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राजनीति

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन के दोबारा इस पद पर चुने जाने पर उन्‍हें बधाई दी

प्रधानमंत्री  ने आज रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।

प्रधानमंत्री ने उन्हें रूसी संघ के राष्ट्रपति के रूप में फिर से चुने जाने पर बधाई दी और रूस के मैत्रीपूर्ण लोगों की शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं दीं।

दोनों नेता आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में ठोस प्रयास करने पर सहमत हुए।

उन्होंने द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न मुद्दों में प्रगति की भी समीक्षा की और आपसी हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री इसके संभावित समाधान के लिए भारत की बातचीत और कूटनीति की दृढ़ स्थिति को दोहराया।

दोनों नेता लगातार संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए।

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प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्टार्ट-अप महाकुंभ का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्टार्ट-अप महाकुंभ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप महाकुंभ के महत्व पर प्रकाश डाला और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण के लिए देश के रोडमैप पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर क्षेत्र में भारत की छाप छोड़ने का उल्‍लेख किया और नवाचार तथा स्टार्ट-अप संस्कृति के उभरते रुझानों को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्ट-अप जगत के लोगों की उपस्थिति आज के अवसर के महत्व को दर्शाती है। देश में स्टार्ट-अप की सफलता पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने उस मौलिक प्रतिभाशाली तत्व की ओर ध्यान आकर्षित किया जो उन्हें सफल बनाता है। उन्होंने निवेशकों, इनक्यूबेटरों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, उद्योग के अग्रणी सदस्यों और वर्तमान एवं भविष्य के उद्यमियों की उपस्थिति को स्वीकारते हुए कहा कि वास्तव में यह महाकुंभ अभूतपूर्व ऊर्जा और जीवंतता का निर्माण कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वे खेल और प्रदर्शनी स्टॉलों का दौरा कर रहे थे, तो उन्‍हें इसी भावना का अनुभव हुआ। इन स्‍टॉलों पर लोगों ने बड़े गर्व से अपने नवाचारों का प्रदर्शन किया। उन्‍होंने कहा कि स्टार्ट-अप महाकुंभ में आने वाला कोई भी भारतीय भविष्य के यूनिकॉर्न और डेकाकॉर्न का साक्षी बनेगा।

प्रधानमंत्री ने सही नीतियों के कारण देश में स्टार्टअप इकोसिस्टम के विकास पर संतोष व्यक्त किया। समाज में स्टार्टअप की अवधारणा के प्रति शुरुआती अनिच्छा और उदासीनता का स्‍मरण करते हुए उन्होंने कहा कि स्टार्टअप इंडिया के अंतर्गत समय के साथ नवोन्‍मेषी विचारों को मंच मिला। उन्होंने फंडिंग स्रोतों और शैक्षणिक संस्थानों में इनक्यूबेटरों के साथ विचारों को जोड़कर इकोसिस्टम के विकास को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे टियर 2 और टियर 3 शहरों के युवाओं को सुविधाएं प्रदान की हैं। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप एक सामाजिक संस्कृति बन गया है और सामाजिक संस्कृति को कोई नहीं रोक सकता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टार्टअप क्रांति का नेतृत्व छोटे शहरों द्वारा किया जा रहा है और यह क्रांति कृषि, वस्त्र, चिकित्सा, परिवहन, अंतरिक्ष, योग और आयुर्वेद सहित कई क्षेत्रों में परिलक्षित हो रही है। अंतरिक्ष स्टार्टअप के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय स्टार्टअप अंतरिक्ष क्षेत्र में 50 से अधिक क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिनमें स्पेस शटल का प्रक्षेपण भी शामिल है।

प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स के बारे में बदलती सोच पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि स्टार्टअप्स ने यह मानसिकता बदल दी है कि व्‍यवसाय शुरू करने के लिए बहुत अधिक धनराशि की आवश्‍यकता होती है। उन्होंने नौकरी मांगने वाले के बजाय नौकरी देने वाला बनने का रास्ता चुनने के लिए देश के युवाओं की सराहना की।

उन्होंने कहा कि भारत में 1.25 लाख स्टार्टअप कार्य कर रहे हैं। यहां तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें 12 लाख युवा सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। प्रधानमंत्री ने उद्यमियों से अपने पेटेंट शीघ्रता से दाखिल करने के प्रति सतर्क रहने को कहा। जीईएम पोर्टल ने व्यवसायों और स्टार्टअप्स को 20,000 करोड़ रुपये से भी अधिक प्रदान किए हैं। उन्होंने नए क्षेत्रों में जाने के लिए युवाओं की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि नीतिगत मंचों पर शुरू किए गए स्टार्ट-अप आज नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।

डिजिटल इंडिया द्वारा स्टार्ट-अप को प्रदान किए गए प्रोत्साहन को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह बड़ा प्रेरणा स्रोत है। उन्‍होंने सुझाव दिया कि कॉलेज इसे एक अध्‍ययन के रूप देखें। उन्होंने कहा कि यूपीआई फिन-टेक स्टार्ट-अप के लिए समर्थन का एक स्तंभ बन गया है जो देश में डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए नवीन उत्पादों और सेवाओं के विकास का नेतृत्व करता है। उन्होंने जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत मंडपम में स्थापित एक बूथ पर उद्योग और वैश्विक नेताओं की लंबी कतारों को याद किया, जिसमें यूपीआई की कार्यप्रणाली समझाई गई थी और ट्रायल रन की पेशकश की गई थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे वित्तीय समावेशन सुदृढ़ हुआ है और ग्रामीण एवं शहरी स्तर पर खाई में कमी आई है। प्रौद्योगिकी का विस्‍तार शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में तक हुआ है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि देश में 45 प्रतिशत से अधिक स्टार्ट-अप महिलाओं के नेतृत्व वाले हैं, चाहे वह शिक्षा, कृषि या स्वास्थ्य हो।

