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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दे दी है। सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को उचित समय पर अधिसूचित किया जाएगा। सरकार द्वारा 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार किए जाने के क्रम में 1  अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच (5) वर्षों की अवधि के लिए होंगी। संविधान के अनुच्छेद 280(1) में कहा गया है कि संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण, अनुदान-सहायता और राज्यों के राजस्व और नियत अवधि के दौरान पंचायतों के संसाधनों की पूरकता के लिए आवश्यक उपाय करने तथा आय से संबंधित हिस्सेदारी को राज्यों के बीच आवंटन पर सिफारिश करने के मद्देनज़र एक वित्त आयोग की स्थापना की जाएगी। पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि से संबंधित सिफारिशें कीं। पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।

सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तें:

वित्त आयोग निम्नलिखित मामलों पर सिफारिशें करेगा, अर्थात:

  1. संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, जो संविधान के अध्याय-I, भाग-XII के तहत उनके बीच विभाजित किया जाना है, या किया जा सकता है और ऐसी आय के संबंधित हिस्सेदारी का राज्यों के बीच आवंटन;
  2. वे सिद्धांत जो संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व के सहायता अनुदान और उनके राजस्व के सहायता अनुदान के माध्यम से राज्यों को भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करते हैं। उस अनुच्छेद के खंड (1) के प्रावधानों में निर्दिष्ट उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए; और
  3. राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक उपाय के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय।

आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (2005 का 53) के तहत गठित निधियों के संदर्भ में, आपदा प्रबंधन पहल के वित्त पोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उस पर उचित सिफारिशें कर सकता है।

आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक उपलब्ध कराएगा।

पृष्ठभूमि:

पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27.11.2017 को 2020-21 से 2024-25 की पांच साल की अवधि के लिए सिफारिशें करने के लिए किया गया था। 29.11.2019 को, 15वें वित्त आयोग की संदर्भ-शर्तों में संशोधन किया गया था। इस संबंध में आयोग को दो रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पहली रिपोर्ट और 2021-22 से 2025-26 की विस्तारित अवधि के लिए एक अंतिम रिपोर्ट। परिणाम स्वरूप, 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक छह साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें दीं।

वित्त आयोग को अपनी सिफ़ारिशें देने में आम तौर पर लगभग दो साल लगते हैं। संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाना है। चूंकि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 31 मार्च 2026 तक छह साल की अवधि के बारे में हैं, इसलिए 16वें वित्त आयोग का गठन अब प्रस्तावित है। इससे वित्त आयोग अपनी सिफारिशों की अवधि से तुरंत पहले की अवधि के लिए संघ और राज्यों के वित्त पर विचार और मूल्यांकन करने में सक्षम हो जाएगा। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि ऐसे उदाहरण हैं जहां ग्यारहवें वित्त आयोग का गठन दसवें वित्त आयोग के छह साल बाद किया गया था। इसी प्रकार, चौदहवें वित्त आयोग का गठन तेरहवें वित्त आयोग के पांच साल दो महीने बाद किया गया था।

16वें वित्त आयोग के एडवांस सेल का गठन 21.11.2022 को वित्त मंत्रालय में किया गया था, ताकि आयोग के औपचारिक गठन तक प्रारंभिक कार्य की निगरानी की जा सके।

इसके बाद, संदर्भ-शर्तों के निर्माण में सहायता करने के लिए वित्त सचिव और सचिव (व्यय) की अध्यक्षता में एक कार्य समूह का गठन किया गया, जिसमें सचिव (आर्थिक मामले), सचिव (राजस्व), सचिव (वित्तीय सेवाएं), मुख्य आर्थिक सलाहकार, नीति आयोग के सलाहकार और अतिरिक्त सचिव (बजट) शामिल थे। परामर्श प्रक्रिया के अंग के रूप में, संदर्भ-शर्तों पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानमंडल के साथ) से विचार और सुझाव मांगे गए थे, और समूह द्वारा विधिवत विचार-विमर्श किया गया था।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रोजेक्ट 15बी स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयड) के तीसरे युद्पोत 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री  एन बीरेन सिंह की उपस्थिति में भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा की चार 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक परियोजनाओं में से तीसरे यार्ड 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया। इस जहाज को शिखर पर ‘कंगला पैलेस’ और ‘कंगला-सा’ से सुसज्जित किया गया है। यह भारत की स्वाधीनता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति मणिपुर वासियों के बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि है।

जहाज के शिखर पर बनाए डिजाइन में बाईं ओर ‘कंगला पैलेस’ और दाईं ओर ‘कांगला-सा’ को दर्शाया गया है। कांगला पैलेस मणिपुर का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है। यह महल प्राचीनकाल में मणिपुर के मेइतेइ राजाओं का निवास हुआ करता था। ड्रैगन के सिर और शेर के शरीर की आकृति के साथ सुसज्जित ‘कंगाला-सा’ मणिपुर के इतिहास का एक पौराणिक प्राणी है, और अपने लोगों के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। ‘कांगला-सा’ मणिपुर का राज्य प्रतीक भी है।

इस युद्धपोत का डिजाइन भारतीय नौसेना युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने किया है और इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई ने किया है। यह जहाज स्वदेशी जहाज निर्माण की पहचान है और दुनिया के सर्वाधिक तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों में से एक है। इस जहाज को एमडीएल ने 20 अक्टूबर, 2023 को भारतीय नौसेना को सौंपा था।

