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राजनीति

सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के क्षमता निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है: रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ

रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने सभी आवश्यक सहायता एवं सहयोग प्रदान करके सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के क्षमता निर्माण को सुनिश्चित करने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। 16 जुलाई, 2024 को बेंगलुरु कॉम्प्लेक्स की अपनी यात्रा के दौरान भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के अधिकारियों को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा कि यह पीएसयू पर निर्भर है कि वे अपने प्रदर्शन को बेहतर बनायें और इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धी युग में प्रतिस्पर्धी बने रहें।

बीईएल की उपलब्धियों और प्रदर्शन की सराहना करते हुए, श्री संजय सेठ ने कहा कि यह पीएसयू ‘मेक इन इंडिया’ पहल और आत्मनिर्भरता में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इसने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के साथ साझेदारी में कई स्वदेशी उपकरण और प्रणालियां विकसित की हैं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष इसने आत्मनिर्भरता को मजबूत करते हुए 150 वस्तुओं के पेटेंट हासिल किए हैं।

केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री ने एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स नेवी (एडीएसएन) स्ट्रैटेजिक बिजनेस यूनिट (एसबीयू), मिलिट्री रडार एसबीयू और अत्याधुनिक ईएमआई/ईएमसी लैब में प्रिसिजन मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी का दौरा किया। उन्हें तटीय निगरानी प्रणाली और परिधि सुरक्षा प्रणाली की विशेषताओं के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने स्मार्ट सिटी एक्सपीरियंस सेंटर और प्रोडक्ट डेवलपमेंट एंड इनोवेशन सेंटर (पीडीआईसी) का दौरा किया, जो अत्याधुनिक रक्षा और सुरक्षा उपायों से संबंधित नवाचार, अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देता है। उन्होंने अगली पीढ़ी की परियोजनाओं पर काम कर रहे इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं से बातचीत की।

रक्षा राज्यमंत्री ने बीईएल की अपनी पहली यात्रा की स्मृति में पीडीआईसी परिसर में एक पौधा भी लगाया। इससे पहले, श्री मनोज जैन, सीएमडी, श्री भानु प्रकाश श्रीवास्तव, निदेशक (अन्य इकाइयां), श्री दामोदर भट्टड़, निदेशक (वित्त), श्री के वी सुरेश कुमार, निदेशक (विपणन) तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

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कोयला मंत्रालय द्वारा तीन कोयला खदानों के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर

 कोयला मंत्रालय ने आज 7वें दौर के दूसरे प्रयास के अंतर्गत नीलाम की गई तीन कोयला खदानों के लिए कोयला खनन विकास और उत्पादन समझौतों को सफलतापूर्वक निष्पादित किया। यह वाणिज्यिक कोयला खनन की सफलता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। तीन खदानों में से दो आंशिक रूप से खोजी गई हैं, जबकि एक पूरी तरह अन्वेषित है।

समझौते किए गए खदानों हैं मच्छकटा (संशोधित) कोयला खदान, कुडनाली लुबरी कोयला खदान और सखीगोपाल-बी काकुरही कोयला खदान। सफल बोलीकर्ता क्रमशः एनएलसी इंडिया लिमिटेड, गुजरात मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड और तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड हैं।

इन तीन खदानों से वाणिज्यिक नीलामी के अंतर्गत अनुमानित वार्षिक राजस्व सृजन लगभग 2,991.20 करोड़ रुपए है, जो लगभग 30.00 एमटीपीए की कुल पीक रेट क्षमता उत्पादन पर आधारित है। इन खदानों के चालू होने पर लगभग 40,560 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। इसके अतिरिक्त, इन कोयला खदानों को चालू करने के लिए लगभग 4,500 करोड़ रुपए का कुल निवेश आवंटित किया जाएगा।यह पहल कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन में योगदान देने और राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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“भारत का लक्ष्य 2030 तक 4 बिलियन डॉलर के एमआरओ उद्योग के साथ अग्रणी विमानन केन्‍द्र बनना” – राममोहन नायडू

