहाड़ी व जनजातीय क्षेत्रों में “हर घर तिरंगा” के संदेश का उत्साहपूर्वक प्रचार किया है। भारतीय डाक ने प्रभात फेरी जैसे कि बाइक रैली व चौपाल सभाओं के माध्यम से समाज के हर वर्ग में “हर घर तिरंगा” का संदेश पहुंचाया है। इसके अलावा डिजिटल रूप से जुड़े नागरिकों के बीच कार्यक्रम के संदेश को प्रचारित करने के लिए ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच का भी व्यापक रूप से उपयोग किया गया है।

डाकघरों के जरिए राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री 15 अगस्त 2022 तक खुली है। नागरिक अपने नजदीकी डाकघरों में जा सकते हैं या ई-डाकघर (epostoffice.gov.in) के जरिए अपना राष्ट्रीय ध्वज प्राप्त कर सकते हैं और “हर घर तिरंगा” अभियान का हिस्सा बन सकते हैं। वहीं, नागरिक ध्वज के साथ एक सेल्फी भी ले सकते हैं और इसे www.harghartirang.com पर अपलोड कर सकते हैं और नए भारत के सबसे बड़े उत्सव में अपनी भागीदारी दर्ज करा सकते हैं।

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जगदीप धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में शपथ ली

जगदीप धनखड़ ने आज भारत के चौदहवें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में पदभार ग्रहण किया। एक प्रख्यात वकील और पश्चिम बंगाल के पूर्व-राज्यपाल श्री धनखड़ को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक शपथ-ग्रहण समारोह में पद की शपथ दिलाई गई।

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शपथ-ग्रहण से पहले श्री धनखड़ ने आज सुबह राजघाट जाकर महात्मा गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “पूज्य बापू को शांत एवं गौरवशाली राजघाट में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए भारत की सेवा में हमेशा रहने के लिए धन्य, प्रेरित और उत्साहित महसूस किया।”

 जगदीप धनखड़ के बारे में संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है –

1. शैक्षिक और पेशेवर पृष्ठभूमि

श्री धनखड़ ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा किठाना गांव के सरकारी प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने सरकारी मिडिल स्कूल, घरधाना और सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में अध्ययन किया। अपनी कॉलेज की शिक्षा के लिए, श्री धनखड़ ने महाराजा कॉलेज, जयपुर में प्रवेश लिया और बी.एससी. (ऑनर्स) भौतिकी में उत्तीर्ण हुए। उसके बाद, उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से विधि में डिग्री हासिल की।

श्री जगदीप धनखड़ ने एक वकील के रूप में अपने पेशेवर करियर की शुरुआत की, और पहली पीढ़ी के पेशेवर होने के बावजूद, वे देश के शीर्ष कानूनी विशेषज्ञों में से एक बन गए। 1990 में, उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। तब से, श्री जगदीप धनखड़ मुख्य रूप से सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं और उनका मुख्य कार्य क्षेत्र स्टील, कोयला, खनन और अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता से जुड़े मुकदमे हैं। वे देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में पेश हुए हैं और 30 जुलाई, 2019 को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल का पद ग्रहण करने तक राज्य के सबसे वरिष्ठ नामित वरिष्ठ अधिवक्ता थे। अपने कानूनी करियर के दौरान, श्री धनखड़ 1987 में राजस्थान उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन, जयपुर के अध्यक्ष के रूप में चुने गए सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे। एक साल बाद, वे 1988 में राजस्थान बार काउंसिल के सदस्य भी बने।

2. संसदीय और सार्वजनिक जीवन

श्री जगदीप धनखड़ 1989 में झुंझुनू संसदीय क्षेत्र से भारत की संसद के लिए चुने गए थे। इसके बाद, उन्होंने 1990 में संसदीय कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया। 1993 में, वे अजमेर जिले के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए। एक विधायक के रूप में, श्री धनखड़ ने लोकसभा और राजस्थान विधानसभा में महत्वपूर्ण समितियों के सदस्य के तौर पर कार्य किया। केंद्रीय मंत्री के रूप में, वे यूरोपीय संसद में एक संसदीय समूह के उपनेता के रूप में एक प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी रहे हैं।

जुलाई 2019 में, श्री धनखड़ को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था।

3. व्यक्तिगत विवरण

नाम : श्री जगदीप धनखड़

पिता का नाम : स्व. श्री गोकल चंद

माता का नाम : स्व. श्रीमती केसरी देवी

जन्म तिथि: 18 मई, 1951

जन्म स्थान : ग्राम किठाना, जिला झुंझुनू, राजस्थान

वैवाहिक स्थिति : विवाहित (वर्ष, 1979)

जीवनसाथी का नाम : डॉ. सुदेश धनखड़

संतान : एक  पुत्री (श्रीमती कामना)

पुस्तकों के उत्साही पाठक, श्री धनखड़ एक खेल प्रेमी भी हैं और वे राजस्थान ओलंपिक संघ व राजस्थान टेनिस संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। संगीत सुनना और यात्रा करना उनके अन्य शौक हैं। उन्होंने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, इटली, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, हांगकांग, सिंगापुर आदि सहित अनेक देशों की यात्रा की है।

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