प्रधानमंत्री ने न केवल विकसित भारत के लिए बल्कि मानवता के लिए नवाचार की संस्कृति के महत्व पर बल दिया। उन्होंने स्टार्टअप-20 के अंतर्गत वैश्विक स्टार्टअप के लिए एक मंच प्रदान करने की भारत की पहल का उल्लेख किया जो स्टार्टअप को विकास इंजन के रूप में स्‍वीकार करता है। उन्होंने आर्टिफिशिएल इंटलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में भी भारत का पलड़ा भारी होने की बात कही।

प्रधानमंत्री ने एआई उद्योग के आगमन के साथ युवा अन्वेषकों और वैश्विक निवेशकों दोनों के लिए सृजित हो रहे कई अवसरों को रेखांकित किया और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, भारत एआई मिशन एवं सेमीकंडक्टर मिशन का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले अमेरिकी सीनेट में अपने संबोधन के दौरान एआई पर चर्चा को याद किया और आश्वासन दिया कि भारत इस क्षेत्र में अग्रणी बना रहेगा। उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना ​​है कि वैश्विक अनुप्रयोगों के लिए भारतीय समाधान दुनिया के कई देशों के लिए मददगार बनेंगे।

प्रधानमंत्री ने हैकथॉन आदि के माध्यम से भारतीय युवाओं से सीखने की वैश्विक इच्छा को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि भारतीय परिस्थितियों में परीक्षण किए गए समाधानों को वैश्विक स्वीकृति मिली है। उन्होंने नेशनल रिसर्च फाउंडेशन और सनराइज सेक्टर क्षेत्रों में भविष्य की आवश्‍यकताओं के लिए अनुसंधान व योजना के लिए एक लाख करोड़ रुपये के फंड का उल्लेख भी किया।

प्रधानमंत्री ने स्टार्टअप्स से कहा कि वे लोगों की मदद करें और जो उन्‍होंने समाज से ग्रहण किया है वे उसे सहायता के माध्‍यम से लौटाएं। उन्‍होंने संस्‍थानों से कहा कि वे स्‍टार्टअप्‍स क्षेत्रों में शामिल हों। उन्होंने उनसे इनक्यूबेशन केंद्रों, स्कूलों और कॉलेजों का दौरा करने और छात्रों के साथ अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए कहा। उन्‍होंने हैकथॉन के माध्यम से लिए सरकारी समस्या विवरण के समाधान में युवाओं को शामिल करने के अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि शासन में कई अच्छे समाधान अपनाए गए और समाधान तलाशने के लिए हैकथॉन संस्कृति सरकार में स्थापित हुई। उन्होंने व्यवसायों और सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम (एमएसएमई) में इसका पालन करने के लिए कहा। उन्होंने महाकुंभ में शामिल लोगों से कहा कि वे कार्रवाई योग्य बिंदुओं को सामने लाए।

प्रधानमंत्री ने भारत को 11वें स्थान से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में युवाओं के योगदान को रेखांकित किया। उन्‍होंने तीसरे कार्यकाल में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की गारंटी को पूरा करने में स्टार्टअप द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका पर भी प्रकाश डाला। संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि युवाओं के साथ बातचीत करना उन्हें नई ऊर्जा से भर देता है। उन्होंने युवाओं के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल और श्री सोम प्रकाश सहित अन्य उपस्थित थे।

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प्रधानमंत्री ने असम के जोरहाट में 17,500 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज असम के जोरहाट में 17,500 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं आधारशिला रखी और इनका उद्घाटन करते हुए उन्हें राष्ट्र को समर्पित किया। आज की विकास परियोजनाओं में स्वास्थ्य, तेल और गैस, रेल और आवास के क्षेत्र शामिल हैं।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित विशाल भीड़ के लिए आभार व्यक्त किया और राज्य के 200 विभिन्न स्थानों से 2 लाख लोगों के शामिल होने की भी सराहना की। श्री मोदी ने कोलाघाट के लोगों द्वारा हजारों दीये जलाने का भी उल्लेख किया और कहा कि लोगों का प्यार और स्नेह उनकी सबसे बड़ी संपत्ति है। उन्होंने आज स्वास्थ्य, आवास और पेट्रोलियम क्षेत्रों से संबंधित लगभग 17,500 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास करते हुए उन्हें राष्ट्र को समर्पित करके असम के विकास को गति देने की पुष्टि की।