केन्‍द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री किंजरापु राममोहन नायडू ने सभी विमानों और विमान इंजन के कलपुर्जों पर 5 प्रतिशत की एकसमान आईजीएसटी दर लागू करने की घोषणा की है, जो आज 15 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी। यह निर्णय घरेलू रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ) उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक विमानन केन्‍द्र बनाना है।

इस प्रगति पर टिप्पणी करते हुए, श्री नायडू ने कहा, “एमआरओ वस्तुओं पर एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर की शुरूआत विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ा प्रोत्‍साहन है। इससे पहले, विमान घटकों पर 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की अलग-अलग जीएसटी दरों ने चुनौतियां खड़ी की, जिसमें कर संरचना में भिन्‍नता और एमआरओ खातों में जीएसटी संचय शामिल था। यह नई नीति इन असमानताओं को समाप्त करती है, कर संरचना को सरल बनाती है और एमआरओ क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देती है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने इस बदलाव को संभव बनाने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में, हम आत्मनिर्भर भारत पहल के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत को एक प्रमुख विमानन केन्‍द्र में बदलने में उनका समर्थन इस नीति को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा है।”

केन्‍द्रीय मंत्री ने नागर विमानन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और अन्य हितधारकों के प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने 22 जून 2024 को अपनी 53वीं बैठक में जीएसटी परिषद द्वारा अनुशंसित इस नीति समायोजन को प्राप्त करने के लिए लगन से काम किया है, एक समान 5 प्रतिशत आईजीएसटी दर का उद्देश्य परिचालन लागत को कम करना, कर क्रेडिट के मुद्दों को हल करना और निवेश को आकर्षित करना है।

भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए, श्री राममोहन नायडू ने कहा, “हमारा दृष्टिकोण भारत को एक अग्रणी विमानन केन्‍द्र में बदलना है। भारतीय एमआरओ उद्योग के 2030 तक 4 बिलियन डॉलर का उद्योग बनने का अनुमान है। यह नीति परिवर्तन एमआरओ सेवाओं के लिए एक मजबूत इकोसिस्‍टम बनाने, नवाचार को बढ़ावा देने और स्‍थायी विकास सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

मंत्रालय को विश्वास है कि इस कदम से भारतीय एमआरओ क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, नवाचार और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा तथा एक मजबूत और कुशल विमानन क्षेत्र का निर्माण होगा।

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स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क आवश्यक हैः डॉ. जितेंद्र सिंह

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि स्टार्ट-अप्स को अपनी स्थिरता बनाए रखने के लिए मजबूत उद्योग प्रबंधन संपर्क (लिंकेज) आवश्यक है।  उन्होंने कहा कि इसमें आईआईएम जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

 

   डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू शहर के बाहरी इलाके जगती में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) के एमबीए छात्रों के नए बैच के लिए ओरिएंटेशन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कहा कि अधिकतर सफल स्टार्ट-अप कहानियां मजबूत उद्योग संपर्क के कारण संभव हुई हैं। उन्होंने कहा- “उदाहरण के लिए, अरोमा मिशन में, सरकार लैवेंडर में कृषि स्टार्ट-अप में लगे लोगों की क्षमता सृजन सुनिश्चित करके और लैवेंडर से बने परफ्यूम और अन्य उत्पादों जैसे हिमालयी उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए बाजार पहुंच की सुविधा प्रदान करके एक सक्षमकर्ता बन गई है।”