इस जहाज का आधार 7,400 टन है और लंबाई 164 मीटर है। यह विध्वंसक जहाज अत्याधुनिक हथियारों और प्रणाली से लैस है, जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एंटी-शिप मिसाइल और टॉरपीडो शामिल हैं। इसकी गति 30 समुद्री मील अर्थात (56 किमी प्रतिघंटा) से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है।

निम्नलिखित विशेषताओं से पूर्ण इस जहाज में लगभग 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी साजो-सामान इस्तेमाल किया गया है:

  • मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (बीईएल, बैंगलोर)
  • सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें (ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नई दिल्ली)
  • स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
  • पनडुब्बी-रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
  • 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड, हरिद्वार)

इंफाल का 19 मई, 2017 को रखी गई थी और जहाज को 20 अप्रैल, 2019 को पानी में उतारा गया। जहाज 28 अप्रैल, 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था और बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों के एक व्यापक कार्यक्रम से गुजरा है, जिससे छह महीने की रिकॉर्ड समय-सीमा के भीतर 20 अक्टूबर, 2023 को इसे सेना को सौंपा गया।

परीक्षणों के हिस्से के रूप में, जहाज ने हाल ही में एक विस्तारित रेंज ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया। स्वदेशी विध्वंसक इंफाल का निर्माण और परीक्षण बहुत ही कम समय में किया गया है। जहाज की सुपुर्दगी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में प्रोत्साहन को दर्शाती है। यह एक समुद्री परंपरा और एक नौसैना की रीति है जिसके अनुसार कई भारतीय नौसेना जहाजों का नाम प्रमुख शहरों, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, तालाबों और द्वीपों के नाम पर रखा गया है। भारतीय नौसेना को अपने नवीनतम और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत युद्धपोत का नाम ऐतिहासिक शहर इम्फाल के नाम पर रखने पर अत्यंत गर्व है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसी शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला युद्धपोत है। इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल, 2019 को स्वीकृति दी थी।

इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और रक्षा मंत्रालय तथा मणिपुर सरकार के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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जलवायु परिवर्तन पर युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्‍लाइमेट चेंज की बैठक 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक दुबई में होगी

जलवायु परिवर्तन पर युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्‍लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) (सीओपी-28) की बैठक 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक दुबई में होगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बैठक में भारतीय शिष्टमंडल की भागीदारी के लिए चल रही तैयारियों के साथ ही कृषि क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट की क्षमता की समीक्षा की। श्री तोमर ने बताया कि मंत्रालय द्वारा बैठक में अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु अनुकूल श्रीअन्न, प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, जलवायु अनुकूल गांवों के वैश्विक महत्व सहित देश की उपलब्धियां साइड इवेंट्स में प्रदर्शित होगी।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा है कि कृषि को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन किया जाना चाहिए ताकि कृषक समुदाय इससे लाभान्‍वित हो सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत जैसा अत्यधिक आबादी वाला देश शमन व लक्षित मीथेन कटौती की आड़ में खाद्य सुरक्षा पर समझौता नहीं कर सकता है।

समीक्षा बैठक में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण सचिवमनोज अहूजा ने मंत्री तोमर को सीओपी बैठक के महत्व, जलवायु परिवर्तन व भारतीय कृषि पर लिए गए निर्णयों के प्रभाव के बारे में जानकारी दी।

मंत्रालय के एनआरएम डिवीजन के संयुक्त सचिव श्री फ्रैंकलिन एल. खोबुंग ने खाद्य सुरक्षा पहलुओं तथा भारतीय कृषि की स्थिरता के संबंध में जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर ऐतिहासिक निर्णयों और भारत के रूख पर विवरण प्रस्तुत किया। बैठक में डेयर के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने भी अधिकारियों के साथ भाग लिया।

संयुक्त सचिव (एनआरएम) ने कार्बन क्रेडिट के महत्व को भी प्रस्तुत किया, जो जलवायु अनुकूल टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के माध्यम से कृषि में उत्पन्न किया जा सकता है। राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत कृषि वानिकी, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधीकरण, राष्ट्रीय बांस मिशन, प्राकृतिक/जैविक खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली आदि जैसे अनेक उपायों का आयोजन किया गया है। मिट्टी में कार्बन को अनुक्रमित करने की क्षमता है जिससे जीएचजी व ग्लोबल वार्मिंग में योगदान कम हो जाता है।

श्री तोमर ने सुझाव दिया कि कार्बन क्रेडिट का लाभ कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय बीज निगम के बीज फार्मों और आईसीएआर संस्थानों में मॉडल फार्मों की स्थापना के माध्यम से किसानों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवीके को कृषक समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करने में भी शामिल होना चाहिए, ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सकें। कार्बन क्रेडिट, किसानों को सतत् कृषि का अभ्यास करने में प्रोत्‍साहन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हो सकती है। श्री तोमर ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए कार्बन क्रेडिट के ज्ञान वाले किसानों को साथ लिया जा सकता है।

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चुनाव की घोषणा के बाद से पांच चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये से अधिक की रकम व सामान पकड़े जाने की सूचना

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के लगातार प्रयासों की बदौलत पांच चुनावी राज्यों मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में बरामदगी में महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व तेजी देखी गई है। चुनाव की घोषणा के बाद से पांच चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की सूचना मिली है, जो 2018 में इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों में की गई बरामदगी से सात गुना (239.15 करोड़ रुपये) अधिक है। पांच राज्यों में चल रहे चुनावों और पिछले कुछ राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान जब्ती के आंकड़े प्रलोभनों की निगरानी करने और समान अवसर के लिए चुनावी बेईमानी को रोकने के हवाले से मजबूत उपायों को लागू करके स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रलोभन मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए ईसीआई की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। याद रहे कि गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और कर्नाटक में पिछले छह राज्य विधानसभा चुनावों में 1400 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई थी, जो इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में 11 गुना अधिक है।

