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राजनीति

मार्च 2024 में भारत का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 4.9 प्रतिशत बढ़ गया

मार्च 2024 महीने के लिए, 2011-12 आधार के साथ औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का त्वरित अनुमान 159.2 है। मार्च 2024 माह के लिए खनन, विनिर्माण और बिजली क्षेत्रों के लिए औद्योगिक उत्पादन के सूचकांक क्रमशः 156.1, 155.1 और 204.2 हैं। इन त्वरित अनुमानों में आईआईपी की संशोधन नीति के अनुसार आगामी रिलीज में संशोधन किया जाएगा।

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) का त्वरित अनुमान छह सप्ताह के अंतराल के साथ हर महीने की 12 तारीख (या पिछले कार्य दिवस यदि 12 तारीख को छुट्टी हो) को जारी किया जाता है और स्रोत एजेंसियों से प्राप्त आंकड़ों के साथ संकलित किया जाता है, जो बदले में उत्पादक कारखानों/प्रतिष्ठानों से डेटा प्राप्त करते हैं। ।

मार्च 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में आईआईपी वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत है। मार्च 2023 की तुलना में मार्च 2024 माह के लिए तीन क्षेत्रों खनन, विनिर्माण और बिजली की वृद्धि दर क्रमशः 1.2 प्रतिशत, 5.2 प्रतिशत और 8.6 प्रतिशत है। विनिर्माण क्षेत्र के भीतर, मार्च 2024 माह के लिए आईआईपी की वृद्धि में शीर्ष तीन सकारात्मक योगदानकर्ताओं की वृद्धि दर – “बुनियादी धातुओं का निर्माण” (7.7 प्रतिशत), “फार्मास्यूटिकल्स, औषधीय रसायन और वनस्पति उत्पादों का निर्माण” ( 16.7 प्रतिशत), और “अन्य परिवहन उपकरणों का निर्माण” (25.4 प्रतिशत) है।

अप्रैल-मार्च 2023-24 की अवधि के लिए संचयी विकास दर पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 5.8 प्रतिशत है। अप्रैल-मार्च 2023-24 की अवधि के लिए तीन क्षेत्रों, खनन, विनिर्माण और बिजली की संचयी वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में क्रमशः 7.5 प्रतिशत, 5.5 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत है।

उपयोग-आधारित वर्गीकरण के अनुसार, मार्च 2024 माह के लिए प्राथमिक वस्तुओं के लिए सूचकांक 162.2, पूंजीगत वस्तुओं के लिए 130.5, मध्यवर्ती वस्तुओं के लिए 167.5 और बुनियादी ढांचे/निर्माण वस्तुओं के लिए 194.2 पर हैं। इसके अलावा, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं और उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं के लिए सूचकांक मार्च 2024 के महीने में क्रमशः 129.9 और 154.7 पर रहीं।

मार्च 2024 में मार्च 2023 की तुलना में उपयोग-आधारित वर्गीकरण के अनुसार आईआईपी की वृद्धि दर प्राथमिक वस्तुओं में 2.5 प्रतिशत, पूंजीगत वस्तुओं में 6.1 प्रतिशत, मध्यवर्ती वस्तुओं में 5.1 प्रतिशत, बुनियादी ढांचे/निर्माण वस्तुओं में 6.9 प्रतिशत, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में 9.5 प्रतिशत और उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं में 4.9 प्रतिशत (विवरण III) है।

मार्च 2024 के महीने के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के त्वरित अनुमानों का विवरण क्षेत्रीय, राष्ट्रीय औद्योगिक वर्गीकरण (एनआईसी-2008) के 2-अंकीय स्तर और उपयोग-आधारित वर्गीकरण द्वारा क्रमशः विवरण I, II और III में दिया गया है। इसके अलावा, उपयोगकर्ताओं को औद्योगिक क्षेत्र में बदलावों की सराहना करने के लिए, स्टेटमेंट IV उद्योग समूहों (एनआईसी-2008 के 2-अंकीय स्तर के अनुसार) और क्षेत्रों द्वारा पिछले 12 महीनों के लिए महीने-वार सूचकांक प्रदान करता है।