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने इसे एक अद्वितीय राष्ट्रीय उद्यान और बाघ अभयारण्य कहा और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की जैव विविधता और अनोखे ईकोसिस्टम के आकर्षण को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “70 फीसदी एक सींग वाले गैंडे काजीरंगा में हैं।” उन्होंने दलदली हिरण, बाघ, हाथी और जंगली भैंसे जैसे वन्यजीवों को खोजने के अनुभव के बारे में भी बात की। प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे लापरवाही और आपराधिक सहयोग के कारण गैंडा लुप्त होने की कगार पर है और उन्होंने 2013 में एक ही वर्ष में 27 गैंडों के शिकार को याद किया। सरकार के प्रयासों से 2022 में गैंडों के शिकार की संख्या शून्य हो गई। काजीरंगा के स्वर्ण जयंती वर्ष पर असम के लोगों को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री ने नागरिकों से राष्ट्रीय उद्यान का दौरा करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री ने आज वीर लाचित बोरफुकन की भव्य प्रतिमा के अनावरण का जिक्र किया और कहा, ”वीर लाचित बोरफुकन असम के शौर्य और दृढ़ संकल्प के प्रतीक हैं।” उन्होंने 2002 में नई दिल्ली में उनकी 400वीं जयंती बड़े धूमधाम और सम्मान के साथ मनाए जाने को भी याद किया और बहादुर योद्धा को नमन किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, ”विकास भी और विरासत भी” हमारी डबल इंजन सरकार का मंत्र रहा है। उन्होंने कहा कि असम ने बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और ऊर्जा क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की है। एम्स, तिनसुकिया जैसे स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे उन्होंने कहा, जोरहाट में मेडिकल कॉलेज, शिव सागर मेडिकल कॉलेज और कैंसर अस्पताल असम को पूरे पूर्वोत्तर के लिए एक चिकित्सा केंद्र बनाएंगे।

प्रधानमंत्री ने पीएम ऊर्जा गंगा योजना के तहत बरौनी-गुवाहाटी पाइपलाइन को राष्ट्र को समर्पित करने का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि गैस पाइपलाइन पूर्वोत्तर ग्रिड को राष्ट्रीय ग्रिड से जोड़ेगी और 30 लाख घरों और 600 से अधिक सीएनजी स्टेशनों को गैस की आपूर्ति करने में मदद करेगी, जिससे बिहार, पश्चिम बंगाल और असम के 30 से अधिक जिलों के लोगों को लाभ होगा।

डिगबोई रिफाइनरी और गुवाहाटी रिफाइनरी के विस्तार के उद्घाटन के अवसर पर बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने असम में रिफाइनरियों की क्षमता का विस्तार करने की लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग को नजरअंदाज कर दिया था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान सरकार के प्रयासों से असम में रिफाइनरियों की कुल क्षमता अब दोगुनी हो जाएगी जबकि नुमालीगढ़ रिफाइनरी की क्षमता तीन गुना हो जाएगी। उन्होंने कहा, “किसी भी क्षेत्र का विकास तब तीव्र गति से होता है जब विकास के इरादे मजबूत हों।”

उन्होंने उन 5.5 लाख परिवारों को बधाई दी, जिन्हें आज अपना पक्का घर मिला है। उन्होंने कहा कि ये घर सिर्फ घर नहीं हैं बल्कि शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली और पाइप पानी कनेक्शन जैसी सुविधाओं से सुसज्जित हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 18 लाख परिवारों को ऐसे घर मुहैया कराए जा चुके हैं। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि इनमें से ज्यादातर घर महिलाओं के नाम पर हैं।

असम की हर महिला के जीवन को आसान बनाने और उनकी बचत में सुधार करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने कल महिला दिवस पर गैस सिलेंडर की कीमत 100 रुपये कम करने के फैसले का उल्लेख किया। आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाओं से भी महिलाओं को लाभ मिल रहा है। जल जीवन मिशन के तहत, असम में 50 लाख से अधिक घरों को पाइप से पानी का कनेक्शन मिला है। उन्होंने 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई।

2014 के बाद असम में हुए ऐतिहासिक परिवर्तनों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने 2.5 लाख से अधिक भूमिहीन मूल निवासियों को भूमि अधिकार प्रदान करने और लगभग 8 लाख चाय बागान श्रमिकों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का उल्लेख किया, जिससे सरकारी लाभ सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित हो सके। प्रधानमंत्री ने कहा, इससे बिचौलियों के लिए सभी दरवाजे बंद हो गए।

प्रधानमंत्री ने कहा, “विकसित भारत के लिए पूर्वोत्तर का विकास जरूरी है।” उन्होंने आगे कहा, “मोदी पूरे पूर्वोत्तर को अपना परिवार मानते हैं। इसीलिए हम उन परियोजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो वर्षों से लंबित पड़ी हैं”। उन्होंने 2014 में पूर्वोत्तर में 1 परियोजना के मुकाबले अब 18 परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए सरायघाट पर पुल, ढोला-सदिया पुल, बोगीबील पुल, बराक घाटी तक रेलवे ब्रॉडगेज का विस्तार, मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क, जोगीघोपा, ब्रह्मपुत्र नदी पर दो नए पुलों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं ने क्षेत्र में नई संभावनाएं पैदा कीं। उन्होंने उन्नति योजना का भी जिक्र किया जिसे पिछली कैबिनेट बैठक में विस्तारित दायरे के साथ नये स्वरूप में मंजूरी दी गयी थी। कैबिनेट ने जूट के एमएसपी में भी बढ़ोतरी की है जिससे राज्य के जूट किसानों को फायदा होगा।

प्रधानमंत्री ने लोगों के प्यार और स्नेह के लिए आभार जताया और कहा कि हर भारतीय उनका परिवार है। प्रधानमंत्री ने कहा, “लोगों का प्यार मोदी को न केवल इसलिए मिलता है क्योंकि उनका मानना ​​है कि भारत के 140 करोड़ नागरिक उनका परिवार हैं, बल्कि इसलिए भी कि वह दिन-रात उनकी सेवा कर रहे हैं”। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का अवसर इसी विश्वास का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने आज की विकास परियोजनाओं के लिए नागरिकों को बधाई देते हुए समापन किया और इस दौरान ‘भारत माता की जय’ के नारे गूंजते रहे।

इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा और केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के लिए प्रधानमंत्री विकास पहल (पीएम-डिवाइन) योजना के तहत शिवसागर में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल और गुवाहाटी में एक हेमाटो-लिम्फोइड केंद्र सहित परियोजनाओं की आधारशिला रखी। उन्होंने तेल और गैस क्षेत्र में महत्वपूर्ण परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, जिसमें डिगबोई रिफाइनरी की क्षमता 0.65 से 1 एमएमटीपीए (मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष) तक विस्तार; कैटेलिटिक रिफॉर्मिंग यूनिट (सीआरयू) की स्थापना के साथ गुवाहाटी रिफाइनरी विस्तार (1.0 से 1.2 एमएमटीपीए); और बेतकुची (गुवाहाटी) टर्मिनल पर सुविधाओं में वृद्धि: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड आदि शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने तिनसुकिया में नए मेडिकल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं; और 718 किलोमीटर लंबी बरौनी-गुवाहाटी पाइपलाइन (प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना का हिस्सा) अन्य बातों के अलावा लगभग 3,992 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई है। प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत लगभग 5.5 लाख घरों का भी उद्घाटन किया, जो लगभग 8,450 करोड़ रुपये की कुल लागत से निर्मित हुए।

प्रधानमंत्री ने असम में धूपधारा-छायगांव खंड (न्यू बोंगाईगांव-गुवाहाटी वाया गोलपारा दोहरीकरण परियोजना का हिस्सा) और न्यू बोंगाईगांव-सोरभोग खंड (न्यू बोंगाईगांव-अगथोरी दोहरीकरण परियोजना का हिस्सा) सहित 1300 करोड़ रुपये से अधिक की महत्वपूर्ण रेलवे परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं।

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने आज कृषि एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन किया

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और जनजातीय कार्य मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने आज नई दिल्ली के कृषि भवन में कृषि एकीकृत कमान एवं नियंत्रण केंद्र का उद्घाटन किया, जिसका उद्देश्य देश के किसानों को डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके सूचना, सेवाओं और सुविधाओं से लैस करके सशक्त बनाना है। इस अवसर पर, श्री मुंडा ने कहा कि यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक नवाचार है, जो पूरे देश के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है।

केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मूल मंत्र- ‘न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन’ को ध्यान में रखते हुए कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सामान्य नागरिकों का जीवन अनावश्यक रूप से प्रभावित न हो और वे अपना कार्य पूरे मनोभाव से, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से कर सकें और स्वयं को आत्मनिर्भर, सक्षम और सशक्त बनाकर देश को सशक्त बनाने में भागीदार बनें। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, कृषि मंत्रालय ने आज किसानों को लाभ प्रदान करने के लिए इस नए डिजिटल आयाम को शामिल किया है। श्री मुंडा ने कहा कि आज प्रौद्योगिकी प्रत्येक लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुकी है और एक भागीदार के रूप में सरकार की अपनी जिम्मेदारी है क्योंकि प्रौद्योगिकी इसे और ज्यादा सशक्त बनाती है। मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि लोगों को और समर्थन प्रदान किया जाए जिससे सभी लोगों को प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त हो सके। श्री मुंडा ने कहा कि सरकार पूरी पारदर्शिता, प्रतिबद्धता और उद्देश्य के साथ चाहती है कि गांव में रहने वाला आम किसान भी प्रौद्योगिकी के माध्यम से आत्मनिर्भर बन सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा इस बात पर बल देते हैं कि हम किसानों को बेहतर जानकारी, सेवाएं और सुविधाएं कैसे उपलब्ध कराएं, भागीदार बनकर किस प्रकार से हम उनकी उत्पादन क्षमता और सामर्थ्य को बढ़ाएं। चाहे हम किसी भी क्षेत्र में कितने भी कुशल क्यों न हों, कृषि विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है क्योंकि मनुष्य भोजन के बिना जिंदा नहीं रह सकता है। इसीलिए; हमने कृषि क्षेत्र के महत्व पर बल दिया है और किसानों को अन्नदाता कहा है क्योंकि उन्हीं के कारण देश में खाद्यान्नों का उत्पादन और भंडारण होता है।

