डॉ. मांडविया ने कहा कि चिकित्सा उपकरण क्षेत्र देश के उभरते क्षेत्रों में प्रमुख है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार देख को चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, ‘1.5 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ हमें अगले 25 साल में भारत की बाजार हिस्सेदारी 10-12 प्रतिशत तक पहुंचने की आशा है।’ उन्होंने कहा कि ‘हाल ही में शुरू की गई राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ हम 2030 तक चिकित्सा उपकरणों के विकास को वर्तमान 11 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के प्रति आश्वस्त हैं।’
डॉ. मांडविया ने कहा कि “पहले, हमने फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरणों सहित स्वास्थ्य क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों को भंडार क्षेत्र में देखा था। मोदी सरकार ने भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य को 2047 तक बदलने का समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी कई नई पहलों से देश में 43 महत्वपूर्ण सक्रिय दवा घटक (एपीआई) का उत्पादन किया जा रहा है। पहले इसका विदेशों से आयात किया जाता था। सरकार इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश में थोक दवा पार्क और चिकित्सा उपकरण पार्क भी बना रही है।
डॉ. मांडविया ने कहा कि मेडटेक एक्सपो 2023 चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं, दवाओं, उपकरणों और सुविधाओं में भारत के नवाचारों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा। उन्होंने बताया कि इस आयोजन से भारत के चिकित्सा उपकरणों के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में विश्व के अन्य देशों को भी जानकारी मिलेगी और यह एक ब्रांड पहचान कायम कर सकेगा।
केन्द्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार, स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने उद्योगों और मीडिया कर्मियों सहित सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे एक्सपो का दौरा करें और इस क्षेत्र में आ रहे परिवर्तन के साक्षी बनें।
फार्मास्युटिकल्स विभाग की सचिव श्रीमती एस अपर्णा ने कहा, “चिकित्सा उपकरण क्षेत्र आज सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण के लिए उद्योग को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इससे 37 अद्वितीय उत्पाद अब देश में ही निर्मित किये जा रहे हैं, ये पहले आयात किये जाते थे।
श्रीमती एस अपर्णा ने यह भी कहा कि ये नीतिगत हस्तक्षेप चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण और मांग दोनों पक्ष को पूरा करने के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए देश भर में चार नए औद्योगिक पार्कों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण निर्यात संवर्धन परिषद की भी स्थापना की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि एक्सपो में भविष्य मंडप और एक अनुसंधान एवं विकास मंडप होगा और इसमें राज्यों, उद्योगों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, शिक्षाविदों और अन्वेषकों की भागीदारी होगी।
पृष्ठभूमि:
इस क्षेत्र की पर्याप्त क्षमता का उपयोग करने और भविष्य के मार्ग पर मंथन करने के लिए सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय का फार्मास्यूटिकल्स विभाग ‘भारत: ‘उपकरण, निदान और डिजिटल का अगला मेडटेक वैश्विक हब’ विषय के साथ ‘इंडिया मेडटेक एक्सपो’ की मेजबानी कर रहा है।
एक्सपो में फ्यूचर पवेलियन, अनुसंधान और विकास पवेलियन, स्टार्ट-अप पवेलियन, राज्य पैवेलियन, नियामक पवेलियन और मेक इन इंडिया शोकेस सहित विभिन्न मंडप होंगे। इसमें 150 से अधिक लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय विनिर्माताओं, स्टार्ट-अप, नियामक एजेंसियां, राज्य सरकारों और केंद्रीय विभागों सहित 400 से अधिक भागीदार हिस्सा ले रहे हैं।
एक्सपो के दौरान 7 राज्य – मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात मंडप स्थापित कर रहे हैं। इसमें एक्सपो में नवाचार और अनुसंधान और विकास का परिदृश्य दिखाने के लिए मंडप लगाए जायेंगे, इनमें 30 से अधिक कंपनियां नए अनुसंधान और नवाचारों का प्रदर्शन करेंगी। स्टार्ट-अप के लिए एक अलग मंडप भी होगा और इसमें 75 स्टार्ट-अप भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त फार्मास्यूटिकल्स विभाग, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) और राष्ट्रीय मानक संगठन (बीआईएस) सहित चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए 7 नियामक एजेंसियां इसमें भाग ले रही हैं।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विषयगत सम्मेलन सत्र आयोजित किए जाएंगे, इनका उद्देश्य ज्ञान की असीम संभावनाओं का पता लगाना, नवाचारों को प्रेरित करना और विभिन्न देशों की प्रतिभाओं के बीच संबंध ज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में संबंध स्थापित करना है। ये सत्र वर्ष 2047 के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के उद्देश्य को देखते हुए बनाए गए हैं, एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो मेडटेक क्षेत्र के लिए भारत की आकांक्षाओं का प्रतीक है, जो न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य है :
- चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में नवीनतम प्रगति, चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसायियों, विशेषज्ञों और नवप्रवर्तकों को एक मंच पर लाना।
- प्रसिद्ध उद्योगपति और विशेषज्ञ चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में वर्तमान रुझानों और संभावनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा करेंगे।
- सफल उत्पाद विकास और बाजार पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम नियामक दिशानिर्देशों और अनुपालन आवश्यकताओं पर उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं के बीच चर्चा की जाएगी।
- चिकित्सा उपकरण विकास, विनियमन और कार्यान्वयन में चुनौतियों और अवसरों के बारे में उद्योग विशेषज्ञों, नियामकों और स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों के साथ चर्चा।
मुख्य रूप से 5 प्रमुख क्षेत्रों अफ्रीका, आसियान, कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (सीआईएस), मध्य पूर्व और ओशिनिया के 50 देशों के कुल 231 विदेशी खरीदार अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक में भाग लेंगे। प्रोफ़ाइल के आधार पर, इन खरीदारों को मुख्य रूप से चार मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
1. स्वास्थ्य मंत्रालय के सरकारी अधिकारी – 55
2. चिकित्सा उपकरणों और उपकरणों के प्रमुख खरीदार और आयातक -111
3. खरीद एजेंसियां – 60
इस अवसर रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में संयुक्त सचिव (नीति) श्री रविन्द्र प्रताप सिंह, फिक्की के महासचिव श्री शैलेश के पाठक, उप महासचिव श्री मनाब मजूमदार सहित केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।