मार्च 2024 माह के लिए आईआईपी के त्वरित अनुमानों के साथ, फरवरी 2024 के सूचकांकों में स्रोत एजेंसियों से प्राप्त अद्यतन आंकड़ों के आलोक में पहला संशोधन किया गया है और दिसंबर 2023 के सूचकांकों में अंतिम संशोधन किया गया है। मार्च 2024 के लिए त्वरित अनुमान, फरवरी 2024 के लिए पहला संशोधन और दिसंबर 2023 के लिए अंतिम संशोधन क्रमशः 93 प्रतिशत, 95 प्रतिशत और 96 प्रतिशत की भारित प्रतिक्रिया दरों पर संकलित किया गया है।

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डी जी कॉलेज, के इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब तथा एनएसएस द्वारा मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाते हुए मतदान हेतु शपथ दिलवा कर मतदान के लिए प्रेरित किया

कानपुर 10 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता डी जी कॉलेज, कानपुर में स्थापित इलेक्टोरल लिटरेसी क्लब तथा एनएसएस द्वारा संयोजिका डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में कारगिल पार्क में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम चलाते हुए वहां उपस्थित समस्त नागरिकों को मतदान करने हेतु शपथ दिलवाई तथा उन्हें प्रेरित किया कि मतदान करना हमारा अधिकार एवं कर्तव्य दोनों है। मतदान के द्वारा हम अपनी सरकार का चुनाव कर सकते हैं तथा समाज में जो बदलाव ला सकते हैं। देश हित में तथा एक मजबूत लोकतंत्र की स्थापना हेतु हर एक व्यक्ति को मतदान अवश्य करना चाहिए। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से आकांक्षा यादव, पंखुड़ी, रिद्धि, सिद्धि, फसीहा एवं निकिता आदि छात्राओं का योगदान सराहनीय रहा।

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अतुल दीक्षित 

सम्पादक मुद्रक प्रकाशक 

दैनिक भारतीय स्वरूप (उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र से प्रकाशित)

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केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने नई दिल्ली में जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के पहले अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय कुमार मिश्रा को पद की शपथ दिलाई

केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण (जीएसटीएटी) के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संजय कुमार मिश्रा को सत्यनिष्ठा और गोपनीयता की शपथ दिलाई। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मिश्रा की नियुक्ति जीएसटीएटी के संचालन की शुरुआत का प्रतीक है, जो जीएसटी से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए एक महत्वपूर्ण निकाय है।

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जीएसटीएटी केंद्रीय माल एवं सेवा कर अधिनियम 2017 के तहत स्थापित एक अपीलीय प्राधिकरण है, जो प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के आदेशों के विरुद्ध उक्त अधिनियम और संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश जीएसटी अधिनियमों के तहत विभिन्न अपीलों की सुनवाई करता है। इसमें एक प्रधान पीठ और विभिन्न राज्य पीठें शामिल हैं। जीएसटी परिषद की मंजूरी के अनुसार, सरकार ने नई दिल्ली में स्थित प्रधान पीठ और देश के विभिन्न स्थानों पर 31 राज्य पीठों को अधिसूचित किया है। न्यायिक सदस्यों और तकनीकी सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है।

यह न्‍यायाधिकरण जीएसटी विवादों का त्वरित, निष्पक्ष, विवेकपूर्ण और प्रभावी समाधान सुनिश्चित करेगा, इसके अलावा उच्च न्यायालयों पर बोझ को भी कम करेगा। जीएसटीएटी की स्थापना से भारत में जीएसटी प्रणाली की प्रभावशीलता में बढ़ोत्‍तरी होगी और देश में अधिक पारदर्शी और प्रभावी कर महौल को बढ़ावा मिलेगा।

जीएसटीएटी के पहले अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) मिश्रा झारखंड उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे और उनका चयन भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक खोज एवं चयन समिति द्वारा किया गया था।

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कर्मयोगी भारत के निदेशक मंडल की 12वीं बैठक का आयोजन मुंबई में किया गया

कर्मयोगी भारत के निदेशक मंडल की 12वीं बैठक का आयोजन श्री के. रामादोराई सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में 03 मई, 2024 को मुंबई में किया गया।

बोर्ड ने आईजीओटी कर्मयोगी प्लेटफॉर्म पर एक करोड़ पाठ्यक्रम नामांकन और 1,000 से ज्यादा पाठ्यक्रमों के दोहरे मील के पत्थर को स्वीकार किया। बोर्ड ने महसूस किया कि ये मील के पत्थर सरकारी अधिकारियों के बीच योग्यता-आधारित शिक्षा के पोषण में मंच की भूमिका को रेखांकित करते हैं।