श्री मुंडा ने कहा कि नई पहल का उद्देश्य किसानों को खेतों की वास्तविक जानकारी उपलब्ध कराना है और यह भी पता लगाना है कि हमारे कृषि क्षेत्र के सामने उत्पन्न होने वाली वास्तविक चुनौतियां क्या-क्या हैं। उन्होंने कहा कि वास्तविक समय पर आंकड़ों की उपलब्धता और उसका विश्लेषण करने से कृषि संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और इससे कृषि क्षमता का विस्तार होगा तथा फसलें अच्छी होंगी, जिसका लाभ अंततः देश के किसानों को प्राप्त होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान भी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में सक्षम बनेंगे। यह डिजिटल नवाचार 21वीं सदी में भारत को प्रदर्शित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन का एक मजबूत आधार विश्वास है और सरकार इन प्रयासों द्वारा किसानों के बीच विश्वास और सुरक्षित वातावरण स्थापित करेगी।  मुंडा ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन ऐसे भारत को न केवल देखा जाना चाहिए बल्कि महसूस भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत न केवल विकसित बने, बल्कि एक समृद्ध भारत का निर्माण हो और आत्मनिर्भरता से साथ ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार किया जाए। इसके बाद ही देश का प्रत्येक व्यक्ति गोर्वान्वित और सम्मानित महसूस करेगा और हमारी संस्कृति अपने आप में परिलक्षित होगी। श्री मुंडा ने कहा कि देश के किसी भी भाग में रहने वाला नागरिक भारत की मिट्टी से जुड़ा हुआ है और हमारे किसान खेतों के माध्यम से देश के विकास के भागीदार हैं। इसी क्रम में डिजिटल एग्रीकल्चर में ‘एग्री स्टैक’ एक अहम पहल है। इसके अंतर्गत डिजिटल फसल सर्वे शुरू किया गया है, जिसमें किसानों की फसलों की सटीक जानकारी का पता लगाया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री श्री मुंडा ने महिला दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रसोई गैस पर सब्सिडी देकर महिलाओं को विशेष उपहार प्रदान किया है, वहीं गणतंत्र दिवस के अवसर पर 2024 को नारी शक्ति वर्ष घोषित करते हुए देश की महिलाओं की शक्ति को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि भारत में वास्तव में महिलाओं का सम्मान होता है। श्री मुंडा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में हो रहे नवाचारों को भी सही मायने में नारी शक्ति को समर्पित किया जा सकता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री मनोज आहूजा, सचिव, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने भी अपने विचार रखे। मंत्रालय के अपर सचिव श्री प्रमोद मेहरदा ने नई पहल के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की।

‘मल्टीफंक्शनल सेंटर- कमांड सेंटर’ में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कृषि क्षेत्र में किए जा रहे सभी डिजिटल नवाचारों को एक ही स्थल पर एक साथ बड़ी स्क्रीन पर देखा जा सकेगा। मृदा सर्वेक्षण से प्राप्त प्लॉट स्तर के आंकड़े, रिमोट सेंसिंग तकनीक द्वारा प्राप्त फसल सर्वेक्षण की जानकारी, मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी, डिजिटल फसल सर्वे से प्राप्त आंकड़े, कृषि मानचित्र पर उपलब्ध जानकारी, कृषि सांख्यिकी के लिए बनाए गए उपज (उपग) पोर्टल पर उपलब्ध जानकारी सभी लोगों को एक ही स्थान पर प्राप्त होने से, इसके आधार पर विश्लेषण करना और सटीक निर्णय लेना संभव हो सकेगा, जो इस क्षेत्र में बहुत ही उपयोगी साबित होगा।

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सौर ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 में 2.82 गीगावॉट से बढ़कर दिसंबर 2023 में 73.32 गीगावॉट हो गई: केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री श्री आरके सिंह ने बताया कि देश में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 31.03.2014 को 2.82 गीगावॉट से बढ़कर 31.12.2023 तक 73.32 गीगावॉट हो गई है।

राष्ट्रीय सौर मिशन के अंतर्गत सौर ऊर्जा क्षमता की राज्यवार स्थापना का विवरण नीचे दिया गया है।

सौर ऊर्जा की राज्यवार स्थापित क्षमता (31.12.2023 तक)

क्रम संख्या राज्यकेंद्र शासित प्रदेश सौर ऊर्जा क्षमता मेगावाट में
1 आंध्र प्रदेश                                                 4565.60
2 अरुणाचल प्रदेश                                                             11.79
3 असम                                                 155.81
4 बिहार                                                 223.54
5 छत्तीसगढ़                                     1072.24
6 गोआ                                                 35.76
7 गुजरात                                     10549.07
8 हरियाणा                                    1240.47
9 हिमाचल प्रदेश                                                 111.55
10 जम्मू-कश्मीर                                                 54.98
11 झारखंड                                                 121.77
12 कर्नाटक                                                 9412.71
13 केरल                                                 859.01
14 लद्दाख                                                 7.80
15 मध्य प्रदेश                                     3170.05
16 महाराष्ट्र                                     5080.28
17 मणिपुर                                                 13.04
18 मेघालय                                                 4.19
19 मिज़ोरम                                                 30.43
20 नागालैंड                                                 3.17
21 ओड़ीशा                                    473.03
22 पंजाब                                     1266.55
23 राजस्थान                                     18777.14
24 सिक्किम                                                 4.69
25 तमिलनाडु                                     7360.94
26 तेलंगाना                                     4712.98
27 त्रिपुरा                                                 18.47
28 उत्तर प्रदेश                                        2740.87
29 उत्तराखंड                                    575.53
30 पश्चिम बंगाल                                    194.06
31 अंडमान-निकोबार द्वीप समूह                                                 29.91
32 चंडीगढ़                                                 64.05
33 दादरा और नगर हवेली तथा दमण और दीव                                                 46.47
34 दिल्ली                                     237.29
35 लक्षद्वीप                                                 4.97
36 पुद्दुचेरी                                                 43.27
37 अन्य                                                 45.01
  कुल योग  (मेगावाट)                                     73318.49