मंत्री महोदय ने कहा कि हिमालय के जैव संसाधनों और तटीय क्षेत्रों में अनछुए खनिजों का दोहन भारत की अर्थव्यवस्था में बहुत बड़ा मूल्यवर्धन कर सकता है और ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा दे सकता है। उन्होंने कहा- “भारत के तटीय राज्य और जम्मू-कश्मीर जैसे हिमालयी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश देश के भविष्य की अर्थव्यवस्था को बहुत कुछ दे सकते हैं”। डॉ. जितेंद्र सिंह ने महत्वाकांक्षी पीढ़ी के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बेहतर समय चल रहा है। उन्होंने कहा कि स्टार्ट-अप तेजी से बढ़ रहे हैं और इसके परिणामस्वरूप नए अवसर खुल रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी महान समतलीकरण रही है, जिससे प्रत्येक क्षेत्र के सभी व्यक्ति को अवसर मिला है।” डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि युवाओं को प्रौद्योगिकी का उपयोग करना चाहिए, जिसने सामाजिक भलाई के लिए समान अवसर तैयार किए हैं। उन्होंने कहा कि पहले प्रौद्योगिकी कुछ लोगों का विशेषाधिकार थी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने विद्यार्थियों से 2047 के भारत का नेतृत्व करने के लिए स्वयं को तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “2027 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी पूरी करेगा, तब युवा ही विकसित भारत के निर्माता होंगे।” उन्होंने कहा कि सरकार अपनी युवा पीढ़ी को नए कौशल और प्रशिक्षण तथा विश्व स्तरीय शिक्षा से लैस करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, ताकि उन्हें विकसित भारत का निर्माता बनाया जा सके। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा लाई गई राष्ट्रीय शिक्षक नीति 2020 इस लक्ष्य में योगदान देगी।”  डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईआईएम-जम्मू की प्रगति के बारे में कहा कि अपनी स्थापना के कुछ ही वर्षों में यह देश में उच्च शिक्षा के ऐसे नए प्रमुख संस्थानों में से एक बन गया है। मंत्री महोदय ने कहा, “प्रारंभिक अवस्था से ही, जब हमें फैकल्टी खोजने में भी कठिनाई हो रही थी, इसने अपनी छोटी सी यात्रा में एक लंबा सफर तय किया है।” उन्होंने कहा, ‘‘आईआईएम जम्मू की स्थापना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने और ऐसे नेताओं को तैयार करने के उनके सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राष्ट्र को अभूतपूर्व विकास की ओर ले जाएंगे।’’

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विद्यार्थियों के अधिक लाभ के लिए संस्थानों के बीच सहयोग और तालमेल पर बल दिया। मंत्री महोदय ने कहा, “अलग-अलग काम करने का युग समाप्त हो गया है; सहयोग का युग आ गया है।” उन्होंने आईआईएम-जम्मू, एम्स-जम्मू, आईआईटी-जम्मू और जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय को अनुसंधान एवं विकास तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके साझेदारी के लिए प्रोत्साहित किया। इससे पहले डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आईआईएम-जम्मू के अत्याधुनिक परिसर का दौरा किया। उनके साथ निदेशक प्रो. बी.एस. सहाय और एम्स, जम्मू के निदेशक डॉ. शक्ति कुमार गुप्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने इस अवसर पर एक पौधा लगाया।

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केंद्रीय विद्युत, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल ने आज उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में 2400 मेगावाट टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स में चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया।

अपनी इस यात्रा के दौरान श्री मनोहर लाल ने 1000 मेगावाट के टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) में चल रही निर्माण गतिविधियों का निरीक्षण किया। यह टीएचडीसीआईएल के अंतर्गत एक प्रमुख परियोजना है जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण घटक है। केंद्रीय मंत्री ने बटरफ्लाई वाल्व चैंबर, मशीन हॉल और टिहरी पीएसपी के आउटफॉल सहित कई प्रमुख क्षेत्रों का विस्तृत निरीक्षण किया। उन्होंने नदी को जोड़ने के कार्य की समीक्षा की, जो पीएसपी को मौजूदा जल प्रबंधन प्रणालियों में एकीकृत करने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। मौजूदा प्रयासों की सराहना करते हुए श्री मनोहर लाल ने टीएचडीसी की पूरी टीम को नवीकरणीय और विश्वसनीय जलविद्युत उत्पादन को आगे बढ़ाने की दिशा में उनके अथक समर्पण और कड़ी मेहनत के लिए बधाई दी। उन्होंने टीम की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और 2400 मेगावाट टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स के विकास में स्थापित किए गए उच्च मानकों को स्वीकार करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे जलविद्युत परियोजनाओं में टीएचडीसी का योगदान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित भारत के दृष्टिकोण को वास्तविक रूप दे रहा है। उन्होंने कहा कि टिहरी बांध टीएचडीसीआईएल के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, जो ऐसे समय में पूरा हुआ है, जब इतने बड़े बांध का विचार लगभग अकल्पनीय लग रहा है। टिहरी बांध का विकास अपने आप में किसी आश्चर्य और इंजीनियरिंग चमत्कार से कम नहीं है।