बैठक में आईजीओटी कर्मयोगी के साथ ई-एचआरएमएस मंच के एकीकरण की सराहना की गई, जो अधिकारियों की दक्षता एवं क्षमता के आधार पर उनकी तैनाती को सक्षम बनाते हुए भूमिका-आधारित शासन को सक्षम बनाएगा।

बोर्ड ने राज्यों के मंच के लिए नीति के साथ सहयोग की सराहना कीजिसमें ब्लॉक स्तर एवं जिला-स्तर पर क्षमता-निर्माण पहल का संचालन करने में समर्थ क्यूरेटेड कार्यक्रमों के महत्व पर बल दिया गया है।

संसद द्वारा पारित तीन नए आपराधिक कानूनों पर पाठ्यक्रमों का शुभारंभ- भारतीय न्याय संहिता, 2023; भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023; और भारतीय साक्षी अधिनियम, 2023 और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम की सराहना सभी लोगों ने की, जो जन-सामना, नागरिक-केंद्रित शासन में शामिल अधिकारियों को सर्वाधिक समकालीन मुद्दों पर प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु कर्मयोगी भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इसके अलावा बोर्ड ने प्रमुख विकास कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने में क्षेत्रीय अधिकारियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से जन कर्मयोगी पहल की भी सराहना की। आईजीओटी पर ज्ञान कर्मयोगी, जो कि लोक सेवकों के लिए एक व्यापक ज्ञान कोष के रूप में कार्य कर रहा है, को इस मंच पर एक स्वागत योग्य संयोजन के रूप में उल्लिखित किया गया।

इस बोर्ड के सदस्यों में श्रीमती एस. राधा चौहान (सचिव, डीओपीटी), डॉ. निर्मलजीत सिंह कलसी (अध्यक्ष, राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद), श्री गोविंद अय्यर (निदेशक और अध्यक्ष, एसवीपी फिलैन्थ्रपी फाउंडेशन), श्री पंकज बंसल (सह-संस्थापक, पीपलस्ट्रांग), श्रीमती देबजानी घोष (अध्यक्ष, नैसकॉम), श्री एस. कृष्णन (सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय), श्री अभिषेक सिंह (सीईओ, कर्मयोगी भारत) और श्री एस.पी. रॉय (सचिव, क्षमता निर्माण आयोग) सहित कर्मयोगी भारत के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल थे।

इसके आगे बोर्ड ने कंटेंट मार्केटप्लेस को सक्रिय करने और शिक्षण के परिणामों को संवर्द्धित करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले मूल्यांकन व सामग्री की सोर्सिंग के साथ-साथ प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में प्रभाव मूल्यांकन पर अपना ध्यान केंद्रित करने की पुष्टि की।

इसके अलावा कर्मयोगी भारत की टीम के प्रमुखों ने भविष्य के लिए व्यापक रणनीतिक लक्ष्यों पर अपनी व्यक्तिगत प्रस्तुतियां भी दीं और बोर्ड के सदस्यों ने इस पर प्रतिक्रिया भी दी।

यह बैठक नियम-आधारित से भूमिका-आधारित शासन की ओर बढ़ने में रूपांतरणकारी भूमिका निभाने के प्रयासों को दोगुना करने के संकल्प के साथ समाप्त हुई।

 

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सशस्त्र बलों के लिए सेवारत सबसे बड़े दंत चिकित्सा संस्थान, आर्मी डेंटल सेंटर (आर एंड आर) के रजत जयंती समारोह का आयोजन

आर्मी डेंटल सेंटर ऑफ रिसर्च एंड रेफरल (एडीसी आर एंड आर) ने 01 मई, 2024 को अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया है। इस अवसर पर पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमके कटियार ने प्रतिष्ठान का दौरा किया और कार्यक्रम की स्मृति में एक विशेष पोस्टल कवर भी जारी किया।

इस समारोह के दौरान दंत चिकित्सा सेवा महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल विनीत शर्मा और केंद्र के पूर्व कमांडेंट भी उपस्थित थे। कमांडेंट एडीसी आर एंड आर ब्रिगेडियर एसएस चोपड़ा ने दंत चिकित्सा शिक्षा, अनुसंधान एवं रोगियों की देखभाल में एक अग्रणी संस्थान बनने के लिए आर्मी डेंटल सेंटर (आर एंड आर) की सभी उपलब्धियों तथा विभिन्न गतिविधियों से अवगत कराया।