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय छत पर सौर ऊर्जा पैनल (आरटीएस) लगाने के कार्यक्रम का चरण- II लागू कर रहा है, जिसमें आवासीय कल्याण संघ (आरडब्ल्यूए)/समूह सहित केवल आवासीय क्षेत्र में छत पर सौर ऊर्जा पैनल (आरटीएस) की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) प्रदान की जा रही है। हाउसिंग सोसायटी (जीएचएस)। कार्यक्रम में 31.03.2026 तक आवासीय क्षेत्र में 4,000 मेगावाट छत पर सौर ऊर्जा पैनल (आरटीएस) क्षमता की स्थापना की परिकल्पना की गई है। केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) अन्य श्रेणियों यानी संस्थागत, शैक्षणिक, सामाजिक, सरकारी, वाणिज्यिक और औद्योगिक क्षेत्रों के लिए उपलब्ध नहीं है क्योंकि इन क्षेत्रों में लाभार्थी उच्च टैरिफ-भुगतान करने वाले उपभोक्ता हैं और केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) के बिना भी सौर ऊर्जा को अपनाना उनके लिए आर्थिक रूप से लाभदायक होगा।

यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री आर.के. सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।

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वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति

भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, पुलिस और सार्वजनिक व्यवस्था के विषय राज्य सरकारों के पास हैं। हालाँकि, भारत सरकार (भारत सरकार) वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से प्रभावित राज्यों के प्रयासों को पूरा कर रही है। एलडब्ल्यूई  समस्या को समग्र रूप से संबोधित करने के लिए, 2015 में ” एलडब्ल्यूई को संबोधित करने के लिए एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना” को मंजूरी दी गई थी। इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और अधिकारों को सुनिश्चित करने आदि से संबंधित एक बहु-आयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है। सुरक्षा पर रहते हुए मोर्चे पर, भारत सरकार केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बटालियन, प्रशिक्षण, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी साझा करना, पूर्ण सज्जित  पुलिस स्टेशनों का निर्माण आदि प्रदान करके वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्य सरकार की सहायता करती है I विकास के मोर्चे पर भी  प्रमुख योजनाओं के अलावा, भारत सरकार  ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में कई विशिष्ट पहल की हैं, जिसमें सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार सम्पर्क (कनेक्टिविटी)  में सुधार, कौशल और वित्तीय समावेशन पर विशेष जोर दिया गया है।

पिछले 05 वर्षों में 2018-19 से 2022-23 के बीच विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस), सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) और विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजनाओं के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों की क्षमता निर्माण के लिए 4931 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसके अलावा, वामपंथी उग्रवाद प्रबंधन के लिए केंद्रीय एजेंसियों को सहायता (एसीएएलडब्ल्यूईएम) योजना के अंतर्गत  वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा शिविरों में हेलीकॉप्टरों के संचालन और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को संबोधित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों को 765 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

विकास के मोर्चे पर, भारत सरकार की प्रमुख योजनाओं के अलावा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में कई विशिष्ट पहलें की गई हैं, जिनमें सड़क नेटवर्क के विस्तार, दूरसंचार कनेक्टिविटी में सुधार, कौशल विकास और वित्तीय समावेशन पर विशेष जोर दिया गया है। कुछ उपाय इस प्रकार हैं:

  • सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए 13620 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है।
  • दूरसंचार कनेक्टिविटी में सुधार के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में 13823 टावरों को मंजूरी दी गई है। अब तक 3700 से अधिक टावर चालू हो चुके हैं।
  • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में स्थानीय जनसंख्या  के वित्तीय समावेशन के लिए 4903 नए डाकघर खोले गए हैं। इसके अलावा, अप्रैल-2015 से 30 सबसे अधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 955 बैंक शाखाएं और 839 एटीएम खोले गए हैं।
  • कौशल विकास के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में 46 आईटीआई और 49 कौशल विकास केंद्र (एसडीसी) क्रियाशील बनाए गए हैं।

वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों के आदिवासी प्रखंडों (ब्लॉकों) में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 130 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) को क्रियाशील बनाया गया है।

नीति के दृढ़ कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार गिरावट आई है और इसके भौगोलिक प्रसार में कमी आई है। वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की घटनाओं  और उनकी परिणामी मौतें (नागरिक + सुरक्षा बल) 2010 के उच्चतम स्तर से 2023 में क्रमशः 73% और 86% कम हो गई हैं।

वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की सूचना देने  वाले पुलिस स्टेशनों की संख्या 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस स्टेशनों से घटकर 2023 में 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशनों पर आ गई है। भौगोलिक प्रसार में गिरावट सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना। के अंतर्गत कवर किए गए जिलों की कम संख्या में भी परिलक्षित होती है। अप्रैल 2018 में एसआरई जिलों की संख्या 126 से घटकर 90 हो गई थी और जुलाई 2021 में और घट कर 70 रह  गई।

यह जानकारी गृह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है ।

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वर्ष 2014-23 की अवधि के दौरान, 10867 रोड ओवर ब्रिज/रोड अंडरब्रिज का काम पूरा हुआ

मॉडल स्टेशन स्कीम जून, 1999 और नवंबर, 2008 के बीच प्रचलन में थी। रेल मंत्रालय ने भारतीय रेल पर रेलवे स्टेशनों के विकास के लिए अमृत भारत स्टेशन स्कीम लांच की है। इस स्कीम में एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना की गई है।