टीएचडीसी प्रबंधन और कर्मचारियों को संबोधित करते हुए मंत्री महोदय ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और राष्ट्र की ऊर्जा सुरक्षा का समर्थन करने में जलविद्युत के रणनीतिक महत्व पर जोर दिया। उन्होंने पूरी टीम से अपनी गति बरकरार रखने और शेष परियोजना चरणों को निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया। उन्होंने जलविद्युत प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने में टीएचडीसीआईएल के प्रयासों की प्रशंसा की और टीम से उत्कृष्टता के लिए अपने प्रयास जारी रखने का आग्रह किया।

टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री आर.के. विश्नोई ने मंत्री महोदय को उनके इस दौरे तथा उत्साहवर्धक शब्दों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने भारत के लिए एक सतत ऊर्जा भविष्य में योगदान देने के व्यापक मिशन के हिस्से के रूप में टिहरी पावर कॉम्प्लेक्स और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए टीएचडीसीआईएल की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की। यह दौरा टीएचडीसीआईएल टीम के बीच उद्देश्य की नई भावना के संचार के साथ संपन्न हुआ, जो भारत के जलविद्युत क्षेत्र के भविष्य के लिए मंत्री महोदय के विज़न के साथ-साथ उस विज़न को साकार करने में उनकी भूमिका से प्रेरित रही।

मंत्री महोदय के साथ आये विद्युत मंत्रालय के प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल की टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री आर.के. विश्नोई, निदेशक (कार्मिक) श्री शलिन्दर सिंह, निदेशक (तकनीकी) श्री भूपेन्द्र गुप्ता तथा टीएचडीसीआईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्प्लेक्स के बारे में कुछ जारी:

टीएचपीसी गंगा नदी की सहायक नदी भागीरथी पर बनी एक बहुउद्देशीय योजना है। इसे मानसून के दौरान भागीरथी नदी के फालतू पानी का संग्रह करने तथा गैर-मानसून अवधि के दौरान उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों की सिंचाई और पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस संग्रहित जल को उपलब्ध कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस परियोजना से 2400 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाता है।

टिहरी एचपीसी में निम्नलिखित परियोजना शामिल हैं:

टिहरी हाइड्रो पावर प्लांट (टिहरी एचपीपी) – 1000 मेगावाट (4×250 मेगावाट)

2. कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना (कोटेश्वर एचईपी) – 400 मेगावाट (4×100 मेगावाट)

3. टिहरी पंप स्टोरेज प्लांट (टिहरी पीएसपी) – 1000 मेगावाट (4×250 मेगावाट)

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प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र के मुंबई  में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) टावर्स का उद्घाटन किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के जीब्लॉक में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएससचिवालय के दौरे के दौरान आईएनएस टावर्स का उद्घाटन किया। यह नई इमारत मुंबई में आधुनिक एवं कुशल कार्यालय संबंधी आईएनएस के सदस्यों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करेगी और मुंबई में समाचार पत्र उद्योग के मुख्य केंद्र के रूप में कार्य करेगी।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने नए टावर के उद्घाटन पर इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के सभी सदस्यों को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि नई जगह में काम करने में आसानी  से भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी का गठन आजादी से पहले किया गया था, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह संगठन न केवल भारत की यात्रा के उतारचढ़ाव का साक्षी रहा है, बल्कि बल्कि उसे जिया भी और जनजन तक पहुंचाया भी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि  एक संगठन के रूप में इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी के काम का प्रभाव देश में स्पष्ट होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मीडिया राष्ट्रों की स्थितियों का मूकदर्शक नहीं होता हैबल्कि उन्हें बदलने में प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने विकसित भारत की अगली 25 वर्षों की यात्रा में समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने नागरिकों के अधिकारों और सामर्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत में डिजिटल लेनदेन की सफलता को इस बात का उदाहरण बताया कि कैसे आत्मविश्वास से भरे नागरिक बड़ी सफलता हासिल करते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के प्रमुख देश भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में रुचि रखते हैं। उन्होंने इन सफलताओं में मीडिया की भागीदारी को स्वीकार किया।