आर्मी डेंटल सेंटर आर एंड आर सशस्त्र बलों का सबसे बड़ा दंत चिकित्सा संस्थान है, जो दंत चिकित्सा के लिए पांच विशिष्ट पाठ्यक्रमों में स्नातकोत्तर प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करता है। इनमें ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी, प्रोस्थोडॉन्टिक्स और क्राउन एंड ब्रिज, पेरियोडॉन्टिक्स व ओरल इम्प्लांटोलॉजी, कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री तथा एंडोडॉन्टिक्स, ऑर्थोडॉन्टिक्स एवं डेंटोफेशियल ऑर्थोपेडिक्स की सुविधाएं शामिल हैं।

दंत चिकित्सा हेतु इस प्रतिष्ठान के दंत चिकित्सकों ने क्रैनियोप्लास्टी जैसी विभिन्न विशेषज्ञ प्रक्रियाओं को निष्पादित करके दंत चिकित्सा में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं; इसे विशिष्ट शल्य चिकित्साओं में शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत टीएमजे आर्थ्रोस्कोपी; सिर में हड्डी के फ्लैप की मरम्मत या प्रतिस्थापन होता है, जो अक्सर आघात, पिछली सर्जरी या जन्मजात असामान्यताओं के कारण खोपड़ी में उत्पन्न दोषों को ठीक करने के लिए किया जाता है; टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट (टीएमजे), जो जबड़े को कपाल से जोड़ता है और अन्य जटिल सर्जरी से संबंधित समस्याओं के निदान तथा उपचार के लिए एक छोटी व सरल प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है।

संस्थान ने सशस्त्र बलों हेतु सभी आयु वर्गों में सामान्य मुख शल्य चिकित्सा एवं पुनर्वास उपचार के दौरान एंग्जियोलिसिस और एनाल्जेसिया के लिए नाइट्रस ऑक्साइड-ऑक्सीजन अर्थात न्यूनतम बेहोशी की दवा के उपयोग की जद्दोजहद भी की है। यह सशस्त्र बलों में कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग (सीएडी), कंप्यूटर एडेड मैन्युफैक्चरिंग (सीएएम) प्रोस्थेसिस के निर्माण के लिए इंट्राओरल स्कैनर का उपयोग करने वाला एकमात्र केंद्र है। मैक्सिलोफेशियल दोषों के निवारण के लिए रोगियों के विशिष्ट प्रत्यारोपण यहां नियमित रूप से संपादित किए जाते हैं। इस संस्थान की लाइब्रेरी पत्रिकाओं और पुस्तकों की बड़ी डिजिटल पहुंच के साथ आरएफआईडी सक्षम है।

इस प्रतिष्ठित संस्थान के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में हर वर्ष दंत चिकित्सा के विशेषज्ञों द्वारा दिया जाने वाला ‘मेजर जनरल आरएन डोगरा मेमोरियल भाषण’ आज मेरठ के स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल जीके थपलियाल, (सेवानिवृत्त) द्वारा “इंडिया दैट इज भारत” विषय पर दिया गया।

पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ ने सभी रैंक अधिकारियों के साथ बातचीत की और इस संस्थान द्वारा प्रदान की जा रही विशिष्ट सेवाओं की सराहना की। उन्होंने सभी रैंकों से सैनिकों, उनके परिवारों और पूर्व सैन्य कर्मियों को अत्याधुनिक विशिष्ट देखभाल सुविधाएं प्रदान करना जारी रखने का आग्रह किया तथा सभी को समान रूप से पेशेवर उत्साह के साथ अपना कार्य करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ ने रोगियों की देखभाल सुविधाओं में निरंतर सुधार के लिए आर्मी डेंटल सेंटर (आर एंड आर) के कर्मचारियों की भी प्रशंसा की।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग की आयोजना में वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय दिवस का अयोजन डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सभागार में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य वैज्ञानिक और तकनीकी उद्देश्यों के लिए हिंदी शब्दावली के प्रयोग को छात्रों और समाज के लाभ के लिए शिक्षादाताओं, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों को एक मंच पर लाना है।
दूसरे दिन की चर्चाएँ तीसरे तकनीकी सत्र के साथ शुरू हुईं। दिन के पहले वक्ता प्रोफेसर गिरीश नाथ झा, निदेशक, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (सीएसटीटी), शिक्षा मंत्रालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, भारत सरकार थे। उन्होंने प्रतिभागियों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी लेखन करने के लिए उत्साहवर्धन किया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रकाशकों से अनुरोध किया जाता है कि सीएसटीटी द्वारा विकसित मानक शब्दावली के प्रचार को बढ़ावा देने के लिए हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में पुस्तकें तथा पत्रिकाएँ प्रकाशित करें।
सत्र के दूसरी वक्ता डॉ शिल्पा पांडेय वैज्ञानिक, बीएसआईपी, लखनऊ थीं। उन्होंने कहा कि यदि आयोग द्वारा विकसित शब्दावली का सरकार और इसके नियंत्रण में आने वाले निकायों द्वारा प्रयोग नहीं किया जाता है तो तब उसकी स्थापना और उससे लागत होने वाला खर्च व्यर्थ होगा। इसलिए, जब तक आयोग कार्य करता है, उसे निर्देशित किया गया है कि इसकी द्वारा विकसित तकनीकी शब्दावली को पाठ्यपुस्तकों के उत्पादन और पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए।
चौथे तकनीकी सत्र, सम्मेलन का आखिरी सत्र, दो वक्ताओं के साथ था। वे प्रोफेसर सुमन मिश्रा, राजनीति विज्ञान विभाग, एनएसएन पीजी कॉलेज, लखनऊ और प्रोफेसर संजीव ओझा, वरिष्ठ मुख्य वैज्ञानिक, एनबीआरआई, लखनऊ थे। दोनों वक्ताओं ने प्रतिभागियों को बताया कि सीएसटीटी वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दों को हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में विकसित और परिभाषित करने, तकनीकी शब्दकोश, परिभाषात्मक शब्दकोश, विश्वकोश आदि प्रकाशित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, सम्मेलन आयोग भी निगरानी करता है कि विकसित शब्द और उनकी परिभाषाएँ छात्रों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, वैज्ञानिकों, अधिकारियों आदि तक पहुँचती रहें।
मुख्य वक्ता के तौर पर संगोष्ठी में डॉ उपेंद्र पाण्डेय उपस्थित रहे जिनका स्वागत डॉ फिरदौस कटियार ने बुके देकर किया।
सम्मेलन एक पैनल चर्चा के साथ समाप्त हुआ।

लगभग 200 प्रतिभागियों ने सम्मेलन में भाग लिया। सभी सत्र बहुत सूचनात्मक थे और प्लेटफ़ॉर्म पर मूल्यवान विचारों का आदान-प्रदान हुआ। व सम्मेलन का संचालन प्रो सुनीता वर्मा ने किया ।

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केन्द्र ने छह देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 एमटी प्याज के निर्यात की अनुमति दी

सरकार ने छह पड़ोसी देशों बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), भूटान, बहरीन, मॉरीशस और श्रीलंका को 99,150 एमटी प्याज के निर्यात की अनुमति दी है। पिछले वर्ष की तुलना में 2023-24 में खरीफ एवं रबी फसलों की अनुमानित कम उपज की पृष्ठभूमि में पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ाने हेतु प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया गया है।

इन देशों को प्याज का निर्यात करने वाली एजेंसी, नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (एनसीईएल) ने ई-प्लेटफॉर्म के माध्यम से निर्यात किए जाने वाले घरेलू प्याज को एल1 कीमतों पर हासिल किया और गंतव्य देश की सरकार द्वारा नामित एजेंसी या एजेंसियों को शत-प्रतिशत अग्रिम भुगतान के आधार पर तय दर पर आपूर्ति की। एनसीईएल द्वारा खरीदारों को दरों की पेशकश गंतव्य बाजार और अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू बाजारों में प्रचलित कीमतों को ध्यान में रखकर की जाती है। छह देशों को निर्यात के लिए आवंटित कोटे की आपूर्ति गंतव्य देश द्वारा की गई मांग के अनुसार की जा रही है। देश में प्याज के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में, महाराष्ट्र निर्यात के लिए एनसीईएल द्वारा प्राप्त किए जाने वाले प्याज का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।

सरकार ने मध्य-पूर्व और कुछ यूरोपीय देशों के निर्यात बाजारों के लिए विशेष रूप से उगाए गए 2000 मीट्रिक टन सफेद प्याज के निर्यात की भी अनुमति दी थी। पूरी तरह से निर्यात उन्मुख होने के कारण, सफेद प्याज की उत्पादन लागत उच्च बीज लागत, अच्छी कृषिगत पद्धति (जीएपी) को अपनाने और सख्त अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) संबंधी आवश्यकताओं के अनुपालन के कारण अन्य प्याज की तुलना में अधिक होती है।