इसमें प्रत्येक स्टेशन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए स्टेशनों पर स्टेशन एक्सेस ,सर्कुलेटिंग क्षेत्रों, प्रतीक्षालयों, शौचालयों, जहां आवश्यकता हो, वहां लिफ्ट/एस्केलेटर, स्वच्छता, निशुल्क वाई-फाई, ‘ एक स्टेशन एक उत्पाद ‘ जैसी योजनाओं के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के लिए कियोस्क, बेहतर यात्री सूचना प्रणालियां, एक्सेक्यूटिव लौंज, व्यवसाय बैठकों के लिए नामित स्थान, लैंडस्केपिंग आदि सुविधाओं में सुधार लाने के लिए चरणों में मास्टर प्लानों की तैयारी करना और उनका कार्यान्वयन करना शामिल है।

इस स्कीम में भवन में सुधार, स्टेशन को शहर के दोनों तरफों के साथ समेकित करना, मल्टीमॉडल एकीकरण, दिव्यांगजनों के लिए सुविधाओं, टिकाऊ एवं प्र्यावरण अनुकूल समाधान, गिट्टीरहित ट्रैक का प्रावधान, आवश्यकता के अनुरुप ‘ रूफ प्लाजा ‘ दीर्घ अवधि में स्टेशन पर सिटी सेंटरों की चरणबद्धता और व्यवहार्यता तथा निर्माण की भी परिकल्पना की गई है। इस स्कीम के तहत, भारतीय रेल के उन्नयन/आधुनिकीकरण के लिए बीकानेर मंडल के 23 स्टेशनों और जोधपुर मंडल के 18 स्टेशनों सहित 1318 स्टेशनों की पहचान की गई है।

वर्ष 2014-23 की अवधि के दौरान, कुल 10867 रोड ओवर ब्रिज (आरओबी)/रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) पूरे किए गए, जबकि 2004-14 की अवधि के दौरान, केवल 4148 नंबर आरओबी/आरयूबी पूरे किए गए। वर्ष 2023-24 के दौरान दिसंबर 2023 तक 612 आरओबी/आरयूबी का काम पूरा हो चुका है। वर्ष 2023-24 के दौरान दिसंबर 2023 तक आरओबी और आरयूबी के निर्माण पर 3970 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

मानवयुक्त लेवल क्रॉसिंग गेटों को खत्म करने के लिए रोड ओवर ब्रिज (आरओबी)/रोड अंडर ब्रिज ( आरयूबी ) का निर्माण किया जाता है। लेवल क्रॉसिंग (एलसी) के बदले रोड ओवर ब्रिज (आरओबी)/रोड अंडर ब्रिज (आरयूबी) के कार्यों को मंजूरी देना भारतीय रेलवे की एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है। ऐसे कार्य ट्रेन संचालन में सुरक्षा, ट्रेनों की गतिशीलता और सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए प्रभाव और व्यवहार्यता आदि पर इसके प्रभाव के आधार पर किए जाते हैं।

31.01.2024 तक, भारतीय रेलवे पर कुल 1948 आरओबी और 2325 आरयूबी स्वीकृत किए गए हैं, जो योजना निर्माण, आकलन  और निष्पादन आदि के विभिन्न चरणों में हैं।

ट्रेन संचालन में सुरक्षा बढ़ाने, गतिशीलता बढ़ाने और सड़क क्रॉसिंग कार्यों में तेजी लाने के लिए रेलवे ने 02.03.2023 को नई नीति जारी की है। नीति की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं :

1. एलसी उन्मूलन की प्राथमिकता ट्रेन परिचालन में सुरक्षा, ट्रेनों की गतिशीलता और सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए प्रभाव, निष्पादन की व्यवहार्यता और लागत पर विचार पर आधारित है।

2. जहां भी संभव हो रेलवे द्वारा एकल इकाई के आधार पर कार्य का निष्पादन। यदि कोई सड़क स्वामित्व प्राधिकरण/राज्य सरकार चाहे तो रेलवे उन्हें एकल इकाई के आधार पर कार्य निष्पादित करने की अनुमति दे सकता है।

यह जानकारी रेल, संचार और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत 474.7 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 137 अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई

तकनीकी वस्त्र क्षेत्र में देश को विश्व में अग्रणी बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) को 1,480 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है। यह वित्त वर्ष 2020-21 से लेकर 31.03.2026 तक मान्य है। इस मिशन के 4 घटक हैं। एनटीटीएम के घटक एक  के तहत एक हजार करोड़ रुपए देश के सरकारी संगठनों/प्रमुख अनुसंधान संस्थानों/वस्त्र अनुसंधान संघों (टीआरए) के लिए रखे गए हैं। एनटीटीएम के तहत अब तक 137 अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी जा चुकी है। सरकार द्वारा उक्त परियोजनाओं की स्वीकृत कुल लागत 474.7 करोड़ रुपए (लगभग) है।

पिछले तीन वर्षों के दौरान उक्त मिशन के तहत विभिन्न संस्थानों को सरकार द्वारा प्रदान किए गए अनुदान का विवरण इस प्रकार है:

क्रमांक वर्ष जारी की गई धनराशि (करोड़ रुपये में)
1 2020-2021 0.0
2 2021-2022 59.64
3 2022-2023 35.47

 

यह जानकारी केंद्रीय वस्त्र राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना जरदोश ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि एक अत्यधिक सक्षम आत्मनिर्भर रक्षा अंतरिक्ष इकोसिस्टम के निर्माण का समय आ चुका है