प्रधानमंत्री ने गंभीर मुद्दों पर चर्चा करके विचार-विमर्श सुनिश्चित करने में मीडिया की स्वाभाविक भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने मीडिया की कार्यप्रणाली पर सरकारी नीतियों का प्रभाव पड़ने पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने जन धन योजना की मुहि‍म के जरिए वित्तीय समावेशन एवं बैंक खाते खोलने और लगभग 50 करोड़ लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना डिजिटल इंडिया को आगे बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की पहल में सबसे बड़ी मदद थी। प्रधानमंत्री ने कहा, इसी तरह स्वच्छ भारत या स्टार्टअप इंडिया जैसी पहल वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित नहीं हुईं। उन्होंने इन अभियानों को राष्ट्रीय स्‍तर पर विचार-विमर्श का हिस्सा बनाने के लिए मीडिया की सराहना की।

इस बात का उल्‍लेख करते हुए कि इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी द्वारा लिए गए निर्णय देश के मीडिया को दिशा देते हैं, प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि सरकार द्वारा शुरू किया गया कोई भी कार्यक्रम निश्चित रूप से सरकारी कार्यक्रम ही हो और जिस भी विचार पर विशेष जोर दिया गया है वह केवल सरकार का ही विचार नहीं हो सकता है। उन्होंने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘हर घर तिरंगा’ जैसे अभियानों का उदाहरण दिया जिनकी शुरुआत सरकार ने की थी लेकिन उन्हें पूरे देश ने आगे बढ़ाया। इसी तरह प्रधानमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण पर सरकार के विशेष जोर को रेखांकित किया जो कि एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक मानवीय मुद्दा है और उन्होंने हाल ही में शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का भी जिक्र किया, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। जी7 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व भर के राजनेताओं ने भी इस कार्यक्रम में गहरी दिलचस्पी दिखाई जिसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हुए। उन्होंने समस्‍त मीडिया घरानों से युवा पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए इस मुहिम में शामिल होने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘मैं मीडिया घरानों से आग्रह करता हूं कि वे राष्ट्र के प्रति एक विशेष प्रयास के रूप में इस तरह की पहल को आगे बढ़ाएं।’ भारत के संविधान की 75वीं वर्षगांठ के समारोह का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने संविधान के प्रति नागरिकों की कर्तव्य भावना और जागरूकता बढ़ाने में मीडिया की अहम भूमिका को रेखांकित किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पर्यटन को भी सभी की ओर से सामूहिक ब्रांडिंग और मार्केटिंग की नितांत आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि समाचार पत्र किसी विशेष राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई महीना चुन सकते हैं। इससे राज्यों के बीच आपसी रुचि बढ़ेगी।

प्रधानमंत्री ने समाचार पत्रों से अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने का अनुरोध किया। निकट भविष्य में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की भारत की यात्रा को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की सफलता को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाना मीडिया की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसी देश की वैश्विक छवि सीधे तौर पर उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है।’ उन्होंने भारत की बढ़ती साख और वैश्विक प्रगति में योगदान देने की इसकी बढ़ती क्षमता के साथ प्रवासी भारतीयों के बढ़ते महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सभी भाषाओं में भारतीय प्रकाशनों के विस्तार की कामना की। उन्होंने सुझाव दिया कि इन प्रकाशनों की वेबसाइट, माइक्रोसाइट या सोशल मीडिया अकाउंट इन भाषाओं में हो सकते हैं। उन्होंने इस तरह के प्रयासों में एआई द्वारा प्रदान की जाने वाली सहूलियत का भी उल्‍लेख किया।