उपभोक्ता कार्य विभाग के मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत रबी-2024 में से प्याज की बफर खरीद का लक्ष्य इस वर्ष पांच लाख टन निर्धारित किया गया है। केन्द्रीय एजेंसियां यानी एनसीसीएफ और एनएएफईडी किसी भी भंडारण-योग्य प्याज की खरीद शुरू करने हेतु खरीद, भंडारण और किसानों के पंजीकरण का समर्थन करने के लिए एफपीओ/एफपीसी/पीएसी जैसी स्थानीय एजेंसियों को साथ जोड़ रही हैं। डीओसीए, एनसीसीएफ और एनएएफईडी की एक उच्चस्तरीय टीम ने पीएसएफ बफर के लिए पांच एलएमटी प्याज की खरीद के बारे में किसानों, एफपीओ/एफपीसी और पीएसी के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से 11-13 अप्रैल, 2024 के दौरान महाराष्ट्र के नासिक और अहमदनगर जिलों का दौरा किया था।

प्याज के भंडारण के क्रम में में होने वाली हानि को कम करने के लिए, उपभोक्ता कार्य विभाग ने बीएआरसी, मुंबई के तकनीकी सहयोग से विकिरणित और ठंडे भंडारण वाले स्टॉक की मात्रा को पिछले वर्ष के 1200 एमटी से बढ़ाकर इस वर्ष 5000 एमटी से अधिक करने का निर्णय लिया। पिछले वर्ष शुरू की गई प्याज को विकिरणित व शीत भंडारण करने की प्रायोगिक परियोजना (पायलट प्रोजेक्ट) के परिणामस्वरूप भंडारण के क्रम में होने वाली हानि घटकर 10 प्रतिशत से भी कम रह गई है।

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सचिव (पी एंड पीडब्ल्यू) ने कहा, “सभी पेंशन वितरण बैंकों के पेंशन पोर्टलों को पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग के एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल में एकीकृत किया जाएगा ताकि पेंशनभोगियों के जीवन को आसान बनाया जा सके

26 अप्रैल,2024 को बैंक ऑफ इंडिया के एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टलके शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए (पीएंडपीडब्ल्यू) सचिव, श्री वी श्रीनिवास, ने कहा कि सभी पेंशन संवितरण बैंकों के पेंशन पोर्टलों को पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग के एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल में एकीकृत किया जाएगा, ताकि पेंशनभोगियों का सुगम जीवन सुनिश्चित हो सके। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि ‘पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग’ ने पेंशनभोगियों के कल्याण के लिए अनेक पहल की हैं। पेंशनभोगियों का डिजिटल सशक्तिकरण ऐसी ही एक पहल है और इसे डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र और भविष्य पोर्टल जैसे विभिन्न माध्यमों से लागू किया जा रहा है।

पारदर्शिता, डिजिटलीकरण और सेवा वितरण के उद्देश्य के अनुरूप, भविष्य प्लेटफॉर्म ने पेंशन प्रसंस्करण और भुगतान का ओर से छोरतक डिजिटलीकरण सुनिश्चित किया है, जो सेवानिवृत्त व्यक्ति द्वारा अपने कागजात ऑनलाइन दाखिल करने से लेकर इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में पीपीओ जारी करने और उसके डिजिलॉकर में जाने तक होता है। 01.01.2017 से ‘भविष्य’ मंच, एक एकीकृत ऑनलाइन पेंशन प्रसंस्करण प्रणाली को केंद्र सरकार के सभी विभागों के लिए से अनिवार्य कर दिया गया था। वर्तमान में यह प्रणाली 98 मंत्रालयों/विभागों में सफलतापूर्वक कार्यान्वित की जा रही है, जिसमें 870 संबद्ध कार्यालय और 8,174 डीडीओ शामिल हैं। केंद्र सरकार के सभी ई-गवर्नेंस सेवा वितरण पोर्टलों के बीच एनईएसडीए आकलन 2021 के अनुसार पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग को भविष्य(डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा विकसित पेंशन मंजूरी और भुगतान के लिए एक ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम) के लिए तीसरे रैंक से सम्मानित किया गया था।

बैंकों से संबंधित पेंशनभोगियों के सामने आने वाली समस्याओं जैसे बैंक परिवर्तन, जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की स्थिति, पेंशन पर्ची, फॉर्म 16, पेंशन रसीद की जानकारी को कम करने के लिए, पेंशन संवितरण बैंकों की वेबसाइटों को डीओपीपीडब्ल्यू के एकीकृत पेंशनर्स पोर्टल के साथ एकीकृत किया जा रहा है, ताकि ये सेवाएं एकल खिड़की से उपलब्ध हो सकें।