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने जोर देकर कहा है कि चूंकि देश अमृत काल से गुजर रहा है, इसलिए यह एक अत्यधिक सक्षम आत्मनिर्भर रक्षा अंतरिक्ष इकोसिस्टम के निर्माण का समय है। दिल्ली कैंट के मानेकशॉ सेंटर में 7 फरवरी, 2024 को तीन दिवसीय अंतरिक्ष संगोष्ठी एवं प्रदर्शनी ‘डीईएफएसएटी’ का उद्घाटन करते हुए, जनरल अनिल चौहान ने कहा कि सरकार ने अंतरिक्ष संवर्धन से लेकर अन्वेषण तक देश के लिए बड़े लक्ष्यों की कल्पना की हुई है।

मानव जाति हेतु और युद्ध में जाने वाले सशस्त्र बलों के लिए भी अंतरिक्ष की जीवन शक्ति की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए जनरल अनिल चौहान ने कहा कि भूमि, वायु, समुद्र तथा साइबर तकनीकी के पारंपरिक क्षेत्रों में युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से अंतरिक्ष का उपयोग बल गुणांक के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने रक्षा अंतरिक्ष इकोसिस्टम के सभी हितधारकों से देश की अंतरिक्ष संपत्तियों की सुरक्षा के उद्देश्य से रक्षा निवारक के रूप में उद्योग जगत से अंतरिक्ष-सुरक्षा की क्षमताओं पर काम करने के लिए आह्वान किया।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने सशस्त्र बलों की क्षमताओं को सशक्त करने के लिए अंतरिक्ष का उपयोग करने की सरकार की प्रमुख गतिविधियों का उल्लेख किया। उन्होंने आईडेक्स पहल के तहत मिशन डेफस्पेस 2022 के हिस्से के रूप में 75 अंतरिक्ष संबंधी चुनौतियों का भी जिक्र किया। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि इस पहल के तहत, कुल पांच अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं और अतिरिक्त चार अनुबंध दस्तावेजीकरण के विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने बताया कि इसी समय सीमा में, 12 मेक-आई चुनौतियों का व्यवहार्यता अध्ययन भी आगे बढ़ाया जा रहा है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने इस बात पर बल दिया कि सरकार देश के भीतर एक भरोसेमंद अंतरिक्ष इकोसिस्टम का विकास करने के लिए स्टार्ट-अप सहित सभी हितधारकों को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे पास वर्ष 2014 में एक ही स्टार्ट अप था, जो 2023 में ही अंतरिक्ष क्षेत्र में 54 नए स्टार्टअप के साथ 204 स्टार्टअप तक बढ़ गया है। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि वर्ष 2023 में हमने एक राष्ट्र के रूप में इस क्षेत्र में 123 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जिससे कुल निधि 380.25 मिलियन डॉलर हो गई।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने इस तथ्य पर जोर दिया कि वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था लगभग 8.4 अरब डॉलर होने का अनुमान है और वर्ष 2033 तक स्वदेशी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के 44 अरब डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सीड फंड योजना, 0% जीएसटी व्यवस्था, परीक्षण सुविधाओं को साझा करना, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसी सरकारी गतिविधियों ने निजी उद्योग को उचित सहयोग प्रदान किया है। जनरल अनिल चौहान ने कहा कि मांगों के संरेखण और वित्त पोषण समर्थन के साथ यह ढांचा निजी क्षेत्र को आगे बढ़ने के लिए सही वातावरण प्रदान करता है।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कार्यक्रम स्थल पर एक प्रदर्शनी और उत्पाद प्रस्तुति के माध्यम से निजी अंतरिक्ष उद्योग भागीदारों द्वारा की गई विभिन्न तकनीकी प्रगति को दर्शाने वाली एक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।

भारतीय सशस्त्र बलों में संयुक्तता, एकीकरण और परिवर्तन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एकीकृत रक्षा कार्मिक मुख्यालय के साथ एक थिंक टैंक के रूप में सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज द्वारा सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन – इंडिया (एसआईए) के साथ आयोजित सेमिनार का उद्देश्य नागरिक, वाणिज्यिक एवं रक्षा अंतरिक्ष कार्यक्रमों के बीच समन्वय तथा तालमेल को बढ़ावा देना है। जिसे अंतरिक्ष क्षेत्र की दोहरे उपयोग की प्रकृति का लाभ उठाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

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नई मंजिल योजना के तहत 98,712 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया

नई मंजिल योजना उन अल्पसंख्यक युवाओं को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 2014-15 से 2020-21 तक क्रियान्वित की जा रही थी, जिनके पास औपचारिक स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र नहीं है। योजना ने औपचारिक शिक्षा (कक्षा आठवीं या दसवीं) और कौशल का संयोजन प्रदान किया और लाभार्थियों को बेहतर रोजगार और आजीविका खोजने में सक्षम बनाया। योजना की शुरुआत के बाद से, 98,712 लाभार्थियों को प्रशिक्षित किया गया है, 58,168 को नौकरी मिली है और 8,546 ने अब तक आगे की शिक्षा या कौशल प्रशिक्षण लिया है। शुरुआत से नई मंजिल योजना के तहत लाभार्थियों की राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश और लिंग-वार संख्या अनुलग्‍नक में दी गई है।

परियोजना कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से यह योजना कार्यान्वित की गई थी, इसलिए, निधि आवंटन पर राज्य/केन्‍द्र शासित प्रदेश-वार आंकड़े मंत्रालय में नहीं रखे जाते हैं। शुरुआत से ही योजना के तहत 562.39 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें से. 2022-23 तक 456.19 करोड़ का उपयोग किया जा चुका है।

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