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने मीडिया घरानों से आग्रह किया कि वे प्रकाशन के डिजिटल संस्करण का उपयोग करें क्योंकि इसमें मुद्रित संस्करणों की तुलना में स्थान की कोई कमी नहीं होती है और इसके साथ ही आज दिए गए सुझावों पर विचार करें। उन्होंने कहा, ‘मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी इन सुझावों पर विचार करेंगे, नए-नए प्रयोग करेंगे और भारत के लोकतंत्र को मजबूत करेंगे। आप जितनी मजबूती से काम करेंगे, देश उतनी ही अधिक प्रगति करेगा।’

इस अवसर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री रमेश बैस, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फड़नवीस और श्री अजीत पवार तथा इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी के अध्यक्ष श्री राकेश शर्मा उपस्थित थे।

 

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज इंदौर से मध्य प्रदेश के सभी 55 जिलों के 486 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी। मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है। गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। श्री अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। श्री अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्‍स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्‍ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी।

मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है।

गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्‍स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है।

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्‍ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की।

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।

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वायुसेना स्टेशन सरसावा में कारगिल विजय दिवस रजत जयंती 2024 का आयोजन किया गया

भारतीय वायुसेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की एक गौरवशाली विरासत है, जिन्होंने वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध में अदम्य साहस से लड़ाई लड़ी थी, जो वास्तव में सैन्य विमानन के इतिहास में एक मील का पत्थर था। कारगिल युद्ध (ऑपरेशन सफेद सागर) में भारतीय वायुसेना के ऑपरेशन, 16000 फीट से अधिक की खड़ी ढलान और चक्करदार ऊंचाइयों की चुनौतियों का सामना करने की भारतीय वायुसेना की सैन्य क्षमता का प्रमाण हैं, जो युद्ध में दुश्मन को निशाना बनाने में अद्वितीय परिचालन बाधाएं हैं। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़े गए इस युद्ध को जीतने के लिए वायु शक्ति के अपने उपयोग में तेजी से किए गए तकनीकी संशोधनों और ऑन-द-जॉब-ट्रेनिंग ने भारतीय वायुसेना का स्थान श्रेष्ठ रहा। कुल मिलाकर, भारतीय वायुसेना ने लगभग 5000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही/ईएलआईएनटी मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने घायलों को निकालने और हवाई परिवहन कार्यों के लिए 2000 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भी भरीं।

कारगिल युद्ध में विजय के 25 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, भारतीय वायुसेना 12 जुलाई से 26  जुलाई 24 तक वायुसेना स्टेशन सरसावा में ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ का आयोजन कर रही है, जिसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों को सम्मानित किया जाता है। वायुसेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट, ‘द माइटी आर्मर’ ने ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 28 मई 99 को, 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलान, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को टोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर लाइव स्ट्राइक के लिए ‘नुबरा’ फॉर्मेशन के रूप में उड़ान भरने की जिम्मेदारी दी गई थी। इस हवाई हमले को सफलतापूर्वक करने के बाद, उनके हेलीकॉप्टर को दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने टक्कर मार दी, जिसमें चार वीर सैनिकों ने प्राणों का बलिदान दिया। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए, उन्हें मरणोपरांत वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया। उनके सर्वोच्च बलिदान ने सुनिश्चित किया कि उनका नाम हमेशा के लिए भारतीय वायुसेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा।

13 जुलाई 24 को, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने वरिष्ठ गणमान्य अधिकारियों, बहादुरों के परिवारों, दिग्गजों और सेवारत भारतीय वायुसेना अधिकारियों के साथ स्टेशन युद्ध स्मारक पर राष्ट्र की सेवा में अपने प्राणों की बलिदान देने वाले सभी वायु सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित की। इस आयोजित कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम के दौरान वायु सेना प्रमुख ने उनके परिजनों को सम्मानित किया और उनसे बातचीत की।

एक शानदार एयर शो का आयोजन किया गया जिसमें आकाश गंगा टीम द्वारा प्रदर्शन और जगुआर, एसयू-30 एमकेएल और राफेल लड़ाकू विमानों द्वारा हवाई प्रदर्शन शामिल थे। शहीद नायकों की पुण्य स्मृति में एमआई-17 वी5 द्वारा “मिसिंग मैन फॉर्मेशन” ने उड़ान भरी। इस अवसर पर भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों जैसे एमआई-17 वी5, चीता, चिनूक का स्थिर प्रदर्शन भी किया गया। इस अवसर पर एयर वॉरियर ड्रिल टीम और वायुसेना बैंड ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी।