भविष्य पोर्टल के साथ एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक के पेंशन पोर्टल के एकीकरण का काम पूरा हो गया है। इस एकीकरण के साथ, बैंक ऑफ इंडिया के पेंशनभोगियों के पास पेंशन पर्ची, जीवन प्रमाण पत्र जमा करने की स्थिति, देय और तैयार किए गए विवरण और एकीकृत पेंशनभोगियों के पोर्टल के माध्यम से फॉर्म -16 जैसी सेवाओं के लिए एक स्थान नियत है। निकट भविष्य में अधिकांश पेंशन संवितरण बैंकों को एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल के साथ एकीकृत किया जाएगा।

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ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड को एसएसीई के अंतर्गत लगभग 60.5 अरब जापानी येन का हरित ऋण प्राप्त हुआ

भारत में सतत विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड, एक महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम और विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत अग्रणी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी), ने भारत में पात्र हरित परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए जापानी येन (जेपीवाई) 60.536 अरब का हरित ऋण सफलतापूर्वक प्राप्त किया है। हरित ऋण सुविधा को इतालवी निर्यात ऋण एजेंसी, एसएसीई (इटली) द्वारा उनके इनोवेटिव पुश स्ट्रैटजी कार्यक्रम के अंतर्गत 80 प्रतिशत गारंटी के साथ लाभ मिलता है। एसएसीई और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) के बीच की व्यवस्था एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और किसी भारतीय सरकारी इकाई और एसएसीई के बीच यह अपनी तरह का पहला समझौता है।

हरित ऋण सुविधा भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र के परिदृश्य में समान हरित वित्तपोषण लेनदेन के लिए एक मानक स्थापित करती है, जो टिकाऊ वित्तपोषण के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। यह सुविधा एसएसीई के पहले जापानी येन (जेपीवाई)-मूल्यवर्ग वाले ऋण लेनदेन और भारत में पहले हरित ऋण लेनदेन को भी प्रदर्शित करती है।

हरित ऋण में एशिया, अमेरिका और यूरोप भर के बैंकों, अर्थात् क्रेडिट एग्रीकोल कॉरपोरेट एंड इन्वेस्टमेंट बैंकबैंक ऑफ अमेरिकासिटीबैंककेएफडब्ल्यू आईपीईएक्स-बैंक और सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन की अनिवार्य लीड अरेंजर्स के रूप में ऋण भागीदारी है। क्रेडिट एग्रीकोल कॉरपोरेट एंड इन्वेस्टमेंट बैंक एक्सपोर्ट क्रेडिट एजेंसी समन्वयक, हरित ऋण समन्वयक, डॉक्यूमेंटेशन बैंक और फैसिलिटी एजेंट के रूप में कार्य करेगा।

ऋण सुविधा ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड के लिए एक रणनीतिक निवेश है, जो कंपनी के हरित वित्तीय रूपरेखा के अनुरूप, सतत विकास को प्रोत्साहन प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है। हरित ऋण उन परियोजनाओं का समर्थन करने में ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड और उसके भागीदारों के समर्पण को प्रदर्शित करता है जो कठोर पर्यावरण मानकों को पूरा करते हैं, नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन प्रदान करते हैं और पूरे भारत में कार्बन उत्सर्जन को कम करने में योगदान करते हैं। इसके अतिरिक्त, यह हरित वित्तपोषण की दिशा में बढ़ती गति और पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए हितधारकों के सामूहिक प्रयासों को भी प्रदर्शित करता है।

ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, श्री विवेक कुमार देवांगन ने ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड के इस समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा, “इस वास्तविक वैश्विक समझौते में सफल लेनदेन से इस तरह के और अधिक सहयोग का मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है, जिससे हरित ऊर्जा वित्तपोषण और टिकाऊ परियोजनाओं में भारत-इतालवी व्यापार संबंधों को और प्रोत्साहन मिलेगा। यह भारत में सतत विकास परियोजनाओं के लिए वैश्विक समुदाय के सहयोग को प्रोत्साहन देने में भी सहायता करेगा।