इस बार आयोग ने इलेक्शन एक्सपेंडिचर मॉनिटरिंग सिस्टम (ईएसएमएस) के माध्यम से निगरानी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी को भी शामिल किया है, जो बहुत सहायक साबित हो रहा है, क्योंकि यह बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए केंद्र और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक साथ जोड़ता है।

चुनाव वाले राज्यों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, चुनावों की घोषणा के बाद और 20.11.2023* की स्थिति के अनुसार निम्नलिखित जब्ती की गई है-

 

राज्य नकद (करोड़ रुपये) शराब (करोड़ रुपये) मादक पदार्थ (करोड़ रुपये) कीमती धातुएं (करोड़ रुपये) मुफ्त और अन्य वस्तुएं (करोड़ रुपये) योग (करोड़ रुपये)
छत्तीसगढ़ 20.77 2.16 4.55 22.76 26.68 76.9
मध्य प्रदेश 33.72 69.85 15.53 84.1 120.53 323.7
मिजोरम 0 4.67 29.82 0 15.16 49.6
राजस्थान 93.17 51.29 91.71 73.36 341.24 650.7
तेलंगाना 225.23 86.82 103.74 191.02 52.41 659.2
कुल (करोड़ रुपये) 372.9 214.8 245.3 371.2 556.02 ~ 1760
इन 5 राज्यों में 2018 विधानसभा चुनावों के दौरान जब्ती के आंकड़ों की तुलना में 636% की वृद्धि

* आंकड़े राउंड फिगर में हैं

पिछले राज्य विधानसभा चुनावों में की गई बरामदगी:

राज्य का नाम वर्ष 2017-18 में चुनाव के दौरान की गई कुल जब्ती (करोड़) वर्ष 2022-23 में चुनाव के दौरान की गई कुल जब्ती (करोड़) जब्ती में प्रतिशत की वृद्धि
हिमाचल प्रदेश 9.03 57.24 533.89
गुजरात 27.21 801.851 2846.90
त्रिपुरा 1.79 45.44 2438.55
नगालैंड 4.3 50.02 1063.26
मेघालय 1.16 74.18 6294.8
कर्नाटक 83.93 384.46 358.07
कुल 127.416 1413.191 1009.12

ईएसएमएस एक ऐसा प्रयास है, जिसका उद्देश्य प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अन्य संबंधित एजेंसियों को सूचना का त्वरित आदान-प्रदान करना है। ईएसएमएस चुनाव व्यय निगरानी प्रक्रिया में शामिल कई प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सीईओ और डीईओ स्तर पर आसान समन्वय प्रदान करता है। मंच वास्तविक समय की रिपोर्टिंग की सुविधा प्रदान करता है, विभिन्न एजेंसियों से रिपोर्ट एकत्र करने और संकलित करने और बेहतर समन्वय में समय बचाता है। चुनाव वाले राज्यों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, यह आंतरिक ऐप अच्छी तरह से काम कर रहा है और चुनाव व्यय निगरानी प्रक्रिया में मदद कर रहा है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में निर्मित जब्त शराब

राजस्थान निर्मित जब्त शराब

निगरानी प्रक्रिया जून और अगस्त के बीच चुनाव वाले राज्यों में वरिष्ठ डीईसी/डीईसी की अध्यक्षता में टीमों के दौरे के साथ शुरू हुई, जिसमें भाग लेने वाले मैदानी स्तर पर सक्रिय बलों को व्यय निगरानी के महत्व के बारे में संवेदनशील बनाने तथा चुनावों की तैयारी के लिए उनके इनपुट की समीक्षा करने के उद्देश्य से प्रवर्तन एजेंसियों और जिलों के साथ चर्चा  की गई। इसके बाद, आयोग ने इन राज्यों में समीक्षा के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रलोभनों के प्रवाह को रोकने और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा बहु-स्तरीय कार्रवाई पर जीरो-टॉलरेंस दृष्टिकोण पर जोर दिया, जो इन राज्यों में जब्ती में वृद्धि में परिलक्षित होता है। इन दौरों के दिन से, प्रवर्तन एजेंसियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ा दी और जब तक चुनावों की घोषणा की गई, तब तक वे पहले ही 576.20 करोड़ रुपये की जब्ती की सूचना दे चुके थे।

आयोग ने चुनाव वाले राज्यों और उनके संबंधित पड़ोसी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों, आबकारी आयुक्तों, महानिदेशक (आयकर) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा भी की।

आईआरएस, आईसी एंड सीईएस, आईआरएएस, आईडीएएस और अन्य केंद्र सरकार की सेवाओं के 228 अनुभवी अधिकारियों को व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात किया गया है। कड़ी निगरानी के लिए, 194 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को व्यय संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि निगरानी प्रक्रिया में फील्ड स्तर की टीमों की पर्याप्त उपलब्धता हो और धन-बल के खतरे से निपटने के लिए डीईओ/एसपी और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ नियमित फॉलो-अप किया जाए। चुनाव वाले राज्यों में चल रहे चुनावों के पूरा होने तक कड़ी निगरानी के प्रयास जारी रहेंगे और जब्ती के आंकड़ों में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

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सीजीएसटी दिल्ली पूर्वी ने “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” के तहत 199 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी आईटीसी का लाभ उठाने वाली 48 फर्जी फर्मों के एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया, 3 गिरफ्तार

केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) दिल्ली पूर्वी आयुक्तालय (कमिश्नरेट) ने “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” के तहत 199 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी आईटीसी का लाभ उठाने वाली 48 एक-दूसरे से जुड़े फर्जी फर्मों के एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। सीजीएसटी दिल्ली पूर्वी ने एकत्रित मानव आधारित खुफिया जानकारी के आधार पर फर्जी बिलर्स के खिलाफ समन्वित रूप से “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” शुरू किया, जिसे जमीनी खुफिया जानकारी की सहायता के साथ डेटा माइनिंग और डेटा एनालिसिस के माध्यम से आगे बढ़ाया गया।

इस अभियान के पहले चरण में, कुल 48 नकली/फर्जी फर्मों की पहचान की गई है, जो या तो अस्तित्व में नहीं हैं या फिर कागजी फर्में हैं। ये फर्में फर्जी चालान का काम कर रही थीं। ऐसे चालान वस्तुओं या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना बनाए गए थे, जो जीएसटी कानून के तहत एक अपराध है। तीन लोगों को पकड़ लिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, पटियाला हाउस द्वारा दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस सिंडिकेट के अन्य सदस्यों और सरगनाओं की पहचान कर ली गई है और आगे की जांच की जा रही है।

पकड़े गए व्यक्तियों में से एक, जोकि मेसर्स एम.के. ट्रेडर्स का मालिक था, पांच करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी वाली आईटीसी का लाभ उठाने के कार्य में लिप्त पाया गया, जिसका बड़ा हिस्सा अन्य जुड़े लिंकों को दे दिया गया था। पकड़े गए अन्य दो व्यक्ति इस सिंडिकेट को सहायता व बढ़ावा दे रहे थे और सिंडिकेट के कामकाज में सहायक थे। इस अभियान के दौरान 55 अलग-अलग फर्मों से संबंधित टिकट, कई सिम कार्ड एवं आधार कार्ड जैसे दस्तावेज और तीसरे पक्ष से संबंधित बिजली बिल सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।

यह पूरा अभियान दुर्गम इलाके में चलाया गया, जिसमें दिल्ली की संकरी गलियां और संवेदनशील इलाके शामिल थे। यह अभियान केवल दिल्ली पुलिस के सौहार्दपूर्ण सहयोग के कारण संभव हुआ, जिसने जीएसटी अधिकारियों की सहायता के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया था। इस मामले में आगे की जांच जारी है।

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राष्ट्रपति ने बादामपहाड़ रेलवे स्टेशन से तीन नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया; नए रायरंगपुर डाक मंडल का उद्घाटन किया; रायरंगपुर डाक प्रभाग का स्मारक विशेष कवर जारी किया; और बादामपहाड़ रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखी

 महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज (21 नवंबर, 2023) बादामपहाड़ रेलवे स्टेशन, ओडिशा से तीन नई ट्रेनों यथा -बादामपहाड़-टाटानगर एमईएमयू;  बादामपहाड़-राउरकेला वीकली एक्सप्रेस; और बादामपहाड़-शालीमार वीकली एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने आभासी रूप से नए रायरंगपुर डाक डिवीजन का उद्घाटन किया; रायरंगपुर डाक डिवीजन का स्मारक विशेष कवर जारी किया; और इस अवसर पर बादामपहाड़ रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला भी रखी।

इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी क्षेत्र का विकास उस क्षेत्र की कनेक्टिविटी पर निर्भर करता है। चाहे रेल हो, सड़क हो या डाक सेवाएं हों- ये सभी सेवाएं लोगों के जीवन को सुगम बनाती हैं। उन्होंने कहा कि आज शुरू की गई तीन ट्रेनें स्थानीय लोगों को झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पड़ोसी राज्यों की यात्रा करने में मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि ओडिशा के औद्योगिक शहर राउरकेला जाने में भी लोगों को कोई असुविधा नहीं होगी।

राष्ट्रपति ने कहा कि सेल फोन और कूरियर सेवाओं के बढ़ते चलन के बावजूद, भारतीय डाक की प्रासंगिकता नहीं खोई है। रायरंगपुर में नए डाक डिवीजन का उद्घाटन इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस क्षेत्र के लोगों को अब डाक सेवाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र सरकार जनजातीय समुदायों के विकास के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2013-14 के बजट की तुलना में इसके लिए मौजूदा बजट में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि जनजातीय लोगों के विकास के बिना समावेशी विकास अधूरा है, इसीलिए सरकार जनजातीय समुदायों के विकास को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने जनजातीय युवाओं से सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आत्म विकास के लिए व्यक्ति का प्रयास भी आवश्यक है। इसलिए युवाओं को अपने जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने पीवीटीजी के विकास के लिए इस वर्ष जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर पीएम जनमन (पीएम-जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान) शुरू किया है। उन्होंने कहा कि जनजातीय भाई-बहनों की प्रगति की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह पहल इस अमृत काल में लोगों को विकास से जोड़ेगी और विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद करेगी।

कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति ने बादामपहाड़-शालीमार एक्सप्रेस में बादामपहाड़ से रायरंगपुर तक की यात्रा की।

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एआई अपने साथ अपनी तरह की चुनौतियां और नैतिक सवाल लाई है; पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों के लिए सत्य के सिद्धांतों के प्रति व्‍यापक प्रतिबद्धता दर्शानी आवश्‍यक : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर मीडिया जगत को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। भारतीय प्रेस परिषद द्वारा ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दौर में मीडिया’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में श्री ठाकुर ने कहा कि आज जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि का दिन है। उन्होंने कहा कि अब से कुछ ही वर्षों में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, इसलिए उन्हें आशा है कि मीडिया केवल भारत के परिवर्तन की कहानी को ही नहीं, बल्कि उसके विभिन्न सूबों और क्षेत्रों के अरबों लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं पर भी प्रकाश डालने में तेजी से रचनात्मक भूमिका निभाएगा।