इस कार्यक्रम को 5000 से अधिक दर्शकों ने देखा, जिनमें स्कूली बच्चे, सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासी, भूतपूर्व सैनिक, गणमान्य नागरिक और रुड़की, देहरादून और अंबाला के रक्षा बलों के कार्मिक गण शामिल थे।

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‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ का दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम मंगलवार को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया जाएगा

India gets a new Parliament building: All you need to know
वर्ष भर चलने वाले उत्सव का दूसरा क्षेत्रीय कार्यक्रम, ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ अभियान; न्याय तक समग्र पहुँच के लिए अभिनव समाधान तैयार करना (दिशा) के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, जो विधि एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार के न्याय विभाग द्वारा कार्यान्वित एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है। यह कार्यक्रम 16 जुलाई, 2024 को प्रयागराज में इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन कन्वेंशन सेंटर में भारतीय संविधान को अंगीकृत किये जाने और भारत गणराज्य की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा।

इस कार्यक्रम में 24 जनवरी से 23 अप्रैल 2024 तक MyGov प्लेटफॉर्म पर आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए जाएंगे। प्रतियोगिताओं में संविधान क्विज, पंच प्राण रंगोत्सव (पोस्टर-निर्माण) और पंच प्राण अनुभव (रील-निर्माण) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, न्याय विभाग के न्याय बंधु कार्यक्रम के तहत पंजीकृत, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निःशुल्क सेवा देने वाले अधिवक्ता पैनल को बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं को निःशुल्क सेवाओं के लिए नामांकन करने के लिए प्रोत्साहित करने में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए मान्यता दी जाएगी और सम्मानित किया जाएगा।

नागरिक भागीदारी बढ़ाने के प्रयास के तहत, कार्यक्रम में ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। यह पोर्टल ज्ञान के भंडार के रूप में काम करेगा, जिससे नागरिकों को संविधान और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जानकारी तक आसान पहुँच की सुविधा मिलेगी। इसमें अभियान की गतिविधियों की झलकियाँ भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें एक कार्यक्रम कैलेंडर और सुविधाजनक तरीके भी शामिल होंगे, ताकि समुदाय-आधारित सहयोगी दृष्टिकोण के जरिये संवैधानिक अधिकारों के बारे में जानकारी प्राप्त करने को आपसी संवाद आधारित और सहभागी बनाया जा सके।

इस कार्यक्रम में विधि और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अरुण भंसाली भी भाग लेंगे। इलाहाबाद बार के अधिवक्ता, सरकारी वकील, न्यायिक अधिकारी, सामान्य सेवा केंद्र के ग्राम-स्तरीय उद्यमी, राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि संस्थान, प्रयागराज के कुलपति, संकाय और विधि के छात्र, केंद्र और राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी और नागरिक सहित लगभग 800 प्रतिभागी इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से शामिल होंगे। इसके अलावा कई नागरिक और न्याय विभाग के हितधारक इस कार्यक्रम में डिजिटल रूप से जुड़ेंगे।

भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने 24 जनवरी, 2024 को नई दिल्ली के अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र में इस अभियान का उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य संविधान की समझ और कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूकता को लोकप्रिय बनाना है। आगे बढ़ते हुए, यह निर्णय लिया गया कि भागीदारी और समावेशिता बढ़ाने के लिए इस अभियान को क्षेत्रीय स्तर पर आयोजित करने की आवश्यकता है। तदनुसार, भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने 9 मार्च, 2024 को राजस्थान के बीकानेर में पहले क्षेत्रीय कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

इस अखिल भारतीय अभियान की कुछ प्रमुख उपलब्धियां हैं:

  • क्षेत्रीय स्तर पर ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ कार्यक्रम का आयोजन।
  • स्थानीय लोगों के लिए सरल तरीकों से संविधान के बारे में जागरूकता फैलाना और इसे बढ़ावा देना।
  • सबको न्याय हर घर न्याय, नव भारत नव संकल्प और विधि जागृति अभियान जैसे उप-अभियानों का आयोजन और इन्हें लोकप्रिय बनाना।
  • नागरिकों को ‘हमारा संविधान हमारा सम्मान’ पोर्टल पर सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।

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उपराष्ट्रपति ने साइबर अपराध के शिकार लोगों के लिए तत्काल कानूनी सहायता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज साइबर अपराध के शिकार लोगों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, को कानूनी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया। देश में बढ़ती डिजिटल पहुंच के साथ-साथ साइबर अपराध की घटनाओं में वृद्धि का संज्ञान लेते हुए उन्होंने कहा कि यह एजेंसियों, जांचकर्ताओं, नियामकों और कानूनी समुदाय के लिए चिंता का एक नया क्षेत्र है, और इससे निपटने के लिए तकनीकी और मानवीय विशेषज्ञता विकसित करने का आह्वान किया।

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज वैश्विक आतंकवाद निरोधक परिषद (जीसीटीसी) द्वारा आयोजित तीसरे साइबर सुरक्षा सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि निर्दोष लोगों को धोखेबाज तत्वों द्वारा ठगा जा रहा है, और उन्होंने देश के सुदूर कोने में भी डेटा सुरक्षा जागरूकता के महत्व पर जोर दिया।

वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी डिजिटल सोसाइटियों में से एक के रूप में भारत की प्रमुख स्थिति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने जोर देकर कहा कि भारत में 820 मिलियन से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं और इसने 500 मिलियन से अधिक व्यक्तियों के लिए बैंकिंग समावेशन हासिल किया है। उन्होंने इस तथ्य की ओर भी ध्यान आकर्षित किया कि वर्ष 2023 तक वैश्विक डिजिटल लेन-देन में देश की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत होगी।

प्रौद्योगिकी की पहुंच सुनिश्चित करने में भारत की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया भारत में सेवा वितरण में प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर उपयोग को देखकर दंग है, निस्सन्देह गांव स्तर तक भी। उन्होंने कहा, “प्रौद्योगिकी आम आदमी के बीच एक प्रचलित शब्द बन रहा है, वह अपने लेन-देन को डिजिटल होने का आनंद लेता है।”

बाधाकारी प्रौद्योगिकियों की अपार संभावनाओं की चर्चा करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी प्रौद्योगिकी का न केवल अर्थव्यवस्था, व्यवसाय या व्यक्तिगत उत्पादकता पर बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। यह कहते हुए कि इन उभरती प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न चुनौतियों को अवसरों में बदला जाना चाहिए, श्री धनखड़ ने उनकी सकारात्मक क्षमता का दोहन करने के लिए प्रणालियों को अद्यतन करने का आह्वान किया। उन्होंने देश के लाभ के लिए इन प्रगतियों को एकीकृत करने के लिए सक्रिय उपायों की आवश्यकता पर भी जोर दिया

आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध पारंपरिक सीमाओं को पार कर गया है, जो भूमि, अंतरिक्ष और समुद्र से आगे बढ़कर नए तकनीकी क्षेत्रों में फैल गया है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में किसी राष्ट्र की तैयारी उसकी वैश्विक क्षमता और रणनीतिक ताकत को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने यह भी बताया कि नरम कूटनीतिक शक्ति तेजी से किसी राष्ट्र की तकनीकी क्षमता पर निर्भर करती है।

भारत की डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार के सक्रिय उपायों पर प्रकाश डालते हुए, श्री धनखड़ ने राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम की स्थापना और सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 को अपडेट करने सहित महत्वपूर्ण पहलों के कार्यान्वयन का उल्लेख किया। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पहल, बढ़ी हुई सार्वजनिक-निजी भागीदारी के साथ, देश के डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत देती हैं।

इस अवसर पर जीसीटीसी के सलाहकार प्रोफेसर वी.एम.बंसल, जीसीटीसी के कार्यकारी परिषद सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल के.जे.सिंह और सुश्री नीरू अबरोल तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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