एसएसीई के भारत और दक्षिण एशिया प्रमुख श्री गौतम भंसाली ने टिप्पणी करते हुए कहा, “एसएसीई को इस ‘ग्रीन पुश स्ट्रैटजी’ लेनदेन के लिए ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड के साथ साझेदारी करने पर गर्व है, जो भारत में कार्यान्वित की जा रही एक नवीन और अपनी तरह की पहली संरचना है। इस सुविधा के माध्यम से, एसएसीई भारत में टिकाऊ दीर्घकालिक विकास को सक्षम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, हरित आवागमन और ऊर्जा दक्षता में परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

क्रेडिट एग्रीकोल कॉरपोरेट एंड इन्वेस्टमेंट बैंक के भारत के वरिष्ठ कंट्री ऑफिसर, श्री फ्रैंक पासिलियर ने कहा, “यह लेन-देन क्रेडिट एग्रीकोल कॉरपोरेट एंड इन्वेस्टमेंट बैंक के सतत विकास को प्रोत्साहन देने के लिए अटूट समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करता है, जो एक दशक से वैश्विक टिकाऊ वित्तपोषण में हमारे बैंक की अग्रणी स्थिति के अनुरूप है। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड के साथ हमारा रणनीतिक सहयोग पर्यावरण की दृष्टि से दायित्वपूर्ण पहलों को आगे बढ़ाने और भारत के आशाजनक बाजार के भीतर स्थायी वित्तपोषण के विकास को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड के बारे में

ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक ‘महारत्न’ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम है, और भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के साथ गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी), और इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंसिंग कंपनी (आईएफसी) के रूप में पंजीकृत है। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) पूरे विद्युत-अवसंरचना क्षेत्र को वित्तपोषित करता है जिसमें उत्पादन, पारेषण, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी भंडारण, पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट, हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया परियोजनाओं जैसी नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। हाल ही में, ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) ने गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी विविधता प्रदान की है, जिसमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, सूचना प्रौद्योगिकी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक अवसंरचना (शैक्षिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ई एंड एम) कार्य, इस्पात और रिफाइनरी जैसे अन्य क्षेत्र शामिल हैं।

ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड देश में बुनियादी ढांचा परिसंपत्तियों के निर्माण के लिए राज्य, केंद्र और निजी कंपनियों को विभिन्न परिपक्वता अवधि के ऋण प्रदान करता है। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड विद्युत क्षेत्र के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका निभा रहा है और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्य), दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), राष्ट्रीय विद्युत निधि (एनईएफ) योजना के लिए एक नोडल एजेंसी रही है। इसके परिणामस्वरूप देश में प्रत्येक स्थान तक वितरण प्रणाली को मजबूत किया गया, शत-प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण और घरेलू विद्युतीकरण किया गया। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) लिमिटेड को संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) के लिए कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए भी नोडल एजेंसी बनाया गया है। 31 दिसंबर, 2023 तक ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) के बही खाते में 4.97 लाख करोड़ रुपये और कुल परिसंपत्ति 64,787 करोड़ रुपये है।

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भारतीय वायु सेना का अलंकरण समारोह

वायु सेना का अलंकरण समारोह 26 अप्रैल, 2024 को परम योद्धा स्थल के पास आयोजित किया गया, जो नई दिल्ली में राष्ट्रीय समर स्मारक परिसर में स्थित है। समारोह की शुरुआत में पुरस्कार विजेताओं ने स्मारक के अमर चक्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और देश के शहीद नायकों को श्रद्धांजलि दी।

इस गरिमामय समारोह के बाद वायु सेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने 51 वायु सेना के योद्धाओं को राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किए।

इन विजेताओं में तीन युद्ध सेवा मेडल, सात वायु सेना मेडल (वीरता), 13 वायु सेना मेडल और 28 विशिष्ट सेवा मेडल पुरस्कार शामिल हैं। वायु सेना प्रमुख ने प्रत्येक पुरस्कार विजेता को उनके वीरतापूर्ण कार्यों और भारतीय वायु सेना को दी विशिष्ट सेवा के लिए बधाई दी।

यह पहली बार है कि किसी भारतीय सेना ने राष्ट्रीय समर स्मारक परिसर में अपना अलंकरण समारोह आयोजित किया। पुरस्कार विजेताओं के निजी अतिथियों और भारतीय वायु सेना के वरिष्ठ वायु योद्धाओं के साथ-साथ, इस कार्यक्रम को पर्यटकों और दर्शकों ने भी देखा। इससे ये सच्चे अर्थों में लोगों का कार्यक्रम बन गया।

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