आज के दिन के महत्व को रेखांकित करते हुए  ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए समर्पित पत्रकारों की अथक प्रतिबद्धता का सम्मान करता है।

कार्यक्रम के विषय पर अपने विचार रखते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि “हम इतिहास में एक ऐसे महत्वपूर्ण दौर में हैं, जो उन्नत प्रौद्योगिकी द्वारा त्‍वरित गति से संचालित वैश्विक विकास का साक्षी बन रहा है। डिजिटल युग ने एक नए युग का सूत्रपात किया है, जहां समाचार सामग्री तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। यद्यपि एआई समाचार रिपोर्टिंग में निस्संदेह एक नया आयाम जोड़ती है, लेकिन इसकी सीमाओं को पहचानना भी महत्वपूर्ण है।” समाचार जुटाने और समाचार प्रसार के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए श्री ठाकुर ने यह भी रेखांकित किया कि संपादक के पास जो वर्षों के अनुभव, संदर्भ और निरीक्षण की बा‍रीकियां हैं, वह हमेशा एआई से एक कदम आगे रहेंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि एआई मॉडल अपने प्रशिक्षण डेटा से पूर्वाग्रह न अपनाएं, ताकि मीडिया की सत्‍यनिष्‍ठा से समझौता न हो। इन चुनौतियों को प्रभावी ढंग से हल करना और इनमें कमी लाना, पत्रकारिता की सत्‍यनिष्‍ठा को बनाए रखने के लिए आवश्यक सावधानी बरतना और मीडिया में एआई का जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

श्री ठाकुर ने कुछ पश्चिमी संस्थाओं द्वारा उत्‍पन्‍न की जा रही नकारात्मक धारणा की पड़ताल करते हुए कहा कि भले ही हम प्रेस की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं, लेकिन हम उन लोगों को नजरअंदाज नहीं सकते, जो हमारे राष्ट्र की भावना को कमजोर करना चाहते हैं। ऐसे व्यक्ति और मीडिया आउटलेट हैं, जो भारत के खिलाफ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार मिथ्‍या प्रचार करते हैं। ऐसी धारणाओं को चुनौती देना, झूठ उजागर करना और सत्य की जीत सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भारत के चित्रण और उसके मीडिया के संबंध में कुछ पश्चिमी पूर्वाग्रहों द्वारा लगातार प्रचारित की जा रही गलत धारणाओं को दूर करना महत्वपूर्ण है। औपनिवेशिक खुमारी अक्सर धारणाओं को विकृत कर देती है, लेकिन हम दावा करते हैं कि हमारा मीडिया परिदृश्य गतिशील, चिंतनशील है और अपने गुणों पर आधारित है। भारत का मीडिया इसकी सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतिबिंब है, और हमें वैश्विक विमर्श में इसके योगदानों पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अपने यहां जीवंत और स्वतंत्र प्रेस का दावा करता है, जो विविध मतों और विचारों के लिए मंच प्रदान करती है।

श्री ठाकुर ने कई अन्य व्यवसायों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में प्रवेश कर चुके मीडिया को आगाह करते हुए कहा कि हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां एक बटन दबाकर गलत सूचना को बढ़ा-चढ़ाकर फैलाया जा सकता है। हमारी सरकार मीडिया को एक विवेकशील दृष्टिकोण अपनाने, सनसनी फैलाने के नुकसान से बचने और हमारे समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाली धारणाओं से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय मीडिया को हमारे राष्ट्र के हितों की रक्षा करनी चाहिए और हमारी प्रिय एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले भारत विरोधी विचारों को स्‍थान देने से बचना चाहिए।

केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन ने यह सुनिश्चित करने के लिए भारतीय प्रेस परिषद की भूमिका की सराहना की कि प्रेस निष्पक्ष एवं जिम्मेदार तरीके से पत्रकारीय नैतिकता व मानकों का पालन करते हुए राष्ट्र की सेवा में अपनी भूमिका निभाए। उन्होंने मीडिया से भीतर और बाहर दोनों जगह हो रहे बदलावों को लगातार अपनाने का आह्वान किया। डॉ. मुरुगन ने कॉपीराइट, रचनात्मकता, मौलिकता और साहित्यिक चोरी के मामलों में एआई के अतिक्रमण के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि किसी भी अन्‍य तकनीक की तरह, एआई को भी नैतिक मानवीय निगरानी की आवश्यकता है।

इससे पहले, इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि, उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि फर्जी खबरें, जानबूझकर गलत और शरारतपूर्ण जानकारी, राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं और प्राथमिकताएं, सत्ता की पक्षधरता की प्रवृत्ति और आर्थिक लालच ने आज मीडिया के प्रति लोगों का भरोसा घटा दिया है। उन्होंने कहा कि आज मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता की है और आश्चर्य की बात यह है कि इस पहलू को बड़े आनंदपूर्वक नजरअंदाज किया जा रहा है।

कार्यक्रम के विषय के बारे में अपने विचार रखते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आगमन ने हमारे समाचार, सूचना और मनोरंजन को प्राप्त करने तथा उसका उपयोग करने के तरीके को बदल दिया है। एआई हमारे रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है। साथ ही, यह अपने साथ अपनी तरह की चुनौतियां और नैतिक सवाल लाई है, जैसे कि गलत सूचना का प्रसार, डीप फेक, इको चैंबर का सृजन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने तथा समाज में अराजकता और अस्थिरता पैदा करने के लिए सूचना की माइक्रो टार्गेटिंग। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करते हुए, पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों की ज़िम्मेदारियां बढ़ गई हैं, जिससे सच्चाई, सटीकता और जवाबदेही के सिद्धांतों के प्रति और भी अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

श्री धनखड़ ने कहा कि यद्यपि एआई में नुकसान पहुंचाने की क्षमता है, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि यह तकनीक यहां रहेगी और हमें बदलते परिदृश्य के अनुरूप ढलना होगा, अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए एआई की परिवर्तनकारी क्षमता को एक उपकरण के रूप में नियोजित करना होगा, साथ ही इसके दुरुपयोग के विरुद्ध सुरक्षा भी प्रदान करनी होगी।  उन्होंने कहा, “यह सर्वोपरि है कि पत्रकार और मीडिया आउटलेट ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखें। तथ्य-जांच, स्रोत का सत्यापन और संपादकीय स्वतंत्रता बनाए रखना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो चुका है। हमें एआई को उन मूल्यों से समझौता नहीं करने देना चाहिए जो स्वतंत्र और जीवंत प्रेस की बुनियाद हैं। श्री धनखड़ ने रेखांकित किया कि एआई भले ही एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है, लेकिन यह मानवीय स्पर्श, सत्य के लिए प्रतिबद्धता और पत्रकारों का अटूट समर्पण है जो मीडिया को हमारे समाज में अच्छाई के लिए ताकत बनाता रहेगा।

इस अवसर पर जी-20 शेरपा श्री अमिताभ कांत ने कहा कि मीडिया संस्थाएं जो तकनीक को विकल्प के रूप में न देखकर, मानवीय प्रतिभा को बढ़ाने वाले साधन के रूप में देखती हैं,  वे खोजी और दस्तावेजी पत्रकारिता को फिर से जीवंत करने में सक्षम रही हैं। उन्होंने कहा कि मैं अंदाजा लगा सकता हूं कि अनूठी कहानियों से लैस एआई द्वारा तैयार ऑडियो और वीडियो कहानी कहने की सभी सीमाओं को अभूतपूर्व रूप से तोड़ देंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया में एआई के अनियंत्रित उपयोग से हमारे लोकतंत्र को होने वाले नुकसान के बारे में सजग रहना आवश्यक है। एआई की सहायता से वैयक्तिकृत समाचारों को क्यूरेट करना हमारे समाज में विविध दृष्टिकोणों तक हमारे संपर्क को सीमित करने वाले इको चैंबर का निर्माण करने का जोखिम उत्‍पन्‍न करता है।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष न्यायमूर्ति  रंजना प्रकाश देसाई ने की।

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भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के दौरान जिओग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) पैवेलियन में 200 से ज्यादा विशेष भौगोलिक संकेत (जीआई) उत्पादों का प्रदर्शन किया गया

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय 14 से 27 नवंबर, 2023 तक आईटीपीओ, प्रगति मैदान में भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में सबसे बड़े जिओग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) पैवेलियन की मेजबानी कर रहा है। माननीय केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर आज मंडप का उद्घाटन किया। इसके साथ ही, जनता के देखने के लिए इसे खोल दिया गया है।

जीआई पैवेलियन में हर आयु वर्ग के हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि, खाद्य से लेकर हस्तशिल्प और हथकरघा तक से संबंधित 200 से ज्यादा विशेष भौगोलिक संकेतक (जीआई) उत्पादों के साथ 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 600 से अधिक कारीगरों की भागीदारी देखी जा रही है। जीआई उत्पादों में खास तरह की विशेषताएं होती हैं और उनमें भौगोलिक उत्पत्ति से जुड़े गुण मौजूद होते हैं।

इसमें विभिन्न जनजातियों के कारीगरों और महिला उद्यमियों को अपनी कला की प्रस्तुति के लिए केंद्रीय मंच उपलब्ध कराया गया है। भारी जोश के साथ कारीगरों की भागीदारी इस जीआई पैवेलियन को सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यापार के अवसरों का संगम का रूप दे रही है।

पैवेलियन में, पद्म श्री और राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं के द्वारा गोंड पेंटिंग, वर्ली पेंटिंग, पिथोरा पेंटिंग, शैम्फी लैंफी, संदुर लंबानी कढ़ाई, ओडिशा पट्टचित्रा इत्यादि जैसी पारंपरिक कलाकृतियों का जीवंत प्रदर्शन और चित्रण आगंतुकों को भारत की समृद्ध पारंपरिक और सांस्कृतिक आत्मा का अनुभव देता है।

युवा प्रतिभागियों के लिए दिन का लुत्फ देने के उद्देश्य से, पैवेलियन ने शारीरिक और डिजिटल गतिविधि के संयोजन के साथ किड्स प्ले जोन भी तैयार किया गया है।

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“यह मीडिया का नैतिक कर्तव्य है कि वह सच बताए और सच के अलावा कुछ भी न बताए” – जगदीप धनखड़ 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज इस बात पर बल दिया कि यह मीडिया का नैतिक कर्तव्य है कि वह “सच बोले और सच के अलावा कुछ नहीं” बोले। उन्होंने कहा कि मीडिया से जुड़े हर व्यक्ति का यह दायित्व है कि वह सच्चा रहे, चाहे वह पत्रकार हों या अखबारों तथा संचार के अन्य माध्यमों के मालिक हों।Vice President of India (@VPIndia) / X
यह कहते हुए कि विश्वसनीयता आज मीडिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि कुछ क्षेत्रों में इस पहलू को नजरअंदाज किया जा रहा है।

उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज राष्ट्रीय प्रेस दिवस के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए लोकतंत्र के कामकाज में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि यह देखते हुए मीडिया वास्तविक राजनीति में शक्ति केंद्र या हितधारक नहीं है। उन्होंने कहा, “यह देखना दर्दनाक है कि कुछ पत्रकारों ने जमीनी भावनाओं के विपरीत, लोकतांत्रिक प्रक्रिया के पाठ्यक्रम को बदलने का बीड़ा उठाया है।” उन्होंने आगाह किया कि हमें ऐसे खतरों के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने मीडिया की चुनौतियों पर विचार करते हुए कहा, “यह वाणिज्य संचालित है। यह कथाएँ प्रसारित करता है। यह दुर्भाग्य से आंदोलन की स्थिरता में हितधारक बन गया है। यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पक्षपातपूर्ण प्रभाव डालने वाले की भूमिका निभाना चाहता है।” उन्होंने त्वरित कार्रवाई का आग्रह करते हुए भारतीय प्रेस परिषद से जानबूझकर फर्जी खबरें फैलाने और पेशेवर नैतिकता से समझौता करने वालों के खिलाफ तुरंत हस्तक्षेप करने का आह्वान किया।

उपराष्ट्रपति ने सरकार के प्रहरी के रूप में मीडिया के दायित्व का जिक्र करते हुए कहा कि इसका काम सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाना है।

उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने कहा कि सत्य के लिए प्रतिबद्धता और पत्रकारों का अटूट समर्पण मीडिया को हमारे समाज में अच्छाई के लिए एक शक्ति के रूप में तैयार करता रहेगा। श्री धनखड़ ने कहा, “कोई भी विघटनकारी प्रौद्योगिकी एक अच्छी तरह से जानकार और कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार का विकल्प नहीं हो सकती है।”

उपराष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस चुनौतियों और नैतिक सवालों का अपना समूह लेकर आती है। उन्होंने कहा कि गलत सूचना का प्रसार, बड़े झूठ वाली खबरें, इको चैंबर का निर्माण और सूचना का सूक्ष्म लक्ष्यीकरण लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करता है, जिससे समाज में अराजकता और अस्थिरता पैदा होती है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को हमारे प्रौद्योगिकी परिदृश्य का एक अभिन्न अंग और एक ऐसी तकनीक के रूप में देखते हुए, “जो यहीं रहेगी”, उपराष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंकर और भाषा मॉडल जो कई स्रोतों से जानकारी एकत्र करने के बाद मीडिया रिपोर्ट लिख सकते हैं, उससे हजारों लोगों की नौकरियाँ खतरे में हैं।

उपराष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) युग के बीच दायित्वपूर्ण और नैतिक पत्रकारिता की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “यह सर्वोपरि है कि पत्रकार और मीडिया समूह ईमानदारी के उच्चतम मानकों को बनाए रखें।” उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि तथ्य-जाँच, कठोर स्रोत सत्यापन और अटूट संपादकीय स्वतंत्रता आज के मीडिया परिदृश्य में महत्वपूर्ण हैं।

श्री धनखड़ ने सभी से “नवाचार और दायित्व की भावना के साथ आगे बढ़ने, पत्रकारिता के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए, जिसने पीढ़ियों से हमारी सेवा की है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की क्षमता का उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने इस नए युग को आगे बढ़ाने के लिए एकीकृत क्षमता की आशा व्यक्त की, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रगतिशील मीडिया हमारे लोकतंत्र के भीतर सच्चाई और जवाबदेही के प्रतीक के रूप में अभिन्न रूप से खड़ा है।

इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा युवा मामले एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर, सूचना एवं प्रसारण तथा मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री, डॉ. एल. मुरुगन, न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई, अध्यक्ष, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, श्री अमिताभ कांत, जी-20 शेरपा,  नुंगसांगलेम्बा एओ, सचिव, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।

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कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान कौशल विकास के भविष्य को दिशा देने और भारत के युवाओं को सशक्त बनाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, भारतीय कौशल संस्थान, कानपुर, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और डसॉल्ट एयरक्राफ्ट सर्विसेज इंडिया के बीच समझौता ज्ञापनों के आदान-प्रदान के साक्षी बने

भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) कानपुर ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के उद्देश्यों के अनुरूप आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और डसॉल्ट एयरक्राफ्ट सर्विसेज इंडिया (डीएएसआई) के साथ तीन प्रमुख साझेदारियों की घोषणा की है। इसका उद्देश्य विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में रक्षा औद्योगिक गलियारे का समर्थन करने के लिए एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र के लिए स्थानीय युवाओं को सशक्त बनाना और तैयार करना है। नई दिल्ली में आज भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान की सम्मानित उपस्थिति में समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया।

यह साझेदारी युवाओं के, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के युवाओं के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे उन्हें विमानन और रक्षा क्षेत्रों में नए-युग के पाठ्यक्रमों में गुणवत्तापूर्ण मॉड्यूल तक पहुंच प्राप्त हो सकेगी।

यह पहली बार है कि जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत परिकल्पना की गई है, हम भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) कानपुर की क्षमताओं के निर्माण के लिए शिक्षा, कौशल और अग्रणी उद्योगों के बीच सहयोग देख रहे हैं। इन आईआईएस की अवधारणा का विचार स्वयं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सिंगापुर के तकनीकी शिक्षा संस्थान की अपनी यात्रा के दौरान दिया था, जो विद्यार्थियों को नौकरियों और करियर में उन्नति के लिए तैयार करने वाले अग्रणी संस्थानों में से एक है। इसी तरह, मौजूदा कौशल इकोसिस्टम में प्रशिक्षण मानकों को उन्नत करने के लिए देश में भारतीय कौशल संस्थानों की स्थापना की जा रही है।

प्रधान ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, भारतीय कौशल संस्थान, कानपुर, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और डसॉल्ट एयरक्राफ्ट सर्विसेज इंडिया के बीच सहयोग, कौशल विकास के भविष्य को दिशा देने और भारत के युवाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उन्होंने कहा कि पहली बार शैक्षणिक संस्थान, कौशल संस्थान और उद्योग युवाओं को प्रमाणित करने और उन्हें भविष्य के अनुरूप बनाने के प्रयासों में तालमेल बनाने के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं।

श्री प्रधान ने आगे कहा कि इस सहयोग के अंतर्गत भविष्य के पाठ्यक्रम हमारे देश के युवाओं और कार्यबल के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का उपहार है। उन्होंने कहा कि यह सहयोग उत्तर प्रदेश के रक्षा गलियारे से पैदा होने वाले अवसरों का लाभ उठाने के साथ-साथ एयरोस्पेस, विमानन एवं रक्षा क्षेत्रों में कौशल, अप-स्किलिंग, रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर पैदा करने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने साझेदारी की सराहना करते हुए कहा कि यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि हम आज भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) कानपुर के लिए तीन समझौता ज्ञापनों के आदान-प्रदान के साथ भारतीय कौशल संस्थान में क्षमताओं का निर्माण कर रहे हैं। इन साझेदारियों के साथ, हितधारक युवाओं, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए एक मजबूत नींव बनाने के लिए आधुनिक प्रशिक्षण पद्धति के साथ-साथ सर्वोत्तम श्रेणी के बुनियादी ढांचे की स्थापना की परिकल्पना की गई है। यह निश्चित है कि नए युग के पाठ्यक्रमों, रक्षा और विमानन क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और डसॉल्ट द्वारा प्रदर्शित प्रतिबद्धता से भारतीय कौशल संस्थान से जुड़े युवा कैडर को बहुत अधिक लाभ होगा।

भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) की स्थापना का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध मौजूदा कौशल संस्थानों से सर्वोत्तम तौर-तरीकों को सीखकर और उन्हें आत्मसात करके विश्व स्तरीय कौशल प्रशिक्षण केंद्रों का निर्माण करना है। संस्थान के लिए डिज़ाइन किए गए पाठ्यक्रमों को देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के विषय विशेषज्ञों के परामर्श से तैयार किया गया है। नियोजित मॉड्यूल आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स, एडवांस मैन्युफैक्चरिंग, कृषि 2.0 स्मार्ट एग्रीकल्चर, रोबोटिक्स और ऑटोमेशन, उद्योग 4.0 जैसे और अन्य पाठ्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक और महत्वपूर्ण साझेदारी के अंतर्गत, एचएएल अपने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के हिस्से के रूप में भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) कानपुर के नए भवन में एक सीएनसी प्रयोगशाला के लिए एक प्रशिक्षण बुनियादी ढांचा विकसित करेगा। इस पहल का उद्देश्य भारतीय कौशल संस्थान कानपुर के संकायों और प्रशिक्षुओं को उन्नत सीएनसी मशीनिंग तकनीक का अनुभव प्रदान करना है, साथ ही सुविधा भी प्रदान करना है। इसका लक्ष्य प्रशिक्षुओं के समूह के लिए प्रशिक्षण, पुनः कौशल और उन्नयन करके औद्योगिक नौकरियों के लिए बेहतर ढंग से तैयार करना है, इस प्रकार कौशल भारत पहल का समर्थन करना है। इसके अतिरिक्त, यह परियोजना एक सामान्य इंजीनियरिंग वातावरण बनाकर शिक्षा और उद्योग के बीच बेहतर सहयोग को प्रोत्साहन प्रदान करना चाहती है जो दोनों पक्षों से परिचित है, और अधिक प्रभावी जानकारी साझा करने में सक्षम है।

कुल मिलाकर, बुनियादी ढांचे के विकास के दायरे में 12 प्रयोगशालाएं, 12 कक्षाएं, बहुउद्देशीय कक्ष, खुला थिएटर, आउटडोर प्रशिक्षण क्षेत्र, सम्मेलन और चर्चा कक्ष व एक कैफेटेरिया सम्मिलित है।

इसके अलावा, डसॉल्ट एविएशन के साथ परिकल्पित साझेदारी से कानपुर में विमानन क्षेत्र में दीर्घकालिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) में वैमानिकी संरचना एवं उपकरण फिटर (एएस एंड ईएफ) में एक पाठ्यक्रम शुरू करने में सहायता मिलेगी। साझेदारी के एक हिस्से के रूप में, कानपुर परिसर में भारतीय कौशल संस्थान के नए भवन में वैमानिकी व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए डसॉल्ट वैमानिकी उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किया जा रहा है।

भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) में नवीनतम प्रशिक्षण सुविधाओं में सुविधा प्रदान करने और अग्रणी उद्योगों के साथ नौकरी के दौरान प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करने के लिए इन सहयोगों के माध्यम से मजबूत उद्योग और नियोक्ता संपर्क की परिकल्पना की गई है। इसके अलावा, ये साझेदारियां स्थानीय इकोसिस्टम को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के अनुकूल बनाने में सक्षम बनाकर समाज के लाभ में योगदान दे रही हैं। भारत सरकार पहले ही देश में तीन स्थानों मुंबई, कानपुर और अहमदाबाद में भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) स्थापित कर चुकी है।

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